दवाओं के फार्मूलेशन के क्षेत्र में आयातक की बजाय निर्यातक बना भारत : डॉ. जीएन सिंह


गोरखपुर, 26 अगस्त। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के तृतीय स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक समारोह के तहत युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज स्मृति व्याख्यानमाला के पांचवें दिन मुख्य वक्ता भारत सरकार के पूर्व औषधि महानियंत्रक एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार डॉ. जीएन सिंह ने व्याख्यान दिया।

इस अवसर पर डॉ. जीएन सिंह ने कहा कि देश एक समय तक दवाओं के फार्मूलेशन के लिए विदेशों पर निर्भर था लेकिन हाल के वर्षों में फार्मूलेशन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति के चलते अब देश आयातक की बजाय निर्यातक की भूमिका में आ रहा है। उन्होंने फार्मास्युटिकल के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश में हो रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी सोच से उत्तर प्रदेश आने वाले समय में फार्मा हब बनकर उभरेगा।

अपने व्याख्यान में डॉ. सिंह ने फार्मास्युटिकल कंपनी रैनबैक्सी की उपलब्धियों की भी चर्चा की। बताया कि रैनबैक्सी के संस्थापक रणबीर सिंह और गुरबक्स सिंह ने 10 वर्षों के कठोर अनुसंधान के बाद भारत को विदेशी फार्मूलेशंस पर निर्भरता से मुक्त कराया। पहले जहां हमें अपनी आवश्यकताओं के लिए फार्मूलेशंस का आयात करना पड़ता था, वहीं रैनबैक्सी के अनुसंधान के कारण हम अपने फार्मूलेशंस को अमेरिका तक निर्यात कर रहे हैं।

डॉ. जीएन सिंह ने फार्मेसी के छात्रों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए प्रेरित किया और उन्हें फार्मास्युटिकल के क्षेत्र में नए मापदंड स्थापित करने के लिए उत्साहित किया। उन्होंने छात्रों को मेहनत और समर्पण के साथ अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होने का संदेश दिया, जिससे भारत को फार्मेसी के क्षेत्र में विश्व स्तर पर और ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सके। इस अवसर पर मुख्य वक्ता का स्वागत करते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ. अतुल वाजपेयी ने भी वैश्विक स्तर पर भारत की फार्मा प्रगति पर प्रकाश डाला।

आभार ज्ञापन औषधि विज्ञान संकाय के प्रमुख डॉ. शशिकांत सिंह ने किया। इस अवसर पर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव, महंत दिग्विजयनाथ चिकित्सालय के निदेशक डॉ. राजेश बहल, आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य डॉ. मंजूनाथ एनएस, कृषि विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता डॉ. विमल कुमार दुबे, डॉ. अभिषेक कुमार सिंह, प्रवीन कुमार सिंह, दिलीप मिश्रा, दीपक कुमार, जूही तिवारी, श्रेया मद्धेशिया, पीयूष आनंद समेत कई शिक्षक और समस्त विद्यार्थी उपस्थित रहे।
आर्थिक तंगी से परेशान मानसिक विक्षिप्त युवक ने की आत्महत्या

खजनी गोरखपुर।थाने की महुआडाबर चौकी क्षेत्र के ग्राम मिश्रवलियां के निवासी अयोध्या मिश्र 35 वर्ष पुत्र स्वर्गीय शिव प्रसन्न मिश्र मानसिक रुप से विक्षिप्त था। उसने अपने घर में कुंडी में साड़ी से फांसी का फंदा लगाकर लगभग एक बजे दिन में आत्महत्या कर ली। चौकी प्रभारी महुआडाबर शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि मृतक का वर्षों से नियमित इलाज गोरखपुर के मनोचिकित्सक डाॅक्टर बेरी के वहां से चलता था। मृतक चार भाईयों में दूसरे नंबर का था।


मृतक की शादी हुई है दो लड़कियां हैं एक दस वर्ष की तथा दूसरी एक वर्ष की है। ग्रामीणों ने बताया कि मृतक की पत्नी भी अर्ध विक्षिप्त है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मृतक आर्थिक तंगी से परेशान रहता था।
घटना के बाद पुलिस मृतक के भाई शुभम मिश्रा की सूचना पर मौके पर पहुंची और पंचायतनामे के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
जय श्री राम सेवा संगठन ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर आम जन में श्रीमद् भागवत गीता का किया वितरण


गोरखपुर। सनातन धर्म के प्रचार प्रसार व जागरूकता के उद्देश्य के दृष्टिगत जय श्री राम सेना संगठन गोरखपुर द्वारा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष में गीता वाटिका मंदिर के सामने 201 श्रीमद्भगवतगीता का निशुल्क वितरण किया गया । साथी लोगों को श्रीमद् भागवत गीता के उद्देश्य के प्रति विस्तार पूर्वक जानकारी भी दी गई। कार्यक्रम में राघवेंद्र, आदर्श, आशुतोष, धर्मराज, जय, राहुल, अंश, तुषार एवं अन्य रामदूतों ने शामिल होकर सनातन के प्रति जागरूकता लाने का छोटा सा प्रयास किया गया।
शरीर से ही पता चल जाता है हर बीमारी का शुरुआती लक्षण : डॉ. संजय माहेश्वरी



गोरखपुर। आरोग्यधाम बालापार स्थित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के महायोगी गोरखनाथ चिकित्सालय में 28 अगस्त तक आयोजित तीन दिवसीय निशुल्क वृहद लेजर सर्जरी कैम्प का सोमवार को शुभारम्भ हुआ। कैम्प में अंतरराष्ट्रीय ख्याति के कैंसर सर्जन और लैप्रोस्कोपिक एवं किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय माहेश्वरी तथा सीनियर सर्जन (पेट, आंत, गाल ब्लेडर, पाइल्स और कैंसर रोग विशेषज्ञ) डॉ. रेखा माहेश्वरी ने मरीजों को देखा और उन्हें जरुरी परामर्श दिया।  कैंप में पहले दिन करीब 65 मरीजों को परामर्श दिया गया।  सर्जरी के लिए चिन्हित मरीजों की 27 और 28 अगस्त को निशुल्क लेजर सर्जरी की जाएगी जबकि परामर्श का दौर भी इन दो दिनों में जारी रहेगा।

बिरला ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के डायरेक्टर और अपने चालीस वर्ष की प्रैक्टिस में 3 लाख 80 हजार सर्जरी कर चुके डॉ संजय माहेश्वरी ने बताया की इस कैम्प के जरिये पूर्वांचल में पहली बार बिना चिर फाड़, बिना बेहोश के लोकल एनेस्थीसिया द्वारा लेजर सर्जरी से पेट,आंत, लीवर, गाल ब्लेडर, पाइल्स और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के निशुल्क इलाज की सुविधा मिल रही है। सामान्यतः लेजर सर्जरी में लाखों का खर्च आता है जबकि यहां सब कुछ मुफ्त हो रहा है। यह गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की तरफ से एक शानदार पहल है। इस तरह का निशुल्क कैम्प यहां हर महीने के आखिरी सप्ताह में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा की नई प्रविधि से लेजर सर्जरी में मरीजों को बहुत तकलीफ नहीं होगी और आधे घंटे का ही समय लगेगा।

डॉ. माहेश्वरी ने मरीजों को परामर्श देने के साथ ही उन्हें बिमारियों से बचाव के प्रति जागरूक भी किया।  उन्होंने कहा कि हर बीमारी के प्रारंभिक लक्षण हमारे शरीर से खुद ही मिलती है। स्थिति तब गंभीर होती है जब हम शुरुआती लक्षणों की अनदेखी करते हैं। डॉ. संजय माहेश्वरी ने कहा कि पूर्वांचल में कैंसर, किडनी और गाल ब्लेडर के स्टोन तथा लिवर की बिमारियों की एक बड़ी वजह मिलावटी खाद्य तेलों का उपभोग है। कैंप में पहले दिन गुर्दा संबंधी बिमारियों से ग्रसित मरीज अधिक आए। ऐसे मरीजों को डॉ. माहेश्वरी ने समझाया की वे नमक, अचार और पापड़ के सेवन से परहेज करें।

कैंप में पुरुष मरीजों को डॉ संजय माहेश्वरी ने तथा महिला मरीजों को सर्जरी के क्षेत्र में ग्लोबल पहचान रखने वाली डॉ. रेखा माहेश्वरी ने परामर्श दिए। इस अवसर पर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ. अतुल वाजपेयी, कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव और हॉस्पिटल डायरेक्टर कर्नल डॉ. राजेश बहल ने डॉ. माहेश्वरी का स्वागत किया।
शहीद किसी एक परिवार का नहीं देश का सपूत होता है :विधायक श्रीराम चौहान


खजनी गोरखपुर।कोकराझार असम राज्य में नक्सली हिंसा में 25 अगस्त वर्ष 2000 को बम धमाके में शहीद हुए खजनी तहसील क्षेत्र के डंड़वां चतुर गांव के मूल निवासी स्वर्गीय प्रेमनारायण त्रिपाठी के सुपुत्र अमर शहीद स्वर्गीय जितेंद्र त्रिपाठी की 25 वीं पुण्यतिथि गांव के प्राथमिक विद्यालय में स्थित शहीद स्मारक पर श्रद्धा पूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित क्षेत्रीय विधायक श्रीराम चौहान और विशिष्ट अतिथि विभागीय निर्देश पर दिल्ली से पहुंचे सीआरपीएफ के जवान अजय नाथ गहलोत ने अमर शहीद के चित्र पर दीप जलाकर माल्यार्पण पुष्पार्चन कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।

श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए विधायक ने कहा कि देश के लिए शहीद होने वाले जवान किसी एक परिवार अथवा गांव क्षेत्र के नहीं बल्कि भारत माता के सपूत होते हैं। देश की रक्षा के लिए हंसते हुए अपना जीवन बलिदान करने वाले अमर शहीदों का देश का हर नागरिक ऋणी होता है। उन्होंने कहा कि देशवासियों और युवाओं को ऐसे शहीदों के जीवन से देश हित के कार्यों के लिए प्रेरणा लेनी चाहिए।

श्रद्धांजलि सभा को विनोद पांडेय, अरविंद राय उर्फ बिट्टू पहलवान, बृजेश राय सहित अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। शहीद की सुपुत्री सुप्रिया धर्मपत्नी मीनाक्षी देवी समेत परिवार की सभी महिलाओं भाईयों सुनील त्रिपाठी, विनोद त्रिपाठी ने अश्रुपूरित नेत्रों से पुष्पांजलि अर्पित करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले लोगों में कृपा शंकर उर्फ जुगुनू दुबे, जगदम्बा शुक्ला,
ध्रुव कुमार मौर्या, उदय नारायण उर्फ गुड्डू सिंहरविन्द्र उर्फ नाटे, सुदामा प्रसाद, रिंकु राय, दयालू सिंह, बृज कुमार शुक्ला, शेषनाथ त्रिपाठी,ब्रह्मा तिवारी, शत्रुघ्न त्रिपाठी, हृदय नारायण राय, अंकुश दूबे,प्रमोद तिवारी, नितेश त्रिपाठी, रवि त्रिपाठी, रितेश त्रिपाठी,सूरज त्रिपाठी, मोहन दूबे, राजेश राय, शिवानंद दुबे,राहुल ओझा, अनमोल शुक्ला,सुनील मौर्या, कुंवर शुक्ला, शिवेश दुबे, प्रदीप प्रजापति सहित क्षेत्रीय गणमान्य लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
काव्य कविता ममता की छांव का हुआ लोकार्पण

गोरखपुर। प्रेस क्लब सभागार में गोरखपुर की उदीयमाना कवयित्री सुश्री दीक्षा राय ह्यशुभ्राह्ण की काव्यकिताब ह्यममता की छाँवह्ण का लोकार्पण यशस्वी कवि-साहित्यकार विद्वानों के हाथों सम्पन्न हुआ। पूर्वांचल हिन्दी-मंच, गोरखपुर के तत्त्वावधान में आयोजित इस लोकार्पण-समारोह में बीज-वक्तव्य देते हुए प्रो० रामदरश राय ने कहा कि मनोहर कृतियों का यह काव्यनीड़ हिन्दी की नयी सदी की नयी काव्ययात्रा है। कविता के विषयों में नवीन?ता है। अनेकत्र मौलिकता भी। दरअसल दीक्षा की सभी कविताएँ ममत्वभरी मनोगत की आत्मीय उद्गीथ हैं।

मुख्यवक्ता प्रो० आमोदकुमार राय ने दीक्षा की कविताओं को अधुनातन हिन्दी काव्यधारा में उठती हुई नवतरंग के रूप में देखा तो डॉ० संजयन त्रिपाठी ने कृति के मुक्तकों और गीतों को हिन्दीकाव्य की नयी देखा के रूप में चिह्नित किया। डॉ० शाकिरअली खाँ ने एक गजल और दो शेर सौंपकर कृति और कृतिका को दुआ अर्ज की। डॉ० विनयमोहन त्रिपाठी ने कवयित्री दीक्षा के नवजात काव्यकृतित्व की भाषिक विदग्धता और कला-चारुता पर अपनी मुहर लगायी। डॉ० अंगदकुमार सिंह ने ह्यममता की छाँवह्ण को दीक्षा की कविताओं का छायाश्रम कहा। डॉ० रामकृपाल राय ने एक स्वरचित गीत सुनाकर दीक्षा को शुभकामना दी। डॉ० फूलचन्दप्रसाद गुप्त ने कवयित्री दीक्षा में नये काव्यबीज का अंकुरण देखा। विशिष्ट अतिथि श्री अखिलेश चन्द ने कवयित्री दीक्षा की हर्षिल काव्य-तितीक्षा से मनोरम संवाद करते हुए एक मुकम्मल आश्वस्ति की अनुभूति की।

समारोह के मुख्य अतिथि डॉ० आद्याप्रसाद द्विवेदी ने काव्यकृति पर समीक्षा-दृष्टि दौड़ाते हुए उसे २१वीं सदी की नयी काव्यरेखा कहा। अध्यक्षीय उद्?बोधन में डॉ० उमाकान्त राय ने कवयित्री दीक्षा की इस प्रथम काव्ययात्रा को हिन्दी का अभिनव सुन्दरकाण्ड कहा।

सम्पूर्ण कार्यक्रम का खूबसूरत साहित्यिक संचालन डॉ० फूलचन्दप्रसाद गुप्त ने किया और आभार-ज्ञापन एवं धन्यवाद-प्रकाशन डॉ० अजय ह्यअनजानह्ण ने। आरम्भत: वाणी-वन्दना की गयी और मध्यत: दीक्षा राय के माता-पिता-अनुजा श्रीमती बीना राय और देवशर्मा राय तथा प्रज्ञा राय द्वारा मंचस्थ साहित्यविदों को पुष्पगुच्छ एवं उत्तरीय प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर राजेश्वर सिंह, नर्वदेश्वर सिंह, बृजेश राय, राकेश राय, जीतबहादुर पाण्डेय, आचार्य ओमप्रकाश पाण्डेय, डॉ. पवनकुमार राय, महेश त्रिगुणायत आदि उपस्थित रहे।

नागेंद्र नाथ सिंह स्मृति व्याख्यान एवं सम्मान समारोह में भारतीय संविधान में विविधता प्रबंधन विषय पर व्याख्यान का आयोजन

गोरखपुर। भारत को एक शब्द में सही सही वर्णित करना है तो कहना होगा कि वह शब्द है विभिन्नता। देश के संविधान ने विभिन्नता प्रबंधन के जो पैमाने बनाए, सत्ता में सबको भागीदारी देने और सबका ख्याल रखने का जो आदर्श तय किया उसका लक्ष्य भाईचारा प्राप्त करते हुए देश को मजबूत बनाना है। हम विविधता प्रबंधन इसलिए चाहते हैं कि भाईचारा हो जाए। जो भाईचारा के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं, वे राष्ट्र व संविधान के विरूद्ध कार्य कर रहे हैं। असली राष्ट्रद्रोही वह हैं जो संविधान द्वारा तय किए राष्ट्र के लक्ष्य से देश को दूर ले जाने का कार्य कर रहे हैं। 

यह बातें चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति प्रसिद्ध संविधान विशेषज्ञ प्रो फैजान मुस्तफा ने कही। वे नागेंद्र नाथ सिंह स्मृति व्याख्यान एवं सम्मान समारोह में भारतीय संविधान में विविधता प्रबंधन विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले लोगों-भास्कर दुबे (वकालत), सुभाष चौधरी (साहित्य), चन्द्रविजय सिंह (कुश्ती), इंद्रदेव पासवान (राजनीति), सरदार जसपाल सिंह (समाज सेवा), डॉ एस सी त्रिपाठी (विज्ञान एवं तकनीक), यूपी पांडेय (पत्रकारिता), अजय कुमार शाही (शिक्षा), एके सिंह ( श्रमिक संगठन), डॉ मुमताज खान (बाल कल्याण) को स्मृति चिन्ह व अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। 

प्रो फैजान मुस्तफा ने अपने व्याख्यान में कहा कि भारत के संविधान में संघवाद, धर्मनिरपेक्षता, आरक्षण, भाषायी अधिकारों के संरक्षण के जरिए विभिन्नताओं का प्रबंधन किया गया है। भारत के लिए यह जरूरी था क्योंकि भारत बहुभाषी, बहुधार्मिक, बहुजातीय  है। जो लोग एक देश एक भाषा, एक धर्म, एक कानून, इलेक्शन आदि की बात करते हैं वह आइडिया आॅफ इंडिया के खिलाफ है।  

देश में जब संविधान बन रहा था तभी देश का धर्म के नाम पर विभाजन हो गया और बहुत जल्दी पड़ोसी देश इस्लामिक राष्ट्र बन गया। देश के विभाजन के बाद काफी हिंसा हुई। इस कठिन समय में संविधान निमार्ताओं ने तय किया कि हम अपने देश की विभिन्नताओं को देखते हुए उसके प्रबंधन के तरीके तय करेंगे। उन्होंने कहा कि बड़े और विभिन्नताओं वाले देश के लिए संघवाद बेहद जरूरी है। जो देश संघवाद नहीं अपनाते वे विभाजित हो जाते हैं। ऐसा दुनिया में तमाम उदाहरण हैं। संघवाद देश को मजबूत बनाता है। हमारे देश ने संघवाद को अपना कर राज्यों को शक्तियां दी। केन्द्र और राज्यों के बीच अधिकार का बंटवारा किया। 

धर्मनिरपेक्षता की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा इसका अर्थ है कि राज्य का कोई धर्म नहीं है। वह किसी धर्म को न तो प्रोत्साहित करेगा न किसी धर्म से द्वेष करेगा। वह सभी धर्मों से समान दूरी बरतेगा। चूंकि राज्य दुनियावी है इसलिए वह धर्म से कोई वास्ता रख ही नहीं सकता। ह्य साल्वेशन आॅफ सोल ह्ण राज्य की नहीं धर्म की जिम्मेदारी है। प्रो फैजान मुस्तफा ने कहा कि राज्य का कोई धर्म नहीं होने से सबसे अधिक फायदा धर्म का ही होता है क्योंकि यदि राज्य का कोई अपना धर्म होगा तो वह धर्म पर हावी हो जाएगा और अपने अनुसार धर्म बनाने लगेगा।  इससे सबसे बड़ा नुकसान धर्म का ही होगा। इसलिए धर्मनिरपेक्षता धर्म की आजादी के लिए जरूरी है। धर्म को राज्य से बचाना है तो धर्मनिरपेक्षता जरूरी है। धर्मनिरपेक्षता शब्द को संविधान में जोड़े जाने के पहले सुप्रीम कोर्ट में केशवानंद भारती केस में कहा था कि धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान का मूल ढांचा है। 

उन्होंने हमारे समाज में दलित और पिछड़े समाज के लोग शताब्दियों से शोषण के शिकार रहे हैं। ऐसे समुदायों को आरक्षण देना विविधता प्रबंधन का ही मैकेनिज्म है। उन्होंने कहा कि अदालतें आरक्षण को नियंत्रित, सीमित करने का काम कर रही है। क्रीमीलेयर की पहचान, प्रमोशन में आरक्षण या आरक्षण की सीमा तय करने के फैसले इसके उदाहरण है। सरकार राजनीतिक फायदे के लिए संवैधानिक संशोधन कर उन्हें वैधता दे रही हैं। विभिन्नता के प्रबंधन के लिए संविधान द्वारा दिए गए एक अच्छी व्यवस्था का राजनीतिकरण किया जा रहा है। संविधान के अनुसार में आरक्षण राज्य की हर संस्था में प्रतिबिंबित होना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि संविधान के मूल कर्तव्य में भी विविधता के प्रबंधन को बताते हुए हमें मिली जुली संस्कृति का सम्मान करें और धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषायी विविधता का संरक्षण किया। आज जब देश की महिलाओं को यह लगता है कि वे कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं तो हमारे विविधता प्रबंधन पर सवाल उठता हैं। यदि राज्यों को लगने लगे कि कभी भी उन्हें केन्द्र शासित राज्य बनाया जा सकता है, तो विविधता प्रबंधन पर सवाल उठता है। किसी राज्य को यह नहीं लगे कि तमिलनाडु के साथ इंसाफ हो रहा है तो मणिपुर के साथ भी इंसाफ हो रहा है। 

उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकता का आधार केवल संख्यात्मक नहीं बल्कि अशक्तता भी है। यदि कोई समुदाय संख्या में अधिक है लेकिन सत्ता में उसकी भागीदारी नहीं है तो यह अशक्तता है। मुख्य अतिथि इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के पूर्व महाप्रबंधक एवं वंदे भारत ट्रेन योजना के वास्तुकार सुधांशु मणि ने रेल संचालन में विविधता प्रबंधन की बात करते हुए कहा कि देश के गरीब कमजोर लोगों को सम्मान के साथ सभी सुविधाओं के साथ रेल यात्रा का हक है। यह सिर्फ कुछ अमीर लोगों के लिए नहीं होना चाहिए। भारत सही मायनों में विकसित भारत तभी होगा जब देश के चंद लोग ही आगे नहीं बढ़ेंगे बल्कि देश के हर तबके के लोग विकास करेंगे। 

अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार एवं पब्लिक इंडिया के संपादक आनन्द वर्धन सिंह ने सेकुलर सिविल कोड की चर्चा को फिजूल बताते हुए कहा कि भारत की आत्मा उसकी विविधता है। इस पर चोट देश पर चोट करना है लेकिन आज सर्वाधिक हमला देश की विविधता पर ही हो रहा है। 

कार्यक्रम के प्रारम्भ में नागेन्द्र नाथ सिंह स्मृति न्यास के अध्यक्ष राजेश सिंह ने स्वागत उद्बोधन करते हुए नागेन्द्र नाथ सिंह स्मृति व्याख्यान एवं सम्मान समारोह की 12 वर्ष की यात्रा पर प्रकाश डाला। शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक एवं अदबी शख्सियत डॉ अजीज अहमद ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन डॉ मुमताज खान ने किया। 

इस मौके पर मंच पर गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो चितरंजन मिश्र, पूर्व विधायक राजमणि पांडेय, पूर्व राज्य सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही, पूर्वोत्तर रेलवे के सेवानिवृत वरिष्ठ अधिकारी एवं लेखक रणविजय सिंह, पूर्व कुलपति प्रो रजनीकांत पांडेय उपस्थित थे।

गांव के बिटिया ने बढ़ाया मान,लखनऊ विश्वविद्यालय में जेआरएफ प्रोजेक्टर बनी

खजनी गोरखपुर। क्षेत्र के बसडीला गांव की मूल निवासी पिता जितेंद्र शर्मा और मां बेबी शर्मा की लाड़ली बिटिया रौशनी शर्मा का अपने पहले ही प्रयास में बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ में जेआरएफ प्रोजेक्टर के पद पर चयन हुआ है।

मिली जानकारी के अनुसार एक मात्र रिक्त पद हेतु 13 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जिनमें 8 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार हुआ और उनमें रोशनी शर्मा को सफल घोषित किया गया।

सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार में पली बढ़ी रौशनी शर्मा ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता पिता और गुरूजनों को दिया है। पिता ने प्राइवेट स्कूल में शिक्षक के पद पर नौकरी करते हुए अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई से बिटिया को पढ़ा लिखा कर इस मुकाम तक पहुंचाया। रौशनी ने बताया कि उसने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में रह कर कक्षा 1 से लेकर 12 वीं तक के.पी. मेमोरियल खजनी से पूरी की फिर एमजी पीजी कॉलेज गोरखपुर से बीएससी और डीडीयू गोखपुर से एमएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद बीबीयू विश्वविद्यालय लखनऊ में उन्हें जेआरएफ प्रोजेक्टर के पद पर चयनित होने का अवसर प्राप्त हुआ है। बिटिया के चयनित होने पर ग्रामप्रधान प्रदीप शर्मा, पूर्व प्रधान डीके शर्मा, राघवेन्द्र शर्मा तथा कस्बे के व्यवसायी रामजी वर्मा, रामवृक्ष वर्मा,राजेन्द्र सेठ, मदन सिंह,सभापति शर्मा , सहित दर्जनों लोगों ने बधाई दी।

श्रद्धापूर्वक मनाया गया हल षष्ठी का पर्व,माताओं ने की छठ माता की पूजा अर्चना

खजनी गोरखपुर।भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष षष्ठी के दिन पडने वाले स्व:पुत्रों के कल्याण की कामना में हल षष्ठी (ललही छठ) पर्व पर क्षेत्र में पुत्रवती माताओं ने अपने पुत्रों के आरोग्य यश समृद्धि और लंबे जीवन के लिए पूजा अर्चना की।

परंपरानुसार घरों के बाहर कुश, परास स्थापित करके दो छोटे कुंड बनाए गए जिनमें पवित्र जल भर कर छठ माता का आवाह्न पूजन किया गया। माताओं ने छठ माता को दही, महुआ के सूखे फूल और तिन्नी चावल का मिश्रित प्रसाद श्रद्धापूर्वक चढ़ाया और छठ माता की सामुहिक कथा सुनी।

पंडित प्रेमचंद राम त्रिपाठी ने बताया कि लोक मान्यताओं के अनुसार कुश का पौधा हर मौसम में हरा भरा रहने वाला विपरित परिस्थितियों में भी लंबे समय तक जीवित रहने वाला तथा सनातन धर्म में सभी प्रकार के शुभ मांगलिक और पितृ पूजा के कार्यों में पवित्रता का प्रतीक माना गया है। वहीं परास का वृक्ष भी लंबे समय तक जीवित रहने वाला बहुत ही मजबूत वृक्ष है।

कुश परास की भांति अपने पुत्रों की वंशवृद्धि, स्वास्थ्य,शक्तिवर्धक एवं दीर्घायू जीवन की मंगलकामनाओं के लिए माताऐं हल षष्ठी का व्रत रहती हैं। परंपरानुसार इस व्रत में गोवंश को अपने परिवार का अंग मानते हुए उनकी रक्षा का संकल्प भी छिपा हुआ है। इसीलिए बैलों के हल से जुताई किए गए खेतों से उपजे अन्न और शाक का प्रयोग भी इसमें वर्जित माना गया है, पूजा के लिए भैंस के दूध की दही, भैंस के ही घी, तिन्नी चावल, महुआ के सूखे फूल और जल में उगने वाले शाक का प्रयोग किया जाता है।

माताऐं समूह में एकत्रित हो कर व्रत कथा सुनती हैं, मंगलगीत गाती हैं। साथ ही पुत्रों के दीर्घायु, स्वस्थ्य जीवन के लिए कामनाऐं करती हैं।

खजनी कस्बे एवं क्षेत्र के सभी गांवों और कस्बों में हल षष्ठी का पर्व श्रद्धापूर्वक हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। माताओं ने छठ माता की पूजा अर्चना की और अपनी संतानों के लंबे एवं स्वस्थ्य जीवन की कामनाएं की।

‌धूमधाम से मनाया गया हलछठ का त्यौहार

गोला गोरखपुरIभाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं द्वारा संतान की लंबी आयु प्राप्त की कामना करते हुए रविवार को गोला तहसील क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर धूमधाम विधि विधान से पूजा पाठ करके हलछठ का पर्व मनाया गया ।

माताओ ने बेटों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा और विधि विधान के साथ पूजन अर्चन किया । एक दिन पहले से ही माताओ में हलछठ पर्व के लेकर उत्साह था ।

सभी ने बाजारों में पहुंचकर पूजन सामग्रियों की खरीदारी की । फिर रविवार को घरों में हलछठ की पूजा कर बेटों के लंबे उम्र की कामना की ।

ऐसे हुई पूजा

इस दिन माताओ ने महुआ पेड़ की डाली का दातुन कर स्नान कर व्रत धारण किया । कुश ढाक का पत्ता महुआ का फल तिन्नी का चावल भैंस के दूध से बनी दही चंदन आदि से पूजन सामग्री तैयार की ।

सामने एक चौकी या पाटी पर गौरी गणेश कलश रखकर हल षष्ठी देवी की मूर्ति की पूजा की साड़ी आदि सुहाग की सामग्री भी चढ़ाई । साथ ही हलषष्ठी माता की छः कहानी सुनाई ।पूजन की सामग्री में पचहर चाउर, बिना हल जोत हुए जमीन से उगा हुआ धान का चावल महुआ के पत्ते धान की लाई भैंस का दूध दही घी आदि रखा । बच्चों के खिलौने को भी रखा । माताओ ने पूजा अर्चना कर बेटों के दीर्घ आयु की कामना की ।

इस छठ की परंपरा

महिलाएं अपने संतान की सुरक्षा और उन्नति के लिए वह निर्जला व्रत रखती है । इस दिन भगवान शिव पार्वती की विशेष पूजा होती है । जिसमें पार्थिव शिवलिंग बनाकर अभिषेक किया जाता है और फिर पूजा में मदार के फूल बेलपत्र धतूरा और अन्य फूल पत्तीयां शिवलिंग पर चढ़ाई जाती हैं । इसके बाद शिवलिंग को नदी में विसर्जित किया जाता है । वही देवी पार्वती की पूजा सौभाग्य सामग्री चढ़कर की जाती है ।इस दिन बिना हल जोते खेत में उपजे धान से तैयार चावल का सेवन किया जाता है ।

इसके अलावा 6 तरह की सब्जियों का सेवन किया जा सकता है । सूर्य की आराधना करके सूर्यास्त के बाद व्रत खोला जाता है ।

बच्चों के लंबी उम्र के लिए व्रत

इस तिथि पर महिलाएं अपने बच्चों की सुख समृद्धि व लंबी उम्र की कामना से छठ माता की विशेष पूजा और व्रत उपवास करती हैं । कई जगहों पर इस दिन निर्जल यानी बिना पानी पीए व्रत करने की भी परंपरा है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करती हैं।

फिर सूर्य को अर्घ्य देती हैं । इसके बाद भगवान गणेश फिर देवी पार्वती और छठ माता की पूजा करती है । साथ ही सौभाग्य और श्रृंगार की चीजों का दान किया जाता हैं ।

मान्यता है कि इस तरह का व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं ।