मुख्यमंत्री की पहल पर 700 बिस्तरीय एकीकृत नवीन अस्पताल भवन निर्माण के लिए 231 करोड़ रूपए का ई टेंडर सीजीएमएससी ने किया जारी

रायपुर-  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार की दिशा में लगातार कार्य किया जा रहा है। स्वास्थ्य सुविधाओं में विस्तार के रूप में तरक्की और सुशासन का ये सफर लगातार आगे बढ़ रहा है। इसी कड़ी में रायपुर के मेकाहारा में बढ़ते मरीजों का दबाव कम करने के लिए परिसर में 700 बिस्तरीय एकीकृत नवीन अस्पताल भवन निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है । उल्लेखनीय है कि इस वर्ष के बजट में मेकाहारा परिसर में 700 नवीन एकीकृत अस्पताल का प्रावधान किया था जिसके निर्माण की प्रक्रिया अब शुरू कर दी गयी है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य में इलाज के लिए बेहतर संसाधन उपलब्ध हो सके इसके लिए लगातार पूंजीगत व्यय के निर्णय लिए जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार और नई सुविधाओं के विकास पर विशेष जोर दे रहे है।

मेकाहारा परिसर में 700 बिस्तरीय नवीन एकीकृत अस्पताल भवन के लिए 231 करोड़ रूपए के ई- टेंडर जारी होने पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा है कि राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं का इजाफा करना उनकी पहली प्राथमिकता है। उन्होने कहा है कि इस एकीकृत अस्पताल के निर्माण से मेकाहारा अस्पताल के अतिरिक्त भी लोगों के पास सर्वसुविधा वाला अस्पताल रहेगा। इसमें रायपुर सहित सम्पूर्ण प्रदेश के लोगों को इलाज की बेहतर सुविधा उपलब्ध हो सकेगी और लोगों को ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिलेगा।

ई टेंडर के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी सीजीएमएससी की वेबसाइट www.cgmsc.gov.in पर 10 दिसंबर से उपलब्ध रहेगी। इसके लिए प्री-बिड मीटिंग 19 दिसंबर को सीजीएमएससी मुख्यालय में सुबह 11 बजे होगी। आनलाइन निविदा जमा करने की अंतिम तारीख 2 जनवरी 2025 तक होगी और 6 जनवरी 2025 को यह टेंडर खुलेगा।

डॉ. राकेश गुप्ता के निलंबन पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, पहले की ही तरह बने रहेंगे फार्मेसी काउंसिल के मेंबर…

रायपुर-  छत्तीसगढ़ फार्मेसी काउंसिल के सदस्य के तौर पर डॉ. राकेश गुप्ता को निष्कासित करने के रजिस्ट्रार के फैसले पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. इसके साथ ही न्यायाधीश एमके चंद्रवंशी ने फार्मेसी काउंसिल को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है. 

मामले की सुनवाई जस्टिस एनके चंद्रवंशी के सिंगल बेंच में हुई. याचिकाकर्ता डॉ. राकेश गुप्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट को बताया कि फार्मेसी कौंसिल एक्ट के अनुसार कौंसिल के मेंबर्स को हटाने का अधिकार रजिस्ट्रार को नहीं है. नियमानुसार सामान्य सभा की बैठक बुलानी थी. बैठक में आरोपों को रखा जाता. सामान्य सभा में उपस्थित सदस्यों के फैसले के आधार पर कार्रवाई की जानी थी.

अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट से कहा कि रजिस्ट्रार अश्विनी गुरडेकर ने सामान्य सभा के अधिकारों पर हस्तक्षेप के साथ ही क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर यह आदेश जारी किया है, जो नियमों व निर्देशों के साथ ही फार्मेसी कौंसिल के प्रावधानों के विपरीत है. मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने फार्मेसी कौंसिल रजिस्ट्रार के विवादित आदेश और उसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है.

ऐसे होता है काउंसिल का गठन

फार्मेसी काउंसिल एक्ट में दिए गए प्रावधान के अनुसार, काउंसिल में कुल 15 मेंबर्स होते हैं. इसमें छह इलेक्टेड व छह नॉमिनेटेड मेंबर्स का चयन किया जाता है. कोई भी निर्णय सामान्य सभा की बैठक में बहुमत के आधार पर लिया जाता है.

पुलिस कर्मियों के लिए आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा का बनेगा मजबूत आधार - मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

रायपुर-    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 8 प्रमुख बैंकों के साथ पुलिस सैलरी पैकेज के तहत समझौता (एमओयू) किया है। इस समझौते में भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, कैनरा बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस पहल को पुलिस कर्मियों के लिए सुरक्षा और सहयोग का एक मजबूत आधार बताया। उन्होंने कहा कि यह समझौता पुलिस विभाग के कर्मचारियों के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह समझौता न केवल पुलिस कर्मियों को आर्थिक रूप से सशक्त करेगा, बल्कि उनके परिवारों की आवश्यकताओं को भी पूरा करेगा। यह पहल छत्तीसगढ़ सरकार की सुशासन और पारदर्शिता की नीति को और मजबूत करेगी और पुलिस कर्मियों के कार्यक्षमता और मनोबल में सकारात्मक परिवर्तन लाएगी।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस पहल को पुलिस विभाग के कल्याण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों को यह स्वतंत्रता दी गई है कि वे अपनी सुविधा और आवश्यकता के अनुसार किसी भी बैंक में सैलरी खाता खोल सकते हैं। इसके लिए किसी भी प्रकार की बाध्यता या अतिरिक्त शुल्क नहीं होगा। सभी बैंकों से प्राप्त प्रस्ताव पुलिस इकाइयों को भेजे जाएंगे ताकि पुलिस कर्मी अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सबसे उपयुक्त बैंक का चयन कर सकें। यह समझौता पुलिस कर्मियों और उनके परिवारों के लिए कई लाभ प्रदान करेगा। इसमें सामान्य मृत्यु के मामलों में ₹1 लाख से ₹10 लाख तक की जीवन बीमा राशि, दुर्घटना में मृत्यु के मामलों में ₹10 लाख से ₹1 करोड़ तक की सहायता, स्थायी विकलांगता के मामलों में ₹30 लाख से ₹1 करोड़ तक और आंशिक विकलांगता के लिए ₹22.5 लाख से ₹1 करोड़ तक की बीमा राशि का प्रावधान शामिल है। बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए ₹4 लाख से ₹20 लाख तक और कन्या विवाह के लिए ₹5 लाख से ₹10 लाख तक की आर्थिक सहायता उपलब्ध होगी। नक्सल हिंसा में शहीद होने वाले पुलिस कर्मियों के परिवारों के लिए ₹10 लाख से ₹50 लाख तक की सहायता राशि प्रदान की जाएगी।

आत्मरक्षा प्रशिक्षण की राशि का बंदरबाट! : कलेक्टर, कमिश्नर से शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं, युवक ने अब प्रभारी मंत्री से की शिकायत…

मुंगेली-  विष्णु के सुशासन में कर्राटे प्रशिक्षित एक शिकायतकर्ता पिछले कई महीने से ऐसा कोई मंगलवार नही होगा, जब वह कलेक्ट्रेट नहीं पहुंचता होगा. मामला रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण की राशि मे बन्दरबांट से जुड़ा है. ये मामला इसलिए भी गम्भीर हो जाता है, क्योंकि शिक्षा विभाग से जुड़ा मसला है और यह विभाग अभी मुख्यमंत्री के पास है. मामला डिप्टी सीएम अरुण साव और केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू के गृह जिले का है. इसके बावजूद मुंगेली जिले में शिक्षा विभाग के अफसर जांच-जांच का खेल खेल रहे हैं. मामले की शिकायत कलेक्टर और कमीश्नर से की गई है. इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है. शिकायतकर्ता युवक ने अब मामले की शिकायत प्रभारी मंत्री से की और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है. इस पर मंत्री लखन लाल देवांगन ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

शिकायतकर्ता चैतराम साहू का आरोप और शिकायत है कि इसमें स्कूली बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाले गंभीर किस्म के प्रशिक्षण को शिक्षा विभाग के अफसरों और कर्मचारियों ने कमाई का जरिया बना लिया. यही वजह है कि विभाग के लापरवाह जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के चलते इसको लेकर न मॉनिटरिंग की गई और न ही मॉनिटरिंग दल का गठन किया गया. प्रशिक्षकों के चयन को लेकर भी गाइडलाइन को दरकिनार कर जमकर मनमानी की गई. हैरत की बात तो ये है कि ज्यादातर स्कूलों में शिक्षकों ने खुद को प्रशिक्षक बताकर न सिर्फ प्रशिक्षण दिया बल्कि राशि भी ले लिया. यही नहीं, प्रशिक्षकों को नियमानुसार PFMS पोर्टल के माध्यम से प्रशिक्षण की राशि का भुगतान किया जाना था, इसमें भी नगद भुगतान कर जमकर खेला किया गया।

प्रभारी मंत्री ने क्या कहा…

कलेक्टर राहुल देव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के निर्देश दिए थे, जिसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर इस मामले की जांच एक APC स्तर के अधिकारी ने की, लेकिन जांच प्रकिया पूर्ण हो जाने के बावजूद इस मामले में शिक्षा विभाग के उच्च अफसरों ने कार्रवाई करने में कोई रुचि नहीं दिखाई. इसके विपरीत अभी भी जांच-जांच के खेल में मामला उलझा है और ठंडे बस्ते में पड़ा है, जबकि कलेक्टर ने मामले में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे. शिकायतकर्ता का कहना है कि लगता है कलेक्टर को शिक्षा विभाग के अफसरों ने गुमराह कर दिया है, क्योंकि यदि जांच सही हुई और कार्रवाई भी हुई तो शिक्षा विभाग के ही अफसर जद में आ जाएंगे. शिकायत कर्ता चैतराम साहू का कहना कि अब उन्होंने जिले के प्रभारी मंत्री लखनलाल देवांगन को ज्ञापन देकर इस मामले में कार्रवाई की मांग की है. इस पर मंत्री ने जांच करवाकर दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

जानिए पूरा मामला

शिकायतकर्ता चैतराम साहू ने पूर्व में कलेक्टर से शिकायत करते हुए कहा था कि पथरिया विकासखंड के जिन स्कूलों में बालिकाओं को रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाना था, उन स्कूलों में प्रशिक्षण के नाम पर शासकीय राशि का जमकर बंदरबांट किया गया है. वहीं शिकायत में यह भी कहा गया था कि प्रशिक्षण के नाम पर खानापूर्ति करते हुए स्कूल शिक्षकों ने ही प्रशिक्षण दे दिया है, जबकि इसके लिए जुडो, कर्राटे, ताइक्वांडो, किक बॉक्सिंग, मार्शल आर्ट जैसे अन्य विधाओं में पारंगत खिलाड़ी या प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाना था. शिकायतकर्ता का कहना है कि सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के मुताबिक, पथरिया विकासखंड के कई स्कूलों में बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिए जाने के नाम पर भुगतान किया गया है. कायदे से जारी गाइडलाइन के मुताबिक प्रति स्कूल 15 हजार रुपए की राशि प्रशिक्षकों को PFMS पोर्टल के माध्यम से प्रधानपाठक या प्राचार्य द्वारा दिया जाना था, लेकिन नियम विपरीत स्कूल के प्राचार्य और प्रधानपाठकों ने सीधे प्रशिक्षक को नगद भुगतान कर दिया है.

मनमानी और राशि बंदरबांट के लिए जिम्मेदार कौन ?

शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की मनमानी और उदासीन रवैय्ये के चलते इसे लेकर मॉनिटरिंग भी नहीं करने की बात सामने आई है. यही वजह है कि कई स्कूलों में आज तक प्रशिक्षण भी नहीं हुआ है और जहां हुआ भी है उनमें से कई स्कूलों में गाइडलाइन से परे प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण देकर नियम विरुद्ध तरीके से राशि आहरण कर लिया गया है. कई स्कूलों में तो प्रशिक्षण हुआ भी है तो प्रशिक्षकों को स्वीकृत राशि से कम भुगतान किया गया है.

दोषियों को बचाने किसका सरंक्षण ?

शिकायतकर्ता ने सवाल उठाया है कि नियम विरुद्ध स्कूल शिक्षकों ने शाला अवकाश के बाद प्रशिक्षण लेने की बात कहते हुए स्कूलों में प्रशिक्षण दिया है और फिर नियम विरुद्ध तरीके से प्रधानपाठक एवं प्राचार्यों ने भुगतान किया है. यह मनमर्जी जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता और मॉनिटरिंग नहीं करने की वजह से निर्मित हुई है तो फिर आत्मरक्षा प्रशिक्षण का जिम्मा और बालिका शिक्षा का शाखा संभालने वाले शिक्षा विभाग के अफसरों पर कार्रवाई आखिर किसके संरक्षण की वजह से नहीं हो रहा है ?

जिम्मेदार अफसर की उदासीनता या साठगांठ ?

प्रशिक्षकों के चयन को लेकर आत्मरक्षा प्रशिक्षण का जिम्मा संभाल रहे शिक्षा विभाग के अफसर को जिला स्तर पर चयन टीम बनाना था, जिस पर कलेक्टर के अनुमोदन के पश्चात ही प्रशिक्षकों का चयन होता. फिर उन्हें स्कूलों का प्रशिक्षण के लिए आबंटित किया जाता, लेकिन नियम कायदों को दरकिनार कर बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने जैसे महत्वपूर्ण प्रशिक्षण का कार्य शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही के चलते मजाक बन गया, क्योंकि जिम्मेदारों ने प्रशिक्षण को लेकर न मॉनिटरिंग की और न ही मॉनिटरिंग दल का गठन किया गया. ऐसे में शिकायतकर्ता ने सवाल उठाया है कि क्या इसमें शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अफसर का भी साठगांठ है ? इधर अब कार्रवाई नहीं होते देख शिकायतकर्ता ने आंदोलन करने की बात कही है.

छत्तीसगढ़ में हुआ राष्ट्रीय परख सर्वेक्षण- 81 हजार से अधिक छात्रों की दक्षताओं का हुआ समग्र मूल्यांकन

रायपुर-    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर केन्द्र शासन द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 छत्तीसगढ़ में भी लागू किया जा चुका है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत देश भर में एक साथ राष्ट्रीय परख सर्वेक्षण 2024 का आयोजन किया गया। छत्तीसगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय परख सर्वेक्षण 2024 में कक्षा तीसरी, छठवीं और नवमी की 3409 स्कूल से 81 हजार 179 विद्यार्थियों की दक्षताओं का समग्र मूल्यांकन किया गया।

इस परख सर्वेक्षण का उद्देश्य छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन के साथ-साथ शिक्षकों, स्कूलों और पूरी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता का आकलन करना है। यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों के अनुरूप छात्रों की बुनियादी और मध्य स्तर की क्षमताओं का आकलन करता है। प्राप्त परिणामों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर राज्यों की शैक्षणिक गुणवत्ता की रैंकिंग की जाएगी।

छत्तीसगढ़ में किए गए सर्वेक्षण में कक्षा तीसरी के 1199 स्कूलों का सर्वेक्षण किया गया, जिसमें कुल 24 हजार 379 विद्यार्थी शामिल हुए। इसी प्रकार कक्षा छठवीं के 1065 स्कूल से 25 हजार 665 विद्यार्थी और कक्षा नवमी के 1145 स्कूल से 31 हजार 135 विद्यार्थी शामिल हुए। इस प्रकार कुल 3409 स्कूलों से कुल 81 हजार 179 विद्यार्थी परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 में शामिल हुए।

गौरतलब है कि इस बार परख (PARAKH- प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा एवं समग्र विकास के लिए ज्ञान का विश्लेषण) नाम दिया गया। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य बच्चों के समग्र शैक्षणिक प्रदर्शन का मूल्यांकन करना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत छात्रों के मूल्यांकन से संबंधित मापदंड स्थापित करना है। इस बार सर्वेक्षण कक्षा तीसरी, छठवीं और नवमी के छात्रों पर केंद्रित रहा, जो उनके पिछले कक्षाओं में अर्जित दक्षताओं पर आधारित था। परीक्षा में प्रश्न ओएमआर शीट के माध्यम से बहुविकल्पीय प्रारूप में रखा गया था।

महिला समेत सात नक्सलियों के समर्पण पर सीएम का ट्वीट, लिखा- सुशासन बना नक्सली हिंसा का जवाब

रायपुर-  छत्तीसगढ़ के सुकमा में गुरुवार को एक महिला समेत 7 नक्सलियों ने समर्पण किया है. छत्तीसगढ़ सरकार ने क्सलवाद के खिलाफ इस सफलता को लेकर अपने सोशल मीडिया में ट्वीट किया है. ट्वीट में लिखा है कि सुशासन नक्सलियों के हिंसा का जवाब बना है. शासन की योजनाओं से प्रभावित होकर सुकमा में एक महिला समेत 7 नक्सलियों ने सुरक्षा बल के जवानों के सामने भारी मात्रा में गोला-बारूद के साथ आत्मसमर्पण किया है. उन्हें पुनर्वास नीति के तहत सुविधाएं दी जाएंगी.

बता दें, छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव और लगातार हो रहे एनकाउंटर के चलते नक्सल संगठन कमजोर पड़ रहे हैं. हाल के महीनों में कई नक्सली नेता और मिलिशिया के सदस्य मारे गए हैं। इसी दबाव के कारण अब बड़ी संख्या में नक्सली हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण कर रहे हैं.

सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने माओवादी संगठन पर भेदभाव और अत्याचार करने का आरोप लगाया है. उन्होंने समाज की मुख्यधारा में लौटने और एक बेहतर जीवन जीने की इच्छा जाहिर की है।

देखें ट्वीट:

सरेंडर करने वाले नक्सली

- माड़वी राजू: मेहता आरपीसी के मिलिशिया सदस्य

- माड़वी देवा

- सुन्नम वेंकटेश

- कवासी हड़मा

- सोड़ी गंगा

- सोड़ी सुखमती: मंडीमरका आरपीसी की मेडिकल सदस्य

- ओयम एंका: जोन्नुगड़ा आरपीसी डीएकेएमएस सदस्य

DMF घोटाला : ठेकेदार मनोज द्विवेदी को ED ने किया गिरफ्तार, निलंबित IAS रानू साहू से जुड़ा है मामला…

रायपुर-  छत्तीसगढ़ के डीएमएफ घोटाले मामलें में शुक्रवार को ई़डी ने बड़ी कार्रवाई की है. निलंबित आईएएस रानू साहू और माया वारियर के करीबी DMF वेंडर मनोज कुमार द्विवेदी को ED ने गिरफ्तार कर लिया है.

मिली जानकारी के अनुसार, DMF वेंडर मनोज कुमार द्विवेदी ने काम दिलाने के नाम पर दूसरे ठेकेदारों से करीब 11 से 12 करोड़ रुपए की वसूली की. जिसके बाद इन पैसों को माया वारियर के जरिए रानू साहू तक पहुंचाने का आरोप है. जांच में ये भी सामने आया है कि मनोज कुमार द्विवेदी खुद उदगम सेवा समिति के नाम से NGO का संचालन करता है. DMF का काम दिलाने के नाम पर वसूली गई रकम में से मनोज कुमार द्विवेदी पर करोड़ों रुपए कमाने का भी आरोप है.

जानिए क्या है DMF घोटाला

जानकारी के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकाल कर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमित की गई है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया है.

पद का गलत इस्तेमाल

जांच रिपोर्ट में यह पाया गया है कि टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में इसके लिए दिया गया है। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है। ED ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि IAS अफसर रानू साहू और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने-अपने पद का गलत इस्तेमाल किया था.

पहले ही हो चुकी है माया वारियर की गिरफ़्तारी

रानू साहू जून 2021 से जून 2022 तक कोरबा में कलेक्टर थीं। इसके बाद फरवरी 2023 तक वह रायगढ़ की भी कलेक्टर रहीं। इस दौरान माया वारियर भी कोरबा में पदस्थ थीं। DMF की बड़ी राशि आदिवासी विकास विभाग को प्रदान की गई थी, जिसमें घोटाले का आरोप है। इसका प्रमाण मिलने के बाद ED ने माया वारियर की गिरफ्तार किया था.

बस्तर ओलंपिक्स के समापन पर शामिल होंगे गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दिया न्यौता…

रायपुर-  बस्तर ओलंपिक्स के समापन समारोह में शामिल होने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 14 दिसंबर को छत्तीसगढ़ आएंगे. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बताया कि केंद्रीय मंत्री को आयोजन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है. 

दिल्ली और महाराष्ट्र दौरे से लौटे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मीडिया से चर्चा में नक्सली हमले में जवान के शहीद होने और भाजपा सरपंच को मारे जाने पर कहा कि मजबूती के साथ लड़ाई लड़ी जा रही है, जिसकी वजह से नक्सलियों में बौखलाहट है.

वहीं सरकार के गठन को 13 दिसंबर को एक साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सरकार के गठन को एक साल पूरे होंगे. जो काम जनता के लिए किए हैं, उसकी रिपोर्ट जनता को सौंपेंगे.

23 साल बाद परिवार को मिले लूटे गए आभूषण, हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने की कार्रवाई

गरियाबंद-    छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में 23 साल के लंबे इंतजार और हाईकोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद, आखिरकार देवभोग पुलिस ने 2001 की बड़ी डकैती में लूटे गए सोने-चांदी के आभूषणों को उनके असली मालिक, उरमाल निवासी ओमप्रकाश गोयल के परिवार को सौंप दिया. देवभोग पुलिस ने परिवार और उनके अधिवक्ता ऋषभ अवस्थी की मौजूदगी में जप्त सामग्री को खोला. डकैती के आभूषणों का मिलान करने में पुलिस को 6 घंटे लग गए, जिसमें लूटे गए 15 किलो चांदी और 700 ग्राम सोने के 35 प्रकार के जेवर हैं. इसकी कीमत आज से 23 साल पहले 20 लाख थी.

बता दें, साल 2001 में हुी यह डकैती अविभाजित रायपुर जिले की उस समय की सबसे बड़ी डकैती थी, जिसे शांतिसीलो गैंग ने अंजाम दिया था. इस मामले में पुलिस ने गैंग के 16 सदस्यों को गिरफ्तार किया था, जिनमें गैंग लीडर कैलाश कच्छिम, हरा जानी, मनीराम, और श्यामसुंदर शामिल थे. डकैती में शामिल सभी आरोपियों को निचली अदालत ने सजा सुनाई थी, लेकिन आरोपी हाईकोर्ट में अपील पर चले गए. इसके चलते बरामद आभूषणों की सुपुर्दगी का मामला लंबित हो गया.

थाना प्रभारी गौतम गावड़े ने इस पूरी प्रक्रिया को न्यायालयीन आदेश का पालन बताया. उन्होंने पुष्टि की कि सभी आभूषण विधिवत रूप से परिवार को दो दिन पहले सौंप दिया गया है.

गाड़ी पलटने से दो महिला सहित तीन सवारों की मौत, दो गंभीर, टायर फटने से हुआ हादसा…

सूरजपुर-  सूरजपुर में नेशनल हाइवे 43 पर देर रात भीषण सड़क हादसा हुआ, जिसमें दो महिला समेत तीन सवारों की मौत हो गई. वहीं दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल दो सवारों को अंबिकापुर रिफर किया गया है.

जानकारी के अनुसार, स्कॉर्पियो सवार सात लोग अंबिकापुर से मनेंद्रगढ़ एक शादी समारोह में गए हुए थे, जहां से देर रात वापस अंबिकापुर लौटते समय चंदरपुर के पास टायर फटने से वाहन पलट गई. घटना में दो महिला और एक युवक की मौके पर मौत हो गई, वहीं दो घायलों को जिला अस्पताल लाया गया है. डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर रूप से घायल 2 लोगों को अंबिकापुर रेफर कर दिया है.

प्रत्यक्षदर्शी सुखलाल ने बताया कि रात करीब 3 बजे तेज आवाज सुनकर वहां पहुंचा तो देखा गाड़ी के चोरों चक्के ऊपर हैं, और लोग अंदर फंसे हुए हैं. लोगों की मदद से हमने सभी को बाहर निकला और एंबुलेंस बुलाकर अस्पताल भेजा. कोतवाली पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है.