असम में गोमांस पर बैन:होटल-रेस्टोरेंट या किसी भी सार्वजनिक स्थानों पर नहीं परोसा जाएगा बीफ

#assam_beef_ban

असम की हिमंता बिस्वा सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने राज्य के गोमांस पर बैन लगाया दिया है।असम के किसी भी होटल या रेस्टोरेंट में अब बीफ नहीं परोसा जा सकेगा। यही नहीं, किसी भी तरह के पब्लिक फंक्शन में भी बीफ की डिशेज नहीं सर्व की जा सकेंगी। सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने बुधवार को इस बाबत प्रतिबंधों की घोषणा की।

सरमा ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि 'पहले हमारा फैसला मंदिरों के पास गोमांस खाने पर रोक लगाने का था, लेकिन अब हमने इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया है। यानी आप किसी भी सामुदायिक स्थान, सार्वजनिक स्थान, होटल या रेस्तरां में गोमांस नहीं खा सकेंगे।'

सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि असम में गो-हत्या रोकने के लिए हम 3 साल पहले कानून लाए थे. इस कानून से हमें गो-हत्या के खिलाफ काफी सफलता मिली है. अब हमने फैसला लिया है कि राज्य में किसी होटल, रेस्टोरेंट या सार्वजनिक स्थान पर बीफ नहीं परोसा जाएगा. पहले हमारा फैसला था कि किसी मंदिर के 5 किलोमीटर दायरे तक गोमांस नहीं परोसा जाएगा। सरमा ने कहा, 'हमने फैसला किया है कि किसी भी रेस्तरां या होटल में गोमांस नहीं परोसा जाएगा। इसलिए आज से हमने होटलों, रेस्तरां और सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस की खपत को पूरी तरह से बंद करने का फैसला किया है।

हिमंता बिस्वा सरमा के इस फैसले के बाद सरकार में मंत्री पीजूष हजारिका ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने असम कांग्रेस को चैलेंज किया है। हजारिका ने कहा,मैं असम कांग्रेस को चुनौती देता हूं कि वो गोमांस प्रतिबंध का स्वागत करे या फिर पाकिस्तान जाकर बस जाए।

असम सरकार का ये फैसला उस वक्त आया है जब राज्य में गोमांस को लेकर सियासत तेज है। दरअसल, कांग्रेस सांसद रकीबुल हुसैन ने आरोप लगाया था कि नगांव जिले के सामगुरी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी कार्यकर्ताओं की ओर से बीफ पार्टी का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा था कि इसका मकसद मुस्लिम मतदाताओं को रिझाना था। सामगुरी सीट पर उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान हुआ था। 23 नवंबर को रिजल्ट आने के बाद कांग्रेस की हार पर सांसद रकीबुल हुसैन ने भाजपा पर बीफ बांटने का आरोप लगाया था।

सरमा ने इन आरोपों पर कहा था कि रकीबुल हुसैन ने एक अच्छी बात कही है कि बीफ खाना गलत बात है।सीएम ने सोमवार को कहा था, मैं रकीबुल हुसैन से जानना चाहता हूं कि बीफ पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार किया कि बीफ खाना गलत है, तो ऐसी स्थिति में इस पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, मैं अब रकीबुल हुसैन के बयान को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेन बोरा को पत्र लिखूंगा और उनसे पुछूंगा कि क्या वो भी रकीबुल हुसैन की तरह बीफ पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करते हैं।

दादा को अनुभव है शाम और सुबह भी लेने का, जब शपथ लेने को लेकर शिंदे ने ली अजित पवार की चुटकी

#maharashtra_deputy_cm_eknath_shinde_ajit_pawars_reply_funny_moment

महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस कल शपथ लेंगे। हालांकि, एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होंगे या नहीं इसपर संशय बना हुआ है। उन्होंने कहा है कि कल तक का इंतजार करो। इससे पहले आज महायुति के नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया है। वहीं इसके बाद महायुति के तीनों नेताओं (एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें एकनाथ शिंदे और अजित पवार एक-दूसरे के बयानों पर मजाकिया अंदाज में चुटकी लेते नजर आए हैं।

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद फडणवीस, शिंदे और पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। फडणवीस और शिंदे दोनों ने कहा कि कितने और कौन-कौन मंत्री शपथ लेंगे, इसकी जानकारी दे दी जाएगी। शपथ ग्रहण का कार्यक्रम कल 5:30 बजे आजाद मैदान में होगा। फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में यह कार्यक्रम होगा।

मीडिया ने सवाल पूछा कि शिंदे और पवार डिप्टी सीएम की शपथ लेंगे? इस सवाल के जवाब में एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह सब आपको बुधवार शाम तक पता चल जाएगा। तभी अजित पवार बीच में बोलते हैं कि शाम तक उनका समझ में आएगा, मैं तो शपथ लेने वाला हूं। जिसके बाद राजभवन में ठहाके लगे। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने मजाकिया लहजे में यह भी कहा कि दादा को सुबह और शाम कभी भी शपथ ले सकते हैं।अजित दादा को दिन में और शाम को शपथ लेने का अनुभव है। जिसपर पवार ने कहा कि पहले तो सुबह शपथ ले ली थी, तो कुछ रह गया था इसलिए अब शाम को शपथ लेंगे मजबूती के साथ।

यह सुनते ही पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार फिर हंसी गूंज उठी। शिंदे का यह बयान पिछले सियासी घटनाक्रम की ओर इशारा था, जब 2019 में अजित पवार ने सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। लेकिन उसी शाम वे महाविकास अघाड़ी में शामिल हो गए थे और सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे ने किया था।

दादा को अनुभव है शाम और सुबह भी लेने का, जब शपथ लेने को लेकर शिंदे ने ली अजित पवार की चुटकी

#maharashtra_deputy_cm_eknath_shinde_ajit_pawars_reply_funny_moment 

महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस कल शपथ लेंगे। हालांकि, एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होंगे या नहीं इसपर संशय बना हुआ है। उन्होंने कहा है कि कल तक का इंतजार करो। इससे पहले आज महायुति के नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया है। वहीं इसके बाद महायुति के तीनों नेताओं (एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें एकनाथ शिंदे और अजित पवार एक-दूसरे के बयानों पर मजाकिया अंदाज में चुटकी लेते नजर आए हैं।

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद फडणवीस, शिंदे और पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। फडणवीस और शिंदे दोनों ने कहा कि कितने और कौन-कौन मंत्री शपथ लेंगे, इसकी जानकारी दे दी जाएगी। शपथ ग्रहण का कार्यक्रम कल 5:30 बजे आजाद मैदान में होगा। फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में यह कार्यक्रम होगा।

मीडिया ने सवाल पूछा कि शिंदे और पवार डिप्टी सीएम की शपथ लेंगे? इस सवाल के जवाब में एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह सब आपको बुधवार शाम तक पता चल जाएगा। तभी अजित पवार बीच में बोलते हैं कि शाम तक उनका समझ में आएगा, मैं तो शपथ लेने वाला हूं। जिसके बाद राजभवन में ठहाके लगे। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने मजाकिया लहजे में यह भी कहा कि दादा को सुबह और शाम कभी भी शपथ ले सकते हैं।अजित दादा को दिन में और शाम को शपथ लेने का अनुभव है। जिसपर पवार ने कहा कि पहले तो सुबह शपथ ले ली थी, तो कुछ रह गया था इसलिए अब शाम को शपथ लेंगे मजबूती के साथ।

यह सुनते ही पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार फिर हंसी गूंज उठी। शिंदे का यह बयान पिछले सियासी घटनाक्रम की ओर इशारा था, जब 2019 में अजित पवार ने सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। लेकिन उसी शाम वे महाविकास अघाड़ी में शामिल हो गए थे और सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे ने किया था।

देवेन्द्र फडणवीस ने पेश किया सरकार बनाने का दावा, डिप्टी सीएम पद पर एकनाथ शिंदे ने नहीं खोले पत्ते

#mahayuti_presented_claim_to_form_government_in_raj_bhavan

महाराष्ट्र में सीएम पद और सरकार गठन को लेकर चल रहा इंतजार बुधवार को खत्म हो गया।देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे। बुधवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक में देवेन्द्र फडणवीस को नेता चुन लिया गया। जिसके बाद महायुति (बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की पार्टी एनसीपी) के नेताओं ने बुधवार को सरकार बनाने का दावा पेश किया। देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने राजभवन में राज्यपाल को विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा। इस दौरान राज्य के लिए पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और विजय रूपाणी भी मौजूद रहे। देवेंद्र फडणवीस पांच दिसंबर को महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेंगे।

राज्यपाल से मुलाकात के बाद भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमने राज्यपाल से मुलाकात की और राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए समर्थन पत्र सौंपा। हमारे गठबंधन सहयोगी शिवसेना और एनसीपी ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि मुझे महायुति के सीएम के रूप में शपथ दिलाई जाए। राज्यपाल ने सभी अनुरोध स्वीकार कर लिए हैं और हमें कल शाम 5.30 बजे शपथ समारोह के लिए आमंत्रित किया है। शपथ ग्रहण समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। शपथ ग्रहण समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी शामिल होंगे।

इससे पहले विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद महाराष्ट्र के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को नई सरकार के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि असली संघर्ष लोगों की उम्मीदों को पूरा करने में है। गुरुवार को शपथ ग्रहण समारोह से पहले राज्य भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में चुने जाने के बाद बोलते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन पर भरोसा जताने के लिए धन्यवाद दिया।

दक्षिण कोरिया में भारी विरोध के बाद हटाया गया मार्शल लॉ. जाने क्या है पूरा मामला

#south_korea_president_yoon_suk_lifts_martial_law_order_after_heavy_pressure

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने मंगलवार को देश के विपक्ष पर संसद को नियंत्रित करने, उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और सरकार को राज्य विरोधी गतिविधियों से पंगु बनाने का आरोप लगाते हुए साउथ कोरिया में आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की थी। हालांकि, कुछ ही घंटों के भीतर मार्शन लॉ हटा लिया गया। यह फैसला संसद के भारी विरोध और वोटिंग के बाद लिया गया। वोटिंग में 300 में से 190 सांसदों ने सर्वसम्मति से मार्शल लॉ को स्वीकार करने के लिए मना कर दिया। मार्शल लॉ के ऐलान के बाद वहां की जनता भी सड़को पर उतर आई। आर्मी के टैंक सियोल की गलियों में घूमने लगे। हालांकि कि बिगड़ते हालातों और लगातार बढ़ते विरोध के कारण राष्ट्रपति ने अपना फैसला वापस ले लिया।

इससे पहले मंगलवार रात को राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में सरकार को कमजोर करने के विपक्ष के प्रयासों का जिक्र किया और कहा कि 'तबाही मचाने वाली देश विरोधी ताकतों को कुचलने के लिए मार्शल लॉ की घोषणा करते हैं।' राष्ट्रपति ने टीवी पर प्रसारित बयान में बताया कि देश को उत्तर कोरिया और देश विरोधी ताकतों से खतरा है। टीवी पर एक संबोधन में उन्होंने विपक्षी दलों पर सरकार को पंगु बनाने, उत्तर कोरिया के प्रति सहानुभूति रखने और संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए ‘इमरजेंसी मार्शल लॉ’ की घोषणा की थी।

राष्ट्रपति यून ने अपने संबोधन में कहा कि देश को उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों और देश विरोधी तत्वों से बचाने के लिए यह कदम उठाना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि देश की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा के लिए यह फैसला लिया गया है। यह घोषणा उस समय हुई जब उनके सत्तारूढ़ दल पीपुल्स पावर पार्टी और विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच अगले साल के बजट को लेकर तीखा विवाद चल रहा था। मार्शल लॉ का अर्थ था कि देश अस्थायी तौर पर सेना के नियंत्रण में चला गया।

हालांकि विपक्ष का आरोप है कि अपनी राजनीति परेशानियों के चलते राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगाने का फैसला किया था। विपक्षी नेता ली जे-म्यांग ने यून की घोषणा को ‘अवैध और असंवैधानिक’ करार दिया।

इधर, राष्ट्रपति ने जैसे ही मार्शल लॉ लगाने का एलान किया, वैसे ही हजारों की संख्या में लोग दक्षिण कोरिया की सड़कों पर निकल आए और राजधानी सियोल में संसद के बाहर लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई। मार्शल लॉ लगते ही सैन्य बल संसद में दाखिल हो गए और संसद के बाहर पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प शुरू हो गई। वहीं पुलिस को संसद में दाखिल होने से रोकने के लिए सांसद भी पुलिसकर्मियों से भिड़ गए। भारी विरोध के चलते राष्ट्रपति ने हार मान ली और कुछ ही घंटे बाद संसद में हुए मतदान को स्वीकार करते हुए मार्शल लॉ का आदेश वापस ले लिया।

भारत ने संयुक्‍त राष्‍ट्र में फिलिस्तीन का किया समर्थन, इजराइल के खिलाफ दिया वोट

#india_votes_in_favour_of_unga_resolution_on_palestine 

भारत ने फिलिस्तीन के मुद्दे पर अपने पुराने रुख को बरकरार रखा। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में इजराइल के खिलाफ लाए गए एक प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग की है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें पूर्वी यरुशलम सहित 1967 से कब्जाए गए फिलिस्तीनी क्षेत्र से इजराइल से वापस जाने का आह्वान किया गया है तथा पश्चिम एशिया में व्यापक, न्यायपूर्ण और स्थायी शांति प्राप्त करने के आह्वान को दोहराया गया है।

यह प्रस्ताव "फिलिस्तीन के सवाल का शांतिपूर्ण समाधान" शीर्षक से पेश किया गया था, जिसे सेनेगल ने प्रस्तावित किया। इसे 157 देशों का समर्थन मिला, जबकि 8 देशों - इजराइल, अमेरिका, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, अर्जेंटीना और हंगरी ने इसका विरोध किया। कई देशों ने मतदान से दूरी बनाई, जिनमें यूक्रेन, जॉर्जिया और चेकिया शामिल हैं। 

यूएन में पेश हुए इस प्रस्ताव में मांग की गई कि इजराइल 1967 से कब्जाई गए फिलिस्तीन के क्षेत्र, जिसमें पूर्वी यरुशलम का हिस्सा भी शामिल है को खाली करे। प्रस्ताव में फिलिस्तीन के लोगों के अधिकारों, खासकर उनके आत्मनिर्णय के अधिकारों और स्वतंत्र शासन का समर्थन किया गया। इस प्रस्ताव के तहत यूएन महासभा ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत इजराइल-फलस्तीन के बीच दो शासन से जुड़े हल (टू स्टेट सॉल्यूशन) का समर्थन किया। इसके तहत दोनों देशों के 1967 से पहले वाली सीमा के आधार पर शांति-सुरक्षा के साथ रहने की वकालत की जाती है।

प्रस्ताव में गाजा पट्टी में जनसांख्यिकीय या क्षेत्रीय परिवर्तन के किसी भी प्रयास को अस्वीकार कर दिया गया, जिसमें गाजा के क्षेत्र को सीमित करने वाली कोई भी कार्रवाई शामिल है। प्रस्ताव में इस बात पर भी जोर दिया गया कि गाजा पट्टी 1967 में कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र का एक अभिन्न हिस्सा है और यह ‘द्वि-राष्ट्र समाधान के दृष्टिकोण की पुष्टि करता है, जिसमें गाजा पट्टी फिलिस्तीन का हिस्सा होगी।’

संयुक्त राष्ट्र लंबे समय से इजराइल से फिलिस्तीनी क्षेत्रों को छोड़ने की मांग करता रहा है। यह विवाद दशकों पुराना है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के बीच विभाजन का कारण बना हुआ है। हालांकि, अमेरिका जैसे देश इस तरह के प्रस्तावों का विरोध करते रहे हैं और इजराइल का समर्थन करते हैं।

निर्मला सीतारमण ने क्यों कहा 'तमिलनाडु में हिंदी पढ़ना गुनाह'?

#nirmala_sitharaman_on_situation_of_hindi_in_tamil_nadu 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में मंगलवार को बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा के दौरान बड़ी बात कही। बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पर लोकसभा में गरमागरम बहस के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा कि तमिलनाडु में हिंदी पढ़ना गुनाह लगता है। दरअसल वो कहना चाह रहीं थीं कि तमिलनाडु में “हिंदी पढ़ना गुनाह है।”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में वित्त मंत्री बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक पर चर्चा का जवाब दे रही थीं। इस दौरान उन्होंने सपा के सदस्य राजीव रॉय द्वारा उन्हें लिखे गए एक पत्र का जिक्र करते हुए हिंदी में कुछ कह रही थीं। तभी एक शब्द पर अटकने पर उन्होंने कहा कि मेरी हिंदी भाषा इतनी अच्छी नहीं है। इस पर कुछ सदस्यों ने उनका विरोध किया। वित्त मंत्री पर आरोप लगाया गया कि वो हिंदी का मजाक बना रही हैं।

इस पर वित्त मंत्री ने कहा, मैं अपनी हिंदी का मजाक बना रही हूं। क्योंकि मैं एक ऐसे राज्य से आती हूं जहां हिंदी पढ़ना गुनाह लगता है। इसलिए मुझे बचपन से हिंदी पढ़ने से रोका गया।

निर्मला सीतारमण तमिलनाडु से आती हैं। ऐसे में वहां की द्रविड़ मुनेत्र कषगम पार्टी के नेताओं ने उनके बयान का विरोध किया। इस पर उन्होंने कहा, जब मैं कहती हूं कि (तमिलनाडु का) माहौल हिंदी सीखने के अनुकूल नहीं था तो ये मैं राज्य में अपने निजी अनुभव से कहती हूं। मेरा अपना अनुभव है कि स्कूल से अलग जब मैंने हिंदी सीखी तो तमिलनाडु की सड़कों पर मेरा मजाक उड़ाया गया। ये मेरा अपना अनुभव है।

उन्होंने द्रमुक सांसदों को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘‘वे हिंदी को थोपने के खिलाफ हैं, मैं उसका समर्थन करती हूं। किसी पर कुछ भी नहीं थोपा जाना चाहिए।''लेकिन मुझ पर हिंदी नहीं सीखने का दबाव क्यों डाला गया। मैं जो भाषा सीखना चाहूं, सीख सकती हूं।'

सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत' की बात करते हैं और सभी राज्यों को उनकी भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसी उच्च शिक्षा भी स्थानीय भाषाओं में दी जानी चाहिए। इसलिए मुझे कहते हुए प्रसन्नता हो रही है कि आज तमिलनाडु में भी मेडिकल शिक्षा तमिल में प्राप्त की जा सकती है।''

सीतारमण ने कहा कि मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो तमिल भाषा को संयुक्त राष्ट्र में ले गए, वह बार-बार अपने भाषणों में तमिल कवियों के उद्धरण का उल्लेख करते हैं क्योंकि वह उस भाषा का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘द्रमुक के गठबंधन सहयोगी दलों से बने एक प्रधानमंत्री का नाम बताएं जिन्होंने तमिल कवियों को उद्धृत किया। हमारे प्रधानमंत्री (मोदी) ने किया।''

मुख्यमंत्री के लिए नाम तय होते ही फडणवीस की पहली प्रतिक्रिया, बोले- 'एक हैं तो सेफ हैं' के नारे को जनता सही साबित किया

#maharashtra_new_cm_devendra_fadnavis_first_statement 

महाराष्ट्र को आखिरकार नया मुख्यमंत्री मिल गया। 23 तारीख को आए विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद लगातार सीएम के नाम पर सस्पेंस बना हुआ था। आखिरकार बुधवार को हुई बीजेपी विदायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस का नाम फाइनल हो गया। इसके साथ ये भी साफ हो गया कि वह राज्य के नए मुख्यमंत्री भी होंगे। फडणवीस गुरुवार शाम को सीएम पद की शपथ लेंगे। भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में सर्वसम्मति से चुने जाने के बाद फडणवीस ने दल के सभी सदस्यों का आभार जताया। साथ ही छत्रपति शिवाजी, अटल बिहारी वाजपेयी और अहिल्याबाई होल्कर को याद किया।

देवेंद्र फडणवीस ने विधायक दल का नेता चुनने के बाद कहा कि मैं उन सबका धन्यवाद करता हूं जिन्होंने मेरा समर्थन किया। महाराष्ट्र में हमें ऐतिहासिक जीत मिली। इस चुनाव में एक बात तो बता दी एक हैं तो सेफ हैं। हमें एकतरफा जीत देने के लिए में जनता का शुक्रिया करता हूं। उन्होंने आगे कहा, 'हमने हरियाणा के साथ अपनी जीत का सिलसिला फिर से शुरू किया है और अब महाराष्ट्र ने ऐसा प्रचंड जनादेश दिया है कि मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं के सामने पूरी तरह से नतमस्तक हूं। 

अपने संबोधन में फडणवीस ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को विशेष धन्यवाद जो इस पूरी प्रक्रिया के दौरान पूरे दिल से हमारे साथ रहे। आरपीआई नेता रामदास अठावले और सभी सहयोगी दलों को हृदय से धन्यवाद।

फडणवीस ने कहा, 'हमें गर्व है कि 2019 के बाद एक भी विधायक ने हमें नहीं छोड़ा और सभी एक साथ रहे और हमने 2022 में सरकार बनाई। आज भी महायुति को ऐतिहासिक जनादेश मिला है। मोदी जी लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बने हैं। मैंने वार्ड स्तर के नेता के रूप में शुरुआत की थी और अब मैं तीसरी बार मुख्यमंत्री भी बन गया हूं। पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों ने चुनावों के दौरान महाराष्ट्र भाजपा को भारी समर्थन और बढ़ावा दिया है।'

बता दें कि बुधवार को हुई विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फणडवीस को नेता चुना गया। देवेंद्र फणडवीस के नाम का प्रस्ताव चंद्रकांत पाटिल ने रखा। दूसरा प्रस्ताव सुधीर मुनगंटीवार ने रखा। इसके बाद पंकजा मुंडे, प्रवीण दरेकर, रवींद्र चव्हाण, संजय कुंटे, पूर्व मंत्री विधायक अशोक उईके, मेघना बोर्डिकर, योगेश सागर, संभाजी पाटिल नीलंगेकर, गोपीचंद पड़लकर, आशीष शेलार ने समर्थन किया। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को हुए चुनाव में भाजपा ने भारी सफलता हासिल की और राज्य की 288 विधानसभा सीट में से 132 सीट हासिल की, जो राज्य में उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। अपने सहयोगियों एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ, भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति के पास 230 सीट का भारी बहुमत है।

केंद्र से क्यों नाराज हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कहा- किया गया वादा क्यों नहीं निभाया?

#vicepresidentjagdeepdhankharangryontheissueof_farmers

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किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर एक बार फिर सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है। दरअसल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी किसानों के समर्थन में आए। किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है। उन्होंने कहा, 'मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। हम किसान को पुरस्कृत करने की बजाय, उसका सही हक भी नहीं दे रहे हैं।'

मुंबई में एक कार्यक्रम में मंगलवार को जगदीप धनखड़ ने कहा कि जिनको गले लगाना है, उनको दुत्कारा नहीं जा सकता। मेरे कठोर शब्द हैं। कई बार गंभीर बीमारी के इलाज के लिए कड़वी दवाई पीनी पड़ती है। मैं किसान भाइयों से आह्वान करता हूं कि मेरी बात सुनें, समझें। आप अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। राजनीति को प्रभावित करते हैं। भारत की विकास यात्रा के आप महत्वपूर्ण अंग हैं। सामाजिक समरसता की मिसाल हैं। बातचीत के लिए आपको भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्या हम किसान और सरकार के बीच एक सीमा बना सकते हैं? मुझे समझ में नहीं आता कि किसानों के साथ कोई बातचीत क्यों नहीं हो रही है। मेरी चिंता यह है कि यह पहल अब तक क्यों नहीं हुई।

जगदीप धनखड के तीखे सवाल

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने किसानों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा,'कृषि मंत्री जी एक एक पल आपका भारी है। मेरा आपसे आग्रह है, भारत के सिद्धांत के तहत दूसरे पद विराजमान व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है। कृप्या करके मुझे बताइए क्या किसान से वादा किया गया था और किया हुआ वादा क्यों नहीं निभाया गया।' जगदीप धनखड़ यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा,'किसानों से किया गया वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन था और इस वर्ष भी आंदोलन है। काल चक्र घूम रहा है और हम कुछ कर नहीं रहे हैं।'

हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है-धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'ये समय मेरे लिए कष्टदायक है क्योंकि मैं राष्ट्रधर्म से ओतप्रोत हूं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था, दुनिया में हमारी साख पहले कभी इतनी नहीं थी, भारत का पीएम आज विश्व के शीर्ष नेताओं में गिना जाता है, जब ऐसा कोहरा है तो मेरा किसान परेशान क्यों है? ये बहुत गहराई का मुद्दा है। इसको हल्के में लेने का मतलब है कि हम प्रैक्टिकल नहीं हैं। हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है। कौन हैं वो लोग जो किसानों को कहते हैं कि उसके उत्पाद का उचित मूल्य दे देंगे? मुझे समझ नहीं आता कि कोई पहाड़ गिरेगा। किसान अकेला है, जो असहाय है। '

कांग्रेस ने जताई खुशी

इस मामले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने खुशी जताई है, उन्होंने कहा कि जिन मामलों पर उपराष्ट्रपति ने सवाल किए हैं, यही मामले हमारी पार्टी और राहुल गांधी पिछले 5 सालों से उठा रहे हैं।कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि हम उपराष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, उन्होंने आगे कहा कि वे राज्यसभा के संरक्षक और संविधान के रक्षक हैं। उन्होंने कृषि मंत्री से जो सवाल पूछा, कांग्रेस पार्टी भी पिछले 4-5 साल से वही सवाल प्रधानमंत्री से पूछ रही है। हम इसी बात पर चर्चा चाहते हैं, और हमने इसके लिए नोटिस भी दिया है, हमें खुशी है कि उपराष्ट्रपति ने ये सवाल पूछा है।

केंद्र से क्यों नाराज हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कहा- किया गया वादा क्यों नहीं निभाया?

#vice_president_jagdeep_dhankhar_angry_on_the_issue_of_farmers

किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर एक बार फिर सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है। दरअसल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी किसानों के समर्थन में आए। किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है। उन्होंने कहा, 'मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। हम किसान को पुरस्कृत करने की बजाय, उसका सही हक भी नहीं दे रहे हैं।'

मुंबई में एक कार्यक्रम में मंगलवार को जगदीप धनखड़ ने कहा कि जिनको गले लगाना है, उनको दुत्कारा नहीं जा सकता। मेरे कठोर शब्द हैं। कई बार गंभीर बीमारी के इलाज के लिए कड़वी दवाई पीनी पड़ती है। मैं किसान भाइयों से आह्वान करता हूं कि मेरी बात सुनें, समझें। आप अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। राजनीति को प्रभावित करते हैं। भारत की विकास यात्रा के आप महत्वपूर्ण अंग हैं। सामाजिक समरसता की मिसाल हैं। बातचीत के लिए आपको भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्या हम किसान और सरकार के बीच एक सीमा बना सकते हैं? मुझे समझ में नहीं आता कि किसानों के साथ कोई बातचीत क्यों नहीं हो रही है। मेरी चिंता यह है कि यह पहल अब तक क्यों नहीं हुई।

जगदीप धनखड के तीखे सवाल

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने किसानों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा,'कृषि मंत्री जी एक एक पल आपका भारी है। मेरा आपसे आग्रह है, भारत के सिद्धांत के तहत दूसरे पद विराजमान व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है। कृप्या करके मुझे बताइए क्या किसान से वादा किया गया था और किया हुआ वादा क्यों नहीं निभाया गया।' जगदीप धनखड़ यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा,'किसानों से किया गया वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन था और इस वर्ष भी आंदोलन है। काल चक्र घूम रहा है और हम कुछ कर नहीं रहे हैं।'

हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है-धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'ये समय मेरे लिए कष्टदायक है क्योंकि मैं राष्ट्रधर्म से ओतप्रोत हूं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था, दुनिया में हमारी साख पहले कभी इतनी नहीं थी, भारत का पीएम आज विश्व के शीर्ष नेताओं में गिना जाता है, जब ऐसा कोहरा है तो मेरा किसान परेशान क्यों है? ये बहुत गहराई का मुद्दा है। इसको हल्के में लेने का मतलब है कि हम प्रैक्टिकल नहीं हैं। हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है। कौन हैं वो लोग जो किसानों को कहते हैं कि उसके उत्पाद का उचित मूल्य दे देंगे? मुझे समझ नहीं आता कि कोई पहाड़ गिरेगा। किसान अकेला है, जो असहाय है। '

कांग्रेस ने जताई खुशी

इस मामले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने खुशी जताई है, उन्होंने कहा कि जिन मामलों पर उपराष्ट्रपति ने सवाल किए हैं, यही मामले हमारी पार्टी और राहुल गांधी पिछले 5 सालों से उठा रहे हैं।कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि हम उपराष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, उन्होंने आगे कहा कि वे राज्यसभा के संरक्षक और संविधान के रक्षक हैं। उन्होंने कृषि मंत्री से जो सवाल पूछा, कांग्रेस पार्टी भी पिछले 4-5 साल से वही सवाल प्रधानमंत्री से पूछ रही है। हम इसी बात पर चर्चा चाहते हैं, और हमने इसके लिए नोटिस भी दिया है, हमें खुशी है कि उपराष्ट्रपति ने ये सवाल पूछा है।