सीरिया में विद्रोहियों का कब्जा, राष्ट्रपति बशर अल-असद ने देश छोड़ा, पहला बयान जारी


नई दिल्ली:- सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद का देश छोड़कर जाने के बाद पहला बयान सामने आया है।दरअसल, समाचार एजेंसी एएफआई के अनुसार उन्होंने अपने बयान में कहा है कि वे कभी देश छोड़कर भागना नहीं चाहते थे। उन्होंने ये कदम मजबूरी में उठाया है।

उन्होंने अपने बयान में कहा कि उनके लिए किसी अन्य देश में शरण कभी भी किसी विकल्प के तौर पर नहीं था। उन्होंने कहा के वे आतंकवादियों से लड़ना चाहते थे। देश अब आंतकवादियों के हाथों में है।

सीरिया पर विद्रोहियों का कब्जा

उल्लेखनीय है कि विगत 08 दिसंबर को सीरिया के विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ने 11 दिन की लड़ाई में देश पर कब्जा कर लिया था। वहीं, विद्रोहियों ने 5 दशक पुरानी असद परिवार की सत्ता को उखाड़ फेंका था। खुद राष्ट्रपति बशर-अल- असद देश छोड़क चले गए थे।

जानकारी दें कि सीरिया में साल 2011 से ही असद और एचटीएस के बीच गृह युद्ध होते आ रहा है। हालांकि, असद रूस और ईरान की मदद से विद्रोहियों को खदेड़ने में सफल होते रहे हैं, लेकिन इस बार वह मात खा गए और विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा कर लिया।

सीरियाई लोगों की मदद के लिए आगे आया ब्रिटेन

सीरिया में पिछले हफ्ते विद्रोहियों द्वारा राष्ट्रपति बशर अल-असद को उखाड़ फेंकने के बाद कमजोर सीरियाई लोगों की मदद के लिए ब्रिटेन ने रविवार को 50 मिलियन पाउंड के आर्थिक सहायता पैकेज की घोषणा की है। 

ब्रिटेन ने एक बयान में कहा कि 30 मिलियन पाउंड दस लाख से अधिक लोगों को भोजन, आश्रय, आपातकालीन स्वास्थ्य देखभाल और सबसे कमजोर लोगों की सुरक्षा सहित तत्काल सहायता प्रदान करेगा।

संयुक्त राष्ट्र चैनलों के माध्यम से वितरित किए गए पैसों से पानी, अस्पतालों और स्कूलों जैसी आवश्यक सेवाओं के पुनर्वास सहित उभरती जरूरतों की पूर्ति की जाएगी। 

बयान में कहा गया कि पड़ोसी देशों में सीरियाई लोगों की मदद के लिए 10 मिलियन पाउंड लेबनान में विश्व खाद्य कार्यक्रम को जाएंगे और 10 मिलियन पाउंड डब्ल्यूएफपी और संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी के माध्यम से जार्डन को जाएंगे।

विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा कि हम सीरियाई लोगों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, क्योंकि वे एक नया रास्ता अपना रहे हैं।

सीरिया में फिर से खुले स्कूल

सीरिया में बशर अल-असद की सत्ता जाने के एक सप्ताह बाद व्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। नए शासकों द्वारा स्कूलों को फिर से खोलने का आदेश दिए जाने के बाद रविवार को सीरियाई छात्र कक्षाओं में लौट आए हैं। 

सीरियाई ईसाइयों ने रविवार को प्रार्थना सभाओं में भाग लिया। नए इस्लामी शासकों ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा का आश्वासन दिया है।

हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ने कहा कि अल्पसंख्यक समूहों की जीवनशैली खतरे में नहीं होगी। असद के शासन के पतन के बाद पहली रविवार को प्रार्थना के दौरान कुछ की आँखों में आँसू थे, जबकि कुछ ने प्रार्थना में हाथ जोड़ रखे थे। एक उपासक जिहाद रफ़ौल ने कहा कि वे हमसे वादा कर रहे हैं कि सरकार जल्द ही बनेगी और भगवान की इच्छा से चीजें बेहतर हो जाएंगी क्योंकि हमने अत्याचारी से छुटकारा पा लिया है।

दिल्ली में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों पर पुलिस की कार्रवाई शुरू,सात घुसपैठियों की पहचान, छह को वापस बांग्लादेश भेजा गया


