'शंकराचार्य तो छोड़िए, संत भी नहीं हैं अविमुक्तेश्वरानंद..' कोर्ट के आदेश दिखाकर ज्योतिर्मठ ट्रस्ट के स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने किए बड़े खुलासे

आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक ज्योतिर्मठ ट्रस्ट के स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने रविवार (21 जुलाई) को स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद को लेकर हैरान कर देने वाले खुलासे किए हैं। स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती ने अविमुक्तेश्वरानंद जी खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें ‘फर्जी बाबा’ करार दिया। दावा किया है कि उन्हें कांग्रेस पार्टी का समर्थन प्राप्त है। गोविंदानंद ने कहा कि, "अविमुक्तेश्वरानंद नाम का एक फर्जी बाबा, प्रधानमंत्री उनके पैर छू रहे हैं, अंबानी जैसे उद्योगपति अपने घर पर उनका स्वागत कर रहे हैं, अविमुक्तेश्वरानंद फर्जी नंबर 1 है। शंकराचार्य तो छोड़िए, उनके नाम में 'साधु', 'संत' या 'सन्यासी' जोड़ना भी गलत है।"


स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने एक प्रेस वार्ता में दस्तावेज़ दिखाते हुए कहा कि, "यह वाराणसी कोर्ट का आदेश है। अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था और उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। लंबे समय तक, वह वाराणसी नहीं आए और मध्य प्रदेश में छिपे रहे, जिस पर हमने उन्हें डांटा, जिसके बाद उन्होंने हमारे खिलाफ कानूनी मामले दर्ज किए। हम यह पूरी बातें सुप्रीम कोर्ट को बताना चाहते हैं, लेकिन अदालत हर बार अगली तारीख देती रहती हैं। हमें न्याय चाहिए।"

दरअसल, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में पहचाने जाने वाले अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हाल ही में दावा किया था कि केदारनाथ से 228 किलो सोना चोरी हो गया है। स्वामी गोविंदानंद ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि, “अविमुक्तेश्वरानंद लोगों की हत्या और अपहरण कर रहे हैं, भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठा रहे हैं, वे संन्यासी होने का दिखावा करके शादियों में जा रहे हैं। वे कह रहे हैं कि केदारनाथ में 228 किलो सोना गायब है, क्या उन्हें सोने और पीतल में अंतर भी पता है, शायद नहीं, क्योंकि वे खुद एक डुप्लिकेट हैं। अगर हम उनकी कहानियाँ सुनाते रहेंगे, तो इससे समस्या पैदा हो सकती है, लेकिन हम शायद ऐसा करेंगे और वे हमसे कुछ नहीं छीन पाएंगे, क्योंकि हम संत हैं जो 'धर्म' के लिए लड़ते हैं।” उल्लेखनीय है कि, केदारनाथ मंदिर समिति ने भी अविमुक्तेश्वरानंद के इस आरोप पर कहा था कि, अगर उन्हें लगता है कि, सोना चोरी हुआ है, तो हम उन्हें चुनौती देते हैं कि सुप्रीम कोर्ट जाइए, हम वहीं उन्हें जवाब देंगे।    


गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने कांग्रेस पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए कहा कि, "जब हमारे गुरुजी ब्रह्मलीन हो गए, तो इन लोगों ने कांग्रेस से पत्र मांगा। कांग्रेस ने पत्र जारी किया और अविमुक्तेश्वरानंद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। प्रियंका गांधी वाड्रा ने 13 सितंबर 2022 को उन्हें श्रद्धेय शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी के नाम से संबोधित करते हुए पत्र लिखा। जब सुप्रीम कोर्ट ने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य ना मानते हुए स्टे जारी कर दिया था, तब प्रियंका गांधी वाड्रा ने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य बताते हुए पत्र कैसे लिखा? क्या कांग्रेस तय करेगी कि शंकराचार्य कौन हैं?"

