छत्तीसगढ़ का परंपरागत तिहार हरेली


छत्तीसगढ़ में हरेली त्यौहार का विशेष महत्व है। हरेली छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार है। इस त्यौहार से ही राज्य में खेती-किसानी की शुरूआत होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह त्यौहार परंपरागत् रूप से उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन किसान खेती-किसानी में उपयोग आने वाले कृषि यंत्रों की पूजा करते हैं और घरों में माटी पूजन होता है। गांव में बच्चे और युवा गेड़ी का आनंद लेते हैं। इस त्यौहार से छत्तीसगढ़ की संस्कृति और लोक पर्वों की महत्ता भी बढ़ गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में गेड़ी के बिना हरेली तिहार अधूरा है। परंपरा के अनुसार वर्षों से छत्तीसगढ़ के गांव में अक्सर हरेली तिहार के पहले बढ़ई के घर में गेड़ी का ऑर्डर रहता था और बच्चों की जिद पर अभिभावक जैसे-तैसे गेड़ी भी बनाया करते थे। हरेली तिहार के दिन सुबह से तालाब के पनघट में किसान परिवार, बड़े बजुर्ग बच्चे सभी अपने गाय, बैल, बछड़े को नहलाते हैं और खेती-किसानी, औजार, हल (नांगर), कुदाली, फावड़ा, गैंती को साफ कर घर के आंगन में मुरूम बिछाकर पूजा के लिए सजाते हैं। माताएं गुड़ का चीला बनाती हैं। कृषि औजारों को धूप-दीप से पूजा के बाद नारियल, गुड़ के चीला का भोग लगाया जाता है। अपने-अपने घरों में अराध्य देवी-देवताओं के साथ पूजा करते हैं। गांवों के ठाकुरदेव की पूजा की जाती है।

हरेली पर्व के दिन पशुधन के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए औषधियुक्त आटे की लोंदी खिलाई जाती है। गांव में यादव समाज के लोग वनांचल जाकर कंदमूल लाकर हरेली के दिन किसानों को पशुओं के लिए वनौषधि उपलब्ध कराते हैं। गांव के सहाड़ादेव अथवा ठाकुरदेव के पास यादव समाज के लोग जंगल से लाई गई जड़ी-बूटी उबाल कर किसानों को देते हैं। इसके बदले किसानों द्वारा चावल, दाल आदि उपहार में देने की परंपरा रही हैं।

सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरेली पर्व मनाया जाता है। हरेली का आशय हरियाली ही है। वर्षा ऋतु में धरती हरा चादर ओड़ लेती है। वातावरण चारों ओर हरा-भरा नजर आने लगता है। हरेली पर्व आते तक खरीफ फसल आदि की खेती-किसानी का कार्य लगभग हो जाता है। माताएं गुड़ का चीला बनाती हैं। कृषि औजारों को धोकर, धूप-दीप से पूजा के बाद नारियल, गुड़ का चीला भोग लगाया जाता है। गांव के ठाकुर देव की पूजा की जाती है और उनको नारियल अर्पण किया जाता है।

हरेली तिहार के साथ गेड़ी चढ़ने की परंपरा अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग सभी परिवारों द्वारा गेड़ी का निर्माण किया जाता है। परिवार के बच्चे और युवा गेड़ी का जमकर आनंद लेते है। गेड़ी बांस से बनाई जाती है। दो बांस में बराबर दूरी पर कील लगाई जाती है। एक और बांस के टुकड़ों को बीच से फाड़कर उन्हें दो भागों में बांटा जाता है। उसे नारियल रस्सी से बांध़कर दो पउआ बनाया जाता है। यह पउआ असल में पैर दान होता है जिसे लंबाई में पहले कांटे गए दो बांसों में लगाई गई कील के ऊपर बांध दिया जाता है। गेड़ी पर चलते समय रच-रच की ध्वनि निकलती हैं, जो वातावरण को औैर आनंददायक बना देती है। इसलिए किसान भाई इस दिन पशुधन आदि को नहला-धुला कर पूजा करते हैं। गेहूं आटे को गूंथ कर गोल-गोल बनाकर अरंडी या खम्हार पेड़ के पत्ते में लपेटकर गोधन को औषधि खिलाते हैं। ताकि गोधन को विभिन्न रोगों से बचाया जा सके। गांव में पौनी-पसारी जैसे राऊत व बैगा हर घर के दरवाजे पर नीम की डाली खोंचते हैं। गांव में लोहार अनिष्ट की आशंका को दूर करने के लिए चौखट में कील लगाते हैं। यह परम्परा आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यमान है।


