जयंती विशेष: "हिंदी साहित्य के नक्षत्र: भगवतीचरण वर्मा का जीवन और योगदान"


भगवतीचरण वर्मा हिंदी साहित्य के प्रमुख साहित्यकारों में से एक थे, जिनका जन्म 30 अगस्त 1903 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के शफीपुर गांव में हुआ था। उन्होंने हिंदी साहित्य को अपने विशिष्ट लेखन शैली और विषयवस्तु से समृद्ध किया। उनका जीवन और कार्य हिंदी साहित्य के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

भगवतीचरण वर्मा का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा गांव में ही हुई। उच्च शिक्षा के लिए वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए, जहां से उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसी विश्वविद्यालय से उन्होंने विधि की पढ़ाई भी पूरी की।

साहित्यिक करियर

भगवतीचरण वर्मा का साहित्यिक करियर बहुत ही व्यापक और विविधतापूर्ण था। वे एक कवि, उपन्यासकार, नाटककार, और पत्रकार के रूप में जाने जाते थे। उनकी लेखनी में सामाजिक मुद्दों की गहरी समझ और उनकी अभिव्यक्ति की अनूठी शैली झलकती है। वर्मा जी ने अपने समय के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर अपनी कलम से गहरा प्रभाव डाला।

प्रमुख कृतियाँ

भगवतीचरण वर्मा की सबसे प्रसिद्ध कृति है "चित्रलेखा", जो 1934 में प्रकाशित हुई थी। यह उपन्यास उनके साहित्यिक जीवन का मील का पत्थर साबित हुआ। "चित्रलेखा" में उन्होंने नैतिकता और आध्यात्मिकता के प्रश्नों को बहुत ही गहनता से उठाया है। इसके अलावा उनके अन्य प्रमुख उपन्यासों में "भूमि पुत्र", "टूटे हुए खंडहर", "स्मृति की रेखाएँ" और "रंगभूमि" शामिल हैं।

कविताएँ और नाटक

भगवतीचरण वर्मा ने कविताएँ और नाटक भी लिखे। उनकी कविताओं में प्रेम, प्रकृति और समाज की झलक मिलती है। उनकी नाट्यकृतियों में भी उनके समय के सामाजिक और नैतिक प्रश्नों को बहुत ही प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

पुरस्कार और सम्मान

भगवतीचरण वर्मा को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म भूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया। उनके साहित्यिक कार्यों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया और नई पीढ़ियों को प्रेरित किया।

अंतिम समय

भगवतीचरण वर्मा ने 5 अक्टूबर 1981 को

नेतरहाट: झारखंड का छिपा हुआ रत्न,जहां प्रकृति की गोद में मिलती है शांति


भारत के झारखंड राज्य में स्थित, नेतरहाट एक ऐसा हिल स्टेशन है जिसे "छोटा नागपुर का रानी" भी कहा जाता है। यह हिल स्टेशन अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांति, और आकर्षक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। अगर आप भीड़-भाड़ से दूर, शांति और सुकून की तलाश में हैं, तो नेतरहाट आपके लिए एक परफेक्ट गंतव्य हो सकता है। 

नेतरहाट को झारखंड का दिल कहा जाता है जहाँ हर तरफ अपार खूबसूरती है। जहाँ आप प्रकृति के बीच चिड़ियों का चहचहाना सुन सकते हैं। ये हिल स्टेशन सनराइज और सनसेट के लिए भी फेमस है। अगर आप सुकून और शांति चाहते हैं तो नेतरहाच हिल स्टेशन उसके लिए परफेक्ट है। यकीन मानिए झारखंड का नेतरहाट आपको किसी भी तरह से निराश नहीं करेगा। हर घुमक्कड़ को एक बार झारखंड के इस हिल स्टेशन की यात्रा जरूर करनी चाहिए।

नेतरहाट को झारखंड का मसूरी भी कहा जाता है। नेतरहाट झारखंड के लातेहार जिले में स्थित है जो रांची से 144 किमी. की दूरी पर है। पहाड़ों और जंगलों से घिरी इस जगह पर आदिवासी बहुत रहते हैं। यहाँ बिरहोर, उरांव और बिरजिया जनजाति के लोग रहते हैं। इसे छोटा नागपुर रानी भी कहते हैं। पहले यहाँ बांस का बहुत बड़ा जंगल था जिसे नेतरहातु कहा जाता था। बांस को स्थानीय भाषा में नेतुर कहते हैं। उसी के नाम पर इस जगह का नाम नेतरहाट पड़ा। नेतर यानी कि बांस और हातु मतलब हाट। समुद्र तल से 3,622 फीट की ऊँचाई पर स्थित इस हिल स्टेशन पर वाटरफाॅल से लेकर कई खूबसूरत झीलें हैं जो आपके सफर को यादगार बना देंगी।

कैसे पहुंचे?

फ्लाइट सेः

अगर आप फ्लाइट से नेतरहाट जाना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट रांची है। आपको देश के बड़े-बड़े शहरों से रांची के लिए फ्लाइट मिल जाएगी। रांची एयरपोर्ट से नेतरहाट की दूरी लगभग 156 किमी. है। आप वहाँ से टैक्सी बुक करके नेतरहाट जा सकते हैं या फिर रांची से बस भी नेतरहाट के लिए चलती है।

ट्रेन सेः

अगर आप ट्रेन से नेतरहाट जाने का मन बना रहे हैं तब भी आपको रांची आना पड़ेगा। नेतरहाट से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रांची है। रांची से आप टैक्सी से नेतरहाट पहुँच सकते हैं।

वाया रोड:

अगर आप वाया रोड नेतरहाट जाना चाहते हैं तो इसके दो तरीके हैं। पहला तो आप खुद की गाड़ी से नेतरहाट जा सकते हैं। दूसरा, आप रांची से बस या टैक्सी से नेतरहाट जा सकते हैं। रांची से नेतरहाट के लिए रोजाना बस चलती है।

क्या देखें?

झारखंड के इस खूबसूरत हिल स्टेशन में देखने को बहुत कुछ है। यहाँ के लिए आप एक अच्छी रोड ट्रिप प्लान कर सकते हैं। वाटरफाॅल्स, पहाड़ और सनसेट प्वाइंट को देख सकते हैं। कुल मिलाकर इस जगह पर वो सब है जो इसे खूबसूरत हिल स्टेशन बनाता है।

1- मंगोलिया प्वाइंट

नेतरहाट से लगभग 10 किमी. की दूरी पर एक खूबसूरत जगह है जो पहाड़ों को निहारने और डूबते सूरज के लिए लिए जाना जाता है। इस मंगोलिया प्वाइंट और मैगनोलिया प्वाइंट भी कहते हैं। इस जगह के बारे में एक किवदंती है। कहा जाता है कि अंग्रेजों के शासनकाल में एक ब्रिटिश लड़की आई थी, मैगनोलिया। उसे यहाँ एक स्थानीय लड़के स प्यार हो गया लेकिन समाज ने उसके प्यार को स्वीकार करने से मना कर दिया। तब उसने इसी पहाड़ी से कूदकर सुसाइड कर ली थी। उसके बाद से इस जगह का नाम मैगनोलिया प्वाइंट पड़ गया। नेतरहाट जाएं तो यहाँ का सनसेट आपको जरूर देखना चाहिए।

2- लोध वाटरफाॅल

नेतरहाट से 68 किमी. की दूर लोध वाटरफाॅल इस हिल स्टेशन की खूबसूरती में चार चाँद लगा देता है। लगभग 468 फीट ऊँचा ये झरना झारखंड का सबसे ऊँचा झरना है। जब आप यहाँ आएंगे तो इस जगह की खूबसूरत देखकर पागल हो जाएंगे। ये जगह आपको बेहद सुकून देगी। ऊँचाई से गिरते पानी का नजारा आपका मन मोह लेगा। ये जगह झारखंड की सबसे खूबसरत जगहों में से एक मानी जाती है। आदिवासियों की परंपरा को भी आप इस जगह पर देख पाएंगे। अगर आप लोध वाटरफाॅल जाएंगे तो इसकी खूबसूरती का अंदाजा लगा पाएंगे।

3- घाघरी वाटरफाॅल

नेतरहाट में लोध वाटरफाॅल के अलावा भी कई झरने हैं। जिनमें से घाघरी वाटरफाॅल्स भी है। घाघरी वाटरफाॅल असल में दो झरने हैं, निचला घाघरी वाटरफाॅल और ऊपरी घाघरी वाटरफाॅल। दोनों ही झरने बेहद खूबसूरते हैं। निचला घाघरी झरना नेतरहाट से 10 किमी. की दूरी पर है और ऊपरी घाघरा झरना 4 किमी. की दूरी पर है। निचला घाघरी वाटरफाॅल में 32 से फीट की ऊँचाई से जब पानी गिरता है तो इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है।

वाटरफाॅल के आसपास इतने घने जंगल हैं कि सूरज की किरणें भी जमीन तक नहीं पहुँच पाती हैं। लोध वाटरफाॅल की तरह यहाँ ज्यादा भीड़ नहीं मिलेगी जो इस जगह को और भी शानदार बना देता है। निचले घाघरी वाटरफाॅल की तरह, ऊपरी घाघरी वाटरफाॅल भी बेहद खूबसूरत है। इसके आसपास घने जंगल नहीं है। ये जगह पिकनिक के लिए परफेक्ट है। अगर आप अपने फैमिली और दोस्तों के साथ नेतरहाट आते हैं तो आपको यहाँ जरूर आना चाहिए। घाघरी झरनों को देखे बिना नेतरहाट की सैर अधूरी रहेगी।

4- जंगल में ट्रेक करें

जहाँ पहाड़ हों और ट्रेक न हो सके, ऐसा हो ही नहीं सकता। नेतरहाट का पहाड़ चीड़ के जंगलों से घिरा हुआ है। अगर आप नेतरहाट में कुदरत की खूबसूरती और ऐडवेंचर करना चाहते हैं तो आपको यहाँ ट्रेक करना चाहिए। नेतरहाट, ट्रेक के लिए अच्छी जगह है। यहाँ के जंगल आपको बेहद खूबसूरत लगेंगे। वैसे भी प्रकृति की तो हर एक चीज खूबसूरत है। जब आप पहाड़ की ऊँचाई से नेतरहाट की खूबसूरती देखेंगे तो यकीन मानिए आपको झारखंड से प्यार हो जाएग

5- बदका बांध

नेतरहाट की एक और छिपी हुई जगह जिसके बारे में कम लोगों को ही पता है। इस जगह के बारे में सिर्फ स्थानीय लोगों ही पता है। जब आप सनसेट प्वाइंट पर जाते हैं तो रास्ते में खूबसूरत झील मिलती है। ये झील बेहद खूबसूरत है, जहाँ आपको कोई टूरिस्ट नहीं दिखाई देगा। कभी-कभी कोई नजारा देखकर थोड़ी देर ठहरने का मन करता है न? वैसी ही सुकून वाली खूबसूरत जगह है, बदका बांध। ये जगह जितनी खूबसूरत है, उतनी ही खतरनाक भी कह सकते हैं। यहाँ झील किनारे बहुत सारे जहरीले सांप भी दिखाई देते हैं। इसलिए यहाँ जाएं तो थोड़ा संभलकर चलें।

नाशपति गाॅर्डन

नेतरहाट में एक खूबसूरत गाॅर्डन है, नाशपति गाॅर्डन। यहाँ आप नेतरहाट की एक अलग खूबसूरती से रूबरू होंगे। इस गाॅर्डन में चारों तरफ फूल ही फूल दिखाई देंगे। जिनकी खूबसूरती को देखकर आप मन खुश हो उठेगा। यहाँ से जाने के बाद भी नाशपति का ये खूबसूरत गाॅर्डन आपके जेहन में बना रहेगा। अक्सर लोग नेतरहाट आते हैं लेकिन इस जगह पर जाना भूल जाते हैं। अगर आप नेतरहाट आते हैं तो इस जगह को अपनी बकेट लिस्ट में जरूर रखना चाहिए।

बेतला नेशनल पार्क

झारखंड के नेतरहाट में एक नेशनल पार्क भी है, बेतला नेशनल पार्क। अगर आप प्रकृति के करीब से देखना चाहते हैं तो आपको इस नेशनल पार्क को देखने जरूर आना चाहिए। इसके अलावा ये पार्क हाथियों के लिए भी जाना जाता है। आप यहाँ हाथियों को देखने भी आ सकते हैं। ये नेशनल पार्क अपनी खूबसूरती से आपका मन मोह लेगा। बेतला नेशनल पार्क 970 वर्ग किमी. में फैला हुआ है। आप यहाँ बाघ, हाथी, हिरण और बाइसन जैसे जानवरों को देख सकते हैं। इन नेशनल पार्क में कई वाटरफाॅल भी हैं। अगर आप नेतरहाट आते हैं तो यहाँ जरूर आएं।

आईए जानते है 6 ऐसे जानवर के बारे में जो बच्चे को जन्म देने के बाद मौत नींद सो जाती है।


कुछ ऐसे जानवर होते हैं जो बच्चे को जन्म देने के बाद मर जाते हैं। इसके पीछे कई बार उनके शारीरिक तंत्र, जैविक जरूरतें या प्रकृति का संतुलन बनाए रखने का कारण होता है। यहां 6 ऐसे जानवरों के बारे में बताया गया है:

1. समुद्री कछुआ: मादा समुद्री कछुआ जब अपने अंडों को रेत में देती है, तो वो उसके बाद अक्सर कमजोर हो जाती है और कुछ ही समय में मर जाती है।

2. ब्लैक विडो मकड़ी: यह मकड़ी अपने बच्चों को जन्म देने के बाद कमजोर हो जाती है और अक्सर अपने साथी द्वारा ही खा ली जाती है।

3. प्रेइंग मेंटिस: मादा मेंटिस बच्चे देने के बाद इतनी कमजोर हो जाती है कि नर मेंटिस उसे खा लेता है, और वह मर जाती है।

4. समुद्री मेंढक (एंफीऑक्सस): समुद्री मेंढक बच्चे को जन्म देने के बाद मर जाते हैं क्योंकि वे अपनी ऊर्जा को पूरी तरह बच्चे को जन्म देने में खर्च कर देते हैं।

5. सैमोनेला मछली: यह मछली नदी के ऊपर जाकर अंडे देती है, और इसके बाद उसकी मृत्यु हो जाती है।

6. ऑक्टोपस: मादा ऑक्टोपस अपने अंडों की रक्षा करने के लिए खुद को खाने से रोक लेती है और भूख के कारण मर जाती है।

ये जानवर इस बात के उदाहरण हैं कि प्रकृति में जीवन और मृत्यु का चक्र कैसे काम करता है।

गूगल पर भूल कर भी सर्च न करे ये 6 चीजे वरना हो सकती हैं जेल


Google एक पावरफुल और दुनियाभर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला सर्च इंजन है. गूगल सर्च की मदद से हमें हर तरह की जानकारी मिल जाती है. लेकिन, गूगल का इस्तेमाल कुछ ऐसी चीजों को खोजने के लिए भी किया जा सकता है जो गैरकानूनी या हानिकारक हैं।

गूगल पर कुछ भी सर्च करने से पहले सतर्क रहने की आवश्यकता है। कुछ सर्च करने से आपको परेशानी हो सकती है और यहां तक कि जेल भी हो सकती है। यहां कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें गूगल पर सर्च करने से बचना चाहिए:

1. पास्को एक्ट 2012 से संबंधित टॉपिक्स: भारत सरकार इस टॉपिक को लेकर काफी सख्त है। अगर आपने गूगल पर यह टॉपिक सर्च किया है तो आपको 5 साल से लेकर 7 साल तक की सजा हो सकती है।

2. किसी पीड़िता का नाम और फोटो शेयर करना: किसी ऐसी पीड़िता की फोटो या नाम को शेयर करना जिसके साथ छेड़छाड़ या दुर्व्यवहार हुआ, गैरकानूनी है। ऐसा करने पर आपको जेल जाना पड़ सकता है।

3. फिल्म पाइरेसी: अगर आप फिल्म पाइरेसी में लिप्त हैं तो आपको सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1952 के तहत न्यूनतम 3 साल की सजा हो सकती है और 10 लाख रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है।

4. गर्भपात: अगर आप गूगल पर यह सर्च करते हैं कि गर्भपात कैसे करना है तो यह गैरकानूनी होता है। ऐसा करने से आपको जेल जाना पड़ सकता है।

5. प्राइवेट फोटो और वीडियो: सिर्फ गूगल ही नहीं बल्कि किसी की भी फोटो या वीडियो बिना किसी के परमीशन के शेयर करना अपराध है। इससे आपको जेल जाना पड़ सकता है।

6. बम का प्रोसेस: अगर आप गूगल पर यह सर्च कर रहे हैं कि बम कैसे बनाया जाता है तो आपको जेल जाना पड़ सकता है। ऐसा करने पर आपके कंप्यूटर या लैपटॉप का आईपी एड्रेस सीधा सुरक्षा एजेंसियों तक पहुंच जाता है।

जानिए क्यों मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी, आईए जानते हैं इसका पौराणिक इतिहास और महत्व


नयी दिल्ली : भगवान विष्णु ने धरती पर पाप और अधर्म का नाश करने के लिए हर युग में अवतार लिया। विष्णु जी के एक अवतार भगवान श्रीकृष्ण हैं, जिनका जन्म मथुरा की राजकुमारी देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में हुआ था। राजा कंश की जेल में जन्में कान्हा का बचपन गोकुल में माता यशोदा और नंद बाबा की गोद में बीता। राजा कंस से बचाने के लिए वासुदेव ने कान्हा के जन्म के बाद ही अपने चचेरे भाई नंदबाबा और यशोदा को दे दिया था।

श्रीकृष्ण ने अपने जन्म से लेकर जीवन के हर पड़ाव पर चमत्कार दिखाए।

श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े कई किस्से हैं, जो मानव समाज को सीख देते हैं। अधर्म और पाप के खिलाफ सही मार्गदर्शन करते हैं। उनके जन्मदिवस को उत्सव की तरह हर साल भक्त मनाते हैं। इस मौके पर जानिए कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास और महत्व।

कब है कृष्ण जन्माष्टमी 2024

कृष्ण जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की आष्टमी तिथि को मनाई जाएगी। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 28 अगस्त, 2024 को मनाया जा रहा है।

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व 

पुराणों के मुताबिक, श्रीकृष्ण त्रिदेवों में से एक भगवान विष्णु के अवतार हैं। कृष्ण के आशीर्वाद और कृपा को पाने के लिए हर साल लोग इस दिन व्रत रखते हैं, मध्य रात्रि में विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं। भजन कीर्तन करते हैं और जन्मोत्सव मनाते हैं। इस दिन के लिए मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया जाता है। कुछ स्थानों पर जन्माष्टमी पर दही-हांडी का भी उत्सव होता है। 

कैसे मनाते हैं कृष्ण जन्माष्टमी?

जन्माष्टमी पर भक्त श्रद्धानुसार उपवास रखते हैं। भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की जाती हैं।

बाल गोपाल की जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी की तिथि की मध्यरात्रि को घर में मौजूद लड्डू गोपाल की प्रतिमा का जन्म कराया जाता है। फिर उन्हें स्नान कराकर सुंदर वस्त्र धारण कराए जाते हैं। फूल अर्पित कर धूप-दीप से वंदन किया जाता है। कान्हा को भोग अर्पित किया जाता है। उन्हें दूध-दही, मक्खन विशेष पसंद हैं। इसलिए भगवान को भोग लगाकर सबको प्रसाद वितरित किया जाता है।

 

क्यों और कैसे मनाते हैं दही हांडी?

कुछ जगहों पर जन्माष्टमी के दिन दही हांडी का आयोजन होता है। गुजरात और महाराष्ट्र में दही हांडी का विशेष महत्व है। दही हांडी का इतिहास बहुत दिलचस्प है। बालपन में कान्हा बहुत नटखट थे। वह पूरे गांव में अपनी शरारतों के लिए प्रसिद्ध थे। कन्हैया को माखन, दही और दूध बहुत प्रिय था। उन्हें माखन इतना प्रिय था कि वह अपने सखा संग मिलकर गांव के लोगों के घर का माखन चोरी करके खा जाते थे।

कान्हा से माखन बचाने के लिए महिलाएं माखन की मटकी को ऊंचाई पर लटका दिया करती, लेकिन बाल गोपाल अपने मित्रों के साथ मिलकर एक पिरामिड बनाकर उसके जरिए ऊंचाई पर लटकी मटकी से माखन चोरी कर लेते।

कृष्ण के इन्ही शरारतों को याद करने के लिए जन्माष्टमी में माखन की मटकी को ऊंचाई पर टांग दिया जाता है। लड़के नाचते गाते पिरामिड बनाते हुए मटकी तक पहुंचकर उसे फोड़ देते हैं। इसे दही हांडी कहते हैं, जो लड़का ऊपर तक जाता है, उसे गोविंदा कहा जाता है।

ढीली त्वचा में कसाव लाने के लिए करे ये योगासन जानते है इन्हें करने का तरीका और फायदे के बारे में


ढीली त्वचा में कसाव लाने के लिए योगासन एक प्रभावी तरीका हो सकता है। ये योगासन न केवल त्वचा को टोन करते हैं बल्कि शरीर को भी मजबूत और लचीला बनाते हैं। यहां कुछ योगासन दिए गए हैं जो ढीली त्वचा को कसने में मदद कर सकते हैं:

1. भुजंगासन (Cobra Pose)

तरीका:पेट के बल लेट जाएं।

हाथों को कंधों के पास रखें।

सांस लेते हुए धीरे-धीरे छाती को ऊपर उठाएं।

कमर से ऊपर का हिस्सा उठाते हुए, गर्दन को पीछे की ओर खींचें।

15-30 सेकंड तक इस स्थिति में रहें और फिर धीरे-धीरे वापस आएं।

फायदे: यह आसन पेट, छाती और चेहरे की मांसपेशियों को टोन करता है।

ढीली त्वचा में कसाव लाने के लिए प्रभावी है।

2. उष्ट्रासन (Camel Pose)

तरीका: घुटनों के बल खड़े हो जाएं।

हाथों को पीछे की ओर ले जाकर एड़ी को पकड़ें।

सांस लेते हुए धीरे-धीरे कमर को पीछे की ओर मोड़ें और छाती को ऊपर उठाएं।

इस स्थिति में 15-30 सेकंड तक रहें और फिर सामान्य स्थिति में आएं।

फायदे: यह आसन पेट और छाती की मांसपेशियों को मजबूत करता है।

त्वचा को कसने और शरीर को लचीला बनाने में मदद करता है।

3. अधोमुख श्वानासन (Downward Facing Dog Pose)

तरीका: चारों हाथ-पैरों के बल खड़े हो जाएं।

धीरे-धीरे कमर को ऊपर उठाते हुए त्रिकोणाकार आकार बनाएं।

सिर को नीचे रखते हुए, एड़ियों को जमीन की ओर दबाएं।

इस स्थिति में 15-30 सेकंड तक रहें और फिर सामान्य स्थिति में आएं।

फायदे: यह आसन पूरे शरीर को खींचता है और मांसपेशियों को टोन करता है।

रक्त संचार को बेहतर बनाता है, जिससे त्वचा में निखार आता है।

4. ताड़ासन (Mountain Pose)

तरीका: सीधे खड़े हो जाएं।

दोनों हाथों को ऊपर की ओर खींचते हुए, एड़ियों पर खड़े हों।

पूरा शरीर खिंचाव में होना चाहिए।

इस स्थिति में 15-30 सेकंड तक रहें और फिर सामान्य स्थिति में आएं।

फायदे: यह आसन शरीर को सीधा और संतुलित रखता है।

त्वचा को कसने और मांसपेशियों को टोन करने में मदद करता है।

5. शवासन (Corpse Pose)

तरीका: पीठ के बल लेट जाएं।

हाथों को शरीर के पास रखें और आंखें बंद करें।

शरीर को पूरी तरह से रिलैक्स करें।

5-10 मिनट तक इसी स्थिति में रहें।

फायदे:यह आसन तनाव को दूर करता है और शरीर को पूरी तरह से आराम देता है।

त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में मदद करता है।

सुझाव:

इन योगासनों को नियमित रूप से करें।

योग करने से पहले सही तकनीक सीखने के लिए किसी प्रशिक्षित योग शिक्षक की सलाह लें।

साथ ही, स्वस्थ आहार और हाइड्रेशन का भी ध्यान रखें, ताकि त्वचा को भीतर से पोषण मिल सके।

इन योगासनों के नियमित अभ्यास से आपकी त्वचा में कसाव आएगा और शरीर की संपूर्ण सेहत में भी सुधार होगा।

क्या आप भी रात में ओवरथिंकिंग (अधिक सोचने) के समस्या के कारण चैन से सो नहीं पाते,तो सोने से पहले करे ये उपाय


रात में ओवरथिंकिंग (अधिक सोचना) एक आम समस्या है, जो बहुत से लोगों को परेशान करती है। इसके कारण हम चैन की नींद नहीं ले पाते और थकान और तनाव में रहते हैं। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो सोने से पहले कुछ सरल कदम अपनाकर इस समस्या को दूर कर सकते हैं। यहां पांच उपाय बताए जा रहे हैं, जो आपको बेहतर नींद में मदद कर सकते हैं:

1. सोने से पहले ध्यान लगाएं:

ध्यान एक प्रभावी तरीका है जिससे आप अपने मन को शांत कर सकते हैं। 10-15 मिनट का ध्यान आपको ओवरथिंकिंग से मुक्त कर सकता है। ध्यान करने से मन स्थिर होता है और नींद अच्छी आती है। गहरी साँसें लें, अपनी साँसों पर ध्यान केंद्रित करें और अपने विचारों को जाने दें।

2. सोने का समय तय करें:

हर दिन एक निश्चित समय पर सोने और जागने की आदत बनाएं। इससे आपकी बायोलॉजिकल क्लॉक सेट होती है और शरीर को संकेत मिलता है कि अब आराम का समय है। सोने का एक नियमित समय निर्धारित करें और उसे पालन करें, चाहे वीकेंड हो या वीकडे।

3. नोटबुक में अपने विचार लिखें:

अगर आपके दिमाग में बहुत सारे विचार आते हैं, तो उन्हें एक नोटबुक में लिखें। इस प्रक्रिया से आपका मन हल्का हो जाएगा और आपको लगेगा कि आपने अपने विचारों को सुरक्षित जगह पर रखा है। यह एक तरीके से 'मेंटल डिक्लटरिंग' (मस्तिष्क की सफाई) है।

4. सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें:

मोबाइल फोन, टैबलेट, टीवी या लैपटॉप का उपयोग सोने से पहले न करें। इन उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी आपके दिमाग को सक्रिय बनाए रखती है, जिससे नींद आने में समस्या हो सकती है। सोने से कम से कम एक घंटा पहले सभी डिजिटल डिवाइस बंद कर दें।

5. आरामदायक माहौल बनाएं:

सोने के लिए एक आरामदायक और शांत माहौल बनाएं। अपने कमरे का तापमान अनुकूल रखें, बिस्तर को आरामदायक बनाएं और बेडरूम में हल्की रोशनी का उपयोग करें। आप सुकूनदायक संगीत या सफेद शोर (व्हाइट नॉइज़) का भी सहारा ले सकते हैं, जिससे नींद में बाधा न हो।

इन उपायों को नियमित रूप से अपनाने से आपको ओवरथिंकिंग की समस्या से निजात मिल सकती है और आप चैन की नींद का आनंद ले सकते हैं। याद रखें, अच्छी नींद आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।

आइए जानते है क्या शाम 5 बजे तक डिनर करने से वजन कम होता हैं।

डिनर का समय हमारे स्वास्थ्य और वजन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जल्दी डिनर करना वजन घटाने में मदद कर सकता है। शाम 5 बजे तक डिनर करना एक नई आदत के रूप में सामने आ रहा है, जिसे इंटरमिटेंट फास्टिंग के एक हिस्से के रूप में देखा जा सकता है।

कैसे काम करता है जल्दी डिनर?

कम कैलोरी सेवन: जब आप जल्दी डिनर करते हैं, तो आपके पास रात के समय में कुछ खाने का समय सीमित हो जाता है। इससे आप ओवरईटिंग से बच सकते हैं, जिससे कुल कैलोरी सेवन कम हो सकता है।

बेहतर मेटाबॉलिज्म:

 सुबह और दोपहर के समय हमारा मेटाबॉलिज्म तेज होता है। शाम को जल्दी खाने से आपका शरीर इन घंटों में भोजन को अधिक प्रभावी तरीके से पचा सकता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग का हिस्सा:

 शाम 5 बजे डिनर करने से, यदि आप अगली सुबह तक कुछ नहीं खाते हैं, तो यह 12 से 16 घंटे के फास्टिंग पीरियड को जन्म देता है। इस प्रकार के फास्टिंग से शरीर में इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ती है, जिससे फैट बर्निंग को बढ़ावा मिलता है।

विज्ञान क्या कहता है?

कुछ अध्ययनों के अनुसार, जल्दी डिनर करना और रात के खाने के बाद लंबे समय तक फास्टिंग रखने से वजन घटाने में सहायता मिल सकती है। एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग शाम 6 बजे से पहले खाना खाते हैं, उनका वजन कम होने की संभावना अधिक होती है।

ध्यान देने योग्य बातें:

व्यक्तिगत जीवनशैली: हर किसी के लिए जल्दी डिनर करना व्यावहारिक नहीं हो सकता। काम की समयसारिणी, परिवार की जिम्मेदारियाँ, और सामाजिक कार्यक्रमों के कारण यह हमेशा संभव नहीं होता।

संतुलित आहार:

 केवल जल्दी डिनर करना पर्याप्त नहीं है। यह भी महत्वपूर्ण है कि आप क्या खा रहे हैं। संतुलित आहार जिसमें प्रोटीन, सब्जियाँ, और स्वस्थ फैट शामिल हों, वजन घटाने के लिए महत्वपूर्ण है।

नींद की गुणवत्ता:

 जल्दी डिनर करने से आपकी नींद की गुणवत्ता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। देर रात खाने से पेट में भारीपन और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिससे नींद प्रभावित हो सकती है।

निष्कर्ष:

शाम 5 बजे तक डिनर करना एक स्वस्थ आदत हो सकती है, जो वजन घटाने में मदद कर सकती है, बशर्ते कि यह आपके व्यक्तिगत जीवनशैली के अनुरूप हो और आप इसे नियमित रूप से पालन करें। हालांकि, इसके साथ ही संतुलित आहार और नियमित व्यायाम भी महत्वपूर्ण हैं। अपने आहार और समयसारिणी में किसी भी बदलाव को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ से परामर्श लेना उचित रहेगा।

मौत के 24 घंटे बाद आत्मा घर क्यों लौटती है, आईए जानते है गरुड़ पुराण में क्या लिखा हैं।

गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है, जिसमें मृत्यु और उसके बाद के जीवन से संबंधित गहन ज्ञान और जानकारी दी गई है। यह पुराण भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के बीच हुए संवाद पर आधारित है। इसमें मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा, उसके अनुभव और कर्मों के फल के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है।

मौत के बाद आत्मा का सफर

गरुड़ पुराण के अनुसार, जब कोई व्यक्ति मरता है, तो उसकी आत्मा तुरंत शरीर से अलग हो जाती है। लेकिन यह आत्मा का अंतिम सफर नहीं होता। आत्मा का एक मार्ग तय होता है, जो उसके पिछले कर्मों और पुण्यों पर निर्भर करता है। मृत्यु के बाद आत्मा एक विशेष यात्रा पर निकलती है, जिसमें वह अपने परिवार, मित्रों और समाज के अन्य सदस्यों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करती है।

आत्मा का घर लौटना

गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा को कुछ समय के लिए अपने घर वापस लौटने का अधिकार होता है। यह समय 24 घंटे या एक दिन का हो सकता है। इस अवधि में आत्मा अपने घर और प्रियजनों के बीच घूमती है। ऐसा माना जाता है कि आत्मा यह देखने के लिए लौटती है कि उसके प्रियजन उसकी मृत्यु के बाद कैसे प्रतिक्रिया कर रहे हैं और उसके प्रति उनके प्रेम और सम्मान को कैसे व्यक्त कर रहे हैं।

आत्मा के घर लौटने के पीछे धार्मिक दृष्टिकोण भी है। यह समय आत्मा के लिए एक प्रकार की विदाई या अलविदा कहने का होता है। इस दौरान आत्मा अपने जीवन के उन सभी घटनाओं और व्यक्तियों को याद करती है जो उसके लिए महत्वपूर्ण थे।

गरुड़ पुराण में आत्मा की स्थिति

गरुड़ पुराण में उल्लेख किया गया है कि आत्मा मृत्यु के बाद अनिश्चित, अस्थिर और भयभीत हो जाती है। यह आत्मा अपने शरीर से अचानक अलग हो जाने के कारण परेशान और अस्थिर रहती है। ऐसे में, आत्मा अपने परिवार और घर के वातावरण की ओर आकर्षित होती है, जहां उसे सबसे अधिक सुकून और सुरक्षा मिलती है।

निष्कर्ष

गरुड़ पुराण में आत्मा के घर लौटने के पीछे गहरे धार्मिक और आध्यात्मिक अर्थ छिपे हुए हैं। यह केवल आत्मा की यात्रा का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह जीवन के उस चक्र को भी दर्शाता है जो मृत्यु के बाद भी जारी रहता है। आत्मा का 24 घंटे बाद घर लौटना परिवार के सदस्यों के लिए भी एक महत्वपूर्ण समय होता है, जब वे अपने प्रियजन की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

आइए जानते है क्या है वाटर फास्टिंग क्या सच में इससे तेजी से घटता है वजन


वाटर फास्टिंग एक प्रकार का उपवास है जिसमें व्यक्ति केवल पानी का सेवन करता है और अन्य किसी भी तरह का भोजन या पेय पदार्थ नहीं लेता। इस प्रकार के उपवास का उद्देश्य शरीर को डिटॉक्स करना, वजन घटाना और मानसिक स्पष्टता प्राप्त करना होता है। यह उपवास आमतौर पर एक दिन से लेकर एक सप्ताह तक का हो सकता है, लेकिन कुछ लोग इसे और भी लंबे समय तक करते हैं।

वजन घटाने के लिए वाटर फास्टिंग का प्रभाव:

वाटर फास्टिंग को वजन घटाने के लिए एक प्रभावी तरीका माना जाता है। जब आप केवल पानी पीते हैं और कोई कैलोरीयुक्त पदार्थ नहीं लेते, तो आपका शरीर स्टोर की हुई वसा को ऊर्जा के रूप में उपयोग करने लगता है। इस प्रक्रिया को केटोसिस कहा जाता है, जिसमें शरीर वसा को तोड़कर ऊर्जा प्राप्त करता है।

हालांकि, यह वजन घटाने का तरीका अल्पकालिक होता है। वाटर फास्टिंग के दौरान शरीर में पानी और मांसपेशियों का वजन भी घटता है, जिससे कुल वजन में कमी दिखाई देती है। लेकिन जब आप फिर से सामान्य आहार शुरू करते हैं, तो वजन वापस बढ़ सकता है।

क्या ये सुरक्षित है?

वाटर फास्टिंग सभी के लिए सुरक्षित नहीं हो सकता। जिन लोगों को पहले से ही स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जैसे कि मधुमेह, हृदय रोग, या खाने से संबंधित विकार, उनके लिए यह उपवास हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा, लम्बे समय तक वाटर फास्टिंग करने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जिससे कमजोरी, थकान, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

वाटर फास्टिंग के फायदे और नुकसान:

फायदे:

त्वरित वजन घटाने: अल्प समय में वजन घटता है।

डिटॉक्स: शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है।

मानसिक स्पष्टता: कुछ लोग मानसिक रूप से अधिक स्पष्ट और ध्यान केंद्रित महसूस करते हैं।

नुकसान:

पोषक तत्वों की कमी: आवश्यक विटामिन और खनिजों की कमी हो सकती है।

ऊर्जा की कमी: शारीरिक थकावट और कमजोरी महसूस हो सकती है।

स्वास्थ्य जोखिम: लंबे समय तक उपवास करने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

निष्कर्ष:

वाटर फास्टिंग एक ऐसा तरीका है जिससे आप वजन तेजी से घटा सकते हैं, लेकिन यह दीर्घकालिक समाधान नहीं है। इसे शुरू करने से पहले डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है, खासकर अगर आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है। वजन घटाने के लिए एक संतुलित आहार और नियमित व्यायाम अधिक स्थायी और सुरक्षित तरीका हो सकता है।