उन्होंने एक पत्र दिखाते हुए कहा कि, "वह प्रधानमंत्री के खिलाफ खड़े हैं और उनका समर्थन कौन कर रहा है? प्रियंका गांधी वाड्रा। जब राहुल गांधी हिंदू हिंसक जैसी हिन्दू विरोधी टिप्पणी करते हैं, तो अविमुक्तेश्वरानंद उनका समर्थन करते हैं। क्यों? इसका कारण यह पत्र है। कांग्रेस एक खेल खेल रही है और अविमुक्तेश्वरानंद मात्र एक खिलौना हैं। मैं प्रियंका गांधी वाड्रा से पूछना चाहता हूं कि या तो उन्हें यह पत्र लिखने के लिए सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगनी चाहिए या फिर हम उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मामला दर्ज करेंगे।"

इसके साथ ही स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने यह भी आरोप लगाया कि अविमुक्तेश्वरानंद का आपराधिक इतिहास काफी पुराना है। उन्होंने कहा कि, 'जब वाराणसी कोर्ट ने अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था, तो उन्होंने जमानत लेने के लिए वकीलों के साथ बैठक की। 51 सदस्यों के समूह में से सभी लोगों को जमानत मिल गई, सिवाय अविमुक्तेश्वरानंद के। वह बिना संन्यासी वेश के चुपके से अदालत गए, शायद मीडिया से बचने के लिए। उन्होंने जज के सामने सरेंडर किया, वह भी चालाकी से और झूठ बोलते हुए।   अविमुक्तेश्वरानंद ने अदालत से कहा कि मैं शंकराचार्य हूं और पूरे देश के भक्त दुखी हैं, रो रहे हैं, हमें उन्हें धार्मिक मार्गदर्शन देना है और मेरी गिरफ्तारी से 'धर्म' को हानि हो सकती है। उन्होंने गलत तथ्य पेश करके कोर्ट से झूठ बोला। क्या वह जेम्स बॉन्ड हैं या कोई अवतारपुरुष? जमानत के लिए वह कोर्ट गए।' बता दें कि, अविमुक्तेश्वरानंद पर फर्जी तरीके से खुद को शंकराचार्य घोषित करने के आरोप लगे हैं। सितम्बर 2022 में अविमुक्तेश्वरानंद के गुरू स्वरूपानंद सरस्वती का हार्ट अटैक से निधन हो गया था, जिसके बाद अविमुक्तेश्वरानंद ने खुद को गुरु का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और शंकराचार्य बनने की तैयारी करने लगे। लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अदालत ने उनके अभिषेक पर रोक लगा दी।


स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने न्यायालय के आदेश की प्रति दिखाते कहा कि, "न्यायालय के आदेश में लिखा है कि उन्होंने न्यायालय को 50,000 रुपए का जुर्माना देकर अग्रिम जमानत प्राप्त की है। एक अन्य न्यायालय का आदेश है, जिसके अनुसार उन्हें जमानत के लिए 20,000 रुपए देने थे। उनका आपराधिक इतिहास काफी पुराना है।" इससे पहले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे के निजी आवास मातोश्री का दौरा किया था और  उद्धव को विश्वासघात से पीड़ित बताया था। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था कि, उद्धव के साथ विश्वासघात हुआ है और जब तक वे वापस मुख्यमंत्री नहीं बन जाते, तब तक लोगों का दर्द कम नहीं होगा। वहीं, अविमुक्तेश्वरानंद ने राहुल गांधी के हिन्दू हिंसक वाले बयान पर कहा था कि, कांग्रेस नेता ने हिन्दू धर्म के खिलाफ कुछ नहीं कहा है। इसके अलावा पूरे लाव लश्कर के साथ अंबानी की शादी में जाने वाले अविमुक्तेश्वरानंद ने अयोध्या राम मंदिर का निमंत्रण ठुकरा दिया था, जिसके बाद से उन पर सवाल उठने लगे थे।
कांवड़ यात्रा मार्ग पर नेम प्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, यूपी-उत्तराखंड सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक
#supreme_court_interim_stay_on_yogi_adityanath_govt_name_plate_order
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा रूट पर नेमप्लेट लगाने के आदेश को लेकर पूरे देश में बहस जारी है। इस बीच इस मामले में मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी किया है और शुक्रवार तक जवाब देने के लिए कहा है। साथ ही कोर्ट ने नेमप्लेट लिखने के निर्देश पर रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के कांवड़ यात्रा से जुड़े एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। यूपी सरकार के आदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को मालिकों के नाम लिखने को कहा गया है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार के निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपना नाम बताने की जरूरत नहीं है। वे सिर्फ यह बताएं कि उनके पास कौन-से और किस प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं। कांवड़ियों को वेज खाना मिले और साफ सफाई रहे। खाना शाकाहारी है या मांसाहारी ये बताना जरूरी है। मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही यूपी, उत्तराखंड और एमपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए शुक्रवार तक जवाब देने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक पुलिस के निर्देशों पर रोक लगा दी। इसके साथ ही कहा कि इस मामले में अगली सुनवाई तक किसी को जबरन नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।

जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने अपने दलीलों कहा कि यह एक चिंताजनक स्थिति है। पुलिस अधिकारी विभाजन पैदा कर रहे हैं। अल्पसंख्यकों की पहचान कर उनका आर्थिक बहिष्कार किया जा रहा है। याचिकाकर्ता के वकील सी यू सिंह ने दलील दी कि शासन का आदेश समाज को बांटने जैसा है। यह एक तरह से अल्पसंख्यक दुकानदारों को पहचानकर उनके आर्थिक बहिष्कार जैसा है।इनमें यूपी और उत्तराखंड ऐसा कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- यह एक प्रेस वक्तव्य था या एक आदेश? याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पहले एक प्रेस बयान आया था। फिर सार्वजनिक आक्रोश हुआ। राज्य सरकार कहती है “स्वेच्छा से”, लेकिन वे इसे सख्ती से लागू कर रहे हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं किया गया। इसका कोई वैधानिक समर्थन नहीं है। कोई भी कानून पुलिस कमिश्नर को ऐसा करने का अधिकार नहीं देता।
सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण किया पेश, देश की जीडीपी 6.5-7% रहने का अनुमान*
#economic_survey_budget_2024
आज से संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हुई है। इस दौरान विपक्ष, सरकार को घेरने की पूरी कोशिश कर रहा है। सदन में पेपर लीक के मामले ने तूल पकड़ा हुआ है। इन सबके बीच लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्ती य वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वे सोमवार को सदन में पेश किया। इस आर्थिक सर्वे में सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान देश की वास्तविक जीडीपी या वृद्धि दर 6.5-7% रहने का अनुमान जताया है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर और निजी निवेश में निरंतर गति से पूंजी निर्माण वृद्धि को बढ़ावा मिला है। सकल स्थायी पूंजी निर्माण में 2023-24 में वास्तविक रूप से 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार देश का राजकोषीय घाटा (जीडीपी के प्रतिशत के रूप में) पिछले वर्ष की तुलना में 2023 में 1.6 प्रतिशत अंक बढ़ा। आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने कहा है कि सेवा क्षेत्र एक प्रमुख रोजगार प्रदाता बना हुआ है वहीं निर्माण क्षेत्र भी हाल ही में प्रमुखता से बढ़ रहा है, जो बुनियादी ढांचे के लिए सरकार की ओर की गई पहल नतीजा है। सर्वे के अनुसार खराब ऋणों की विरासत के कारण पिछले एक दशक में विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन कम हुआ पर 2021-22 की तुलना में इसमें सुधार हुआ है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को बहुप्रतीक्षित केंद्रीय बजट 2024-25 के अनावरण से ठीक पहले सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। बता दें कि आम चुनाव 2024 से पहले इसी साल 1 फरवरी को पेश किया गया आम बजट अंतरिम बजट था, इसलिए उस वक्त आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत नहीं किया गया था। इसले इसे भी पेश किया गया है।मंगलवार को पेश किए जाने वाले केंद्रीय पूर्ण बजट 2024 से पहले सोमवार को ही आर्थिक सर्वेक्षण को दोपहर 2 बजे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। *क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण?* हर साल केंद्र सरकार आर्थिक सर्वेक्षण पेश करती है, जिसे वित्त मंत्रालय के तहत आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा तैयार किया जाता है। इसे देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है। सर्वे के तैयार हो जाने के बाद वित्त सचिव इसकी जांच करते हैं, तथा उसके बाद वित्तमंत्री से अंतिम स्वीकृति ली जाती है। केंद्र सरकार द्वारा बजट से पहले पेश किया जाने वाला आर्थिक सर्वेक्षण अहम दस्तावेज होता है। आर्थिक सर्वे को पिछले वित्तीय वर्ष हुई आमदनी और खर्चे की समीक्षा के आधार पर तैयार किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण के जरिए सरकार देश की अर्थव्यवस्था वित्तीय स्थिति की बारे में जानकारी देती है। आर्थिक सर्वे से हमें पता चलता है कि किसी खास वित्तीय वर्ष के दौरान देश में विकास का रुख कैसा रहा। किस क्षेत्र से कमाई हुई और सरकार की योजनाएं किस तरह लागू की गईं
संसद के मानसून सत्र का हंगामेदार आगाज, नीट पेपर लीक मामले पर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने

#rahul_gandhi_says_indian_exam_system_a_fraud_in_parliament

संसद का मानसून सत्र आज यानी सोमवार से शुरू हो रहा है। लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही नीट यूजी परीक्षा के कथित पेपरलीक के मुद्दे पर हंगामा शुरू हो गया है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान नीट मुद्दे पर बयान दे रहे थे, जिस पर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया।लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने नीट पेपर लीक को लेकर सरकार पर निशाना साधा। विपक्ष का आरोप है कि नीट विवाद की वजह से कई छात्रों की मौत हुई। 

पेपर लीक के मुद्दे पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पिछले 7 साल में एक भी पेपर लीक का सबूत नहीं हैं। हां कुछ जगहों पर गड़बड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में कुछ नहीं छिपा रही।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने नीट मुद्दे पर अपनी बात रखी और कहा कि नीट विवाद से लाखों छात्र प्रभावित हैं। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि परीक्षा व्यवस्था में बड़ी खामियां हैं और पैसे के बल पर सौदा संभव है। राहुल गांधी ने कहा, ये देश के लिए जानना जरूरी है कि हमारी परीक्षा सिस्टम में दिक्कत है नीट ही नहीं सबक जगह ये समस्या है। मुझे नहीं लगता कि शिक्षा मंत्री कुछ समझ पा रहे हैं। अभी जो रहा है उससे देश चिंतित है, भारतीय परीक्षा सिस्टम फ्रॉड है। लाखों लोगों का मानना है कि अगर आप अमीर हैं और आपके पास पैसा है तो आप इंडियन एग्जामिनेशन सिस्टम को खरीद सकते हैं। आप क्या कर रहे हैं, सिस्टेमिक लेवल पर क्या कर रहे हैं।

राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राहुल गांधी का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। पूरी परीक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाना गलत है। मुझे जनता ने चुनकर सदन में भेजा है और मुझे किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।देश के प्रजातंत्र में मेरे नेता मोदी को पीएम की भूमिका दी है, उनके निर्णय से यहां सदन से उत्तर दे रहा हूं। चिल्लाने से सच झूठ नहीं हो सकता है, देश का पूरा परीक्षा सिस्टम खराब है,रबीश है... इससे दुर्भाग्यजनक बयान देश के नेता प्रतिपक्ष का कुछ नहीं हो सकता है, मैं इसकी निंदा करता हूं। जिन्होंने रिमोट से सरकारें चलाई हैं, शिक्षा सुधार के लिए कपिल सिब्बल ने तीन बिल लाए थे।'

*संसद सत्र से पहले विपक्ष पर बरसे पीएम मोदी, कहा-जितनी लड़ाई लड़नी थी, लड़ ली; अब सिर्फ देश के लिए काम करें

