विवादों में बेलगावी कांग्रेस अधिवेशन, बीजेपी बोली-पोस्टर में लगा भारत का गलत नक्शा, पीओके-अक्साई चीन गायब

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कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हो रही है। हालांकि यह बैठक अपने आयोजन से पहले ही विवाद में फंस गई है। मीटिंग से पहले कार्यकर्ताओं ने बेलगावी में पोस्टर लगाए। जिसमें भारत का गलत नक्शा दिखाया जा रहा है। नक्शे में कश्मीर का हिस्सा गायब है। बेलगावी में इस तरह के पोस्टर देख बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया है। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का दावा है कि इस नक्शे में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन को शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कांग्रेस पर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।

कांग्रेस अधिवेशन के लिए लगे पोस्टर बैनर की तस्वीर साझा करते हुए कर्नाटक भाजपा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा है। जिसमें पार्टी ने लिखा कि 'कर्नाटक कांग्रेस ने भारत की संप्रभुता का अपमान किया है और बेलगावी के कार्यक्रम में भारत का गलत नक्शा दर्शाया है। नक्शे में कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया है। ये सब सिर्फ वोटबैंक के तुष्टिकरण के लिए किया जा रहा है। यह बेहद शर्मनाक है।'

कांग्रेस भारत को तोड़ने वालों के साथ

वहीं, भाजपा के सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, आज एक तस्वीर सामने आई है जो दिल को दुखाती है। भाजपा कर्नाटक ने एक ट्वीट किया है जिसमें देखा जा सकता है कि बेलगावी में कांग्रेस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने जो भारत का मैप लगाया है, उसमें पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर और अक्साई चिन नहीं है। वे पहले भी ऐसी हरकतें कर चुके हैं। अब यह साफ हो गया है कि जो ताकतें भारत को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं, उनके साथ कांग्रेस का संबंध अब स्पष्ट हो गया है।

सुधांशु त्रिवेदी के तीखे सवाल

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि पूर्व में डीएमके ने भारत का गलत नक्शा दिखाया। जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चिन को गायब दिखाया गया। कोरोना के समय राहुल गांधी ने भी एक ट्वीट किया था, उसमें भी अक्साई चिन और पीओके गायब था। शशि थरूर ने 21 दिसंबर 2019 को भारत का नक्शा सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें भी गड़बड़ी थी। भाजपा ने सवाल किया कि पिछले काफी समय से भारत के नक्शे में जो गड़बड़ी दिखाई जा रही है, वह क्या सिर्फ संयोग है या फिर किसी व्यवस्थित भारत विरोध का हिस्सा है?' भाजपा ने पूछा कि 'ये किसके इशारे पर हो रहा है? क्या सोरोस से कोई गुप्त संदेश तो नहीं आ रहा?

दो दिनों तक चलेगा अधिवेशन

बता दें कि कर्नाटक का सीमावर्ती शहर बेलगावी अगले दो दिनों तक महात्मा गांधी की अध्यक्षता में यहां हुए एकमात्र कांग्रेस अधिवेशन की यादों को ताजा करेगा। कांग्रेस का ऐतिहासिक अधिवेशन 26 और 27 दिसंबर, 1924 को किया गया था और इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में याद किया जाता है। उस अधिवेशन में महात्मा गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया था। अधिवेशन के दौरान गांधीजी ने चरखे पर सूत कातने की अपील की और असहयोग का आह्वान किया, जो स्वतंत्रता-पूर्व भारत में एक बड़ा आंदोलन बन गया। उस ऐतिहासिक अधिवेशन के मुख्य आयोजक गंगाधर राव देशपांडे थे, जिन्हें कर्नाटक का खादी भगीरथ कहा जाता था। वे बेलगावी में स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। बेलगावी को उस समय बेलगाम के नाम से जाना जाता था। देशपांडे ने बेलगाम कांग्रेस अधिवेशन की मेजबानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसकी अध्यक्षता गांधी ने की थी।

मोहन भागवत के बयान से अलग है आरएसएस के मुखपत्र की राय, विवादित स्थलों के सर्वे पर जताई सहमति

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राम मंदिर के साथ हिंदुओं की श्रद्धा है लेकिन राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वो नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं का नेता बन सकते हैं। ये स्वीकार्य नहीं है। ये बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ऐसे समय पर कही है जब पिछले कुछ समय से देश में मस्जिदों को लेकर विवाद गहराया हुआ है। देश में मस्जिदों के सर्वे की मांग के बीच प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि ऐसे मुद्दों को उठाना अस्वीकार्य है। हालांकि, मोहवन भागवत की राय आरएसएस से जुड़ी पत्रिका 'ऑर्गेनाइजर' के लेख से बिल्कुल अलग है। 'ऑर्गेनाइजर' में लिखे लेख की माने तो विवादित स्थलों का वास्तविक इतिहास जानना जरूरी है।

आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने संभल मस्जिद विवाद पर अपनी लेटेस्ट कवर स्टोरी पब्लिश की है। जिसमें कहा गया है कि विवादित स्थलों और संरचनाओं का वास्तविक इतिहास जानना जरूरी है। पत्रिका में कहा गया है कि जिन धार्मिक स्थलों पर आक्रमण किया गया या ध्वस्त किया गया, उनकी सच्चाई जानना सभ्यतागत न्याय को हासिल करने जैसा है।

कई सांप्रदायिक घटनाओं का जिक्र

जिसमें दावा किया गया है कि कैसे संभल में शाही जामा मस्जिद के स्थान पर एक मंदिर मौजूद था। इसमें संभल के सांप्रदायिक इतिहास का भी वर्णन किया गया है। इसके अलावा पत्रिका में पिछले सालों में हुई सांप्रदायिक घटनाओं का भी जिक्र किया गया है। इस लेख में मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर संघ प्रमुख की सलाह या चेतावनी को पूरी तरीके से नजरअंदाज कर दिया गया है।

अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा

पत्रिका के संपादक प्रफुल्ल केतकर के लिखे संपादकीय में कहा गया है, धार्मिक कटुता और असामंजस्य को खत्म करने के लिए एक समान दृष्टिकोण की आवश्यकता है। बाबासाहेब आंबेडकर जाति-आधारित भेदभाव के मूल कारण तक गए और इसे समाप्त करने के लिए संवैधानिक उपाय प्रदान किए। तर्क दिया गया है कि यह तभी हासिल किया जा सकता है जब मुसलमान सच्चाई को स्वीकार करें और इससे इनकार करने से अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा।

लड़ाई राष्ट्रीय पहचान को साबित करने की

संपादकीय में कहा गया कि सोमनाथ से लेकर संभल और उसके आगे के सच को जानने की यह लड़ाई धार्मिक श्रेष्ठता के बारे में नहीं है। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान को साबित करने और सभ्यतागत न्याय के बारे में है। लेख में ऐतिहासिक घावों को भरने की भी बात कही गई है।

इंडिया अलायंस से बाहर होगी कांग्रेस? जानें क्या है केजरीवाल का प्लान

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दिल्ली चुनाव से पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तनातनी बढ़ गई है। दिल्ली में दोनों पार्टियों के अलग अलग चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से बाहर करने में ही जुट गई है। आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन से कांग्रेस को बाहर करने को लेकर दूसरी पार्टियों से बातचीत करेगी।आम आदमी पार्टी की नाराजगी कांग्रेस नेता अजय माकन की उस टिप्पणी के एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए आप के साथ गठबंधन करना कांग्रेस की एक 'गलती' थी।

दरअसल, दिल्ली यूथ कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। आरोप है कि आम आदमी पार्टी ने फर्जी योजनाओं के माध्यम से दिल्ली की जनता को गुमराह किया और धोखाधड़ी की। दिल्ली यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष अक्षय का दावा है कि आम आदमी पार्टी के विधायक और एमसीडी पार्षद जनता से वोटर आईडी और फोन नंबर जैसे संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए एकत्र कर रहे हैं। इसके लिए ओटीपी वेरिफिकेशन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि पार्टी ने जनता के भरोसे को तोड़ते हुए फर्जी विज्ञापनों के जरिए सरकारी धन का दुरुपयोग किया। यह एक सुनियोजित साजिश बताई जा रही है, जिसका उद्देश्य दिल्ली की जनता को धोखा देना और करदाताओं के पैसे का गलत इस्तेमाल करना है।

इससे पहले कांग्रेस ने दिल्ली सरकार के काले कारनामों पर श्वेतपत्र लाया था। श्वेतपत्र में कहा गया है कि अपराध, अपहरण, महिला अत्याचार में दिल्ली नंबर 1 है। 99 प्रतिशत महिला और बाल अपराध के मामले लंबित हैं। पंजाब में गैंगस्टर राज, ड्रग्स के जाल से दिल्ली प्रभावित है। कांग्रेस का दावा है कि प्रदूषण से 3 लाख लोगों की मौत हुई है। आप ने 100 करोड़ की रिश्वत से गोवा का चुनाव लड़ा।

अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर की मांग व कांग्रेस के नेताओं के बयानों को लेकर आम आदमी पार्टी के नेताओं में नाराजगी है।आप नेता संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने के लिए कांग्रेस हर संभव कोशिश कर रही है। भाजपा कांग्रेस का फंडिंग कर रही है। कांग्रेस नेता अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल को 'देशद्रोही' कहा, पार्टी 24 घंटे में उनके खिलाफ कार्रवाई करे। कार्रवाई नहीं हुई तो हम इंडी गठबंधन में नहीं होंगे।

