भारत में कई ऐसी खतरनाक सड़के हैं जहाँ अच्छे अच्छे ड्राईवर गाड़ी ड्राइव करने से लगती हैं डर,जानें
भारत एक विकाशील देश है, जिसने अपने सभी झेत्रों में काफी तरक्की की है। आपको भारत में एक से बढ़कर एक हाईवे, लंबे और उचे पुल देखने को मिलते है। लेकिन क्या आप जानते है? भारत में इन चमकदार सडको के अलावा भी कई ऐसी खतरनाक सड़के हैं जहाँ अच्छे अच्छे ड्राईवर गाड़ी ड्राइव करने से हिचकिचाते है। लेकिन अच्छी बात यह भी है की यह सड़के खतरों के साथ-साथ रोमांच से भी भरी हुई है। और साहसिक पर्यटक और लोग अक्सर इन खतरनाक सडको की रोमांचक यात्रा पर जाते हुई भी देखे जाते है।

खारदुंग ला दर्रा खारदुंग ला पास भारत की सबसे खतरनाक सडको में से प्रमुख सडक मानी जाती है। यह सड़क जम्मू और कश्मीर में 5602 मीटर पर स्थित खारदुंग ला पास से होकर गुजरती है। यह मार्ग भारत में जम्मू और कश्मीर राज्य के लेह क्षेत्र से लेकर चीन के काशगर तक फैला हुआ है। खारदुंग ला दर्रा भारत की सबसे खतरनाक मार्गो के साथ साथ सबसे अधिक देखे जाने वाली सडको में भी एक है। जहाँ अक्सर पर्यटक इस रोमंचक दर्रे की यात्रा पर जाते है।

चांग ला पास चांग ला पास हिमालय क्षेत्र में चांगथांग पठार का प्रवेश द्वार 5360 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चांग ला पास या मोटरेबल माउंटेन रोड पहाड़ी के बीच का मार्ग है जो अक्सर बर्फ से ढका होता है। और यहाँ के मार्ग फिसलन भरे होते है जिससे अच्छे अच्छे ड्राईवर इस दर्रे से जाने से घबराते है। यहाँ अनुभवहिन् ड्राइवरों के गाड़ी ड्राइव ना करने की भी सलाह दी जाती है। और खतरनाक मार्ग के साथ यह दर्रा अधिक उचाई पर स्थित है जिससे कोई भी व्यक्ति इस जगह पर जाड्या समय तक नही ठहर सकता है। और चांग ला पास में सांस फूलने के कारण बड़ी संख्या में चोकिंग की घटनाएं सामने आई हैं।

स्पीति घाटी स्पीति घाटी में दुनिया के सबसे दूरदराज और सबसे ऊंचे गांव स्थित हैं। हिमाचल प्रदेश में स्थित स्पीति घाटी कई साहसिक पर्यटकों को आमंत्रित करता है। स्पीति घाटी से होकर जाने वाली सड़के बहुत ऊँची और सकरी सड़के है, जो खतरों से भरी हुई है। सुन्दर परिदृश्य के साथ स्पीति घाटी खतरनाक सड़कों के संग्रह का एक प्रमुख उदाहरण है। लेकिन स्पीति घाटी खतरों के साथ साथ रोमांच से भी भरी हुई है, और पर्यटक यहाँ खतरों से बाकिब होने के बाबजूद भी इस रोमंचक जगहें जाने से अपने आप को नही रोक पाते है।

ज़ोजी ला पास लेह-श्रीनगर राजमार्ग पर 3538 मीटर की ऊँचाई पर स्थित ज़ोजी ला पास भारत की सबसे खतरनाक सडको में से एक है। ज़ोजी ला पास का भारत में सबसे खतरनाक सड़कों में सूचीबद्ध होने का मुख्य कारण बारिश के मौसम की चरम स्थिति है। भारी बारिश और अचानक भूस्खलन के कारण यह सड़क एक कीचड़ भरे रास्ते में बदल देता है, जो कि घातक दुर्घटनाओं का निमंत्रण है। और इस मौसम के दौरान इस मार्ग पर गाड़ी चलाना मौत के मुह में जाने के बराबर माना जाता है, क्योंकि आगे मार्ग पर क्या हो सकता है यह किसी को पता नही होता।

किन्नौर रोड यह सड़क हिमाचल प्रदेश में किन्नौर जिले को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ती है। लगभग 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मार्ग भारत के रोमांचक सडको में से एक है। इस सड़क को बासपा नदी के ऊपर पहाड़ों के किनारे को काटकर बनाई गई है, जो इतना नीचे है, कभी-कभी आपको बहते पानी को देखने के लिए झांकना पड़ता है। आपको बता दे किन्नौर रोड एक और सुंदर ड्राइव है, जिसमें एक बहुत बड़ा खतरा नहीं है। और यह सड़क रोमांच प्रेमियों की ट्रिप के लिए भारत की सबसे रोमांचक सडको में से एक है।

रोहतांग दर्रा हिमालय की पूर्वी पीर पंजाल रेंज पर 3979 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, यह दर्रा हिमाचल प्रदेश के मनाली में सबसे सुंदर आकर्षणों में से एक है। रोहतांग दर्रा एक खतरनाक मार्ग के साथ साथ हिमाचल प्रदेश का प्रमुख पर्यटक स्थल भी है, जो खतरों के बाबजूद भी बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। रोहतांग का अर्थ है ‘लाशों का मैदान’, जो इसके साथ जुड़े खतरे का सुझाव देता है। और यह दर्रा भूस्खलन और चरम जलवायु परिस्थितियों के लिए असुरक्षित है। और अक्सर इस मौसम के दौरान रोहतांग दर्रा की यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है।

लेह मनाली हाईवे लेह मनाली हाईवे कोई साधारण सड़क नहीं है; यह एक गंदगी-बजरी सड़क है। जो लाहौल और स्पीति की खूबसूरत घाटियों से होकर गुजरती है। 479 किलोमीटर लंबा एक विस्मयकारी मार्ग जो चुनोतियों से भरी हुई है। इसीलिए सड़क पर चलते समय सावधानी बरतनी पड़ती है क्योंकि सड़क पर बहुत अधिक भूस्खलन होता है। लेह-लद्दाख की लोकप्रियता के कारण, सड़क अक्सर भीड़भाड़ वाली होती है। और लेह मनाली हाईवे केवल गर्मियों में खुली होती है क्योंकि सर्दियों में भारी बर्फ़बारी के कारण अक्सर यह मार्ग बंद रहता है।

नाथू ला पास नाथू ला दर्रा भारत के सबसे रोमांचक और खतरनाक सडको में से एक है। नाथू ला पास भारत और चीन की सीमा पर स्थित है जो दोनों देशों के बीच बीच व्यापार मार्ग के रूप में कार्य करता है। इसी कारण इस मार्ग पर भारी लोडिंग वाले वाहन चलते है, और बर्फ़बारी के मौसम में इस मार्ग पर थोड़ी से भी चुक एक बड़े हादसे को आमंत्रित करती है। इसके अलावा आपको बता दे इस मार्ग पर एटीएम सुविधा भी उपलब्ध है, जो दुनिया की सबसे ऊँची जगह पर स्थित होने वाला पहला एटीएम है।

नेशनल हाईवे 22 नेशनल हाईवे 22 निस्संदेह भारत की सबसे डरावनी और रोमांचपूर्ण सड़क है! इसे हिंदुस्तान-तिब्बत रोड के रूप में भी जाना जाता है, जो अंबाला से शुरू होती है और हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से होकर जाती है। सड़क 459 किलोमीटर से अधिक तक फैली है। इस सड़क पर पुल और सुरंग बहुत ही खराब स्थिति में हैं, जो इस राजमार्ग को घातक दुर्घटनाओं का अत्यधिक खतरा बना हुआ है।

तिरुपति रोड तिरुपति मंदिर दुनिया के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और सबसे अधिक आबादी वाले झेत्रो में से एक भी है। और दक्षिण भारत के इस पवित्र तीर्थस्थल तक पहुंचने के लिए, भारत की सबसे खतरनाक सड़कों में से एक तिरुपति रोड से यात्रा करनी होती है। आपकी जानकारी के लिए बता दे यह सड़क गहरे मोड़, कठिन इलाकों और अत्यधिक जोखिम भरा है। और खासकर मानसून के दौरान इस मार्ग पर अत्यधिक दुर्घटनाओं का खतरा रहता है।

ज़िगज़ैग रोड सिक्किम भारत की सबसे खतरनाक सडको में से एक तीन-स्तरीय ज़िगज़ैग सड़क पहाड़ी इलाके में घूमती है जो घाटी के लुभावने दृश्य दिखाती है। यह सड़क समुद्र तल से 11,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस मार्ग को पहाड़ी को काटकर बनाया गया है जो घाटी में ही घुमती हुई आगे बढती है। और इस मार्ग पर यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए एक रोमांचक सफ़र प्रदान करती है। जो कभी कभी थोड़ा खतरनाक हो सकता है। इसीलिए इस सड़क से जाने के लिए उचित मेडिकल जाँच के बाद एक विशेष परमिट की आवश्यकता होती है।

किश्तवाड़ सड़क किश्तवाड़ सड़क किश्तवाड़ जिले में जम्मू और कश्मीर के पूर्व में स्थित दिल देहला देने वाली सडको में से एक है। किश्तवाड़ सड़क 6451 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। किश्तवाड़ मार्ग की लगभग 100 किलोमीटर लम्बी सकरी सड़क बिना रेलिंग और किनारों की बिना आगे बढती है, इसीलिए इस सड़क पर अत्यधिक कुशल ड्राइवरों की आवश्यकता होती है। क्योंकि इस सड़क पर थोड़ी सी भी चुक एक बड़े हादसे को आमंत्रित करती है। और इस मार्ग से कई हादसों की खबरे भी सामने आई हैं।

कोल्ली हिल्स कोल्ली हिल्स को “मौत का पहाड़” कहा जाता है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, की पूर्वी घाट की इन पहाड़ियों में सबसे खतरनाक सड़कें हैं। कोल्ली हिल्स में 70 निरंतर हेयरपिन बेंड हैं जो कई मोटरसाइकिल उत्साही, हाइकर्स और ट्रेकर्स को आकर्षित करते हैं। और तमिलनाडु में स्थित यह स्थान अगया गंगई झरने और एक शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।

नेरल माथेरान रोड महाराष्ट्र के राजगढ़ जिले में स्थित यह सड़क घुमावदार और खतरनाक मोड़ से भरी है। बहुत खड़ी सड़कों के साथ, यह भारत में ड्राइव करने के लिए सबसे कठिन सड़कों में से एक है। हालाँकि सड़कें चिकनी और कम दूरी की हैं, लेकिन संकरी चौड़ाई के कारण सड़कें भयावह हैं। यह राजगढ़ के नेरल से शुरू होती है और 740 मीटर ऊंचे हिल स्टेशन माथेरान पर जाकर समाप्त होती  है।

पुणे मुंबई एक्सप्रेसवे पुणे मुंबई एक्सप्रेसवे एक शानदार हाईवे है जो ड्राइव करने के लिए एक सही सड़क लगती है। जो भारत में दो बड़े महानगरों को जोड़ती है। पुणे मुंबई एक्सप्रेसवे देखने में कोई खतरनाक मार्ग नही लगता। लेकिन आप यहाँ होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या सुनकर आश्चर्य में पड़ जायेंगे। 94 किलोमीटर लम्बे इस हाईवे में 2010 से 2015 के बीच 4234 दुर्घटनाएं हुई है जिसमे 1323 मौतें हुईं है। तो आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते है की यह सड़क कितनी खतरनाक हो सकती है।
क्या आप देश के इस हिस्से में मौजूद डरावनी जगहों के बारे में जानते हैं?जिनका नाम सुनते ही कई लोगों की रूह तक कांप जाती है
उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम भारत में ऐसी कई हसीन और शानदार जगहें मौजूद हैं, जिनकी चर्चा विश्व स्तर पर होती रहती हैं।

जिस तरह देश का अन्य हिस्सा अपनी कई अद्भुत जगहों के लिए प्रसिद्ध है, ठीक उसी तरह पश्चिम भारत भी अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। जी हां, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में ऐसी कई जगहें मौजूद हैं, जहां हर दिन हजारों पर्यटक घूमने के लिए पहुंचते हैं।

पश्चिम भारत की चर्चित और खूबसूरत जगहों के बारे में तो आप जानते ही होंगे, लेकिन क्या आप देश के इस हिस्से में मौजूद डरावनी जगहों के बारे में जानते हैं?

डुमस बीच राजस्थान की तरह गुजरात भी देश का एक खूबसूरत और चर्चित राज्य है। गुजरात का सूरत शहर अपनी खूबसूरती के साथ-साथ डायमंड व्यापार के लिए दुनिया भर में फेमस है। यह शहर कपड़ों की व्यापार के लिए भी पूरे भारत में प्रसिद्ध है।सूरत शहर जिस तरह अपनी खूबसूरती के लिए फेमस है, ठीक उसी तरह डुमस बीच की डरावनी कहानियों के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि डुमस बीच की रेत का रंग काला है।

कई लोगों का मानना है कि सदियों पहले यहां आत्माओं का बसेरा था इसी के चलते यहां की रेत काली हो गई। कई लोगों का मानना है कि यह सदियों पहले शव को जलाया जाता था, इसलिए यहां की रेत काली है।डुमस बीच की डरावनी कहानियां सूरत के लेकर देश के अन्य हिस्सों में इस कदर प्रचलित है कि सूरज ढलते ही इस बीच के आसपास भटकने का कोई भी नाम नहीं लेता है।

शनिवार वाड़ा फोर्ट शनिवार वाड़ा फोर्ट पश्चिम भारत की सबसे डरावनी जगहों में से एक मानी जाती है। यह फोर्ट महाराष्ट्र के पुणे जिले में मौजूद है। इस फोर्ट का निर्माण 17वीं शताब्दी में बाजीराव प्रथम द्वारा करवाया गया था।

शनिवार वाड़ा फोर्ट जिस तरह मुगल और मराठा वास्तुकला के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है, ठीक उसी तरह अपनी डरावनी कहानियों के लिए भी पूरे देश में प्रसिद्ध है। शनिवार वाड़ा फोर्ट के बारे में कहा जाता है कि अमावस्या की रात को एक दर्द भरी गूंज सुनाई देती है।

शनिवार वाड़ा फोर्ट के बारे में एक अन्य मिथक है कि पेशवा नारायण राव की इस महल में निर्मम हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद उनकी आत्मा फोर्ट में भटकती रहती है। इन डरावनी कहानियों की वजह से सूरज ढलते ही फोर्ट के आसपास कोई भी भटकने की हिम्मत नहीं करता है।

राणा कुम्भा पैलेस राजस्थान का चित्तौड़गढ़ अपनी खूबसूरती और लोकप्रियता के चलते पूरे भारत का एक प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र है। चित्तौड़गढ़ ऐतिहासिक स्थलों का घर भी बोला जाता है। इसलिए यहां हर दिन हजारों पर्यटक शाही मेहमान नवाजी का लुत्फ उठाने के लिए पहुंचते हैं।

राजस्थान का चित्तौड़गढ़ जिस तरह अपनी खूबसूरती के लिए फेमस है, ठीक उसी तरह यहां स्थित राणा कुंभा पैलेस अपनी कई डरावनी कहानियों के लिए भी फेमस है। इस फोर्ट के बारे में कहा जाता है कि इस फोर्ट में एक गुप्त कक्ष से महिलाओं की चीखने की आवाजें आती रहती हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसी फोर्ट में रानी पद्मिनी के साथ कई महिलाओं के आत्मदाह लिया था।

कुलधारा गांव देश के पश्चिम में स्थित राजस्थान एक प्रमुख और खूबसूरत राज्य है। इस राज्य की खूबसूरती इस कदर प्रचलित है कि यहां हर दिन हजारों देशी और विदेशी पर्यटक शाही मेहमान नवाजी के लिए पहुंचते हैं।

जैसलमेर राजस्थान का एक प्रमुख और खूबसूरत पर्यटन केंद्र है, लेकिन शहर में स्थित कुलधारा गांव पश्चिम भारत की सबसे डरावनी जगह मानी जाती है। कहा जाता है कि इस गांव पर ब्राह्मणों का श्राप है कि जो भी यहां बसना चाहेगा वो जिंदा नहीं बच पाएगा।

माना जाता है कि श्राप के बाद इस गांव रहने वाले सभी लोगों ने अचानक एक रात घर को खाली कर दिया और आगे चलकर किसी की भी हिम्मत नहीं हुई यहां बसने की। यह गांव खंडहर के रूप में तब्दील हो चुका है।
फैमली के साथ हॉट एयर बैलून राइड के लिए भारत में सबसे अच्छी जगहों की तलाश में है तो आइए हम आपको बताते है भारत की 9 प्रमुख जगह कौन कौन सी है

हॉट एयर बैलून राइड पर्यटकों के लिए सबसे रोमांचक गतिविधियों में शुमार है। हॉट एयर बैलून राइड में ऊपर से प्रकृतिक के अविश्वसनीय दृश्यों को देखना, आसमान में ले जाने वाली टोकरी में तैरना किसी कल्पना से कम नही है जो पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा राइड बनी हुई है। इस मनोरंजक गतिविधि ने लोगों में उत्साह और उत्सुकता पैदा की है, और अक्सर पर्यटक डेली की भाग दौड़ भरी से जिन्दगी से दूर हॉट एयर बैलून राइड के लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन की तलाश करते है।

उत्तर प्रदेश हॉट एयर बैलून राइड के लिए सबसे लोकप्रिय और आकर्षक स्थानों में से एक है। उत्तर प्रदेश में हॉट एयर बैलून की सवारी के लिए कुछ प्राकृतिक सुन्दरता से परिपूर्ण स्थलों की पेशकश की जाती है यकीन मानिये उपर से इन मनमोहनीय दृश्यों को देखकर आप खुद को तरो ताजा और फ्रेश महसूस करेंगे और बार बार इस यात्रा की कल्पना करेगें। साथ ही इस राइड में आप उत्तर प्रदेश के शानदार मुगल स्मारकों के शानदार और आकर्षक दृश्यों को देख सकेगे। आपको बता दे यहाँ की सवारी थोड़ी अलग है; यहाँ गुब्बारा कम ऊँचाई पर लगभग 500 मीटर तक उड़ता है, जिससे आप यहाँ की कुछ शानदार संरचनाओं को देख सकते हैं। उत्तर प्रदेश हॉट एयर बैलून राइड हनीमून कपल्स, यात्रियों, कपल्स और रोमांच प्रेमियों लोगों के लिए एक शानदार जगह है जो बड़ी मात्रा में इस रोमांचक राइड की ओर आकर्षित होते है।

लोनावाला महाराष्ट्र महाराष्ट्र में लोनावाला मुंबई और आसपास के लोगों के लिए एक आदर्श प्रवेश द्वार है। यहां लोनावाला के पास कामशेत से हॉट एयर बैलून राइड उपलब्ध है, जो मुंबई से लगभग 100 किमी की दूरी पर स्थित है। लोनावाला और इसके आसपास का इलाका घनी हरियाली, मजबूत जंगलों, गुफाओं, झीलों और बांधों से भरा हुआ है जो इस मनोरंजक गतिविधि में शामिल होने के लिए एकदम सही जगह है। यहाँ गुब्बारे की सवारी लगभग 60 मिनट तक चलती है, जो आपको अधिकतम 4000 फीट की ऊंचाई तक ले जाती है। इस राइड में आप लोनवाला के आसपास की हरियाली और प्राकृतिक सुन्दरता के मनमोहनीय नजारों को देख सकते है जो किसी स्वर्गीय यात्रा से कम नही है।

गोवा भारत की समुद्र तट की राजधानी गोवा अपनी रोमांचक संस्कृति और जीवंत समुद्र तटों के साथ स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए एक पसंदीदा जगह है। गोवा सिर्फ सनसेट, समुद्र और रेत के इस परिपूर्ण संयोजन तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें एन्जॉय करने के लिए बिभिन्न मनोरंजक गतिविधियाँ हैं। हॉट एयर बैलून राइड गोवा की सबसे रोमांचक गतिविधियों में से एक है जिसके बिना गोवा की ट्रिप अधूरी मानी जाती है। यह अद्भुत बैलून सवारी आपको गोवा के भव्य परिदृश्य प्रदान करती है जहाँ आप समुद्र के ऊपर से सभी शानदार नजारों के साथ साथ समुद्र की असीम सीमाओं को देखना एक असाधारण अनुभव प्राप्त कर सकते है। इसके अलावा आप समुद्र के दूर क्षितिज से सूर्योदय या सूर्यास्त का एक असामान्य दृश्य भी देख सकते हैं जो निश्चित रूप से एक यादगार अनुभव होगा।

जयपुर राजस्थान
पिंक सिटी ’जयपुर में हॉट एयर बैलून की सवारी भारत और विदेश के पर्यटकों के लिए सबसे पसंदीदा जगह बनी हुई है। आकाश में तैरते हुए राजस्थान के देहाती और रीगल आकर्षण का आनंद लेने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है! जयपुर में हॉट एयर बैलून की सवारी में आप अलंकृत महलों, ऐतिहासिक किलों और कई झीलों की सुंदर झलक देख कर अपने आपको तृप्त कर सकते हैं। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर के मनोरम प्रसार के ऊपर सबसे सुंदर और लुभावने महलों, हवेलियों, इमारतों और किलों पर उड़ान भरना एक अद्भुत और अविश्वसनीय अनुभव है। यह राइड लगभग 60 मिनट तक चलती है, जो आपको अधिकतम 4000 फीट की ऊंचाई तक सैर कराती है। राजस्थान में मुख्य रूप से पुष्कर और जयपुर में हॉट एयर बैलून की सवारी कराई जाती है आप इन दोनों में से किसी स्थान पर इस रोमांचक राइड को एन्जॉय कर सकते है।

हम्पी कर्नाटक हॉट एयर बैलून राइड के लिए हम्पी भारत के शीर्ष स्थानों में से एक है हम्पी में स्मारकों और गुफा स्थलों को सैकड़ों मीटर ऊपर से देखना का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है! भारत के पश्चमी तट पर स्थित कर्नाटक एक विचित्र और शांतिपूर्ण समय के लिए एक आदर्श स्थान प्रदान करता है जिसे आप अपनी हॉट एयर बैलून राइड में और अधिक आकर्षक और मनमोहनीय बना सकते है। हम्पी में हॉट एयर बैलून राइड में आपको 500 मीटर तक की ऊंचाई पर ले जाता है।

हॉट एयर बैलूनिंग कर्नाटक में सभी उम्र के लोगों के लिए लोकप्रिय और पसंदीदा अतीत साहसिक और मनोरंजक खेल है जो बड़ी मात्रा में शैलानियो को अपनी और आकर्षित करता है। यदि आप भी इस राइड का रोमांच उठाने के लिए एक आदर्श जगह की तलाश में है तो अपना समय ना गवाते हुए जल्दी ही हम्पी कर्नाटक की यात्रा का प्लान बनायें।

दिल्ली एनसीआर भारत की राजधानी दिल्ली हॉट एयर बैलून राइड की एक दम परफेक्ट डेस्टिनेशन है जहाँ पर्यटक आसमान में उड़ते हुए दिल्ली के सुंदर परिदृश्यो को देख सकते है। यह राइड दिल्ली के आसपास दमदमा झील, सोहना, नीमराना से आयोजित की जाती है और मौसम के आधार पर उड़ानें सुबह 6:00 बजे या शाम 4:00 बजे और शाम 7:00 बजे से शुरू की जाती हैं। दिल्ली में बैलून उड़ानें सितंबर से मार्च के महीनों के दौरान होती हैं जब मौसम इस तरह के रोमांच के लिए अधिक उपयुक्त होता है। हॉट एयर बैलून राइड में दिल्ली को लगभग 5000 फिट की ऊंचाई से एक उड़ते हुए पक्षी की दृष्टि से देखना किसी सपने किसी कम नही है जिसे आप अपनी राइड में पूरा होता हुए देख सकेगें।

मनाली भारत में साहसिक खेलों का अनुभव करने के लिए मनाली सबसे अच्छे स्थानों में से एक है जहाँ आप हॉट एयर बैलून राइड के साथ साथ बिभिन्न रोमांचक गतिविधियों को एन्जॉय कर सकते हैं। मनाली में हॉट एयर बैलून राइड सबसे रोमांचकारी और अविश्वसनीय है। विशाल भू-स्खलन, शानदार बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ और भीषण तेज बहाव वाली नदियाँ मनाली की हॉट एयर बैलून राइड के प्रमुख आकर्षण है जो अपने अविश्वसनीय और अद्भुद नजारों से प्रतिबर्ष हजारों पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते है। मनाली में हॉट एयर बैलून राइड में उपर आसमान में तैरते हुए पहाड़ो की सुन्दरता और ठंडी ठंडी हवायों को महसूस करना एक ऐसा अनुभव है जिसे अपनी जिन्दगी एक बार अवश्य करना चाहिये।

दार्जलिंग पश्चिम बंगाल राज्य के उत्तर में पूर्वी हिमालय की तलहटी दार्जिलिंग विभिन्न बौद्ध मठों और हिमालय की आकर्षित चोटियों से घिरा हुआ है। यहां की वादियां बेहद मनमोहक हैं जिन्हें आप हॉट एयर बैलून राइड से महसूस कर सकते है। दार्जलिंग में हॉट एयर बैलूनिंग अन्य साहसिक खेलो के साथ एक उभरता हुआ आकर्षण है जिसने पूरे विश्व से पर्यटकों को अपनी और मोहित किया है। बता दे दार्जलिंग में हॉट एयर बैलूनिंग अक्टूबर से मई के बीच के महीनों में शाम 4 बजे से शाम 6 बजे के बीच आयोजित की जाती है। अक्टूबर से मई के महीनो में मौसम और दृश्यता बहुत साफ होती है जिससे आप आसमान में उड़ते हुए दार्जलिंग के सुंदर दृश्यों को देखा जा सकता है। इस रोमांचक सवारी करके आप दार्जिलिंग की यात्रा को और भी मज़ेदार और रोमांचकारी बना सकते हैं।

भोपाल
झीलों के शहर के नाम से प्रसिद्ध भोपाल में हॉट एयर बैलून राइड नवीन आकर्षणों में से एक है यह राइड भोपाल में अपने प्रथम चरण में है जिसे पर्यटकों की लोकप्रियता को देखते हुए हालही में प्रारंभ किया गया है। भोपाल से बलून की सवारी जीत स्टेडियम से होती है और इसे पूरा करने में लगभग दो घंटे लगते हैं। हॉट एयर बैलूनिग भोपाल में एन्जॉय करने के लिए सबसे रोमांचक और एड्रेनालाईन थंपिंग गतिविधियों में से एक है।

आज हम यहाँ अपने  भारत के सबसे खूबसूरत हवाई अड्डो के बारे में जानेंगे,जो की अनोखा माहौल और सुन्दरता के लिए यात्रियों को आकर्षित करता है

जब हम किसी देश या घरेलू यात्रा के लिए उड़ान भरते है तो हम अपना कुछ समय एयरपोर्ट पर व्यतीत करते हैं। देखा जाये तो एयरपोर्ट हमारी यात्रा का सबसे पहला हिस्सा होता है और हर पर्यटक चाहता है की उसकी यात्रा की शुरुआत आकर्षक नजारों के साथ हों। देखा जाये तो भारत के हवाई अड्डे है, न केवल यात्राओं के लिए बहुत जरूरी हैं, बल्कि उनका अनोखा माहौल और सुन्दरता घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए भी आकर्षण पैदा करता है। और भारत के ये खूबसूरत एयरपोर्ट अपनी विष्टतायों, और सुन्दरता के साथ पर्यटकों और यात्रियों को मोहित करते है। हालाकि इनमे से कुछ हवाई अड्डे इतने बड़े और आलिशान नही है लेकिन फिर भी मंत्रमुग्ध करने वाले दृश्यों से चर्चा के बिषय बने हुए है।

कुशोक बकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट, लद्दाख कुशोक बकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट जम्मू कश्मीर और भारत के सबसे सुंदर हवाई अड्डो में से एक है। यह हवाई अड्डा भारत का एक मात्र हवाई अड्डा है जो पहाड़ी रेगिस्तान में स्थित है। जबकि कुशोक बकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट दुनिया के सबसे ऊँचे हवाई अड्डों में से एक है, जो समुद्र तल से लगभग 3,256 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। एयरपोर्ट से आसपास के बर्फ से ढके सुंदर दृश्यों को देखा जा सकता है, इस हवाई अड्डे की सबसे खास बात यह है की दोपहर में पहाड़ी हवाओं के कारण, सभी उड़ानें सुबह उड़ान भरती हैं। लेह हवाई अड्डे से मुंबई, दिल्ली और चंडीगढ़ के लिए नियमित उड़ानें संचालित होती हैं।

लेंगपुई हवाई अड्डा मिजोरम समुद्र तल से 504 मीटर की ऊंचाई पर और आइजोल से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लेंगपुई हवाई अड्डा भारत के सबसे आकर्षक हवाई अड्डो में से एक है। लेंगपुई हवाई अड्डा पूरी तरह से हरियाली और प्राकृतिक सुन्दरता से घिरा हुआ है। जैसे ही आप लेंगपुई हवाई अड्डा पर लेंड करते है तो हरे भरे रंगों से भरपूर मनमोहनीय सुन्दरता आपका स्वागत करने को तैयार मिलती है। हवाई अड्डे की इसी अविस्मरणीय सुन्दरता को देखते हुए इसे भारत के सबसे खुबसूरत हवाई अड्डो में से एक माना गया है। आपकी जानकरी के लिए बता दे लेंगपुई हवाई अड्डा देश का पहला बड़ा हवाई अड्डा था जो राज्य सरकार द्वारा बनाया गया था। इसके अलावा लेंगपुई हवाई अड्डा भारत के उन तीन हवाई अड्डो में से एक है जिसमे टेबल टॉप रनवे की सुविधा है।

वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पोर्ट ब्लेयर भारत के सबसे खूबसूरत हवाई अड्डो में शुमार वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई पोर्ट ब्लेयर के दक्षिण में 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिसे आमतौर पर पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे के रूप में भी जाना जाता है। यह एयरपोर्ट भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का मुख्य हवाई अड्डा है। बता दे यह हवाई अड्डा भारत के नवीनतम हवाई अड्डो में से एक है जो अपने यात्रियों के लिए कुछ न्यू टेक्नोलॉजी और अविश्वसनीय सुन्दरता की पेशकश करता है। पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डा निश्चित रूप से अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सदाबहार वर्षावनों के साथ यात्रियों का स्वागत करता है।  इस जगह पर हरियाली का ऐसा प्रभाव है कि आप प्रकृति के साथ मनमोहनीय तालमेल महसूस करेंगे।

गग्गल एयरपोर्ट, कांगड़ा गग्गल एयरपोर्ट भारत के सबसे सुंदर और प्रमुख पहाड़ी हवाई अड्डो में से एक है, जो हिमाचल की सीमा में 2492 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। गग्गल एयरपोर्ट धर्मशाला के दक्षिण-पश्चिम में लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो 1269 एकड़ भूमि में फैला है,और प्रकृति के सुंदर दृश्यों को समेटे हुए है। गग्गल एयरपोर्ट शहर की भीड़-भाड़ से दूर एकांत पहाड़ी पर स्थित है जहाँ ठंडी ठंडी हवायों को महसूस किया जा सकता है और साथ पहाड़ी के सुंदर परिदृश्यो को देखा जा सकता है। बता दे गग्गल एयरपोर्ट से सिर्फ दिल्ली और चंडीगढ़ के लिए फ्लाइटे संचालित होती हैं।

इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली 5,106 एकड़ के विशाल एरिया में स्थित इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली भारत के सबसे बड़े और व्यस्ततम हवाई अड्डो में से एक है जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नही है। इस एयरपोर्ट की सुन्दरता और वस्तुकला भारतीय यात्रियों के साथ साथ विदेशी यात्रियों को भी खूब पसंद आती है। बता दे इस हवाई अड्डे का नाम भारत की पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर, रखा गया है, और यह अड्डा 2009 के बाद से यात्री यातायात के मामले में भारत का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है। जबकि दुनिया का 12 वाँ सबसे व्यस्त हवाई अड्डा और एशिया का 6 वाँ व्यस्ततम हवाई अड्डा है।
भुज एयरपोर्ट, कच्छ भुज एयरपोर्ट गुजरात राज्य के कच्छ जिले में स्थित एक घरेलू हवाई अड्डा है, जो 257 फीट (78 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है और कुल 832 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। भुज एयरपोर्ट की प्रमुख आकर्षण इसके इमारते हैं जो पुरातन वास्तुकला से निर्मित है जो इस हवाई अड्डे के सुन्दरता में चार चाँद लगाने का कार्य करती है। यह हवाई अड्डा भारत-पाकिस्तान सीमा से 48 किमी की दूरी पर स्थित है और 1971 के युद्ध के दौरान  कठोर अत्याचार सह चुका है।
अगाती एयरोड्रोम लक्षद्वीप केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में अगाती द्वीप के दक्षिणी छोर पर स्थित अगाती हवाई अड्डा भारत के सबसे सुंदर और आकर्षक हवाई अड्डो में से एक है। अगाती एयरोड्रोम द्वीपसमूह में एकमात्र हवाई पट्टी है जो समुद्र के नीले पानी से घिरी हुई है और यही आकर्षण इसे भारत के सभी हवाई अड्डो से अलग और आकर्षक बनाती है। इस हवाई अड्डे से चारो ओर नीला पानी ही पानी दिखाई देता है। 45.9 एकड़ में फैला अगाती एयरोड्रोम में 1,291 मीटर लंबा डामर रनवे और एक यात्री टर्मिनल है, लेकिन अगाती हवाई अड्डे से सिर्फ कोच्ची के लिए उड़ाने संचालित की जाती है।

शिमला एयरपोर्ट, शिमला भारत के सबसे सुंदर हवाई अड्डो मे शुमार शिमला एयरपोर्ट 1546 मीटर की ऊँचाई पर पहाड़ी पर स्थित है। जो चारो ओर हरी भरी  घाटियों के नजारों और लुभावने दृश्यों से घिरा हुआ हैं। शिमला एयरपोर्ट की सबसे ख़ास बात यह है की इस एयरपोर्ट का निर्माण हिलटॉप को काटकर और भूमि को समतल करके किया गया था ताकि रनवे के मार्ग को प्रशस्त किया जा सके। शिमला से जबरहट्टी तक 22 किलोमीटर की यात्रा आपको इस शानदार हवाई अड्डे की शानदार झलक प्रदान करती है। जो वास्तव देखने और महसूस करने लायक है।

आईए जानते हैं हवा महल की क्या है इतिहास

जयपुर के गुलाबी शहर में बाडी चौपड़ पर स्थित हवा महल राजपूतों की शाही विरासत, वास्तकुला और संस्कृति के अद्भुत मिश्रण का प्रतीक है। हवा महल को राज्स्थान की  सबसे प्राचीन इमारतों में से एक माना जाता है। बड़ी ही खूबसूरती के साथ बनाया गया हवा महल जयपुर के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है। कई झरोखे और खिडकियां होने के कारण हवा महल को “पैलेस ऑफ विंड्स” भी कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट जैसी इस पांच मंजिला इमारत में 953 झरोखें हैं, जो मधुमक्खियों के छत्ते से मिलते जुलते हैं, जो राजपूतों की समृद्ध विरासत का अहसास कराते हैं। लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरों से बना हवा महल सिटी पैलेस के किनारे बना हुआ है। हवा महल की खास बात यह है कि यह दुनिया में किसी भी नींव के बिना बनी सबसे ऊंची इमारत है।

हवा महल का अर्थ है हवा का महल। इस महल में 953 छोटे-छोटे झरोखे और खिड़कियां हैं। इन खिड़कियों को महल में ताजी हवा के प्रवेश के लिए बनाया गया था। गर्मी के दिनों में राहत पाने के लिए हवा महल राजपूतों का खास ठिकाना था, क्योंकि झरोखों में से आने वाली ठंडी हवा पूरी इमारत को ठंडा रखती थी। हवा महल का नाम यहां की पांचवी मंजिल से पड़ा है, जिसे हवा मंदिर कहा जाता है।जयपुर के हवा महल में 953 खिड़कियां और छोटे-छोटे झरोखे हैं। जयपुर का हवा महल किसने बनवाया

राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित हवा महल का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह के पोते सवाई प्रताप सिंह ने सन् 1799 में कराया था। वह राजस्थान के झुंझनू शहर में महाराजा भूपाल सिंह द्वारा निर्मित खेतड़ी महल से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने हवा महल का निर्माण कराया। यह रॉयल सिटी पैलेस के विस्तार के रूप में बनाया गया था। ललित जाली की खिड़कियों और पर्दे वाली बालकनी से सजे इस खूबसूरत हवा महल के निर्माण का मुख्य उद्देश्य शाही जयपुर की शाही राजपूत महिलाओं को झरोखों में से सड़क पर हो रहे उत्सवों को देखने की अनुमति देना था।

उस वक्त महिलाएं पर्दा प्रथा का पालन करती थीं और दैनिक कार्यक्रमों की एक झलक पाने के लिए सार्वजनिक रूप से सामने आने से बचती थीं। इन झरोखों की मदद से उनके चेहरे को ठंडी हवा लगती थी और तपती धूप में भी उनका चेहरा एकदम ठंडा रहता था, जो उनकी खूबसूरती का भी एक राज था। वे अपने रिवाजों को बनाए हुए इन झरोखों में से स्वतंत्रता की भावना का आनंद इसी तरह से ले सकती थीं।

हवा महल की वास्तकुला हवा महल एक ऐसी अनूठी अद्भुत इमारत है, जिसमें मुगल और राजपूत शैली स्थापित्य है। 15 मीटर ऊंचाई वाले पांच मंजिला पिरामिडनुमा महल के वास्तुकार लाल चंद उस्ताद थे। 5 मंजिला होने के बावजूद आज भी हवा महल सीधा खड़ा है। इमारत का डिजाइन इस्लामिक मुगल वास्तुकला के साथ हिंदू राजपूत वास्तुकला कला का एक उत्कृष्ण मिश्रण को दर्शाता है। बताया जाता है कि महाराज सवाई प्रताप सिंह कृष्ण के बड़े भक्त थे, उनकी भक्ति महल के ढांचे के डिजाइन से ही प्रतीत होती है, जो एकदम भगवान कृष्ण के मुकुट के समान दिखता है। महल में 953 नक्काशीदार झरोखे हैं, जिनमें से कुछ तो लकड़ी से बने हैं। इन झरोखों का निर्माण कुछ इस तरह किया गया था कि गर्मियों में ताजी हवा के माध्यम से पूरी इमारत ठंडी रहे।

हवा महल के बारे में विवरण

हवा महल की दीवारों पर बने फूल पत्तियों का काम राजपूत शिल्पकला का बेजोड़ नमूना है। साथ ही पत्थरों पर की गई मुगल शैली की नक्काशी मुगल शिल्प का नायाब उदाहरण हैं। उत्सवों के लिए पहली मंजिल पर शरद मंदिर बना हुआ है, जबकि हवा महल की दूसरी मंजिल पर रतन मंदिर बना है जिसे ग्लासवर्क से सजाया गया है। अन्य तीन मंजिलों पर विचित्र मंदिर, प्रकाश मंदिर और हवा मंदिर है। यहां आपको गुलाबी शहर जयपुर के विभिन्न रंग देखने को मिलेंगे। हवा महल का कोई सामने से दरवाजा नहीं है, बल्कि सिटी पैलेस की ओर से एक शाही दरवाजा हवा महल के प्रवेश द्वार की ओर जाता है। यहां तीन दो मंजिला इमारतें तीन तरफ एक बड़े प्रांगण को घेरे हुए हैं, जिसके पूर्वी हिस्से में हवा महल स्थित है।

आंगन में वर्तमान में एक पुरातत्व संग्रहालय है। महल का आंतरिक भाग भी ऊपर के मंजिल की ओर जाने वाले मार्ग और खंभे से युक्त  है। हवा महल के पहले दो मंजिल में आंगन हैं और बाकी तीन मंजिला की चौड़ाई एक कमरे के जितनी बराबर है। खास बात यह है कि इमारत में कोई सीढ़ियां नहीं है और ऊपर जाने के लिए रैंप का ही इस्तेमाल किया जाता है। 50 साल बाद साल 2006 में पूरे हवा महल का रेनोवेशन किया गया। इस समय इस इमारत की कीमत 4568 मिलियन बताई गई थी। उस समय जयपुर के एक कार्पोरेट सेक्टर ने हवा महल के रिनोवेशन का जिम्मा उठाया था, लेकिन फिर बाद में भारत के यूनिट ट्रस्ट ने हवा महल की मरम्मत कराने की जिम्मेदारी ली।

कब जाएं हवा महल

सर्दियों के मौसम में आप जयपुर घूमने आ सकते हैं। नवंबर की शुरूआत से फरवरी के बीच तक का समय पर्यटकों का पीक सीजन होता है। सुहावने मौसम के साथ आप यहां एक नहीं बल्कि कई प्राचीन इमारतों की यात्रा सुकून से कर पाएंगे। हवा महल को देखने का समय सुबह 9:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक है। हालांकि इस इमारत को निहारने का सबसे सही समय सुबह का है जब सूर्य की सुनहरी किरणें इस शाही इमारत पर पड़ती हैं। ये नजारा हवा महल को और भी सुरूचिपूर्ण और भव्य रूप देता है। हवा महल म्यूजियम शुक्रवार को बंद रहता है, इसलिए बेहतर है कि हवा महल को अन्य दिनों में देखने जाएं।

अगर आप गलताजी मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं या इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानने की रूचि रखते हैं तो इस को पूरा जरुर पढ़ें

गलताजी मंदिर  जयपुर के रीगल शहर के बाहरी इलाके में स्थित एक प्रागैतिहासिक हिंदू तीर्थ स्थल है। अरावली पहाड़ियों द्वारा उल्लिखित, इसमें कई मंदिर, पवित्र कुंड, मंडप और प्राकृतिक झरने हैं। यह आकर्षित मंदिर एक पहाड़ी इलाके के दिल में स्थित है, जो एक खूबसूरत घाट से घिरा है, जो हर साल भारी संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। आपको बता दें कि गलताजी मंदिर का निर्माण गुलाबी रंग के बलुआ पत्थर का उपयोग से किया गया है। यह एक विशाल मंदिर परिसर है जिसकें अंदर कई मंदिर स्थित हैं। सिटी पैलेस के अंदर स्थित इस मंदिर की दीवारें नक्काशी और चित्रों से की गई है, जो इस मंदिर को एक देखने लायक जगह बनाते हैं। गलताजी मंदिर को अपनी वास्तुकला की वजह से जाना जाता है और इसका निर्माण महल की तरह किया गया है।

यह शानदार मंदिर किसी भी पारंपरिक मंदिर की तुलना में एक भव्य महल या ‘हवेली’ की तरह दिखता है और यह मंदिर बंदरों की कई जनजातियों के लिए जाना जाता है, जो यहां देखे जाते हैं। यह मंदिर धार्मिक भजनों और मंत्र, प्राकृतिक खूबसूरती साथ, पर्यटकों को एक शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है।

गलताजी मंदिर की शानदार गुलाबी बलुआ पत्थर की संरचना दीवान राव कृपाराम द्वारा बनाई गई थी जो सवाई राजा जय सिंह द्वितीय के दरबारी थे। 16 वीं शताब्दी की शुरुआत से गलताजी रामानंदी संप्रदाय से संबंधित और जोगियों के कब्जे वाले पुरी के लिए एक आश्रय स्थल रही है।

गलताजी मंदिर का इतिहास यह भी बताया जाता है कि संत गालव ने तपस्या करते हुए सौ साल तक इस पवित्र स्थान पर सारा जीवन बिताया। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान उसके सामने प्रकट हुए और अपने पवित्र स्थान को पवित्र जल से आशीर्वाद दिया। बता दें कि इस संत या ऋषि की वंदना करने के लिए, गलताजी मंदिर का निर्माण किया गया था और उसके नाम पर इस मंदिर का नाम रखा गया। ऐस भी बताया जाता है कि इस जगह पर तुलसीदास द्वारा पवित्र रामचरित्र मानस के खंड लिखे गए थे।

गलताजी मंदिर की वास्तुकला
गलताजी मंदिर अरावली पहाड़ियों में स्थित है और घने आलीशान पेड़ों और झाड़ियों से घिरा हुआ है। मंदिर को चित्रित दीवारों, गोल छत और स्तंभों से सजाया गया है। इस पूर्व-ऐतिहासिक हिंदू मंदिर के अंदर भगवान राम, भगवान कृष्ण और भगवान हनुमान मंदिर भी स्थित हैं। जयपुर के सबसे खास दर्शनीय स्थलों में से एक इस मंदिर के परिसर प्राकृतिक ताजे पानी के झरने और सात पवित्र ‘कुंड’ या पानी की टंकियां हैं। इन सभी कुंडों में से गलत कुंड को सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है और यह कभी नहीं सूखता। यहां गौमुख  से शुद्ध और साफ पानी बहता रहता है।

गलताजी मंदिर में पानी का कुंड आपको बता दें कि गलतजी मंदिर अपने प्राकृतिक पानी के झरनों के लिए सबसे ज्यादा धार्मिक और पूजनीय है। इस मंदिर के परिसर में पानी स्वचालित रूप से फैलता है और टंकियों में इकट्ठा हो जाता है। इस प्राकृतिक झरने के सबसे खास बात यह है कि इसका पानी कभी नहीं सूखता जो यहां आने वाले पर्यटकों को चकित कर देता है। इसके साथ ही गलता कुंड, मंदिर परिसर में सात टंकियों में से सबसे पवित्र कुंड है। हर साल मकर संक्रांति के त्योहार के खास मौके पर इस पवित्र कुंड (Tank) में डुबकी लगाना बेहद शुभ माना जाता है।

गलताजी मंदिर के आसपास दर्शनीय स्थल

गलताजी मंदिर राजस्थान का एक बहुत ही आकर्षक मंदिर है, जिसमें आश्चर्यजनक वास्तुकला है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। अगर आप इस मंदिर के दर्शन करने जा रहे हैं तो इसके साथ ही आप मंदिर के दर्शनीय स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं। मंदिर के पास का प्रमुख दर्शनीय स्थल गलवार बाग गेट हैं जो गुलाबी रंग में एक बहुत ही अद्भुत संरचना है और गलता मंदिर परिसर में एक मुख्य मंदिर है। यहां का हनुमान मंदिर भी बेहद खास है जो अपनी अपनी वास्तुकला के लिए और यहां पाए जाने वाले बंदरों के लिए भी जाना जा सकता है। अगर आप इस जगह की यात्रा करने आ रहे हैं तो आपको हनुमान मंदिर का दौरा भी जरुर करना चाहिए।

गलताजी मंदिर के अलावा आप जयपुर में कई स्मारक, हवेलियाँ, किलों और महलों को देखने जा सकते हैं। जैसे जंतर मंतर,नाहरगढ़ किला,जयगढ़ किला,सिटी पैलेस, अंबर किला,सिसोदिया रानी गार्डन,हवा महल ,जल महल,बिड़ला मंदिर,और अल्बर्ट हॉल।


गलताजी मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय फरवरी-मार्च के महीने और अक्टूबर-दिसंबर का होता है क्योंकि उस दौरान मौसम बेहद सुहावना होता है। गर्मियों के समय इस जगह की यात्रा करना बेहद असुविधाजनक हो सकता है इसलिए इस मौसम में यहां जाने से बचना ही बेहतर होगा। हर साल जनवरी में मकर संक्रांति उत्सव के समय यहां कुंड के पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए गलताजी मंदिर पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ दिखाई देती है। अगर आप स्नान के लिए मंदिर के कुंडों की आते हुए बंदरों के आकर्षक दृश्य को देखना चाहते हैं तो शाम के समय इस मंदिर के दर्शन को जाना सबसे खास होगा।

अगर आप भी वास्तु शास्त्र में दिलचस्पी रखते हैं या फिर नई-नई चीजों में आपको इंटरेस्ट आता है तो आपको कानपुर का जेके मंदिर जरूर घूमना चाहिए

वास्तु शास्त्र एक ऐसी विद्या है जिसमें कई लोगों को बड़ा इंटरेस्ट होता है। अगर आप भी वास्तु शास्त्र में दिलचस्पी रखते हैं या फिर नई-नई चीजों में आपको इंटरेस्ट आता है तो आपको कानपुर का जेके मंदिर जरूर घूमना चाहिए। जब आप यहां जाएंगे तो आपको लाजवाब वास्तु देखने को मिलेगा। यह तो हम सभी जानते हैं कि घर की सुख समृद्धि में वास्तु का बहुत अहम योगदान होता है। अगर वास्तु सही होता है तो पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो घर वालों की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जेके मंदिर में घूम कर आपको दिशाओं और पांच तत्वों के सही संयोजन की जानकारी मिलेगी। इस मंदिर का निर्माण पंचतत्व यानी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के सही क्रम में किया गया है। मुख्य द्वार पर पृथ्वी तत्व है इसके बाद जल तत्व मौजूद है। जैसे ही आप मुख्य द्वार से आगे बढ़ेंगे एक फवारा है जो आपका मन खुश कर देगा। इसके बाद सीढ़ियां चढ़कर जब आप ऊपर जाएंगे तो यहां पर यज्ञ के लिए स्थान नजर आएगा। इसके आगे जाने पर एक बड़ा सा हाल है जो वायु तत्व का स्थान है। इसके बाद सर उठने से ही आपको एक विशाल गुंबद दिखेगा जो आकाश तत्व की ओर इशारा करता है। यहां पर शिखर के ठीक नीचे राधा कृष्ण विराजमान है। सब कुछ पांच तत्वों के हिसाब से बना हुआ है। इसमें पांच शिकार है और केंद्र शिखर सबसे ऊंचा है। इस मंदिर की खासियत की बात करें तो यहां दिशाओं का तालमेल बहुत सही है। कानपुर गंगा के तट पर बसा हुआ है और जो सके इसके समानांतर बनी है उन पर बने भवनों का मुख्य उत्तर और पूर्व दिशा में है। जो सड़क गंगा जी को पार करती है उन पर बने भवनों का मुख्य उत्तर और पश्चिम की ओर है। अन्य मारुति से जवाब जेके मंदिर को देखेंगे तो यह तिरछा नजर आएगा। इसका कारण इन मकानों में दो दिशाओं का होना है। जब आप जेके मंदिर को देखेंगे तो आपको समझ आएगा कि यह सीधी दिशा में बना हुआ है। यानी कि पूर्व पश्चिम उत्तर और दक्षिण कहीं भी दो दिशाएं आपको एक साथ नजर नहीं आएगी। जेके मंदिर का मुख पूरी तरह से पूर्व दिशा में है। मंदिर के केंद्र में मौजूद राधा कृष्ण की मूर्ति भी पूर्व दिशा की ओर देख रही है। मूर्ति के पीछे पश्चिम दिशा है। बाएं हाथ पर उत्तर और दाहिने हाथ पर दक्षिण दिशा है। यही कारण है कि यहां पर अपार सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

अगर आप नेचर और वाइल्ड लाइफ लवर हैं तो थेक्कडी आपके लिए परफेक्ट हॉलिडे ऑप्शन हो सकता है
सैर पर जाना हमेशा से काफी रोमांचक और आनंददायक होता है। खासकर तब जब आप थेक्कडी जैसी खूबसूरत जगह पर जा रहे हों। थेक्कडी केरल की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है और यहां हर साल काफी ज्यादा संख्या में टूरिस्ट आते हैं। अगर आप नेचर और वाइल्ड लाइफ लवर हैं तो थेक्कडी आपके लिए परफेक्ट हॉलिडे ऑप्शन हो सकता है क्योंकि यहां आपको बेहद खूबसूरत पहाड़, बड़े-बड़े पेड, एक से एक मनोरम दृश्य वाले झरने और बड़ी संख्या में हाथी और हिरण जैसे जानवर देखने को मिलेंगे।

भारत के दक्षिणी हिस्से में स्थित पश्चिमी घाट के एवरग्रीन और सेमी-एवरग्रीन जंगलों के बीच स्थित है थेक्कडी जिसके इको-सिस्टम को बरकरार रखने में केरल टूरिज्म विभाग ने बेहतरीन काम किया है। वैसे तो यह जगह फैमिली हॉलिडे या फिर दोस्तों के साथ गेट-टु-गेदर के लिहाज से बेहतरीन है। लेकिन अगर आप सुकून के पल की तलाश में हैं तो अकेले भी यहां घूमने आ सकते हैं। अगर आप थेक्कडी सोलो ट्रिप पर जा रहे हैं तो इन जगहों पर जाना न भूलें।

आईए अब हम जानते हैं यहां घूमने का कौन-कौन से जगह  है

पेरियार नैशनल पार्क थेक्कडी की सबसे लोकप्रिय जगहों में से एक है पेरियार नैशनल पार्क। यहां आप बैंबू राफ्टिंग के साथ-साथ जंगल सफारी के भी मजे ले सकते हैं। वैसे तो ये पार्क मुख्य शहर से थोड़ी दूरी पर है पर यहां हमेशा टूरिस्ट्स की भीड़ बनी रहती है।

पेरियार लेक 26 स्क्वेयर किलोमीटर इलाके में फैला पेरियार लेक पेरियार टाइगर रिजर्व के बीच से होकर बहता है। 1895 में जब मुल्लापेरियार डैम का निर्माण किया गया था उसी वक्त इस लेक को भी बनाया गया था। आप चाहें तो इस लेक में डेढ़ घंटे की बोट राइड के जरिए भी नैशनल पार्क में घूम सकते हैं और बोट पर से बैठे-बैठे ही जानवरों को देख सकते हैं।

फ्रेंच रेस्तरां में ब्रेकफस्टइस फ्रेंच कैफिटेरिया में आपको सारी फ्रेंच डिशेज मिल जाएंगी। यहां ब्रेकफस्ट करके आप अपने सफर की शुरूआत कर सकते हैं। मुरीक्कडी से रोमैंटिक व्यूबिना एक खूबसूरत व्यू पॉइंट के हिल स्टेशन की कल्पना नहीं की जा सकती है। अगर आप थेक्कडी मेन सिटी से केवल 5 किमी दूर जाएं तो आपको ये सुंदर दृश्य देखने को मिल जाएगा। ग्रीन पार्क आप जैसे ही ग्रीन पार्क स्पाइस प्लैनटेशन में प्रवेश करेंगे मसालों की खूश्बू आने लगेगी। इस ग्रीन पार्क में खूशबूदार मसालों के साथ कई तरह की जड़ी-बूटियों के भी पेड़-पौधे हैं जिनका इस्तेमाल कई तरह की दवाइयां बनाने में किया जाता है।

अगर आप मंदिरों से जुड़े इतिहास में रुचि रखते हैं तो आपको मसरूर रॉक कट टेंपल के बारे में जरूर जानना चाहिए
भारत में एक से बढ़कर एक धार्मिक स्थल मौजूद है जो अपने इतिहास और खासियत की वजह से पहचाने जाते हैं। चलिए आज आपको पहाड़ की चट्टान को काटकर बनाएंगे मंदिर के बारे में बताते हैं। देशभर में एक से बढ़कर एक पर्यटक स्थल और धार्मिक स्थान मौजूद है जहां अक्सर पर्यटक पहुंचते हैं। हिमाचल प्रदेश एक ऐसी जगह है जो अपने बर्फ से ढके हुए पहाड़ों और खूबसूरत नजारों के लिए पहचानी जाती है। हिमाचल प्रदेश में कई प्राचीन मंदिर भी मौजूद है जिनका हिंदू धर्म में काफी ज्यादा महत्व माना गया है। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो मंदिरों से जुड़े इतिहास में रुचि रखते हैं तो आपको मसरूर रॉक कट टेंपल के बारे में जरूर जानना चाहिए। यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है और पहाड़ के एक पत्थर को तराश कर इसे बनाया गया है। जब आप इसे देखेंगे तो सच में पड़ जाएंगे कि बिना किसी टेक्नालॉजी के पुराने समय में आखिरकार किस तरह से मंदिर का निर्माण किया गया था। चलिए जानते हैं कि यहां तक कैसे पहुंचा जा सकता है और इसकी खासियत क्या है। अगर आप इस मंदिर का दीदार करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको टिकट लेनी होगी जिसे आप ऑनलाइन बुक कर सकते हैं या फिर यहां पहुंच कर भी टिकट लिया जा सकता है। इंडियन एडल्ट के लिए यहां ₹20 टिकट लगती है। समुद्र तल से यह 2535 फीट की ऊंचाई पर मौजूद है। इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ था और इसे बनाने में किसी भी मशीन का इस्तेमाल नहीं किया गया।
यह मंदिर बहुत ही दिलचस्प है और काफी खूबसूरत भी है। यहां आपको कई सुंदर नजारे देखने को मिलेंगे। मंदिर के ठीक सामने एक सुंदर झील है जो इस जगह की खूबसूरती को बढ़ाने का काम करती है। थोड़ी ही दूरी पर एक सुंदर व्यू प्वाइंट मौजूद है जहां प्रकृति के अद्भुत नजारे दिखाई देते हैं। यह मंदिर वैसे तो बहुत खूबसूरत है लेकिन लगभग 120 साल पहले यानी की 1905 में एक भयंकर भूकंप आया था जिस वजह से इसकी दीवारें डैमेज हो गई थी। हालांकि भूकंप मंदिर का ज्यादा नुकसान नहीं कर पाया पर आज भी यहां पर भगवान शिव विष्णु की प्राचीन मूर्तियां मौजूद है।

हम जब भी मंदिरों में जाते हैं तो वहां पर दान पत्र होता है जिसमें हर व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार कुछ ना कुछ डालता है। लेकिन इस मंदिर में पैसे चढ़ाने की अनुमति नहीं है। यहां पर आपको राम जी लक्ष्मण जी और सीता जी की मूर्ति देखने को मिलेगी। यह मंदिर क्लोज कल सर्वे आफ इंडिया के अंदर आता है इसलिए यहां पर पैसे चढ़ाने की मना है। यहां पर आपको माता दुर्गा, भगवान विष्णु, ब्रह्मा सूर्य और कई भगवानों की मूर्तियां खूबसूरत नक्काशी के रूप में देखने को मिलेगी। अगर आप मसरूर रॉक टेंपल का दीदार करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको हिमाचल के कांगड़ जिले में जाना होगा। मंदिर तक पहुंचने के लिए हवाई, सड़क और रेल मार्ग का उपयोग किया जा सकता है। दिल्ली से यह 460 किलोमीटर दूर मौजूद है और धर्मशाला से इसकी दूरी 45 किलोमीटर पड़ती है। यहां का निकटतम एयरपोर्ट कांगड़ है जो मंदिर से 45 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। नजदीकी रेलवे स्टेशन नगरोटा सूरियां पड़ता है।
आईए जानते हैं नैनी झील का इतिहास

नैनी झील नैनीताल शहर में स्थित एक सुरम्य और अर्धचंद्राकार मीठे पानी की झील है। नैनी झील नैनीताल शहर के मध्य में स्थित है, जो चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरी हुई है। झील नैनीताल के परिदृश्य की एक प्रमुख विशेषता है और स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु है। झील की विशेषता इसकी अद्वितीय अर्धचंद्राकार या गुर्दे की आकृति है, जो इसकी दृश्य अपील को बढ़ाती है। इसका क्षेत्रफल लगभग 48 एकड़ है और यह पहाड़ियों और इसके उत्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर से घिरा हुआ है। मल्लीताल झील के उत्तरी छोर का नाम है, जबकि तल्लीताल दक्षिणी छोर का नाम है। नैनी झील नैनीताल में एक प्रमुख आकर्षण है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, मनोरंजन के अवसरों और सांस्कृतिक महत्व के साथ आगंतुकों को आकर्षित करती है। शांत पानी और सुंदर परिवेश इसे पहाड़ियों में शांतिपूर्ण विश्राम चाहने वालों के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, नैनी झील को देवी पार्वती की पन्ना आंखों (नैना) में से एक माना जाता है जो भगवान शिव द्वारा किए गए ब्रह्मांडीय नृत्य तांडव के दौरान पृथ्वी पर गिरी थी। यही कारण है कि झील के किनारे नैना देवी मंदिर का भी निर्माण कराया गया है। नैना देवी मंदिर देश के 51 शक्ति पीठों में से एक है। यह मंदिर नैनी झील के उत्तर में स्थित है। मंदिर में पारंपरिक कुमाऊंनी वास्तुकला और डिजाइन है। इसमें लकड़ी की नक्काशी और पगोडा जैसी संरचना के साथ एक विशिष्ट शैली है। मंदिर के गर्भगृह में देवी नैना देवी की मूर्ति है। नैना देवी मंदिर एक प्रतिष्ठित तीर्थ स्थल है, और भक्त देवी नैना देवी का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में आते हैं। देवी को नैनीताल की संरक्षक देवी के रूप में पूजा जाता है। ठंडी सड़क, जिसका अनुवाद "ठंडी सड़क" है, नैनी झील के किनारे पेड़ों से घिरा एक रास्ता है। यह इत्मीनान से टहलने के लिए एक लोकप्रिय स्थान है, जहाँ से झील और आसपास की पहाड़ियों के सुंदर दृश्य दिखाई देते हैं। वहीँ मॉल रोड, दुकानों, कैफे और होटलों से सजी एक हलचल भरी सड़क, नैनी झील के किनारे चलती है। यह एक जीवंत क्षेत्र है जहां आगंतुक खरीदारी, भोजन और झील के दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

नैनी झील विभिन्न त्योहारों और समारोहों का केंद्र बिंदु है। नैनीताल झील महोत्सव एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसमें झील के पारिस्थितिक और सांस्कृतिक महत्व का जश्न मनाते हुए सांस्कृतिक गतिविधियाँ, नाव दौड़ और अन्य उत्सव शामिल हैं। नैनी झील मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती है, विशेषकर सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान। आसपास की पहाड़ियों का प्रतिबिंब और आकाश के बदलते रंग एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला वातावरण बनाते हैं। नैनी झील के आसपास नैनीताल की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई और उसे विकसित किया गया। झील शहर के लेआउट का केंद्र बिंदु बन गई, और इसके किनारों पर चर्च, स्कूल और आवासीय भवनों सहित विभिन्न संरचनाएं स्थापित की गईं।