पुलिस मुठभेड़ में तीन बदमाशों को पैर में गोली मारकर दबोचा

डेस्क:–प्रॉपर्टी डीलर नेहाल सिंह हत्याकांड में शामिल बदमाशों से देर रात पुलिस का एनकाउंटर हो गया। तीन बदमाशों को पैर में गोली लगने के बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें महर्षि देवराहा बाबा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया । चिकित्सकों ने हालत नाजुक देख तीनों को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया ।

सुरौली थाना क्षेत्र में जद्दु परसिया के पास मुख्य मार्ग पर बीते 0 7 नवंबर को प्रॉपर्टी डीलर नेहाल सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर मामले की जाँच शुरू कर दी थी ।

नेहाल सिंह के हत्या के बाद हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग को ले कर बीते मंगलवार को दिन में करणी सेना ने प्रदर्शन किया था।

मंगलवार की देर रात मुखबिर की सूचना पर सुरौली थाना क्षेत्र के कोइलगढ़हा ठाकुर देवा पुल के पास तीन युवको से मुठभेड़ में पुलिस ने हत्याकांड में शामिल आलोक कुमार राजभर पुत्र राम किशुन राजभर निवासी नई खास थाना सुरौली जनपद देवरिया और बृजेश गोस्वामी पुत्र विरेन्द्र गोस्वामी निवासी बेलाड़ाड़, थाना गगहा, गोरखपुर व अमन गिरी पुत्र राजेश गिरी निवासी कहला, थाना गगहा, जनपद गोरखपुर को गिरफ्तार कर लिया। तीनों बदमाशों के पैर में गोली लगने पर महर्षि देवराहा बाबा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया ।

बदमाशों के पास से एक पिस्टल, दो तमंचे और एक मोटर साइकिल बरामद किया ।अभियुक्तों ने बताया कि पुरानी रंजिश में उन्होंने हत्या की थी।

अपर पुलिस अधीक्षक दक्षिण सुनील कुमार सिंह ने बताया कि बीते दिन हत्या के मामले में तीनों वाछित थे । पुलिस से मुठभेड़ में तीनों को गोली लगने से घायल हो गए ।

साक्षी मलिक की कहानी एक नहीं, बल्कि कई कहानियों की गूंज है उनकी किताब “Witness Sakshi Malik”
डेस्क:–साक्षी मलिक की कहानी एक नहीं, बल्कि कई कहानियों की गूंज है। उनकी किताब “Witness Sakshi Malik” में उन्होंने अपने दर्द, संघर्ष और उस जज्बे का विस्तार से वर्णन किया है जिसने उन्हें न केवल अपने लिए, बल्कि उन तमाम बेटियों के लिए खड़ा होने की हिम्मत दी जो कभी-कभी अपनी आवाज भी खो बैठती हैं। यह किताब एक गवाही है—साक्षी की गवाही, समाज के उस हिस्से की गवाही जो अपनी आँखें बंद किए हुए है और उस न्याय व्यवस्था की गवाही जो असहाय सी प्रतीत होती है।

*अध्याय 1: एक सपने की शुरुआत*

पहले अध्याय में साक्षी ने अपने खेल के सफर की शुरुआत का ज़िक्र किया है। वह कहती हैं, “बचपन से मेरा सपना था कि मैं अपने देश के लिए ओलंपिक में मैडल जीतूं। मेरे माता-पिता ने मुझे हर कदम पर प्रोत्साहित किया, लेकिन जब मैं बड़ा हो रही थी, तो समाज ने हमेशा मुझे इस सफर के लिए कमजोर बताया।”

साक्षी का कहना है कि खेल की दुनिया में कदम रखते ही उन्होंने अपने इरादों को मजबूत किया और उस वक्त को भी याद किया जब उन्होंने पहली बार अपने परिवार का सिर गर्व से ऊंचा किया। उन्होंने बताया कि एक खिलाड़ी के तौर पर उनके लिए मेहनत और संघर्ष के मायने क्या हैं और कैसे उनकी सफलता का सपना न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए था।

*अध्याय 2: एक कड़वा अनुभव*

साक्षी के सफर का सबसे कठिन और दिल को झकझोर देने वाला हिस्सा तब आया जब उन्हें अपने एक वरिष्ठ के द्वारा मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। इस अध्याय में उन्होंने बृजभूषण शरण सिंह का नाम लिया, एक ऐसा नाम जो भारतीय कुश्ती में बड़ी जगह रखता है, परंतु साक्षी के लिए यह नाम एक दर्दनाक याद बन गया। वह कहती हैं, “जब मैंने सोचा कि मुझे इस खेल में आदर्श मिल चुका है, उसी वक्त मुझे एहसास हुआ कि मेरे साथ विश्वासघात हुआ है। उन्होंने मेरी मासूमियत का फायदा उठाया।”

साक्षी के शब्दों में एक मजबूती थी। उन्होंने बताया कि कैसे इस अनुभव ने उनके अंदर एक अलग ही तरह की शक्ति जगाई। वह कहती हैं, “मैंने खुद से वादा किया था कि मैं अब चुप नहीं रहूंगी। जो कुछ भी मेरे साथ हुआ, मैं उसकी सच्चाई दुनिया के सामने लाकर रहूंगी।”

*अध्याय 3: संघर्ष का सफर*

साक्षी ने अपनी किताब के तीसरे अध्याय में उस मानसिक और भावनात्मक दबाव का वर्णन किया जो उन्हें समाज से मिला। समाज की खामोशी और अपनी आवाज के समर्थन में खड़े होने वाले लोगों की कमी से वह बेहद अकेला महसूस कर रही थीं। “हर एक रात एक लड़ाई बन गई थी। मुझे सपने आते थे, जिनमें मैं अपने ही दर्द से घिरी होती थी। लेकिन हर बार एक ही विचार आता, कि अगर मैं आज हार गई, तो मेरे जैसी बहुत सारी लड़कियां भी हार जाएंगी।”

इस अध्याय में साक्षी ने बताया कि कैसे उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों का सामना किया, कैसे उन्हें कमजोर करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी।

*अध्याय 4: कानून का सहारा*

किताब के इस हिस्से में साक्षी ने अपने केस को लेकर कानून की सहायता लेने का अनुभव साझा किया है। वह कहती हैं, “मैंने सोचा था कि न्याय व्यवस्था मेरे साथ खड़ी होगी, परंतु यह एक अलग ही दुनिया थी। मैंने कई बार अपने केस को रद्द करवाने की धमकियाँ सुनीं, मुझे कमजोर करने के लिए मुझ पर आरोप लगाए गए, लेकिन मैंने ठान लिया था कि अब पीछे नहीं हटूंगी।”

उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अपने वकीलों की मदद से केस को आगे बढ़ाया और समाज से समर्थन की अपील की। साक्षी के अनुसार, यह उनकी ज़िंदगी का सबसे कठिन दौर था, लेकिन वह इसे जीतने का हौसला कभी नहीं खो पाईं।

अध्याय 5: समाज का जागना

इस अध्याय में साक्षी ने उस बदलाव का वर्णन किया जो उनके केस ने समाज में लाया। उनकी आवाज कई लड़कियों के लिए एक प्रेरणा बनी, जो अपने अधिकारों के लिए खड़ी होना चाहती थीं। वह कहती हैं, “जब मैं न्याय के लिए खड़ी हुई, तो मैंने महसूस किया कि यह सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि उन तमाम लड़कियों की लड़ाई थी जो रोज अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करती हैं। मैंने इस किताब को उन सभी के लिए लिखा है जो अपनी आवाज उठाना चाहती हैं।”

साक्षी ने बताया कि उनका मकसद केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज में एक ऐसी जागरूकता लाना है कि कोई भी लड़की अपने अधिकारों के लिए संघर्ष से पीछे न हटे।

*अध्याय 6: बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लड़ाई का आखिरी मोर्चा*

इस अध्याय में साक्षी ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अपने संघर्ष का अंतिम मोर्चा दिखाया। उन्होंने लिखा, “मैंने सोचा था कि उनके खिलाफ लड़ाई मुश्किल होगी, लेकिन मैंने कभी हार मानने का विचार भी नहीं किया। जब उन्होंने मुझसे मेरा आत्म-सम्मान छीनने की कोशिश की, तभी मैंने ठान लिया था कि अब इस अत्याचार का अंत करना होगा।”

साक्षी का कहना है कि इस लड़ाई के दौरान उन्हें कई तरह की धमकियाँ मिलीं, परंतु उन्होंने हर बार अपने मन में एक दृढ़ता महसूस की। यह उनका सम्मान और अस्तित्व की लड़ाई थी, और उन्होंने इसे अंजाम तक पहुँचाने की ठान ली थी।

*अध्याय 7: समाज के लिए एक नई शुरुआत*

साक्षी के अनुसार, यह संघर्ष केवल उनके लिए नहीं था, बल्कि उस समाज के लिए भी था जो महिलाओं को कमजोर मानता है। उन्होंने लिखा, “मेरी यह लड़ाई किसी एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं है, बल्कि उस मानसिकता के खिलाफ है जो महिलाओं को कमजोर समझती है। मैं चाहती हूँ कि मेरा उदाहरण हर लड़की के लिए प्रेरणा बने, ताकि वह अपने सम्मान और आत्म-सम्मान के लिए खड़ी हो सके।”

*समाज को संदेश*

किताब का अंतिम हिस्सा समाज के नाम एक संदेश है। साक्षी ने लिखा, “अगर हम समाज में बदलाव चाहते हैं, तो हमें खुद खड़े होना पड़ेगा। यह जरूरी नहीं कि हमें लड़ाई केवल अपने लिए लड़नी है, बल्कि हमें उन सभी के लिए लड़नी है जो अपने अधिकारों के लिए आवाज नहीं उठा पाते। मेरी यह कहानी हर उस लड़की के लिए है जो अपने अधिकारों के लिए खड़ी होना चाहती है।”

Witness Sakshi Malik एक ऐसी किताब है जिसने समाज को झकझोर कर रख दिया है। साक्षी के संघर्ष की यह गवाही उस हर एक लड़की के लिए है जो अपने सम्मान और आत्म-सम्मान की रक्षा करना चाहती है। यह कहानी उन सबके लिए है, जो अपने हक के लिए लड़ना चाहते हैं और उन सबके लिए जो यह मानते हैं कि न्याय और समानता का अधिकार हर किसी का है।

अब समय आ गया है कि समाज अपनी आँखें खोले और हर बेटी के हक में खड़ा हो।
कटेहरी उपचुनाव में राजनीतिक सरगर्मी तेज,नेताओं का आवागमन जारी

डेस्क:–उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले के कटेहरी विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। आगामी 20 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव और अखिलेश यादव समेत अन्य बड़े नेता अपनी-अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में जनसभाएं करने जा रहे हैं।

कटेहरी उपचुनाव में पार्टी को जीत दिलाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बार फिर कटेहरी में अपनी ताकत दिखाने वाले हैं। सूत्रों के अनुसार, सीएम योगी आदित्यनाथ 16 या 17 नवंबर को कटेहरी आएंगे और एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। यह उनके दौरे का अंतिम कार्यक्रम होगा, जो चुनावी प्रचार के लिहाज से अहम साबित हो सकता है। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने कटेहरी में विकास कार्यों की समीक्षा की थी और चुनावी तैयारियों के संदर्भ में स्थानीय नेताओं से मुलाकात भी की थी। वे पहले ही एक जनसभा में कटेहरी बाजार पहुंचे थे और हीड़ी पकड़िया में भी उन्होंने जनसभा की थी।

14 नवंबर को उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य भी कटेहरी पहुंचेगे। वे नाऊसांडा स्थित जयराम वर्मा इंटर कॉलेज में कार्यकर्ता बैठक करेंगे और जनसभा को संबोधित करेंगे। इस दौरे से भाजपा को चुनावी प्रचार में और मजबूती मिल सकती है।

समाजवादी पार्टी भी कटेहरी उपचुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी के महासचिव और प्रमुख नेता शिवपाल यादव 14 नवंबर को कटेहरी पहुंचेंगे और जनसभा करेंगे। इसके बाद, 17 नवंबर को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कटेहरी में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। सपा ने इस उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकी है और पार्टी के नेता चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। शिवपाल यादव, अखिलेश यादव के साथ-साथ सपा के अन्य नेता जैसे प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल, विधायक सुधाकर सिंह और एमएलसी रामदुलार राजभर भी कटेहरी में सक्रिय हैं और पार्टी प्रचार में सहयोग कर रहे हैं।

आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद भी कटेहरी उपचुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रहे हैं। वे पार्टी के उम्मीदवार राजेश गौतम के समर्थन में 13 नवंबर को कटेहरी पहुंचेंगे। रामदेव जनता इंटर कॉलेज के खेल मैदान में आयोजित जनसभा में चंद्रशेखर आजाद सुबह 11 बजे पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों से संवाद करेंगे। इस जनसभा के लिए पार्टी ने पूरी तैयारी कर ली है।

कटेहरी उपचुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल काफी गर्म है और सभी प्रमुख दल अपनी-अपनी स्थिति को मजबूत करने में जुटे हैं। आगामी कुछ दिनों में, सीएम योगी, डिप्टी सीएम केशव मौर्य, शिवपाल यादव, अखिलेश यादव और चंद्रशेखर आजाद के प्रचार के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि कटेहरी की जनता किस पार्टी को अपना समर्थन देती है।
एक बड़े हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बची वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन


डेस्क:–वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन एक बड़े हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बची। ट्रेन के सामने अचानक एक जानवर आ गया, जिससे ट्रेन के आगे के हिस्से में गंभीर क्षति हुई, लेकिन ट्रेन की कुशल चालक दल ने स्थिति को संभाल लिया और बड़ा हादसा टल गया। यह घटना आगरा जिले के छलेसर-एत्मादपुर रेलखंड के बीच घटी, जब वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन वाराणसी से आगरा जा रही थी।

वंदे भारत एक्सप्रेस, जो कि उच्च गति वाली ट्रेन है, आगरा की ओर जा रही थी, जब अचानक ट्रेन के सामने एक जानवर आ गया। जानवर के टकराने से ट्रेन के आगे का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। हालांकि, ट्रेन की गति को नियंत्रित करने में चालक दल ने सफलतापूर्वक अपनी भूमिका निभाई, जिससे एक बड़ी दुर्घटना होने से बच गई।

जानवर से टकराने के बाद ट्रेन की गति में अचानक बदलाव आया और यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। कुछ यात्री घबराहट में चिल्लाए, लेकिन समय रहते ट्रेन को रोक लिया गया और दुर्घटना को नियंत्रित किया गया। यात्री थोड़ी देर के लिए घबराए हुए थे, लेकिन किसी प्रकार की गंभीर चोट की खबर नहीं आई है।

यह हादसा आगरा जिले के छलेसर और एत्मादपुर स्टेशन के बीच हुआ। इस इलाके में अक्सर जानवर रेलवे ट्रैक पर आते रहते हैं, जो हादसों का कारण बन सकते हैं। इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए रेलवे अधिकारियों को सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है।

जानवर के टकराने से ट्रेन के सामने वाले हिस्से में मामूली क्षति हुई। हालांकि ट्रेन में लगे अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों ने हादसे को और बड़ा होने से रोका। ट्रेन में यात्रा कर रहे यात्री पूरी तरह सुरक्षित हैं, और राहत की बात यह है कि जानवर की भी मौके पर मृत्यु हो गई।

इस हादसे के बाद रेलवे अधिकारियों ने स्थिति का जायजा लिया और ट्रेन की स्थिति को सुधारा। अधिकारियों ने यह भी कहा कि रेलवे ट्रैक के आसपास जानवरों की मौजूदगी को नियंत्रित करने के लिए अधिक सख्त उपाय किए जाएंगे ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
Motorola जल्द ही मार्केट में लॉन्च करेगा नया फोल्डेबल स्मार्टफोन, लाइनअप में Motorola Razr 50s Ultra

डेस्क:–मोटोरोला ने सबसे कम कीमत में एआई पॉवर्ड फोल्डेबल फोन लॉन्च कर दिया है। फोन में 6.9 इंच की इंटरनल डिस्प्ले दी जाएगी। साथ ही दमदार कैमरा फोन एआई फीचर्स का सपोर्ट मिलेगा। फोन 8 जीबी रैम और 256 जीबी स्टोरेज ऑप्शन में आएगा। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से..

Motorola जल्द ही अपने फोल्डेबल स्मार्टफोन लाइनअप में Motorola Razr 50s Ultra लॉन्च कर सकती है। इसे Motorola Razr 50s के साथ पेश किया जा सकता है। पिछले कुछ समय में Motorola Razr 50s मॉडल को कई सर्टिफिकेशन और बेंचमार्किंग साइट्स पर देखा गया है, और अब Ultra वेरिएंट भी ऑनलाइन सामने आया है, जिसमें इसके डिजाइन और चार्जिंग स्पेसिफिकेशन्स का खुलासा हुआ है। माना जा रहा है कि Motorola Razr 50s सीरीज को Motorola Razr 50 सीरीज से थोड़ा नीचे पोजिशन किया जाएगा। Motorola Razr 50s Ultra का डिजाइन Motorola Razr 50s Ultra को Wireless Power Consortium की सर्टिफिकेशन साइट पर लिस्ट किया गया है, जहां से इसके डिजाइन की जानकारी मिली है। लिस्टिंग में शामिल इमेजेस से पता चलता है कि इसका डिजाइन Motorola Razr 50 Ultra के समान होगा। इसमें एक रेक्टेंग्युलर कवर स्क्रीन दी गई है, जो हिंज तक फैली हुई है और इसमें दो सर्कुलर रियर कैमरा सेंसर टॉप लेफ्ट कॉर्नर में मौजूद हैं. साथ ही फ्लैश यूनिट भी दिया गया है।

Wireless Power Consortium लिस्टिंग के मुताबिक, Motorola Razr 50s Ultra मॉडल नंबर XT2451-6 के साथ 15W वायरलेस Qi चार्जिंग को सपोर्ट करेगा। इसके अलावा, SGS Fimko सर्टिफिकेशन साइट पर इसे कई मॉडल नंबरों के साथ लिस्ट किया गया है, जो इसके विभिन्न वेरिएंट्स को दर्शाते हैं।
Motorola का ये फोन कर्व्ड डिस्प्ले और 50MP कैमरे से है लैस खरीदें मात्र 18 हजार में

डेस्क:–अगर आप 20 हजार रुपये से कम में कोई नया स्मार्टफोन खरीदने के बारे में सोच रहे हैं। तो आपके लिए ये एक अच्छा समय हो सकता है। क्योंकि, फ्लिपकार्ट पर मोटोरोला के एक जबरदस्त स्मार्टफोन पर बड़ी छूट दी जा रही है। ये फोन कर्व्ड डिस्प्ले, 50MP OIS कैमरा और स्नैपड्रैगन प्रोसेसर जैसे कई धमाकेदार फीचर्स के साथ आता है।

दरअसल, हम यहां Motorola G85 5G के बारे में बात कर रहे हैं। ग्राहक इस फोन को अभी डिस्काउंट के बाद 18 हजार रुपये से भी कम कीमत में खरीद सकते हैं। इस स्मार्टफोन को अभी फ्लिपकार्ट पर 20,999 रुपये की जगह 17,999 रुपये में लिस्ट किया गया है। यानी ग्राहकों को फोन पर 3,000 रुपये का फ्लैट डिस्काउंट दिया जा रहा है।

डुअल सिम (नैनो) वाला मोटो G85 5G एंड्रॉयड 14-बेस्ड Hello UI पर चलता है और इसमें 6.67-इंच का फुल-एचडी+ (1,080 x 2,400 पिक्सल) 3D कर्व्ड pOLED स्क्रीन है जिसमें 120Hz रिफ्रेश रेट, 240Hz टच सैंपलिंग रेट, 1,600nits की पीक लोकल ब्राइटनेस और 20:9 आस्पेक्ट रेशियो है। स्क्रीन पर कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास 5 प्रोटेक्शन है। ये क्वालकॉम के स्नैपड्रैगन 6s जेन 3 चिपसेट के साथ-साथ एड्रेनो 619 GPU, 12GB तक रैम और 256GB तक UFS 2.2 ऑनबोर्ड स्टोरेज पर चलता है। रैम को अनयूज्ड स्टोरेज के साथ 24GB तक बढ़ाया जा सकता है।

ऑप्टिक्स के लिए, फोन के रियर में डुअल कैमरा यूनिट है जिसमें ऑप्टिकल इमेज स्टेबिलाइज़ेशन (OIS) सपोर्ट के साथ 50-मेगापिक्सल का Sony Lytia 600 प्राइमरी सेंसर और सिंगल LED फ़्लैश के साथ 8-मेगापिक्सल का अल्ट्रा-वाइड एंगल कैमरा है। सेल्फी और वीडियो चैट के लिए इसमें 32-मेगापिक्सल का कैमरा फ्रंट में है। Moto G85 5G की बैटरी 5,000mAh की है और यहां 33W फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट भी दिया गया है।

पंजाब के पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह ने जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए सेना के जवान को दी श्रद्धांजलि

डेस्क:–पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रविवार को जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए सेना के जवान नायब सूबेदार राकेश कुमार को श्रद्धांजलि दी।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक्स पर साझा की गई एक पोस्ट में सेना के जवान को सम्मानित किया और तीन घायल सैनिकों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक्स पर पोस्ट किया, "जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपने कर्तव्य का पालन करते हुए सर्वोच्च बलिदान देने वाले नायब सूबेदार राकेश कुमार की बहादुरी को सलाम। उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति हार्दिक संवेदना। आपके बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। तीनों घायल सैनिकों के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए वाहेगुरु जी से प्रार्थना करता हूं।"

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान सेना का एक जवान शहीद हो गया। रविवार को एक्स पर एक पोस्ट में, व्हाइट नाइट कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) और सभी रैंकों ने 2 पैरा (एसएफ) के नायब सूबेदार राकेश कुमार के बलिदान को सम्मानित किया। पोस्ट में लिखा है, "सब राकेश 9 नवंबर, 2024 को किश्तवाड़ जिले के भारत रिज क्षेत्र के सामान्य क्षेत्र में शुरू किए गए संयुक्त सीटी (आतंकवाद विरोधी) ऑपरेशन का हिस्सा थे। हम इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवार के साथ खड़े हैं।"

इस बीच, पुलिस ने रविवार को जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ की सूचना दी। जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार, केशवान इलाके में गोलीबारी हुई, जिसमें तीन से चार आतंकवादियों के फंसे होने का अनुमान है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा, "केशवान किश्तवाड़ में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि 3/4 आतंकवादी फंस गए हैं। यह वही समूह है जिसने 2 निर्दोष ग्रामीणों की हत्या की थी।"
820 करोड़ रुपये की लागत से भारत का पहला समर्पित रेलवे परीक्षण ट्रैक राजस्थान में बनाया जा रहा है

डेस्क:–राजस्थान में रोलिंग स्टॉक के परीक्षण की सुविधा विकसित करने के लिए एक समर्पित रेलवे परीक्षण ट्रैक का निर्माण किया जा रहा है। यह ट्रैक दिसंबर 2025 तक बनकर तैयार हो जाएगा। राजस्थान में देश का पहला ट्रेन ट्रायल ट्रैक लगभग बनकर तैयार हो गया है। 60 किलोमीटर लंबा यह ट्रैक पूरी तरह सीधा नहीं है, बल्कि इसमें कई घुमावदार बिंदु बनाए गए हैं। इससे इस बात का ट्रायल लिया जा सकेगा कि तेज गति से आ रही ट्रेन बिना गति कम किए घुमावदार ट्रैक पर कैसे गुजरेगी। इन कर्व में कुछ कर्व कम गति के लिए बनाए गए हैं, तो कुछ तेज गति के लिए। पहले चरण के पूरा होने के बाद बुलेट ट्रेनों का 230 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से परीक्षण भी किया जा सकेगा।

देश के पहले डेडिकेटेड टेस्ट ट्रैक की स्थापना से देश में हाई-स्पीड रोलिंग स्टॉक वस्तुओं के परीक्षण में नए आयाम स्थापित होंगे और आधुनिकता की ओर बढ़ रहे रेलवे की दिशा में यह टेस्ट ट्रैक मील का पत्थर साबित होगा। रेलवे द्वारा पूर्व में आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ संरक्षित रेल संचालन पर भी विशेष जोर दिया गया है। रेलवे ट्रैक के अलावा सुरक्षा को मजबूत करने में रोलिंग स्टॉक की अहम भूमिका होती है। रोलिंग स्टॉक का उपयोग करने से पहले उसका व्यापक और गहन परीक्षण करना जरूरी होता है, तभी वह सुरक्षा के मापदंडों पर खरा उतर सकता है।

डेडिकेटेड टेस्ट ट्रैक के जरिए रेलवे संसाधनों का व्यापक उपयोग कर सकेगा और सुरक्षा में काफी बढ़ोतरी होगी। देश में हाई-स्पीड रोलिंग स्टॉक के व्यापक परीक्षण के लिए भारतीय रेलवे राजस्थान के डीडवाना जिले के जोधपुर मंडल के नावां में गुढ़ा-थाथाना मीठड़ी के बीच 60 किलोमीटर लंबा देश का पहला आरडीएसओ डेडिकेटेड टेस्ट ट्रैक विकसित कर रहा है फेज 1 का काम दिसंबर 2018 में और फेज 2 का काम नवंबर 2021 में मंजूर हुआ था।

इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 820 करोड़ रुपये है। समर्पित परीक्षण ट्रैक के निर्माण में सात बड़े पुल, 129 छोटे पुल और चार स्टेशन (गुढ़ा, जाबदीनगर, नावां और मीठड़ी) शामिल हैं। इस परियोजना के तहत 27 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है और पूरा काम दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस परियोजना के तहत हाई-स्पीड रोलिंग स्टॉक और गति परीक्षण, स्थिरता, सुरक्षा मापदंडों, दुर्घटना प्रतिरोध, रोलिंग स्टॉक की गुणवत्ता आदि सहित वस्तुओं की व्यापक परीक्षण सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। इस समर्पित परीक्षण ट्रैक में ट्रैक सामग्री, पुल, टीआरडी उपकरण, सिग्नलिंग गियर और भू-तकनीकी अध्ययन का परीक्षण भी शामिल है। ट्रैक पर पुल, अंडर ब्रिज और ओवर ब्रिज जैसी विभिन्न संरचनाएं बनाई गई हैं।

इस ट्रैक पर आरसीसी और स्टील के पुल बनाए गए हैं जो जमीन के नीचे और ऊपर हैं। इन पुलों को कंपन प्रतिरोधी बनाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इन पुलों के जरिए इसके ऊपर से तेज गति से गुजरने वाली ट्रेन के रिस्पांस को परखा जा सकेगा। पुल को टर्न आउट सिस्टम का उपयोग करके बनाया गया है। यानी, हैवी आरसीसी बॉक्स लगाकर ऊपर स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया गया है। चूंकि सांभर का वातावरण क्षारीय है, इसलिए स्टील में जंग नहीं लगेगा।
विधानसभा उपचुनाव से पहले रविवार को सीएम भजनलाल शर्मा ने दौसा में किया रोड शो, पार्टी उम्मीदवार के लिए मांगे वोट

डेस्क:–राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विधानसभा उपचुनाव से पहले रविवार को दौसा में भाजपा प्रत्याशी जगमोहन मीना के पक्ष में रोड शो किया।

सीएम को पार्टी प्रत्याशी के साथ खुली जीप में सवार देखा गया और उनके साथ भारी भीड़ और भाजपा कार्यकर्ता पार्टी के झंडे और पोस्टर लेकर चल रहे थे। विशेष रूप से, कांग्रेस ने मीना के खिलाफ दौसा विधानसभा सीट से दीनदयाल बैरवा को मैदान में उतारा है।

राजस्थान में झुंझुनू, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, चौरासी, सलूंबर और रामगढ़ सहित सात सीटों पर उपचुनाव 13 नवंबर को होंगे और नतीजे 20 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। इन सात सीटों पर उपचुनाव दो विधायकों के निधन और पांच अन्य के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद जरूरी हो गए थे। गौरतलब है कि इन सात सीटों में से पांच कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों (भारत आदिवासी पार्टी-एक) के पास थीं, जबकि भाजपा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के पास एक-एक सीट थी। 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में भाजपा के 114 विधायक हैं, कांग्रेस के 65, भारत आदिवासी पार्टी के तीन, बहुजन समाज पार्टी के दो, राष्ट्रीय लोकदल का एक और आठ निर्दलीय हैं। 30 अक्टूबर को राजस्थान के मुख्य चुनाव अधिकारी नवीन महाजन ने कहा था कि राजस्थान में 10 महिलाओं और 59 पुरुषों सहित 69 उम्मीदवार राजनीतिक मैदान में हैं। हालांकि, 25 अक्टूबर को नामांकन की आखिरी तारीख तक कुल 94 उम्मीदवारों ने अपने नामांकन पत्र जमा किए थे। उन्होंने कहा कि दौसा और खींवसर विधानसभा क्षेत्रों में 12-12 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। सलूंबर में छह उम्मीदवार मैदान में हैं।
शेख हसीना फिर बनेंगी बांग्लादेश की पीएम! ट्रंप की अमेरिका में वापसी के बाद अवामी लीग हुई एक्टिव

डेस्क:–अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव  में डोनाल्ड ट्रंप ने ऐतिहासिक जीत हासिल कर दोबारा राष्ट्रपति बन गए हैं। उनके राष्ट्रपति बनने के साथ ही बांग्लादेश की राजनीति में भी तेजी से परिस्थिति बदल रहा है। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग  उनके समर्थन में माहौल बनाने में जुट गई है। अवामी लीग शेख हसीना को बांग्लादेश की फिर से प्रधानमंत्री बनाने में लग गई है।

इधर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अवामी लीग को “फासीवादी” पार्टी करार देते हुए उस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इससे पहले मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने अवामी लीग के छात्र संघ शाखा पर प्रतिबंध लगा दिया था।

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बांग्लादेश से भागने के तीन महीने बाद उनकी पार्टी अवामी लीग ने आज रविवार को ढाका में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन रैली का आह्वान किया है। दरअसल, अगस्त में छात्रों के विद्रोह के बाद से अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर बढ़ते हमलों का सामना करते हुए पूर्ववर्ती सत्तारूढ़ पार्टी अपने अधिकांश शीर्ष नेतृत्व के जेल में या निर्वासन में रहने के कारण फिर से संगठित होने और अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रही है। इस क्रम में पार्टी ने रविवार (10 नवंबर) को ढाका में विरोध मार्च का आह्वान किया है।

इधर अंतरिम सरकार ने शनिवार को जारी एएल के बयान में कहा गया, “हमारा विरोध देश के लोगों के अधिकारों को छीनने, कट्टरपंथी ताकतों के उदय और आम लोगों के जीवन को बाधित करने की साजिश के खिलाफ है। हम आप सभी से अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर इस मौजूदा शासन के कुशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का आग्रह करते हैं।

कुछ समय पहले ही अंतरिम सरकार ने अवामी लीग के स्टूडेंट विंग ‘स्टूडेंट लीग’ को बैन कर दिया गया था। नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में काम कर रही अंतरिम सरकार ने एक गजट जारी किया और 2009 के आतंकवाद विरोधी कानून के प्रावधानों के तहत संगठन पर बैन लगा दिया। गजट में कहा गया कि बांग्लादेश स्टूडेंट लीग को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों में शामिल पाया गया है। इन गतिविधियों में हत्या, प्रताड़ना, कॉलेज परिसरों में उत्पीड़न, छात्र डॉर्मिटरी में सीट ट्रेडिंग, टेंडर में हेरफेर, बलात्कार, और यौन उत्पीड़न जैसी गंभीर आपराधिक गतिविधियां शामिल हैं।

बता दें कि शेख हसीना को ट्रंपक का करीबी नेता बताया जाता है। अवामी लीग हमेशा अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी की करीबी रही है। इसी का नतीजाै है कि हसीना की पार्टी आवामी लीग ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद ट्रंप को बदाई संदेश भाजा था। संदेश में शेख हसीना को बांग्लादेश का प्रधानमंत्री बताया गय़ा है। वहीं बांग्लादेश की अंतरिम सरकार मुखिया मोहम्मद यूनुस अमेरिका के डेमोक्रेटिक पार्टी के करीबी रहे हैं। इसी का नतीजा है कि बाराक ओबामा सरकार में मोहम्मद यूनुस को शांति का नोबल पुरस्कार दिया गया था।

बता दें कि जून 2024 में बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2018 बांग्लादेश कोटा सुधार आंदोलन के जवाब में किए गए सरकारी फैसले को पलटते हुए स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए 30 फीसदी कोटा बहाल करने के खिलाफ विरोध शुरू हुआ था। छात्रों को ऐसा लगने लगा कि योग्यता के आधार पर उनके पास सीमित अवसर ही बचेंगे। इस विरोध की शुरुआत सरकारी नौकरियों के लिए पुनः स्थापित कोटा प्रणाली की प्रतिक्रिया के रूप में शुरू हुई थी। बाद में यह हिंसक होती चली गई। इसके बाद बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना को 5 अगस्त को देश छोड़ेकर जाना पड़ा।