हेट स्पीच मामले में फंसे मिथुन चक्रवर्ती, बीजेपी नेता ने ऐसा क्या बोला मच गया बवाल?*
Image 2Image 3Image 4Image 5
#kolkata_police_filled_fir_on_mithun_chakraborty_for_statement
अभिनेता और भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है।मिथुन चक्रवर्ती के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा है। इस मामले में मिथुन चक्रवर्ती के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की है। पहली एफआईआर बिधाननगर पुलिस स्टेशन में दूसरी प्राथमिकी बौबाजार थाने में दर्ज हुई है। उनके ऊपर पिछले महीने नॉर्थ 24 परगना जिले में एक पार्टी कार्यक्रम के दौरान कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, चक्रवर्ती के खिलाफ शिकायत 27 अक्टूबर को साल्ट लेक क्षेत्र में ईजेडसीसी में भाजपा के एक कार्यक्रम के दौरान उनके द्वारा दिए गए भाषण से संबंधित है, जिसके आधार पर पुलिस ने बिधाननगर दक्षिण थाने में प्राथमिकी दर्ज की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यता अभियान के पश्चिम बंगाल चरण की शुरुआत के लिए आयोजित किया गया था। बिधाननगर दक्षिण थाने में कौशिक साहा नामक व्यक्ति ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। कौशिक ने कहा कि मिथुन ने गत 27 अक्टूबर को साल्टलेक इलाके में भाजपा के सदस्यता अभियान के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में भड़काऊ बयान दिया था। इससे सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है। बताया जा रहा है कि मिथुन ने सदस्यता अभियान के दौरान सार्वजनिक तौर पर कहा था, मैं आज अभिनेता के तौर पर नहीं, बल्कि साठ के दशक का मिथुन चक्रवर्ती बोल रहा हूं। मैंने खून की राजनीति की है इसलिए राजनीति के दांवपेंच मेरे लिए नए नहीं हैं। मुझे पता है कि कौन सा कदम उठाने से क्या काम होगा। मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सामने कह रहा हूं कि इसके लिए जो भी जरूरी होगा, सब करूंगा। कुछ भी यानी कुछ भी ...और इसका एकअंतर्निहित अर्थ है। मिथुन ने आगे कहा था,यहां के एक नेता ने कहा था कि हिदुओं को काटकर भागीरथी में बहा देंगे। मैंने सोचा था कि मुख्यमंत्री उसे कुछ कहेंगी, पर कुछ नहीं कहा, लेकिन मैं कह रहा हूं कि तुम्हें (उक्त नेता) तुम्हारी जमीन में गाड़ दूंगा। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने एफआईआर को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि उनके भाषण में कुछ भी भड़काऊ नहीं है। यह पुलिस को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करके उन्हें डराने के अलावा और कुछ नहीं है।
सलमान खान के बॉलीवुड के “बादशाह” को भी मिली धमकी, रायपुर से आया धमकी भरा फोन,
Image 2Image 3Image 4Image 5
#shah_rukh_khan_death_threat
मांगे 50 लाख रुपए* सलमान खान के बाद बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान को भी जान से मारने की धमकी मिली है। मोबाइल पर धमकी मिलने के बाद शाहरुख की टीम ने शिकायत दर्ज करवाई है। महाराष्ट्र के बांद्रा पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। मुंबई पुलिस ने शिकायत मिलते ही मामले की जांच शुरू कर दी है। धमकी मिलने के बाद शाहरुख के घर मन्नत के बाहर सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है। बांद्रा पुलिस स्टेशन में ही धमकी भरा कॉल किया गया था। इस दौरान 50 लाख रुपये की मांग की गई। 50 लाख रुपये देने से इनकार किया गया, तो उसने शाहरुख खान को जान से मारने की धमकी दी। 5 नवंबर को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस के मुताबिक, धमकी देने वाले शख्स ने फोन पर कहा कि बैंड स्टैंड वाले शाहरुख खान को मार दूंगा। दरअसल शाहरुख खान का घर ‘मन्नत’ मुंबई के बांद्रा बैंडस्टैंड इलाके में है। *छत्तीसगढ़ से आया धमकी भरा कॉल* जिस फैजान नाम के शख्स ने शाहरुख खान को जान से मारने की धमकी दी है, जब उसका कॉल ट्रेस किया गया, तो वो रायपुर का निकला। क्राइम ब्रांच ने फैजान को हिरासत में ले लिया गया है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, अज्ञात के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 308 (4), 351 (3)(4) के तहत मामला दर्ज किया गया है। जिस नंबर से धमकी दी गई है, वह छत्तीसगढ़ के फैजान नाम के शख्स के नाम पर रजिस्टर्ड है। नंबर ट्रेस होते ही मुंबई पुलिस रायपुर पहुंच गई है। *2023 में भी मिली थी धमकियां* साल 2023 में भी शाहरुख खान को पठान और जवान फिल्म की कामयाबी के बाद लगातार धमकियां मिली थीं। मामले की शिकायत दर्ज होने पर सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें Y प्लस सिक्योरिटी दी गई थी। तभी से शाहरुख खान हर जगह कड़ी सिक्योरिटी में जाते हैं।
ट्रंप की जीत से कनाडा की बढ़ी बेचैनी, जाने किस बात को लेकर खौफ में हैं ट्रूडो?

#donald_trump_victory_may_increase_challenges_to_canada

डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। अमेरिका के पिछले एक सौ साल के इतिहास में वो पहले राष्ट्रपति हैं जो एक बार चुनाव हारने के बाद व्हाइट हाउस में वापसी कर रहे हैं। ट्रंप अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति रह चुके हैं। ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी के साथ ही अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव देखने को मिल सकता है। खासकर डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद कनाडा में चिंता और घबराहट का माहौल है। डोनाल्ड ट्रंप की जीत कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। दरअसल, जस्टिन ट्रूडो ने रिपब्लिकन नेता ने कभी 'दूर-वामपंथी पागल' करार दिया था।

Image 2Image 3Image 4Image 5

विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि वॉइट हाउस में ट्रंप की वापसी से व्यापार विवाद बढ़ सकते हैं, जो कनाडा के लिए मंदी की वजह बन सकते हैं। कनाडा का 75 फीसदी निर्यात अमेरिका को जाता है। कनाडा में एक साल के भीतर चुनाव होने वाले हैं और अधिकांश सर्वेक्षणों में जस्टिन ट्रूडो की हार की भविष्यवाणी की गई है। ऐसे में आइए कनाडा पर ट्रंप की जीत के मायने समझते हैं।

कनाडा दुनिया का चौथे नंबर का कच्चा तेल उत्पादक है। वहीं, ट्रंप की योजना सभी आयातों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने और अमेरिकी ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने की है, जो कनाडा के लिए खास तौर पर बुरा संकेत है।कनाडा का 75% निर्यात अमेरिका को जाता है, और ऐसे में यह टैरिफ कनाडा की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। कनाडाई चैंबर ऑफ कॉमर्स के अनुसार, ट्रंप की टैरिफ नीति से कनाडा की आय में सालाना 0.9% और श्रम उत्पादकता में लगभग 1% की कमी आएगी। यदि व्यापारिक तनाव बढ़ता है, तो इसका असर कनाडा की आर्थिक वृद्धि पर और गंभीर हो सकता है।

वहीं, ट्रंप और ट्रूडो के बीच का संबंध भी हमेशा से तनावपूर्ण रहा हैं। 2018 में क्यूबेक में जी-7 शिखर सम्मेलन में ट्रंप ने ट्रूडो को "बेईमान और कमजोर" कहकर आलोचना की थी। इसके बाद 2022 में, कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर भी ट्रंप ने ट्रूडो को पागल कहा था। ट्रंप की इन टिप्पणियों के कारण दोनों नेताओं के बीच सार्वजनिक मंच पर तनाव देखा गया है।

हालांकि, ट्रूडो ने ट्रंप को जीत की बधाई देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच दोस्ती "दुनिया की ईर्ष्या" का कारण है और वे मिलकर काम करेंगे।ट्रूडो ने एक्स पर कहा, 'मुझे पता है कि राष्ट्रपति ट्रम्प और मैं अपने दोनों देशों के लिए अधिक अवसर, समृद्धि और सुरक्षा बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे।'

यासीन मलिक की पत्नी ने पाकिस्तान से राहुल गांधी को लिखा पत्र, बीजेपी ने घेरा, बोली-आतंकी मांग रहे मदद

#yasinmalikwifewrotelettertorahul_gandhi

देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के अलगाववादी नेता यासीन मलिक की पत्नी मुशाल हुसैन मलिक ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को एक पत्र लिखा है। मुशाल ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से अपने पति का मुद्दा संसद में उठाने का आग्रह किया है। यही नहीं, पत्र में मुशाल ने कहा कि यासीन मलिक जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

Image 2Image 3Image 4Image 5

मिशाल के खत में क्या लिखा है?

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की पूर्व सहायक मुशाल और आतंकी यासीन मलिक की पत्नी मुशाल हुसैन मलिक ने पने पत्र में लिखा है कि, आईएएफ अफसरों के मौत का दोषी, उग्रवादी, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का अध्यक्ष और कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे यासीन को लोग ऐसा ही जानते हैं। उसकी पत्नी को पर लगता है कि उसका पति जम्मू-कश्मीर में शांति ला सकता है। मुशाल ने राहुल गांधी को लिखे पत्र में कहा कि 2 नवंबर से, मलिक जेल में अमानवीय व्यवहार का विरोध करने के लिए अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। यह भूख हड़ताल उनके स्वास्थ्य को और प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगी और एक ऐसे व्यक्ति के जीवन को खतरे में डाल देगी, जिसने सशस्त्र संघर्ष का त्याग करने के बाद अहिंसा की अवधारणा पर विश्वास करना चुना।

राहुल गांधी से अपने प्रभाव का प्रयोग करने की मांग

मुशाल ने पत्र में यह भी जिक्र किया कि यासीन मलिक के खिलाफ 30 साल पुराने राजद्रोह मामले में मुकदमा चल रहा है, जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उन्हें फांसी की सजा की मांग की है। मलिक खुद इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में बहस कर रहे हैं। मुशाल ने आरोप लगाया कि 2019 से भारतीय सरकार उनके पति को विभिन्न तरीकों से प्रताड़ित कर रही है। कांग्रेस नेता को लिखे पत्र में मुशाल ने कहा है कि वह अपने प्रभाव का प्रयोग कर के यासीन मलिक के मामले में संसद के अंदर चर्चा शुरु करें।

स्मृति ईरानी ने बोला हमला

मुशाल के इस खत के बाद बवाल होना था, वो शुरू भी हो गया है। बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने बड़ा बयान दिया है। ईरानी ने कहा है कि आतंक का सहारा लेने वाले गांधी परिवार से मदद मांग रहे हैं। जिन्होंने कश्मीर में आतंक मचाया, बेगुनाहों की जान ली, आज वो गांधी परिवार से मदद के लिए क्यों हाथ बढ़ा रहा है? आज इस कमरे में बैठे किसी भी व्यक्ति से कोई आतंकी सहारा मांग सकता है? तो आखिर ऐसा क्या है कि एक आतंक का सहारा और साथ देने वाले आज गांधी परिवार का सहारा लेना चाहते हैं।

यासीन मलिक को किस मामले में सजा हुई है?

यासीन मलिक इस समय दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है। कश्मीरी अलगाववादी नेता और पूर्व उग्रवादी यासीन मलिक कश्मीर को भारत से काटने की बात करता था। 1990 के कश्मीर नरसंहार में उसका भी बड़ा हाथ है। यासीन मलिक को 25 मई 2022 को एनआईए कोर्ट ने टेरर फंडिंग के केस में उम्रकैद की सजा सनाई थी। एनआईए ने 2017 के आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में कई व्यक्तियों के खिलाफ आरोप दायर किए थे, जिनमें मलिक भी शामिल था।

जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के अध्यक्ष रहे यासीन मलिक पर 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर के रावलपोरा में भारतीय वायु सेना के 40 कर्मियों पर हमले का बी आरोप है। उस हमले में 4 वायुसेना कर्मियों की जान चली गई थी। यासीन मलिक पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती की बहन रुबैया सईद के अपहरण और उसके बाद पांच आतंकवादियों को छोड़ने की घटना में भी आरोपी है। इसके अलावा तीन दशक पुराने राजद्रोह मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उसके लिए मौत की सजा की मांग की है।

ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से टैरिफ के मोर्चे पर भारत के लिए सीधी चुनौतियां, डिटेल में जानिए, पूरी इनसाइड स्टोरी

Image 2Image 3Image 4Image 5

ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से टैरिफ के मोर्चे पर भारत के लिए सीधी चुनौतियां होंगी।

रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति बनना लगभग तय हो चुका है। ऐसे में ट्रंप के हालिया बयान के मद्देनजर ट्रेड संभावनाओं को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। ट्रंप की वापसी से भारतीय एक्सपोर्ट पर टैरिफ बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि संरक्षणवाद में बढ़ोतरी और 'अमेरिका फर्स्ट' पर जोर की वजह से भारत पहले ही अमेरिका के साथ सख्य व्यापार संबंधों को लेकर तैयार है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने बताया, 'ट्रंप ने कहा है कि अगर वह सत्ता में आते हैं, तो न सिर्फ चीन बल्कि भारत पर भी ज्यादा टैरिफ लगाया जा सकता है। हालांकि, कमला हैरिस ने इस मामले में कुछ नहीं बोला था, लेकिन ट्रे़ड पॉलिसी में संरक्षणवाद को लेकर दोनों पार्टियों की राय कमोबेश एक ही है। बहरहाल, अगर ट्रंप की सत्ता में वापसी होती है, तो भारत पर ज्यादा असर देखने को मिलेगा।'

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (FIEO) के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय का कहना है कि ट्रंप का डेयरी और मेडिकल इक्विपमेंट जैसे अमेरिकी प्रोडक्ट्स भारत में उपलब्ध कराने पर जोर है। श्रीवास्तव के मुताबिक, ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से टैरिफ के मोर्चे पर भारत के लिए सीधी चुनौतियां होंगी, जबकि इस मामले में हैरिस प्रशासन का रवैया ज्यादा संतुलित होता।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के दौर में भारत-अमेरिकी के बीच द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ोतरी हुई है। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है और इसका सालाना ट्रेड 190 अरब डॉलर से भी ज्यादा है। वित्त वर्ष 2020 से 2024 के दौरान भारत का एक्सपोर्ट 46 पर्सेंट की बढ़ोतरी के साथ 77.5 करोड़ डॉलर रहा। इस दौरान अमेरिकी से इंपोर्ट में भी बढ़ोतरी हुई और 17.9 पर्सेंट की बढ़ोतरी के साथ 35.8 अरब डॉलर से 42.2 अरब डॉलर हो गया।

अमेरिका भारतीय सामानों के लिए अहम बाजार है, खास तौर पर टेक्नोलॉजी, फार्मास्युटिकल्स, टेक्सटाइल और इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स के मामले में मांग काफी ज्यादा है।

धर्म और अधर्म की लड़ाई चल रही है, अब वक़्त आ गया है कि हमें अपने देश को सुधारना होगा, चित्रकूट में बोले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

Image 2Image 3Image 4Image 5

आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने चित्रकूट में कहा कि धर्म और अधर्म की लड़ाई चल रही है, तथा अब वक़्त आ गया है कि हमें अपने देश को सुधारना होगा। उन्होंने कहा कि हम सभी को ईश्वर द्वारा प्रदत्त अपना कर्तव्य निभाना चाहिए, जो कि धर्म के पक्ष में खड़ा होना है। इसके लिए सही आचरण की आवश्यकता है।

उन्होंने आगे कहा कि एक ओर स्वार्थ का दैत्य भारत को दबाने एवं सत्य को छिपाने का प्रयास कर रहा है, किन्तु वह कभी सफल नहीं होगा क्योंकि सत्य कभी दबता नहीं है, वह हमेशा सिर उठाकर बोलता है तथा यही आज हो रहा है। RSS प्रमुख ने यह भी कहा कि हमारी अस्तित्व इसलिए खत्म नहीं होती क्योंकि हमारी ऋषि-संतों की परंपरा और ईश्वर निष्ठा की मंडली का आशीर्वाद हमें प्राप्त है। भागवत ने यह भी कहा कि सनातन धर्म को दुनिया तक पहुंचाना हिन्दू समाज एवं भारत का कर्तव्य है।

मोहन भागवत ने यह भी कहा कि चित्रकूट आकर इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने से उनका उद्देश्य पूरा हुआ। उन्हें संतो का आशीर्वाद प्राप्त हुआ एवं उन्होंने व्याख्यान सुना। उन्होंने कहा कि जैसे थोड़ा सा कड़वा चूर्ण खाने से हाजमा ठीक होता है, वैसे ही उनके वक्तव्य को भी उसी चूर्ण की तरह समझा जाना चाहिए। बुधवार को मोहन भागवत अपने दो दिवसीय प्रवास पर चित्रकूट पहुंचे थे। वे मानस मर्मज्ञ बैकुंठवासी पंडित रामकिंकर उपाध्याय के जन्म शताब्दी समारोह में सम्मिलित हुए थे। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय संत मोरारी बापू एवं अन्य संत-महंत, कथावाचक एवं प्रबुद्ध जन भी उपस्थित थे।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 370 पर बवाल, सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों में हाथापाई, जमकर चले लात-घूंसे

#massiveuproarinjammuandkashmirassembly

Image 2Image 3Image 4Image 5

जम्मू कश्मीर विधानसभा में आज जबरदस्त हंगामा हो गया। विधानसभा सत्र के दौरान गुरुवार को अनुच्छेद 370 के बहाली के प्रस्ताव पर विधायकों के बीच जमकर हाथापाई हुई। सत्ता पक्ष और विपक्षी भाजपा के विधायकों ने एक-दूसरे का कॉलर पकड़ा और धक्कामुक्की की। सदन में हंगामे के बाद पहले विधानसभा की कार्यवाही 20 मिनट फिर कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बारामूला से लोकसभा सांसद इंजीनियर राशिद के भाई और लेंगेट से विधायक खुर्शीद अहमद शेख द्वारा अनुच्छेद 370 पर बैनर दिखाए। बैनर पर लिखा था, 'हम अनुच्छेद 370 और 35ए की बहाली और सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई चाहते हैं। विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने इस पर आपत्ति जताई। बैनर को देखकर भाजपा के विधायक भड़क गए। भाजपा विधायकों के विरोध का सिलसिला यहीं नहीं थमा। वे सदन के वेल से होते हुए खुर्शीद अहमद शेख के पास पहुंचे और उनके हाथ से बैनर छीन लिया। इस दौरान सज्जाद लोन और वहीद पारा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के कुछ अन्य विधायक शेख के समर्थन में भाजपा विधायकों से भिड़ गए। दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की हुई।

हंगामे के बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा में हंगामा और हाथापाई के बाद सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। सदन स्थगित होने के बाद भी भाजपा सदस्यों ने अपना विरोध जारी रखा। जिसके बाद मार्शलों ने आर एस पठानिया सहित कई भाजपा विधायकों को सदन से बाहर निकाला। जिसके बाद सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।

370 के बहाली के प्रस्ताव बीजेपी ने क्या कहा

अनुच्छेद 370 के बहाली के प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने कहा कि 370 के खिलाफ प्रस्ताव लाना असंवैधानिक है। वहीं, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस पार्टी जम्मू और कश्मीर के अंदर पाकिस्तान के एजेंडे को चला रही है। 370 के खिलाफ प्रस्ताव लाना असंवैधानिक है।

वहीद पारा ने पेश किया प्रस्ताव, पर खारिज

अनुच्छेद 370 पर प्रस्ताव ने तीखी बहस की शुरुआत सोमवार को विधानसभा के उद्घाटन सत्र से ही हो गई थी। पुलवामा का प्रतिनिधित्व करने वाले पीडीपी नेता वहीद पारा ने शुरुआत में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और राज्य के दर्जे को बहाल करने का प्रस्ताव पेश किया। यह कदम 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ उनकी पार्टी के रुख के अनुरूप था।

उमर अब्दुल्ला ने किया खारिज

हालांकि, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रस्ताव को 'प्रतीकात्मक' बताते हुए खारिज कर दिया, यह सुझाव देते हुए कि इसे वास्तविक इरादे से नहीं बल्कि जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि अगर इस मुद्दे को लेकर गंभीरता थी, तो नेशनल कॉन्फ्रेंस के परामर्श से प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए था।

वन रैंक-वन पेंशन को हुए 10 साल, पीएम मोदी बोले- सुरक्षाबलों की भलाई का फैसला

Image 2Image 3Image 4Image 5

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ (OROP) योजना के दस साल पूरे होने के अवसर पर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि यह योजना उन सैनिकों के साहस और बलिदान के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए लाई गई थी, जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि यह योजना एक लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने के साथ ही पूर्व सैनिकों के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता की पुष्टि भी है।

2014 में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में इस योजना को अपने प्रमुख मुद्दों में से एक बनाया था। इसका उद्देश्य था कि समान रैंक और सेवा अवधि वाले सेवानिवृत्त सैनिकों को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख के बावजूद समान पेंशन मिले। इस योजना के लागू होने से लाखों पेंशनभोगी परिवारों को लाभ हुआ है, जिससे सशस्त्र बलों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण मिलता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने OROP लागू करने के अपने वादे को पूरा किया है। उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वह सत्ता में होती, तो यह योजना केवल एक सपना बनकर रह जाती। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी OROP योजना की सराहना करते हुए इसे प्रधानमंत्री की सशस्त्र बलों के प्रति नीति का महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि इस योजना से 25 लाख से अधिक पूर्व सैनिकों को लाभ मिला है, जो सरकार की सैनिकों और उनके परिवारों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

OROP योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि समान रैंक और समान सेवा अवधि वाले सेवानिवृत्त सैनिकों को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख से भिन्नता के बावजूद समान पेंशन मिले। इस योजना से पहले पूर्व सैनिक वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर पेंशन पाते थे। योजना के अनुसार, 30 जून 2014 तक सेवानिवृत्त सभी सैन्यकर्मी इसके अंतर्गत आते हैं। OROP का प्रस्ताव सबसे पहले भगत सिंह कोश्यारी की अध्यक्षता वाली 10 सदस्यीय सर्वदलीय संसदीय पैनल द्वारा किया गया था, जिसे कोश्यारी समिति भी कहा जाता है। वर्तमान में इस योजना का सबसे अधिक लाभ उत्तर प्रदेश और पंजाब के पूर्व सैनिकों को मिल रहा है।

अमेरिका में ट्रंप की जीत से झूमा शेयर बाजार, 80000 के पार, करोड़ों निवेशकों को होगा फायदा

Image 2Image 3Image 4Image 5

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम आ चुके हैं, और एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में वापसी की है। वे फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए हैं। ग्लोबल ब्रोकरेज की तरफ से यह उम्मीद व्यक्त की गई थी कि ट्रंप की जीत से शेयर बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है। चुनावी परिणामों के दिन बुधवार को भी शेयर बाजार में कुछ ऐसा ही देखने को मिला।

सेंसेक्स एवं निफ्टी ने जोरदार तेजी के साथ शुरुआत की। जैसे ही डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति पद की रेस में जीत की घोषणा हुई, सेंसेक्स एवं निफ्टी में तेज़ी दिखी। खबर लिखे जाने तक, दोपहर 1 बजे, BSE सेंसेक्स 740 अंकों की जबरदस्त उछाल के साथ 80,224 के स्तर पर पहुंच चुका था।

सेंसेक्स के अतिरिक्त, NSE निफ्टी में भी तूफानी तेजी देखी गई, तथा यह 241 अंक चढ़कर 24,454 के स्तर पर पहुंच गया। गौरतलब है कि Emkay Global ने यह अनुमान लगाया था कि ट्रंप की जीत के पश्चात् शेयर बाजार में शॉर्ट टर्म रैली देखी जा सकती है, जिससे निवेशकों को फायदा हो सकता है।

पराली जलाने पर लगेगा दोगुना जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद एक्शन में केंद्र सरकार

#centredoublepenaltyforstubbleburningduetoai_pollution

Image 2Image 3Image 4Image 5

देश की राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। इसका खामियाजा लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ा रहा है। प्रदूषण की ये समस्या नई नहीं है। सालों से जारी इस समस्या पर केन्द्र और राज्य सरकारें लगाम लगाने में नाकाम रहीं हैं। अब सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना दोगुना कर दिया है। पर्यावरण मंत्रालय ने गुरुवार को एक नोटिफिकेशन जारी करके इसकी जानकारी दी है।

केंद्र सरकार ने पराली की समस्या के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा कदम उठाया है।केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माने की राशि बढ़ाकर दोगुनी कर दी है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग संशोधन नियम- 2024 प्रभावी होंगे। केंद्र सरकार इसे लेकर एक नोटिफिकेशन जारी की है। नोटिफिकेशन के अनुसार जो किसान दो एकड़ से कम भूमि क्षेत्र रखते हैं, उन्हें 5000 रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा देना होगा।इसके साथ ही जो किसान दो एकड़ या उससे अधिक, लेकिन पांच एकड़ से कम भूमि क्षेत्र रखते हैं, उन्हें 10,000 रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा देना होगा। जो किसान पांच एकड़ से अधिक भूमि क्षेत्र रखते हैं, उन्हें 30,000 रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा देना होगा। साथ ही पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू रहेगा।

कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया था दो हफ्ते का समय

दरअसल, 4 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पराली पर पंजाब-हरियाणा से 14 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। इससे पहले 23 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA) के तहत नियम बनाने और जिम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति करने के लिए केंद्र सरकार को दो हफ्ते का समय दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा सरकार को लगाई थी फटकार

इससे पहले 23 अक्टूबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट हरियाणा सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट नजर नहीं आया था। कोर्ट ने कहा कि हमें सख्त आदेश देने के लिए मजबूर न करें। जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस ए अमानुल्लाह और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने पंजाब और हरियाणा सरकार की खेतों में पराली जलाने से रोकने की कोशिशों को महज दिखावा बताया। कोर्ट ने कहा कि अगर ये सरकारें वास्तव में कानून लागू करने में रुचि रखती हैं तो कम से कम एक केस तो चलना ही चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों को याद दिलाया जाए कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना नागरिकों का मौलिक अधिकार है। प्रदूषण में रहना अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों