सोनभद्र जिले के अस्पताल बनते जा रहे 'रेफर सेंटर', स्वास्थ्य सेवाओं की साख पर सवाल
विकास कुमार अग्रहरी
सोनभद्र। जहां एक ओर सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर सोनभद्र जिले के सीएचसी, पीएचसी और जिला अस्पतालों से मरीजों को बिना ठोस कारण बताए रेफर करने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि उनकी सरकार के दौरान अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ी हैं और इलाज भी आसान हुआ है, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
जनपद के नगवा, घोरावल, बभनी,म्योरपुर, दुद्धी और अनपरा जैसे सीमावर्ती इलाकों में स्थित अस्पताल केवल 'रेफर सेंटर' बनकर रह गए हैं। जुगैल और कोन जैसे दुर्गम क्षेत्रों के मरीजों को इलाज के लिए चोपन सीएचसी जाना पड़ता है, जहां से अधिकांश मरीजों को जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है। यही कारण है कि कई मरीज सरकारी अस्पताल में रेफर होने के बजाय प्राइवेट डॉक्टरों या झोलाछाप डॉक्टरों की शरण में जाने को मजबूर हो जाते हैं।
इस गंभीर समस्या को शनिवार को उद्योग बंधु की बैठक में व्यापार मंडल के अध्यक्ष कौशल शर्मा ने उठाया। उन्होंने कहा कि अगर मरीज की पर्ची पर रेफर का कारण स्पष्ट रूप से लिखा जाए, तो मरीज को यह जानकारी होगी कि उसे किस वजह से रेफर किया गया है। साथ ही, प्रशासन भी सरकार को वास्तविक स्थिति से अवगत करा सकेगा।
सीडीओ जागृति अवस्थी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और स्वास्थ्य अधिकारियों से पूछा कि मरीजों की पर्ची पर रेफर का कारण क्यों नहीं लिखा जाता, जिस पर स्वास्थ्य अधिकारी मौन रहे। व्यापार मंडल के अध्यक्ष कौशल शर्मा ने जोर देकर कहा कि यह जरूरी है कि अस्पताल में रेफर का कारण स्पष्ट हो, ताकि मरीजों को अनावश्यक परेशानी का सामना न करना पड़े।
हालांकि यह मुद्दा उद्योग बंधु की बैठक में उठा, लेकिन इसे गंभीरता से लेते हुए जनप्रतिनिधियों और स्वास्थ्य अधिकारियों को इस समस्या का समाधान निकालने की आवश्यकता है, ताकि सरकार द्वारा दी जा रही स्वास्थ्य सेवाएं जन-जन तक पहुंच सकें और किसी भी मरीज को बेवजह परेशान न होना पड़े।
Sep 30 2024, 12:37