SanatanDharm

Jul 28 2024, 11:49

देश में वैसे तो देवी हरसिद्धि के कई मंदिर हैं, लेकिन वाराणसी और उज्जैन में स्थित हरसिद्धि मंदिर का विशेष पौराणिक महत्व है


हिंदू धर्म ग्रंथों में देवी हरसिद्धि की आराधना के महत्व के बारे में विस्तार से उल्लेख मिलता है। देश में वैसे तो देवी हरसिद्धि के कई मंदिर हैं, लेकिन वाराणसी और उज्जैन में स्थित हरसिद्धि मंदिर का विशेष पौराणिक महत्व है। उज्जैन स्थित महाकाल क्षेत्र में जो हरसिद्धि मंदिर है, वह काफी प्राचीन है और उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर को ही सम्राट विक्रमादित्य की तपोभूमि माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि देवी हरसिद्धि को प्रसन्न करने के लिए सम्राट विक्रमादित्य ने इस स्थान पर 12 वर्ष तक कठिन तप किया था और हर वर्ष अपने हाथों में अपने मस्तक की बलि दी थी। बलि देने के बाद हर बार उनका मस्तक वापस आ जाता था। 12वीं बार जब मस्तक वापस नहीं आया तो समझा गया कि उनका शासन अब पूर्ण हो चुका है।

उज्जैन की रक्षा करती है देवी हरसिद्धि
एक धार्मिक मान्यता यह भी है कि उज्जैन की रक्षा के लिए आसपास कई देवियां है, उनमें से एक देवी हरसिद्धि भी है। धार्मिक मान्यता है कि इस स्थान पर सती के शरीर से अलग होने के बाद हाथ की कोहनी गिरी थी और इस कारण इस स्थान को शक्तिपीठ के अंतर्गत माना जाता है। पौराणिक ग्रंथों में भी उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर का उल्लेख मिलता है। उज्जैन में दो शक्तिपीठ माने जाते हैं। पहला हरसिद्धि माता और दूसरा गढ़कालिका माता का श क्तिपीठ।

हरसिद्धि मंदिर में है चार प्रवेशद्वार
उज्जैन स्थित देवी हरसिद्धि मंदिर में 4 प्रवेशद्वार हैं। इस मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा की तरफ है। मंदिर के दक्षिण-पूर्व के कोण में एक बावड़ी बनी हुई है, जिसके अंदर एक स्तंभ है। यहां श्री यंत्र बना हुआ स्थान है। हर साल नवरात्रि के दौरान 5 दिन स्तंभ में दीप जलाएं जाते हैं। शक्तिपीठ होने के कारण इस मंदिर का विशेष महत्व है। उज्जैन में हरसिद्धि माता मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और हिंदू राजघरानों की पौराणिक कथाओं से भरा हुआ है। कुछ किंवदंतियों के अनुसार, यह मंदिर एक शक्तिशाली देवी से जुड़े 51 विशेष स्थानों में से एक माना जाता है। यहाँ इतिहास है: सती नाम की एक देवी ने इस पवित्र मंदिर में खुद को बलिदान कर दिया था, और उनके शरीर के अंग मंदिर में अलग-अलग जगहों पर गिरे थे। ऐसा कहा जाता है कि उनकी कोहनी उस जगह पर गिरी थी जहाँ मंदिर का निर्माण किया गया था, जो इसे एक पवित्र मंदिर बनाता है।

पवित्र पुस्तकों और शास्त्रों में उल्लेख है कि यह मंदिर संभवतः देवी पार्वती का घर है। हालाँकि इस मंदिर के निर्माण की सही तारीख अज्ञात है, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि इसे 800 और 1000 ईस्वी के बीच बनाया गया था। इस मंदिर की वास्तुकला को देखने से इसके निर्माण के बारे में कुछ सुराग मिलते हैं।

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Jul 28 2024, 11:32

आईए जानते हैं ऐसी मंदिर जहां मंदिर में ताला लगाकर दुश्मनों को कमजोर करने के लिए मन्नत मांगी जाती है और चाबी मां के सामने रख दी जाती है

मध्य प्रदेश के विदिशा में एक ऐसा अनूठा मंदिर है, जहां दुश्मनों को कमजोर करने के लिए ताला लगा कर मन्नतें मांगी जाती है। इतना ही नहीं है मन्नते भी पूरी होती है। जी हां कहा जाता है कि 30 साल पहले बेरी के पेड़ के नीचे देवी मां की मूर्ति निकली थी। इसके बाद उसे स्थान पर मंदिर बना दिया गया। जब से यहां देवियों की मूर्ति को स्थापित किया गया है, तब से इस मंदिर की मान्यता काफी ज्यादा है। शुरुआत में भक्तों ने अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए यहां ताला लगाया था, तब उनकी मन्नते पूरी हो गई थी। जिसके बाद से आज तक मंदिर में भक्तों देवी का नाम लेकर अपनी मन्नत मांगते हुए ताला लगाते हैं और उनकी मन्नते भी पूरी होती है।

आपको बता दें बेतवा तट पर स्थित ताले वाली माता का मंदिर काफी ज्यादा प्रचलित है। यहां दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। कहा जाता है कि मंदिर में ताला लगाकर दुश्मनों को कमजोर करने के लिए मन्नत मांगी जाती है और चाबी मां के सामने रख दी जाती है।

इस मंदिर को लेकर एक पुजारी द्वारा बताया गया है कि करीब 30 साल पहले यहां माता की मूर्ति पेड़ के नीचे से निकली। जिसके बाद यहां मंदिर स्थपित किया गया। मंदिर बनने के बाद यहां भक्तों का आने का सिलसिला शुरू हुआ। भक्तों ने मंदिर में मन्नत मांग ताला लगाया तो उनकी मन्नत पूरी हो गई। जिसके बाद यहां सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु ताला लगाने आना शुरू हुए। आज भी हर भक्त की मनोकामना इस मंदिर में पूरी होती है। सबसे ज्यादा भक्त भोपाल, सिरोंज, लटेरी, शमशाबाद और सागर से यहां आते हैं।

मंदिर में चंबा मां की मूर्ति स्थापित है। मंदिर में भक्त एक जगह ताला लगा कर उसकी चाबी माता के सामने रख देते हैं। चूंकि अब मंदिर में ताला लगाने की जगह नहीं बची है इसलिए जंजीर पर भक्त ताला बांधते हैं।

कई तालों को नदी में बहा दिया गया है तो कइयों को जमीन में गाड़ दिया गया है। यहां कई तरह की मन्नत भक्तों द्वारा मांगी जाती है। कोर्ट कचहरी जमीन विवाद सुलझाने के लिए भी भक्त माता से मदद मांगते हैं।

नोट: दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। स्ट्रीट बज चैनल इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।

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Jul 28 2024, 08:42

आज का राशिफल:28 जुलाई 2024:जानिये राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा...?

मेष:-सेहत अच्छी रहेगी। रियल एस्टेट सम्बन्धी निवेश अच्छा – ख़ासा मुनाफ़ा दे सकते हैं। किसी रिश्तेदार से मिला उपहार ख़ुशी लेकर आएगा। व्यक्तित्व और रंग-रूप को बेहतर बनाने की कोशिश संतोषजनक साबित होगी। सेहत के लिहाज़ से दौड़ लगाना व योगा आपके लिए फ़ायदेमंद रहेगा। स्वास्थ्य सुधार होगा।

वृष:-बेहतर ज़िन्दगी के लिए अपनी सेहत और व्यक्तित्व में सुधार लाने की कोशिश करें। मन में जल्दी पैसे कमाने की तीव्र इच्छा उत्पन्न होगी। पारिवारिक सदस्यों के साथ सुकून भरे और शांत दिन का लुत्फ़ लें। लोग परेशानियों के साथ आपके पास आएं तो उन्हें नज़रअंदाज़ करें। बहुत सोच विचार करके बोलने की जरूरत हैं।

मिथुन:- ख़ुद को रोज़ाना की अपेक्षा कम ऊर्जावान महसूस करेंगे। स्वयं को ज़रूरत से ज़्यादा काम के नीचे नहीं दबाएं। थोड़ा आराम करें। कामों को कल तक के लिए टाल दें। बिना किसी की मदद के ही धन कमा पाने में सक्षम होंगे। विवादित मुद्दों को उठाने से बचें। पारिवारिक सदस्यों का सहयोग मिलेगा।

कर्क:- सामाजिक मेलजोल का सहारा लें। माता पक्ष से मामा या नाना से धन लाभ होने की पूरी संभावना है। जिन लोगों के साथ आप रहते हैं वे आपसे बहुत ख़ुश नहीं होंगे। भाई-बहनों के साथ घर पर कोई मूवी या मैच देख सकते हैं। बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त होगा। स्वास्थ्य लाभ होगा। आराम करें।

सिंह:- अच्छा पैसा कमाएंगे, लेकिन ख़र्च में इज़ाफ़ा कम होगा। बच्चों को पढ़ाई पर ध्यान लगाने और भविष्य के लिए योजना बनाने की ज़रूरत है। कोई आपका मूड ख़राब कर सकता है, लेकिन समझदारी से सब सही हो जाएगा। व्यर्थ की चिंताएं और परेशानियों से बचें। त्वचा से जु‌ड़ी समस्यायों पर ध्यान दें।

कन्या:- सेहत पूरी तरह दुरुस्त रहेगी। हालांकि धन मुट्ठियों से आसानी से सरक जाएगा, लेकिन अच्छे सितारे तंगी नहीं आने देंगे। हर कोई आपसे दोस्ती करना चाहता है। उनकी ये इच्छा पूरी करने में ख़ुशी महसूस करेंगे। समय की महत्ता को समझे। समय बर्बाद कर चुके होते हैं तो आपको पछतावा होता है।

तुला:-धार्मिक व आध्यात्मिक विचार प्रबल रहेंगे। किसी अज्ञात स्रोत से पैसा प्राप्त हो सकता है, जिससे कई आर्थिक परेशानियां दूर हो जाएंगी। जीवनसाथी का साथ मंगलमय होगा। कार्यक्षेत्र में एकाग्रता को भंग नहीं होने दें। ख़ुद को रोज़ाना की अपेक्षा कम ऊर्जावान महसूस करेंगे। थोड़ा आराम करें। स्वास्थ्य सुधार होगा।

वृश्चिक:-पारिवारिक सहयोग मिलेगा। बड़ों का आशीर्वाद फलित होगा। गर्भवती महिलाओं के लिए अतिरिक्त सावधान रहने का दिन है। धन लाभ होने की संभावना बन रही है। अपने परिवार की भलाई के लिए मेहनत करें। आपके कामों के पीछे प्यार और दूरदृष्टि की भावना फलित होगी। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।

धनु:-दिन बेहतर रहेगा। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। पैसे को संचय करने के लिए घर के लोगों से सलाह ले सकते है। उनकी सलाह आपकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मददगार होगी। उदार और स्नेह से भरे प्यार का तोहफ़ा मिल सकता है। मनोरंजन के लिए समय मिलेगा। स्वास्थ्य लाभ होगा।

मकर:-कठिन मेहनत और परिवार का सहयोग मन के अनुकूलता परिणाम देने में सफल रहेंगे। आर्थिक परेशानियों से बचने के लिए सावधान रहें। सामाजिक दायरा बढ़ने से मन प्रसन्न होगा। मान सम्मान में वृद्धि होगी। मनोनुकूल वातावरण बनेगा। स्वास्थ्य सुधार होगा। नशा से दूर रहें।

कुंभ :-दिन मंगलमय रहेगा। धन लाभ होने की संभावना बन रही है। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। धार्मिक कार्यों में और अधिक रूचि बढ़ेगी। जीवनसाथी से किया सलाह फलित होगा। बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलेगा। मनोरंजन के लिए समय मिलेगा। मानसिक तनाव कम हो जाएगा। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।

मीन:-दिन सहयोगात्मक रहेगा। परिवार के साथ सामाजिक गतिविधियां सभी को ख़ुश रखेंगी। भाई बहनों की मदद से आर्थिक लाभ मिल पाएगा। भाई बहनों की सलाह लें। चिंतन से राहत मिलेगी। जीवनसाथी की सकारात्मक मानसिकता को समझे व सम्मान दें। आराम के लिए समय निकाले। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।

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Jul 28 2024, 08:41

आज का पंचांग, 28 जुलाई 2024:जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

राष्ट्रीय मिति श्रावण 06, शक संवत 1946, श्रावण कृष्ण अष्टमी, रविवार, विक्रम संवत 2081। सौर श्रावण मास प्रविष्टे 13, मुहर्रम 21, हिजरी 1446 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 28 जुलाई सन् 2024 ई। सूर्य दक्षिणायन, उत्तर गोल, वर्षा ऋतु। राहुकाल सायं 04 बजकर 30 मिनट से 06 बजे तक। अष्टमी तिथि सायं 07 बजकर 28 मिनट तक उपरांत नवमी तिथि का आरंभ।

अश्विनी नक्षत्र पूर्वाह्न 11 बजकर 48 मिनट तक उपरांत भरणी नक्षत्र का आरंभ। शूल योग रात्रि 08 बजकर 11 मिनट तक उपरांत गण्ड योग का आरंभ। बालव करण प्रातः 08 बजकर 24 मिनट उपरांत तैतिल करण का आरंभ। चन्द्रमा दिन रात मेष राशि पर संचार करेगा।

सूर्योदय का समय 28 जुलाई 2024 : सुबह 5 बजकर 40 मिनट पर।

सूर्यास्त का समय 28 जुलाई 2024 : शाम में 7 बजकर 14 मिनट पर।

आज का शुभ मुहूर्त 28 जुलाई 2024 :

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 17 मिनट से 4 बजकर 59 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से 3 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्‍यरात्रि रात में 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 7 बजकर 14 मिनट से 7 बजकर 35 मिनट तक। अमृत काल सुबह 9 बजकर 4 मिनट से 10 बजकर 45 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 28 जुलाई 2024 :

राहुकाल शाम में 4 बजकर 30 मिनट से 6 बजे तक। दोपहर में 3 बजकर 30 मिनट से 4 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल। दोपहर में 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक यमगंड। दुर्मुहूर्त काल का समय शाम में 5 बजकर 26 मिनट से 6 बजकर 20 मिनट तक।

आज का उपाय : आज आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें।

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Jul 26 2024, 09:25

आज का राशिफल 26 जुलाई 2024:जानिये राशिफल के अनुसार आप का दिन कैसा रहेगा..?

मेष:-दिन उत्तम फल देने वाला रहेगा। पूर्व निर्धारित योजनाएं पूरी या सफल हो सकती है। कार्य क्षेत्र पर मेहनत के कारण थकान व आर्थिक लाभ के योग है। बिना विचारे कोई भी कार्य नहीं करें। सरकारी कार्यों में भी लाभ होगा। सामाजिक क्षेत्र पर अधिक बोलने से बचें। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। यात्रा शुभदायक रहेगी।

वृष:-मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहेंगे। कार्य क्षेत्र अथवा घरेलू झगड़ों को टालने के लिए छोटी-मोटी बातों को अनदेखा करें। कार्य क्षेत्र पर परिश्रम के अनुसार लाभ मिलेने से संतोष रहेगा। किसी पैतृक संपत्ति के मामलों में उलझने रहेंगी। पुश्तैनी कार्य में खर्च भी हो सकता है। निवेश कर सकते है। किसी से बहस ना करें।

मिथुन:-दिन सभी प्रकार से लाभ देने वाला रहेगा, परन्तु किसी अच्छे मार्गदर्शक की आवश्यकता पड़ेगी। व्यवहार में गर्मी रहने से बीच-बीच में बना बनाया वातावरण अशान्त भी हो सकता है। परिजनों की इच्छा पूर्ति‍ करने से घर में सुख शांति रहेगी। लंबी यात्रा यथासंभव टालें। स्वास्थ्य बिगड़ने की आशंका है।

कर्क:-कहीं से कोई भी आशा दिखने से कार्य बनते जाएंगे। घर का वातावरण शान्त रहने से मानसिक स्थिति सुधरेगी। क्रोध में आकर कोई निर्णय नहीं ले, बाद में पश्चाताप होगा। दोपहर के बाद स्थिति में और सुधार आने लगेगा। परिजनों की ही सहायता अथवा मार्गदर्शन से बिगड़े काम बनेंगे। आर्थिक एवं अन्य समस्या सुलझेंगी।

सिंह:- नए कार्य आरम्भ कर सकते हैं। धार्मिक कार्यक्रम में मन लगेगा। दोपहर के बाद सेहत में उतार चढ़ाव आने से कार्य क्षेत्र पर उदासीनता रहेगी। खर्च लायक धन लाभ होने से स्थिति बराबर रहेगी। कोई भी कार्य करने से पहले परिवार के बुजुर्गों की राय अवश्य लें। पारिवारिक सदस्य के कारण सामाजिक प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी होगी।

कन्या:-स्वास्थ्य उत्तम रहने से मानसिक रूप से किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहेंगे। अपनी पुरानी योजनाओं को सिरे चढ़ायेंगे। परिस्थितियां भी साथ रहने से कार्यो में सफलता सुनिश्चित रहेगी। आलस्य हर काम मे विलम्ब करा सकता है। व्यवहार में थोड़ा रूखापन रहने से बीच-बीच में व्यवधान भी आएंगे।

तुला:-राहत का अनुभव करेंगे। कार्यों को लेकर पहले थोड़ा आशंकित रहेंगे, परन्तु एक बार सफलता मिलने पर यही क्रम दिन भर बना रहेगा। आर्थिक दृष्टिकोण से दिन बेहद खास रहेगा। धन की आमद रुक रुककर होने से मन प्रसन्न रहेगा। उधार के व्यवहार नहीं करें। नौकरी पेशा व्यस्तता के चलते घर में आलोचना का शिकार बनेंगे।

वृश्चिक:- व्यवस्तता अधिक रहने से पारिवारिक जरूरतों पर ध्यान कम दे पाएंगे। बौद्धिक क्षमता बढ़ने से उलझे हुए कार्य को भी सहजता से सुलझा लेंगे। धन सम्बंधित कार्य निर्विघ्न पूर्ण होंगे। विपरीत लिंग से मधुर सम्बंध होंगे। प्रेम प्रसंगों में भावुकता अधिक रहेगी। धन से अधिक संबंधों को प्राथमिकता दें।

धनु:- दिन शुभ फलदायी रहेगा। घर एवं बाहर विवेक से कार्य करें। धार्मिक क्षेत्र में रूचि बढ़ेगी। मान सम्मान मिलेगा। सामाजिक दायरा भी बढ़ेगा। घर के सदस्य अथवा स्वयं पर खर्च करना पड़ेगा। छाती में संक्रमण अथवा गले सम्बंधित परेशानी रहेगी। सन्तानों से मधुर सम्बन्ध रहेंगे। मनोरंजन के लिए समय निकाल पाएंगे।

मकर:- किसी विशेष व्यक्ति द्वारा सम्मान की स्थिति बनाने से गर्व महसूस करेंगे। प्रलोभन में आकर बिना विचारे कोई भी कार्य नहीं करें। छोटी सी भूल लाभ को हानि में बदल सकती है। धन लाभ के लिए विभिन्न युक्तियां लगाएंगे। संध्या के समय स्वजनों के सहयोग से भ्रम से बाहर निकलेंगे। आकस्मिक लाभ संभव है।

कुंभ:- लेट-लतीफी के कारण महत्‍वपूर्ण कार्य बिगड़ने की भी आशंका है। कार्य क्षेत्र पर अधूरे कार्यों को लेकर परेशानी में पड़ सकते है। फिर भी, धन लाभ के योग हैं। राजसी खर्च बने रहने से बचत कम कर पाएंगे। मध्याह्न के बाद अधिकांश कार्य परिश्रम से सुधरने लगेंगे। रिश्तेदारी के व्यवहार से लाभ होने की सम्भावना है।

मीन:- दिन मौज-शौक के प्रति अधिक आकर्षण रहेगा, जिसके कारण कार्यो के प्रति लापरवाही दिखाएंगे। रोजगार के योग है। फिजूल खर्च बढ़ेंगे। यात्रा-पर्यटन की योजना बनेगी। कार्य क्षेत्र पर अनुकूल वातावरण मिलने के बाद भी आर्थिक दृष्टिकोण से अन्य पर निर्भर रहेंगे। किसी गलती के कारण हानि होने से बचें।

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Jul 26 2024, 09:24

पंचांग, 26 जुलाई 2024: आज सावन कृष्ण षष्ठी तिथि, जानें आज का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय

 आज सावन मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है। साथ ही आज उत्तराभाद्रपद नक्षत्र अपराह्न 02 बजकर 30 मिनट तक उपरांत रेवती नक्षत्र का आरंभ होगा। आइए जानते हैं आज शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय।

राष्ट्रीय मिति श्रावण 04, 

शक संवत 1946, श्रावण कृष्ण षष्ठी,

 शुक्रवार, विक्रम संवत् 2081। 

सौर श्रावण मास प्रविष्टे 11, मुहर्रम 19, हिजरी 1446 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 26 जुलाई सन् 2024 ई। 

सूर्य दक्षिणायन, उत्तर गोल, वर्षा ऋतु। राहुकाल पूर्वाह्न 10 बजकर 30 मिनट तक। षष्ठी तिथि रात्रि 11 बजकर 31 मिनट तक उपरांत सप्तमी तिथि का आरंभ।

उत्तराभाद्रपद नक्षत्र अपराह्न 02 बजकर 30 मिनट तक उपरांत रेवती नक्षत्र का आरंभ। 

सुकर्मा योग अर्धरात्रोत्तर 01 बजकर 32 मिनट तक उपरांत धृतिमान योग का आरंभ।

 गर करण मध्याह्न 12 बजकर 45 मिनट तक उपरांत विष्टि करण का आरंभ। 

चन्द्रमा दिन रात मीन राशि पर संचार करेगा।

सूर्योदय का समय

 26 जुलाई 2024 : सुबह 5 बजकर 39 मिनट पर।

सूर्यास्त का समय

 26 जुलाई 2024 : शाम में 7 बजकर 15 मिनट पर।

आज का शुभ मुहूर्त 26 जुलाई 2024 :

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 16 मिनट से 4 बजकर 58 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से 3 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्‍यरात्रि रात में 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 7 बजकर 16 मिनट से 7 बजकर 37 मिनट तक। अमृत काल सुबह 7 बजकर 21 मिनट से 9 बजकर 3 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 26 जुलाई 2024 :

राहुकाल सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक। सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक गुलिक काल। दोपहर में 3 बजकर 30 मिनट से 4 बजकर 30 मिनट तक यमगंड। दुर्मुहूर्त काल का समय सुबह 8 बजकर 23 मिनट से 9 बजकर 17 मिनट तक। भद्राकाल का समय रात में 11 बजकर 30 मिनट से अगले दिन यानी 27 अगस्त को सुबह 5 बजकर 40 मिनट तक।

आज का उपाय : शहद और दूध मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें।

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Jul 26 2024, 09:20

काशी को साथ बहा ले जाना चाहती थी गंगा,इस जगह शिव ने त्रिशूल से रोका था, अद्भुत है मान्यता

काशी के दक्षिण में बसे शूलटंकेश्वर महादेव के घाट से टकराकर गंगा काशी में उत्तरवाहिनी होकर प्रवेश करती हैं। भगवान शिव ने इसी स्थान पर अपने त्रिशूल से मां गंगा के वेग को रोक दिया था।

मान्यता है कि शूलटंकेश्वर महादेव के दर्शन करने वाले भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर शूलटंकेश्वर महादेव का मंदिर विराजमान है।

माधोपुर गांव में शूलटंकेश्वर महादेव का शिवलिंग स्थापित है। मंदिर में महादेव के अलावा हनुमान जी, मां पार्वती, भगवान गणेश, कार्तिकेय के साथ नंदी विराजमान हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने मां गंगा के वेग को शांत करने के लिए अपना त्रिशूल फेंका था। इस वजह से काशी में गंगा उत्तरवाहिनी हुईं। 

मंदिर के पुजारी राजेंद्र गिरी ने बताया कि पुराणों के प्रसंग के अनुसार गंगा अवतरण के बाद गंगा काशी में अपने रौद्र रूप में प्रवेश करने लगीं। वह काशी को अपने साथ बहा ले जाना चाहती थीं।

नारद ऋषि के अनुरोध पर भगवान शिव ने काशी के दक्षिण में ही त्रिशूल फेंककर गंगा के वेग को रोक दिया। भगवान शिव के त्रिशूल से मां गंगा को पीड़ा होने लगी। उन्होंने भगवान से क्षमा याचना की। भगवान शिव ने गंगा से यह वचन लिया कि वह काशी को स्पर्श करते हुए प्रवाहित होंगी। साथ ही काशी में गंगा स्नान करने वाले किसी भी भक्त को कोई जलीय जीव हानि नहीं पहुंचाएगा। गंगा ने जब दोनों वचन स्वीकार कर लिए तब शिव ने अपना त्रिशूल वापस लिया।

मान्यता है माधेश्वर ऋषि ने किया था घोर तप

पुजारी राजेंद्र गिरी ने बताया कि मान्यता यह भी है कि माधोपुर में माधेश्वर ऋषि ने घोर तप किया था। उनसे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। उन्होंने कहा कि आप यहीं विराजमान हो जाएं तो स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुए और वह माधेश्वर महादेव कहलाए। गंगा अवतरण के समय भगवान शिव ने अपना त्रिशूल फेंका, तबसे वह शूलटंकेश्वर महादेव कहलाने लगे।

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Jul 26 2024, 09:17

कश्मीर की बर्फीली पहाड़ियों में स्थित अमरनाथ मंदिर, है प्रमुख आस्था का केंद्र, सावन मे अमरनाथ का दर्शन बहुत फलदायी होता है

अमरनाथ गुफा भगवान शिव का एक पवित्र तीर्थ स्थल है, जो कश्मीर की बर्फीली पहाड़ियों में स्थित है। इस गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग बनता है, जिसे ‘अमरनाथ का शिवलिंग’ कहा जाता है।

सावन के महीने में यहां का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस समय वार्षिक यात्रा होती है, जिसे अमरनाथ यात्रा कहा जाता है। 

इस यात्रा में लाखों भक्त कठिन पहाड़ी रास्तों को पार करते हुए भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं। यह यात्रा भक्ति, श्रद्धा और साहस का प्रतीक है, जिसमें भक्त भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

इन मंदिरों की विशेषता और धार्मिक महत्व सावन के दौरान और भी बढ़ जाता है। इन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जो भक्तों को एक अद्वितीय और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं। 'न्यूज़ फास्ट' आपको सावन मास की पहली सोमवारी को शुभकामनाएं देता है। बता दें कि इन मंदिरों की यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्राकृतिक सुंदरता का भी आनंद लेने का एक सुनहरा अवसर होता है। तो इस सावन में इन मंदिरों की यात्रा अवश्य करें.

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Jul 25 2024, 08:41

प्रथा : सावन में पांच दिनों तक कपड़े नहीं पहनतीं इस गांव की महिलाएं,वजह जानकार रह जाएंगे आप दंग

 

सावन का महीना शुरू हो गया है. ऐसे में हिंदू धर्म को मानने वाले लोग इस पवित्र महीने में अपनी परंपराओं के अनुसार कई ऐसी चीजें करते हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे. चलिए आज आपको भारत के एक ऐसे ही गांव की कहानी बताते हैं, जहां सावन के महीने में 5 दिनों तक महिलाएं कपड़े नहीं पहनती हैं.इसके साथ ही आपको ये भी बताएंगे कि आखिर वहां की महिलाएं ऐसा क्यों करती हैं और क्या पुरुषों के लिए भी इस गांव में कोई नियम लागू होते हैं.

कहां है ये गांव


हम जिस भारतीय गांव की बात कर रहे हैं वो हिमाचल प्रदेश के मणिकर्ण घाटी में स्थित है. इस गांव का नाम पिणी गांव है. यहां सदियों से ये परंपरा चली आ रही है. सावन के महीने में खास 5 दिनों तक यहां की महिलाएं कपड़े नहीं पहनतीं. यही वजह है कि इन पांच दिनों में बाहरी लोगों का गांव में प्रवेश पूरी तरह से बैन रहता है.

महिलाएं ऐसा क्यों करती हैं


हिमाचल प्रदेश के इस गांव का इतिहास सदियों पुराना है. इसलिए यहां कई ऐसी परंपराएं हैं जो कहीं और देखने को नहीं मिलतीं. सावन में पांच दिनों तक कपड़े ना पहनने की परंपरा भी सदियों पुरानी है. चलिए अब जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है.

दरअसल, एक समय में इस गांव में राक्षसों का इतना आतंक था कि गांव वालों का जीना मुश्किल हो गया था. जब राक्षसों का आतंक बहुत बढ़ा तो इस गांव में लाहुआ घोंड नाम के एक देवता आए और उन्होंने राक्षस का वध कर के गांव वालों को बचा लिया. बताया जाता था कि राक्षस जब गांव में आते थे तो वह सजी-धजी महिलाओं को उठा ले जाते थे. यही वजह है कि आज भी सावन के इन पांच दिनों में महिलाएं कपड़े नहीं पहनतीं.

तो फिर क्या पहनती हैं महिलाएं?

पिणी गांव में आज हर महिला इस परंपरा को नहीं निभाती. लेकिन जो महिलाएं अपनी इच्छ से ये परंपरा निभाती हैं वो इन पांच दिनों में ऊन से बना एक पटका पहनती हैं. परंपरा निभाने वाली महिलाएं इन पांच दिनों में घर से बाहर नहीं निकलीं. इस परंपरा को खासतौर से गांव की शादीशुदा महिलाएं ही निभाती हैं.

क्या पुरुषों के लिए भी कोई नियम है?


ऐसा नहीं है कि इस गांव में सिर्फ महिलाओं के लिए ही नियम है. पुरुषों के लिए नियम है कि वह सावन के महीने में शराब और मांस का सेवन नहीं करेंगे. इन खास पांच दिनों में तो इस परंपरा का पालन करना सबसे ज्यादा जरूरी है. वहीं इस परंपरा के अनुसार, इन पांच दिनों में पति पत्नी एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा भी नहीं सकते. अगर आप घूमने के शौकीन हैं तो आप इस गांव में जा सकते हैं. हालांकि, सावन के इन पांच दिनों में आपको इस गांव में प्रवेश नहीं मिलेगा. गांव वाले लोग इन पांच दिनों को बेहद पवित्र मानते हैं और इसे त्योहार की तरह मनाते हैं. ऐसे में वह किसी बाहरी व्यक्ति को इन पांच दिनों में अपने गांव में प्रवेश नहीं देते.

SanatanDharm

Jul 25 2024, 08:33

जंगल के बीच मौजूद इस प्राचीन मंदिर में साक्षात निवास करते हैं भगवान शिव

रांची: झारखंड के प्रसिद्ध टांगीनाथ धाम में मौजूद हैं अनेकों शिवलिंग. यह श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है. यहां सावन महीने में खास श्रावणी मेले का आयोजन किया जाता है. 

झारखंड के गुमला जिले में स्थित है टांगीनाथ धाम. यह पवित्र धाम अपने समृद्ध इतिहास और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. यहां भगवान शिव और फरसे की पूजा होती है. गुमला जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर मौजूद यह प्राचीन शिवालय टांगीनाथ पहाड़ पर स्थित है. लगभग 300 फीट ऊंचे पहाड़ पर मौजूद टांगीनाथ में भगवान परशुराम के फरसे की पूजा की जाती है. 

वैसे तो पूरे साल टांगीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. मगर सावन के मौके पर बड़ी संख्या में भक्त भगवान भोलेनाथ के दर्शन-पूजन करने टांगीनाथ धाम पहुंचते हैं. टांगीनाथ पहाड़ पर अनेकों शिवलिंग के साथ कई देवी देवताओं की मूर्तियां भी मौजूद हैं. श्रावण मास में टांगीनाथ धाम में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इस दौरान टांगीनाथ पहाड़ पर श्रावणी मेले का भी आयोजन किया जाता है जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं.

यहां होता है श्रावणी मेले का आयोजन

हर साल सावन महीने में टांगीनाथ पहाड़ पर श्रावणी मेले का आयोजन किया जाता है. इस दौरान प्रशासन मंदिर में उमड़ने वाली भक्तों की भीड़ और मेले की तैयारियों का जायजा लेती है. इस साल 22 जुलाई से शुरू हुए सावन माह के साथ श्रावणी मेले का भी आगाज हो गया. सावन के पहले सोमवार पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने टांगीनाथ धाम में भगवान शिव के दर्शन किए. इस दौरान विधि व्यवस्था सुदृढ़ रही. घने जंगल के बीच स्थित टांगीनाथ धाम में हजारों शिव भक्त बाबा के दर्शन करने आते हैं. सावन के दौरान इस जगह का महत्व बढ़ जाता है दूर-दूर से लोग भगवान शिव की आराधना करने टांगीनाथ धाम आते हैं.

इसका भगवान परशुराम से है खास नाता

टांगीनाथ धाम को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं सुनने को मिलती है. इसमें सबसे प्रचलित मान्यता के अनुसार प्राचीन युग में भगवान परशुराम ने टांगीनाथ पहाड़ पर भगवान शिव की आराधना की थी. जिस जगह परशुराम तपस्या कर रहे थे, वहीं बगल में उन्होंने अपना परशु यानी फरसा गाढ़ दिया था. फरसा को टांगी भी कहा जाता है. यही कारण है इस जगह का नाम टांगीनाथ धाम पड़ा. टांगीनाथ पहाड़ पर गड़ा भगवान परशुराम का फरसा काफी रहस्यमय है. इस फरसे की आकृति त्रिशूल से मिलती है, इस कारण भक्त पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस फरसे की पूजा करते हैं. सालों से खुले आसमान के नीचे गड़े इस फरसे पर कभी जंग नहीं लगती है. टांगीनाथ धाम भगवान शिव को समर्पित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है.