नई दिल्ली:- दिल्ली में लाखों की संख्या में विभिन्न झुग्गी बस्तियों में अवैध तरीके से रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें वापस बांग्लादेश भेजने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। पिछले एक सप्ताह में सात बांग्लादेशी घुसपैठिये की पहचान की गई जो लंबे समय से दिल्ली के विभिन्न इलाकों में रह रहे थे लेकिन उनके पास भारतीय नागरिकता से संबंधित कोई भी दस्तावेज जैसे पैन, आधार व वोटर कार्ड नहीं मिले। 

उनमें छह घुसपैठिये को वापस बांग्लादेश भेज दिए गए। उन्हें वापस भेजने में कोई कानूनी अड़चन नहीं आई। शेष एक बांग्लादेशी काे सराय रोहिल्ला के शाहजादाबाद स्थित डिटेंशन सेंटर में रखा गया है।

उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के निर्देश पर सभी 15 जिले के सभी थाना पुलिस ने अपने-अपने इलाके में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने के लिए एक सप्ताह से विशेष अभियान चला रखा है। 

अभियान के तहत अब तक सात बांग्लादेशी पकड़े गए हैं। पुलिस अधिकारी का कहना है कि दिल्ली में दो तरह के बांग्लादेशी नागरिक रहते हैं। एक जो बांग्लादेश से नदी पार कर भारत की सीमा में प्रवेश किए। उनके पास बांग्लादेश से संबंधित कोई भी दस्तावेज नहीं पाए गए।

अवैध तरीके से पहले उनके आधार कार्ड बनवा दिए

दिल्ली में रहने के बाद कुछ राजनीतिक पार्टियों के सिंडिकेट ने अवैध तरीके से पहले उनके आधार कार्ड बनवा दिए उसके बाद उनके वोटर कार्ड व पैन कार्ड बन गए। दूसरा ऐसे बांग्लादेशी हैं जिनके पास बांग्लादेश के पासपोर्ट थे। 

वे भारतीय वीजा लेकर भारत आए। ऐसे नागरिक अधिकतम छह माह तक ही भारत में रह सकते हैं। लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे बांग्लादेशी रह रहे हैं जिनके वीजा की अवधि खत्म हो चुकी हैं। उन्होंने एजेंटों के जरिये दिल्ली में आधार, पैन व वाेटर कार्ड बनवा रखा है। वे वापस बांग्लादेश नहीं गए।

बांग्लादेशी नागरिकों का हॉट स्पॉट हैं कई इलाके

पुलिस अधिकारी का कहना है कि 2003 तक दिल्ली पुलिस दिल्ली की झुग्गियों में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ कर उनके बारे में एफआरआरओ को सूचित करने के बाद लालकिला एक्सप्रेस व अन्य ट्रेनों से वापस बांग्लादेश की सीमा में भेज दिए जाते थे। उस दौरान कई पुरूषों को बांग्लादेश भेज दिए गए लेकिन उनके बच्चे व महिलाओं को वापस नहीं भेजा गया। ऐसे में कई बांग्लादेशी नागरिकों ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस मुद्दे पर न्याय की गुहार लगाई थी। जिसके बाद हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को केवल पुरुषों को बांग्लादेश भेजने पर रोक लगा दी थी।

बांग्लादेशी नागरिकों ने भारतीय युवतियों से की शादी

कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी के बांग्लादेशी नागरिक होने के साक्ष्य मिलते हैं, तब पुलिस उनके परिवार के सभी सदस्यों को बांग्लादेश भेजने की व्यवस्था करें। उसी के बाद से निरंतर चलने वाली दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर ब्रेक लग गया। दिल्ली में अवैध रूप से रहने वाले लाखों की संख्या में बांग्लादेशी नागरिकों ने भारतीय मुस्लिम युवतियों से शादियां भी कर ली है।

पुलिस अधिकारी का कहना है कि जिन बांग्लादेशी नागरिकों ने दिल्ली में फर्जी तरीके से आधार, पैन व वोटर कार्ड बनवा रखे हैं उन्हें वापस बांग्लादेश कैसे भेजा जाए इसको लेकर दिल्ली पुलिस असमंजस में है। अभी गृह मंत्रालय से कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं है कि ऐसे नागरिकों के मामले में क्या फैसला लिया जाए।

पुलिस बांग्लादेशियों के मूल जगह का पता लगा रही

पुलिस अधिकारी का कहना है कि बांग्लादेशी नागरिकों से पूछताछ कर उनके मूल जगह के बारे में पता लगाया जा रहा है। हर नागरिक के बारे में बांग्लादेश के स्थानीय ग्राम प्रधान व मुख्य विकास अधिकारी के पास जानकारी होती है। ऐसे में गृह मंत्रालय से स्पष्ट दिशा निर्देश मिलने पर बांग्लादेशी नागरिकों के गृह क्षेत्र जाकर उनके बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद भारतीय दस्तावेज को रद कराया जा सकता है जो काफी लंबी प्रक्रिया होगी। उसके बाद दिल्ली में रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों से मुक्त मिल पाना संभव है।

दिल्ली में बढ़ी ठंड: रात का पारा 5 डिग्री से नीचे, IMD ने जारी किया शीतलहर का अलर्ट


नयी दिल्ली : दिल्ली में ठंड बढ़ने लगी है. पहाड़ी इलाकों से आने वाली ठंडी हवाओं के चलते राष्ट्रीय राजधानी के तापमान में तेजी से गिरावट देखने को मिल रही है. मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, आज दिल्ली में मौसम की सबसे ठंडी सुबह रही और तापमान में काफी गिरावट देखी गई.

IMD ने शहर की दो प्रमुख मौसम वेधशालाओं, सफदरजंग और पालम में न्यूनतम तापमान दर्ज किया, जो पिछले दिनों की तुलना में काफी गिरावट दर्शाता है.

दिल्ली के प्रमुख मौसम केंद्र सफदरजंग में न्यूनतम तापमान 4.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. यह पिछले 24 घंटों से 3.1 डिग्री सेल्सियस की भारी गिरावट को दर्शाता है, जो वर्ष के इस समय के लिए सामान्य स्तर से 5 डिग्री सेल्सियस कम है. 

पालम, एक अन्य महत्वपूर्ण स्थान में न्यूनतम तापमान 6.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो 1.6 डिग्री सेल्सियस की कमी दर्शाता है और मौसमी औसत से 4 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया. 

दिल्ली में जारी हुआ शीतलहर का अलर्ट

आज के तापमान में गिरावट दिल्ली में मौसम की पहली शीत लहर की शुरुआत का संकेत है. आईएमडी के मानदंडों के अनुसार, मैदानी इलाकों में शीत लहर तब घोषित की जाती है, जब न्यूनतम तापमान सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस से 6.4 डिग्री सेल्सियस तक नकारात्मक विचलन देखता है या जब तापमान 4 डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो जाता है. वर्तमान रीडिंग दिल्ली को शीत लहर की श्रेणी में रखती है, जिसमें सफदरजंग सामान्य से काफी विचलन के कारण गंभीर स्थिति में है।

तापमान में यह गिरावट इस मौसम में पहली बार हुई है जब शहर में पारा 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे गया है. संयोग से 15 दिसंबर, 2023 को भी 4.9 डिग्री सेल्सियस का यही न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया था, जो सर्दियों की ठंड के दौर में आवर्ती पैटर्न को रेखांकित करता है. ऐतिहासिक रूप से सफदरजंग वेधशाला में अब तक का सबसे कम न्यूनतम तापमान 27 दिसंबर, 1930 को 0.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. 

मौसम विभाग का मानना है कि तापमान में अचानक गिरावट का कारण हिमालय से आने वाली ठंडी हवाएं हैं, जिससे राजधानी में सर्दी का प्रकोप बढ़ गया है. रात के तापमान में लगातार गिरावट चिंता का विषय है और आईएमडी के मानदंडों के अनुसार शीत लहर की चेतावनी अभी भी प्रभावी है, जिससे निवासियों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, हटाई गई हाजिरी लगाने की शर्त


नई दिल्ली:- AAP लीडर मनीष सिसोदिया को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. SC ने आबाकरी नीति मामले से जुड़े करप्शन और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जमानत की शर्तों में बदलाव की उनकी मांग को मंजूरी दे दी. जमानत की शर्तों के मुताबिक उन्हें हफ्ते में दो बार जांच एजेंसियों के दफ्तर में हाजिरी लगानी पड़ती थी.

कोर्ट ने सिसोदिया के आग्रह पर इस शर्त को आज हटा लिया. हालांकि कोर्ट ने सिसोदिया को कहा कि वो नियमित रूप से ट्रायल में शामिल हो.

मनीष सिसोदिया ने सीबीआई और ईडी के मामले में सुप्रीम कोर्ट से दी गई जमानत की शर्तों में बदलाव की मांग की थी, जिसमें मनीष सिसोदिया को हर सोमवार और गुरुवार को सीबीआई और ईडी के दफ्तर जाकर हजारी लगानी होती है. 

सिसोदिया ने इन शर्तों को हटाने की मांग की थी. सुनवाई के दौरान सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि सिसोदिया जांच एजेंसियों के अफसरों के समक्ष 60 बार जा चुके हैं.

वहीं, इस राहत के बाद मनीष सिसोदिया ने अदालत का आभार जताया. उन्होंने कहा माननीय सुप्रीम कोर्ट का हृदय से आभार, जिसने जमानत की शर्त को हटाकर राहत प्रदान की है. यह निर्णय न केवल न्यायपालिका में मेरी आस्था को और मजबूत करता है, बल्कि हमारे संवैधानिक मूल्यों की शक्ति को भी दर्शाता है. मैं हमेशा न्यायपालिका और संविधान के प्रति अपने कर्तव्यों का सम्मान करता रहूंगा. जय भीम, जय भारत.

यह मामला न्यायमूर्ति बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष आया. पीठ ने पिछले आदेश को संशोधित करते हुए कहा कि यह शर्त जरूरी नहीं है. हालांकि, पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया कि सिसोदिया को नियमित रूप से ट्रायल कोर्ट में उपस्थित होना चाहिए. 

वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने शीर्ष अदालत के समक्ष सिसोदिया का प्रतिनिधित्व किया. सिसोदिया ने जमानत शर्तों में छूट की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

शीर्ष अदालत ने 9 अगस्त, 2024 को यह देखते हुए कि मुकदमे में देरी और लंबे समय तक कैद में रहने से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के उनके अधिकार पर असर पड़ा, सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में सिसोदिया को जमानत दे दी थी. 

शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय की याचिका खारिज कर दी थी, जिसने सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था. जमानत की शर्त के तौर पर सिसोदिया को हर सोमवार और गुरुवार को सुबह 10 से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी के सामने पेश होने को कहा गया था. उन्हें 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया गया था।

दिल्ली कोचिंग हादसा: आरोपी सीईओ को मिली अंतरिम जमानत पर हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस


नई दिल्ली:- दिल्ली हाईकोर्ट ने RAU’S IAS स्टडी सर्कल में जलसैलाब से हुई तीन छात्रों की मौत मामले में बुधवार को मृतक छात्र के पिता दलवीन सुरेश की याचिका पर नोटिस जारी किया. 

उन्होंने ट्रायल कोर्ट द्वारा कोचिंग के सीईओ अभिषेक गुप्ता और कोऑर्डिनेटर देशपाल सिंह को अंतरिम जमानत दिए जाने को चुनौती देते हुए याचिका दायर की हैं। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने सीबीआई और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

याचिका हादसे में मृत छात्र नेविन डेल्विन के पिता डेल्विन सुरेश ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि इस हादसे के आरोपियों और कोचिंग के सीईओ अभिषेक गुप्ता और कोऑर्डिनेटर देशपाल सिंह को ट्रायल कोर्ट ने 23 सितंबर को अंतरिम जमानत दी थी. 

हाल ही में कोर्ट ने अंतरिम जमानत को बढ़ाकर 31 जनवरी 2025 तक कर दिया. इसके पहले हाईकोर्ट ने 13 सितंबर को आरोपियों तेजिंदर सिंह, परविंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह को जमानत दी थी. उसके पहले इस मामले में एक आरोपी और थार चालक मनुज कथूरिया को तीस हजारी कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने जमानत दी थी.

बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दिया. दिल्ली पुलिस ने 29 जुलाई को RAU’s IAS स्टडी सर्कल के चारों सह मालिकों और थार चालक को गिरफ्तार किया था. 

28 जुलाई को कोचिंग के मालिक अभिषेक गुप्ता और कोऑर्डिनेटर देशपाल को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में सात आरोपियों को गिरफ्तार गया था. दिल्ली पुलिस ने इन आरोपियों के अलावा बिल्डिंग मैनेजमेंट, सिस्टम की देखरेख करनेवाले निगमकर्मियों और दूसरे आरोपियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया था. दिल्ली पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 105, 106(1), 115(2), 3(5) के तहत केस दर्ज किया है.

जानिए 5 पॉइंट में राजेंद्र नगर हादसे की वजह:

27 जुलाई की रात को बिल्डिंग में पावर कट के कारण बेसमेंट में बनी लाइब्रेरी का बायोमेट्रिक गेट जाम हो गया था. जिसकी वजह से छात्र अंधेरे में लाइब्रेरी के अंदर फंस गए थे.

गेट बंद होने के कारण पानी शुरुआत में बेसमेंट में नहीं घुसा था, लेकिन कुछ मिनट बाद ही पानी का प्रेशर तेज हुआ और बेसमेंट में पानी भरने लगा था.

