*सुरियावां थाने का हेड कांस्टेबल वसूली में गिरफ्तार,अब होगी विभागीय कार्रवाई*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। भदोही थाना सुरियावां पर तैनात मुख्य आरक्षी के विरुद्ध एक व्यक्ति को अवैध तरीके से हिरासत में लेकर डरा-धमकाकर पैसा वसूलने शिकायत सही पाए जाने पर पुलिसकर्मी के विरुद्ध मामला पंजीकृत करते हुए आरोपी पुलिसकर्मी को किया गया गिरफ्तार किया गया। सिपाही के विरुद्ध मैनपुरी निवासिनी द्वारा जनपद भदोही के थाना सुरियांवा पर तैनात मुख्य आरक्षी सुरेन्द्र प्रताप पर गम्भीर आरोप लगाते हुए शिकायत किया गया उसके पति गिरीश कुमार को अवैध तरीके से हिरासत में लेकर, आपराधिक मामलों में संलिप्त होने का झूठा भय दिखाकर 2.5 लाख रूपये की मांग किया गया है। पुलिस उपाधीक्षक की आरोपी पाया गया की मुख्य आरक्षी सुरेन्द्र प्रताप हाल तैनाती थाना सुरियावां द्वारा अपने 3-4 साथियों के साथ मिलकर वाराणसी रेलवे स्टेशन के पास से स्वयं को एसओजी पुलिस कर्मी बताकर उसके पति को जबरन कब्जे में लेने के उपरान्त उसे गम्भीर आपराधिक मामलों में लिप्त होने का आरोप लगाकर उसे डरा धमकाकर गूगल पे पर 2 लाख 30 हजार रुपये प्राप्त किया गया है। पुलिस अधीक्षक ने बताया सिपाही पर मामला दर्ज करके उसे गिरफ्तार कर लिया गया उसके विरुद्ध विभागीय कार्यावाई भी की जायेगी
*आठ महीने पहले पत्राचार, अभी तक नहीं मिली*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय के एक नहीं बल्कि चार आर्थो सर्जन हड्डी से जुड़े आपरेशन नहीं कर पा रहे हैं। सर्जन सिर्फ सामान्य उपचार से लेकर प्लास्टर ही कर पाते हैं। करीब आठ महीने पहले पत्राचार करके मशीन मांगी गई थी। रिमाइंडर पत्र फिर से भेजा गया है। जिला चिकित्सालय में कुल 17 चिकित्सकों की तैनाती है। इसमें से चार हड्डी के डाॅक्टर है‌। महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय पर दो से ढाई लाख आबादी के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है। अस्पताल में संसाधन न होने के कारण सर्जन यानी हड्डी के डाॅक्टर मरीज को सिर्फ ओपीडी में उपचार कर दवाएं उपलब्ध करा रहें हैं। जबकि निजी अस्पतालों में हड्डी का आपरेशन कराने पर 30 से 35 हजार रुपए के खर्च पर आते हैं। जबकि बड़ा आपरेशन होने पर लाखों रुपए तक का बजट बन जाता है। यदि शासन स्तर से जिला चिकित्सालय में र्सी आर्म मशीन मुहैया करा दी जाए, तो अस्पताल में ही हड्डी के मरीजों का आपरेशन सुनिश्चित होगा। इसके लिए मरीजों को बाहर जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। वहीं सरपतहां स्थित सौ शैय्या अस्पताल में र्सी आर्म मशीन बीते पांच साल से धूल फांक रही है।


सी आर्म मशीन के लिए शासन को रिमाइंडर पत्र भेजा गया है। मशीन आने के बाद हड्डी के मरीजों का समुचित आपरेशन किया जाएगा। ऐसे भी जिला चिकित्सालय में व्यवस्थाएं हर दिन दुरुस्त हो रहीं हैं। डॉ राजेंद्र कुमार सीएमएस जिला चिकित्सालय



10-15 मरीजों का होता है प्लास्टर जिला अस्पताल में रोजाना एक हजार करीब मरीजों की ओपीडी होती है। इसमें से तकरीबन 100 हड्डी के मरीजों की ओपीडी होती है। इसमें रोजाना 10 से 15 मरीज को प्लास्टर किया जाता है। आपरेशन जरुरतमंद मरीजों को निजी अस्पतालों जाने की सलाह दी जाती है।
