रुदौली नगर में तीन स्थानों पर चल रही है श्रीमद्भागवत कथा
रुदौली अयोध्या ।रुदौली नगर में तीन स्थानों में चल रही श्रीमद् भागवत कथा की त्रिवेणी में श्रोता गोता लगाकर अपने जीवन को कृतार्थ कर रहे हैं । नगर के स्टेशन मार्ग काजीपुरा में राम कुमार कसौधन श्याम जी कसौधन के आयोजन में हो रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास रोहित मिश्रा जी महाराज ने कहा कि मनुष्य को अपनी इच्छाओं को वश में रखना चाहिए, यदि इच्छाओं पर मनुष्य ने नियंत्रण कर लिया तो वही सच्चा योगी है , सांसारिक मोह माया को त्याग कर जो प्राणी सत्य एवं धर्माचरण करता है वही जन्म ,मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है। सर्वे भवन्तु सुखिना की भावना की से ईश्वर की आराधना में लीन होने वाले मनुष्य को सच्चे ईश्वर की प्राप्ति होती। कथा व्यास ने कहा कि मनुष्य को जन्म से मृत्यु तक किस प्रकार धर्माचरण का पालन करना चाहिए यह हमारे ग्रंथ सिखाते है ।
डाक बंगले रुदौली में घनश्याम यादव एवं राजकुमारी यादव द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास आलोकानंद जी महाराज ने कथा सुनाते हुए कहा राजा दशरथ को पुत्र की कामना के लिए पुत्रेष्ठ यज्ञ करना । मातृ पितृ भक्त श्रवण कुमार के माता पिता के श्राप के कारण राजा दशरथ को पुत्र का वियोग सहना पड़ा । कृष्ण जी के जन्म के समय बासुदेव देवकी को जेल की यातना सहनी पड़ी ।
कथा व्यास ने कहा कि सुखदेव महाराज ने राजा परीक्षित को श्रीमद् भागवत कथा सुना कर उनका जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त कराया हरि अनंत हरि कथा अनंता । व्यास जी ने राजा उग्रसेन के नौ पुत्र पांच पुत्री के बारे में बताते हुए कहा कि पवन रेखा और महाराज उग्र सेन के पुत्र कंस जन्म काल से ही बहुत उद्दंड, अत्याचारी था अपने पिता को बंदी बनाकर राज्य पर कब्जा कर धर्माचरण बंद कर कर साधु संतों का उत्पीड़न, गौ हत्या करता था जिससे श्री कृष्ण जी ने उनका वध किया । तीसरी कथा अमानीगंज मार्ग मोहल्ला मलिक ज्यादा में श्रीमती कांति देवी संतोष कुमार कसौधन के आयोजन में कथा व्यास जी ने कहा की नारी हम सभी लोगों के लिए आदर्श एवं नर की जन्मदात्री है सबको नारियों का पूरा सम्मान करना चाहिए नारी के सम्मान न करने से बहुत बड़ा अनर्थ हुआ था। द्रोपदी के अपमान से महा भयंकर युद्ध हुआ जिसकी परिणति में हजारों लोग मारे गए। व्यास जी ने श्रीमद् भागवत कथा के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा श्री कृष्ण जी का जन्म अष्टमी की तिथि में हुआ उसे समय पूर्ण रूप से अंधेरा था आकाश में बादल गरज रहे थे ईश्वरी प्रेरणा से ही वासुदेव जी महाराज ने नवजात श्री कृष्ण जी को नंद के घर पहुंचा और वहीं पर उनका लालन-पालन हुआ बाल्यावस्था से युवावस्था तक श्री कृष्ण जी ने तमाम राक्षसों का संघार किया अंत में कंस का वध कर धर्म की रक्षा की ।
Nov 18 2024, 19:54