हरेली के दिन बच्चे बांस से बनी गेड़ी का आनंद लेते हैं। पहले के दशक में गांव में बारिश के समय कीचड़ आदि हो जाता था उस समय गेड़ी से गली का भ्रमण करने का अपना अलग ही आनंद होता है। गांव-गांव में गली कांक्रीटीकरण से अब कीचड़ की समस्या काफी हद तक दूर हो गई है। हरेली के दिन गृहणियां अपने चूल्हे-चौके में कई प्रकार के छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाती है। किसान अपने खेती-किसानी के उपयोग में आने वाले औजार नांगर, कोपर, दतारी, टंगिया, बसुला, कुदारी, सब्बल, गैती आदि की पूजा कर छत्तीसगढ़ी व्यंजन गुलगुल भजिया व गुड़हा चीला का भोग लगाते हैं। इसके अलावा गेड़ी की पूजा भी की जाती है। शाम को युवा वर्ग, बच्चे गांव के गली में नारियल फेंक और गांव के मैदान में कबड्डी आदि कई तरह के खेल खेलते हैं। बहु-बेटियां नए वस्त्र धारण कर सावन झूला, बिल्लस, खो-खो, फुगड़ी आदि खेल का आनंद लेती हैं।

आइए इस हरेली धरती माँ का श्रृंगार करें, एक पेड़ मां के नाम लगाएं

रायपुर-     छत्तीसगढ़ की संस्कृति अपनी अति विशिष्ट परंपराओं और पर्वों के लिए जानी जाती है और हर पर्व, प्रकृति के पीछे गहरे समर्पण की मिसाल देता है। हरियाली को लेकर ऐसा ही दुर्लभ पर्व हरेली है, जब पूरी धरती हरीतिमा की चादर ओढ़ लेती है। धान के खेतों में रोपा लग जाता है और खेतों में चारों ओर प्रकृति अपने सुंदर नजारे में अपने को व्यक्त करती है। धरती माता का पूरा स्नेह पृथ्वीवासी या हर जीव-जन्तु पर उमड़ता है और इस स्नेह के प्रतिदान के लिए हम हरेली में प्रकृति को पूजते हैं। इस बार हरेली पर्व पर एक और खुशी हमारे प्रदेशवासियों के साथ जुड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पेड़ माँ के नाम पर लगाने के अभियान का आगाज किया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में यह अभियान पूरे उत्साह से चल रहा है। मुख्यमंत्री ने हरेली के अवसर पर लोगों से पेड़ लगाने की अपील की है। यह पेड़ वे अपनी माँ के नाम लगाएंगे साथ ही धरती माँ के नाम लगाएंगे, जो धरती हमें इतना कुछ देती है, उसके श्रृंगार के लिए पौधा लगाएंगे और सहेजेंगे। यह पौधा हमारी हरेली की स्मृतियों को सुरक्षित रखने के लिए भी यादगार होगा। साथ ही प्रदेश भर में जहां भी खुले मैदानों में पौधरोपण के आयोजन होंगे वहां लोग गेड़ी का आनंद भी लेंगे। अपनी प्रकृति और परिवेश से जुड़ने और इसे समृद्ध करने से बढ़कर सुख और क्या होगा।

छत्तीसगढ़ का पहला लोक पर्व हरेली

छत्तीसगढ़ का सबसे पहला लोक पर्व हरेली है, जो लोगों को छत्तीसगढ़ की संस्कृति और आस्था से परिचय कराता है। हरेली का मतलब हरियाली होता है, जो हर वर्ष सावन महीने के अमावस्या में मनाया जाता है। हरेली मुख्यतः खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है। इस त्यौहार के पहले तक किसान अपनी फसलों की बोआई या रोपाई कर लेते हैं और इस दिन कृषि संबंधी सभी यंत्रों नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ-सफाई कर उन्हें एक स्थान पर रखकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं। घर में महिलाएं तरह-तरह के छत्तीसगढ़ी व्यंजन खासकर गुड़ का चीला बनाती हैं। हरेली में जहाँ किसान कृषि उपकरणों की पूजा कर पकवानों का आनंद लेते हैं, आपस में नारियल फेंक प्रतियोगिता करते हैं, वहीं युवा और बच्चे गेड़ी चढ़ने का मजा लेते हैं।