*छह दिन में तीन लाख 90 हजार पौधों की हुई जियो टैगिंग*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में 20 जुलाई को वृहद पौधरोपण अभियान के तहत 24 विभाग के समन्वय से 13 लाख 15 हजार पौधरोपण किए गए थे। इसके बाद से विभागीय अधिकारी कर्मचारी रोपे गए पौधों की जियो टैगिंग करने में जुटे हैं। शनिवार तक हरितमा एप पर 35 फीसदी करीब तीन लाख 90 हजार पौधों की जियो टैगिंग की जा चुकी है। इसकी निगरानी सीधे शासन स्तर से की जा रही है। इसमें लापरवाही बरतने पर सीधे विभागीय अधिकारी की जवाबदेही होगी। सूखे पौधों की जियो टैगिंग नहीं होगी। पौधा सूखने न पाए इसके लिए कर्मचारी तेजी से हरितमा एप पर जियो टैगिंग कर रहे हैं। इसका परिणाम है कि छह दिन में ही 35 फीसदी से अधिक जियो टैगिंग का कार्य पूरा कर लिया गया है, जबकि पिछले साल पौधों की टैगिंग करने में महीने गुजर जाते थे, फिर भी टैगिंग नहीं हो पाई थी। इसके चलते कई विभागों की रिपोर्ट लगाने में प्रशासन की ओर से त्रूटियां हुई थीं। डीएफओ नीरज आर्य ने बताया कि शनिवार तक करीब 35 फीसदी पौधों की जियो टैगिंग की जा चुकी है। टैगिंग का काम अभी चल रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही इसे पूरा कर लिया जाएगा। इसमें किसी विभाग को दिक्कतें आ रही हैं तो जानकारी लेकर उसे दूर कर सकते हैं।
*आठ विद्यालय में जमा होंगे परीक्षा फॉर्म*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। माध्यमिक शिक्षा परिषद के तहत संचालित हाईस्कूल-इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा 2025 में व्यक्तिगत परीक्षार्थी के रूप में प्रतिभाग करने वाले छात्र-छात्राओं के परीक्षा फार्म को जमा करने के लिए आठ विद्यालयों को केंद्र बनाया गया है। जहां वह बोर्ड परीक्षा से जुड़े फाॅर्म जमा कर सकेंगे। जिला विद्यालय निरीक्षक अंशुमान ने बताया कि विभूति नारायण राजकीय इंटर काॅलेज ज्ञानपुर व इंद्र बहादुर सिंह नेशनल इंटर काॅलेज भदोही में बालक, जिला पंचायत बालिका इंटर काॅलेज ज्ञानपुर, ज्ञानदेवी बालिका इंटर काॅलेज भदोही में बालिका का फार्म अग्रसारित होगा। जबकि पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय इंटर काॅलेज महराजगंज, राजकीय इंटर काॅलेज जगन्नाथपुर, पं. दीनदयाल राजकीय इंटर काॅलेज गिर्दबड़गांव व पं. दीन दयाल उपाध्याय राजकीय माडल इंटर काॅलेज सागर रायपुर को बालक-बालिका दोनों परीक्षार्थियों के आवेदन पत्रों को अग्रसारित करने के लिए केंद्र बनाया गया है। उन्होंने बताया कि हाईस्कूल में तीन हजार और इंटरमीडिएट में 1600 छात्र-छात्राओं का फाॅर्म जमा करने का लक्ष्य तय किया गया है।
*500 बच्चों वाले स्कूल में शिक्षक हीं नहीं, 160 में हेडमास्टर के पद खाली*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में नौनिहालों की शिक्षा व्यवस्था का आलम यह है कि 520 बच्चों वाले कंपोजिट विद्यालय मामदेवपुर में एक भी शिक्षक नहीं हैं। यहां दूसरे विद्यालय के शिक्षक को भेजकर किसी तरह स्कूल का संचालन कराया जाता है। दूसरी तरफ पदोन्नति न होने से 160 विद्यालयों में हेडमास्टर ही नहीं हैं। इन स्कूलों में सहायक अध्यापक को ही अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। जिले में 885 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। इनमें 523 प्राथमिक, 144 उच्च प्राथमिक और 218 कंपोजिट विद्यालय हैं। प्रेरणा पोर्टल पर एक लाख 67 हजार बच्चे नामांकित हैं। इनको पढ़ाने के लिए 5463 शिक्षक, अनुदेशक और शिक्षामित्र तैनात हैं। प्रतिस्पर्धा की दौड़ में परिषदीय विद्यालयों को हाईटेक बनाकर स्मार्ट कक्षाओं की संरचना तैयार की जा रही है, लेकिन धरातल पर कई विद्यालयों की हकीकत इससे काफी जुदा है। सबसे खराब हालत नगरीय विद्यालयों की ह है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा एक से पांच तक की कक्षाओं में 30 बच्चों पर एक शिक्षक की तैनाती होनी चाहिए। इसी तरह कक्षा छह से आठ के विद्यालयों में 35 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए। बावजूद इसके शिक्षकों का समायोजन न होने से अधिकतर विद्यालयों में यह मानक पूरा नहीं हो पा रहा है।भदोही नगर में कुल 10 विद्यालय संचालित हैं। इसमें एक विद्यालय में शिक्षक ही नहीं हैं, जबकि पांच में एक-एक शिक्षक एवं शिक्षामित्र के भरोसे पढ़ाई कराई जा रही है। चार विद्यालय ऐसे हैं जहां दो-दो शिक्षक हैं। कई साल से पदोन्नति न होने से विद्यालयों से प्रधानाध्यापकों के सेवानिवृत्त होने से करीब 160 हेडमास्टर के पद रिक्त हैं। सहायक अध्यापक को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। नगर के स्कूलों की यह है स्थिति ज्ञानपुर। प्राथमिक विद्यालय अयोध्यापुरी में करीब 250 बच्चे पंजीकृत हैं। यहां दो शिक्षामित्र और एक शिक्षक हैं। घमहापुर में 215 बच्चों पर एक शिक्षक, दो शिक्षामित्र, कुशियरा में 250 बच्चों पर एक शिक्षक, रेवड़ापरसपुर में 135 बच्चों पर एक शिक्षक और एक शिक्षामित्र, प्राथमिक विद्यालय ठकुरा में 125 बच्चों पर चार शिक्षामित्र और एक शिक्षक हैं। कंपोजिट विद्यालय मामदेवपुर में कुल 520 बच्चे पंजीकृत हैं। यहां नगर के एक दूसरे विद्यालय से शिक्षक को भेजा गया है। कांशीराम आवास पास में ही होने के कारण बच्चों की संख्या यहां काफी अधिक है, लेकिन शिक्षकों के न होने से पठन-पाठन प्रभावित होता है। काशीपुर, मर्यादपट्टी और पीरखांपुर में भी सिर्फ दो-दो शिक्षक ही है।


नगरीय विद्यालयों का कैडर अलग है। भदोही ही नहीं पूरे प्रदेश के नगरीय स्कूलों में यही स्थिति है। समायोजन की प्रक्रिया चल रही है। उससे विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या बढ़ेगी। - भूपेंद्र नारायण सिंह, बीएसए
*7.95 करोड़ से दुरुस्त होंगी जनपद की 49 सड़कें*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले की तीनों विधानसभाओं में 7.95 करोड़ से 49 जर्जर सड़कें दुरुस्त होंगी। लोक निर्माण विभाग ने प्रस्ताव शासन को भेजा है। स्वीकृति मिलने पर काम को शुरू कराया जाएगा। प्रस्तावित मार्गाें में ज्ञानपुर में सबसे अधिक 21 और औराई में सबसे कम सिर्फ नौ सड़कें शामिल हैं। जिले की तीन विधानसभा ज्ञानपुर, भदोही और औराई में कुल ढाई हजार किमी सड़क है। लोक निर्माण विभाग, पीएमजीएसवाई, जिला पंचायत को इसकी निगरानी की जिम्मेदारी रहती है। इसमें सभी निर्माण कार्य का नोडल लोक निर्माण विभाग रहता है। वैसे तो कार्यदायी संस्थाओं की ओर से हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर सड़कें बनाई जाती हैं, लेकिन मानक में कमी के कारण कई सड़कें समय से पहले ही टूट जाती हैं, जबकि कई मार्ग के प्रस्ताव को स्वीकृति न मिलने से वह सालों से टूटी ही रहती हैं।लोक निर्माण विभाग की ओर से पखवारे भर पूर्व 49 सड़कों के सामान्य मरम्मत एवं नवीनीकरण के लिए 7.95 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें ज्ञानपुर में 21, औराई में नौ और भदोही में 19 मार्ग शामिल है। 65.74 किमी सडक में 63.54 किमी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इसमें 14 किमी से अधिक लंबी वाराणसी-भदोही-गोपीगंज मार्ग, 20 किमी लंबी ज्ञानपुर- लालानगर, डेरवां से ओबीटी कंपनी तक सड़क है। महराजगंज-परसीपुर मार्ग से मगैनी तक, दत्तीपुर कनेहरी का शेष भाग शामिल है। इसके अलावा अन्य सड़कें एक, दो किमी ही है। अधिशासी अभियंता जैनूराम ने बताया कि 49 सड़कों के मरम्मत एवं नवीनीकरण के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलने पर काम शुरू कराया जाएगा। मानक को लेकर जताई नाराजगी, जांच की मांग करीब एक करोड़ से बनने वाले अभियां-सुरियावां मार्ग में सीसी मार्ग की लेटलतीफी एवं मानक को लेकर लेकर ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ने लगी है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मानक सही न होने से बनने के दौरान ही कई स्थानों पर मार्ग दरकनें लगी है। आधा अधूरा काम कराया जा रहा है। जिससे आवागमन में काफी दिक्कत हो रही है। सड़क की चौड़ाई के सापेक्ष कम चौड़ी सीसी मार्ग बनाई जा रही है। ग्रामीण संतोष, जगदीश, राम किशोर ने जिलाधिकारी से मांग किया कि उक्त सीसी मार्ग की जांच कराई जाए। जेई सुरज गुप्ता ने कहा कि यातायात प्रभावित न हो इसलिए एक लेन से सड़क बन रही है। एक तरफ काम पूर्ण होने पर दूसरी तरफ शुरू होगा। कहा कि मानक की लगातार मानीटरिंग की जा रही है। कुछ स्थानों पर कच्चे निर्माण पर वाहन के चढ़ने से सीसी मार्ग दरक गई है, जिसे दुरूस्त करा लिया जाएगा।
*आपदा में होगी मौत तो मिलेगा चार लाख मुआवजा*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। मानसून सीजन में तमाम तरह की आपदा घटित होती है। मौत होने पर मुआवजा मिलने का प्रावधान है, लेकिन जानकारी के अभाव में अधिकांश लोग मुआजवा से वंचित रह जाते हैं। बिजली गिरने से या डूबने से किसी की मौत होती है तो पोस्टमार्टम कराने के बाद अन्य प्रकिया होने पर मृतक व्यक्ति के परिजन को मुआवजा मिलता है। शासन की ओर से आपदा से मौत पर चार लाख रुपये, शारीरिक दिव्यांग होने पर 74 हजार से 2.5 लाख रुपये और मकान की क्षति होने पर चार हजार से 1.2 लाख रुपये तक मुआवजा मिलता है। इसके अलावा पशु की मृत्यु होने पर पशुपालक को चार हजार से 37500 रुपये तक मुआवजा मिलते हैं।शासन की ओर से फसल की क्षति होने पर 8500 से 22,500 की धनराशि मुआवजा के रूप में मिलती है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष जिलाधिकारी विशाल सिंह ने बुधवार को कलेक्ट्रट में डूबने से बचाव और सुरक्षा के उपाय विषय को लेकर पोस्टर जारी किया। इसके अलावा उन्होंने समस्त ग्राम प्रधानों और नागरिकों से अपील किया कि नदियों, तालाबों सहित अन्य जल स्त्रोतों के पास बच्चों को न जाने दे। इससे खतरा बना रहता है।
*सावन में मंदिर से निकलने वाले फूल से बनेगी कंपोस्ट खाद*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। श्रावण मास में शिवालयों में महादेव को चढ़ने वाले फूल मालाओं की मदद से खाद बनाई जाएगी। ज्ञानपुर नगर पंचायत में इसकी पहल की है। नगर के सिद्धपीठ हरिहरनाथ मंदिर में निकलने वाले फूल-मालाओं की मदद से वर्मी कंपोस्ट खाद बनेगी। इन खादों का छिड़काव पौधों को रोगमुक्त करने के लिए किया जाएगा। नगर पंचायत ने इसके लिए दो कर्मचारियों की स्पेशल ड्यूटी लगाई है। नगर में सिद्धपीठ बाबा हरिहरनाथ का अति प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर पर लोगों की विशेष आस्था है। हर दिन यहां बड़ी संख्या में लोग दर्शन को पहुंचते हैं। सावन में यहां हर रोज चार से पांच हजार श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। मंदिर से रोजाना 15 से 20 किलो फूल माला निकलती है। अब इसकी मदद से कंपोजिट खाद बनाया जाएगा। नगर पंचायत इसका उठान करने के लिए दो कर्मचारियों की स्पेशल ड्यूटी भी लगाई है। खाद तैयार होने में 20 से 25 दिन का समय लगता है। तैयार हुई खाद का उपयोग रोपे गए विभिन्न पौधों पर किया जाएगा। ईओ राजेंद्र दूबे ने बताया कि नगर स्थित गांधी पार्क में चार कंपोस्ट में खाद बनाने की प्रक्रिया शुरु किया गया है। बताया कि हरिहर नाथ मंदिर से हर रोज कई किलो माला-फूल निकालते हैं, लेकिन सावन में इसकी मात्रा क्विंटल तक चली जाती है। अभी गड्ढे में प्रायोगिक तौर पर खाद तैयार की जा रही है। इस स्थायी करने की भी कवायद चल रही है। एक कंपोस्ट में खाद तैयार होने में 15 से 20 दिन का समय लगेगा।
*खेल मैदान: कागज में हो गए पूरे, धरातल पर अधूरे*



रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। कालीन नगरी में ग्रामीण प्रतिभाओं को निखारने की मुहिम शुरू होने से पहले ही धरातल पर दम तोड़ने लगी है। लाखों की लागत से बनने वाले खेल मैदान कागजों में तो पूरे हो गए, लेकिन हकीकत में अभी या तो शुरू नहीं हुए या आधे-अधूरे ही है, जो खेल मैदान बने हैं। वहां भी खेल सामग्री नहीं होने से वह मार्निंग वॉक, कबड्डी, ऊंची कूद, लंबी कूद तक ही सीमित हो गए हैं। जिससे युवाओं की प्रतिभा निखारने की मुहिम कुंद होती जा रही है। अधिकांश गांव में खेल मैदान नहीं हैं। ऐसे में ग्रामीण परिवेश के खिलाड़ियों की प्रतिभा निखर नहीं पाती है। इसके मद्देनजर ग्रामीण क्षेत्रों में खेलकूद को प्रोत्साहित करने के लिए गांवों में खेल मैदान विकसित करने की मुहिम शुरू हुई। कोविड महामारी के बाद शुरू हुई पहल पहले तो जमीन के अभाव में दम तोड़ती दिखी, जबकि अब जरूरी उपकरण न होने से भी दिक्कत हो रही है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो 546 ग्राम पंचायतों में 100 गांव में जमीन मिली। 2021 से अब तक 35 खेल मैदान बनकर तैयार हो गए हैं, जबकि 65 बजट के अभाव में अधूरे हैं, लेकिन धरातल पर कुछ अलग ही नजारा है। अमर उजाला टीम ने रविवार को कई खेल मैदानों की पड़ताल की। जिन खेल मैदानों को कागज में पूर्ण दिखाया गया है। वह हकीकत में या तो अधूरे हैं या शुरू ही नहीं हो सके हैं। अभोली के अमिलहरा और संवरपुर जहां खेल मैदान अधूरा है। वहीं अनेगपुर, सुरहन में अभी तक काम शुरू नहीं हो सका है। ज्ञानपुर ब्लॉक के रायपुर में भी खेल मैदान आधा ही बन सका है। अधिकतम 15 लाख खर्च कर सकती हैं ग्राम पंचायतें ज्ञानपुर। गांव में बनने वाले खेल मैदान पर ग्राम पंचायतें अधिकतम 15 लाख तक खर्च कर सकती हैं। राज्य वित्त एवं मनरेगा से कुछ ही ग्राम पंचायतें 15 लाख तक खर्च की। अधिकतर में सात से 10 लाख रुपये खर्च किया गया, जो खेल मैदान बने हैं। वहां संसाधन की कमी से युवाओं और भावी खिलाड़ियों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। विभाग का दावा है कि 2021 में छह और 2022 में आठ, 2023 में 16 और 2024 में अब तक पांच खेल मैदान बने हैं। राजस्व विभाग एवं ग्राम प्रधानों के कारण 300 से अधिक गांव में खेल मैदान के लिए जमीन नहीं मिल सकी। कुछ ग्राम पंचायतों में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण है, लेकिन उसे खाली नहीं करवाया जा रहा है। जिसके कारण आला अधिकारियों के निर्देशों का पालन भी नहीं हो पा रहा है। ज्ञानपुर, भदोही और औराई से 214 गांव में खेल मैदान होने की रिपोर्ट दी गई, हालांकि इसमें 100 ऐसी ग्राम पंचायत हैं, जहां पांच से छह बीघे जमीन मिल सकी है। 114 गांव में कहीं एक तो कहीं दो बिस्वा जमीन ही मिली है। 35 खेल मैदान तैयार हो चुके हैं जबकि बजट की कमी से 65 मैदान अधूरे हैं।



300 से अधिक गांव में जमीन की उपलब्धता न होने से यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ सका है। जहां-जहां खेल मैदान बन रहे हैंं वहां खेल सामग्री की खरीद के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलने पर उपकरण खरीदे जाएंगे। - दिनेश त्रिपाठी, युवा कल्याण अधिकारी।
*250 केंद्रो पर बच्चों को नहीं मिल रहा है गरमागरम भोजन*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले के 250 आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को गरमागरम भोजन नहीं मिल रहा है। आठ माह बाद भी केंद्रों पर अब तक हाॅटकुक्ड योजना शुरू नहीं हो सकी है। डीएम और सीडीओ की हिदायत के बाद भी 100 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों को ग्राम प्रधान ने बर्तन और जरूरी उपकरण खरीद कर नहीं दिए हैं। जिले में 1496 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इसमें सवा लाख बच्चे पंजीकृत हैं। कुपोषण उन्मूलन के लिए पांच साल के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों पर गरमागरम भोजन दिया जाता था। पांच साल पहले हॉटकुक्ड योजना शासन ने बंद कर दी थी। करीब आठ महीने पूर्व योजना दोबारा शुरू हुई। जिले के अधिकतर गांवों में हाॅटकुक्ड बनाने के लिए पैसा जारी होने के बाद भी प्रधान और कोटेदार सहयोग नहीं कर रहे हैं। वे बर्तन और जरूरी सामान नहीं खरीद रहे हैं। इससे 1496 केंद्रों में से करीब 250 केंद्र पर गरमागरम भोजन नहीं बन पा रहा है। औराई ब्लॉक के जेठूपुर, पुरुषोत्तमपुर, भदोही ब्लॉक के दानूपट्टी, चकभूईधर, चौरीखास, में केंद्रों बच्चों को पोषाहार (कच्चा अनाज) ही दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों को गरमागरम भोजन देने के लिए शासन की ओर से प्रति बच्चा सवा 4 रुपये की दर से बजट जारी किया गया है।


12 हजार बच्चे मिले थे कुपोषित बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की तमाम योजनाओं के बाद भी कुपोषण पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। आइसीडीएस विभाग पड़ताल में जिले के सवा लाख बच्चों में से 12 हजार 206 कुपोषण से ग्रसित पाए गए हैं। आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण जरूरमंदो तक सुविधाएं न पहुंचने के कारण कुपोषण का खात्मा नहीं हो पा रहा है। अप्रैल 2024 में विभाग की तरफ से कराए गए वजन में यह आंकड़े आए हैं।



डीएम की हिदायत के बाद काफी ग्राम पंचायतों में बर्तन आदि की खरीदारी की गई। जिससे तीन महीने के अंदर 696 केंद्रो में 450 के करीब पर हाटकुक्ड बनना शुरू हो गया। बच्चों पर मिलने वाला खर्च बिना कुक्ड बनाए नहीं निकाला जा सकेगा। प्रयास है कि 15 अगस्त से पहले शत प्रतिशत केंद्रो पर योजना शुरू हो जाए- मंजू वर्मा, डीपीओ