IRCTC डाउन: भारतीय रेलवे टिकट बुकिंग साइट पर क्यों है व्यवधान

भारतीय रेलवे के ऑनलाइन टिकटिंग प्लेटफ़ॉर्म, इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) में गुरुवार को भारी व्यवधान देखने को मिला, जिससे यात्री इसकी वेबसाइट और मोबाइल ऐप तक नहीं पहुँच पाए। भारतीय रेलवे की डिजिटल शाखा IRCTC, जो ई-टिकटिंग के लिए ज़िम्मेदार है, ने पुष्टि की कि व्यवधान रखरखाव गतिविधियों के कारण था। इसने एक बयान में कहा, "रखरखाव गतिविधि के कारण, ई-टिकटिंग सेवा उपलब्ध नहीं होगी। कृपया बाद में प्रयास करें।"

दिसंबर में यह दूसरी बार है जब IRCTC पोर्टल में व्यवधान का सामना करना पड़ा है, जिससे नियमित उपयोगकर्ताओं में चिंता बढ़ गई है। एक अलग सलाह में, कंपनी ने सुझाव दिया कि अपने टिकट रद्द करने के इच्छुक यात्री या तो कस्टमर केयर को कॉल करके या टिकट जमा रसीद (TDR) के लिए अपने टिकट विवरण ईमेल करके ऐसा कर सकते हैं। रद्दीकरण सहायता के लिए IRCTC द्वारा प्रदान किए गए संपर्क विवरण हैं:

ग्राहक सेवा नंबर: 14646, 08044647999, 08035734999

ईमेल: गड़बड़ी का समय इससे बुरा नहीं हो सकता था, क्योंकि कई यात्री व्यस्त छुट्टियों के मौसम में अपनी ट्रेन टिकट बुक करने या प्रबंधित करने के लिए प्लेटफ़ॉर्म पर निर्भर रहते हैं।

IRCTC के शेयर में गिरावट

IRCTC की अस्थायी सेवा रुकावट का भी इसके शेयर के प्रदर्शन पर असर पड़ा। आज के कारोबारी सत्र में शेयर में लगभग 1% की गिरावट आई है। पिछले हफ़्ते में, शेयर में लगभग 4% की गिरावट आई है, और साल-दर-साल आधार पर, इसने 2024 में अब तक निवेशकों को 10% से अधिक का नकारात्मक रिटर्न दिया है।

नए टिकटिंग नियम

यह गड़बड़ी भारतीय रेलवे द्वारा अपनी टिकट बुकिंग नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव किए जाने के कुछ ही हफ़्तों बाद हुई। 1 नवंबर से ट्रेन बुकिंग के लिए एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (ARP) को 120 दिनों से घटाकर 60 दिन कर दिया गया है, जिससे यात्रियों के लिए टिकट बुक करने का समय सीमित हो गया है। ओवर-बुकिंग और कैंसिलेशन को रोकने के उद्देश्य से किए गए इस बदलाव को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है।

इस बदलाव के पीछे भारतीय रेलवे का तर्क वास्तविक यात्रा मांग की बेहतर ट्रैकिंग और पीक ट्रैवल अवधि के दौरान विशेष ट्रेनों के लिए अधिक सटीक योजना बनाना है। इस कदम का उद्देश्य 'नो-शो' यात्रियों को हतोत्साहित करना है, जो टिकट आरक्षित करते हैं, लेकिन अपनी यात्रा के लिए रद्द या उपस्थित नहीं होते हैं। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, 61 से 120 दिन पहले किए गए लगभग 21% आरक्षण रद्द कर दिए गए, जबकि 5% यात्रियों ने न तो अपनी बुकिंग रद्द की और न ही यात्रा की।

भारत में सलमान रुश्दी की किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' की दोबारा बिक्री पर बढ़ा विवाद, मुस्लिम संगठनों ने जताई नाराजगी

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देश में सलमान रुश्दी की किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' को लेकर एक बार फिर विवाद पैदा हो गया है। सलमान रुश्दी की किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' की बिक्री 36 साल बाद फिर से शुरू हो चुकी है। इस किताब से बैन हटने पर मुस्लिम संगठनों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस किताब पर फिर से प्रतिबंध लगाया जाए।

1988 में राजीव गांधी सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के 36 साल बाद, ब्रिटिश-भारतीय उपन्यासकार रुश्दी की किताब भारतीय किताबों की अलमारियों में वापस आ गई है। वर्तमान में, 'द सैटेनिक वर्सेज ' दिल्ली-एनसीआर में बहरीसन्स बुकसेलर्स पर उपलब्ध है। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली मौजूद ‘बाहरीसन्स बुकसेलर्स’ में इस किताब का 'सीमित स्टॉक' बिक रहा है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम) की उत्तर प्रदेश इकाई के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने इस बुक को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान की बुनियाद पर देखें तो अभिव्यक्ति की आजादी आपका अधिकार है मगर इसमें यह तो कहीं नहीं लिखा है कि आप किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना। सैटेनिक वर्सेज किताब की बिक्री दोबारा शुरू करना उकसावे की कोशिश है। इसे रोकना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इसकी इजाजत देती है तो यह संवैधानिक कर्तव्यों से मुंह मोड़ने के जैसा होगा। उन्होंने आगे कहा कि मुसलमान अल्लाह और पैगंबर को अपनी जान से भी ज्यादा प्यारा मानते हैं, और ऐसे में इस विवादास्पद किताब को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार से अपील है कि वह संविधान के मूल्यों और आत्मा की रक्षा करे और इस किताब पर फिर से प्रतिबंध लगाए, क्योंकि यह देश के एक बड़े तबके की भावनाओं को ठेस पहुंचती है।

ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने भी इस बुक को लेकर निंदा की है। उन्होंने कहा कि शिया पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से मैं अपील करता हूं। किताब इस्लामी विचारों का मजाक उड़ाती है। उन्होंने कहा कि पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों का अपमान करती है और भावनाओं को आहत करती है। इसकी बिक्री की अनुमति देने से देश की सद्भावना को खतरा है। मैं प्रधानमंत्री से भारत में इस किताब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आग्रह करता।

'द सैटेनिक वर्सेज' पर वर्ष 1988 में इस किताब पर पाबंदी लगा दी गयी थी। मुस्लिम संगठनों ने इस किताब पर ऐतराज जताया था। जिसके बाद राजीव गांधी सरकार ने इस किताब पर प्रतिबंध लगाया था। अब कोर्ट ने बुक पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया। यह किताब दिल्ली-एनसीआर के बहरीसन्स बुकसेलर्स स्टोर्स में ही उपलब्ध है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने किताब के आयात पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई बंद कर दी थी। दरअसल सरकार उस अधिसूचना को पेश नहीं कर सकी जिसके आधार पर प्रतिबंध लगाया गया था। 5 नवंबर को भारत में पुस्तक के आयात प्रतिबंध को चुनौती देने वाले 2019 के एक मामले की सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान भारत सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि आयात प्रतिबंध आदेश मिल नहीं रहा है, इसलिए इसको कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका।

इस पर, अदालत ने कहा कि उसके पास “यह मानने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है कि ऐसी कोई अधिसूचना मौजूद ही नहीं है जो किताब पर प्रतिबंध लगाती हो। याचिकाकर्ता संदीपन खान के वकील उद्यम मुखर्जी ने कहा, प्रतिबंध 5 नवंबर को हटा दिया गया है क्योंकि कोई बैन की अधिसूचना नहीं है।

‘द सैटेनिक वर्सेज’ सितंबर 1988 में प्रकाशित हुई थी, लेकिन पब्लिश होने के कुछ समय बाद ही ईशनिंदा को लेकर यह किताब वैश्विक विवाद में घिर गई, जिसमें कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद पर कुछ अंशों को “ईशनिंदा” बताया गया था। दुनिया भर के मुस्लिम संगठनों ने इस किताब को ईशनिंदा मानते हुए विरोध किया था।

इस किताब पर प्रतिबंध के बाद ईरानी नेता रुहोल्लाह खोमेनी ने रुश्दी की हत्या का फतवा जारी किया था। जिसमें मुसलमानों से उनकी हत्या करने का आह्वान किया गया था। रुश्दी को लगभग 10 साल तक छिपकर रहना पड़ा था। अगस्त 2022 में, सलमान रुशदी की किताब के खिलाफ लोगों में इतना आक्रोश बढ़ गया था कि न्यूयॉर्क में एक व्याख्यान के दौरान मंच पर उन पर चाकू से हमला किया गया था। कट्टरपंथी हादी मटर ने रुश्दी पर हमला किया था। इस हमले में रुश्दी की एक आंख की रोशनी चली गई थी।

इस किताब के सामने आने के बाद मुस्लिम समुदाय में आक्रोश था और इसी के चलते राजीव गांधी की सरकार ने इस किताब के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

बांग्लादेश में हिंदुओं के बाद ईसाइयों को बनाया गया निशाना, क्रिसमस पर 17 घरों को फूंका

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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार जारी है। पहले हिंदुओं पर हमले किए गए और ईसाइयों को निशाना बनाया गया है।बांग्लादेश में क्रिसमस से एक दिन पहले ईसाई समुदाय से जुड़े लोगों के 17 घर जला दिए गए। यह घटना बंदरबन जिले के चटगांव पहाड़ी इलाके में हुई। पीड़ितों का दावा है कि जब वे क्रिसमस के मौके पर प्रार्थना करने के लिए चर्च गए थे, तब मौके का फायदा उठाकर उनके घरों में आग लगाई गई।

बंदरबन में क्रिसमस के रोज क्रिश्चियन त्रिपुरा कम्युनिटी के 17 घरों को जला दिया गया। घरों में आग लगाने के बाद बदमाश भाग गए। आगजनी की ये घटना लामा उपजिला के सराय यूनियन के नोतुन तोंगझिरी त्रिपुरा पारा में दोपहर करीब साढ़े 12 बजे घटी। दरअसल, बदमाशों ने उन घरों को तब आग के हवाले किया जब लोग क्रिसमस मनाने के लिए दूसरे गांव गए थे, क्योंकि उनके इलाके में कोई चर्च नहीं था।