हरेली के दिन गांव में पशुपालन कार्य से जुड़े यादव समाज के लोग सुबह से ही सभी घरों में जाकर गाय, बैल और भैंसों को नमक और बगरंडा का पत्ता खिलाते हैं। हरेली के दिन गांव-गांव में लोहारों की पूछपरख बढ़ जाती है। इस दिन गांव के लोहार हर घर के मुख्य द्वार पर नीम की पत्ती लगाकर और चौखट में कील ठोंककर आशीष देते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उस घर में रहने वालों की अनिष्ट से रक्षा होती है। इसके बदले में किसान उन्हे दान स्वरूप स्वेच्छा से दाल, चावल, सब्जी और नगद राशि देते हैं। ग्रामीणों द्वारा घर के बाहर गोबर से बने चित्र बनाते हैं, जिससे वह उनकी रक्षा करे।

हरेली से तीजा तक गेड़ी दौड़ का आयोजन

हरेली त्यौहार के दिन गांव के प्रत्येक घरों में गेड़ी का निर्माण किया जाता है, मुख्य रूप से यह पुरुषों का खेल है घर में जितने युवा एवं बच्चे होते हैं उतनी ही गेड़ी बनाई जाती है। गेड़ी दौड़ का प्रारंभ हरेली से होकर भादो में तीजा पोला के समय जिस दिन बासी खाने का कार्यक्रम होता है उस दिन तक होता है। बच्चे तालाब जाते हैं स्नान करते समय गेड़ी को तालाब में छोड़ आते हैं, फिर वर्षभर गेड़ी पर नहीं चढ़ते हरेली की प्रतीक्षा करते हैं। चूंकि वर्षा के कारण गांव के कई जगहों पर कीचड़ भर जाता है, इस समय गेड़ी पर बच्चे चढ़कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर आते जाते हैं उसमें कीचड़ लग जाने का भय नहीं होता। बच्चे गेड़ी के सहारे कहीं से भी आ जा सकते हैं। गेड़ी का संबंध कीचड़ से भी है। कीचड़ में चलने पर किशोरों और युवाओं को गेड़ी का विशेष आनंद आता है। रास्ते में जितना अधिक कीचड़ होगा गेड़ी का उतना ही अधिक आनंद आता है। वर्तमान में गांव में काफी सुधार हुआ है गली और रास्तों पर काम हुआ है। अब ना कीचड़ होती है ना गलियों में दलदल। फिर भी गेड़ी छत्तीसगढ़ में अपना महत्व आज भी रखती है। गेड़ी में बच्चे जब एक साथ चलते हैं तो उनमें एक दूसरे से आगे जाने की इच्छा जागृत होती है और यही स्पर्धा बन जाती है। बच्चों की ऊंचाई के अनुसार दो बांस में बराबर दूरी पर कील लगाते हैं और बांस के टुकड़े को बीच में फाड़कर दो भाग कर लेते हैं, फिर एक सिरे को रस्सी से बांधकर पुनः जोड़ देते हैं इसे पउवा कहा जाता है। पउवा के खुले हुए भाग को बांस में कील के ऊपर फंसाते हैं पउवा के ठीक नीचे बांस से सटाकर 4-5 इंच लंबी लकड़ी को रस्सी से इस प्रकार बांधते है, जिससे वह नीचे ना जा सके लकड़ी को घोड़ी के नाम से भी जाना जाता है। गेड़ी में चलते समय जोरदार ध्वनि निकालने के लिए पैर पर दबाव डालते हैं जिसे मच कर चलना कहा जाता है।

