जनता तक पहुंचा निमंत्रण, राजघाट पर शुक्रवार को होगा राम विवाह
वी कुमार यदुवंशी
आजमगढ़। आसपास के लोगों में विवाह का निमंत्रण बांटा गया, तो दूसरी ओर अखंड रामायण पाठ के समापन के बाद हवन और भंडारे का आयोजन किया। भतवान के रूप में आयोजित भंडारे में संतों ने प्रसाद ग्रहण कर राम नाम का जयघोष किया। विवाह के लिए मंडप तैयार किए जा रहे थे, तो महिलाएं मंगल गीत गा रही थीं।
मौका था श्रीराम विवाहोत्सव की पूर्व संध्या का। शहर से सटे राजघाट श्मशान पर हर बार की तरह से इस बार भी शुक्रवार को श्रीराम के साथ जानकी का विवाह संपन्न होगा और मेले का आयोजन किया जाएगा। राम विवाह के उपलक्ष्य में बुधवार की शाम अखंड रामायण पाठ शुरू किया गया। गुरुवार को समापन के बाद हवन किया गया।
इस बार भी कुछ विशेष कारणों से एक दिन पहले निकलने वाली राम बरात का आयोजन स्थगित कर दिया गया। फिर भी उत्साह में कोई कमी नहीं दिखी। शुक्रवार को पहले की तरह से राम-सीता के विवाह की रस्म पूरी की जाएगी। महिलाएं मंगल गीत का गान करेंगी, तो दूसरे दिन खिचड़ी की रस्म पूरी की जाएगी।
शहर से सटे राजघाट श्मशान पर सैकड़ों वर्षों से श्रीराम-जानकी विवाहोत्सव के साथ मेले का आयोजन किया जाता है। मेले की खासियत यह कि यहां कृष्ण और बलदाऊ की बाल रूप की प्रतिमाओं की बिक्री होती है। मेले में पहुंचने वाले तमसा नदी में स्नान के बाद संतों की समाधि पर कच्ची खिचड़ी चढ़ाते हैं और दर्शन-पूजन के बाद मेले का आनंद लेते हैं। शहर व आसपास के लोगों की मान्यता है कि कृष्ण और बलदाऊ की प्रतिमा को साल भर घर में रखकर पूजा करने से सुख-समृद्धि मिलती है।
राजघाट कुटी के महंत ने बताया कि यहां के पहले महंत बाबा कबीर दास थे, जिनकी समाधि पर लोग कच्ची खिचड़ी चढ़ाते हैं। यहां के मेले के बाद से ही गोविद साहब का मेला शुरू होता है।
Dec 05 2024, 19:35