#modi_speech_sansad_budget_session

संसद का बजट सत्र आज (22 जुलाई) से शुरू हो रहा है। संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज सावन का पहला सोमवार है। इस पावन दिन पर एक महत्वपूर्ण सत्र की शुरुआत हो चुकी है। इस सत्र पर देश की नजर रहेगी। तीसरी पारी का पहला बजट रखने का सौभाग्य प्राप्त हो, ये भारत के लोकतंत्र की गौरवयात्रा की अत्यंत गरिमापूर्ण यात्रा के रूप में देश इसे देख रहा है।देश बहुत बरीकी से देख रहा है कि संसद का ये सत्र सकारात्मक हो, सृजनात्मक हो और देशवासियों के सपनों को सिद्ध करने के लिए एक मजबूत नीव रखने वाला हो।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये बजट सत्र है, मैं देशवासियों को जो गारंटी देता रहा हूं उन गारंटियों को जमीन पर उतारना इस लक्ष्य को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। ये अमृतकाल का मह्तवपूर्ण बजट है। ये अगले 5 साल का दिशा भी तय करेगा और 2047 के सपने को पूरा करने के लिए मजबूत नींव लेकर हम कल देश के सामने आएंगे।

सभी सांसदों से की खास अपील

मैं देश के सभी सांसदों से आग्रह पूर्वक करना चाहता हूं कि हम गत जनवरी से लेकर हमारे पास जितना सामर्थ्य था जिनती लड़ाई लड़नी थी लड़ ली, जनता को सबकुछ बताया। किसी ने राह दिखाने का प्रयास किया, किसी ने गुमराह करने का प्रयास किया, वो दौर अब समाप्त हो गया, देशवासियों ने अपना निर्णय दे दिया, अब चुने हुए सभी सांसदों का कर्तव्य है, सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है कि हमने दल के लिए जितनी लड़ाई लड़नी थी लड़ ली अब आने वाले 5 साल के लिए हमें देश के लिए लड़ना है, देश के लिए जीना है। एक और नेक बनकर जूझना है। मैं सभी राजनीतिक दलों से भी कहूंगा कि आइए हम आने वाले चार साढ़े 4 साल दल से ऊपर उठकर सिर्फ देश को समर्पित होकर संसद के इस गरिमापूर्ण मंच का हम उपयोग करें। जनवरी 2029 जब चुनाव का वर्ष होगा आप इसके बाद जाइए मैदान में सदन का उपयोग करना है कर लीजिए 6 महीने जो खेल खेलना है खेल लीजिए लेकिन तबतक देश और देश के गरीब और किसान, युवा, महिलाएं उनके सामर्थ्य के लिए ताकत देने के लिए जनभागीदारी का एक जन आंदोलन खड़ा करना होगा

हमें यहां देश के लिए हैं, दल के लिए नहीं-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि देशवासियों ने हमें यहां देश के लिए भेजा है, दल के लिए नहीं भेजा है। ये सदन दल के लिए नहीं, देश के लिए है। मुझे विश्वास है कि हमारे सभी सांसद पूरी तैयारी के साथ चर्चा को समृद्ध करें, कितने ही विरुद्ध विचार होंगे। देश को नकारात्मकता की जरूरत नहीं है बल्कि देश को प्रगति की विचारधारा से आगे बढ़ाना है। हम लोकतंत्र के इस मंदिर से भारत की सामान्य मानविकी की आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करेंगे।

सभी को विचारों को प्रकट करने का मौका मिले-पीएम मोदी

आज दुख के साथ कहना चाहता हूं कि 2014 के बाद कुछ सांसद एक साल के लिए आए कुछ को दो मौका मिला बहुत सारे सांसद ऐसे थे जिसे अपनी बात कहने का मौका नहीं मिला, दलों की नकारात्मक राजनीतिक ने एक एक सांसद के महत्वपूर्ण समय को राजनीतिक विफलताओं को ढंकने के लिए किया। मैं सभी दलों से आग्रह करता हूं कि जो कम से कम पहली बार सदन में आए हैं सभी दल में ऐसे सांसद हैं उनको अवसर दीजिए चर्चा में उनके विचारों को प्रकट करने का मौका दीजिए, ज्यादा से ज्यादा लोगों को आने का मौका दीजिए।

बाइडन के राष्ट्रपति पद की रेस से हटने पर ओबामा ने की तारीफ, जानें कमला हैरिस को लेकर क्या कहा

