जब बाबा का निधन हुआ, कांग्रेस ने...,मनमोहन सिंह स्मारक विवाद के बीच छलका प्रणब मुखर्जी की बेटी का दर्द

#pranabmukherjeedaughterslamcongress

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज अंतिम संस्कार किया जाएगा। मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया था।पूर्व पीएम के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी की ओर से कांग्रेस मुख्यालय पर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई। इस बैठक में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी गई। इस बैठक के बाद पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी का दर्द छलका है। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि उनके पिता और पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर कांग्रेस ने एक शोक सभा आयोजित करने की जहमत भी नहीं उठाई थी।

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए एक पोस्ट करते हुए कहा कि जब बाबा (प्रणब मुखर्जी) का निधन हुआ तो कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी की शोक सभा बुलाने की भी जहमत नहीं उठाई। एक वरिष्ठ नेता ने मुझसे कहा कि चार राष्ट्रपतियों के साथ ऐसा नहीं हुआ है। यह बिल्कुल बकवास है जैसा कि मुझे बाद में बाबा की डायरियों से पता चला कि केआर नारायणन के निधन पर, सीडब्ल्यूसी की मीटिंग बुलाई गई थी और उसके लिए जो शोक संदेश था उसे बाबा द्वारा तैयार किया गया था।

सीआर केशवन के एक पोस्ट पर शर्मिष्ठा मुखर्जी ने रखी बात

शर्मिष्ठा मुखर्जी की ओर से यह बात बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सीआर केशवन के एक पोस्ट पर कही गई है। बीजेपी नेता ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का एक लेटर शेयर किया है। केशवन ने लिखा है कि यह सचमुच में विडंबना है कि कांग्रेस अध्यक्ष खरगे प्रधानमंत्री को पत्र लिख रहे हैं। खरगे ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों के स्मारक बनाने की परंपरा रही है। किसी को खड़गे जी को याद दिलाना चाहिए कि कैसे कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव जी के लिए दिल्ली में कभी स्मारक नहीं बनाया, जिनका 2004 में निधन हो गया था। उन्होंने आगे कहा कि 2004-2014 तक सत्ता में रहने के 10 वर्षों में कांग्रेस ने उनके लिए कभी कोई स्मारक नहीं बनाया। यह पीएम मोदी जी ही थे जिन्होंने 2015 में नरसिम्हा राव जी के लिए एक स्मारक स्थापित किया और 2024 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया।

“कांग्रेस नहीं चाहती थी राव का अंतिम संस्कार दिल्ली में हो”

सीआर केशवन ने आगे लिखा है कि मनमोहन जी के मीडिया सलाहकार संजय बारू ने अपनी किताब में दावा किया कि कांग्रेस नहीं चाहती थी कि राव का अंतिम संस्कार दिल्ली में हो, बल्कि हैदराबाद में हो और राव के बच्चों को यह बात बताने के लिए उनसे संपर्क किया गया था। अंतिम संस्कार हैदराबाद में हुआ, राव का शव अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय में भी नहीं रखा गया। सिद्धांतहीन कांग्रेस के ऐतिहासिक पापों को हमारा देश कभी नहीं भूलेगा और न ही माफ करेगा।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का बनेगा स्मारक, सरकार ने मान ली कांग्रेस की बात

#modi_govt_to_allocate_space_for_manmohan_singh_memorial

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अंतिम सफर की तैयारियां शुरू हो गई हैं। मनमोहन की पार्थिव देह पीएम आवास से कांग्रेस मुख्यालय लाई गई है। यहां नेता और कार्यकर्ता उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर होगा। निगमबोध घाट पर मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर कांग्रेस ने नाराजगी जताई है। दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी-शाह से मांग की थी कि मनमोहन सिंह का जहां अंतिम संस्कार हो, वहीं स्मारक बनाया जाए। हालांकि, गृह मंत्रालय ने देर रात बताया कि स्मारक की सही जगह तय करने में कुछ दिन लग सकते हैं।

गृह मंत्रालय ने जानकारी दी है कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी में पूर्व पीएम का स्मारक बनाएगी। इस बारे में गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और मनमोहन सिंह के परिवार को सूचित किया है कि सरकार स्मारक के लिए जगह आवंटित करेगी। हालांकि इसमें कुछ वक्त लगेगा। गृहमंत्रालय ने कहा है कि स्मारक बनाने के लिए ट्रस्ट का गठन करना होगा और उसे जगह आवंटित करनी होगी।

कैबिनेट की बैठक के तुरंत बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खरगे और मनमोहन सिंह के परिवार को सूचित किया कि सरकार स्मारक के लिए स्थान आवंटित करेगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि ट्रस्ट का गठन किया जाना है और स्थान आवंटित किया जाना है। इस बीच मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार और अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा सकती हैं।

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि पूर्व प्रधानमंत्री सिंह का अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर किया जाए जहां उनका एक स्मारक बन सके। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अंत्येष्टि और स्मारक के लिए सरकार द्वारा स्थान नहीं ढूंढ पाना भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री का जानबूझकर किया गया अपमान है। बता दे कि मनमोहन सिंह का बृहस्पतिवार को निधन हो गया था। वह 92 साल के थे।

चीन ने बनाया छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान, अमेरिका ही नहीं भारत की भी बढ़ी टेंशन

#chinesesixthgenerationstealthfighterjetdemonstration

चीन लगातार अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करने में जुटा है। इस बीच चीन की विमान बनाने वाली दो कंपनियों ने गुरुवार को 24 घंटे से भी कम समय में स्टील्थ (राडार से छुपने वाले) लड़ाकू विमानों के प्रदर्शनकारी मॉडल दिखाए। इन दोनों फाइटर जेट के डिजाइन साधारण जेट के डिजाइन से बिल्कुल अलग हैं। इसे छठी पीढ़ी का फाइटर जेट बताया जा रहा है। इसको इस तरह डिजाइन किया गया है कि पारंपरिक रडार का उपयोग कर इसका पता लगाना लगभग असंभव होगा। चीन ने ऐसे समय में यह लड़ाकू विमान विकसित किया है जब दुनिया के किसी किसी देश के पास छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है। अभी इस नए विमान के बारे में बहुत सारी जानकारी गोपनीय रखी गई है।

चीनी सेना आमतौर पर दिसंबर या जनवरी में अपनी नई तकनीक दिखाती है। गुरुवार को लगभग एक ही समय पर दो अलग-अलग मानव-युक्त स्टील्थ फाइटर जेट को उड़ान भरते हुए देखा गया। चेंगदू और शेनयांग कंपनियों के ये अलग-अलग डिजाइन अब तक के सबसे आधुनिक मानव-युक्त लड़ाकू विमानों में से एक हो सकते हैं।

एआई से लैस है यह विमान

रिपोर्ट के अनुसार, चीन की 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को व्हाइट इंपरर (बैदी) उपनाम दिया गया है। इसकी सटीक क्षमताएं अभी गोपनीय है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। यह विमान पहले से अधिक स्टील्थ है, जो दुश्मन के रडार को नाकाम कर सकती है। इसमें अगली पीढ़ी के एवियोनिक्स सिस्टम लगा हुआ है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि चीन के 6वीं पीढ़ी के विमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है, जो बड़ी मात्रा में डेटा को प्रॉसेस करने और वास्तविक समय में युद्ध के हालातों के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम होगा

यूएवी के साथ मिलकर काम करेगा यह विमान

चीन के इस नए लड़ाकू विमान की सबसे बड़ी विशेषताओं में इसका मानव रहित हवाई वाहनों(यूएवी)के साथ मिलकर काम करने की क्षमता भी है। यह भविष्य के युद्ध में यूएवी या ड्रोन के साथ मिलकर अपनी घातक क्षमता का प्रदर्शन कर सकता है। इससे चीन को दुश्मन के इलाके में घुसने पर भी जनहानि का सामना नहीं करना होगा। इससे युद्ध में चीन को न सिर्फ सटीक सूचनाएं प्राप्त होंगी, बल्कि स्ट्राइक मिशन और डिफेंस के लिए अपने सैनिकों का इस्तेमाल भी नहीं करना होगा।

अभी पांचवीं पीढ़ी के विमान बनाने में जुटा भारत

ये विमान भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। इसलिए भारत को भी इससे निपटने के लिए जल्द से जल्द तैयारी शुरू करनी ही होगी। भारत के पास अभी कोई स्टेल्थ फाइटर जेट नहीं है। मौजूदा वक्त में राफेल सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान हैं। इसको 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जाता है। भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने पर काम कर रहा है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम काम्बैट एयरक्राफ्ट को डिजाइन और विकसित करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी

चीन ने बनाया छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान, अमेरिका ही नहीं भारत की भी बढ़ी टेंशन
#chinese_sixth_generation_stealth_fighter_jet_demonstration
* चीन लगातार अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करने में जुटा है। इस बीच चीन की विमान बनाने वाली दो कंपनियों ने गुरुवार को 24 घंटे से भी कम समय में स्टील्थ (राडार से छुपने वाले) लड़ाकू विमानों के प्रदर्शनकारी मॉडल दिखाए। इन दोनों फाइटर जेट के डिजाइन साधारण जेट के डिजाइन से बिल्कुल अलग हैं। इसे छठी पीढ़ी का फाइटर जेट बताया जा रहा है। इसको इस तरह डिजाइन किया गया है कि पारंपरिक रडार का उपयोग कर इसका पता लगाना लगभग असंभव होगा। चीन ने ऐसे समय में यह लड़ाकू विमान विकसित किया है जब दुनिया के किसी किसी देश के पास छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है। अभी इस नए विमान के बारे में बहुत सारी जानकारी गोपनीय रखी गई है। चीनी सेना आमतौर पर दिसंबर या जनवरी में अपनी नई तकनीक दिखाती है। गुरुवार को लगभग एक ही समय पर दो अलग-अलग मानव-युक्त स्टील्थ फाइटर जेट को उड़ान भरते हुए देखा गया। चेंगदू और शेनयांग कंपनियों के ये अलग-अलग डिजाइन अब तक के सबसे आधुनिक मानव-युक्त लड़ाकू विमानों में से एक हो सकते हैं। *एआई से लैस है यह विमान* रिपोर्ट के अनुसार, चीन की 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को व्हाइट इंपरर (बैदी) उपनाम दिया गया है। इसकी सटीक क्षमताएं अभी गोपनीय है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। यह विमान पहले से अधिक स्टील्थ है, जो दुश्मन के रडार को नाकाम कर सकती है। इसमें अगली पीढ़ी के एवियोनिक्स सिस्टम लगा हुआ है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि चीन के 6वीं पीढ़ी के विमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है, जो बड़ी मात्रा में डेटा को प्रॉसेस करने और वास्तविक समय में युद्ध के हालातों के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम होगा *यूएवी के साथ मिलकर काम करेगा यह विमान* चीन के इस नए लड़ाकू विमान की सबसे बड़ी विशेषताओं में इसका मानव रहित हवाई वाहनों(यूएवी)के साथ मिलकर काम करने की क्षमता भी है। यह भविष्य के युद्ध में यूएवी या ड्रोन के साथ मिलकर अपनी घातक क्षमता का प्रदर्शन कर सकता है। इससे चीन को दुश्मन के इलाके में घुसने पर भी जनहानि का सामना नहीं करना होगा। इससे युद्ध में चीन को न सिर्फ सटीक सूचनाएं प्राप्त होंगी, बल्कि स्ट्राइक मिशन और डिफेंस के लिए अपने सैनिकों का इस्तेमाल भी नहीं करना होगा। अभी पांचवीं पीढ़ी के विमान बनाने में जुटा भारत ये विमान भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। इसलिए भारत को भी इससे निपटने के लिए जल्द से जल्द तैयारी शुरू करनी ही होगी। भारत के पास अभी कोई स्टेल्थ फाइटर जेट नहीं है। मौजूदा वक्त में राफेल सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान हैं। इसको 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जाता है। भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने पर काम कर रहा है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम काम्बैट एयरक्राफ्ट को डिजाइन और विकसित करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी
“वो मेरे दोस्त और मार्गदर्शक थे, उनका जाना मेरी व्यक्तिगत क्षति” मनमोहन सिंह के निधन पर सोनिया गांधी का शोक संदेश

#sonia_gandhi_condolence_on_former_pm_dr_manmohan_singh 

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया। वे 92 साल के थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने उनके आवास पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि दी गई और शोक प्रस्ताव पारित किया गया।केंद्रीय सरकार ने उनके सम्मान में एक जनवरी 2025 तक सात दिनों के लिए राजकीय शोक घोषित किया है। इधर, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह जी को श्रद्धांजलि देने के लिए शुक्रवार को शाम को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित किया और पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी गई। कांग्रेस की संसदीय पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने डॉ मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी। 

कांग्रेस ने सोशल साइट एक्स पर सोनिय गांधी का शोक संदेश जारी किया। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने कहा, डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से हमने एक ऐसा नेता खो दिया है जो ज्ञान, बड़प्पन और विनम्रता का प्रतीक था। उन्होंने पूरे दिल से देश की सेवा की। उनकी करुणा और दूरदर्शिता ने लाखों भारतीयों का जीवन बदल दिया। मेरे लिए डॉ. मनमोहन सिंह का निधन एक गहरी व्यक्तिगत क्षति है। वह मेरे मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक थे। वे बहुत ही विनम्र स्वभाव के थे और अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ थे।

उन्होंने कहा कि डॉ मनमोहन सिंह के निधन से हमने एक ऐसे नेता को खो दिया है जो बुद्धिमता, कुलीनता और विनम्रता के प्रतीक थे, जिन्होंने पूरे दिल और दिमाग से हमारे देश की सेवा की। कांग्रेस पार्टी के लिए एक उज्ज्वल और प्रिय मार्गदर्शक, उनकी करुणा और दूरदर्शिता ने लाखों भारतीयों के जीवन को बदल दिया और उन्हें सशक्त बनाया। सोनिया गांधी ने कहा कि भारत के लोग उन्हें उनके शुद्ध हृदय और उत्तम बुद्धि के लिए प्यार करते थे। उनकी सलाह, बुद्धिमानीपूर्ण सलाह और विचारों को हमारे देश के राजनीतिक स्पेक्ट्रम में उत्सुकता से मांगा जाता था और उनका बहुत सम्मान किया जाता था।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल और प्रियंका गांधी वाद्रा समेत अन्य नेताओं ने मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए सीडब्ल्यूसी की बैठक के लिए कांग्रेस मुख्यालय में मुलाकात की। इस बीच, कर्नाटक के बेलगावी में चल रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी मीटिंग रद्द कर दी गई। कांग्रेस स्थापना दिवस से जुड़े आयोजन भी कैंसिल हो गए हैं। पार्टी के इवेंट 3 जनवरी के बाद शुरू होंगे।

मनमोहन सिंह के खिलाफ आंदोलन करने वाले अन्ना हजारे ने पूर्व पीएम को यूं किया याद, जाने क्या क्या बोले

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देश के पूर्व प्रधामंत्री मनमोहन सिंह की बीती रात निधन हो गया। जिसके कारण देश में सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। कल यानी शनिवार को पूर्व पीएम का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन पर पीएम मोदी समेत भारत और दुनियाभर के विभिन्न नेताओं, राष्ट्राध्यक्षों और हस्तियों ने शोक जताया है। वहीं, अब पूर्व पीएम के निधन पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी बयान दिया है। आपको बता दें कि अन्ना हजारे ने मनमोहन सिंह की सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाया था।

वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और मनमोहन सरकार के दौरान भ्रष्‍टाचार के खिलाफ देशव्‍यापी आंदोलन छेड़ने वाले अन्‍ना हजारे ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्‍टर मनमोहन सिंह के निधन पर उन्‍हें याद करते हुए कहा कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह भ्रष्‍टाचार के खिलाफ थे। पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि देते हुए अन्‍ना हजारे ने कहा कि मनमोहन सिंह ने देश और समाज के कल्‍याण को हमेशा प्राथमिकता दी।

अन्‍न हजारे ने अहिल्‍यानगर जिले स्थित अपने गांव में कहा, जिसने जन्‍म लिया उसकी मृत्‍यु तय है, लेकिन कुछ लोग अपने पीछे अपनी यादें और विरासत छोड़ जाते हैं। डॉक्‍टर मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था को नई दिशा दी थी। अन्‍ना हजारे ने इस मौके पर मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान 2010 के दशक के शुरुआती दौर में छेड़े गए भ्रष्‍टाचार रोधी प्रदर्शन को भी याद किया। अन्ना हजारे ने कहा कि जब वह पीएम थे तो मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहा था। मैं उनसे दिल्ली में उनके आवास पर कई बार मिला था और उन्होंने तुरंत कदम उठाया था। आज मनमोहन सिंह का निधन हो गया है, लेकिन उनकी यादें हमेशा जिंदा रहेंगी।

अन्ना हजारे ने कहा, मनमोहन सिंह के लिए समाज और देश सबसे पहले आता था। वह हमेशा देश के बारे में पहले सोचते थे। उनके कारण इस देश की अर्थव्यवस्था बदल गई. इसमें मनमोहन सिंह का बहुत बड़ा योगदान है। उनकी वजह से हमारे देश को एक नई दिशा मिल गई और देश प्रगति पथ पर आज भी चल रहा है।

एस. जयशंकर ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी एनएसए जेक सुलिवन से की मुलाकात, क्या हुई बातचीत?

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भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस समय अपने 6 दिवसीय अमेरिकी दौरे पर हैं। जहां वे 29 दिसंबर तक रहने वाले हैं। अपने छह दिवसीय अमेरिकी यात्रा के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और कई महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। विदेश मंत्री ने आज यानी शुक्रवार को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) के प्रमुख जेक सुलिवन के साथ मुलाकात की। इस दौरान एस. जयशंकर और अमेरिकी एनएसए जेक सुलिवन ने भारत-अमेरिका के रणनीतिक साझेदारी की प्रगति के विषय पर चर्चा की।

इस मुलाकात के बारे में जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट कर जानकारी दी। एस जयशंकर ने कहा कि बुधवार वाशिंगटन डी.सी. में अमेरिकी एनएसए जेक सुलिवन से मिलकर अच्छा लगा। जयशंकर ने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी की प्रगति पर व्यापक चर्चा की है। उन्होंने आगे कहा, एनएसए के साथ भारत और अमेरिका के रणनीतिक साझेदारी के प्रगति को लेकर व्यापक रूप से चर्चा की। वर्तमान क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।

जयशंकर के अमेरिकी दौरे को लेकर विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, जयशंकर 24 दिसंबर से 29 दिसंबर तक अमेरिका की यात्रा पर हैं। इस यात्रा के दौरान, वह प्रमुख द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अपने समकक्षों से मिलेंगे। साथ ही, वह अमेरिका में भारत के महावाणिज्यदूतों के एक सम्मेलन की अध्यक्षता भी करेंगे।

बता दें कि जयशंकर की यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सितंबर में अमेरिका यात्रा और चौथे क्वाड लीडर्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद हो रही है। अमेरिका और भारत के बीच उच्च स्तरीय बातचीत लगातार जारी है।

मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिए विहिप की पहल, जनजागरण के लिए चलाएगी देशव्यापी अभियान

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मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने गुरुवार को देशव्यापी जन-जागरण अभियान की घोषणा की है। विहिप अगले महीने से देशव्यापी जन-जागरण अभियान शुरू करेगी। विहिप के संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने गुरुवार को प्रेस वार्ता के दौरान इस अभियान की जानकारी दी। मिलिंद परांडे ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कहा कि संतों और हिंदू समाज के श्रेष्ठ लोगों की अगुवाई में आगामी 5 जनवरी से इस संबंध में एक देशव्यापी जन जागरण अभियान शुरू किया जाएगा।

विहिप के संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा, पूज्य संत समाज और हिंदू समाज के प्रमुख लोगों के नेतृत्व में हम 5 जनवरी को देशव्यापी जन जागरण अभियान शुरू करने जा रहे हैं। इस अखिल भारतीय अभियान का आह्वान आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में आयोजित होने वाले ‘हैंदव शंखारावम’ नामक लाखों लोगों की एक विशेष सभा में किया जाएगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के बाद कई मंदिर जिन्हें हिंदू समाज को सौंप दिया जाना चाहिए था, उन्हें राज्य सरकारों के अधीन रखा गया। उन्होंने कहा कि मंदिरों की मुक्ति के लिए यह अखिल भारतीय जागरण अभियान, इन मंदिरों की चल-अचल संपत्तियों की रक्षा करने और उनका हिंदू समाज की सेवा और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समुचित उपयोग करने के लिए हिंदू समाज का जागरण शुरू हो गया है।

मिलिंद परांडे ने कहा, मंदिरों के प्रबंधन और नियंत्रण का काम अब हिंदू समाज के समर्पित और योग्य लोगों को सौंप दिया जाना चाहिए। इसके लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के प्रतिष्ठित वकीलों, उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों, संत समाज के प्रमुख लोगों और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं का एक थिंक टैंक बनाया है, जिसने मंदिरों के प्रबंधन और इससे जुड़े किसी भी तरह के विवाद को सुलझाने के प्रोटोकॉल का अध्ययन करने के बाद एक मसौदा तैयार किया है।

उन्होंने कहा कि इस बात को भी ध्यान में रखा गया है कि सरकारें जब मंदिर समाज को लौटाएंगी, तो उसे स्वीकार करने के लिए क्या प्रोटोकॉल होंगे और किन प्रावधानों के तहत ऐसा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसीलिए संवैधानिक पदों पर बैठे कुछ लोग राज्य स्तर पर धार्मिक परिषद का गठन करेंगे, जिसमें प्रतिष्ठित धर्माचार्य, सेवानिवृत्त न्यायाधीश और सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी तथा समाज के अन्य प्रतिष्ठित लोग शामिल होंगे, जो हिंदू धर्मग्रंथों और आगम शास्त्रों और अनुष्ठानों के विशेषज्ञ हैं।

इससे पहले, गत 30 सितंबर को विहिप ने देश के सभी राज्यों के राज्यपालों को ज्ञापन सौंप कर उनकी सरकारों को मंदिरों के प्रबंधन से हट जाने के लिए निवेदन किया था।

मनमोहन सिंह के निधन पर इंटरनेशनल मीडिया में क्या-क्या कहा गया?
#what_foreign_media_published_on_manmohan_singh_death
* भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। वह अचानक घर पर बेहोश हो गए थे जिसके बाद उन्हें गुरुवार रात 8 बजकर 6 मिनट पर एम्स में भर्ती कराया गया था। मेडिकल बुलेटिन के अनुसार, रात 9 बजकर 51 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। भारत में आधुनिक आर्थिक बदलाव के प्रमुख वास्तुकार मनमोहन सिंह के निधन पर शुक्रवार को सुबह-सुबह ही विश्वभर के नेताओं की ओर से शोक संवेदनाएं आने लगीं। वहीं, मनमोहन सिंह के निधन की ख़बर को विदेशी मीडिया में भी अच्छी ख़ासी जगह मिली है। अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट में मनमोहन सिंह के निधन पर खबर लिखा भारत में एक गतिशील परिवर्तन के नायक भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वाशिंगटन पोस्ट ने आगे लिखा कि उनकी आर्थिक नीतियों की वजह से भारत एक आर्थिक शक्ति बनकर उभरा। पर उनके दूसरे कार्यकाल के दौरान सरकार में भ्रष्टाचार के आरोपों से उनकी विरासत को दाग भी लगाय़ अमेरिकी मीडिया संस्थान द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने मनमोहन सिंह के निधन को कवर करते हुए लिखा है, भारत के बाजार में हुए सुधारों के जनक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में निधन। द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा कि मनमोहन सिंह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री थे। उन्होंने एक साधारण शुरुआत के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने का सफर तय किया। भारत जैसा देश जहां की राजनीति बहुत ही उग्र है, उसमें भी वो एक गरिमापूर्ण आचरण के साथ खड़े रहे। 3 दशक पहले उन्हीं के प्रयासों से भारत के बाजार को दुनियाभर के लिए खोल दिया था। रॉयटर्स ने हेडलाइन लगाई 'भारत के अनिच्छुक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन'। रॉयटर्स ने आगे लिखा कि मनमोहन सिंह को 'Reluctant King' यानी 'अनिच्छुक राजा' कहा जाता था। वो एक बहुत ही मृदुभाषी व्यक्ति थे। साथ ही उनका नाम भारत के सबसे सफल नेताओं में गिना जाता है। करोड़ों भारतीय लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का क्रेडिट मनमोहन सिंह को ही जाता है। ब्रितानी अख़बार फाइनैंशियल टाइम्स ने लिखा है, "1991 से 1996 तक वित्त मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाते हुए, भारतीय अर्थव्यवस्था को दशकों के अलगाव और ठहराव को दूर करने के लिए कई अहम फ़ैसले किए थे। मनमोहन सिंह ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निजी निवेश के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था का दरवाज़ा खोला था। फ़ाइनैंशियल टाइम्स ने आगे लिखा है, ऑक्सफोर्ड ट्रेंड अर्थशास्त्री अपनी सौम्यता, विनम्रता और ईमानदारी के लिए जाने जाते थे। अमेरिकी मीडिया आउटलेट ब्लूमबर्ग ने लिखा है कि मनमोहन सिंह की व्यक्तिगत कहानी लोगों को आत्मविश्वास से भर देती है। 15 साल का सिख शरणार्थी लड़का, जिसके परिवार को 1947 में भारत के विभाजन के बाद अपना घर-बार छोड़ना पड़ा। बाद में यही लड़का ऑक्सफ़र्ड और कैंब्रिज में पढ़ने जाता है और टॉप का टेक्नोक्रेट बनता है। ब्लूमबर्ग ने लिखा है, मनमोहन सिंह का निधन तब हुआ है, जब भारत में योग्य लोगों की कमी दिख रही है, विकास समावेशी नहीं है, ज़्यादातर उद्योगपतियों को लग रहा है कि आर्थिक शक्ति का केंद्रीकरण हो रहा है, मध्य वर्ग टैक्स से परेशान है और ग़रीब व्यवस्था से बाहर हो रहा है। भारत में धार्मिक बखेड़ा बढ़ रहा है और नीति निर्माता किसी भी तरह सत्ता हासिल करने में लगे हैं।
26/11 अटैक के गुनहगार लश्कर आतंकी अब्दुल रहमान मक्की मौत, हार्ट अटैक से गई जान

