प्रशांत किशोर पार्टी लॉन्च करने के बाद बिहार के 4 सीटों पर लड़ेंगे उपचुनाव
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राजनीति पर्दापण में जुटे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले ही अपनी पार्टी का लिटमस टेस्ट करना चाहते हैं.
इसको लेकर उन्होंने तैयारी भी कर ली है. हाल ही में प्रशांत किशोर ने इसके संकेत दिए हैं. प्रशांत किशोर, पार्टी लॉन्च करने के बाद बिहार के 4 सीटों पर उपचुनाव लड़ेंगे.
बिहार विधानसभा की ये 4 सीटें विधायकों के सांसद चुने जाने की वजह से रिक्त हुई हैं. जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें गया की इमामगंज, जहानाबाद की बेलागंज, कैमूर की रामगढ़ और भोजपुर की तरारी सीट शामिल हैं.
लिटमस टेस्ट करेंगे प्रशांत किशोर?
प्रशांत किशोर बिहार में उपचुनाव के जरिए अपने प्रयोग का लिटमस टेस्ट करेंगे. शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए पीके ने कहा कि 2 अक्टूबर के बाद अगर उपचुनाव की घोषणा की जाती है, तो जनसुराज भी उम्मीदवार उतारेगी.
उन्होंने कहा कि हम चुनाव सभी सीटों पर लड़ेंगे और अपनी बात लोगों तक पहुंचाएंगे.
प्रशांत ने यह भी कहा कि अगर चुनाव की घोषणा अक्टूबर से पहले होगी, तो हम निर्दलीय को उतारने पर विचार करेंगे.
बिहार में विधानसभा की 4 सीटें तरारी, इमामगंज, रामगढ़ और बेलागंज सीट पर उपचुनाव होने हैं. चारों ही सीट के विधायक इस बार सांसद चुने गए हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में तरारी सीट से माले के सुदामा प्रसाद, रामगढ़ सीट से आरजेडी के सुधाकर सिंह, बेलागंज सीट से आरजेडी के सुरेंद्र यादव और इमामगंज सीट से हम के जीतन राम मांझी ने जीत दर्ज की थी.
उपचुनाव को लेकर क्या है पीके का प्लान?
जनसुराज से जुड़े सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर इन सीटों पर उम्मीदवार उतारकर ये देखना चाहते हैं कि उनका संदेश लोगों तक पहुंच पा रहा है या नहीं? जिन सीटों पर चुनाव होने हैं, वो संबंधित विधायकों का गढ़ माना जाता है.
मसलन, बेलागंज सीट से सुरेंद्र यादव 8 बार चुनाव जीत चुके हैं. इसी तरह सुदामा प्रसाद 2015 से ही तरारी सीट से जीत रहे हैं. रामगढ़ भी जगदानंद परिवार का गढ़ माना जाता रहा है. जीतनराम मांझी भी इमामगंज से लगातार जीतते आ रहे हैं.
ऐसे में पीके इन सीटों पर चुनाव लड़कर खुद की मजबूती देखना चाहते हैं. इन सीटों के लिए पीके की तरफ से खास प्लान भी तैयार किया गया है. इसके मुताबिक सीटों पर उम्मीदवारों के सिलेक्शन और चुनावी रणनीति भविष्य के आधार पर तय की जाएगी.
– सूत्रों के मुताबिक उम्मीदवारों के चयन में 50 साल से कम उम्र के नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी. – पहले से अगर कोई नेता क्षेत्र में सक्रिय हैं और उनकी छवि अगर साफ है तो उन्हें भी टिकट दिया जा सकता है. – सभी सीटों पर जातीय समीकरण भी साधा जाएगा. 4 में से 2 सीटों पर दलित को उतारा जा सकता है.
जनसुराज के सूत्रों का कहना है कि उपचुनाव लड़ने का फैसला हाल ही में रूपौली के रिजल्ट को देखकर लिया गया है. रूपौली में जनता ने आरजेडी और जेडीयू के उम्मीदवारों की जगह पर निर्दलीय को तरजीह दी.
नीतीश-लालू के बीच रास्ता तलाश रहे पीके
प्रशांत किशोर 2022 में बिहार की राजनीति में सक्रिय हुए. इस दौरान उन्होंने जनसुराज नाम से पदयात्रा निकाली. पीके इस पदयात्रा के जरिए बिहार के लगभग 80 प्रतिशत इलाकों में जा चुके हैं. पीके अपनी पदयात्रा में बिहार के हालातों के बारे में लोगों को बताते हैं.
जानकारों का कहना है कि पीके बिहार में नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली एनडीए और लालू यादव की नेतृत्व वाली इंडिया के बीच में अपनी राजनीतिक संभावनाएं तलाशने में जुट गए हैं.
पीके इसी रणनीति के तहत लालू यादव और नीतीश कुमार पर हमलावर रहते हैं. इतना ही नहीं, पीके इन दोनों के कोर वोटरों में भी सेंध लगाने में जुटे हुए हैं.
2 अक्टूबर को पार्टी लॉन्च करेंगे प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने ऐलान कर रखा है कि 2 अक्टूबर को वे अपनी पार्टी जनसुराज लॉन्च करेंगे. पीके की पार्टी 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर अकेले लड़ेगी. पीके ने पार्टी और चुनाव को लेकर कुछ तस्वीरें अभी साफ कर दी है.
जनसुराज में पीके की भूमिका सूत्रधार की होगी. हालांकि, कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद अगर जनसुराज की सरकार बनती है तो प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री बन सकते हैं.
Aug 18 2024, 17:49