लद्दाख बॉर्डर पर समझौते के बाद अब चीन जाएंगे NSA अजीत डोभाल, जानें किस मुद्दे पर होगी बात


डेस्क: भारत और चीन के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ हाल के दिनों पिघलती हुई नजर आई है। सीमा विवाद को लेकर बीते दिनों दोनों देशों के बीच संबंधों में कुछ नरमी भी देखने को मिली है। देपसांग और डेमचोक के फ्रिक्शन प्वाइंट पर डिसइंगेजमेंट के बाद दोनों देशों में बातचीत का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है। इस बीच जल्द ही भारत के सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल चीन की यात्रा करने वाले हैं। इस दौरान वह अपने समकक्ष और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात कर सकते हैं।

चीन यात्रा के दौरान अजीत डोभाल सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता के नए संस्करण में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। यह वार्ता करीब पांच साल के अंतराल के बाद होगी। इससे पहले विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की वार्ता दिसंबर 2019 में नई दिल्ली में हुई थी। वार्ता के इस तंत्र को बहाल करने का निर्णय 23 अक्टूबर को कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक में लिया गया था।

एक सूत्र ने बताया कि एसआर वार्ता इस महीने के अंत में या जनवरी की शुरुआत में हो सकती है। अभी इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है कि एसआर वार्ता किस जगह पर होगी। भारत और चीन ने पांच दिसंबर को अपनी कूटनीतिक वार्ता में विशेष प्रतिनिधि वार्ता की तैयारी की थी। वार्ता के लिए भारत के विशेष प्रतिनिधि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल हैं, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्री वांग यी कर रहे हैं। पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के कारण पिछले पांच साल में कोई विशेष प्रतिनिधि वार्ता नहीं हुई।

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था और उस वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई झड़प के परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था। यह गतिरोध एक समझौते के तहत देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद समाप्त हुआ था।

सैनिकों की वापसी के समझौते को 21 अक्टूबर को अंतिम रूप दिया गया था। समझौते पर हस्ताक्षर होने के दो दिन बाद मोदी और शी ने रूस के कजान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर बातचीत की थी। बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता सहित कई वार्ता तंत्रों को बहाल करने पर सहमति व्यक्त की थी।
'फिलिस्तीन' लिखा बैग लेकर संसद पहुंचीं प्रियंका गांधी, क्यों मचा इसपर बवाल


डेस्क: कांग्रेस का एक बार फिर फिलीस्तीन प्रेम दिखाई दिया है। प्रियंका गांधी की एक तस्वीर सामने आई है जिसमें उनके बैग पर “Palestine” लिखा हुआ है। कांग्रेस सांसद ये बैग लेकर संसद पहुंची थी। अब इस बैग पर सियासी घमासान शुरू हो गया है। बीजेपी ने प्रियंका गांधी पर हमला किया है। केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि प्रियंका मुस्लिम वोट के तुष्टिकरण के लिए फिलिस्तीन लिखा बैग लेकर आई हैं।

इस बैग के जरिए एक बार फिर प्रियंका गांधी फिलिस्तीन के समर्थन में नजर आई हैं। बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं कि प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीन का समर्थन किया है। हाल ही में भारत में आए फिलिस्तीन के राजदूत Abed Elrazeg Abu Jazer से उन्होंने मुलाकात की थी। फिलिस्तीनी राजदूत ने प्रियंका को वायनाड लोकसभा चुनाव में जीत की बधाई दी थी।

इस साल अक्टूबर में हमास और इजराइल के बीच शुरू हुई जंग को एक साल पूरे होने पर भी प्रियंका गांधी ने इजराइल पर निशाना साधा था। गाजा में बढ़ती मौतों के बीच प्रियंका ने इजराइल पर हमला बोला था। कांग्रेस सांसद ने कहा था, ''गाजा में 7,000 लोगों की हत्या के बाद भी और हिंसा का सिलसिला नहीं रुका है। इन 7,000 लोगों में से 3,000 मासूम बच्चे थे।'' वायनाड में चुनाव लड़ते समय भी लगातार प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीन का मुद्दा उठाया है।
'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' पर बोला सुप्रीम कोर्ट, 'केंद्र सरकार का जवाब दाखिल होने तक सुनवाई नहीं'
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट में 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991' के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं की सुनवाई से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा है कि जब तक इस मामले पर केंद्र सरकार का जवाब दाखिल नहीं हो जाता, तब तक इस पर सुनवाई नहीं होगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अब तक जवाब दाखिल नहीं किया है, जिसके बाद सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जवाब जल्द दाखिल किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई तक नई याचिका दायर की जा सकती है लेकिन उन्हें रजिस्टर नहीं किया जाएगा।

CJI संजीव खन्ना ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया और कहा कि केंद्र के जवाब दाखिल करने के बाद जिन्हें जवाब दाखिल करना हो वे 4 हफ्ते में जवाब दाखिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम केंद्र के जवाब के बिना फैसला नहीं कर पाएंगे, और हम केंद्र सरकार का इस मामले में पक्ष जानना चाहते हैं। बता दें कि इस मामले की सुनवाई विभिन्न अदालतों में दायर कई मुकदमों की पृष्ठभूमि में होगी, जिनमें वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और संभल में शाही जामा मस्जिद से जुड़े मुकदमे शामिल हैं। CJI ने यह भी कहा कि विभिन्न कोर्ट जो ऐसे मामलों में सुनवाई कर रही हैं वे सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई तक कोई भी अंतिम आदेश जारी नहीं करेंगी और न ही सर्वे पर कोई आदेश देंगी।

बता दें कि 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' कहता है कि 15 अगस्त 1947 को विद्यमान उपासना स्थलों का धार्मिक स्वरूप वैसा ही बना रहेगा, जैसा वह उस दिन था। यह किसी धार्मिक स्थल पर फिर से दावा करने या उसके स्वरूप में बदलाव के लिए वाद दायर करने पर रोक लगाता है। बता दें कि इस बारें में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें से एक याचिका अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। उपाध्याय ने उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धाराओं 2, 3 और 4 को रद्द किए जाने का अनुरोध किया है। याचिका में दिए गए तर्कों में से एक तर्क यह है कि ये प्रावधान किसी व्यक्ति या धार्मिक समूह के पूजा स्थल पर दोबारा दावा करने के न्यायिक समाधान के अधिकार को छीन लेते हैं।
क्या सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की हुई अनदेखी? नूरी मस्जिद पर बुलडोजर चलने से छिड़ा संग्राम

डेस्क: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में नूरी मस्जिद पर 13 दिसंबर से पहले बुलडोजर एक्शन को लेकर संग्राम छिड़ गया है। मस्जिद कमेटी का कहना है कि जिला प्रशासन ने कोर्ट की अवहलेना की है क्योंकि मामला अभी अदालत में है। वहीं, जिला प्रशासन का कहना है कि कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर स्टे या रोक नहीं लगाया था इसलिए कार्रवाई की गई। जिला प्रशासन पर सुप्रीम कोर्ट के उन दिशा-निर्देशों की अनदेखी करने का भी आरोप लग रहा है जिनमें कहा गया था कि बुलडोजर एक्शन से 15 दिन पहले नोटिस देना जरूरी है। आइए, जानते हैं कि दोनों पक्ष अपनी दलील में क्या कह रहे हैं।

मस्जिद कमेटी का दावा है कि नूरी मस्जिद करीब 180 साल पुरानी है। उसका कहना है कि मस्जिद का निर्माण 1839 में हुआ था। मस्जिद कमेटी का कहना है कि जब मस्जिद बनी थी तब यहां सड़क नहीं थी बल्कि जंगल था, ऐसे में अवैध निर्माण की बात गलत है। कमेटी का यह भी कहना है कि जानबूझकर मस्जिद को टारगेट किया गया है, क्योंकि इसे बचाने के लिए बाईपास बनाने की सलाह भी दी गई थी, लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया। मस्जिद कमेटी ने कहा कि इस मसले पर 13 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई थी, इसलिए मस्जिद पर एक्शन पूरी तरह गलत है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की अनदेखी के आरोपों पर जिला प्रशासन का कहना है कि बुलडोजर एक्शन से 45 दिन पहले ही मस्जिद को नोटिस जारी किया गया था। प्रशासन ने यह भी कहा कि कोर्ट ने इस मामले पर स्टे नहीं लगाया था इसलिए कार्रवाई कहीं से गलत नहीं है। बता दें कि कुछ हफ्ते पहले ही कुछ बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइंस जारी की थी और कहा था कि जो भी उसका उल्लंघन करेगा उस अफसर पर एक्शन होगा। ऐसे में फतेहपुर जिला प्रशासन पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का आरोप लगाए जा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइंस में साफ-साफ कहा था कि बुलडोजर एक्शन से 15 दिन पहले नोटिस देना जरूरी है। PWD का कहना है कि उसने मस्जिद कमेटी को 45 दिन पहले नोटिस दिया था यानी कि कोर्ट के आदेश की अवहेलना नहीं हुई है बल्कि उसका पालन हुआ है। दूसरा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सड़क या नालियों पर अतिक्रमण कर कोई स्ट्रक्चर बनाया गया है तो उसपर जिला प्रशासन एक्शन ले सकता है। PWD के एक्शन के मुताबिक, यहां भी सड़क का चौड़ीकरण हो रही है ऐसे में यहां भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जा रहा है।
अमिताभ बच्चन ने परिवार में हुई लव मैरिज पर तोड़ी चुप्पी, जया-ऐश्वर्या सबके बताए धर्म, बहू को लेकर कही ये बात

डेस्क: अमिताभ बच्चन इन दिनों 'कौन बनेगा करोड़पति 16' को लेकर व्यस्त चल रहे हैं। शो में अक्सर बिग बी कंटेस्टेंट्स के साथ दिल खोलकर बात करते हैं और जब कोई कंटेस्टेंट उनसे कोई सवाल करता है तो उसका जवाब भी देने से पीछे नहीं हटते। अब हालिया एपिसोड में बिग बी ने अपने परिवार में हुई लव मैरिज पर चर्चा की। एपिसोड में कंटेस्टेंट आशुतोष सिंह ने बिग बी के आगे अपनी कहानी बताई। उन्होंने बताया कि पिछले पांच साल से उनकी अपने पैरेंट्स से बात नहीं हुई है। उन्होंने इसके पीछे की वजह का भी खुलासा किया।

आशुतोष सिंह ने बताया कि उनके पैरेंट्स उनसे बात नहीं कर रहे क्योंकि उन्होंने लव मैरिज की है। साथ ही आशुतोष ने भी बताया कि उनकी फैमिली नियमित रूप से कौन बनेगा करोड़पति देखती है, इसलिए वो इस शो में आए हैं। इस पर बिग बी इमोशनल हो गए और उन्होंने जवाब दिया- 'मुझे उम्मीद है कि आज का एपिसोड देखने के बाद आपके माता-पिता आपसे फिर से जरूर बात करेंगे। आप उनसे वो बात कर सकेंगे, जिसके लिए आप इतने समय से तरस रहे हैं।'

इसके बाद अमिताभ बच्चन ने अपने परिवार में हुई लव मैरिज पर बात की। उन्होंने अपने पूरे परिवार में हुई शादियों पर चर्चा करते हुए कहा- 'हम उत्तर प्रदेश के हैं, लेकिन चले गए बंगाल। (जया बच्चन बंगाली हैं)। हमारे भाई साहब सिंधी परिवार में पहुंच गए और हमारी बिटिया की शादी पंजाबी परिवार में हुई है.. और बिटवा (अभिषेक) के बारे में तो आप सभी जानते हैं। बहू मैंगलोर की हैं। बाबूजी कहते थे कि 'देश के कोने-कोने से ब्याह कर लाए हैं सबको।'
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव किया पेश, जानिए क्या हैं उनपर आरोप?


डेस्क: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक ने धनखड़ पर पक्षपातपूर्ण और 'पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली' का आरोप लगाया है। विपक्ष ने दावा किया कि वह सदन की कार्यवाही के दौरान सत्ता पक्ष का पक्ष लेते हैं। विपक्ष की आवाज दबाते हैं।

कल ही विपक्षी नेताओं के करा लिए गए थे हस्ताक्षर
इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए विपक्ष को 50 सांसदों के हस्ताक्षर की जरूरत थी। विपक्षी नेताओं का कहना है कि उन्होंने विपक्षी नेताओं के हस्ताक्षर कल (सोमवार) ही एकत्र कर लिए थे।

धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के बाद यह राज्यसभा के किसी सभापति के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव है। पिछले सत्र में विपक्ष ने इसी तरह की चिंताएं जताई थीं, लेकिन प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP) और समाजवादी पार्टी (SP) सहित विपक्षी दलों ने सामूहिक रूप से प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) के तहत पेश गया है।

बता दें कि मंगलवार को लोकसभा और राज्यसभा के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही के दौरान जमकर हंगामा हुआ। इसके बाद दोनों सदनों को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के सांसदों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। इस कारण दोनों सदनों की पूरे दिन की कार्यवाही बाधित हुई।
संजय मल्होत्रा होंगे RBI के नए गवर्नर, शक्तिकांत दास की जगह लेंगे, जानें पूरी बात

डेस्क: सरकार ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को अगला रिजर्व बैंक गवर्नर नियुक्त किया है। सूत्रों के हवाले से पीटीआई की तरफ से जारी खबर के मुताबिक, 1990 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी मल्होत्रा, शक्तिकांत दास की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल मंगलवार (10 दिसंबर, 2024) को समाप्त हो रहा है। मल्होत्रा आरबीआई के 26वें गवर्नर होंगे। मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को 11 दिसंबर 2024 से तीन वर्ष के कार्यकाल के लिए भारतीय रिजर्व बैंक का अगला गवर्नर नियुक्त किया है। संजय मल्होत्रा की नियुक्ति आरबीआई के लिए ऐसे महत्वपूर्ण समय पर हुई है, जब अर्थव्यवस्था महत्वपूर्ण चुनौतियों और सुधारों से गुजर रही है।

संजय मल्होत्रा 1990 बैच के राजस्थान कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। वह आईआईटी, कानपुर से कंप्यूटर विज्ञान में इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं और प्रिंसटन विश्वविद्यालय, यूएसए से सार्वजनिक नीति में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। अब तक अपने 33 वर्षों से अधिक के करियर में नेतृत्व और उत्कृष्टता का प्रदर्शन करते हुए, संजय मल्होत्रा ने बिजली, वित्त और कराधान, सूचना प्रौद्योगिकी, खान आदि सहित विविध क्षेत्रों में काम किया है।

अपने पिछले कार्यभार में, उन्होंने भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवा विभाग में सचिव का पद संभाला था। मल्होत्रा को राज्य और केंद्र सरकार में वित्त और कराधान में व्यापक अनुभव है।

मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग और आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव के रूप में काम कर चुके हैं। दास ने आठ केंद्रीय बजटों पर काम किया। वह 15वें वित्त आयोग के सदस्य और G20 में भारत के लिए शेरपा भी थे। दास ने विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, न्यू डेवलपमेंट बैंक और एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक में भारत के वैकल्पिक गवर्नर के रूप में भी भूमिका निभाई। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पिछली बैठक में रिजर्व बैंक ने लगातार 11वीं बार रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा। दास ने द्विमासिक नीति पेश करते हुए कहा था कि आरबीआई का प्रयास मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखना है।
जॉर्ज सोरोस के मुद्दे पर राज्यसभा में जबरदस्त बवाल, सोनिया गांधी के साथ कनेक्शन पर चर्चा की मांग

डेस्क: सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों के बीच सोमवार को राज्यसभा में जबरदस्त हंगामा हुआ। एनडीए ने कांग्रेस पर विदेशी संगठनों के जरिए देश की सरकार और अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने का आरोप लगाया।

बीजेपी ने आरोप लगाया कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का संबंध एक ऐसे संगठन से है, जिसे अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन की ओर से वित्तपोषित किया जाता है, जिसने कश्मीर को भारत से अलग करने के विचार का समर्थन किया है। इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए बीजेपी के नेताओं ने जोरदार नारेबाजी की, जिसकी वजह से राज्यसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दोपहर 3:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

हंगामे के बीच, बीजेपी के नेता जेपी नड्डा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेता विदेशी संगठनों और जॉर्ज सोरोस जैसे उद्योगपतियों के साथ मिलकर देश की सुरक्षा और स्थिरता को खतरे में डाल रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि 'फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पैसेफिक' जैसे संगठन जम्मू-कश्मीर को अलग सत्ता के रूप में देखते हैं और इसका वित्तीय सहयोग राजीव गांधी ट्रस्ट से जुड़ा है।

इसके बाद विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने जेपी नड्डा के आरोपों को पूरी तरह से असत्य करार देते हुए पलटवार किया और कहा कि सत्ताधारी दल के लोग खुद 'गद्दारी' कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी का यह हंगामा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की नीतियों को छिपाने और मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए किया जा रहा है।

सभापति जगदीप धनखड़ ने बार-बार दोनों पक्षों को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन हंगामा जारी रहा। इस बीच, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष के सदस्य जानबूझकर सदन की कार्यवाही को बाधित कर रहे हैं, ताकि अदाणी और जॉर्ज सोरोस जैसे विवादास्पद मुद्दों पर चर्चा से बचा जा सके।
पीएम मोदी आज बीमा सखी योजना शुरू करेंगे, जानें इस स्कीम के बारे में जिसमें महिलाओं को मिलेगा मंथली 7000 रुपये

डेस्क: पीएम मोदी आज पानीपत से बीमा सखी योजना की शुरुआत करेंगे। देशभर की 18-70 वर्ष की आयु की 1 लाख महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए इस स्कीम की शुरुआत की जा रही है। इस स्कीम में 10वीं पास महिलाओं को एलआईसी एजेंट के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा और पहले साल 7000 रुपये का स्टाइफेन दिया जाएगा। वहीं, दूसरे साल 6,000 रुपये और तीसरे साल 5,000 रुपये का मासिक स्टाइफेन दिया जाएगा। इस स्कीम का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देना है।

सरकार ने बीमा सखी योजना के लिए 100 करोड़ की शुरुआती फंडिग दी है। इस योजना का मकसद महिलाओं में वित्तीय साक्षरता लाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनना है। बीमा सखी योजना का प्राथमिक उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को नौकरी के अवसर और फिक्स इनकम सुनिश्चित करना है। इससे ग्रामीण आबादी जहां रोजगार के विकल्प सीमित हैं, उन्हें बेहतर जिंदगी मिल पाएगी।

महिलाओं को वित्तीय रूप से साक्षर और मजबूत बनाने के लिए बीमा सखी योजना के तहत तीन साल स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी। साथ ही महिलाओं को तीन साल तक स्टाइफेन भी दिया जाएगा। आपको बता दें कि ट्रेनिंग के बाद 10वीं पास महिलाएं एलआईसी एजेंट के रूप में काम करेंगी। वहीं, ग्रेजुएट बीमा सखियों को LIC में डेवलपमेंट ऑफिसर की भूमिका में काम करने का भी अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भावी बीमा सखियों को नियुक्ति प्रमाण पत्र भी वितरित करेंगे।
मुख्यमंत्री बनते ही देवेंद्र फडणवीस का बड़ा फैसला, मरीज के इलाज के लिए जारी किया फंड

डेस्क: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को अपना कार्यभार संभालने के बाद पहली बार एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। मुख्यमंत्री ने अस्थि मज्जा प्रतिरोपण के लिए प्रतीक्षा कर रहे एक मरीज को पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। यह सहायता पुणे के निवासी चंद्रकांत कुरहाडे के इलाज के लिए दी गई। चंद्रकांत की पत्नी ने मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद की अपील की थी, जिसे मुख्यमंत्री ने तुरंत स्वीकार किया। देवेंद्र फडणवीस ने मंत्रिमंडल की पहली बैठक की अध्यक्षता करने से पहले इस फाइल पर हस्ताक्षर किए।

वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने राज्य कैबिनेट की बैठक में प्रशासन को और अधिक तेजी एवं जोश के साथ काम करने का निर्देश दिया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अब हमें और अधिक तेजी से काम करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार को अपने फैसलों में गहराई तक जाने की जरूरत है। साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि सतत विकास की दिशा में अच्छे और प्रभावी फैसले लिए जाएं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने गुरुवार शाम शपथ लेने के बाद राज्य सचिवालय 'मंत्रालय' में अपनी नई आधिकारिक जिम्मेदारियां संभाल लीं। फडणवीस राज्य के 20वें मुख्यमंत्री बने हैं और यह उनका तीसरा कार्यकाल है। इस दौरान तीनों नेताओं का मंत्रालय पहुंचने पर पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। फडणवीस, शिंदे और पवार ने राज्य सचिवालय में पहुंचने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज, जीजाबाई, बी आर आंबेडकर और महात्मा फुले की तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस मौके पर महाराष्ट्र की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक भी उपस्थित थीं।

बता दें कि बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के तीनों नेताओं ने आजाद मैदान में एक भव्य समारोह में शपथ ली थी। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, उद्योग जगत के नेता और फिल्मी सितारे भी शामिल हुए थे। मुख्यमंत्री के रूप में फडणवीस का यह तीसरा कार्यकाल है। इससे पहले शंकरराव चव्हाण, विलासराव देशमुख और अशोक चव्हाण ने दो-दो बार मुख्यमंत्री पद संभाला था, जबकि वसंत दादा पाटिल और शरद पवार ने चार-चार बार यह पद संभाला है।