बेसमेंट में पानी का बहाव इतना तेज था कि छात्रों को बाहर निकलना मुश्किल हो रहा था.

चश्मदीद ने बताया था कि कुछ सेकेंड में बेसमेंट में घुटनों तक पानी भर गया था. स्टूडेंट बेंच पर खड़े हो गए थे, लेकिन महज 2-3 मिनट में पूरे बेसमेंट में 10-12 फीट पानी भर गया था.

छात्रों को बचाने के लिए रस्सियां फेंकी गईं, लेकिन पानी गंदा था, इसलिए रेस्क्यू में दिक्कतें हुई. देर रात 3 छात्रों के शव मिले थे. वहीं, 14 छात्रों को रस्सियों के सहारे निकाला गया था.

दिल्ली कोचिंग हादसे में अब तक क्या हुआ: दिल्ली कोचिंग हादसे में अब तक 75 कोचिंग संस्थानों को नोटिस भेजा जा चुका है. वहीं, 35 कोचिंग संस्थानों को बंद किया गया है, जबकि 25 संस्थानों को सील किया गया है.

बता दें कि RAU’S IAS स्टडी सर्कल के बेसमेंट में लाइब्रेरी स्थित है. इस लाइब्रेरी में यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्र पढ़ाई कर रहे थे. इस बेसमेंट में अचानक आए पानी में पढ़ाई कर रहे तीन स्टूडेंट फंस गए थे और उनकी मौत हो गई थी।

दिल्ली में अवैध बांग्लादेशियों पर कार्रवाई के लिए एलजी का बड़ा आदेश

नई दिल्ली: दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों पर कार्रवाई के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा को पत्र लिखा. उन्होंने आदेश दिए हैं कि स्पेशल ड्राइव चलाकर दो महीने में अवैध बांग्लादेशियों पर कारवाई की जाए.

दरअसल, बीते कुछ दिनों से दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे हैं बांग्लादेशी व रोहिंग्याओं को लेकर बड़ा मुद्दा बना हुआ है. दिल्ली में कानून व्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर आम आदमी पार्टी सरकार इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रही है. 

वहीं, बीजेपी का कहना है कि कानून व्यवस्था खराब करने में इन घुसपैठियों की अहम भूमिका है. दिल्ली सरकार इन्हें सभी सुविधाएं दे रही है जिस वजह से यह कहीं नहीं जा रहे. दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले रोहिंग्या प्रवासियों को लेकर विपक्ष ने आम आदमी पार्टी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. 

अब दिल्ली एलजी ने पुलिस कमिश्नर को सभी जिले में विशेष अभियान चला कर अवैध रूप से रह रहे घुसपैठियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. इसके लिए दो महीने की मोहलत दी गई है।

AAP पर संविधान उल्लंघन का आरोप: विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री आतिशी को पिछले माह पत्र लिखकर रोहिंग्या प्रवासियों द्वारा शहर के फुटपाथों और सड़कों पर किए अवैध निर्माण पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इन्हें तुरंत हटाने की मांग की थी.

आतिशी को लिखे पत्र में कहा था कि आम आदमी पार्टी द्वारा रोहिंग्या प्रवासियों की अवैध बसावट में उन्हें सहायता देने से न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश के नागरिकों के बीच गंभीर चिंताएं उत्पन्न हो गई है. आप पर आरोप लगाया गया कि रोहिंग्या प्रवासियों को अपना संरक्षण देकर इस तरह के अवैध कामों के लिए उन्हें प्रोत्साहित कर सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता कर लोकतंत्र की अखंडता को खतरे में डाल रही है.

AAP कर रही देश के साथ विश्वासघात: पत्र में यह भी लिखा गया था कि आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा अपनी प्रशासनिक निगरानी में रोहिंग्या प्रवासियों द्वारा सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों और पार्कों पर अतिक्रमण की घटनाएं वास्तव में देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकती है. इससे भी अधिक चिंताजनक यह है कि इन अवैध प्रवासियों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वोटर कार्ड तक जारी किए जा रहे हैं. 

आम आदमी पार्टी द्वारा इनकी उपस्थिति को जायज ठहराना और उन्हें भारतीय नागरिकों के लिए बने लोकतांत्रिक अधिकार प्रदान करना देश के साथ विश्वासघात है. रोहिंग्या प्रवासियों की इन अवैध हरकतों के मुद्दे पर आखिर आम आदमी पार्टी की सरकार चुप क्यों है? उन्होंने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी देश की सुरक्षा के साथ समझौता कर एक विशेष वोट बैंक को खुश करने के लिए सोची-समझी साजिश के तहत राजनीतिक चाल चल रही है? अवैध प्रवासियों को वोटर आईडी प्रदान करना केवल कानून का उल्लंघन नहीं है, यह हमारी चुनाव प्रणाली की पवित्रता पर सीधा हमला भी है।

कोविड वैक्सीनेशन पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का बड़ा बयान,वैक्सीनेशन से बची लोगों की जान: केंद्र


नई दिल्ली:- केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि कोविड-19 एक भयंकर आपदा थी और वैक्सीनेशन से लोगों की जान बची है। यह जवाब तब दाखिल किया गया है, जब सुप्रीम कोर्ट में वैक्सीन की वजह से दो महिलाओं की मौत से जुड़ी एक याचिका दाखिल की गई थी।

इस केस की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि कोविड महामारी एक ऐसी आपदा थी, जो आज से पहले कभी नहीं देखी गई।

माता-पिता ने लगाई है याचिका

इस पर याचिकाकर्ता के वकील कोलिन गोंसाल्विस ने कहा कि हम इस विषय पर चर्चा नहीं कर रहे हैं। हमें इस पर असहमति भी नहीं है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दो महिलाओं के माता-पिता ने याचिका दाखिल की है।उनका आरोप है कि कोविशील्ड के पहले डोज के बाद महिलाओं में गंभीर साइड इफेक्ट देखने को मिले।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सुप्रीम अदालत ने पहले ही कोविड वैक्सीनेशन पर गहन चर्चा की थी और एईएफआई को लेकर आदेश पारित किया था।

'कोविड एक आपदा'

भाटी ने कहा, 'यह संतुलन का मामला है। कोविड एक आपदा थी। वैक्सीनेशन से महामारी के दौरान लोगों की जान बची है। हमारे पास एक नियामक तंत्र है।' इस पर बेंच ने कहा कि अदालत ने याचिका पर ध्यान दिया है, हमें तय करना ही होगा।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर केंद्र को अगस्त 2022 में ही नोटिस जारी किया था और सरकार का हलफनामा रिकॉर्ड पर है। हालांकि गोंसाल्विस ने ध्यान दिलाया कि मामले को विस्तृत रूप में देखने की जरूरत है।

वकील ने कहा कि 2021 में कोविशील्ड को यूरोपियन देशों ने खतरनाक बताते हुए बंद कर दिया था। अदालत ने उनसे अपने एप्लीकेशन की कॉपी सॉलिसिटर जनरल को उपलब्ध कराने को कहा।

चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने को कहा

अदालत ने भाटी से कहा, 'हम आपको एप्लीकेशन पर जवाब देने के लिए समय का समय दे रहे हैं। इसके बाद हम पूरे मामले को देखेंगे।' अदालत ने केंद्र को एप्लीकेशन पर जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्तों का समय दिया है।

29 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए इस दलील पर गौर किया था कि 18 वर्षीय एक लड़की को 29 मई 2021 को कोविशील्ड की पहली डोज दी गई थी और 19 जून 2021 को उसकी मौत हो गई है।

एक अन्य याचिकाकर्ता ने भी दलील दी थी कि उसकी 20 वर्षीय बेटी को भी जून 2021 में कोविशील्ड की पहली डोज दी गई थी और अगले महीने उसकी मौत हो गई है।

याचिका में जांच की मांग

अदालत ने कहा था, 'यह दलील दी गई है कि लड़कियों में वैक्सीनेशन के बाद गंभीर साइड इफेक्ट को मिले याचिकाकर्ताओं ने संबंधित अधिकारियों को भी लिखा था, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।

याचिका में मांग की गई है कि लड़कियों की मौत मामले में जांच के लिए सरकार से स्वतंत्र एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए और इसकी रिपोर्ट तय समयसीमा के भीतर साझा की जाए।

दिल्ली में अवैध बांग्लादेशियों पर कार्रवाई के लिए एलजी का बड़ा आदेश


नई दिल्ली: दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों पर कार्रवाई के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा को पत्र लिखा. उन्होंने आदेश दिए हैं कि स्पेशल ड्राइव चलाकर दो महीने में अवैध बांग्लादेशियों पर कारवाई की जाए.

दरअसल, बीते कुछ दिनों से दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे हैं बांग्लादेशी व रोहिंग्याओं को लेकर बड़ा मुद्दा बना हुआ है. दिल्ली में कानून व्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर आम आदमी पार्टी सरकार इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रही है. 

वहीं, बीजेपी का कहना है कि कानून व्यवस्था खराब करने में इन घुसपैठियों की अहम भूमिका है. दिल्ली सरकार इन्हें सभी सुविधाएं दे रही है जिस वजह से यह कहीं नहीं जा रहे. दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले रोहिंग्या प्रवासियों को लेकर विपक्ष ने आम आदमी पार्टी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. 

अब दिल्ली एलजी ने पुलिस कमिश्नर को सभी जिले में विशेष अभियान चला कर अवैध रूप से रह रहे घुसपैठियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. इसके लिए दो महीने की मोहलत दी गई है।

AAP पर संविधान उल्लंघन का आरोप: विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री आतिशी को पिछले माह पत्र लिखकर रोहिंग्या प्रवासियों द्वारा शहर के फुटपाथों और सड़कों पर किए अवैध निर्माण पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इन्हें तुरंत हटाने की मांग की थी.

आतिशी को लिखे पत्र में कहा था कि आम आदमी पार्टी द्वारा रोहिंग्या प्रवासियों की अवैध बसावट में उन्हें सहायता देने से न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश के नागरिकों के बीच गंभीर चिंताएं उत्पन्न हो गई है. आप पर आरोप लगाया गया कि रोहिंग्या प्रवासियों को अपना संरक्षण देकर इस तरह के अवैध कामों के लिए उन्हें प्रोत्साहित कर सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता कर लोकतंत्र की अखंडता को खतरे में डाल रही है.

AAP कर रही देश के साथ विश्वासघात: पत्र में यह भी लिखा गया था कि आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा अपनी प्रशासनिक निगरानी में रोहिंग्या प्रवासियों द्वारा सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों और पार्कों पर अतिक्रमण की घटनाएं वास्तव में देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकती है. इससे भी अधिक चिंताजनक यह है कि इन अवैध प्रवासियों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वोटर कार्ड तक जारी किए जा रहे हैं. 

आम आदमी पार्टी द्वारा इनकी उपस्थिति को जायज ठहराना और उन्हें भारतीय नागरिकों के लिए बने लोकतांत्रिक अधिकार प्रदान करना देश के साथ विश्वासघात है. रोहिंग्या प्रवासियों की इन अवैध हरकतों के मुद्दे पर आखिर आम आदमी पार्टी की सरकार चुप क्यों है? उन्होंने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी देश की सुरक्षा के साथ समझौता कर एक विशेष वोट बैंक को खुश करने के लिए सोची-समझी साजिश के तहत राजनीतिक चाल चल रही है? अवैध प्रवासियों को वोटर आईडी प्रदान करना केवल कानून का उल्लंघन नहीं है, यह हमारी चुनाव प्रणाली की पवित्रता पर सीधा हमला भी है।

एक देश एक चुनाव: भारत की नई दिशा,चुनाव सुधार की ओर बड़ा कदम!

नयी दिल्ली : वन नेशन-वन इलेक्शन बिल होगा संसद में पेश! शीतकालीन सत्र में ही ला सकती है केंद्र सरकार "एक देश एक चुनाव" को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन के लिए कम से कम छह विधेयक लाने होंगे और सरकार को संसद में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी.

सरकार एक देश एक चुनाव के लिए तैयार है और संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश कर सकती है. कैबिनेट ने एक देश एक चुनाव पर रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को पहले ही मंजूरी दे दी है. 

सूत्रों ने बताया कि सरकार अब विधेयक पर आम सहमति बनाना चाहती है और इसे विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेज सकती है.

रिपोर्ट में बताया है कि जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा करेगी. सूत्रों के मुताबिक इस प्रक्रिया में अन्य हितधारकों को भी शामिल किया जाएगा. देश भर के बुद्धिजीवियों के साथ-साथ सभी राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों को भी बुलाया जा सकता है. आम लोगों की राय भी ली जाएगी. 

सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में सरकार लोगों को इसमें शामिल करना चाहती है और इसे हासिल करने के तरीकों और साधनों पर बाद में चर्चा की जा सकती है. 

संसद से कैसे पास होगा एक देश एक चुनाव विधेयक

आम सहमति के अभाव में वर्तमान प्रणाली को बदलना अत्यंत चुनौतीपूर्ण होगा. एक देश एक चुनाव स्कीम को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन के लिए कम से कम छह विधेयक लाने होंगे और सरकार को संसद में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी. हालांकि एनडीए के पास संसद के दोनों सदनों में बहुमत है, फिर भी किसी भी सदन में दो-तिहाई बहुमत हासिल करना एक कठिन काम हो सकता है।

संसद में किसके पास बहुमत?

राज्यसभा की 245 सीटों में से एनडीए के पास 112 और विपक्षी दलों के पास 85 सीटें हैं. दो तिहाई बहुमत के लिए सरकार को कम से कम 164 वोटों की जरूरत है. लोकसभा में भी एनडीए के पास 545 में से 292 सीटें हैं. दो तिहाई बहुमत का आंकड़ा 364 है लेकिन स्थिति परिवर्तनशील हो सकती है, क्योंकि बहुमत की गणना केवल उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के आधार पर की जाएगी.

सरकार कुछ समय से एक साथ चुनाव कराने पर जोर दे रही है, उसका तर्क है कि मौजूदा प्रणाली समय, धन और प्रयास की बर्बादी है. इसके अलावा चुनाव से पहले घोषित आदर्श आचार संहिता का सवाल भी है, जो विकास के काम काज पर ब्रेक लगाती है. 

कोविंद रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि सरकार को द्विदलीय समर्थन और देशव्यापी आख्यान तैयार करना चाहिए. रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि "एक राष्ट्र एक चुनाव" का क्रियान्वयन 2029 के बाद ही हो सकता है.

नहाने का टेंशन खत्म! जापानी मशीन से 15 मिनट में साफ होगी बॉडी


नयी दिल्ली : आमतौर पर आप सबने अब तक कपड़े धोने मशीनों को देखा होगा, जिसमें सिर्फ कपड़े डालने होते है और महज कुछ मिनटों में वह साफ हो जाते हैं. लेकिन जैसे-जैसे दुनिया तरक्की कर रही है, वैसे-वैसे साइंस द्वारा बनाई गई नई चीजें दुनियाभर में लॉन्च हो रही है.इस बार साइंस ने एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया है, जिसमें 15 से 20 मिनट के अंदर इंसान भी धुल सकते हैं।

जापान के इंजीनियरों ने कर दिखाया कमाल

दरअसल, जापान के इंजीनियरों ने नई और अनोखी इंसानों की धुलाई करने वाली मशीन बनाई है. उन्होंने इसे मिराई निन्जेन सेंटाकुकी नाम दिया है. बताया जा रहा है कि यह मशीन एआई (AI) की मदद से पहले लोगों के शरीर का विश्लेषण करेगी और फिर उनकी जरूरत के मुताबिक शरीर को साफ करेगी.

सिर्फ 15 मिनट में साफ हो जाएगी बॉडी

इस मशीन का आविष्कार ओसका स्थित शावरहेड कंपनी साइंस को ने किया है. कंपनी का दावा है कि यह वॉशिंग मशीन केवल 15 मिनट के अंदर एक व्यक्ति को पूरी तरह साफ करने की क्षमता रखती है. भविष्य की यह मशीन बहुत जल्द ओसाका कंसाई एक्सपो में प्रदर्शित की जाएगी, जहां इस मशीन को 1000 से ज्यादा लोग इसे आजमाएंगे.

कैसे काम करेगी यह मशीन?

इस मशीन में आपको पारदर्शी पॉड में बैठना होगा, जिसमें पहले तो वहां आधा गर्म पानी से भर जाएगा. फिर बाद में पानी के जेट्स से हवा से बनने वालें छोटे-छोटे बुलबुले बनने शुरू हो जाएगे. ये बुलबुले एक छोटी लेकिन शक्तिशाली दबाव तरंग बनाते हैं, जो त्वचा से गंदगी को हटा देगी. जिस कुर्सी में आप मशीन के अंदर बैठे होगें, उसमें मौजूद इलेक्ट्रोड आपकी जैविक जानकारी निकालता रहेगा. इससे वह यह सुनिश्चित कर सकेगा कि आपके शरीर के हिसाब से उचित तापमान से धुलाई हो रही है कि नहीं.

पहले भी बन चुकी है ऐसी मशीन

मानव धुलाई करने वाली यह मशीन का साल 1970 में पहली बार निर्माण हुआ था. जिसको सैन्यो इलेक्ट्रिक कंपनी (आज के वक्त की पैनासोनिक होल्डिंग्स कॉर्पपेशन) ने किया था. 

उस दौर में इस मशीन में माइक्रो-बबल्सऔर गर्म पानी का इस्तेमाल किया जाता था और इसमें प्सास्टिक की मसाज बॉल्स भी मौजूद थी. हालांकि, इस मशीन को कभी व्यावसायिक रूप से जारी नहीं कियी गया था. लेकिन विश्व एक्सपो में लोगों को यह मशीन बहुत पसंद आई थी।