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक टोंगजिरी क्षेत्र के न्यू बेटाचरा पारा गांव के लोग चर्च न होने के कारण दूसरी जगह फेस्टिवल को सेलिब्रेट करने के लिए गए हुए थे। तभी उनके पीठ पीछे उपद्रवियों ने गांव में पर हमला कर दिया और 17 घरों को पूरी तरह जला दिया। इस हमले में 15 लाख टका से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है।

पहले से दी जा रही थीं धमकियां

न्यू बेटाचरा पारा गांव के लोगों ने ढाका ट्रिब्यून को बताया कि बीते महीने 17 नवंबर को उपद्रवियों ने उन्हें गांव खाली करने की धमकी दी गई थी। इस पर गंगा मणि त्रिपुरा नामक व्यक्ति ने 15 आरोपियों के खिलाफ लामा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि, पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब घर जलने के बाद पीड़ित परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।

4 महीने से रह रहे थे ईसाई समुदाय के लोग

जानकारी के मुताबिक त्रिपुरा समुदाय के 19 परिवार बंदरबन (चटगांव पहाड़ी इलाका) के लामा सराय के एसपी गार्डन में रहते थे। यह गार्डन हसीना सरकार में बड़े अधिकारी रहे बेनजीर अहमद का है। इसे एसपी गार्डन के नाम से जाना जाता है।

5 अगस्त के बाद बेनजीर अहमद और उनके परिवार के लोग यह इलाका छोड़कर चले गए थे। इसके बाद यहां त्रिपुरा समुदाय के 19 परिवार आकर रहने लगे। कल शाम जब सभी लोग क्रिसमस के मौके पर पड़ोस के चर्च में प्रार्थना करने गए तो उपद्रवियों ने खालीपन का फायदा उठाकर घरों को जला दिया।

वहीं, ईसाई समुदाय से जुड़े लोगों ने बताया कि ये उनकी ही जमीन है। पहले इस इलाके का नाम तंगझिरी पारा था। इस पर बेनजीर अहमद के लोगों ने कब्जा कर लिया था और यहां का नाम बदलकर एसपी गार्डन कर दिया था।

बीजेपी में नीतीश को भारत रत्न देने की उठी मांग,यहां पक रही है कौन सी सियासी खिचड़ी!

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केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार और नवीन पटनायक के लिए भारत रत्न की मांग की है। नीतीश कुमार के लिए देश का सर्वोच्च सम्मान मांग रहे ये वही गिरिराज सिंह जो कभी नीतिश कुमार को लेकर काफी मुखर रहे हैं। गिरिराज सिंह है जो अभी कुछ ही समय पहले नीतीश कुमार को पानी पी-पीकर कोस रहे थे जब वे तेजस्वी के साथ सरकार में थे, उनके सुर बदल गए हैं। नीतीश कुमार के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर संदेह के बादल के बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के ताजा बयान से अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। दरअसल बिहार की सियासत को जानने वाले और नीतीश कुमार के दांव को परखने वाले बखूबी जानते हैं कि यह भी एक राजनीतिक रणनीति है। पूछे जा रहे हैं कि गिरिराज का ये बयान नीतीश कुमार को उनकी राजनीति के आखिरी स्टेप की और इशारा तो नहीं कर रहे हैं? या फिर बिहार की कुर्सी के प्रति मोह त्यागने का सुरक्षित राह का दर्शन करा रहे हैं?

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भारत रत्न दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि नीतीश कुमार इतने साल से बिहार के सीएम हैं। इनके शासन में विकास की लहर तेज गति से बही है। इसलिए नीतीश कुमार को पुरस्कृत किया जाए, उन्हें भारत रत्न दिया जाए। हालांकि बड़े सलीके से इस बयान को कहीं एग्जिट प्लान न मान लिया जाए। इससे बचते हुए यह भी कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। ये भी कह डाला कि अगला सीएम भी नीतीश कुमार ही होंगे।

गिरिराज सिंह ने ये बयान तब दिया है, जब 25 दिसंबर को ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर सुशासन दिवस के मौके पर बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने एक अहम बयान दिया। उन्होंने कहा कि जब तक बिहार में बीजेपी की सरकार नहीं बनेगी, अटलजी को सच्ची श्रद्धांजलि नहीं दी जा सकती। इसके बाद सवाल उठने लगा कि क्या बिहार में बीजेपी कुछ और भी सोच रही है?

वहीं, खबरें ये भी हैं कि नीतीश कुमार कुठ तो नया दांव चल रहे हैं। कहा जा रहा है कि तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार की सीक्रेट मुलाकात हुई है। यह कितना सही है ये तो वे दोनों ही जानते होंगे। लेकिन इससे इतर तेजस्वी लगातार आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार पर बीजेपी का नियंत्रण हो चुका है और मुख्यमंत्री कार्यालय के चार करीबी अधिकारी सीधे अमित शाह के संपर्क में हैं। तेजस्वी के इन आरोपों ने बीजेपी-जेडीयू गठबंधन में खटास की अटकलों को हवा दी है। यह भी कहा जा रहा है कि बीजेपी बिहार में महाराष्ट्र जैसी रणनीति अपना सकती है, जहां मुख्यमंत्री का चेहरा बदले बिना चुनाव लड़ा गया था।

तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार अब पूरी तरह बीजेपी के इशारों पर चल रहे हैं। उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने उनकी सत्ता को कमजोर कर दिया है। बिहार की जनता यह सब देख रही है और आने वाले चुनाव में इसका जवाब देगी।

बीते दिनों से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार नाराज हैं। एनडीए से नाराज हैं, भाजपा से नाराज हैं। तो क्या वास्तव में नीतीश कुमार नाराज हैं, जिन्हें भाजपा मनाने की कोशिश कर रही है। नीतीश कुमार को भारत रत्न दिये जाने की गिरिराज सिंह की मांग को इसी कवायद का हिस्सा कहा जा रहा है।राजनीतिक एक्सपर्ट्स यह जरुर मान रहे हैं कि गिरिराज सिंह को नीतीश के लिए भारत रत्न की मांग करनी पड़ गई, ये किसी भी तरह से नहीं पच रहा है। कुछ ना कुछ तो जरूर हलचल है।

कर्नाटक के बेलगावी में आज कांग्रेस का दो दिवसीय महाधिवेशन, जानें दिल्ली से दूर हो रही ये बैठक क्यों है खास?

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कर्नाटक के बेलगावी में आज से कांग्रेस का दो दिन चलने वाला अधिवेशन शुरू हो रहा है। ये अधिवेशन 1924 में हुए कांग्रेस के 39वें अधिवेशन के 100 साल पूरे होने के मौके पर रखा गया है। बेलगावी में ही 100 साल पहले महात्मा गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की अध्यक्षता की थी। कांग्रेस का यह ऐतिहासिक अधिवेशन 26 और 27 दिसंबर 1924 को किया गया था। महात्मा गांधी के ज़रिए कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने की 100वीं सालगिरह के मौके पर पार्टी वर्किंग कमेटी की एक खास मीटिंग बुलाई है।

कर्नाटक के बेलगावी में दो दिवसीय बैठक में कांग्रेस भाजपा को कई सारी मुद्दों पर घेरने की रणनीति तैयार करने वाली है। इसमें प्रमुख तौर पर आंबेडकर मुद्दे को लेकर भाजपा को घेरने की रणनीति शामिल है।कांग्रेस के महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल ने 24 दिसंबर को कहा था कि बेलगावी में होने जा रही बैठक में डॉ. आंबेडकर के अपमान का मुद्दा जोर-शोर से उठेगा।कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि कांग्रेस गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बीआर आंबेडकर के अपमान के खिलाफ आंबेडकर सम्मान सप्ताह मना रही है। इस मुद्दे का एक ही समाधान है कि गृह मंत्री को बर्खास्त किया जाए और उन्हें अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को बेलगावी में जोरदार तरीके से उठाया जाएगा और भविष्य में इसे आगे बढ़ाने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। बैठक में दो प्रस्ताव पारित किए जाएंगे।

कांग्रेस देश में 'नव सत्याग्रह' की शुरुआत करेगी

आज से हो रहे अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी समेत लगभग 150 हस्तियों को आमंत्रित किया गया है। कांग्रेस महासविच केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस अधिवेशन में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक होगी। इसके साथ ही कांग्रेस देश में 'नव सत्याग्रह' की शुरुआत करेगी।

बेलगावी अधिवेशन का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम स्थान

1924 में बेलगावी में हुए अधिवेशन को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम लम्हे के तौर पर देखा जाता है।इस अधिवेशन के दौरान गांधीजी ने चरखे पर सूत कातने की अपील की और असहयोग का भी ऐलान किया, जो स्वतंत्रता-पूर्व भारत में एक बड़ा आंदोलन बन गया। उस ऐतिहासिक अधिवेशन के मुख्य आयोजक गंगाधर राव देशपांडे थे, जिन्हें कर्नाटक का खादी भगीरथ कहा जाता था। वे बेलगावी में स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। बेलगावी को उस समय बेलगाम के नाम से जाना जाता था। ऐसा कहा जाता है कि इस अधिवेशन में 70,000 से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए थे, जो आजादी से पहले के भारत के लिए इतनी बड़ी संख्या थी कि उस समय तक कभी इकट्ठा नहीं हुई थी। बेलगावी के तिलकवाड़ी में यह अधिवेशन आयोजित किया गया था। इस अधिवेशन की वजह से, विजयनगर साम्राज्य के नाम पर इस इलाके का नाम विजयनगर रखा गया। अधिवेशन में हिस्सा लेने वालों को पानी की आपूर्ति करने के लिए वहां एक कुआं भी खोदा गया था, जिसका नाम पंपा सरोवर रखा गया, जो विजयनगर राजवंश की राजधानी हम्पी की एक ऐतिहासिक जगह है।

भारत से टकराव के मूड में है बांग्लादेश? हसीना के तख्तापलट के बाद संबंधों पर पड़ा असर

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भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में तल्खियां बढ़ती ही जा रही है। शेख हसीने के बाद बांग्लादेश की सत्ता संभाल रहे मोहम्‍मद यूनुस की कारगुजारियां से और बढ़ा रही हैं। वहां ह‍िन्‍दुओं पर हमले हुए तो बांग्‍लादेश सरकार चुप रही। वहां के नेता भारत के ख‍िलाफ अनर्गल बयानबाजी करते रहे, फ‍िर भी मुहम्‍मद यूनुस कुछ नहीं बोले। उन्‍हीं की सरकार के सलाहकार ने तो भारत के तीन प्रदेशों पर हमले तक की बात कह डाली, लेकिन वहां भी मूनुस की च्पीपी बरकरार रही। अब यूनुस सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्‍यर्पण की मांग भारत से कर डाली है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आख‍िर बांग्‍लादेश भारत के साथ संबंधों को खराब क्यों कर रहा है?

शेख हसीना के सत्‍ता से बाहर होने के बाद बांग्‍लादेश की अंतर‍िम सरकार ने कई ऐसे फैसले ल‍िए, जो भारत विरोधी कहे जा सकते हैं। युनूस जब सरकार के मुख‍िया बने तो पीएम मोदी ने खुद उन्‍हें फोन क‍िया था, लेकिन यूनुस ने न तो प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया है और न ही बातचीत के लिए कोई प्रतिनिधिमंडल भारत भेजा। साफ है क‍ि वे रिश्ते खराब करने में जुटे हुए हैं। वहीं, बांग्लादेश में सबसे बड़ा मुद्दा ह‍िन्‍दुओं पर हमले का है। जिसपर भारत के बार-बार अपील के बाद भी पड़ोसी देश की सरकार ने चुप्पी साध रखी है। दूसरा बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच गहरे होते रिश्ते। ज‍िस पाक‍िस्‍तान से बांग्‍लादेश के लोग एक वक्‍त नफरत क‍िया करते थे, अब उसी के साथ बांग्‍लादेश की सरकार गलबह‍ियां कर रही है। उनके नेताओं से रिश्ते बनाए जा रहे हैं। पाकिस्तान से जहाज के कंटेनर लगातार चटगांव बंदरगाह पर आ रहे हैं, जिससे भारत के लिए चिंताएँ बढ़ रही हैं। पाक‍िस्‍तानी आर्मी अब बांग्‍लादेश की आर्मी को ट्रेनिंग देने वाली है।

अब ताजा मामला शेख हसीना के प्रत्‍यर्पण का है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की ओर से शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग को उसके तल्ख़ रवैये के रूप में देखा जा रहा है।बांग्लादेश की यह मांग भारत के लिए असहज करने वाली है। शेख हसीना भारत की दोस्त मानी जाती हैं और भारत उन्हें बांग्लादेश भेजने का जोखिम शायद ही उठाए, जब वहां राजनीतिक प्रतिशोध का माहौल है।

भारत के पूर्व डिप्लोमैट राजीव डोगरा मानते हैं कि बांग्लादेश शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग इसलिए कर रहा है क्योंकि हसीना लोकतांत्रिक बांग्लादेश की प्रतीक थीं। डोगरा ने सामाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ''पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जो विद्रोह हुआ था, हसीना उसकी भी प्रतीक हैं क्योंकि उनके पिता शेख़ मुजीब-उर रहमान ने इस विद्रोह का नेतृत्व किया था। अब लगता है कि चीज़ें उलटी दिशा में जा रही हैं। अब बांग्लादेश के नए शासक पाकिस्तान से दोस्ती चाहते हैं। बांग्लादेश के मौजूदा शासन के ख़िलाफ शेख हसीना प्रतीक बनी हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का मकसद यही है कि शेख हसीना उनके क़ब्जे में आ जाएं और जेल में बंद कर मार डालें। शेख हसीना को बांग्लादेश भेजना एक निर्दोष को हथियारों से लैस लोगों के बीच सौंप देना है।

सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग पर सवाल उठाया है। चेलानी ने एक्स पर लिखा, ''बांग्लादेश में एक ऐसी सरकार है जो हिंसक भीड़ के दम पर सत्ता में है। इस सरकार की कोई संवैधानिक मान्यता नहीं है। ऐसे में उसे भारत से शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करने का अधिकार नहीं है।''

यह कोई पहली बार नहीं है, जब शेख़ हसीना भारत में निर्वासित ज़िंदगी जी रही हैं। इससे पहले 1975 में वह भारत में निर्वासित ज़िंदगी जी चुकी हैं। तब उनके पिता शेख़ मुजीब-उर रहमान की हत्या हुई थी। वह दौर भी हसीना के लिए त्रासदियों से भरा था। उस दौरान भी बांग्लादेश की सेना और पाकिस्तान में क़रीबी बढ़ने की बात सामने आई थी। ऐसे में हसीना के लिए वहां की व्यवस्था पर भरोसा करना आसान नहीं था। शेख मुजीब-उर रहमान ने अवामी लीग का गठन किया था और हमेशा से लीग की करीबी भारत से रही।हसीना जब भी सत्ता में रहीं भारत से संबंध स्थिर रहे।

डोनाल्ड ट्रंप ने दिया ग्रीनलैंड को कब्जाने का बयान, तो डेनमार्क ने किया बड़े रक्षा पैकेज का ऐलान

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डेनमार्क ने ग्रीनलैंड के लिए रक्षा खर्च में भारी वृद्धि की घोषणा की, यह घोषणा अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा आर्कटिक क्षेत्र को खरीदने के आह्वान को दोहराने के कुछ ही घंटों बाद की गई।डेनमार्क के रक्षा मंत्री ट्रॉल्स पॉल्सन ने कहा कि यह पैकेज कम से कम 1.5 बिलियन डॉलर का होगा। रक्षा मंत्री पॉल्सन ने कहा कि इस पैकेज के तहत दो नए निरीक्षण जहाज, दो नए लंबी दूरी के ड्रोन और दो अतिरिक्त डॉग स्लेज टीमें खरीदी जाएंगी।

दरअसल, पिछले सप्ताह नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान दिए गए एक सुझाव को दोहराया। जिसमें उन्होंने कहा था कि वाशिंगटन डेनमार्क से ग्रीनलैंड खरीद सकता है, जो पिछले 300 वर्षों से इस क्षेत्र का नियंत्रण रखता है। अपने ट्रुथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ट्रंप ने लिखा कि अमेरिका को राष्ट्रीय सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए दुनियाभर में स्वायत्त क्षेत्रों का अधिग्रहण करना चाहिए। अमेरिका को लगता है कि ग्रीनलैंड का स्वामित्व और नियंत्रण एक परम आवश्यकता है।

डेनमार्क सरकार ने ट्रंप के आर्कटिक क्षेत्र पर नए सिरे से जोर देने के बाद से ग्रीनलैंड को अब तक का सबसे बड़ा रक्षा खर्च बढ़ाकर जवाब दिया है। ट्रंप के इस बयान के कुछ घंटों बाद ही डेनमार्क ने ग्रीनलैंड को लेकर रक्षा खर्च बढ़ाने की घोषणा कर दी। डेनमार्क के रक्षा मंत्री ने डिफेंस पैकेज के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह कम से कम 1.5 अरब डॉलर (127.89 अरब भारतीय रुपये) की राशि होगी। उन्होंने पैकेज की घोषणा को समय की विडंबना बताया।

पॉल्सन ने कहा कि पैकेज से दो नए निरीक्षण जहाज, दो नए लंबी दूरी के ड्रोन और दो अतिरिक्त डॉग स्लेज टीमें खरीदी जा सकेंगी। इसका उद्येश्य ग्रीनलैंड की राजधानी नुउक में आर्कटिक कमांड कर्मचारियों की संख्या बढ़ाना और द्वीप के तीन प्राथमिक नागरिक हवाई अड्डों में से एक को F-35 फाइटर जेट के लिए अपग्रेड करना है। पॉल्सन ने ग्रीनलैंड की योजना में कमियों को स्वीकार करते हुए कहा, हमने कई वर्षों से आर्कटिक में पर्याप्त निवेश नहीं किया है। अब हम एक मजबूत उपस्थिति की योजना बना रहे हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए डोनाल्ड ट्रंप ने डेनमार्क से ग्रीनलैंड खरीदने के अपने पुराने आह्वान को दोहराया है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी ट्रंप ने इस तरह के विचार का प्रस्ताव रखा था, जिसे डेनमार्क और ग्रीनलैंड के अधिकारियों ने तुरंत खारिज कर दिया था। ग्रीनलैंड को खरीदने में अमेरिका की रुचि 1860 के दशक में राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन के समय से चली आ रही है

वैसे ट्रंप ने केवल ग्रीनलैंड पर ही योजना नहीं बनाई है। इससे पहले उन्होंने वीकेंड में सुझाव दिया था कि अगर अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाले पनामा जलमार्ग का उपयोग करने के लिए आवश्यक बढ़ती पोत परिवहन लागत को कम करने के लिए कुछ नहीं किया जाता है, तो उनका देश पनामा नहर पर फिर से नियंत्रण कर सकता है। वह कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बनाने और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को ‘ग्रेट स्टेट ऑफ कनाडा’ का ‘गवर्नर’ बनाने का सुझाव भी दे रहे हैं।