जीबीएम कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा संविधान दिवस पर एक-दिवसीय व्याख्यान का हुआ आयोजन
गया। गौतम बुद्ध महिला कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग, आईक्यूएसी एवं एनएसएस इकाई के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय संविधान दिवस के सुअवसर पर "भारतीय संविधान के 75 वर्ष : मूलभूत मूल्यों का महत्व" विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसका संयोजन राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष-सह-नैक समन्वयक डॉ. शगुफ्ता अंसारी ने किया।
व्याख्यान का शुभारंभ कॉलेज के प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ. सहदेब बाउरी, मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित केन्द्रीय विश्वविद्यालय साउथ बिहार, गया के सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सुमित कुमार पाठक, कॉलेज की रसायनशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. अफशां सुरैया, राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शगुफ्ता अंसारी, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी, एनएसएस पदाधिकारी डॉ. प्रियंका कुमारी एवं अन्य प्रोफेसरों ने दीप प्रज्ज्वलन करके किया। तत्पश्चात डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी के नेतृत्व में छात्रा हर्षिता मिश्रा, अन्या एवं जाह्नवी ने महाविद्यालय कुलगीत एवं स्वागत गीत की सुमधुर प्रस्तुति दी।
प्रभारी प्रधानाचार्य ने मुख्य वक्ता का स्वागत अंगवस्त्र तथा पौधा प्रधान करके किया। 75वें संविधान दिवस पर सभी को शुभकामनाएँ देते हुए प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ. सहदेब बाउरी ने भारतीय संविधान निर्माण की प्रक्रिया एवं महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. बाउरी ने कहा कि भारतीय संविधान समाज में नागरिकों की समानता और स्वतंत्रता को बनाये रखने के लिए बहुत जरूरी है। डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्ति "जब तक मनुज, मनुज का यह सुखभाग नहीं सम होगा, शमित न होगा कोलाहल, संघर्ष नहीं कम न होगा" द्वारा विविधताओं के मध्य सामन्जस्य एवं समन्वयन बनाये रखने में भारतीय संविधान की भूमिका पर अपने विचार रखे।
उन्होंने "एकता, स्वतंत्रता, समानता रहे, देश में चरित्र की महानता रहे..." एकता गीत की प्रस्तुति द्वारा भारतीय संविधान के समन्वित सौंदर्य को चित्रित किया। तत्पश्चात कार्यक्रम संयोजक डॉ. शगुफ्ता अंसारी ने विषय पर बिंदुवार विचार रखते हुए कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना उन मार्गदर्शक सिद्धांतों और आकांक्षाओं का प्रतीक है, जिनपर राष्ट्र की स्थापना हुई थी। तत्पश्चात डॉ. शगुफ्ता ने मुख्य वक्ता डॉ. सुमित कुमार पाठक की शैक्षणिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। "भारतीय संविधान के 75 वर्ष : मूलभूत मूल्यों का महत्व" विषय पर अपने विचार रखते हुए डॉ सुमित कुमार पाठक ने भारतीय संविधान को संप्रभु बताया। कहा कि संविधान भारत की वह लक्ष्मण-रेखा है, जिसका उल्लंघन कोई नहीं कर सकता है। संविधान जीवन जीने का मार्ग है।
संविधान का आशय ही है समान विधान, जिसकी दृष्टि में देश के सभी लोग समान महत्व रखते हैं। संविधान की प्रस्तावना का "हम भारत के लोग" से प्रारंभ होना ही भारत में नागरिकों को सर्वोपरि बनाता है। संविधान निर्माण के समय समाज के सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व का अनिवार्य रूप से ध्यान रखा गया। संविधान को भारतीय नागरिकों एवं जनमानस का संबल, विश्वास, तथा चिरप्रतीक्षित सपना ठहराते हुए डॉ. पाठक ने कहा कि संविधान को पढ़ने तथा समझने से अधिक अपने दैनिक जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है। डॉ. पाठक ने न्यायपालिका को संविधान का संरक्षक, अभिभावक एवं व्याख्या करने वाला अंग बतलाया। समाज में गतिशीलता एवं परिवर्तन के अनुरूप संविधान में जनता की मांगों के अनुरूप परिवर्तन होना भी जरूरी है।
कार्यक्रम का संचालन करती हुई छात्रा श्रुति ने संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा तथा सभी ने संविधान की गरिमा अक्षुण्ण रखने हेतु शपथ ली। संविधान दिवस समारोह में छात्रा दीपशिखा मिश्रा, शैली पाठक, नैना कुमारी, मानसी, मिली राज, नंदनी कुमारी, श्रेया मिश्रा, सोनाली कुमारी, श्वेता कुमारी, गीतांजलि, अनीषा, लवली कुमारी रिशु, हर्षिता मिश्रा, अंजली, अनुराधा कुमारी, आकृति सिंह, अल्का कुमारी, जाह्नवी ने भारत के विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों, वेश-भूषा, परिधान-सज्जा एवं क्षेत्रीय भाषाओं की रंग-बिरंगी झांकी प्रस्तुत करते हुए अनेकता में एकता की अनुपम झलकियाँ प्रस्तुत कीं। छात्रा रिशु, शैली पाठक, सोनाली, दीपशिखा, श्रेया, गीतांजलि आदि ने "जय संविधान" गीत पर मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी। डॉ प्रियंका कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए निर्दिष्ट विषय पर एक अत्यंत सारगर्भित एवं सूचनाप्रद व्याख्यान देने हेतु समस्त महाविद्यालय परिवार की ओर से डॉ सुमित कुमार पाठक के प्रति हार्दिक आभार प्रकट किया।
Nov 27 2024, 14:43