#abdulrahmanmakkidiedinahospitalduetoheartattack

मुंबई हमलों के गुनहगारों में से एक भारत के दुश्मन और वॉन्टेड लश्कर आतंकी हाफिज अब्दुल रहमान मक्की की पाकिस्तान में मौत हो गई है।जानकारी के मुताबिक, उसकी मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई है। जमात-उद-दावा (जेयूडी) के मुताबिक अब्दुल रहमान मक्की पिछले कुछ दिनों से बीमार था और लाहौर के एक प्राइवेट अस्पताल में हाई शुगर के बाद उसका इलाज चल रहा था। जेयूडी के मुताबिक, मक्की को आज सुबह दिल का दौरा पड़ा और उसने अस्पताल में अंतिम सांस ली।

भारत में कई बड़े हमलों को अंजाम दिया

मक्की, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का बहनोई है। हाफिज सईद को 2008 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है। मक्की लश्कर और जमात-उद-दावा में नेतृत्व पद पर रहा है। ऐसे में भारत में हुए बड़े हमलों के पीछे हाफिज सईद के साथ साथ मक्की का भी हाथ माना जाता रहा है। लश्कर ने भारत में कई बड़े हमलों को अंजाम दिया। लश्कर ने 26/11 को मुंबई में हमला कराया था। मुंबई में अरब सागर के रास्ते 10 आतंकी दाखिल हुए थे, इन लोगों ने कई जगहों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी। इस हमले में 175 लोगों की मौत हो गई थी।

संयुक्त राष्ट्र ने ग्लोबल आतंकी घोषित किया था

मक्की को ना सिर्फ भारत बल्कि संयुक्त राष्ट्र समेत कई देशों ने मक्की को आतंकी घोषित किया किया हुआ है। मक्की को साल 2023 में संयुक्त राष्ट्र ने ग्लोबल आतंकी घोषित किया था, जिसके तहत उसकी संपत्ति जब्त कर ली गई थी। इसके अलावा मक्की पर यात्रा और हथियार प्रतिबंध लगा दिए गए थे।

इससे पहले अमेरिका ने मक्की को 'विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी' घोषित करने के अलावा उसकी गिरफ्तारी पर इनाम का ऐलान भी किया था। पाकिस्तान में मक्की को 2022 में आतंकी फंडिंग के मामलों में मुजरिम करार दिया गया था और जेल भी भेजा गया था। हालांकि, पाकिस्तान की सरकार और न्यायपालिका पर अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न करने के आरोप लगते रहे हैं।