नारियल फेंक प्रतियोगिता

नारियल फेंक बड़ों का खेल है इसमें बच्चे भाग नहीं लेते। प्रतियोगिता संयोजक नारियल की व्यवस्था करते हैं, एक नारियल खराब हो जाता है तो तत्काल ही दूसरे नारियल को खेल में सम्मिलित किया जाता है। खेल प्रारंभ होने से पूर्व दूरी निश्चित की जाती है, फिर शर्त रखी जाती है कि नारियल को कितने बार फेंक कर उक्त दूरी को पार किया जाएगा। प्रतिभागी शर्त स्वीकारते हैं, जितनी बार निश्चित किया गया है उतने बार में नारियल दूरी पार कर लेता है तो वह नारियल उसी का हो जाता है। यदि नारियल फेंकने में असफल हो जाता है तो उसे एक नारियल खरीद कर देना पड़ता है। नारियल फेंकना कठिन काम है इसके लिए अभ्यास जरूरी है। पर्व से संबंधित खेल होने के कारण बिना किसी तैयारी के लोग भाग लेते है।

बस्तर क्षेत्र में हरियाली अमावस्या पर मनाया जाता है अमुस त्यौहार

छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में ग्रामीणों द्वारा हरियाली अमावस्या पर अपने खेतों में औषधीय जड़ी-बूटियों के साथ तेंदू पेड़ की पतली छड़ी गाड़ कर अमुस त्यौहार मनाया जाता है। इस छड़ी के ऊपरी सिरे पर शतावर, रसना जड़ी, केऊ कंद को भेलवां के पत्तों में बांध दिया जाता है। खेतों में इस छड़ी को गाड़ने के पीछे ग्रामीणों की मान्यता यह है कि इससे कीट और अन्य व्याधियों के प्रकोप से फसल की रक्षा होती है। इस मौके पर मवेशियों को जड़ी बूटियां भी खिलाई जाती है। इसके लिए किसानों द्वारा एक दिन पहले से ही तैयारी कर ली जाती है। जंगल से खोदकर लाई गई जड़ी बूटियों में रसना, केऊ कंद, शतावर की पत्तियां और अन्य वनस्पतियां शामिल रहती है, पत्तों में लपेटकर मवेशियों को खिलाया जाता है। ग्रामीणों का मानना है कि इससे कृषि कार्य के दौरान लगे चोट-मोच से निजात मिल जाती है। इसी दिन रोग बोहरानी की रस्म भी होती है, जिसमें ग्रामीण इस्तेमाल के बाद टूटे-फूटे बांस के सूप-टोकरी-झाड़ू व अन्य चीजों को ग्राम की सरहद के बाहर पेड़ पर लटका देते हैं। दक्षिण बस्तर में यह त्यौहार सभी गांवों में सिर्फ हरियाली अमावस्या को ही नहीं, बल्कि इसके बाद गांवों में अगले एक पखवाड़े के भीतर कोई दिन नियत कर मनाया जाता है।

डीईओ के कई ठिकानों पर ACB का छापा, आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर पहुंची है टीम

बिलासपुर-   छत्तीसगढ़ में एक बार फिर एसीबी ने छापा मारा है. आज सुबह बरसते पानी में ACB की टीम ने बिलासपुर के जिला शिक्षा अधिकारी के घर छापा मारा. उनके कई ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई की जा रही है.

बिलासपुर के नूतन कॉलोनी स्थित आवास में एसीबी की कार्रवाई चल रही है. बिलासपुर के अलावा कवर्धा स्थित निवास पर भी एसीबी की टीम पहुंची है. आय से अधिक संपत्ति की शिकायतों के बाद एसीबी ने छापेमारी की है.

जिला शिक्षा अधिकारी टीआर साहू के निवास पर एसीबी के अधिकारियों की दबिश की सूचना स्थानीय पुलिस को भी नहीं दी गई है. इसके कारण जिले के अधिकारियों को भी देर तक इसकी भनक नहीं लग पाई. सुबह जब कालाेनी के लोग जागे तो उन्हें पूरे मामले की जानकारी हुई. फिलहाल एसीबी के अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी के निवास पर दस्तावेज खंगाल रहे हैं. नूतन कालोनी में रहने वाले जिला शिक्षा अधिकारी टीआर साहू मूल रूप से कवर्धा के रहने वाले हैं.

हरेली की खुशियां बिखरेंगी मुख्यमंत्री निवास में, आयोजन की तैयारी का उत्साह जोरशोर से

रायपुर-    हरेली के उल्लास को संजोने मुख्यमंत्री निवास परंपरागत तरीके से सजाया जा रहा है। हरेली के दिन 4 अगस्त को यहां किसान भाइयों के हल खुरपी नजर आयेंगे। गेड़ी में लोगों का उत्साह नजर आयेगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं उनके मंत्रिमंडल सहयोगी तथा अतिथिगण इस अवसर पर हरेली का आनंद लेंगे और परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना करेंगे।

हरेली तिहार के मौके पर मुख्यमंत्री सबसे पहले विधिविधान से कृषि उपकरणों की पूजा करेंगे। हरेली के अवसर पर पूरे छत्तीसगढ़ अंचल में लोग अपने अपने लोकगीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अंचल के सभी नृत्य एवं लोकगीतों का आयोजन करने कहा है ताकि पूरा छत्तीसगढ़ समवेत रूप में मुख्यमंत्री निवास में अपने पूरे सांस्कृतिक वैविध्य में नजर आये।

करमा, राउत नाचा के सुंदर गीतों और लयबद्ध नृत्य के साथ आयोजन की शुरूआत होगी। फिर परंपरागत खेलों का आयोजन होगा। इसमें डंडा, भौंरा, बांटी जैसे खेल होंगे। हरेली आयोजन में सबसे यादगार गेड़ी होती है गेड़ी में चलकर लोग पुराने दिनों को याद करेंगे।

मुख्यमंत्री इस अवसर पर हरेली त्योहार से जुड़ी अपनी स्मृतियों को साझा करेंगे। साथ ही वे जनमानस को हरेली का संदेश भी देंगे। इस बार हरेली इस मायने में भी खास है कि पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पेड़ मां के नाम लगाने का संदेश दिया है और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री साय के नेतृत्व में लोग बढ़चढ़कर इसमें हिस्सा ले रहे हैं। चूंकि हरेली त्योहार प्रकृति का ही त्योहार है इसलिए मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में प्रदेश के नागरिकों से कहा है कि धरती मां ने हमें अमूल्य संसाधन दिये हैं। छत्तीसगढ़ की धरती बहुत सुंदर धरती है। अपनी धरती मां का श्रृंगार करने एक पेड़ जरूर लगाएं। इस दिन पूरे प्रदेश में लोग पौधे लगाएंगे। हरेली त्योहार में सुंदर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति के साथ ही किसान भाइयों को भी कृषि उपकरणों का वितरण किया जाएगा।

निकाय चुनाव पर BJP प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन बोले – पूरी मुस्तैदी से तैयारी कर रहे कार्यकर्ता, रायपुर दक्षिण उपचुनाव को लेकर कही ये बात…

रायपुर-    भाजपा प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन आज दो दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर पहुंचे हैं. एयरपोर्ट पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, भारतीय जनता पार्टी का संगठन हमेशा काम करता है. यही कारण है कि हमारा संगठन हमेशा संचालित कहलाता है. आज उसी की दृष्टि से पार्टी का आगामी कार्यक्रम हर घर तिरंगा, एक पेड़ मां के नाम, विभाजन विभीषिका दिवस ऐसे कई कार्यक्रम की समीक्षा करेंगे. साथ ही पिछले दिनों हमारे संगठन की जो कार्य समिति हुई, सबकी समीक्षा होगी.

प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन ने कहा, संगठन और सशक्त रूप से कैसे चले, सरकार की जो गतिविधि है उस पर संगठन का क्या उपयोग हो सकता है, इन सभी पर चर्चा होगी. नगरी निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव पर उन्होंने कहा, संगठन अपनी पूरी तैयारी कर रहा है. हमारे कार्यकर्ताओं की निश्चित रूप से उसमें भूमिका होने वाली है. हमारे कार्यकर्ता मुस्तादी से उसकी तैयारी कर रहे हैं.

अग्निपथ योजना पर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के बयान पर नितिन ने कहा, यह इंडिया एलायंस के लोग हैं. वही गाना गाएंगे जो सब लोग गा रहे हैं. हेमंत सोरेन को पहले यह बताना चाहिए कि झारखंड की जनता की जमीन जो अपने नाम किया, उसका सच क्या हैं? अग्निवीर का सच देश का युवा जानता है कि कैसे देश की सेवा को सशक्त रखना है. देश के युवाओं को सैनिक की ट्रेनिंग लेने के बाद भी राज्य सरकार उन्हें मौका दे रही है. अग्निवीर योजनाओं से हमारे युवाओं को मौका मिलेगा.

रायपुर दक्षिण उपचुनाव में बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बन जाने के बाद इस विधानसभा में कांग्रेस की उम्मीद ज़्यादा, इस सवाल पर प्रदेश प्रभारी ने कहा, कांग्रेस की उम्मीदें तो राजनंदगांव में भी बढ़ी हुई थी. उनकी उम्मीदें तो हर जगह बड़ी रहती है. उम्मीद के साथ-साथ कर्म भी करना पड़ता है. जिन्होंने काम ही नहीं किया वह उम्मीद क्यों करते हैं.

विरासत को हमेशा बचाना चाहती है भाजपा

कल छत्तीसगढ़ में हरेली का त्यौहार मनाया जाएगा, इस पर नितिन नबीन ने कहा, भाजपा विरासत को हमेशा बचाना चाहती है, लेकिन कांग्रेस ने हमेशा विरासत पर चोट किया है. चाहे वह छत्तीसगढ़ का हो, चाहे वह भारतीय संस्कृति का हो, हर विरासत पर चोट किया है, यही कारण है आज कांग्रेस का अस्तित्व समाप्ति की ओर है.

लगातार हो रही बारिश से राजधानी के कई हिस्से हुए जलमग्न, रेलवे अंडर ब्रिज सहित कई इलाकों में भरा पानी
रायपुर- प्रदेश की राजधानी में लगातार हो रही अच्छी बारिश के चलते कई इलाके जल मग्न हो गए हैं. शुक्रवार देर रात शरु हुई बारिश लगातार दूसरे दिन भी जारी है. ऐसे में रायपुर के कई इलाकों में पानी भर गया है. जलभराव के चलते स्थानीय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. रायुपर के गुढ़ियारी में रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे दो फीट से ऊपर पानी भर गया है. जिससे लोगों को आवाजाही में परेशानी हो रही है. वहीं प्रोफेसर कॉलोनी सहित शहर के की इलाकों में जलभराव की समस्या देखने को मिल रही है. बरसात के कारण नालियों का पानी सड़कों पर आ गया है. स्थानीय लोग गंदे पानी से भरे सड़क से होकर गुजरने के लिए मजबूर हो गए है.

मौसम विभाग ने शनिवार को भी रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में अच्छी बारिश की संभावना जताई है. ऐसे में इन इलाकों में जलभराव की स्थिती बने रहने से लोगों की समस्याएं भी बढ़ सकती है. गंदे पानी के बीच से होकर गुजरने से लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है.
शराब के नशे में अधिकारी के साथ अभद्रता करने वाला प्रधानपाठक निलंबित
बता दें कि पारसराम वर्मा मनेंद्रगढ़ विकासखंड के प्राथमिक शाला बाला में प्रधानपाठक के पद पर पदस्थ था. उन्होंने विद्यालय में शराब के नशे में अधिकारी और कर्मचारियों के साथ अभद्रता की थी. इसकी शिकायत पर प्रधानपाठक को निलंबित कर दिया गया है. निलंबन अवधि में वर्मा का मुख्यालय कार्यालय विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी भरतपुर जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर नियत किया गया है.
केंते एक्सटेंशन खदान के लिए हुई जन सुनवाई, राजस्थान के बेहतरीन संचालन और सीएसआर को जनता का मिला समर्थन
अंबिकापुर- सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में पर्यावरण संरक्षण मंडल की ओर से प्रस्तावित केंते एक्सटेंशन खुली खदान परियोजना के लिए जन सुनवाई शुक्रवार को हुई। राजस्थान राज्य के स्वामित्व वाली राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) 1760 हेक्टेयर में फैली 11 मिलियन टन की वार्षिक कोयला उत्पादन क्षमता वाली एक नई कोयला खदान और एक अत्याधुनिक वाशरी परियोजना खोलेगी। जन सुनवाई में राजस्थान के बेहतरीन संचालन और सीएसआर को जनता का समर्थन मिला है।


आरआरवीयूएनएल को यह सफलता सरगुजा स्थित 15 मिलियन टन कोयला उत्पादन वाली परसा ईस्ट केते बासन (पीईकेबी) खदान के 12 साल के सफल संचालन और समुदाय लक्षी कार्यक्रमों के कारण मिली है। खुदकी खदानों से कोयले के उत्पादन से राजस्थान की कोल इंडिया और महंगे आयातित कोयले पर निर्भरता कम होगी।

कोयला मंत्रालय ने पीईकेबी ब्लॉक को इसके उत्कृष्ट संचालन के लिए प्रतिष्ठित फाइव-स्टार रेटिंग प्रदान की है। आरआरवीयूएनएल ने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, आजीविका और ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास सहित अन्य चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) पहलों में पर्याप्त निवेश किया है। इसके चलते राजस्थान एक और कोयला ब्लॉक के लिए सैकड़ों स्थानीय लोगों के समर्थन करके आरआरवीयूएनएल की प्रभावशाली सीएसआर पहलों को मान्यता दे दी है।
उदयपुर तहसील के केंते, बासेन, चकेरी, परोगिया और 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले आस-पास के गांवों से हजारों ग्रामीण ने सुबह 8 बजे से बारिश के बावजूद सुबह 11 बजे निर्धारित की गई जन सुनवाई के लिए अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए पहुंचने लगे। यह सुनवाई करीब सात घंटे से ज्यादा समय तक चली। सरगुजा के पर्यावरण संरक्षण मण्डल के क्षेत्रीय अधिकारी विजय सिंह पोर्ते और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट सुनील कुमार नायक ने जन सुनवाई की अध्यक्षता की।

क्षेत्र में नए विकास और रोजगार के अवसर आएंगे

परसा के उपसरपंच गणेशराम यादव ने कहा, “स्थानीय लोगों की मदद से आरआरवीयूएनएल ने पीईकेबी खदान की पहले से खनन की गई भूमि पर 12 लाख से अधिक पेड़ लगाकर सरगुजा को एक नई पहचान दी है। राजस्थान की बिजली उपयोगिता निःशुल्क अंग्रेजी माध्यम स्कूल, कौशल विकास केंद्र, क्लीनिक और एम्बुलेंस सेवाएं चलाती है। हमें उम्मीद है कि आरआरवीयूएनएल केंते एक्सटेंशन खदान खोलकर इन पहलों को और बढ़ावा देगा।” बैठक के दौरान ग्रामीणों ने क्षेत्रीय विकास, रोजगार प्रबंधन और स्वरोजगार पर चर्चा की। अधिकारियों और लोगों ने केंते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक के लिए भी समर्थन व्यक्त किया, उनका मानना है कि इससे क्षेत्र में नए विकास और रोजगार के अवसर आएंगे।

केंते एक्सटेंशन का समर्थन करते हुए चकेरी गांव के त्रिलोचन सिंह पेकरा ने कहा, यह परियोजना पिछड़े क्षेत्र में हमारे गांव की महिलाओं और युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करेगी। आरआरवीयूएनएल के संचालन और सीएसआर प्रयासों ने प्रदर्शित किया है कि निगम स्थानीय लोगों के लिए समृद्धि लाएगा।

महिलाओं को मिला स्वरोजगार

बासेन गांव की उर्मिला पंडो ने कहा, पीईकेबी खदान खुलने से मेरे सहित कई महिलाओं को स्वरोजगार मिला है। आज हमारे समूह की महिलाएं महिला सहकारी समिति के माध्यम से विविध व्यावसायिक गतिविधियों में संलग्न होकर आत्मनिर्भर बन गई हैं। इसलिए मैं केंते विस्तार परियोजना का समर्थन करती हूं।

आरआरवीयूएनएल के अतिरिक्त मुख्य अभियंता वीपी गर्ग ने छत्तीसगढ़ परियोजना के बारे में जानकारी दी। उपमंडल मजिस्ट्रेट बनसिंह नेताम, उदयपुर की नगर निरीक्षक चंद्र कुमारी और उदयपुर ब्लॉक की तहसीलदास चंद्रशीला जायसवाल उपस्थित थीं। जनसुनवाई में आरआरवीयूएनएल के अधीक्षण अभियंता अशोक प्रसाद, अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड सरगुजा क्लस्टर प्रमुख मनोज कुमार शाही सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

जन सुनवाई के अंत में आरआरवीयूएनएल के अतिरिक्त मुख्य अभियंता वीपी गर्ग ने कंपनी के सामाजिक सरोकारों के माध्यम से विकास कार्य करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की तथा जन सुनवाई के आयोजन में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से शामिल सभी ग्रामीणों, प्रशासनिक अधिकारियों, हितधारकों व सभी का आभार व्यक्त किया।
रायपुर-रांची हाई-स्पीड रोड कॉरिडोर परियोजना को मंजूरी, सीएम साय ने दिया पीएम मोदी को धन्यवाद
रायपुर- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आठ महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हाई-स्पीड रोड कॉरिडोर परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। इसमें रायपुर-रांची कॉरिडोर को मंजूरी मिली है। इस पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद ज्ञापित किया है।

सीएम साय ने एक्स पर लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 50,655 करोड़ रुपये के निवेश से 936 किलोमीटर तक फैली आठ राष्ट्रीय हाई-स्पीड रोड कॉरिडोर परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए हृदय से धन्यवाद।

झारखंड में पत्थलगांव से गुमला तक फोर-लेन सड़क के निर्माण से राजधानी रायपुर से रांची तक का सफर आसान हो जाएगा और समय की बचत होगी। साथ ही, यह सड़क दोनों राज्यों के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। मैं जशपुर जिले के निवासियों को इस फोर-लेन सड़क की मंजूरी पर विशेष रूप से बधाई देता हूं।
मूक बधिर बच्ची से दुष्कर्म का मामला: हाईकोर्ट ने खारिज की आरोपी की अपील, बच्चों की गवाही पर आजीवन कारावास की सजा बरकरार

बिलासपुर- हाईकोर्ट ने मानसिक कमजोर मूक बधिर बच्ची से बलात्कार के मामले में गांव के बच्चों की गवाही के आधार पर दोषी की सजा को उचित बताया है। खुद के साथ हुए अपराध के बारे में पीड़िता ट्रायल कोर्ट को नहीं बता सकी, लेकिन उसके साथ के गांव के बच्चों ने पूरी सच्चाई बता दी। हाईकोर्ट ने बच्चों की गवाही और फॉरेंसिक रिपोर्ट को दोष सिद्धि के लिए पुख्ता साक्ष्य माना है। साथ ही हाईकोर्ट ने आरोपी की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के निर्णय को यथावत रखा है।

धमतरी जिले की रहने वाली मानसिक रूप से कमजोर मूक बधिर 3 अगस्त 2019 की दोपहर को गांव के अन्य बच्चों के साथ आरोपी चैन सिंह के घर टीवी देख रही थी। तभी दोपहर 3.30 बजे आरोपी आया और पीड़िता का हाथ पकड़ कर दूसरे कमरे के अंदर ले गया। साथ टीवी देख रहे बच्चों ने बंद दरवाजा धक्का देकर खोला तो देखा कि आरोपी पीड़िता के साथ गलत काम कर रहा था, बच्चों को देख आरोपी उसे छोड़कर भाग गया। बच्चों ने इसकी जानकारी पीड़िता की माँ को दी। पीड़िता की माँ ने देखा कि उसके हाथों की चूड़ी टूटी हुई थी, कपड़े भी ठीक से नहीं थे। मामले की रिपोर्ट लिखाई गई। मेडिकल जांच में डॉक्टर ने पीड़िता के मानसिक अस्वस्थ व मूक बधिर होने की रिपोर्ट दी। पुलिस ने कपड़े जब्त कर एफएसएल जांच के लिए भेजा। सुनवाई उपरांत दोष सिद्ध होने पर न्यायालय ने आरोपी को 376 (2) में 10 वर्ष कैद, 5000 रुपये अर्थदंड तथा पीड़िता के अनुसूचित जनजाति वर्ग से होने पर एट्रोसिटी एक्ट में आजीवन कारावास व 5000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।

आरोपी ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। आरोपी ने अपील में कहा कि उसे फंसाया गया है। पीड़िता का परीक्षण नहीं किया गया, पीड़िता ने भी इस संबंध में कुछ नहीं कहा है। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि पीड़िता मूक-बधिर और मानसिक रूप से फिट नहीं है, वह बोल भी नहीं सकती। इसलिए उससे गवाह के रूप में पूछताछ नहीं की गई। उसकी मां ने बताया है कि साथ गए बच्चों ने पीड़िता को आरोपी द्वारा घर के अंदर खींचते देखा। बच्चों ने दरवाजे को धक्का दिया, तो देखा कि वह दुष्कर्म कर रहा था। इसके अलावा, एफएसएल रिपोर्ट की रिपोर्ट से साबित होता है कि अपीलकर्ता ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया।