शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने निभाई शिक्षक की भूमिका, विद्यार्थियों को सिखाया कृत्रिम उपग्रह का विज्ञान

रायपुर-      स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने आज महासमुंद जिले के उड़ीसा सीमा से सटे वनांचल क्षेत्रों में स्थित विभिन्न विद्यालयों का अचानक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने छात्रों की शैक्षिक प्रगति, स्कूलों की सुविधाओं और शैक्षिक गतिविधियों का गहन अवलोकन किया। बच्चों के उत्साही उत्तरों से प्रभावित होकर श्री परदेशी ने उनकी समझ और ज्ञान की सराहना की।

निरीक्षण के दायरे में आने वाले स्कूलों में हायर सेकेंडरी स्कूल बेलसोंडा, प्राथमिक शाला ओंकारबंद, पीएम श्री स्कूल खोपड़ी, मिडिल एवं हाई स्कूल खोपली, मिडिल और हाई स्कूल कसेकेरा, मिडिल स्कूल कुलिया, और कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय सुनसुनिया शामिल थे।

निरीक्षण के दौरान श्री परदेशी ने कुछ समय के लिए शिक्षक की भूमिका निभाते हुए विद्यार्थियों को कृत्रिम उपग्रह के बारे में समझाया। उन्होंने बच्चों से विज्ञान, भूगोल और सामान्य ज्ञान से जुड़े सवाल पूछे। बच्चों से भारत के महान वैज्ञानिकों, इंद्रधनुष के रंगों की संख्या, छत्तीसगढ़ के जिलों और पड़ोसी राज्यों के बारे में सवाल किए गए, जिनका बच्चों ने सही जवाब दिया। छोटे बच्चों से रंगों और फलों से जुड़े सवाल भी पूछे गए, जिनमें अधिकांश बच्चों ने सही उत्तर दिए।

कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय सुनसुनिया की छात्राओं ने शिक्षा सचिव से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से रक्षाबंधन पर्व पर हुई मुलाकात का अपना अनुभव साझा किया जिसे छात्रों ने एक अविस्मरणीय पल बताया। इस पर सचिव ने कहा कि आज की बालिकाएं और महिलाएं हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं, वे सुई से लेकर हवाई जहाज तक उड़ा रही हैं। यह समाज में महिला सशक्तिकरण का एक शानदार उदाहरण है।

निरीक्षण में शौचालयों की तालाबंदी देखकर श्री परदेशी ने प्रधानपाठक और प्राचार्य को नाराजगी जताते हुए निर्देश दिए कि सभी सुविधाएं बच्चों के लिए सुलभ होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शासन से प्राप्त सामग्री बच्चों के उपयोग के लिए खुली और उपलब्ध रहनी चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने शौचालयों में स्वच्छता बनाए रखने और उन्हें स्कूल समय में खुला रखने के निर्देश के साथ ही परिसर की साफ-सफाई, पुस्तकालय का अधिकतम उपयोग, प्रयोगशाला का उपयोग, शिक्षकों की समय पर उपस्थिति, शिक्षक डायरी का संधारण और शासन के दिशा-निर्देशों का समयानुसार पालन करने पर भी जोर दिया।

निरीक्षण के अवसर पर रायपुर संभाग के संयुक्त संचालक राकेश पांडे, जिला शिक्षा अधिकारी मोहन राव सावंत, आलोक चांडक, जिला मिशन समन्वयक कमल नारायण चंद्राकर सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

जनजातीय गौरव दिवस पर छत्तीसगढ़ सहित 17 राज्यों के आदिवासी नर्तक दलों की होगी मनमोहक प्रस्तुति

रायपुर-    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में 14 एवं 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती-जनजातीय गौरव दिवस पर राज्य स्तरीय भव्य आयोजन किया जायेगा। दो दिवसीय आयोजित इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ सहित 17 राज्यों के आदिवासी नर्तक दल मनमोहक प्रस्तुतियां देंगे। इनमें अरूणाचल प्रदेश के आदि लोक नृत्य नाटिका, मध्यप्रदेश के भील भगोरिया नृत्य, मेघालय के गारो लोक नृत्य और नागालैण्ड के आओ नागा लोक नृत्य सहित विभिन्न आकर्षक प्रस्तुतियां होगी।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 नवंबर को जमुई (बिहार) से जनजातीय गौरव दिवस का शुभारंभ करेंगे। वे छत्तीसगढ़ में आयोजित कार्यक्रमों में वर्चुअली शामिल होंगे और पीएम जनमन योजना में शामिल जिलों के हितग्राहियों से चर्चा भी करेंगे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में भी एक दिवसीय गौरव दिवस का आयोजन किया जायेगा।

आदिम जाति विभाग द्वारा इसकी तैयारियां की जा रही हैं। साइंस कॉलेज मैदान में जनजातीय गौरव दिवस के दौरान 14 एवं 15 नवंबर को पूर्वान्ह 11 बजे से लेकर रात्रि 8 बजे तक जनजातीय गौरव पर आधारित विविध कार्यक्रमों का आयोजन होगा, जिसमें विषय विशेषज्ञ सहित कई राज्यों के आदिवासी कलाकार, आदिवासी कला संस्कृति के मर्मज्ञ शामिल होंगे।

दो दिवसीय राज्य स्तरीय जनजातीय गौरव दिवस के आयोजन को भव्य एवं यादगार बनाने के लिए आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा देश के विभिन्न राज्यों से आदिवासी नर्तक दलों एवं कलाकारों को विशेष रूप से आमंत्रित किया जा रहा है। अब तक 18 राज्यों के 22 आदिवासी नर्तक दलों ने इस दो दिवसीय आयोजन में शामिल होने के लिए अपनी सहमति दी है, जिसमें अरूणांचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैण्ड, मेघालय, आसाम, त्रिपुरा, उत्तराखण्ड, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान सहित अन्य राज्यों के आदिवासी नर्तक दल शामिल हैं। इनमें पुरूष एवं महिला कलाकारों की संख्या लगभग 425 है।

प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने बताया कि 14 नवंबर एवं 15 नवंबर को साइंस कॉलेज मैदान में संध्या 3 बजे से अंतर्राज्यीय लोक नर्तक दलों के सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति के साथ-साथ जनजातीय गौरव से संबंधित विषयों पर संगोष्ठी का आयोजन तथा जनजातीय जीवन शैली पर चित्रकला का प्रदर्शन भी होगा।

IAS कुमार बिश्वरंजन बने चिप्स के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, आदेश जारी

रायपुर-   छत्तीसगढ़ शासन ने भारतीय प्रशासनिक सेवा बैच 2020 के IAS कुमार बिश्वरंजन को छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसाइटी (CHiPS) का चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी सौंपी है. मंत्रालय के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से उनकी पदस्थापना का आदेश जारी किया है.

देखें आदेश –

IAS कुमार बिश्वरंजन का जीवन परिचय

कुमार बिश्वरंजन का जन्म 4 जून 1993 को हुआ था। वह जगतपुर सिंह जिले के बेरुआन गांव के रहने वाले है। उनके पिता बेनुधर एक गरीब किसान है। उनकी माता मिनाती सिलाई का काम करती हैं। गरीब परिवार में जन्मे बिश्वरंजन ने कई तकलीफों के साथ अपनी शिक्षा पूरी की। आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी उनके माता-पिता नहीं चाहते थे कि बच्चों की पढ़ाई में उनकी आर्थिक स्थिति बाधक बने और बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्होंने जी– तोड़ मेहनत की। बच्चों की शिक्षा के लिए बिश्वरंजन की माता मिनाती सन 2003 में अपने बच्चों को लेकर राजधानी भुवनेश्वर आ गई। राजधानी के नीलाद्री विहार इलाके में सेक्टर 3 में किराए के मकान में रहकर मिनाती ने बच्चों को पढ़ाया। पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए सिलाई का काम शुरू किया और लोगों के कपड़े सिल कर बच्चों के फीस व किताबों का खर्च उठाया।

माता-पिता की मेहनत को देखते हुए बिश्वरंजन ने भी कड़ी मेहनत की। उन्होंने नीलाद्री विहार सरस्वती शिशु मंदिर से अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की। 10वीं बोर्ड परीक्षा में बिश्वरंजन ने राज्य में छठवां व 12वीं में पूरे प्रदेश में आठवां स्थान प्राप्त किया। फिर आईआईटी गुवाहाटी से बीटेक की डिग्री लेने के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की। 2018 यूपीएससी में उन्हें 391 वीं रैंक मिली। और वे भारतीय रेलवे लेखा सेवा के लिए चुने गए। ट्रेनिंग करते हुए उन्होंने यूपीएससी 2019 दिया। जिसमें उन्हें 182 वीं रैंक मिली और वह आईएएस के लिए चुन लिए गए।

गौरतलब है कि कुमार बिश्वरंजन ने 12 अगस्त 2020 को आईएएस की सर्विस ज्वाइन की। लाल बहादुर शास्त्री प्रशिक्षण अकादमी में ट्रेनिंग खत्म करने के बाद उन्हें फील्ड ट्रेनिंग के लिए बिलासपुर जिले में सहायक कलेक्टर नियुक्त किया गया। फिर दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिले में एसडीएम बने। छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसाइटी (CHiPS) का चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी मिलने से पहले वह दंतेवाड़ा जिला पंचायत में सीईओ के पद पर पदस्थ थे।

करैत के डसने से मरणासन्न मासूम को मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में मिला नया जीवन

रायगढ़-     तीन तस्वीरों से समझा जा सकता है कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार के प्रयास कैसे लोगों के जीवन में संजीवनी का काम कर रहे हैं। यह तस्वीर 3 साल के मासूम मानविक की है, जिसे जहरीले करैत सांप ने डस लिया था। मरणासन्न हालत में उसे मेडिकल कॉलेज रायगढ़ में इलाज के लिए जब भर्ती कराया गया तो सांप का जहर पूरे शरीर में फैल चुका था उसकी स्थिति काफी गंभीर हो चुकी थी। शरीर में लकवे का असर दिख रहा था और सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। शुरुआती 40 से 42 घंटे तक वह पूरी तरह से होश में नहीं आया था और उसे वेंटीलेटर में रखना पड़ा था। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल रायगढ़ के डॉक्टरों ने एक हफ्ते तक गहन इलाज कर उसकी जान बचाई और नया जीवनदान दिया।

करैत भारत में पाए जाने वाले सर्वाधिक जहरीले सांपों में से एक है। इसका जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है। जिससे नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है। सही समय पर इलाज न मिले तो जान बचने की गुंजाइश कम होती है। ऐसे में एक छोटे मासूम बच्चे की रायगढ़ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में मिले उचित इलाज से जान बचाई जा सकी।

रायगढ़ के खरसिया ब्लॉक के औरदा गांव के निवासी तुलेश्वर चौहान के 3 साल के बेटे मानविक चौहान को सोते समय घर में सुबह पांच बजे के करीब जहरीले करैत सांप ने दाहिने हाथ की उंगली में काट लिया। परिजन बच्चे को सिविल अस्पताल खरसिया लेकर गए। वहां चिकित्सकों द्वारा प्राथमिक उपचार कर बच्चे को बेहतर ईलाज के लिए संत बाबा गुरु घासीदास जी स्मृति शासकीय चिकित्सालय रायगढ़ में रेफर कर दिया गया। बच्चे को सुबह लगभग 8 बजे के आसपास संत बाबा गुरु घासीदास जी स्मृति शासकीय चिकित्सालय रायगढ़ के आपातकालीन विभाग में अत्यंत गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया। बच्चे के शरीर में सॉप का जहर फैल चुका था, बच्चे की आँखों की दोनों पलकों में लकवा मार चुका था, सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, मुँह से झाग आ रहा था, बच्चे के हाथ-पैर ठंडे पड़ गए थे एवं नाड़ी भी कमजोर हो रही थी। बच्चे को आपातकालीन विभाग में ही बाल्य एवं शिशुरोग विभाग के आपातकालीन ड्युटी में उपस्थित डाक्टरों द्वारा त्वरित ईलाज प्रारंभ कर चिकित्सकों की आपातकालीन टीम द्वारा आई.सी.यू. वार्ड में शिफ्ट किया गया। गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉ.एल. के. सोनी, विभागाध्यक्ष बाल्य एवं शिशुरोग के नेतृत्व में डॉक्टरों और स्टॉफ नर्सों की टीम के अथक प्रयासों से बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार आना शुरू हुआ। बच्चे के शरीर में सांप के जहर का असर कम होने के उपरांत बच्चे को 3 दिवस पश्चात वेंटीलेटर से बाहर निकाला गया। वेंटीलेटर से बाहर निकलने के पश्चात् बच्चे के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हुआ। एक हफ्ते तक चले गहन इलाज से बच्चे के स्वास्थ्य में पूर्ण सुधार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दिया गया।

परिजनों ने कहा मेडिकल कॉलेज के इलाज से लौटी बच्चे की मुस्कुराहट

किसी भी माता पिता के लिए अपने बच्चे को जिंदगी और मौत से लड़ते देखना बहुत हृदयविदारक होता है। नन्हा मानविक अपने माता पिता की इकलौती संतान है। करैत के डसने से उसकी हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि शुरुआती 40 से 42 घंटे तक वह पूरी तरह से होश में नहीं था। लेकिन मेडिकल कॉलेज में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम के साथ सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध होने से उसका बेहतर इलाज संभव हुआ। पिता तुलेश्वर चौहान कहते हैं कि डॉक्टरों के प्रयासों से उसके बच्चे की मुस्कान वापस लौट आई।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए राज्य सरकार बेहद संवेदनशील है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए स्वास्थ्य बजट को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। स्वस्थ छत्तीसगढ़ के लिए यह जरूरी है कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था कुशल चिकित्सकों के हाथों में रहे। लेकिन आज से 24 वर्ष पहले छत्तीसगढ़ में सिर्फ एक शासकीय मेडिकल कालेज था जिसमें मात्र 100 एमबीबीएस की सीटें थीं। बीते 24 वर्षों में राज्य में शासकीय मेडिकल कालेजों की संख्या 1 से बढ़कर 10 हो गयी है और एमबीबीएस की सीटें भी बढ़कर 1460 हो गयी हैं। शासकीय मेडिकल कालेजों में 291 स्नातकोत्तर की सीटें भी बढ़ी हैं जिससे राज्य को विशेषज्ञ चिकित्सक मिल रहे हैं।

वो छत्तीसगढ़ जो 1 नवंबर 2000 को जन्म लेते समय बीमारू राज्य का दर्जा रखता था वो आज बीते जमाने की बात हो गयी है। वर्तमान में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ये बात भली भांति समझती है कि भारत की तर्ज पर छत्तीसगढ़ को भी वर्ष 2047 तक विकसित राज्य बनाना है तो स्वास्थ्य ही वो पहली कड़ी है जो राज्य को सक्षम और समृद्ध बनाएगा। खुशी की बात ये है कि राज्य की वर्तमान सरकार इस पर लगातार प्रयास कर रही है और इसके बेहतर परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल स्वास्थ्य सेवाओं को सजग रूप से आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। राज्य स्तर पर डीकेएस और मेकाहारा जैसे अस्पताल अत्याधुनिक तकनीकों से लैस हो रहे हैं तो वहीं संभाग स्तर पर सुपर स्पेशिलिटी अस्पतालों का कार्य निरंतर जारी है। इसी तरह से जिले और ब्लाक स्तर पर आयुष्मान आरोग्य मंदिर राज्य के लोगों की सेहत का विशेष ध्यान रख रहे हैं।

चोरी का माल खरीदने वाले कबाड़ियों पर पुलिस का शिकंजा, संचालक समेत 4 गिरफ्तार

बलौदाबाजार-   जिले में कबाड़ियों के पास चोरी का सामान मिलने की सूचना मिलने पर कोतवाली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कबाड़ी संचालक गोपाल साहू सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है. बलौदाबाजार स्थित शुक्ला पेट्रोल पंप के पीछे भवन निर्माण सामग्री की चोरी की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपियों का पता लगाया.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रार्थी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि पेट्रोल पंप के पीछे भवन निर्माण सामग्री की 27 सेट्रिंग प्लेट्स, जिनकी कीमत 40,500 रुपये थी, अज्ञात चोरों ने चोरी कर ली है. इस मामले में थाना सिटी कोतवाली में अपराध दर्ज किया गया और त्वरित कार्रवाई शुरू की गई. पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण और आसपास के सीसीटीवी फुटेज का अवलोकन किया, जिसमें तीन आरोपियों लखन, सोनू, और चनउ की पहचान हुई. इन आरोपियों ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि उन्होंने शुक्ला पेट्रोल पंप के पीछे से सेट्रिंग प्लेट्स चुराकर कबाड़ी संचालक गोपाल साहू को पुराना बस स्टैंड स्थित उसकी दुकान में 5000 रुपये में बेच दिया था. पुलिस ने इन सभी आरोपियों को धारा 317(2) बीएनएस के तहत गिरफ्तार कर लिया और न्यायालय में पेश करने की प्रक्रिया जारी है.

गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम

- लखन पटेल, उम्र 38 वर्ष, निवासी पुरानी बस्ती, बलौदाबाजार
- सोनू उर्फ तरुण पटेल, उम्र 28 वर्ष, निवासी पुरानी बस्ती, बलौदाबाजार
- चनउ मारकंडे, उम्र 25 वर्ष, निवासी पुरानी बस्ती, बलौदाबाजार
- कबाड़ी संचालक गोपाल साहू, उम्र 42 वर्ष, निवासी पुरानी बस्ती, बलौदाबाजार

मांगा किराया तो किरायेदार ने की मकान मालिक की हत्या, मालकिन को अधमरा छोड़ा… ऐसे हुआ खुलासा
रायपुर-  राजधानी के अवंती विहार स्थित माकन में कुछ दिन पहले बुजुर्ग दंपति पर जानलेवा हमला और हत्या मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी कोई और नहीं बल्कि मृतक रत्नेश्वर बैनर्जी और उनकी पत्नी माया बैनर्जी के घर में किराए पर रहने वाला किरायेदार ही निकला. पुलिस ने आरोपी मुकेश कुमार को चंड़ीगढ़ से गिरफ्तार किया है. यह पूरा मामला खम्हारडीह थाना क्षेत्र का है

यह है पूरा मामला

जानकारी के अनुसार, घटना 30 अक्टूबर की रात की है. घटना वाली रात रवि बनर्जी ने अपने माता-पिता को बार बार फ़ोन किया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया उसके बाद बेटे ने अपने सहयोगी प्रखर शर्मा को अवंति विहार सेक्टर- 02 अपने घर जाकर देखने बोला. उसने पहुंचकर देखा कि घर का मेन दरवाजा बंद था, दरवाजा खोलकर अंदर जाकर खिड़की से देखा तो बैठक रूम में रवि बनर्जी के पिता जमीन में पेट के बल खून से लथपथ था और दूसरे कमरे में उसकी मां माया बनर्जी डायनिंग टेबल के पास पड़ी थी. दरवाजा बाहर से लगा हुआ था. आवाज देने पर भी उन दोनों के द्वारा कोई जवाब न देने पर डायल 112 और 108 एम्बुलेंस को प्रखर शर्मा फोन बुलाया. जिनके आने पर प्रखर ने अंदर जाकर देखा तो रतनेश्वर बनर्जी और माया बनर्जी को किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा सिर पर गम्भीर चोट पहुंचाया गया था जिससे रत्नेश्वर बैनर्जी की मृत्यु हो गई थी और माया बैनर्जी आहत थी जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहीं मामले पर पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 103, 109 बी.एन.एस. के तहत अपराध दर्ज कर जांच में जुट गई.

जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि घटना के बाद से बुजुर्ग दंपति के मकान में किराये से रहने वाला किरायेदार मुकेश कुमार लगातार फरार चल रहा था. जसिके बाद उसपर संदेह हुआ और उसकी पतासाजी शुरू की गई. मुखबीर और तकनीकी माध्यमों से भी उसकी पतासाजी की जा रही थी, इसी दौरान पुलिस को उसकी उपस्थिति दुर्ग में होने की प्राप्त हुई.

आरोपी मुकेश कुमार, जो कि उनके घर में किरायेदार के तौर पर रहता था, घटना के बाद से फरार है. पुलिस टीम ने तकनीकी सर्विलांस और मुखबिरों की मदद से मुकेश कुमार का पीछा किया. आरोपी लगातार दुर्ग, नागपुर, हैदराबाद, मुंबई, दिल्ली, और चंडीगढ़ में अपनी लोकेशन बदल रहा था. अंततः उसे चंडीगढ़ से गिरफ्तार कर लिया गया.

आरोपी ने इस वजह से दिया खौफनाक वारदात को अंजाम

पुलिस ने गिरफ्तार कर उससे पूछताछ किया, जिसमें उसने अपना गुनाह कबूल किया. उसने बताया कि वह रत्नेश्वर बैनर्जी और माया बैनर्जी के घर में किरायेदार के रूप में रह रहा था, लेकिन काफी समय से किराया नहीं दे पाया था. साथ ही आरोपी पर अन्य लोगों का 20 से 25 लाख का उधार भी था, जिससे वह मानसिक रूप से परेशान था. घटना के दिन मकान मालिकों ने किराया मांगा, जिस पर विवाद हो गया. इस दौरान गुस्से में आकर मुकेश ने घर में रखी नटराज मूर्ति से हमला कर दिया, जिससे रत्नेश्वर की मौके पर ही मौत हो गई और माया गंभीर रूप से घायल हो गईं. इसके बाद आरोपी ने मृतक के शरीर से सोने की अंगूठी और चेन चुराई और फरार हो गया.

पुलिस ने आरोपी मुकेश कुमार के कब्जे से सोने की अंगूठी, चेन, घटना में प्रयुक्त नटराज की मूर्ति और एक मोबाइल फोन बरामद किया है. मुकेश कुमार के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत कानूनी कार्रवाई की जा रही है.

कटघोरा वनमंडल के रेंजर देवदत्त खाण्डे निलंबित, वन अपराध तथा वन्यजीवों के अवैध शिकार के रोकथाम में उदासीनता का मामला

रायपुर-     छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख ने वनमंडल कटघोरा में पदस्थ रेंजर देवदत्त खाण्डे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन की यह कार्यवाही रेंजर देवदत्त खाण्डे द्वारा एतमानार परिक्षेत्र अंतर्गत पी.ओ.आर. प्रकरणों की जांच एवं वन अपराध तथा वन्यजीवों के अवैध शिकार के रोकथाम एवं जांच में लापरवाही एवं उदासीनता बरतने के कारण की गई है।

गौरतलब है कि वन विभाग को रेंजर देवदत्त खाण्डे के विरूद्ध बिना कार्य कराए प्रमाणक प्रस्तुत करने की शिकायत विभाग को प्राप्त हुई थी, जिसकी जांच वनमंडलाधिकारी, कटघोरा द्वारा की गई। जांच में उक्त शिकायत सही पायी गई। रेंजर श्री खाण्डे के विरूद्ध जांच-पड़ताल में यह भी पाया गया कि वे एतमानार परिक्षेत्र अंतर्गत पी.ओ.आर. प्रकरणों की जांच एवं वन अपराध तथा वन्यजीवों के अवैध शिकार के रोकथाम में असफल रहे हैं। जिसके चलते प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियमों के तहत शासकीय काम एवं पदीय दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही तथा शिकायत की जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाये पर निलंबित कर दिया है।

बागबाहरा जंगल से रेस्क्यू कर सफेद पूंछ वाले बीमार गिद्ध की बचाई गई जान, नंदनवन जंगल सफारी में 1 माह तक चला इलाज

रायपुर-     राजधानी रायपुर के समीप स्थित नंदनवन जंगल सफारी के वन अधिकारियों एवं चिकित्सकों की टीम विलुप्त प्रजाति के सफेद पूंछ वाले बीमार गिद्ध का रेस्क्यू कर उसकी जान बचाने में सफल रही है। यह बीमार गिद्ध लगभग 500 किलोमीटर की उड़ान भरता हुआ बीते दिनों छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद वनक्षेत्र के बागबाहरा पहुंचा था। इस बीमार गिद्ध के रेस्क्यू के बाद नंदनवन जंगल सफारी के वन्य चिकित्सकों एवं वन अधिकारियों ने बड़ी सावधानी के साथ इस गिद्ध का इलाज किया। इसके स्वास्थ्य पर सतत निगरानी रखी, जिसके चलते कुछ ही दिनों में यह गिद्ध स्वस्थ एवं सामान्य स्थिति में आ गया। जंगल सफारी की टीम ने इस गिद्ध को फिर से उड़ान भरने के लिए छोड़ दिया है।

नंदनवन जंगल सफारी के अधिकारियों द्वारा बीमार गिद्ध के बचाव कार्य की मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं वन मंत्री केदार कश्यप ने सराहना की है। उन्होंने गिद्ध के रेस्क्यू ऑपरेशन और इलाज में लगी अधिकारियों की टीम को बधाई और शुभकामनाएं दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विलुप्त होती गिद्ध की इस प्रजाति का छत्तीसगढ़ के अधिकारियों द्वारा बचाव के लिए किए गए प्रयासों की जितनी सराहना की जाए कम है।

गौरतलब है कि सफेद पूंछ वाला गिद्ध (वाईट रुम्पड वल्चर) एक संकट ग्रस्त प्रजाति है। वर्तमान में इस प्रजाति की संख्या देश में 13 हजार से भी कम रह गई है। यह गिद्ध बड़े पेड़ों पर घोंसला बनाते हैं और साल भर में केवल एक ही अंडा देते हैं, जिससे इनकी संख्या बढ़ने की गति धीमी होती है। ये गिद्ध केवल उन्हीं क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां जैव विविधता समृद्ध होती है और प्रदूषण या औद्योगीकीकरण का प्रभाव कम होता है। गिद्ध के इस प्रजाति के संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

इसी कड़ी में भारत में वाईट रुम्पड वल्चर की निगरानी और संरक्षण के लिए बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) और ताडोबा अंधेरी टाइगर रिजर्व ने एक विशेष पहल करते हुए 10 सफेद पूंछ वाले एक गिद्धों को एक साथ जियो-ट्रैकिंग उपकरण के साथ जंगल में छोड़ा गया था, जिसमें से एक गिद्ध महाराष्ट्र राज्य में उड़ान भरते हुए छत्तीसगढ़ के इन्द्रावती टाईगर रिजर्व होते हुए कांकेर जिले से महासमुंद वन क्षेत्र बागबाहरा में पहुंच गया था। नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) और ताडोबा अंधेरी टाइगर रिजर्व का गिद्धों को छोड़ने का उद्देश्य उनके प्रवास मार्गों का अध्ययन करने के साथ- साथ उनको प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रख उनका संरक्षण और संवर्धन करना था। उन 10 गिद्धों में से एक गिद्ध 20 दिनों में लगभग 500 किलोमीटर की उड़ान भरने के बाद महासमुंद वन क्षेत्र में आ गया था। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) की निगरानी टीम ने जियो-ट्रैकिंग उपकरण की मदद से जाना कि यह गिद्ध बागबाहरा जंगल मे एक ही स्थान पर लंबे समय तक रुका हुआ है। इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने नंदनवन जंगल सफारी रायपुर के अधिकारियों से सम्पर्क किया और पूरी स्थिति की जानकारी दी।

नंदनवन जंगल सफारी के वन्यजीव डॉक्टरों और वन अधिकारियों की टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बागबाहरा क्षेत्र से गिद्ध का सुरक्षित रेस्क्यू किया और 26 अगस्त को उसे नंदनवन जंगल सफारी ले आए। यहां चिकित्सकों की देखरेख में गिद्ध को उचित उपचार और पोषण दिया गया, जिससे वह स्वस्थ होने लगा। कुछ दिनों में ही गिद्ध पूरी तरह से स्वस्थ हो गया और उसकी सक्रियता लौट आई।

नंदनवन जंगल सफारी के संचालक धम्मशील गणवीर ने बताया कि नंदनवन जंगल सफारी से वन्य जीव चिकित्सकों के सलाह के आधार पर 26 सितंबर 2024 को गिद्ध को फिर से उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया, जिसके बाद यह गिद्ध यहाँ से 1100 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हुए गुजरात के सूरत इलाके में पहुंच गया है। इस गिद्ध की लोकेशन की ट्रेकिंग बीएनएचएस द्वारा की जा रही है।

बार में देर रात चल रही थी शराब पार्टी, पुलिस ने मारा छापा, बार मैनेजर के खिलाफ केस दर्ज
बिलासपुर-    हैवंस पार्क बार में देर रात शराब पार्टी पर चलने की सूचना पर पुलिस ने बार में छापा मारा. पुलिस के पहुंचते ही युवक-युवतियां भाग निकले. पुलिस ने बार मैनेजर के खिलाफ केस दर्ज किया है. वहीं बिना नंबर कार और नशे में धुत युवकों पर भी कार्रवाई की है. एसपी ने देर रात शहर भ्रमण कर कड़ी कार्रवाई के निर्देश भी दिए.
जशपुर बना एडवेंचर पर्यटन का मुख्य आकर्षण

रायपुर-  जशप्योर और पहाड़ी बकरा एडवेंचर द्वारा हाल ही में आयोजित एक बाइक ट्रिप ने पूरे देश भर के राइडर्स को आकर्षित किया। देशभर से आए इन साहसी बाइकर्स ने जशपुर की घुमावदार सड़कों, कठिन ट्रेल्स, और हरे-भरे जंगलों का रोमांचक अनुभव लिया। इन राइडर्स को हिमालय राज्य जैसे लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के कठिन रास्तो पर बाइकिंग अनुभव प्राप्त है और उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य की अनछुई प्राकृतिक सुंदरता को एक नए नजरिये से देखा। जशपुर का अनोखा प्राकृतिक आकर्षण जैसे रानी दह जलप्रपात, सारुडीह चाय बागान, किनकेल पाठ, चुरी और मक्करभज्जा जलप्रपात एवं यहाँ के जनजातीय संस्कृति एवं खाद्य उत्पाद उनके लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बने। इसके अलावा, देशदेखा क्लाइंबिंग सेक्टर में रॉक क्लाइम्बिंग एवं कैंपिंग तथा पंड्रापाठ में स्टार गेजिंग का रोमांचक अनुभव भी उनके लिए खास था।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सरकार ने पर्यटन को प्रोत्साहित करने और स्थानीय लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए पिछले वर्ष से व्यापक प्रयास शुरू किए गए हैं। मुख्यमंत्री साय ने जशपुर की प्राकृतिक संपदा और रोमांचक गतिविधियों की संभावनाओं को देखते हुए इसे साहसिक खेलों के एक नए केंद्र के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा है। उनके कुशल नेतृत्व और दूरदर्शी नीतियों के कारण, यह क्षेत्र अब न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में एक प्रमुख साहसिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है।

साहसिक खेल और पर्यटन केवल मनोरंजन के साधन नहीं हैं, बल्कि ये स्थानीय युवाओं के रोजगार का एक प्रमुख स्रोत भी बन सकते हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में स्थानीय युवाओं एवं जनजातीय लोगो को एडवेंचर खेलों की बारीकियों में अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित किया जा चूका है। जशपुर के “देशदेखा क्लाइंबिंग सेक्टर” में स्थानीय गाइडों की मदद से रॉक क्लाइम्बिंग का आयोजन हुआ, जो अब देशभर में एडवेंचर खेलों के शौकीनों के बीच चर्चा में है।

इस यात्रा के दौरान एक विशेष स्टार गेजिंग सत्र का भी आयोजन किया गया था, जिसमें प्रतिभागियों ने खुली रात के आकाश में खगोलीय पिंडों को देखा और एस्ट्रोलॉजी के बारे में जाना। जशपुर का यह हिस्सा अब राष्ट्रीय स्तर पर स्टार गेजिंग के लिए उपयुक्त स्थान के रूप में देखा जा रहा है, जो पर्यटकों को एक विशेष और अनोखा अनुभव देने की क्षमता रखता है।

बाइकर्स ने यहां के स्थानीय आदिवासी खान-पान और संस्कृति का भी आनंद लिया। जशप्योर द्वारा बनाये गए महुआ और मिलेट के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद, और आदिवासी घरों का दौरा कर उनके रहन-सहन और सांस्कृतिक धरोहर के बारे में जानना, उनके लिए यादगार अनुभव रहा। अंतराष्ट्रीय पर्वतारोहण गाइड, एक्सट्रीम एडवेंचर स्पोर्ट ट्रेनर एवं जिला एडवेंचर टूरिज्म के सलाहकार के स्वप्निल राचेलवार ने कहा की यह क्षेत्र विविध सम्भावनावो से परिपूर्ण है। यहाँ के स्थानीय एवं जनजातीय लोग ऐसे खेलो में प्राकृतिक एवं मानसिक रूप से सशक्त होते हैं, और उचित मार्गदर्शन पाकर यहाँ से कई अन्तराष्ट्रीय स्तर के खिलाडी एवं पेशेवर गाइड उभर कर बहार आ सकते हैं। जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार की इसी क्रमबद्ध पहल ने यह भी सुनिश्चित किया कि इस क्षेत्र का विकास पर्यावरण संरक्षण और आदिवासी संस्कृति के सम्मान के साथ हो। उनका सपना है कि जशपुर साहसिक खेलों के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरे और इसके माध्यम से स्थानीय समुदाय को सशक्त बनाया जाए। जशपुर अब एडवेंचर खेलों का छत्तीसगढ़ में एक नया केंद्र बनकर उभर चूका है। यह न केवल केंद्रीय भारत बल्कि सपूर्ण राष्ट्र में एडवेंचर खेलों का हॉटस्पॉट बनने की ओर अग्रसर है, जहाँ पर्यटक एक अलग और अनोखा अनुभव पा सकते हैं।