#barack_obama_praises_joe_biden_he_withdraw_his_name_from_president_race

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रेसिडेंट इलेक्शन से खुद को अलग कर लिया है।पहली डिबेट में ट्रंप के सामने कमजोर पड़ने के बाद से ही जो बाइडन पर राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर होने का भारी दबाव पड़ रहा था। ऐसे में बाइडन के इस फैसले का पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जमकर तारीफ की है। ओबामा ने इसे बाइडेन के "देशप्रेम" का प्रमाण बताया। साथ ही साथ उन्होंने 5 नवंबर के चुनाव से पहले "अनजानी परिस्थितियों" की चेतावनी भी दी है।

जो बाइडन के राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर होने के बाद पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बयान जारी कर उनकी जमकर तारीफ की। ओबामा ने कहा कि जो बाइडन अमेरिका के सबसे अहम राष्ट्रपति है, साथ ही मेरे अच्छे दोस्त हैं। आज एक बार फिर उन्होंने ये बात साबित कर दी कि वह सच्चे देशभक्त हैं। ओबामा ने कहा कि हालांकि बाइडेन को फिर से चुनाव लड़ने का पूरा अधिकार था, उनके दौड़ से बाहर होने का फैसला उनके 'देशप्रेम' का प्रमाण है।

खुद को बतौर उपराष्ट्रपति चुनने के समय को याद करते हुए ओबामा ने कहा कि '16 साल पहले जब मैं उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की तलाश कर रहा था तो मुझे जो बाइडन के जनसेवा के क्षेत्र में शानदार करियर के बारे में पता था। लेकिन मैं उनकी तारीफ उनके जुझारूपन और सहानुभूति वाले चरित्र और उस विचार के लिए करता है, जिसमें वो हर नागरिक को अहम मानते हैं।'

हालांकि इस दौरान ध्यान देने वाली बात ये रही कि पूरे बयान में ओबामा ने कमला हैरिस के नाम का जिक्र नहीं किया और न ही उनका समर्थन किया। ओबामा ने कहा, आने वाले दिनों में हम अनजानी परिस्थितियों का सामना करेंगे। लेकिन मुझे असाधारण विश्वास है कि हमारी पार्टी के नेता एक ऐसी प्रक्रिया बना सकेंगे जिससे एक उत्कृष्ट उम्मीदवार उभर कर आएगा।

उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी पार्टी के नेता आगामी कन्वेंशन में एक शानदार नेता को चुनेंगे। ओबामा के बयान के बाद से ही कयासों का दौर शुरू हो गया है।

एनडीए विधानमंडल दल की बैठक आज, में विपक्ष के हमले का करारा जवाब देने को लेकर बनेगी रणनीति*

डेस्क : आज सोमवार से बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र की शुरूआत होने जा रही है। पांच दिनों तक चलने वाले इस सत्र के दौरान विपक्ष के हंगामें के आसार है। इस सत्र को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष पूरी तरह से तैयार है। एक तरफ विपक्षी दलों ने सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने और सवालों को लेकर अपनी तैयारी की है। वहीं पहले दिन के सत्र के बाद एनडीए विधानमंडल दल की बैठक सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में होगी। विधानमंडल के विस्तारित भवन के सेंट्रल हॉल में यह बैठक दोपहर 12 बजे से होनी है। इस मौके पर विधानमंडल के चलते सत्र में विपक्ष के हमले का करावा जवाब देने और राज्य सरकार की उपलब्धियों को सदन में प्रभावी ढंग से रखने को लेकर रणनीति बनेगी। मुख्यमंत्री मंत्री एनडीए घटकदलों के तमाम नेताओं को निर्देश भी जारी करेंगे। सोमवार को सदन की कार्यवाही की समाप्ति के तुरंत बाद यह बैठक होगी। इसमें दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा समेत मंत्रीगण, विधायक और विधान पार्षद मौजूद रहेंगे। सभी घटकदलों के प्रमुख नेता अपनी बातों को रखेंगे।
बाइडन के बाद क्या कमला हैरिस होंगी राष्ट्रपति उम्मीदवार? 19 अगस्त को होगा साफ*
#kamala_harris_who_can_become_america_first_woman_president
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 अब और रोचक हो गया है। तमाम अटकलों के बीच बीती रात अमेरिका के राष्ट्रपति और डेमोक्रेट पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन ने राष्ट्रपति चुनाव की रेस से बाहर होने का ऐलान कर दिया।इसके साथ ही उन्होंने अपनी साथी और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को नए राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में समर्थन दिया है। जो बाइडेन ने रेस से बाहर होते हुए कहा कि 2020 में पार्टी के उम्मीदवार के रूप में मेरा पहला निर्णय कमला हैरिस को अपना उपराष्ट्रपति चुनना था और यह मेरा अब तक का सबसे अच्छा निर्णय रहा है। आज मैं कमला को इस वर्ष हमारी पार्टी का उम्मीदवार बनाने के लिए अपना पूर्ण समर्थन और समर्थन देना चाहता हूं। अब एक साथ आने और ट्रम्प को हराने का समय आ गया है। बता दें कि कमला हैरिस उपराष्ट्रपति पद पर पहुंचने वाली पहली महिला, पहली अश्वेत और पहली एशियाई अमेरिकी हैं। अब, बाइडेन का समर्थन उन्हें पहली महिला राष्ट्रपति बनने की राह पर ला सकता है। हालांकि कमला हैरिस के राष्ट्रपति उम्मीदवारी पर खेल होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। बाइडन द्वारा कमला हैरिस को राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर घोषणा करने के बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि वही राष्ट्रपति उम्मीदवार होंगी। लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार चयन समिति को अभी यह तय करना होगा कि राष्ट्रपति पद के लिए अगला उम्मीदावर कौन होगा। राष्ट्रपति की रेस में कई नाम फिलहाल चल रहे हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति की रेस में कैलिफोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसम, मिशिगन के गवर्नर ग्रेचेन व्हिटमर, पेंसिल्वेनिया के गवर्नर जोश शापिरो के साथ 6 नाम और हैं। अब यह देखना होगा कि आखिर डेमोक्रेटिक पार्टी किसे अपना उम्मीदवार घोषित करती है। पार्टी के राष्ट्रीय समिति डीएनसी के अध्यक्ष जैमी हैरिसन ने कहा कि पार्टी नवंबर में होने वाले आम चुनावों के लिए राष्ट्रपति पद के नए उम्मीदवार का चयन पारदर्शी प्रक्रिया के तहत करेगी। 19 अगस्त को शिकागो में होने वाले डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में पार्टी के चार हजार प्रतिनिधि भाग लेंगे और चुनाव के लिए नए उम्मीदवार का चयन करेंगे। डीनएसी के अध्यक्ष हैरिसन ने कहा कि हमें नए उम्मीदवार के चयन पर ध्यान देना है। इसके लिए आने वाले दिनों में पार्टी पारदर्शी और व्यवस्थित प्रक्रिया अपनाएगी। हम ऐसे उम्मीदवार के लिए एकजुट होंगे जो नवंबर में होने वाले चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को हरा सके।
*जो बाइडेन अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ से बाहर, जानें इस फैसले के पीछे की वजह*
#america_joe_biden_out_us_presidential_election_race
जो बाइडन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 से अपना नाम वापस ले लिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रविवार को घोषणा की है कि वह राष्ट्रपति पद का आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने एक चिट्ठी लिखकर इसका ऐलान किया। बाइडेन ने कहा कि अमेरिका और पार्टी के हित में उन्होंने यह फैसला लिया है। वो जल्द ही देश को संबोधित करेंगे और अपने इस फैसले के बारे में विस्तार से बात करेंगे। इसके साथ ही बाइडेन ने राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेट की तरफ से कमला हैरिस की उम्मीदवारी का समर्थन भी किया है। बाइडेन ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वह जनवरी 2025 में अपना कार्यकाल समाप्त होने तक राष्ट्रपति और कमांडर-इन-चीफ के रूप में अपनी भूमिका में बने रहेंगे और इस सप्ताह राष्ट्र को संबोधित करेंगे। बाइडेन ने लिखा, “आपके राष्ट्रपति के रूप में सेवा करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और जबकि मेरा इरादा फिर से चुनाव लड़ने का रहा है, मेरा मानना है कि यह मेरी पार्टी और देश के सर्वोत्तम हित में है कि मैं पद छोड़ दूं और केवल अपने बाकी कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा करने पर अपना ध्यान केंद्रित करूं। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति जो बाइडेन ने फिर से चुनावी ताल ठोंकने का ऐलान किया था, लेकिन बढ़ती उम्र, बीमारी और फिर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बहस में पिछड़ने के बाद उन पर चुनाव से हटने का खासा दबाव था। 990 मिनट तक चली इस बहस के दौरान, राष्ट्रपति बाइडन और ट्रंप ने अर्थव्यवस्था, आव्रजन, विदेश नीति, गर्भपात और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बहस की। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को झूठा और अमेरिका के इतिहास का सबसे खराब राष्ट्रपति कहा। जिसके बाद चुनाव में ट्रंप तेजी से बढ़त बनाते दिख रहे थे। पोल में कहा गया है कि बहस को टीवी पर देखने वाले पंजीकृत 33 प्रतिशत लोगों में से 67 प्रतिशत ने माना कि पहली बहस में ट्रंप, बाइडन पर भारी पड़े। बहस देखने वालों में से 57 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें बाइडन की देश का नेतृत्व करने की क्षमता पर भरोसा नहीं है, वहीं 44 प्रतिशत ने ट्रंप की क्षमताओं पर शक जाहिर किया था। वहीं, डेमोक्रेट नेताओं की ओर से डाले जा रहे दबाव के बीच राष्ट्रपति जो बाइडन ने आज रविवार को लगातार दूसरी बार राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया। साथ ही उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की उम्मीदवारी का समर्थन भी किया।
हिंसा के बीच बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, हाई कोर्ट के 30% आरक्षण के आदेश पर लगाई रोक

#bangladesh_supreme_court_scales_back_civil_service_job_quotas

बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में आरक्षण के विरोध में हुई हिंसा के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के कोटे में कटौती करते हुए उच्च न्यायालय के फैसले को वापस लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने देश में आरक्षण को लेकर मचे बवाल के बीच सरकारी नौकरियों में रविवार को आरक्षण घटा दिया। देशभर में अशांति के बीच फैसले से प्रदर्शनकारियों की जीत हुई है।

उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि 93 प्रतिशत सरकारी नौकरियां योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित की जाएं और शेष सात प्रतिशत 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के रिश्तेदारों तथा अन्य श्रेणियों के लिए छोड़ी जाएं। पहले युद्ध लड़ने वालों के रिश्तेदारों के लिए नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण था। मगर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को खारिज कर दिया है। इसे छात्रों के लिए बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है।

बांग्लादेश में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में बड़ा आरक्षण दिया गया था। बांग्लादेश सरकार ने 2018 में सेनानियों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी में 30 फीसदी आरक्षण दिया था। इसका बांग्लादेश के छात्रों ने कड़ा विरोध किया और फैसला वापस ले लिया गया। अब मामला हाईकोर्ट में पहुंचा और हाईकोर्ट ने आरक्षण लागू कर दिया। 

इसके बाद बांग्लादेश के छात्रों में आक्रोश फैल गया। छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिए और कहा कि यह आरक्षण प्रणाली गलत है। साथ ही प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के समर्थकों का समर्थन करेगी। इसके बाद देश में अशांति फैल गई और जगह-जगह हिंसा हुई। इसमें 115 लोगों की मौत हो गई। 

मामले को लेकर सु्प्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। इसके बाद सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए नौकरी में आरक्षण का कोटा 30 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है। जबकि दो फीसदी आरक्षण अल्पसंख्यकों, ट्रांसजेंडर और दिव्यांगों को मिलेगा। जबकि 93 फीसदी पद योग्यता के आधार पर भरे जाएंगे। 

इससे पहले बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हिंसा भड़कने के कुछ दिन बाद शनिवार को पुलिस ने पूरे देश में कठोर कर्फ्यू लागू कर दिया और सैन्य बलों ने राष्ट्रीय राजधानी ढाका के विभिन्न हिस्सों में गश्त की. बांग्लादेश में हिंसा भड़कने से सैकड़ों लोगों की मौत हुई है जबकि हजारों लोग घायल हुए हैं. प्रदर्शनकारी छात्रों ने देश में पूर्ण बंद लागू करने के प्रयास के दौरान 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी