भारत छोड़ो दिवस पर आयोजित केंद्रीय श्रम संगठनों और स्वतंत्र फेडरेशन के प्रदेशव्यापी विरोध दिवस के अवसर पर ज्ञापन
गोण्डा । केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों की अयोजन समिति गोण्डा द्वारा केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के अखिल भारतीय आह्वान पर राष्ट्रपति महोदया को संबोधित ज्ञापन जिला अधिकारी के माध्यम से दिया गया ।
जिसमें मुख्य मांग कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1 अगस्त 2024 को भारत सरकार द्वारा बने कारखाना अधिनियम 1948 में संशोधन करने के लिए कारखाना (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2024 को विधानसभा से और 2 अगस्त 2024 को विधान परिषद से पारित कराया है। इस संशोधन के जरिए सरकार ने उत्तर प्रदेश में काम के घंटे 8 को बढ़ाकर 12 कर दिया है और महिला कामगार कर्मियों को रात्रि पाली में काम कराने की अनुमति प्रदान की है।
सरकार ने इसके उद्देश्य में कहा है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर बनाने, औद्योगिक प्रतिष्ठानों और उद्योगों को प्रोत्साहन देने, राज्य में औद्योगिक विकास को गति देने और आर्थिक क्रियाकलापों और नियोजन के अवसर सृजित करने के लिए यह संशोधन विधेयक लाया है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई है यह पूरी कार्रवाई गैरसंवैधानिक है और कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 5 का स्पष्ट उल्लंघन है। गौर करें कि धारा 5 यह कहती है कि किसी पब्लिक इमरजेंसी की स्थितियों में राज्य सरकार को कारखाना अधिनियम के कुछ प्रावधानों को मात्र तीन माह के लिए बदलने का अधिकार है। धारा 5 के स्पष्टीकरण में कहा गया है कि पब्लिक इमरजेंसी का आशय भारत सरकार की सुरक्षा पर खतरा या भारत के किसी भाग में युद्ध या आंतरिक डिस्टरबेंस होना है। सभी लोग जानते हैं कि ऐसी कोई भी परिस्थिति वर्तमान में ना तो देश में और ना ही उत्तर प्रदेश में मौजूद है।
बावजूद इसके सिर्फ और सिर्फ कॉर्पोरेट घरानों के मुनाफे के लिए मजदूरों को आधुनिक गुलामी की ओर धकेलने का सरकार द्वारा प्रयास किया गया है। श्रम का विषय चूंकि भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में आता है और उसके तहत यह स्पष्ट प्रावधान है कि केंद्र सरकार के किसी भी कानून में यदि राज्य सरकार संशोधन करती है तो उसे भारत के राष्ट्रपति की अनुमति लेना आवश्यक है। , संविधान और आम नागरिकों के जीवन की संरक्षक होने के नाते आपके संज्ञान में आने वाले कारखाना (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2024 पर हस्ताक्षर न करके उसे उत्तर प्रदेश सरकार को वापस भेजने का कष्ट करें ताकि मजदूरों के सम्मानजनक जीवन की उत्तर प्रदेश में गारंटी हो सके , उत्तर प्रदेश में न्यूनतम वेतन का वेज रिवीजन सरकार ने पिछले 5 वर्षों से नहीं किया है।
उत्तर प्रदेश में 2014 में वेज रिवीजन किया गया था और न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 की धारा तीन के तहत अगले 5 वर्ष बाद यानी 2019 में इसे होना था, जो 2024 में भी नहीं किया गया है। स्पष्ट तौर पर यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 और 43 का उल्लंघन है। जो एक मजदूर के गरिमापूर्ण जीवन की गारंटी करता है। अतः निवेदन है कि तत्काल उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देशित किया जाए कि वह न्यूनतम वेतन के लिए वेज रिवीजन समिति का गठन करें और तत्काल इस वेज रिवीजन को पूरा कराएं , देशभर में ई-श्रम पोर्टल पर 28 करोड़ और उत्तर प्रदेश में 8 करोड़ से ज्यादा असंगठित मजदूर पंजीकृत है। इनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट बराबर केंद्र सरकार को निर्देश दे रहा है बावजूद इसके सरकार ने अभी तक कुछ भी नहीं किया है।
हमारी मांग है कि इन मजदूरों के लिए बीमा लाभ, आवास, पेंशन, पुत्री विवाह योजना, मुफ्त शिक्षा आदि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को देना सुनिश्चित किया जाए और 2008 के बने असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा कानून को तत्काल पूरे देश में लागू किया जाए , घरेलू कामगारों के लिए केंद्रीय कानून बनाया जाए और निर्माण मजदूर के लिए हर शहर में विश्राम गृह और मजदूर अड्डों पर न्यूनतम सुविधाओं युक्त शेड की गारंटी की जाए, उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाए , नियमित प्रकृति के कामों में बड़े पैमाने पर संविदा आउटसोर्सिंग ठेका मजदूरों को रखा जाता है, जो ठेका श्रमिक कानून 1970 की धारा 10 का उल्लंघन है। इनको समान काम का समान वेतन भी नहीं दिया जाता है। इसलिए नियमित प्रकृति के काम पर जारी गैरकानूनी ठेका प्रथा को खत्म किया जाए और जो लोग अभी संविदा के तहत कार्यरत है उन्हें नियमित करने का निर्देश दिया जाए , मजदूर विरोधी चारो श्रम संहिताओं को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए और पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए , आंगनवाड़ी, आशा, मिड डे मील वर्कर जैसे स्कीम वर्करों को राज्य कर्मचारी घोषित करके उनके सम्मानजनक मानदेय की गारंटी की जाए , हर नागरिक के शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की गारंटी की जाए, देश में खाली पड़े सभी सरकारी पदों पर तत्काल भर्ती की जाए, हर नागरिक के गरिमापूर्ण जीवन को सुनिश्चित किया जाए और संसाधनों के लिए देश के कार्पोरेट घरानों और उच्च धनिकों की संपत्ति पर समुचित टैक्स लगाया जाए आदि मांगों लेकर ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें एटक प्रदेश अध्यक्ष सत्य नारायण तिवारी, सीटू प्रदेश उपाध्यक्ष कौशलेंद्र पांडेय, तालिब अली, अमित शुक्ला, शुक्ला प्रसाद शुक्ला, अजीत श्रीवास्तव , राम कृपाल, सत्य प्रकाश पाण्डेय, अमेरिका यादव, हरिओम, पवन पांडेय, जन्मेजय , डी एस सिंह, विद्यावती, गिरिजावती मौर्य, मिनाक्षी खरे, रानीदेवी पाल, सुमन, राधा कुमारी, रंजना मौर्या, गीता मौर्या, मालती मौर्या, गुड्डी मौर्या, सन्तोष कुमार शुक्ला
Aug 10 2024, 16:58