महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने के मामले में पहली गिरफ्तारी

पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के ढहने से संबंधित एफआईआर में नामित संरचनात्मक सलाहकार चेतन पाटिल को कोल्हापुर में गिरफ्तार किया गया था।

कोल्हापुर के पुलिस अधीक्षक महेंद्र पंडित ने कहा, उसे गुरुवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया और आगे की जांच के लिए सिंधुदुर्ग पुलिस को सौंप दिया गया।

कोल्हापुर के निवासी पाटिल ने बुधवार को दावा किया था कि वह मूर्ति के लिए संरचनात्मक सलाहकार नहीं थे। मराठी समाचार चैनल एबीपी माझा के साथ एक साक्षात्कार में, कलाकार जयदीप आप्टे के साथ एफआईआर में नामित पाटिल ने बताया कि उन्होंने राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के माध्यम से भारतीय नौसेना को मंच का डिजाइन प्रस्तुत किया था, लेकिन मूर्ति के निर्माण में शामिल नहीं थे।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ठाणे स्थित एक कंपनी ने मूर्ति से संबंधित कार्य संभाला, जबकि उसकी भूमिका मंच तक ही सीमित थी। पिछले साल नौसेना दिवस (4 दिसंबर) पर सिंधुदुर्ग की मालवन तहसील के राजकोट किले में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनावरण की गई 17वीं सदी के मराठा योद्धा राजा की 35 फुट की प्रतिमा सोमवार को दोपहर 1 बजे के आसपास ढह गई।

पुलिस ने बताया कि मामले में एक ठेकेदार को भी गिरफ्तार किया गया है। इस घटना से एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी और विपक्षी दलों ने आलोचना और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। शिंदे ने कहा कि प्रतिमा का डिजाइन और निर्माण भारतीय नौसेना द्वारा किया गया था।

राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने गुरुवार को दावा किया कि मूर्ति बनाने वाला मूर्तिकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का करीबी था। उनकी यह टिप्पणी राज्य के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि मूर्तिकार कांग्रेस नेता राहुल गांधी के करीबी थे।

विपक्ष के मुताबिक, यह घटना 17वीं सदी के मराठा सम्राट की "विरासत का अपमान" है। कांग्रेस ने यह भी पूछा कि क्या मोदी इस घटना के लिए माफी मांगेंगे।

इस बीच, अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने गुरुवार को पुणे और पश्चिमी महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में मौन विरोध प्रदर्शन किया और प्रतिमा के ढहने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। भारतीय नौसेना ने कहा कि उसने राज्य सरकार के साथ समन्वय में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करने की परियोजना की संकल्पना और निर्देशन किया, जो इस सप्ताह महाराष्ट्र के मालवन में ढह गई थी, जिसने इसके लिए धन भी उपलब्ध कराया था।

भारत का परमाणु त्रय हिंद-प्रशांत पर बना रहा है दबदबा, चीन को दे रहा है टक्कर

अपने दो कार्यकालों के दौरान दो परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों को चालू करके, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने "भारत प्रथम" नीति के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है, जो भारत के दूसरे हमले की क्षमता के साथ 'विश्वसनीय, न्यूनतम' और स्वदेशी परमाणु निवारक प्राप्त करने के घोषित उद्देश्य के अनुरूप है।

पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी एसएसबीएन आईएनएस अरिहंत को लॉन्च होने के नौ साल बाद 2018 में कमीशन किया गया था, दूसरी आईएनएस अरिघाट को लॉन्च होने के सात साल बाद 29 अगस्त, 2024 को कमीशन किया गया था और तीसरी आईएनएस अरिदमन को अगले साल के भीतर कमीशन किया जाएगा। इस बीच, भारत के पहले बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकर जहाज आईएनएस ध्रुव को 10 सितंबर, 2021 को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा कमीशन किया गया था।

जबकि एसएसबीएन भारत की परमाणु त्रय की घोषित नीति का हिस्सा है, दो बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां भारत को क्षितिज मिसाइल क्षमताओं के साथ एक प्रमुख नीले पानी की नौसेना के रूप में पेश करती हैं। यह न केवल इंडो-पैसिफिक में भारत की पहुंच से इनकार करने की क्षमताओं को मजबूत करता है, बल्कि उस खतरे के मूल स्रोत से भारत की भूमि और समुद्र तट पर किसी भी खतरे को भी रोकता है।

आज दो विमान वाहक और दो एसएसबीएन के साथ, भारत विध्वंसक, फ्रिगेट और डीजल हमलावर पनडुब्बियों के एक शक्तिशाली बेड़े के साथ हिंद महासागर क्षेत्र पर हावी है। यह पड़ोस में भारतीय विरोधियों के लिए भी एक संदेश है कि किसी भी आक्रामकता का बड़ी ताकत से सामना किया जाएगा।

मोदी सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकार एक बड़े सतह मंच की तुलना में उप-सतह निवारक के पक्ष में हैं, यह इस बात से काफी स्पष्ट है कि नौसेना दो परमाणु ऊर्जा संचालित पारंपरिक रूप से सशस्त्र पनडुब्बियों और उन्नत के साथ तीन अतिरिक्त कलवरी श्रेणी की डीजल हमलावर पनडुब्बियों के निर्माण को प्राथमिकता दे रही है।

अपनी स्वदेशी क्षमताओं का निर्माण करते हुए, सरकार चीनी पीएलए नौसेना पर भी नजर रख रही है, जिसके पास वर्तमान समय में कार निकोबार के दक्षिण से श्रीलंका के पूर्व तक तीन वैज्ञानिक सर्वेक्षण जहाज हैं जो भविष्य में पनडुब्बी संचालन के लिए हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण कर रहे हैं। एक विध्वंसक और दो लैंडिंग जहाजों सहित पीएलए एंटी-पाइरेसी टास्क फोर्स ने कोलंबो गहरे समुद्री बंदरगाह पर एक परिचालन मोड़ पूरा कर लिया है।

चीन पहले से ही अंतरिक्ष से पनडुब्बी प्रौद्योगिकियों पर नज़र रखने वाले उपग्रहों पर काम कर रहा है, ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी सरकार ऐतिहासिक और पारंपरिक भूमि आधारित सिद्धांत से समुद्र आधारित सैन्य सिद्धांत पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

रायबरेली और वायनाड में चुनाव लड़ने के लिए राहुल गांधी ने किया कितना खर्च, कांग्रेस ने चुनाव आयोग को दी ये जानकारी

#cong_gave_rahul_rs_70_lakh_each_to_contest_ls_polls_from_wayanad_rae_bareli 

हाल ही में संपन्न 18वीं लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों द्वारा खर्च का ब्यौरा सभी पार्टियों ने चुनाव आयोग को सौंपा है। कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवारों पर चुनाव में खर्चे गए पैसों का विवरण सौंपा है।कांग्रेस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी को वायनाड और रायबरेली से चुनाव लड़ने के लिए 70-70 लाख रुपये दिए थे। राहुल को दो सीटों से चुनाव लड़ने के लिए कुल 1 करोड़ 40 लाख रुपये मिले।वहीं कांग्रेस पार्टी के एकमात्र उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह को पार्टी फंड से 87 लाख रुपये दिए गए थे, जो हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से भाजपा की उम्मीदवार और अभिनेत्री कंगना रनौत से चुनाव हार गए।

स्मृति ईरानी को हराने वाले किशोरी लाल को मिले इतने

पार्टी की तरफ से 70 लाख रुपये पाने वाले अन्य नेताओं में किशोरी लाल शर्मा शामिल हैं, जिन्होंने भाजपा की मौजूदा सांसद स्मृति ईरानी को अमेठी लोकसभा सीट पर हराया था। केरल में अलपुझा लोकसभा सीट से सांसद केसी वेणुगोपाल और तमिलनाडु में विरुधुनगर से मणिकम टैगोर भी 70 लाख रुपये फंड पाने वालों में शामिल हैं। जबकि कर्नाटक के गुलबर्गा से कांग्रेस उम्मीदवार राधाकृष्ण और पंजाब में आनंदपुर साहिब से प्रत्याशी विजय इंदर सिंगला को भी 70-70 लाख रुपये मिले। 

दिग्विजय सिंह को मिले 50 लाख रुपये

वहीं इस कड़ी में चुनाव हारने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा और दिग्विजय सिंह को क्रमशः 46 लाख रुपये और 50 लाख रुपये मिले थे।

राहुल गांधी ने दो सीटों से लड़ा था चुनाव

बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रायबरेली लोकसभा के साथ-साथ केरल के वायनाड लोकसभा सीट से भी जीत हासिल की थी, लेकिन उन्होंने उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट को बरकरार रखा और वायनाड सीट को खाली कर दिया है।

हरियाणा चुनाव: बीजेपी आज जारी कर सकती है प्रत्याशियों की पहली सूची, सीईसी की बैठक में 55 उम्मीदवारों के नाम तय

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बीजेपी हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के मिशन में जुटी है। उसे इस बार कांग्रेस से कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस चुकी बीजेपी आज प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर सकती है। दिल्ली में गुरुवार देर शाम को बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई और इसमें सभी 90 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नामों को लेकर चर्चा हुई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में 55 उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर लिए गए हैं। शनिवार को किसी भी वक्त इन नामों का ऐलान हो सकता है।

करनाल की बजाय लाडवा से चुनाव लड़ सकते हैं सीएम सैनी

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राव इंद्रजीत की बेटी रती राव को अटेली विधानसभा से टिकट दिया जाएगा। वहीं, मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी अब करनाल के बजाय लाडवा सीट से चुनाव लड़ेंगे। वहीं, एक बार फिर से अनिल विज अंबाला कैंट से चुनाव लड़ते हुए नजर आएंगे। टिकट आवंटन पर मंथन को लेकर चुनाव समिति की मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री नायाब सैनी, प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडोली, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के साथ पीएम नरेंद्र मोदी ने अलग से मीटिंग की।

प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल नहीं लड़ेंगे चुनाव

खबर है कि हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल ने चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई है. वहीं, पूर्व सांसद संजय भाटिया, अरविंद शर्मा और सुनीता दुग्गल, श्रुति चौधरी को भी विधानसभा चुनाव में उतारा जाएगा।

मौजूदा विधायकों का टिकट नहीं काटेगा

सूत्रों के मुताबिक़ मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं काटा जाएगा। हालांकि सर्वे में अगर कोई सिटिंग कैंडिडेट हारता हुआ दिख रहा है तो उसके नाम पर कैंची चल जाएगी। वहीं ये भी तय है कि बीजेपी दो बार हार हुए नेताओं को टिकट नहीं देगी।

बता दें कि हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए एक अक्टूबर को मतदान होगा। वोटों की गिनती चार अक्टूबर को होगी। हरियाणा में वर्तमान में बीजेपी की सरकार है। उसकी चुनौती राज्य में अपनी सत्ता को बरकरार रखना है। हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में राज्य में विपक्षी मतों के एकजुट होने से बीजेपी की सीट संख्या घटकर पांच रह गई तथा बाकी सीट कांग्रेस के खाते में चली गईं। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में सभी 10 सीट पर जीत हासिल की थी।

हूती विद्रोहियों ने फिर मचाया उत्पात, 10 लाख बैरल तेल वाले ऑयल टैंकर को बारूद से उड़ाया

#yemen_houthis_attacked_greek_oil_tanker_red_sea

लाल सागर में तनाव की स्थिति लगातार बरकरार है। इस बीच फिर हूती विद्रोहियों ने फिर उत्पात मचाया है। हूती के लड़ाकों ने 10 लाख बैरल तेल लेकर जा रहे जहाज को बारूद से उड़ा दिया है। यही नहीं, हूती विद्रोहियों ने इसका वीडियो फुटेज भी जारी किया है।

हूती विद्रोहियों ने गुरुवार को फुटेज जारी की जिसमें उनके लड़ाके एक ग्रीक ध्वज वाले टैंकर पर चढ़े और उस पर विस्फोटक रखे, जिससे विस्फोट हुए। इससे लाल सागर में बड़े पैमाने पर तेल रिसाव का खतरा पैदा हो गया है। हूथियों द्वारा बार-बार हमला किए जाने के बाद, जहाज को पहले ही खाली कर दिया गया था। यह ब्लास्ट हूतियों द्वारा पिछले कुछ सप्ताहों में किया गया सबसे गंभीर हमला है।

अमेरिका भी हमले को लेकर चिंतित है। पेंटागन के प्रवक्ता के अनुसार, लाल सागर में हूती विद्रोहियों की ओर से हमला किए गए जहाज से तेल लीक हो रहा है। साथ ही उसने दुनिया के सबसे व्यस्त जलमार्गों में से एक में “संभावित पर्यावरणीय आपदा” की चेतावनी दी है। तेल रिसाव की वजह से पर्यावरण पर खासा असर पड़ सकता है। इस क्षेत्र में परिवहन को भी खतरा हो सकता है। जहाज में करीब 10 लाख बैरल कच्चा तेल रखा हुआ था।

हूती विद्रोहियों द्वारा पोत को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमलों के कारण एक हजार अरब अमेरिकी डॉलर के उस सामान की आपूर्ति बाधित हुई है, जो इजराइल-हमास युद्ध के मद्देनजर हर साल गाजा पट्टी में लाल सागर के जरिये भेजा जाता है। इसके अलावा, इन हमलों के कारण संघर्ष से पीड़ित सूडान और यमन में भी सहायता सामग्री की आपूर्ति बाधित हुई है।

विद्रोही संगठन हूती के सैन्य प्रवक्ता याह्या सारी ने कहा कि सोनियन एक ऐसी कंपनी का है, जिसने लाल सागर में इजरायल जाने वाले जहाजों के खिलाफ यमनी गुट की ओर से घोषित नाकाबंदी का “उल्लंघन” किया था। खुद को यमन के सशस्त्र बलों के रूप में पेश करने वाले हूती उन जहाजों को लगातार निशाना बना रहे हैं, जिनके बारे में दावा किया जाता है कि वे इजरायल से जुड़े हुए हैं- उनका कहना है कि यह सब इजरायल सरकार पर गाजा में युद्ध को खत्म करने को लेकर दबाव डालने के लिए किया जा रहा है। इजराइल के हमले में अब तक 40,600 से अधिक फिलिस्तीनी लोग मारे जा चुके हैं।

अरब सागर में तूफानी आहट, गुजरात पर चक्रवात असना का खतरा, बाढ़ और बारिश से पहले ही जूझ रहा राज्य

#gujarat_in_danger_of_cyclone_asna

बाढ़ और बारिश से जूझ रहे गुजरात पर अब चक्रवात का खतरा मंडरा रहा है। महीने में गुजरात के सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र पर एक चक्रवात बन रहा है। आज शुक्रवार को इस चक्रवात के अरब सागर के ऊपर से ओमान तट की ओर बढ़ने की उम्मीद है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, शुक्रवार को अरब सागर के ऊपर एक असामान्य चक्रवात बनने वाला है। चक्रवात का नाम "असना" होगा, जो पाकिस्तान द्वारा सुझाया गया नाम है।

आईएमडी के मुताबिक, इस चक्रवाती तूफान के उत्तर-पूर्व अरब सागर के ऊपर से निकलकर पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम की ओर ओमान के तट की ओर बढ़ने की आशंका है। कच्छ और सौराष्ट्र में भारी बारिश की आशंका है। इन क्षेत्रों को रेड अलर्ट पर रखा गया है। साथ ही मछुआरों को अगले कुछ दिनों तक समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है। गुजरात और उत्तरी महाराष्ट्र के तटों के साथ-साथ समुद्री क्षेत्रों में अगले दो दिनों तक 60-65 किमी प्रति घंटे की तेज हवाएं चल सकती हैं।

असना नाम का चक्रवात 1976 के बाद से अगस्त में अपनी तरह का पहला चक्रवात होगा। 1891 से 2023 तक अगस्त में अरब सागर के ऊपर केवल तीन चक्रवाती तूफान विकसित हुए हैं। मौसम विभाग ने बताया कि यह 1976 के बाद अगस्त में अरब सागर के ऊपर बनने वाला पहला चक्रवाती तूफान होगा। 1976 में चक्रवात ओडिशा में विकसित हुआ था।

एक मौसम वैज्ञानिक ने कहा कि अरब सागर में अगस्त के महीने में चक्रवाती तूफानों का आना एक दुर्लभ गतिविधि है। 1944 का चक्रवात भी अरब सागर में उभरने के बाद तीव्र हो गया था। हालांकि बाद में समुद्र के मध्य में कमजोर हो गया था। 1964 में दक्षिण गुजरात तट के पास एक छोटा चक्रवात विकसित हुआ था और तट के पास कमजोर हो गया। इसी प्रकार, बंगाल की खाड़ी में पिछले 132 वर्षों के दौरान अगस्त महीने में कुल 28 ऐसी परिस्थितियां बनी हैं। मौजूदा तूफान के बारे में असामान्य बात यह है कि पिछले कुछ दिनों से इसकी तीव्रता एक समान बनी हुई है। यह उष्णकटिबंधीय तूफान दो प्रतिचक्रवाती तूफानों के बीच फंसा हुआ है एक तिब्बती पठार पर और दूसरा अरब प्रायद्वीप पर।

मैंने छात्रों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला', ममता बनर्जी को क्यों पड़ गई सफाई देने की जरूरत?*
#mamata_clarifies_her_statement_on_kolkata_rape_murder_case *
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान पर बवाल मचा हुआ है। अभी एक दिन पहले ही तो ममता बनर्जी ने कहा था कि अगर पश्चिम बंगाल को जलाया तो असम, उत्तर-पूर्व, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे। इसके साथ ही ममता ने हड़ताली चिकित्सकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज को लेकर भी बयान दिया था। उनके इस बयान पर चौतरफा हमला हुआ तो अब उन्होंने इस पर सफाई पेश की है। बंगाल की सीएम ने कहा कि उन्होंने प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स को कभी नहीं धमकाया। *मैं उनके आंदोलन का पूरा समर्थन करती हूं--ममता बनर्जी* ममता ने गुरुवार को सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि मैंने प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स को धमकाया है। ये सरासर झूठ है। ममता ने 28 अगस्त को तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद के स्थापना दिवस कार्यक्रम में दिए अपने भाषण पर सफाई देते हुए कहा है सोशल मीडिया पर लिखा, 'मुझे कुछ प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में एक दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार अभियान का पता चला है, जो कल हमारे छात्रों के कार्यक्रम में मेरे द्वारा दिए गए भाषण को लेकर फैलाया गया है। मैं साफ तौर पर कहना चाहती हूं कि मैंने (मेडिकल आदि) छात्रों या उनके आंदोलनों के खिलाफ एक भी शब्द नहीं कहा है। मैं उनके आंदोलन का पूरा समर्थन करती हूं। उनका आंदोलन सच्चा है। मैंने उन्हें कभी धमकी नहीं दी, जैसा कि कुछ लोग मुझ पर आरोप लगा रहे हैं। यह आरोप पूरी तरह से गलत है।' *बीजेपी के खिलाफ बोला-ममता बनर्जी* बंगाल की सीएम ने आगे कहा, ' मैंने बीजेपी के खिलाफ बोला है। मैंने उनके खिलाफ इसलिए बोला है क्योंकि वो केंद्र सरकार की मदद से हमारे राज्य में लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं। वो राज्य में अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने उनके खिलाफ आवाज उठाई है।' आगे उन्होंने कहा, 'मैं यह भी स्पष्ट करना चाहती हूं कि जिस वाक्यांश ("फोंश कारा") का मैंने कल अपने भाषण में उपयोग किया था, वह श्री रामकृष्ण परमहंस देव की लाइन है। उन्होंने कहा था कि कभी-कभी आवाज उठाने की जरूरत होती है। जब अपराध और आपराधिक घटनाएं होती हैं तो विरोध की आवाज उठानी ही पड़ती है। मैंने उसी संदर्भ में इस बात को कहा था। *क्या कहा था ममता बनर्जी ने?* दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने बुधवार को भाजपा के 12 घंटे के ‘बंगाल बंद’ की निंदा की और इसे बंगाल को “बदनाम” करने का प्रयास बताया। कल यानी बुधवार को कोलकाता में तृणमूल ‘छात्र परिषद’ के स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, भाजपा के 12 घंटे लंबे ‘बंगाल बंद’ के आह्वान के जवाब में, मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता की महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की घटना को लेकर बंगाल में आग लगाने के लिए अपनी पार्टी का इस्तेमाल कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने कहा, “कुछ लोगों को लगता है कि यह बांग्लादेश है। मुझे बांग्लादेश से प्यार है; वे हमारी तरह बोलते हैं और हमारी संस्कृति साझा करते हैं। लेकिन याद रखें, बांग्लादेश एक अलग देश है, और भारत एक अलग देश है। मोदी बाबू अपनी पार्टी का इस्तेमाल यहां आग लगाने के लिए कर रहे हैं। अगर आप बंगाल जलाते हैं, तो असम, पूर्वोत्तर, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे! हम आपकी कुर्सी गिरा देंगे।”
मैंने छात्रों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला', ममता बनर्जी को क्यों पड़ गई सफाई देने की जरूरत?*
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान पर बवाल मचा हुआ है। अभी एक दिन पहले ही तो ममता बनर्जी ने कहा था कि अगर पश्चिम बंगाल को जलाया तो असम, उत्तर-पूर्व, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे। इसके साथ ही ममता ने हड़ताली चिकित्सकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज को लेकर भी बयान दिया था। उनके इस बयान पर चौतरफा हमला हुआ तो अब उन्होंने इस पर सफाई पेश की है। बंगाल की सीएम ने कहा कि उन्होंने प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स को कभी नहीं धमकाया। *मैं उनके आंदोलन का पूरा समर्थन करती हूं--ममता बनर्जी* ममता ने गुरुवार को सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि मैंने प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स को धमकाया है। ये सरासर झूठ है। ममता ने 28 अगस्त को तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद के स्थापना दिवस कार्यक्रम में दिए अपने भाषण पर सफाई देते हुए कहा है सोशल मीडिया पर लिखा, 'मुझे कुछ प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में एक दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार अभियान का पता चला है, जो कल हमारे छात्रों के कार्यक्रम में मेरे द्वारा दिए गए भाषण को लेकर फैलाया गया है। मैं साफ तौर पर कहना चाहती हूं कि मैंने (मेडिकल आदि) छात्रों या उनके आंदोलनों के खिलाफ एक भी शब्द नहीं कहा है। मैं उनके आंदोलन का पूरा समर्थन करती हूं। उनका आंदोलन सच्चा है। मैंने उन्हें कभी धमकी नहीं दी, जैसा कि कुछ लोग मुझ पर आरोप लगा रहे हैं। यह आरोप पूरी तरह से गलत है।' *बीजेपी के खिलाफ बोला-ममता बनर्जी* बंगाल की सीएम ने आगे कहा, ' मैंने बीजेपी के खिलाफ बोला है। मैंने उनके खिलाफ इसलिए बोला है क्योंकि वो केंद्र सरकार की मदद से हमारे राज्य में लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं। वो राज्य में अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने उनके खिलाफ आवाज उठाई है।' आगे उन्होंने कहा, 'मैं यह भी स्पष्ट करना चाहती हूं कि जिस वाक्यांश ("फोंश कारा") का मैंने कल अपने भाषण में उपयोग किया था, वह श्री रामकृष्ण परमहंस देव की लाइन है। उन्होंने कहा था कि कभी-कभी आवाज उठाने की जरूरत होती है। जब अपराध और आपराधिक घटनाएं होती हैं तो विरोध की आवाज उठानी ही पड़ती है। मैंने उसी संदर्भ में इस बात को कहा था। *क्या कहा था ममता बनर्जी ने?* दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने बुधवार को भाजपा के 12 घंटे के ‘बंगाल बंद’ की निंदा की और इसे बंगाल को “बदनाम” करने का प्रयास बताया। कल यानी बुधवार को कोलकाता में तृणमूल ‘छात्र परिषद’ के स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, भाजपा के 12 घंटे लंबे ‘बंगाल बंद’ के आह्वान के जवाब में, मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता की महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की घटना को लेकर बंगाल में आग लगाने के लिए अपनी पार्टी का इस्तेमाल कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने कहा, “कुछ लोगों को लगता है कि यह बांग्लादेश है। मुझे बांग्लादेश से प्यार है; वे हमारी तरह बोलते हैं और हमारी संस्कृति साझा करते हैं। लेकिन याद रखें, बांग्लादेश एक अलग देश है, और भारत एक अलग देश है। मोदी बाबू अपनी पार्टी का इस्तेमाल यहां आग लगाने के लिए कर रहे हैं। अगर आप बंगाल जलाते हैं, तो असम, पूर्वोत्तर, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे! हम आपकी कुर्सी गिरा देंगे।”
'मैंने छात्रों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला', ममता बनर्जी को क्यों पड़ गई सफाई देने की जरूरत?
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान पर बवाल मचा हुआ है। अभी एक दिन पहले ही तो ममता बनर्जी ने कहा था कि अगर पश्चिम बंगाल को जलाया तो असम, उत्तर-पूर्व, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे। इसके साथ ही ममता ने हड़ताली चिकित्सकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज को लेकर भी बयान दिया था। उनके इस बयान पर चौतरफा हमला हुआ तो अब उन्होंने इस पर सफाई पेश की है। बंगाल की सीएम ने कहा कि उन्होंने प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स को कभी नहीं धमकाया।

*मैं उनके आंदोलन का पूरा समर्थन करती हूं--ममता बनर्जी*
ममता ने गुरुवार को सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि मैंने प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स को धमकाया है। ये सरासर झूठ है। ममता ने 28 अगस्त को तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद के स्थापना दिवस कार्यक्रम में दिए अपने भाषण पर सफाई देते हुए कहा है सोशल मीडिया पर लिखा, 'मुझे कुछ प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में एक दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार अभियान का पता चला है, जो कल हमारे छात्रों के कार्यक्रम में मेरे द्वारा दिए गए भाषण को लेकर फैलाया गया है। मैं साफ तौर पर कहना चाहती हूं कि  मैंने (मेडिकल आदि) छात्रों या उनके आंदोलनों के खिलाफ एक भी शब्द नहीं कहा है। मैं उनके आंदोलन का पूरा समर्थन करती हूं। उनका आंदोलन सच्चा है। मैंने उन्हें कभी धमकी नहीं दी, जैसा कि कुछ लोग मुझ पर आरोप लगा रहे हैं। यह आरोप पूरी तरह से गलत है।'

*बीजेपी के खिलाफ बोला-ममता बनर्जी*
बंगाल की सीएम ने आगे कहा, ' मैंने बीजेपी के खिलाफ बोला है। मैंने उनके खिलाफ इसलिए बोला है क्योंकि वो केंद्र सरकार की मदद से हमारे राज्य में लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं। वो राज्य में अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने उनके खिलाफ आवाज उठाई है।' आगे उन्होंने कहा, 'मैं यह भी स्पष्ट करना चाहती हूं कि जिस वाक्यांश ("फोंश कारा") का मैंने कल अपने भाषण में उपयोग किया था, वह श्री रामकृष्ण परमहंस देव की लाइन है। उन्होंने कहा था कि कभी-कभी आवाज उठाने की जरूरत होती है।  जब अपराध और आपराधिक घटनाएं होती हैं तो विरोध की आवाज उठानी ही पड़ती है। मैंने उसी संदर्भ में इस बात को कहा था।

*क्या कहा था ममता बनर्जी ने?*
दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने बुधवार को भाजपा के 12 घंटे के ‘बंगाल बंद’ की निंदा की और इसे बंगाल को “बदनाम” करने का प्रयास बताया। कल यानी बुधवार को कोलकाता में तृणमूल ‘छात्र परिषद’ के स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, भाजपा के 12 घंटे लंबे ‘बंगाल बंद’ के आह्वान के जवाब में, मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता की महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की घटना को लेकर बंगाल में आग लगाने के लिए अपनी पार्टी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
ममता बनर्जी ने कहा, “कुछ लोगों को लगता है कि यह बांग्लादेश है। मुझे बांग्लादेश से प्यार है; वे हमारी तरह बोलते हैं और हमारी संस्कृति साझा करते हैं। लेकिन याद रखें, बांग्लादेश एक अलग देश है, और भारत एक अलग देश है। मोदी बाबू अपनी पार्टी का इस्तेमाल यहां आग लगाने के लिए कर रहे हैं। अगर आप बंगाल जलाते हैं, तो असम, पूर्वोत्तर, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे! हम आपकी कुर्सी गिरा देंगे।”
बांग्लादेश में अब कट्टरपंथियों को खुली छूट! मोहम्मद यूनुस सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर लगा बैन हटाया

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर लगी पाबंदी हटा ली है।जमात-ए-इस्लामी के छात्र संगठन इस्लामी छात्र शिविर और उसके अन्य संगठनों पर भी लगी पाबंदी हटा दी गई है। इन संगठनों पर शेख़ हसीना सरकार के दौरान साल 2013 में पाबंदी लगाई गई थी। हालांकि, तख्तापलट और शेख हसीने के सत्ता से हटते ही इन पर से बैन हटा लिया गया है।

पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना की सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार ने देश की मुख्य इस्लामिक पार्टी और उसके समूहों पर से प्रतिबंध हटा दिया और कहा कि उसे 'आतंकवादी गतिविधियों' में उनकी संलिप्तता का कोई सबूत नहीं मिला है। 

भारत को अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार की सलाह

बैन बाद जमात-ए-इस्लामी संगठन ने भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है। संगठन के प्रमुख शफीकुर रहमान ने कहा है कि उनकी पार्टी भारत के साथ सौहार्दपूर्ण और स्थिर संबंध चाहती है, लेकिन साथ ही कहा कि नई दिल्ली को पड़ोस में अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है, क्योंकि द्विपक्षीय संबंधों का मतलब एक-दूसरे के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप करना नहीं है। 

भारत को धारणा बदलने की नसीहत

बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के अमीर (प्रमुख) रहमान ने कहा कि उनकी पार्टी भारत और बांग्लादेश के बीच घनिष्ठ संबंधों का समर्थन करती है, लेकिन यह भी मानती है कि बांग्लादेश को “अतीत को पीछे छोड़कर” अमेरिका, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ मजबूत और संतुलित संबंध बनाए रखना चाहिए। रहमान ने दलील दी कि जमात-ए-इस्लामी को भारत विरोधी मानने की नई दिल्ली की धारणा गलत है। उन्होंने कहा, “जमात-ए-इस्लामी किसी देश के खिलाफ नहीं है; यह एक गलत धारणा है। हम बांग्लादेश के समर्थक हैं और केवल बांग्लादेश के हितों की रक्षा करने में रुचि रखते हैं।” उन्होंने जोर दिया कि इस धारणा को बदलने की जरूरत है।

जमात-ए-इस्लामी की छवि भारत विरोधी

जमात-ए-इस्लामी से पाबंदी हटा लेने के बाद बांग्लादेश की राजनीति में उसके लिए विकल्प खुल गए हैं और देश के चुनावों में वह अपनी भूमिका निभा सकता है। जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी है। इस पार्टी का छात्र संगठन काफ़ी मज़बूत है। इस पर देश में हिंसा और चरमपंथ को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। भारत में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद पार्टी पर बांग्लादेश में हिन्दू विरोधी दंगे भड़काने का भी आरोप लगा था। जमात-ए-इस्लामी की छवि भारत विरोधी रही है।