हिमाचल में कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी ना ही पेंशन, जानें क्यों गहराया आर्थिक संकट?*
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कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश भारी आर्थिक संकट में फंस गया है। आर्थिक संकट इतना गहरा गया है कि 2 लाख कर्मचारी सितम्बर महीने में अपनी सैलरी का इंतजार कर रहे हैं। राज्य के पेंशनर भी अपनी पेंशन से वंचित हैं।राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब सरकारी कर्मचारियों का वेतन महीने की पहली तारीख को नहीं मिला। माना जा रहा है कि कर्मचारियों को वेतन के लिए 5 सितंबर तक का इंतजार करना होगा।केंद्र सरकार से राजस्व घाटा अनुदान के 490 करोड़ रुपए मिलने के बाद ही वेतन और पेंशन का भुगतान होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनरों को अगस्त महीने की सैलरी सितम्बर माह के 3 दिन होने के बाद भी नहीं मिली है। सामान्यतः हर महीने की 1 तारीख को आने वाली सैलरी और पेंशन सितम्बर माह में नहीं आई। 1 तारीख को रविवार होने के कारण इसे बैंकिंग व्यवस्था में देरी मानी गई। कर्मचारियों और पेंशनरों को आश्चर्य तब हुआ जब उन्हें 2 तारीख को पैसा भी नहीं मिला, इस दिन सोमवार था और बैंक खुले थे। बताया गया है कि सैलरी और पेंशन में देरी सरकार की आर्थिक स्थिति के कारण हुई है। *आर्थिक संकट पैदा क्यों हो गया है?* हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट की चर्चा इन दिनों पूरे देश भर में हो रही है। ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल है कि राज्य में ऐसा आर्थिक संकट पैदा क्यों हो गया है? इसके पीछे की वजह देखें, तो रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में टेपर फॉर्मूला की वजह से राज्य सरकार को नुकसान हो रहा है। इस फॉर्मूले के मुताबिक, केंद्र से मिलने वाली ग्रांट हर महीने कम होती है। इसके अलावा, लोन लिमिट में भी कटौती की गई है। साल 2024-25 में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में 1 हजार 800 करोड़ रुपये की कटौती हुई। आने वाले समय में यह परेशानी और भी ज्यादा बढ़ेगी। *ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली भी बनी वजह* आर्थिक हालत खराब होने की एक और वजह ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली भी है। इसकी वजह से नई पेंशन स्कीम के राज्य के कंट्रीब्यूशन के कारण मिलने वाला 2 हजार करोड़ का लोन भी राज्य सरकार को अब नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से भी राज्य के खजाने पर बोझ आ गया है। *कैसे बिगड़ा बैलेंस?* हिमाचल की बदहाल आर्थिक स्थिति इसके 2024-25 के बजट से समझी जा सकती है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹58,444 करोड़ का बजट सुक्खू सरकार ने पेश किया था। इस बजट में भी सरकार का राजकोषीय घाटा (सरकार की आय और खर्चे के बीच का अंतर, जिसे कर्ज लेकर पूरा किया जाता है) ₹10,784 करोड़ है। इस बजट का बड़ा हिस्सा तो केवल पुराने कर्जा चुकाने और राज्य के कर्मचारियों की पेंशन और तनख्वाह देने में ही चला जाएगा। इस बजट में से ₹5479 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज चुकाने, ₹6270 करोड़ का खर्च पुराने कर्ज का ब्याज देने में करेगी। यानी पुराने कर्जों के ही चक्कर बजट का लगभग 20% हिस्सा चला जाएगा। इसके अलावा सुक्खू सरकार तनख्वाह और पेंशन पर ₹27,208 करोड़ खर्च करेगी। इस हिसाब से देखा जाए तो ₹38,957 का खर्च तो केवल कर्ज, ब्याज, तनख्वाह और पेंशन पर ही हो आएगा। यह कुल बजट का लगभग 66% है। अगर नए कर्ज को हटा दें तो यह हिमाचल के कुल बजट का 80% तक पहुँच जाता है। यानी राज्य को बाकी खर्चे करने की स्वतंत्रता ही नहीं है। हिमाचल प्रदेश 2024-25 में लगभग ₹1200 करोड़ सब्सिडी पर भी खर्च करने वाला है। यह धनराशि सामान्य तौर पर छोटी लग सकती है, लेकिन आर्थिक संकट में फंसे हिमाचल के लिए यह भी भारी पड़ रही है। इस सब्सिडी में सबसे बड़ा खर्चा बिजली सब्सिडी का है। *अभी कम नहीं होने वाली है मुश्किलें* बता दें कि हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को हर महीने वेतन देने के लिए राज्य सरकार को 1 हजार 200 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसी तरह पेंशन देने के लिए हर महीने 800 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होती है।कुल-मिलाकर यह खर्च 2 हजार करोड़ रुपये बनता है। वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार के पास इस वित्त वर्ष में दिसंबर तक लोन लिमिट 6 घर 200 करोड़ रुपये है। इनमें से 3 हजार 900 करोड़ रुपये लोन लिया जा चुका है। अब सिर्फ 2 हजार 300 करोड़ की लिमिट बची है। इसी से राज्य सरकार को दिसंबर महीने तक का काम चलाना है। दिसंबर से लेकर मार्च तक वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के लिए केंद्र से अलग लोन लिमिट सैंक्शन होगी। ऐसे में राज्य सरकार के समक्ष अब सितंबर के बाद अक्टूबर और नवंबर महीने का वेतन और पेंशन देने के लिए भी कठिनाई होगी।
ममता बनर्जी सरकार विधानसभा में आज पेश करेगी एंटी रेप बिल, रेपिस्ट के लिए फांसी की सजा का है प्रावधान*
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कोलकाता के आरजी कर रेप-मर्डर केस को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार एंटी रेप बिल ला रही है। सरकार ने इसे अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक, (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024 नाम दिया है। बिल को पारित करने के लिए सोमवार को दो दिन का विधानसभा का स्पेशल सत्र बुलाया गया। इसमें रेपिस्ट के लिए फांसी या फिर मरने तक जेल का प्रावधान किया है।वहीं इस बिल पर राजनीति शुरू हो गई है। बीजेपी ने सवाल उठाए हैं कि अब ममता सरकार हमदर्दी पाने के लिए यह बिल ला रही है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में मौजूद आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को जूनियर डॉक्टर के साथ रेप हुआ और हत्या कर दी गई, जिसके बाद राज्य में इस समय सड़कों पर लोग इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं। कोलकाता के लाल बाजार में सड़कों पर जूनियर डॉक्टर धरना कर रहे हैं और कोलकाता की निर्भया के लिए न सिर्फ न्याय की मांग कर रहे हैं, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।कोलकाता रेप केस के लिए न सिर्फ राज्य बल्कि पूरे देश में आवाज उठाई जा रही है, जिसके चलते ही सीएम ममता बनर्जी ने एंटी रेप बिल लाने का ऐलान किया था। इस बिल को आज विधानसभा में पेश किया जाएगा। इस बिल के अंदर क्या-क्या होगा 1. रेप, हत्या के केस में फांसी का प्रावधान। 2. इस बिल के अंदर चार्जशीट दायर करने के 36 दिन के अंदर मौत की सजा का होगा प्रावधान होगा। 3. न सिर्फ रेप बल्कि एसिड अटैक भी उतना ही गंभीर अपराध है, जिसके लिए भी इस बिल में आजीवन कारावास की सजा देने का प्रावधान है। 4. हर जिले में स्पेशल फोर्स-अपराजिता टास्क फोर्स बनाई जाएगी। 5. यह अपराजिता टास्क फोर्स-रेप, एसिड अटैक या छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई करेगी। 6. इस बिल में एक और काफी अहम चीज जोड़ी गई है, वो है कि अगर किसी ने पीड़िता की पहचान उजागर की तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बीजेपी ने विधेयक के औचित्य पर उठाया सवाल हालांकि, विपक्षी दलों और कानूनी विशेषज्ञों ने प्रस्तावित विधेयक के औचित्य पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि देश में पहले से ही बलात्कार विरोधी मजबूत कानून मौजूद हैं। केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने इस मामले में कहा, 'राज्य सरकार पहले ऐसा कानून क्यों नहीं लाई? अब यह विधेयक मुख्य मुद्दे को छिपाने के लिए लाया जा रहा है। वे सहानुभूति हासिल करने के लिए इस विधेयक को लाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन यह सब नहीं चलेगा। हम विरोध जारी रखेंगे... '
कश्मीर में आतंकियों के पास पहली बार मिली Steyer AUG राइफल, सुरक्षा एजेंसियां भी दंग, जानें कितनी खतरनाक?

डेस्क: जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के केरन सेक्टर में गुरुवार ( 18 जुलाई) को मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के पास से सेना के जवानों द्वारा ऑस्ट्रिया में बनी स्टेयर एयूजी असॉल्ट राइफल बरामद की गई है. स्टेयर एयूजी असॉल्ट राइफल बरामद होने से सुरक्षा एजेंसियां चिंतित हैं. जानकारी के अनुसार, मारे गए आतंकवादियों के पास से हथियार और गोला-बारूद, युद्ध जैसे सामान और एक पाकिस्तानी पहचान पत्र बरामद किया गया.सूत्रों ने बताया कि बरामद की गई वस्तुओं में स्टेयर एयूजी भी शामिल है. आतंकवादी पहले से ही अमेरिका निर्मित एम-4 कार्बाइन राइफलों का उपयोग कर रहे हैं. सुरक्षा बलों ने जम्मू क्षेत्र और कश्मीर दोनों में मारे गए आतंकवादियों से इसे बरामद भी किया था. एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा, "एम-4 का इस्तेमाल ज्यादातर शीर्ष कमांडरों और जम्मू-कश्मीर में सक्रिय पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा किया जाता है." उन्होंने बताया कि ये राइफलें काफी ज्यादा एडवांस हैं और इनमें रात में देखने वाले उपकरण होते हैं. पूर्व जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख एसपी वैद ने कहा, 'पाकिस्तान की आईएसआई को नार्को व्यापार के माध्यम से बहुत पैसा मिलता है. वे इसका इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में इस्तेमाल के लिए हथियार खरीदने के लिए कर रहे हैं.' बता दें कि गुरुवार को कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में सेना ने दो आतंकवादियों को मार गिराया था. सेना ने आतंकियों की घुसपैठ की कोशिश को सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया दिया था. जानें क्यों खतरनाक है स्टेयर एयूजी स्टेयर एयूजी को एक मॉड्यूलर हथियार प्रणाली के रूप में डिजाइन किया गया है जिसे जल्दी से एक असॉल्ट राइफल, एक कार्बाइन, एक सबमशीन गन और एक ओपन-बोल्ट लाइट मशीन गन के रूप में कॉन्फ़िगर किया जा सकता है.
अरब सागर में हादसे का शिकार हुआ कोस्ट गार्ड का हेलीकॉप्टर, क्रू के एक सदस्य को बचाया गया, तीन लापता*
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भारतीय तटरक्षक बल के एक हेलीकॉप्टर को समुद्र में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी है।इस घटना में हेलीकॉप्टर पर सवार चार लोगों में तीन लापता बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश जारी है। वहीं क्रू के एक सदस्य को बचा लिया गया है। तटरक्षक बल ने जानकारी दी है कि 02 सितम्बर 2024 को रात 11 बजे गुजरात के पोरबंदर में मोटर टैंकर हरि लीला से एक घायल चालक दल के सदस्य को निकालने के लिए एएलएच हेलीकॉप्टर को भेजा गया था। यह कार्रवाई गुजरात के पोरबंदर तट से करीब 45 किलोमीटर दूर की गई। तटरक्षक बल ने बताया कि मोटर टैंकर हरि लीला के मालिक के अनुरोध पर यह कार्रवाई की गई थी। तटरक्षक बल के दल में चार लोग सवार थे। कथित तौर पर अभियान के दौरान हेलीकॉप्टर को अरब सागर में ही आपात लैंडिंग करनी पड़ी। इंडियान कोस्ट गार्ड ने ट्वीट कर के जानकारी दी है कि यह घटना तब हुई जब हेलीकॉप्टर निकासी के लिए जहाज के पास आ रहा था। आपातकालीन लैंडिंग करने वाले हेलीकॉप्टर के चालक दल के एक सदस्य को खोज लिया गया है। वहीं, 3 अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।रेस्क्यू टीम को हेलीकॉप्टर का मलबा मिल गया है। इंडियान कोस्ट गार्ड ने बचाव अभियान के लिए 04 जहाज और 02 विमान तैनात किए हैं।
हरियाणा विस चुनावः कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक, आप संग गठबंधन का है प्लान?

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हरियाणा विधानसभा चुनावों को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के पक्ष में हैं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेता राहुल गांधी का मानना है कि विधानसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी से गठबंधन फायदे का सौदा हो सकता है। उन्होंने कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में हरियाणा के नेताओं से इस पर राय मांगी है। राहुल गांधी ने इस मामले पर फीडबैक देने को कहा है।

क्या कहा राहुल गांधी ने?

हरियाणा चुनाव को लेकर सीईसी की बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विधानसभा चुनावों के लेकर अहम बात कही है। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने अपनी राय रखते हुए कहा कि सूबे में आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से कांग्रेस को फायदा होगा और अगर दोनों पार्टियां अलग-अलग लड़ती हैं तो नुकसान उठाना पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि इस मसले पर पार्टी के सभी नेता एकमत दिखे।

पहले कर चुके हैं गठबंधन से इनकार

बता दें कि इससे पहले कांग्रेस नेता लगातार कहते आए थे कि हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर उनकी पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी के सीनियर लीडर पहले कई बार गठबंधन से इनकार कर चुके हैं। कुछ समय पहले हरियाणा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और सांसद कुमारी शैलजा ने एक इंटरव्यू में आप के साथ गठबंधन की संभावनाओं को साफ खारिज कर दिया था। वहीं, दिल्ली के सीएम और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी कई बार हरियाणा में कांग्रेस के साथ गठबंधन से इनकार कर चुके हैं।

हरियाणा, गुजरात, गोवा, दिल्ली और चंडीगढ़ में लोकसभा चुनाव में थे साथ

बता दें कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने हरियाणा, गुजरात, गोवा, दिल्ली और चंडीगढ़ में लोकसभा चुनाव संयुक्त रूप से लड़ा था। हालांकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करके आम आदमी पार्टी को नुकसान हुआ था। आने वाला समय ही बताएगा की दोनों पार्टियां गठबंधन करती हैं या नहीं।

आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष गिरफ्तार, जानें सीबीआई ने क्यों किया अरेस्ट?*
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केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने सोमवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष को गिरफ्तार कर लिया। संदीप घोष की गिरफ्तारी के एक घंटे के भीतर, सीबीआई अधिकारियों ने उनके सुरक्षा गार्ड और दो विक्रेताओं को भी गिरफ्तार किया, जो उस अस्पताल में सामग्री की आपूर्ति करते थे। सीबीआई ने ये कार्रवाई आरजी कर हॉस्पिटल में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर की है। सीबीआई ने इस मामले में पिछले दिनों एफआईआर भी दर्ज की थी। बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ रेप के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी, जिस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। 16 अगस्त से लगातार 15 दिनों तक संदीप को सीबीआई द्वारा पूछताछ का सामना करना पड़ा। पिछले शनिवार और रविवार को उनकी पूछताछ नहीं की गई थी, लेकिन सोमवार को उन्हें फिर से सीजीओ कॉम्प्लेक्स में तलब किया गया। शाम को सीबीआई के अधिकारी संदीप को वहां से निकालकर निजाम पैलेस ले गए। इसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी ने सूचित किया कि संदीप को गिरफ्तार कर लिया गया है।रिपोर्ट के अनुसार गिरफ्तार किए गए तीन लोगों में संदीप घोष का सुरक्षा गार्ड अफसर अली खान और अस्पताल के दो विक्रेता बिप्लव सिंहा और सुमन हाजरा शामिल हैं। नौ अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर के साथ कथित दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद से तत्कालीन प्राचार्य संदीप की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे। जांच का जिम्मा मिलने के बाद 15 अगस्त को सीबीआई ने उन्हें पहली बार तलब किया। उस दिन संदीप ने हाजिरी नहीं हुए। लेकिन अगले दिन सीबीआई ने उ्न्हें साल्ट लेक की सड़क से पकड़ लिया। संदीप को सीजीओ कॉम्प्लेक्स के सीबीआई दफ्तर ले गए। इसके बाद से 24 अगस्त तक लगातार 9 दिनों तक उन्हें सीजीओ में तलब किया गया। उन्हें रोजाना 10 से 14 घंटे तक सीबीआई दफ्तर में रहना पड़ा। सीबीआई ने आरजी कर हॉस्पिटल में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर जो एफआईआर दर्ज की थी, उसमें संदीप घोष, और तीन व्यापारिक संस्थाओं के नाम शामिल हैं। तीनों संस्थाओं को कथित वित्तीय घोटाले का लाभार्थी माना जा रहा है। इस मामले में ईडी भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करेगी। इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों द्वारा दायर पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के आधार पर ईडी ईसीआईआर दर्ज करेगी। सीबीआई ने पिछले हफ्ते कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद मामले की जांच शुरू की है। 23 अगस्त को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच राज्य द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसाईटी) से सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था।यह निर्देश संस्थान के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली की याचिका के जवाब में आया, जिन्होंने संदीप घोष के कार्यकाल के दौरान राज्य संचालित संस्थान में कथित वित्तीय भ्रष्टाचार के कई मामलों की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने की मांग की थी। अख्तर अली ने आरोप लगाया कि संदीप घोष के खिलाफ राज्य सतर्कता आयोग और एंटी करप्शन ब्यूरो के समक्ष एक साल पहले दायर की गई उनकी शिकायतों का कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बजाय, संस्थान से उनका ट्रांसफर कर दिया गया। याचिका में अख्तर अली ने संदीप घोष पर लावारिस लाशों की अवैध बिक्री, बायोमेडिकल कचरे की तस्करी और दवा और चिकित्सा उपकरण आपूर्तिकर्ताओं द्वारा भुगतान किए गए कमीशन के बदले निविदाएं पारित करने का आरोप लगाया। अली ने यह भी आरोप लगाया कि छात्रों पर परीक्षा पास करने के लिए 5 से 8 लाख रुपये के बीच राशि का भुगतान करने का दबाव डाला गया।
पीएम मोदी ने किया बीजेपी के सदस्यता अभियान का आगाज, बोले- आंतरिक लोकतंत्र ना अपनाने का खामियाजा भुगत रहे कई दल*
#pm_narendra_modi_address_bjp_membership_drive_launch बीजेपी का सदस्‍यता अभ‍ियान सोमवार को से शुरू हो गया। पार्टी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदस्‍यता दिलाई। पीएम नरेंद्र मोदी ने मिस्ड कॉल के जरिए बीजेपी की सदस्यता ली। इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह समेत पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने सदस्‍यता ली।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के राष्ट्रीय सदस्यता अभियान के शुभारंभ के अवसर पर कहा कि बीजेपी अपने संविधान के आधार पर चलती है। पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज सदस्यता अभियान का एक और दौर शुरू हो रहा है। भारतीय जनसंघ से लेकर अब तक हमने देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति लाने का भरसक प्रयास किया है। जब तक जिस संगठन के माध्यम से या जिस राजनीतिक दल के माध्यम से देश की जनता सत्ता सुपुर्द करती है, वो ईकाई, वो संगठन और वो दल अगर लोकतांत्रिक मूल्यों को नहीं जीता है, आंतरिक लोकतंत्र निरंतर उसमें पनपता नहीं है तो वैसी स्थिति बनती है जो आज देश कई दलों को हम देख रहे हैं। *भाजपा एकमात्र पार्टी,जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करती है-पीएम मोदी* प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो अपनी पार्टी के संविधान अनुसार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए अपने कार्यों का विस्तार कर रही है और जन-सामान्य की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए अपने आप को निरंतर योग्य बनाती रहती है। मोदी ने कहा, मैं जब राजनीति में नहीं था, तो जनसंघ के जमाने में बड़े उत्साह के साथ कार्यकर्ता दीवारों पर पेंट करते थे, तो कई राजनीतिक दल के नेता अपने भाषण में मजाक उड़ाते थे कि दीवारों पर पेंट करने से सत्ता के गलियारों तक नहीं पहुंचा जा सकता है। हम वो लोग हैं, जिन्होंने दीवारों पर कमल पेंट किया, क्योंकि भरोसा था कि दीवारों पर पेंट किया गया कमल...कभी न कभी तो दिलों पर भी पेंट हो जाएगा। *नई राजनीतिक संस्कृति लाने का प्रयास किया-पीएम मोदी* पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 'जनसंघ से लेकर अब तक हमने देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति लाने का भरसक प्रयास किया है। जिस संघठन के माध्यम से देश की जनता सत्ता सुपुर्द करती है, वो ईकाई, वो संगठन, वो दल अगर लोकतांत्रिक मूल्यों को नहीं जीता है या उसके अंदर आंतरिक लोकतंत्र निरंतर नहीं पनपता है तो ऐसी स्थिति आती है जो आज हम देश कई दलों में देख रहे हैं। अमित भाई ने कहा कि देश में एकमात्र यही एक दल है जो पार्टी के संविधान का अक्षरश: पालन कर रहा है।' *जहां चुनौती है, वहां दिलों में कमल खिलाना है-पीएम मोदी* पीएम मोदी ने कहा कि यह दल ऐसे ही यहां तक नहीं पहुंचा। अनेक पीढ़ियां खप गई है। तब जाकर यह दल लोगों के दिलों में जगह बना पाया है। मैं जब राजनीति में नहीं था, जनसंघ के जमाने में बड़े उत्साह के साथ कार्यकर्ता दीवारों पर दीपक (जनसंघ) पेंट करते थे। तब कई राजनीतिक दल के नेता मजाक उड़ाते थे कि दीवारों पर दीपक जलाने से सत्ता के गलियारे तक नहीं पहुंचा जा सकता है। हम वो लोग हैं जिन्होंने दीवारों पर इतनी श्रद्धा से पेंट किया कि दीवारों पर पेंट किया हुआ कमल कभी न कभी तो दिलों पर पेंट हो जाएगा। कुछ लोग हमेशा हमारा मजाक उड़ाते रहे। जब संसद में हमारे दो सदस्य थे तब भी इतना भद्दा मजाक उड़ाया गया था। कुछ लोगों का चरित्र ही ऐसा होता है। ऐसी सभी आलोचनाओं को झेलते हुए हम जनसामान्य के कल्याण के लिए समर्पित होकर नेशन फर्स्ट की भावना को जीते हुए चलते ही रहे। पीएम मोदी ने कहा कि चुनौती को चुनौती देना बीजेपी की रगों में है। जहां चुनौती है, वहां दिलों में कमल खिलाना है।
कांग्रेस ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर लगाए गंभीर आरोप, “एक साथ तीन जगह से ले रही थीं सैलरी”*
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कांग्रेस ने शेयर बाजार रेग्युलेटर सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाएं है। कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर माधवी पर सेबी से जुड़े होने के दौरान ICICI बैंक समेत 3 जगहों से सैलरी लेने का आरोप लगाया। आपको बता दें कि बीते महीने अमेरिकी शॉर्ट सेलर फंड हिंडनबर्ग ने व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा था कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की उन ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी रही है, जो अदाणी समूह की फाइनेंशियर अनियमितताओं से जुड़ी हुई थीं। *देश में शतरंज का खेल चल रहा-खेड़ा* कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि देश में शतरंज का खेल चल रहा है। आखिर इस शतरंज के खिलाड़ी कौन हैं। उन्होंने कहा साल 2017 से 2024 तक 16 करोड़ से अधिक रुपये लिए। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, 'सेबी की भूमिका शेयर बाजार को विनियमित करना है, जहां हम सभी अपना पैसा लगाते हैं। इसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। सेबी के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है? यह कैबिनेट, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नियुक्ति समिति है। सेबी के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए इस समिति में दो सदस्य हैं। जब वह (सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच) 2017 से 2024 के बीच ICICI बैंक से 16 करोड़ 80 लाख रुपये की नियमित आय ले रही थीं। आप सेबी की पूर्णकालिक सदस्य भी हैं। आप ICICI से वेतन क्यों ले रही थीं?' *हिंडनबर्ग ने सेबी को लेकर किया था दावा* अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अगस्त में एक रिपोर्ट जारी की। इसमें दावा किया गया है कि सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है। व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के आधार पर हिंडनबर्ग ने दावा किया कि बुच और उनके पति की मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में कथित तौर पर अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने अरबों डॉलर निवेश किए हैं। इस पैसे का इस्तेमाल अडाणी ग्रुप के शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया था। *माधबी बुच ने आरोपों से इनकार किया था* माधवी बुच ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार और चरित्र हनन का प्रयास बताया। सेबी चेयरपर्सन ने सभी फाइनेंशियल रिकॉर्ड डिक्लेयर करने की इच्छा व्यक्त की है। अपने पति धवल बुच के साथ एक जॉइंट स्टेटमेंट में उन्होंने कहा, 'हमारा जीवन और फाइनेंसेस एक खुली किताब है।
अभिषेक सिंघवी ने कहा- खत्म कर देना चाहिए राज्यपाल का पद, जानें क्यों की ऐसी मांग?*
#abhishek_manu_singhvi_said_governor_post_should_be_abolished *
कांग्रेस नेता और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यपाल के पद को लेकर बड़ा बयान दिया है। राज्यपालों और विपक्षी नेतृत्व वाली राज्य सरकारों के बीच बढ़ते संघर्षों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंहवी ने कहा कि या तो राज्यपाल का पद खत्म कर देना चाहिए या फिर सबकी सहमति से ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति करनी चाहिए जो तुच्छ राजनीति में शामिल न हो। इस दौरान कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार पर राज्यपालों की भूमिका को दयनीय बनाने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि संसद के दोनों सदनों में अध्यक्ष की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सुधार किए जाएं। अभिषेक सिंघवी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को एक साक्षात्कार दिया। पीटीआई को दिए इंटरव्यू में सिंघवी ने संसद में आसन और विपक्ष के बीच टकराव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘यह बहुत दुखद है.. इस कार्यकाल के पूरा होने तक मैं राज्यसभा में 20 साल की अवधि पूरी कर लूंगा। मैं संसदीय भावना को महत्व देता हूं। मैं वास्तव में इसमें विश्वास करता हूं। मेरा मानना है कि सेंट्रल हॉल मात्र एक जगह नहीं है, यह एक ‘अवधारणा’ (कॉन्सेप्ट) है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं दलगत भावना से अलग विशाल हृदय वाली उदारता में विश्वास करता हूं।‘ *सांसदों के निलंबन पर ये कहा* पिछली एनडीए सरकार के दौरान संसद के शीतकालीन सत्र में बड़े पैमाने पर सांसदों के निलंबन के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'आप यह कहकर लोकतंत्र को नकार नहीं सकते कि असहमति के कारण मैं 142 लोगों को निलंबित कर दूंगा। विपक्ष को अपनी बात रखनी होगी और अंततः सरकार का अपना रास्ता होगा। लेकिन मुझे अपनी बात कहने की जरूरत है और आपको अपनी बात कहने की, उस प्रक्रिया को अपने आप चलने दीजिए। सिर्फ दिखावे के लिए संसद (आर्टिफिशियल पार्लियामेंट) नहीं हो सकती।' उन्होंने कहा कि अब यह राज्यों में भी हो रहा है और किसी एमएलसी को सिर्फ इस वजह से सदन से निष्कासित कर दिया जाता है कि उसने सरकार की आलोचना की। *स्पीकर के चुनाव पर खड़े किए सवाल* आगे उन्होंने बिना किसी राज्य का नाम लिए कहा कि अब तो राज्यों में भी यही हो रहा है। वहां किसी एमएलसी को मात्र इस कारण सदन से बाहर कर दिया जाता है कि उसने सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र का सार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विचार की स्वतंत्रता है। इस दौरान उन्होंने इंग्लैंड की संसदीय व्यवस्था का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि यह पहले भारतीय संसदीय व्यवस्था में था, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। आज हमारे यहां ऐसा है कि सत्ता धारी दल पहले से तय कर लेते हैं कि अगली संसद में फलाना व्यक्ति स्पीकर होगा, ऐसे में चुनाव से पहले उनकी सीट से कोई दूसरा चुनाव नहीं लड़ेगा और वह व्यक्ति निर्विरोध निर्वाचित हो जाएगा। *राज्यपालों की भूमिका बहुत दयनीय- अभिषेक मनु सिंघवी* सिंघवी ने राज्यपालों की भूमिका को लेकर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ने राज्यपालों की भूमिका बहुत दयनीय कर दी है। इस सरकार ने हर संस्था को नीचा दिखाया है। उन्होंने कहा कि आज राज्यपाल शासन को अवरुद्ध करते हैं। आज उनके स्तर पर विधेयकों को मंजूरी देने में विलंब होता है। तमिलनाडु में 10 विधेयकों को रोककर रखा गया था। तब जैसे ही मैंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया तो उससे एक दिन पहले ही दो तीन विधेयकों को मंजूरी दे दी गई और बाकी को राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया।
अभिषेक सिंघवी ने कहा- खत्म कर देना चाहिए राज्यपाल का पद, जानें क्यों की ऐसी मांग?*
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कांग्रेस नेता और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यपाल के पद को लेकर बड़ा बयान दिया है। राज्यपालों और विपक्षी नेतृत्व वाली राज्य सरकारों के बीच बढ़ते संघर्षों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंहवी ने कहा कि या तो राज्यपाल का पद खत्म कर देना चाहिए या फिर सबकी सहमति से ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति करनी चाहिए जो तुच्छ राजनीति में शामिल न हो। इस दौरान कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार पर राज्यपालों की भूमिका को दयनीय बनाने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि संसद के दोनों सदनों में अध्यक्ष की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सुधार किए जाएं। अभिषेक सिंघवी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को एक साक्षात्कार दिया। पीटीआई को दिए इंटरव्यू में सिंघवी ने संसद में आसन और विपक्ष के बीच टकराव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘यह बहुत दुखद है.. इस कार्यकाल के पूरा होने तक मैं राज्यसभा में 20 साल की अवधि पूरी कर लूंगा। मैं संसदीय भावना को महत्व देता हूं। मैं वास्तव में इसमें विश्वास करता हूं। मेरा मानना है कि सेंट्रल हॉल मात्र एक जगह नहीं है, यह एक ‘अवधारणा’ (कॉन्सेप्ट) है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं दलगत भावना से अलग विशाल हृदय वाली उदारता में विश्वास करता हूं।‘ *सांसदों के निलंबन पर ये कहा* पिछली एनडीए सरकार के दौरान संसद के शीतकालीन सत्र में बड़े पैमाने पर सांसदों के निलंबन के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'आप यह कहकर लोकतंत्र को नकार नहीं सकते कि असहमति के कारण मैं 142 लोगों को निलंबित कर दूंगा। विपक्ष को अपनी बात रखनी होगी और अंततः सरकार का अपना रास्ता होगा। लेकिन मुझे अपनी बात कहने की जरूरत है और आपको अपनी बात कहने की, उस प्रक्रिया को अपने आप चलने दीजिए। सिर्फ दिखावे के लिए संसद (आर्टिफिशियल पार्लियामेंट) नहीं हो सकती।' उन्होंने कहा कि अब यह राज्यों में भी हो रहा है और किसी एमएलसी को सिर्फ इस वजह से सदन से निष्कासित कर दिया जाता है कि उसने सरकार की आलोचना की। *स्पीकर के चुनाव पर खड़े किए सवाल* आगे उन्होंने बिना किसी राज्य का नाम लिए कहा कि अब तो राज्यों में भी यही हो रहा है। वहां किसी एमएलसी को मात्र इस कारण सदन से बाहर कर दिया जाता है कि उसने सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र का सार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विचार की स्वतंत्रता है। इस दौरान उन्होंने इंग्लैंड की संसदीय व्यवस्था का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि यह पहले भारतीय संसदीय व्यवस्था में था, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। आज हमारे यहां ऐसा है कि सत्ता धारी दल पहले से तय कर लेते हैं कि अगली संसद में फलाना व्यक्ति स्पीकर होगा, ऐसे में चुनाव से पहले उनकी सीट से कोई दूसरा चुनाव नहीं लड़ेगा और वह व्यक्ति निर्विरोध निर्वाचित हो जाएगा। *राज्यपालों की भूमिका बहुत दयनीय- अभिषेक मनु सिंघवी* सिंघवी ने राज्यपालों की भूमिका को लेकर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ने राज्यपालों की भूमिका बहुत दयनीय कर दी है। इस सरकार ने हर संस्था को नीचा दिखाया है। उन्होंने कहा कि आज राज्यपाल शासन को अवरुद्ध करते हैं। आज उनके स्तर पर विधेयकों को मंजूरी देने में विलंब होता है। तमिलनाडु में 10 विधेयकों को रोककर रखा गया था। तब जैसे ही मैंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया तो उससे एक दिन पहले ही दो तीन विधेयकों को मंजूरी दे दी गई और बाकी को राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया।