आज का पंचांग- 9 जुलाई 2024, जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत - 2081, पिंगल

शक सम्वत - 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत - आषाढ़

अमांत - आषाढ़

तिथि

शुक्ल पक्ष तृतीया- जुलाई 08 04:59 AM- जुलाई 09 06:09 AM

शुक्ल पक्ष चतुर्थी- जुलाई 09 06:09 AM- जुलाई 10 07:52 AM

नक्षत्र

आश्लेषा - जुलाई 08 06:02 AM- जुलाई 09 07:52 AM

मघा - जुलाई 09 07:52 AM- जुलाई 10 10:15 AM

योग

सिद्धि - जुलाई 09 02:06 AM- जुलाई 10 02:26 AM

व्यातीपात - जुलाई 10 02:26 AM- जुलाई 11 03:09 AM

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय - 5:52 AM

सूर्यास्त - 7:12 PM

चन्द्रोदय - जुलाई 09 8:39 AM

चन्द्रास्त - जुलाई 09 9:56 PM

अशुभ काल

राहू - 3:52 PM- 5:32 PM

यम गण्ड - 9:12 AM- 10:52 AM

कुलिक - 12:32 PM- 2:12 PM

दुर्मुहूर्त - 08:32 AM- 09:25 AM, 11:28 PM- 12:11 AM

वर्ज्यम् - 09:03 PM- 10:48 PM

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त - 12:05 PM- 12:58 PM

अमृत काल - 06:07 AM- 07:51 AM

ब्रह्म मुहूर्त - 04:16 AM- 05:04 AM

शुभ योग

सर्वार्थसिद्धि योग - जुलाई 09 05:52 AM - जुलाई 09 07:52 AM (अश्लेषा और मंगलवार)

शिव ज्योतिर्लिंग-7 : महाराष्ट्र का भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर भक्तों के लिए है एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल

- विनोद आनंद 

शिव महापुराण की किंवदंतियों के अनुसार, भगवान शिव- विघ्न के देवता के रूप में माने जाते हैं. ये भारत भर में 12 अलग-अलग स्थानों पर प्रकाश के एक जीवंत स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे. इन स्थलों को ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है और उन्हें पवित्र तीर्थस्थलों के रूप में पूजा जाता है। ऐसा ही एक ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में भी है.

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बना हुआ है। यह न केवल धार्मिक महत्व का स्थान है, बल्कि हरे-भरे हरियाली से घिरा एक वास्तुशिल्प चमत्कार भी है। यह मंदिर भीमा नदी के किनारे स्थित है और इसके निर्माण से जुड़ी एक आकर्षक पौराणिक कथा है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास

महाराष्ट्र में सह्याद्री पहाड़ियों की गोद में स्थित भीमाशंकर मंदिर, प्रतिष्ठित ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसका एक गहरा और मनोरम इतिहास है जो हिंदू पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक भक्ति से मेल खाता है। इसकी उत्पत्ति भगवान शिव की दिव्य शक्तियों से हुआ जो राक्षसी शक्तियों के खिलाफ लड़ाई की प्राचीन कहानियों में निहित है।

किंवदंती के अनुसार, भीमा नदी, जिसे चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव और राक्षस त्रिपुरासुर के बीच एक हिंसक संघर्ष के दौरान पैदा हुई थी। इस महत्वपूर्ण घटना ने मंदिर के नाम और पवित्र स्थान को जन्म दिया। मंदिर की ऐतिहासिक विरासत सदियों पुरानी है और दूर-दूर से तीर्थयात्रियों और भक्तों को आकर्षित करती है जो भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति से जुड़ना चाहते हैं।

ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर का आध्यात्मिक महत्व

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदुओं और भगवान शिव के भक्तों के लिए गहरा आध्यात्मिक महत्व रखता है। इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है, जिन्हें भगवान शिव के दिव्य रूप का स्वयंभू प्रतिनिधित्व माना जाता है। तीर्थयात्री आशीर्वाद, आध्यात्मिक ज्ञान और अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए इस पवित्र स्थल पर आते हैं।

भक्तों का मानना ​​है कि भीमाशंकर में प्रार्थना करने और अनुष्ठान करने से शांति, समृद्धि और पापों का निवारण होता है। हरे-भरे जंगलों और भीमा नदी के मधुर प्रवाह से घिरा मंदिर का शांतिपूर्ण माहौल आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ाता है और ईश्वर के साथ गहरा संबंध बनाता है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर की 

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वास्तुकला का चमत्कार

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर की वास्तुकला की चमक प्राचीन शिल्प कौशल और कलात्मक अभिव्यक्ति का प्रमाण है। यह प्रसिद्ध मंदिर नागर शैली में बना है। मंदिर का अनूठा डिज़ाइन, जो रथ जैसा दिखता है, वास्तुकला की रचनात्मकता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह विशिष्ट विशेषता इसे भगवान शिव को समर्पित अन्य मंदिरों से अलग करती है।

मंदिर की विस्तृत नक्काशी, विस्तृत मूर्तियां और मंदिर का समग्र लेआउट इस उत्कृष्ट कृति को गढ़ने वाले कारीगरों के कौशल और भक्ति को दर्शाता है। मंदिर की वास्तुकला न केवल पूजा स्थल के रूप में कार्य करती है, बल्कि एक कलात्मक चमत्कार के रूप में भी है जो इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को बढ़ाती है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर से जुड़ी मिथकें

भीमाशंकर मंदिर आकर्षक मिथकों और किंवदंतियों से घिरा हुआ है जो इसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को समृद्ध करते हैं। ये मिथक मंदिर के इतिहास में रहस्य की एक परत जोड़ते हैं और भक्तों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करते हैं। भीमाशंकर मंदिर से जुड़े कुछ प्रमुख मिथक इस प्रकार हैं

भीमा नदी का जन्म

यह पौराणिक कथा भीमा नदी की उत्पत्ति के बारे में बताती है, जिसे चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव और राक्षस त्रिपुरासुर के बीच एक भीषण युद्ध के दौरान, भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से धरती पर प्रहार किया, जिससे भीमा नदी का उद्भव हुआ। यह दिव्य नदी मंदिर के बगल से बहती है, और इसके जल को भक्त पवित्र मानते हैं।

भगवान शिव का कायाकल्प

एक अन्य किंवदंती भीमाशंकर में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होने से संबंधित है। ऐसा माना जाता है कि गहन ध्यान की अवधि के बाद, भगवान शिव ने खुद को फिर से जीवंत करने के लिए ज्योतिर्लिंग का रूप धारण किया। यह प्रकटीकरण भगवान शिव की शाश्वत और अनंत प्रकृति को दर्शाता है।

भीम की भक्ति

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भारतीय महाकाव्य महाभारत के पांडव भाइयों में से एक भीम का संबंध इस मंदिर से है। ऐसा कहा जाता है कि भीम ने स्वयं लिंगम (भगवान शिव का प्रतीक) बनाया था और यहाँ बड़ी श्रद्धा से उसकी पूजा की थी। इस क्षेत्र में भगवान शिव के प्रति उनकी श्रद्धा को मंदिर के नाम भीमाशंकर के माध्यम से मनाया जाता है।

. दिव्य रथ

मंदिर की वास्तुकला, जो रथ जैसी दिखती है, का अपना पौराणिक महत्व है। मंदिर के रथ जैसी दिखने की वजह से अक्सर "रथचल" शब्द का इस्तेमाल मंदिर का वर्णन करने के लिए किया जाता है। माना जाता है कि यह डिज़ाइन भगवान शिव को ब्रह्मांड की ब्रह्मांडीय यात्रा का मार्गदर्शन करने वाले दिव्य सारथी के रूप में दर्शाता है।

उपचारात्मक जल

भक्त भीमा नदी के पानी के उपचारात्मक गुणों में भी विश्वास करते हैं। ऐसा माना जाता है कि नदी में डुबकी लगाने या यहाँ स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है और बीमारियाँ ठीक होती हैं।

 ये मिथक और किंवदंतियाँ भीमाशंकर मंदिर के आकर्षण में योगदान करती हैं, जो तीर्थयात्रियों और जिज्ञासु आगंतुकों को महाराष्ट्र के इस पवित्र स्थान की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक आभा का अनुभव करने के लिए समान रूप से आकर्षित करती हैं।

आज का पंचांग- 8 जुलाई 2024, जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रह योग

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- आषाढ़

अमांत- आषाढ़

नक्षत्र

पुष्य- जुलाई 07 04:48 AM- जुलाई 08 06:02 AM

आश्लेषा- जुलाई 08 06:02 AM- जुलाई 09 07:52 AM

योग

वज्र- जुलाई 08 02:12 AM- जुलाई 09 02:06 AM

सिद्धि- जुलाई 09 02:06 AM- जुलाई 10 02:26 AM

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 5:51 AM

सूर्यास्त- 7:12 PM

चन्द्रोदय- जुलाई 08 7:44 AM

चन्द्रास्त- जुलाई 08 9:22 PM

अशुभ काल

राहू- 7:31 AM- 9:11 AM

यम गण्ड- 10:51 AM- 12:32 PM

कुलिक- 2:12 PM- 3:52 PM

दुर्मुहूर्त- 12:58 PM- 01:52 PM, 03:38 PM- 04:32 PM

वर्ज्यम्- 07:48 PM- 09:31 PM

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 12:05 PM- 12:58 PM

अमृत काल- None

ब्रह्म मुहूर्त- 04:15 AM- 05:03 AM

शुभ योग

सर्वार्थसिद्धि योग- जुलाई 09 05:52 AM- जुलाई 09 07:52 AM (अश्लेषा और मंगलवार)

रवि पुष्य योग- जुलाई 07 05:51 AM- जुलाई 08 05:51 AM (पुष्य और रविवार)

सर्वार्थसिद्धि योग- जुलाई 07 05:51 AM- जुलाई 08 06:02 AM (अश्लेषा और मंगलवार)

आज का राशिफल, 8 जुलाई 2024:जानिये राशि के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा..?

मेष-चू चे चो ला ली लू ले लो अ

आज दाँत का दर्द या पेट की तक़लीफ़ आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकती है। तुरंत आराम पाने के लिए अच्छे चिकित्सक की सलाह लेने में कोताही न बरतें। आपकी कोई पुरानी बीमारी आज आपको परेशान कर सकती है जिसकी वजह से आपको हॉस्पिटल भी जाना पड़ सकता है और आपका काफी धन भी खर्च हो सकता है। बच्चों के साथ समय बिताना ख़ास होगा। सहकर्मियों के साथ काम करते वक़्त युक्ति और चतुरता की ज़रूरत होगी। संभव है कि आपके अतीत से जुड़ा कोई शख़्स आज आपसे संपर्क करेगा और इस दिन को यादगार बना देगा। आप महसूस कर सकते हैं कि जीवनसाथी का प्यार सारे दुःख-दर्द भुला देता है।

वृषभ-इ उ एओ वा वी वू वे वो

 

आज आपका ऊर्जा-स्तर ऊँचा रहेगा। आज के दिन धन हानि होने की संभावना है इसलिए लेन-देन से जुड़े मामलों में जितना आप सतर्क रहेंगे उतना ही आपके लिए अच्छा रहेगा। पारिवारिक सदस्यों के साथ सुकून भरे और शांत दिन का लाभ लें। अगर लोग परेशानियों के साथ आपके पास आएँ तो उन्हें नज़रअंदाज़ करें और उन्हें अपनी मानसिक शांति भंग न करने दें। आपके प्रिय के साथ कुछ मतभेद उभर सकते हैं- साथ ही अपने साथी को अपना नज़रिया समझाने में भी तकलीफ़ महसूस होगी। साझीदार से संवाद क़ायम करना बहुत कठिन सिद्ध होगा। आज रात को जीवनसाथी के साथ खाली वक्त बिताते समय आपको लगेगा कि आपको उन्हें और भी वक्त देना चाहिए। लंबे समय से कामकाज का दबाव आपके वैवाहिक जीवन के लिए कठिनाई खड़ी कर रहा है। लेकिन आज सारी शिकायतें दूर हो जाएंगी।

मिथुन- क की कू घ ङ छ के को ह

   

आज का दिन आपके लिए फ़ायदेमन्द साबित होगा और आप किसी पुरानी बीमारी में काफ़ी आराम महसूस करेंगे। कोई पुराना मित्र आज आपसे आर्थिक मदद मांग सकता है और यदि आप उसकी आर्थिक मदद करते हैं तो आपके आर्थिक हालात थोड़े तंग हो सकते हैं। बच्चों को पढ़ाई पर ध्यान लगाने और भविष्य के लिए योजना बनाने की ज़रूरत है। आज के दिन आप किसी क़ुदरती ख़ूबसूरती से ख़ुद को सराबोर महसूस करेंगे। अगर आप ख़ुद को पेशेवर अन्दाज़ में औरों के सामने रखेंगे, तो कैरियर में बदलाव के नज़रिये से यह लाभदायक साबित हो सकता है। बातों को सही तरीके से समझने का आज आपको प्रयास करना चाहिए नहीं तो इसकी वजह से आप खाली समय में इन्हीं बातों के बारे में सोचते रहेंगे और अपना समय बर्बाद करेंगे।

कर्क- ही हू हे हो डा डी डू डे डो

        

आज अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए व्यक्तिगत संबंधों का इस्तेमाल करना आपके जीवनसाथी को नाराज़ कर सकता है। आपके पास आज पैसा भी पर्याप्त मात्रा में होगा और इसके साथ ही मन में शांति भी होगी। अपने मित्रों के माध्यम से आपका ख़ास लोगों से परिचय होगा, जो आगे चलकर फ़ायदेमंद रहेगा। सारी दुनिया की मदहोशी उन ख़ुशनसीबों के बीच सिमट जाती है, जो प्यार में हों। जी हाँ, आप वही ख़ुशनसीब हैं। आपको कार्यक्षेत्र में अच्छे फल पाने के लिए अपने काम करने के तरीके पर गौर करने की जरुरत है नहीं तो आपकी बॉस की नजरों में नकारात्मक छवि बन सकती है। आज अपने जीवनसाथी के साथ वक्त बिता पाएंगे और उनके सामने अपने जज्बातों को रख पाएंगे। 

सिंह- मा मी मू मे मो टा टी टू टे

        

हाल की घटनाओं से आपका मन बेचैन हो सकता है। शारीरिक और मानसिक लाभ के लिए ध्यान व योग फ़ायदेमंद साबित होंगे। दिन की शुरुआत में ही आज आपको कोई आर्थिक हानि हो सकती है जिससे सारा दिन खराब हो सकता है। लोगों के साथ ठीक तरह से पेश आएँ, ख़ास तौर पर उनके साथ जो आपसे प्यार करते हैं और आपका ख़याल रखते हैं। शाम के लिए कोई ख़ास योजना बनाएँ और जितना हो सके, इसे उतना रुमानी बनाने की कोशिश करें। नई परियोजनाओं और कामों को अमली जामा पहनाने के लिए बेहतरीन दिन है। आज आपके पास लोगों से मिलने-जुलने का और अपने शौक़ पूरे करने का पर्याप्त खाली समय है। आपका जीवनसाथी बिना जाने कुछ ऐसा ख़ास काम कर सकता है, जिसे आप कभी भुला नहीं पाएंगे।

 

कन्या- टो प पी पू ष ण ठ पे पो

         

आज अगर संभव हो तो लम्बे सफ़र पर जाने से बचें, क्योंकि लम्बी यात्राओं के लिए अभी आप कमज़ोर हैं और उनसे आपकी कमज़ोरी और बढ़ेगी। आज आपको अपने भाई या बहन की मदद से धन लाभ होने की संभावना है। अपने जीवन-साथी के साथ अपनी गोपनीय जानकारी बांटने से पहले सोच लें। अगर संभव हो तो इससे बचें, क्योंकि इन बातों के बाहर फैलने का ख़तरा है। ज़रा संभल कर, क्योंकि आपका आपको मक्खन लगा सकता है - मैं तुम्हारे बग़ैर इस दुनिया में नहीं रह सकता/सकती। बहादुरी भरे क़दम और फ़ैसले आपको अनुकूल पुरुस्कार देंगे। इस राशि के जातक आज लोगों से मिलने से ज्यादा अकेले में वक्त बिताना पसंद करेंगे। आज आपका खाली समय घर की सफाई में बीत सकता है। आपका जीवनसाथी आज ऊर्जा और प्रेम से भरपूर है।       

तुला- रा री रू रे रो ता ती तू ते

      

आज काम का बोझ कुछ तनाव और खीज की वजह बन सकता है। यह बात भली भांति समझ लें कि दुख की घड़ी में आपका संचित धन ही आपके काम आएगा इसलिए आज के दिन अपने धन का संचय करने का विचार बनाएं। अपने जीवन-साथी के साथ बेहतर समझ ज़िन्दगी में ख़ुशी, सुकून और समृद्धि लाएगी। आपका काम दरकिनार हो सकता है- क्योंकि आप अपने प्रिय के साथ में ख़ुशी, आराम और उल्लास महसूस करेंगे। आज आप एक टीम का नेतृत्व करने के लिए मज़बूत स्थिति में होंगे और लक्ष्य को पाने के लिए मिलकर काम करेंगे। आज आप सब कामों को छोड़कर उन कामों को करना पसंद करेंगे जिन्हें आप बचपन के दिनों में करना पसंद करते थे। 

वृश्चिक- तो ना नी नू ने नो या यी यू.

   

आज किसी दोस्त की ज्योतिषीय सलाह आपकी सेहत के लिए काफ़ी उपयोगी रहेगी। ख़र्चों पर क़ाबू रखने की कोशिश करें और सिर्फ़ ज़रूरी चीज़ें ही ख़रीदें। ऐसे कामों में सहभागिता करने के लिए अच्छा समय है, जिसमें युवा लोग जुड़े हों। आपके प्रिय का डांवाडोल मिज़ाज आपको परेशान कर सकता है। यह दूसरे देशों में व्यावसायिक सम्पर्क बनाने का बेहतरीन समय है। आज कुछ नया और सृजनात्मक करने के लिए अच्छा दिन है। जीवनसाथी के ख़राब व्यवहार का नकारात्मक असर आपके ऊपर पड़ सकता है।

धनु-ये यो भा भी भू धा फा ढ़ा भे

     

आज बाहर घूमना-फिरना, पार्टी और मौज-मस्ती आपको अच्छे मूड में रखेंगे। धन की आवश्यकता कभी भी पड़ सकती है इसलिए आज जितना हो अपने पैसे की बचत करने का विचार बनाएं। पारिवारिक तनावों को अपना ध्यान भंग न करने दें। ख़राब दौर हमें बहुत-कुछ देता है। आप आज प्रेमपूर्ण मनोभाव में होंगे, इसलिए अपने प्रिय के साथ कुछ अच्छा समय बिताने की योजना बनाएँ। नई शुरू की परियोजनाएँ उम्मीद के मुताबिक़ परिणाम नहीं देंगी। यात्रा और शिक्षा से जुड़े काम आपकी जागरुकता में वृद्धि करेंगे।

मकर- भो जा जी खी खू खे खो गा गी

     

आज आपका स्पष्ट और निडर नज़रिया आपके दोस्त के अहम् को ठेस पहुँचा सकता है। आज के दिन आप ऊर्जा से भरे रहेंगे और संभव है कि अचानक अनदेखा मुनाफ़ा भी मिले। ग़ैर-ज़रूरी चीज़ों पर रुपये ख़र्च कर आप अपने जीवन-साथी को नाराज़ कर सकते हैं। आपका प्रिय आज रोमांटिक मूड में होगा। दिवास्वप्नों में समय खपाना नुक़सानदेह रहेगा, इस मुग़ालते में न रहें कि दूसरे आपका काम करेंगे। आपको याद रखने की ज़रूरत है कि भगवान उसी की मदद करता है, जो ख़ुद अपनी मदद करता है। 

कुंभ- गू गे गो सा सी सू से सो द

   

आज आपकी सेहत पूरी तरह अच्छी रहेगी। अगर आप लोन लेने वाले थे और काफी दिनों से इस काम में लगे थे तो आज के दिन आपको लोन मिल सकता है। घरेलू कामकाज आपको ज़्यादातर वक़्त व्यस्त रखेंगे। व्यापारियों के लिए अच्छा दिन है। व्यवसाय के लिए अचानक की गयी कोई यात्रा सकारात्मक परिणाम देगी। आज धार्मिक कामों में आप अपना खाली समय बिताने का विचार बना सकते हैं। इस दौरान बेवजह की बहस में आपको नहीं पड़ना चाहिए। आप अपने जीवनसाथी के प्यार की मदद से ज़िन्दगी की मुश्किलों का आसानी से सामना कर सकते हैं।

 

मीन- दी दू थ झ ञ दे दो च ची

आज आप ख़ुश हो जाएँ क्योंकि अच्छा समय आने वाला है और आप स्वयं में अतिरिक्त ऊर्जा का अनुभव करेंगे। अपने जीवनसाथी केे साथ धन से जुड़े किसी मामले को लेकर आज आपका झगड़ा हो सकता है। हालांकि अपने शांत स्वभाव से आप सबकुछ ठीक कर देंगे। मेहमानों के साथ का आनंद लेने के लिए बढ़िया दिन है। अपने रिश्तेदारों के साथ कुछ ख़ास करने की योजना बनाएँ। इसके लिए वे आपकी तारीफ़ करेंगे। कोई अच्छी ख़बर या जीवनसाथी/प्रिय से मिला कोई संदेश आपके उत्साह को दोगुना कर देगा। आज आपने जो नई जानकारी हासिल की है, वह आपको अपने प्रतिस्पर्धियों पर बढ़त दिलाएगी। जिंदगी में चल रही आपाधापी के बीच आज आपको अपने लिए पर्याप्त समय मिलेगा और और आप अपने पसंदीदा कामों को कर पाने में सफल हो पाएंगे। आपको लगेगा कि आज से पहले शादीशुदा ज़िन्दगी इतनी अच्छी कभी नहीं रही।

चंद्र दर्शन आज,साथ ही भगवान जगन्नाथ महाप्रभु कि रथ यात्रा भी.

चंद्र दर्शन अमावस्या के बाद चंद्रमा देखने की परंपरा है। हिंदू धर्म में चंद्र दर्शन का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। इस दिन भक्त चंद्र देव की पूजा करते हैं और विशेष प्रार्थना करते हैं। अमावस्या के तुरंत बाद चंद्रमा को देखना बहुत शुभ माना जाता है।

चंद्र दर्शन तिथि: रविवार, 07 जुलाई 2024

चंद्र दर्शन महोत्सव

चंद्र दर्शन चंद्रमा भगवान के सम्मान में मनाया जाता है। चंद्रमा को देखने का सबसे अनुकूल समय सूर्यास्त के ठीक बाद का होता है। चंद्र दर्शन के लिए सबसे उपयुक्त समय की भविष्यवाणी करना पंचांग निर्माताओं के लिए भी एक कठिन कार्य है। देश के विभिन्न हिस्सों में चंद्र दर्शन बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त चंद्र देव की पूजा करते हैं। इस दिन चंद्रमा को देखना शुभ माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे समृद्धि और खुशहाली आती है।

चंद्र दर्शन के दौरान पूजा विधि

चंद्र दर्शन के दिन, हिंदू भक्त चंद्रमा भगवान की पूजा करते हैं। इस दिन भक्त चंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए कठोर व्रत रखते हैं। वे पूरे दिन कुछ भी नहीं खाते-पीते हैं। सूर्यास्त के तुरंत बाद चंद्रमा को देखने के बाद व्रत खोला जाता है।

❀ ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देव की सभी विधि-विधान से पूजा करता है, उसे शाश्वत सौभाग्य और समृद्धि मिलती है।

❀ चंद्र दर्शन पर दान देना भी एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस दिन लोग ब्राह्मणों को कपड़े, चावल और चीनी और अन्य चीजें दान करते हैं।

चन्द्र दर्शन का महत्व

हिंदू पौराणिक कथाओं में, चंद्र देव को सबसे पूजनीय देवताओं में से एक माना जाता है। वह ' नवग्रह ' का एक महत्वपूर्ण ग्रह भी है , जो पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित करता है। चंद्रमा को एक अनुकूल ग्रह माना जाता है और यह ज्ञान, पवित्रता और अच्छे इरादों से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति के ग्रह पर चंद्रमा अनुकूल स्थिति में होता है, वह अधिक सफल और समृद्ध जीवन जीता है। इसके अलावा चंद्रमा हिंदू धर्म में और भी अधिक प्रभावशाली है क्योंकि यह चंद्र कैलेंडर का पालन करता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, चंद्र देव या चंद्रमा भगवान को पशु और पौधों के जीवन का पोषणकर्ता भी माना जाता है। उनका विवाह 27 नक्षत्रों से हुआ है, जो राजा प्रजापति दक्ष की बेटियां हैं और बुद्ध या बुध ग्रह के पिता भी हैं। इसलिए हिंदू भक्त सफलता और सौभाग्य के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देव की पूजा करते हैं।

शिव ज्योतिर्लिंग-6: अपने चमत्कारिक रहस्यों के कारण केदारनाथ है जाग्रत शिवलिंग, ,जिसके दर्शन मात्र से होता है आप का उद्धार,

विनोद आनंद

भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक केदारनाथ मन्दिर भी है जो हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र और जाग्रत शिवधाम माना जाता है।केदारनाथ यह मंदिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में मंदाकिनी नदी के पास गढ़वाल हिमालय पर्वतमाला पर स्थित है।यह मंदिर हिन्दुओं के लिए प्रसिद्ध धार्मिक मंदिर है। केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है।इसलिए इसका धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है।

इस मंदिर की कई विशेषताएं हैं जो इसकी आध्यात्मिकता को बढ़ा देती है ।साथ हीं इस मंदिर में छिपे कई रहस्य हैं जो इसे और भी विशेष बना देती हैं।

रहस्य की बात करें तो यह मंदिर पांच नदियों का संगम स्थल और तीन प्राचीन पहाड़ों से घिरा है।इस विशेषता के कारण, इस स्थल की पवित्रता और भी अधिक मानी जाती है। मंदाकिनी नदी, जो अभी भी मौजूद है, इस संगम का एक मुख्य भाग है और केदारेश्वर धाम के निकट बहती है।

दूसरा रहस्य है विशालकाय संरचना और इंटरलॉकिंग तकनीक से बना यह मंदिर। मंदिर की विशालकाय संरचना, जिसमें 6 फुट ऊंचा चबूतरा, 85 फुट ऊंची दीवारें, और 12 फुट मोटी दीवारें शामिल हैं,यह एक आश्चर्यजनक है। इतने भारी पत्थरों को इतनी ऊंचाई पर लाकर तराशना और इंटरलॉकिंग टेक्निक का उपयोग करके इस मंदिर का निर्माण करना एक अद्भुत कला को दर्शाता है।

इस मंदिर को लेकर तीसरा रहस्य है दीपावली महापर्व से अनवरत रूप से जलता हुआ दीपक। यह दीपक दीपावली के दूसरे दिन शीत ऋतु में मंदिर का द्वार बंद कर दिया जाता है और एक दीपक अनवरत रूप से 6 महीने तक जलता रहता है। यह परंपरा केदारनाथ मंदिर के अद्भुत रहस्यों में से एक है। जब 6 महीने बाद मंदिर के कपाट फिर से खोले जाते हैं, तो दीपक उस समय भी जल रहा होता है, जो भक्तों और यात्रियों के लिए आश्चर्य का विषय होता है। इस घटना को भगवान शिव की दिव्य शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

ज्योतिर्लिंग को जागृत शिव क्यों कहा जाता है ?


केदारनाथ मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग को 'जागृत शिव' कहा जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि यहाँ भगवान शिव स्वयं अपनी दिव्य ज्योति के रूप में निवास करते हैं। इस लिंग में स्वयं शिव की ज्योति विद्यमान होने के कारण, भक्तों का विश्वास है कि यहाँ की पूजा और दर्शन से उन्हें सीधा शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके समस्त पाप धुल जाते हैं।

केदारनाथ जाने का साधन


केदारनाथ मंदिर ऋषिकेश से 223 किमी (139 मील) दूर, 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊंचाई पर, गंगा की एक सहायक नदी मंदाकिनी नदी के तट पर, स्थित है। हिमालय पर्वतमाला के गढ़वाल में स्थित होने के कारण यहां की यात्रा थोड़ा दुर्गम है।यहां सीधे सड़क मार्ग से नही आया जा सकता है।

यहां तक पहुंचने के लिए आपको देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर पहुंचना होगा, और फिर गौरीकुंड के लिए हरिद्वार या ऋषिकेश से बस लेनी होगी। गौरीकुंड से, आपको केदारनाथ मंदिर तक 18 किलोमीटर की यात्रा करनी होगी, जिसके लिए आप चालक घोड़े, पालकी, या हेलिकॉप्टर सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं।शरीर से स्वस्थ लोग पद यात्रा करके भी गौरी कुंड से मंदिर तक पहुंचते हैं।गौरी कुंड से मंदिर तक मनोरम दृश्य और पहाड़ी सौंदर्य के कारण यह यात्रा अत्यंत उत्साह वर्धक बन जाता है।इस यात्रा में आपको कम से कम 4-5 दिन का समय लग सकता है। 

 2013 में आये प्रलयंकारी बाढ़ से भी इस मंदिर को नही हुआ ज्यादा क्षति



16 जून 2013 को उत्तराखंढ के केदारनाथ वासियों को प्रलयकारी बाढ़ का सामना करना पड़ा था। बाढ़ की त्रासदी सदियों तक लोगों के जेहन में रहेगी। इस आपदा में हजारों लोगों की जानें चली गईं। कई घरों का नामोनिशान मिट गया। केदारनाथ और इसका तीर्थ स्थान दोनों इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में आए थे, लेकिन जल प्रलय में भी मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ ,इसे ईश्वर का चमत्कार कहें या जिस तकनीक से यह मंदिर बनी है उसकी वैज्ञानिकता यह रिसर्च का विषय है।

यहां बादल फटने से आई इस विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन, 2004 की सूनामी के बाद से देश की सबसे खराब प्राकृतिक आपदा मानी जाती है ।उस महीने हुई बारिश राज्य में आमतौर पर होने वाली बारिश से कहीं अधिक थी, जिसके कारण नदियों में मलबे भरने लगे और पानी तीव्र गति से रिहायशी इलाकों में फैल गया।

केदारनाथ त्रासदी में बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए। 16 जुलाई 2013 तक, उत्तराखंड सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 5,700 से अधिक लोगों को मृत घोषित कर दिया गया था। कुल मृतकों में 934 स्थानीय निवासी शामिल थे। मरने वालों की संख्या बाद में 6,054 बताई गई ।

पुलों और सड़कों के नष्ट होने से लगभग 3,00,000 तीर्थयात्री और पर्यटक घाटियों में फंस गए. भारतीय वायु सेना, भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से 1,10,000 से अधिक लोगों को प्रभावित क्षेत्र से बाहर निकाला।

केदारनाथ उत्तर भारत में 2013 में आये बाढ़ के दौरान सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र था। मंदिर परिसर, आस-पास के इलाकों और केदारनाथ शहर में भारी तबाही हुआ, लेकिन मंदिर की संरचना को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, सिवाय चारों दीवारों के एक तरफ कुछ दरारों के, जो ऊंचे पहाड़ों से बहकर आए मलबे के कारण हुई थीं। 

मलबे के बीच एक बड़ी चट्टान ने एक अवरोधक के रूप में काम किया, जिसने मंदिर को बाढ़ से बचाया। आसपास के परिसर और बाजार क्षेत्र में अन्य इमारतों को भारी नुकसान पहुंचा।

केदारनाथ के मंदिर निर्माण को लेकर मान्यता


मान्यता है कि केदारनाथ धाम में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है। स्वयंभू शिवलिंग का अर्थ है जो स्वयं प्रकट हुआ है। माना जाता है कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडव राजा जनमेजय ने करवाया था।

केदारनाथ के बारे में एक लोक कथा हिंदू महाकाव्य महाभारत के नायकों पांडवों से संबंधित है।जो इस प्रकार, पांडवों ने अपने राज्य की बागडोर अपने परिजनों को सौंप दी और शिव की खोज में और उनका आशीर्वाद लेने के लिए निकल पड़े। लेकिन, शिव उन्हें टालना चाहते थे और उन्होंने एक बैल (नंदी) का रूप धारण कर लिया। पांच पांडव भाइयों में से दूसरे भीम ने तब गुप्तकाशी के पास बैल को चरते देखा। भीम ने तुरंत पहचान लिया कि यह बैल शिव है। भीम ने बैल की पूंछ और पिछले पैरों को पकड़ लिया। लेकिन बैल रूपी शिव जमीन में लुप्त हो गए और बाद में टुकड़ों में फिर से प्रकट हुए, केदारनाथ में कूबड़ उठा, तुंगनाथ में भुजाएं दिखाई दीं, रुद्रनाथ में चेहरा दिखाई दिया, मध्यमहेश्वर में नाभि और पेट सतह पर आए और कल्पेश्वर में बाल दिखाई दिए।

एक दंत कथा के एक संस्करण में भीम को न केवल बैल को पकड़ने बल्कि उसे गायब होने से रोकने का श्रेय दिया गया है।

 परिणामस्वरूप, बैल को पांच भागों में फाड़ दिया गया और हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र के केदार खंड में पांच स्थानों पर प्रकट हुआ। पंच केदार मंदिरों के निर्माण के बाद, पांडवों ने मोक्ष के लिए केदारनाथ में ध्यान किया, यज्ञ किया और फिर महापंथ नामक स्वर्गीय मार्ग से स्वर्ग या मोक्ष प्राप्त किया।

 पंच केदार मंदिरों का निर्माण उत्तर-भारतीय हिमालयी मंदिर वास्तुकला में किया गया है, जिसमें केदारनाथ, तुंगनाथ और मध्यमहेश्वर मंदिर एक जैसे दिखते हैं। पंच केदार मंदिरों में शिव के दर्शन की तीर्थयात्रा पूरी करने के बाद, बद्रीनाथ मंदिर में विष्णु के दर्शन करना एक अलिखित धार्मिक अनुष्ठान है, जो भक्त द्वारा शिव का आशीर्वाद लेने के अंतिम पुष्टिकरण के रूप में होता है।

महाभारत, जो पांडवों और कुरुक्षेत्र युद्ध का विवरण देता है, में केदारनाथ नामक किसी स्थान का उल्लेख नहीं है। केदारनाथ का सबसे पहला उल्लेख स्कंद पुराण लगभग 7वीं-8वीं शताब्दी में मिलता है, जिसमें गंगा नदी की उत्पत्ति का वर्णन करने वाली एक कहानी है। 

पाठ में केदार (केदारनाथ) को उस स्थान के रूप में वर्णित किया गया है जहाँ शिव ने अपनी जटाओं से पवित्र जल छोड़ा था। माधव के संक्षेप-शंकर-विजय पर आधारित जीवनी के अनुसार, 8वीं शताब्दी के दार्शनिक आदि शंकराचार्य की मृत्यु केदारनाथ के पास पहाड़ों पर हुई थी; हालांकि आनंदगिरि के प्राचीन-शंकर-विजय पर आधारित अन्य जीवनी में कहा गया है कि उनकी मृत्यु कांचीपुरम में हुई थी। शंकराचार्य की कथित मृत्यु स्थली को चिह्नित करने वाले स्मारक के खंडहर केदारनाथ में स्थित हैं। केदारनाथ निश्चित रूप से 12वीं शताब्दी तक एक प्रमुख तीर्थस्थल था, जब इसका उल्लेख गढ़वाल मंत्री भट्ट लक्ष्मीधर द्वारा लिखित कृत्य-कल्पतरु में किया गया है।माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने बद्रीनाथ और उत्तराखंड के अन्य मंदिरों के साथ इस मंदिर को पुनर्जीवित किया था। माना जाता है कि उन्होंने केदारनाथ में महासमाधि प्राप्त की थी। 

 केदारनाथ तीर्थ पुरोहित इस क्षेत्र के प्राचीन ब्राह्मण हैं, उनके पूर्वज (ऋषि-मुनि) नर-नारायण और दक्ष प्रजापति के समय से ही लिंग की पूजा करते आ रहे हैं।

 पांडवों के पौत्र राजा जन्मेजय ने उन्हें इस मंदिर की पूजा करने का अधिकार दिया और पूरा केदार क्षेत्र दान कर दिया, और तब से वे तीर्थयात्रियों की पूजा करते आ रहे हैं।

अंग्रेज पर्वतारोही एरिक शिप्टन द्वारा 1926 में दर्ज की गई एक परंपरा के अनुसार, "कई सौ साल पहले" एक पुजारी केदारनाथ और बद्रीनाथ दोनों मंदिरों में सेवाएं आयोजित करता था, जो रोजाना दोनों स्थानों के बीच यात्रा करता था।

इस मंदिर में बद्रीनाथ और उत्तराखंड के अन्य मंदिरों के साथ-साथ केदारनाथ में भी पूजा की जाती है; ऐसा माना जाता है कि उन्होंने केदारनाथ में महासमाधि प्राप्त की थी।

इस मंदिर के निर्माण और पुनरुद्धार को लेकर चर्चा 


यूं तो इस मंदिर को सर्वप्रथम पांडवों ने बनवाया था, लेकिन वक्त के थपेड़ों की मार के चलते यह मंदिर लुप्त हो गया। बाद में 8वीं शताब्दी में आदिशंकराचार्य ने एक नए मंदिर का निर्माण कराया, जो 400 वर्ष तक बर्फ में दबा रहा।

राहुल सांकृत्यायन के अनुसार ये मंदिर 12-13वीं शताब्दी का है। इतिहासकार डॉ. शिव प्रसाद डबराल मानते हैं कि शैव लोग आदि शंकराचार्य से पहले से ही केदारनाथ जाते रहे हैं, तब भी यह मंदिर मौजूद था।

 माना जाता है कि एक हजार वर्षों से केदारनाथ पर तीर्थयात्रा जारी है। कहते हैं कि केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्राचीन मंदिर का निर्माण पांडवों ने कराया था। बाद में अभिमन्यु के पौत्र जनमेजय ने इसका जीर्णोद्धार किया था।

पहले शंकराचार्य, फिर राजा भोज ने कराया पुनर्निर्माण


केदारघाटी में बाबा के धाम में लकड़ी और पत्थरों पर की गई सुंदर नक्काशी कत्यूरी शैली की बताई जाती है, ऐसा कहा जाता है कि पांडव वंश के राजा जन्मेजय ने मंदिर को पूरा कराया था। इसके बाद 8 वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। ग्वालियर से मिले राजा भोज के एक ताम्र पत्र में ये दावा किया गया है कि मंदिर का पुर्ननिर्माण 10 वीं शताब्दी में राजा भोज ने भी कराया था। हालांकि राहुल सांकृत्यायन ने ये दावा किया है कि मंदिर 12 और 13 वीं शताब्दी का है।

केदारनाथ मंदिर में सोना लगाने का इतिहास


केदारनाथ मंदिर में सोना लगाने के इतिहास का जिक्र नहीं मिलता है। हालांकि ऐसा दावा किया जाता है कि केदारनाथ मंदिर के निर्माण के बाद से 12 वीं शताब्दी तक यहां सोना-चांदी लगाया जाता था, इसके बाद यह प्रथा खत्म हो गई। पिछले साल जब यहां सोने की परत चढ़ाने काम काम शुरू हुआ था उससे पहले यहां दीवारों पर चांदी की परत चढ़ी थी। जब सोने की परत का काम शुरू हुआ तो पुजारियों ने विरोध किया था। उस वक्त केदार सभा के पूर्व अध्यक्ष महेश बगवाड़ी ने कहा था कि मंदिर की दीवारों पर सोना चढ़ाना हिंदू मान्यताओं और परंपराओं के अनुरूप है। उस वक्त BKTC के चेयरमैन अजेंद्र अजय ने भी कहा था कि यह सामान्य प्रक्रिया है, पहले छत लकड़ी से बनती थी, फिर पत्थर से बनी, इसके बाद तांबें की प्लेंटे आईं. उन्होंने विरोध को साजिश बताया था।

आज का राशिफल, 7 जुलाई 2024: , जानिये राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा...?

मेष राशि : आज का दिन मेष राशि वालों के लिए बेहद खास रहेगा। जीवनसाथी का प्यार और सपोर्ट मिलेगा। साथी से अपनी फीलिंग्स को खुलकर व्यक्त करें। पार्टनर से अपने रिलेशनशिप के फ्यूचर या ड्रीम्स के बारे में डिस्कस करें। रिलेशनशिप की परेशानियों का बातचीत के जरिए समस्या का समाधान निकालें। इससे साथी संग रिश्ता मजबूत और गहरा होगा। नौकरी-कारोबार में वातावरण अनुकूल रहेगा। उच्चाधिकारियों का सपोर्ट मिलेगा। सामाजिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।

वृषभ राशि : वृषभ राशि वालों के पारिवारिक जीवन में खुशियां आएंगी। परिजन आपकी प्रशंसा करेंगे। रोमांटिक लाइफ अच्छी रहेगी। सिंगल जातकों की किसी खास व्यक्ति में दिलचस्पी बढ़ेगी। लव लाइफ में नए रोमांचक मोड़ आएंगे। आपके सरल और विनम्र स्वभाव से लोग इंप्रेस होंगे।करियर में उन्नति के नए अवसर मिलेंगे। सामाजिक पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। घर में मांगलिक कार्यों का आयोजन संभव है। पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। लव, करियर, स्वास्थ्य और आर्थिक मामलों में भाग्यशाली रहेंगे। आय के नवीन स्त्रोतों से धन लाभ होगा। व्यापार में बढ़ोत्तरी के नए अवसर मिलेंगे। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

मिथुन राशि : आज लाइफ में नई चीजों को एक्सप्लोर करने की इच्छा बढ़ेगी। आपके सरल और मिलनसार स्वभाव दूसरों को आपकी ओर आकर्षित करेगा। आज पार्टनर के साथ वेकेशन पर जाने का प्लान बना सकते हैं। प्रेमी के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। ऑफिस में किसी सक्सेसफुल व्यक्ति से मुलाकात होगी, जिसकी मदद से करियर में सफलता की सीढ़ियां चढ़ेंगे। हालांकि, ऑफिस के कार्यों में लापरवाही न बरतें। महत्वपूर्ण कार्यों को डेडलाइन से पहले कंपलीट करें। सहकर्मियों के साथ मिलकर काम करें। इससे कार्यों के पॉजिटिव रिस्पान्स मिलेंगे। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।

कर्क राशि : कर्क राशि वालों के लिए आज का दिन मिलाजुला परिणाम देने वाला है। फैमिली और फ्रेंड्स का सपोर्ट मिलेगा। हालांकि, भावनाओं का उतार-चढ़ाव संभव है। रिश्तों में धैर्य बनाए रखें। क्रोध से बचें। ऑफिस में अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस दें। ऑफिस मीटिंग में अपने आइडियाज सोच-समझकर करें। जल्दबाजी में कोई काम न करें। रिलेशनशिप की दिक्कतों को समझदारी से सुलझाएं। माता-पिता के स्वास्थ्य पर ध्यान दें।

सिंह राशि : आज आपकी प्रोफेशनल लाइफ अच्छी रहेगी। ऑफिस मैनेजमेंट में सकारात्मक छवि बनी रहेगी। हालांकि, ऑफिस पॉलिटिक्स से दूर रहें। कुछ जातकों को नई जॉब के लिए इंटरव्यू कॉल आ सकती है। आज आप पैरेंट्स से साथी की मुलाकात करा सकते हैं और मैरिज के लिए अप्रूवल ले सकते हैं। सिंगल जातकों की लाइफ में किसी दिलचस्प व्यक्ति की एंट्री होगी। आज आर्थिक मामलों में थोड़ा सतर्क रहें। धन का प्रबंधन होशियारी से करें। भाई-बहन से प्रॉपर्टी को लेकर चल रहे विवादों को सुलझाने का प्रयास करें। सेहत का ख्याल रखें।

कन्या राशि : आज कन्या राशि वालों को प्रोफेशनल लाइफ में तरक्की के अनगिनत अवसर मिलेंगे। करियर में नई उपलब्धि हासिल करेंगे। ऑफिस में सहकर्मियों के साथ रिश्ते अच्छे होंगे। सिंगल जातकों को अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना चाहिए। नए लोगों से मिलने के लिए तैयार रहना चाहिए। इससे जीवनसाथी की तलाश पूरी होने की संभावना बढ़ेगी। आज चाहे आप सिंगल हों या रिलेशनशिप में हों। साथी से अपने इमोशन्स को शेयर करने के लिए परफेक्ट दिन है। हालांकि, आर्थिक मामलों में सोच-समझकर फैसले लें। अचानक से बड़े अमाउंट में लग्जरी आइटम की खरीदारी करने से बचें। सेहत पर ज्यादा ध्यान दें।

तुला राशि : आज का दिन सामान्य रहेगा। प्रोफेशनल लाइफ में कार्यों की प्रशंसा होगी। सरकारी कर्मचारियों का स्थानांतरण हो सकता है। ऑफिस में आइडियाज को सीनियर्स के सामने शेयर करते समय थोड़ा सतर्क रहें। अपने विचार स्पष्ट तरीके से व्यक्त करें, ताकि किसी भी प्रकार की गलतफहमी न बढ़े। बिजनेसमेन नया प्रोजेक्ट लॉन्च करने का प्लान बना सकते हैं। आर्थिक मामलों में थोड़ी डिस्टर्बेंस रहेगी। अनियंत्रित खर्चों पर कंट्रोल रखना होगा। आज निवेश से जुड़े फैसले टाल दें।

वृश्चिक राशि : आज वृश्चिक राशि वालों की जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होंगी। प्रेम-संबंधों में मधुरता आएगी। लव लाइफ की प्रॉब्लम दूर होगी। ऑफिस में काफी बिजी शेड्यूल रहेगा। नए प्रोजेक्ट पर काम करने का अवसर मिलेगा। कुछ लोगों के रिलेशनशिप को पैरेंट्स का अप्रूवल मिल सकता है। आज आप सोच-समझकर रियल एस्टेट या नई प्रॉपर्टी में इनवेस्ट कर सकते हैं। कुछ जातकों को धन को लेकर चल रहे कानूनी विवादों से छुटकारा मिलेगा। स्वास्थ्य पहले से बेहतर रहेगा। भौतिक सुख-सुविधाओं में जीवन व्यतीत करेंगे।

धनु राशि : आज आप आर्थिक मामलों में भाग्यशाली रहेंगे। आय के नवीन स्त्रोतों से धन लाभ होगा।, लेकिन विपरीत परिस्थिति से बाहर निकलने के लिए धन बचत जरूर करें। धन के लेन-देन में थोड़ी सावधानी बरतें। प्रोफेशनल लाइफ में सबकुछ अच्छा रहेगा। नई जॉब के लिए इंटरव्यू कॉल आ सकती है। कुछ जातकों को विदेश में जॉब करने का अवसर मिल सकता है। जिन लोगों का अभी हाल ही में ब्रेक-अप हुआ है, उनकी लाइफ में किसी खास व्यक्ति की एंट्री हो सकती है। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। हेल्दी लाइफस्टाइल मेंटेन करें। सेल्फकेयर एक्टिविटी में शामिल हों।

मकर राशि : आज का दिन सामान्य रहेगा। प्रोफेशनल लाइफ में खूब तरक्की करेंगे। करियर में कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। नए कार्य की जिम्मेदारी मिलेगी। करियर में उन्नति के कई मौके मिलेंगे। हालांकि, जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद संभव है। आज बातचीत के जरिए रिलेशनशिप की दिक्कतों को सुलझाने का प्रयास करें। रिश्तों में कड़वाहट ज्यादा बढ़ने न दें। आर्थिक मामलों में दिन अच्छा है। आय में वृद्धि होगी। इंकम के नए सोर्स बनेंगे। देर रात वाहन चलाने से बचें। ट्रैफिक के नियमों का कड़ाई से पालन करें।

कुंभ राशि : आज आपकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी रहेगी। आय के नए स्त्रोतों से धन लाभ होगा। नए घर या वाहन की खरीदारी संभव है। प्रोफेशनल लाइफ में नए अवसरों का भरपूर लाभ उठाएं। काम के सिलसिले में यात्रा के योग बनेंगे। बिजनेसमेन को नए लोकेशन पर व्यापार में बढ़ोत्तरी के लिए कई जगहों से फंड मिल सकता है। लव लाइफ में इमोशनल डिस्टर्बेंस बनी रहेगी। आज भावुक होकर कोई फैसला न लें। पार्टनर के साथ रोमांटिक डिनर का प्लान बना सकते हैं या उन्हें सरप्राइज गिफ्ट दे सकते हैं। इससे रिश्तों में प्यार और रोमांस बढ़ेगा। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। तनाव मुक्त रहेंगे।

मीन राशि : मीन राशि वालों के लिए आज का दिन मिलाजुला परिणाम देने वाला है। आज आपके लंबे समय से रुके हुए कार्य सफल होंगे। ऑफिस में आपके कार्यों का क्लाइंट पॉजिटिव फीडबैक देंगे। सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। करियर में नई उपलब्धियां हासिल करेंगे। मैरिड लाइफ में किसी तीसरे का दखल ज्यादा बढ़ने न दें। रिलेशनशिप की दिक्कतों को बातचीत के जरिए समाधान निकालें। रिश्तों में धैर्य बनाए रखें। पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें और उनसे अपने इमोशन्स शेयर करें। इससे साथी संग रिश्ता मजबूत और गहरा होगा। स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। टू-व्हीलर वाहन चलाते समय थोड़ी सावधानी बरतें।

आज का राशिफल, 7 जुलाई 2024:जानिये पंचांग के अनुसार आज का शुभ मुहूर्त और ग्रहयोग


राष्ट्रीय मिति आषाढ़ 16, शक सम्वत् 1946, आषाढ़, शुक्ला, द्वितीया, रविवार, विक्रम सम्वत् 2081। सौर आषाढ़ मास प्रविष्टे 24, जिल्हिजा 30, हिजरी 1445 (मुस्लिम) तदनुसार अंगे्रजी तारीख 07 जुलाई सन् 2024 ई। सूर्य दक्षिणायन, उत्तर गोल, वर्षा ऋतु। राहुकाल सायं 04 बजकर 30 मिनट से 06 बजे तक। द्वितीया तिथि अगले दिन सुबह 05 बजे तक उपरांत तृतीया तिथि का आरंभ।

पुष्य नक्षत्र प्रातः सूर्योदय से लेकर अगले दिन प्रातः 06 बजकर 03 मिनट तक उपरांत आश्लेषा नक्षत्र का आरंभ। हर्षण योग अर्धरात्रोत्तर 02 बजकर 13 मिनट तक उपरांत वज्र योग का आरंभ। बालव करण सायं 04 बजकर 44 मिनट तक उपरांत तैतिल करण का आरंभ। चन्द्रमा दिन रात कर्क राशि पर संचार करेगा।

आज के व्रत त्योहार और यात्रा उत्सव (श्री जगन्नाथ पुरी), चन्द्र दर्शन, मुहूर्त 30, रवि पुष्य योग।

सूर्योदय का समय 7 जुलाई 2024 : सुबह 5 बजकर 29 मिनट पर।

सूर्यास्त का समय 7 जुलाई 2024 : शाम में 7 बजकर 22 मिनट पर।

आज का शुभ मुहूर्त 7 जुलाई 2024 :

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 8 मिनट से 4 बजकर 49 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्‍यरात्रि रात में 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 7 बजकर 21 मिनट से 7 बजकर 42 मिनट तक। अमृत काल सुबह 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 26 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 7 जुलाई 2024 :

राहुकाल सुबह 4 बजकर 30 मिनट से 6 बजे तक। इसके बाद दोपहर में 3 बजकर 30 मिनट से 4 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल। दोपहर में 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक यमगंड। दुर्मुहूर्त काल सुबह 8 बजकर 16 मिनट से 9 बजकर 11 मिनट तक।

उपाय : लाल गाय को गुड़ रखकर चार रोटी खिलाएं।

शिव ज्योतिर्लिंग -5: झारखंड के देवघर स्थित बैधनाथ धाम शिव और शक्ति का है सिद्ध पीठ, जिनके दर्शन से होगा आप का कल्याण

जानिए इस ज्योतिर्लिंग का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व


विनोद आनंद 

देवघर स्तिथ बैजनाथ धाम भगवान् भोलेनाथ का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहाँ शिव और शक्ति एक साथ बिराजमान हैं.इसलिए इसे शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है.

ये भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह एक है.

झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम, द्वादश ज्योतिर्लिंगों में इसे 9 वें ज्योतिर्लिंग है.  

मान्यताओं के मुताबिक बाबा बैद्यनाथ धाम में ही माता सती का हृदय कटकर गिरा था इसलिए इसे ही हृदयपीठ के रूप में भी जाना जाता है.

देवघर स्थित विश्व प्रसिद्ध बैद्यनाथ मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसका जुड़ाव लंकापति दशानन रावण से है, रावण से जुड़ाव के कारण बैधनाथ धाम स्थित भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग को रावणेश्वर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है.इस लिए बाबा बैधनाथ के दर्शन पूजन से लोगों का कल्याण होता है. बाबा बैधानाथ की कृपा बनी रहती है.आज यह आस्था का प्रमुख केंद्र है. जहाँ करोड़ों लोग जुटाते हैं.

पौराणिक कथा


पौराणिक कथाओं के अनुसार लंकापति रावण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक के बाद एक अपनी सर की बलि देकर शिवलिंग पर चढ़ा रहे थे, एक के बाद एक कर दशानन रावण ने भगवान के शिवलिंग पर 9 सिर काट कर चढ़ा दिए, जैसे ही दशानन दसवें सिर की बलि देने वाला था वैसे ही भगवान भोलेनाथ प्रकट हो गए. भगवान ने प्रसन्न होकर दशानन से वरदान मांगने को कहा, इसके बाद वरदान के रूप में रावण भगवान शिव को लंका चलने को कहते हैं. उनके शिवलिंग को लंका में ले जाकर स्थापित करने का वरदान मांगते हैं, भगवान रावण को वरदान देते हुए कहते हैं कि जिस भी स्थान पर शिवलिंग को तुम रख दोगे मैं वहीं पर स्थापित हो जाऊंगा.

रावण को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने लिया चरवाहे का रूप


भगवान भोलेनाथ शिवलिंग को लंका ले कर जा रहे थे.रावण को रोकने के लिए सभी देवों के आग्रह पर मां गंगा रावण के शरीर में प्रवेश कर जाती है. जिस कारण उन्हें रास्ते में जोर की लघुशंका लगती है, इसी बीच भगवान विष्णु वहां एक चरवाहे के रूप में प्रकट हो जाते हैं, जोर की लघु शंका लगने के कारण रावण धरती पर उतर जाता है और चरवाहे के रूप में खड़े भगवान विष्णु के हाथों में शिवलिंग देकर यह कहता है कि इसे उठाए रखना जब तक में लघु शंका कर वापस नहीं लौट आता.

इधर मां गंगा के शरीर में प्रवेश होने के कारण लंबे समय तक रावण लघुशंका करता रहता है. इसी बीच चरवाहे के रूप में मौजूद बच्चा भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग का भार नहीं सहन कर पाता और वह उसे जमीन पर रख देता है. 

लघुशंका करने के उपरांत जब रावण अपने हाथ धोने के लिए पानी खोजने लगता है जब उसे कहीं जल नहीं मिलता है तो वह अपने अंगूठे से धरती के एक भाग को दबाकर पानी निकाल देता है. जिसे शिवगंगा के रूप में जाना जाता है. शिव गंगा में हाथ धोने के बाद जब रावण धरती पर रखे गए शिवलिंग को उखाड़ कर अपने साथ लंका ले जाने की कोशिश करता है तो वो ऐसा करने असमर्थ हो जाता है. इसके बाद आवेश में आकर वह शिवलिंग को धरती में दबा देता है जिस कारण बैधनाथ धाम स्थित भगवान शिव की स्थापित शिवलिंग का छोटा सा भाग ही धरती के ऊपर दिखता है, इसे रावणेश्वर बैधनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है.

दंतकथाएं


रावण की कथा के अलावा, बाबा बैद्यनाथ मंदिर से जुड़ी कई अन्य रोचक किंवदंतियाँ भी हैं.ऐसी ही एक कथा “बैद्यनाथ” नाम की उत्पत्ति के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका अर्थ है ‘चिकित्सकों का भगवान’ या ‘उपचारों का राजा’. इस कथा के अनुसार, भगवान शिव ने रावण को ठीक करने के लिए एक चिकित्सक की भूमिका निभाई थी, जो अपनी भक्ति के दौरान घायल हो गया था.शिव की उपचार शक्तियों से प्रभावित होकर, रावण ने उनसे देवघर में लिंग के रूप में निवास करने का अनुरोध किया.

एक और लोकप्रिय किंवदंती चंद्रकांत मणि के बारे में है, जो भगवान शिव के माथे का रत्न है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह देवघर में गिरा था.भक्तों का मानना ​​है कि यह रत्न अभी भी गर्भगृह में मौजूद है, जो दिव्य ऊर्जा बिखेरता है.

इतिहास


बाबा बैद्यनाथ मंदिर का इतिहास एक हज़ार साल से भी ज़्यादा पुराना है.ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, मंदिर का निर्माण मूल रूप से नागवंशी राजवंश के पूर्वज पूरन मल ने 8 वीं शताब्दी में करवाया था. हालाँकि, सदियों से मंदिर में कई जीर्णोद्धार और विस्तार हुए हैं, माना जाता है कि वर्तमान संरचना का निर्माण 16वीं शताब्दी में राजा मान सिंह ने करवाया था.

मंदिर परिसर एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी विशेषता इसकी ऊंची चोटी, जटिल नक्काशी और एक पवित्र तालाब है जिसे श्रावणी मेला कुंड के नाम से जाना जाता है. मंदिर की वास्तुकला नागर और द्रविड़ सहित विभिन्न शैलियों के मिश्रण को दर्शाती है, जो इसके डिजाइन को आकार देने वाले विविध सांस्कृतिक प्रभावों को प्रदर्शित करती है.

इस मंदिर को लेकर और हैं ऐतिहासिक तथ्य 


 पुरातत्ववेत्ताओं के लिए आज भी चुनौती है. सातवीं शताब्दी में सात शैवमतावलम्बी राजाओं के देवघर आगमन का जिक्र इतिहास में दर्ज है. कहा जाता है कि बाबाधाम का ऐतिहासिक शिव मंदिर का निर्माण उसी काल में हुआ है. यदि उस समय मंदिर का निर्माण हुआ, तो मंदिर 1300 वर्ष पुराना है. 1000 वर्ष पहले का इतिहास दशनामी साधुओं और गोरखनाथ पंथी संन्यासियों के अधिकार क्षेत्र में बाबा मंदिर को बताया गया है. इसलिए इतिहासविद् भी नि:संकोच बताते हैं कि बाबा मंदिर हजार वर्ष से अधिक पुराना है. बावजूद अभी भी पुरातत्ववेत्ताओं के लिए यह शिव मंदिर खोज का विषय बना हुआ है. अब तक बाबा वैद्यनाथ मंदिर का निर्माणकाल अस्पष्ट है। भारत के शैवमतावलंबी अनेक राजा देवघर आए और कामनालिंग की पूजा-अर्चना की.

 इतिहास बताता है कि 148-70 के बीच नवनाग और 290 से 315 के बीच भवनाग के पयंत भारशिवों के सात राजा हुए. उन्होंने गंगा, यमुना के संकेतों को अपना राज चिह्न बनाया. सभी सात राजा देवघर आए. सातवीं शताब्दी में शैव मतावलम्बी अनेक राजा हुए जिनमें माधव गुप्त के पुत्र आदित्य सेन भी थे. उनके राज्य में आधुनिक उत्तर प्रदेश, बिहार और के कुछ हिस्से भी शामिल थे. वैद्यनाथ मंदिर के पूरब दरवाजा पर चार शिलालेख जड़ित हैं. भाषा ब्राह्मीलिपि में है. इन शिलालेखों में मंदार पर्वत का भी जिक्र आया है.

 राजा आदित्य सेन का उल्लेख भी मिलता है इतिहास में 


पुरातत्ववेत्ता प्रो. राखाल दास बनर्जी ने भी मंदार पर्वत के शिलालेख का उल्लेख किया है

 जे. एफ. फ्लीट की प्रसिद्ध पुस्तक ‘कांरपस इन्सकिप्पनम इंण्डिकेरम के तीसरे भाग में भी इसका जिक्र मिलता है. आदित्य सेन का काल सातवीं शताब्दी है। प्रो. राखाल दास बनर्जी के अनुसार आदित्य सेन 672 ई. तक जीवित थे.

 वैद्यनाथ मंदिर के मध्य खंड में गर्भद्वार स्थित ऊपरी भाग में एक शिलालेख है जिसमें लिखा है कि “अचल राशि शाय कोल्लसित भूमि शाकाब्द केवलति रघुनाथ बहवलपूज के श्रद्धया विमल गुण चेतसा, नृपति पुरणेनासिरम त्रिपुर हर मंदिर वयरिच सर्वकामप्रदम”

जिसकी अगर व्याख्या करें तो इसका अर्थ होता है अचल-7, राशि-01, शायक-05, भूमि-01 अर्थात शाके 1517 में पूरण राजा ने सर्वकाम प्रदम शिवमंदिर का निर्माण कराकर विमल गुण वाले नौष्ठिक ब्राह्मण रघुनाथ को दान दिया.

इस प्रकार शिलालेख के अनुसार 400 वर्ष पूर्व मंदिर का निर्माण बताया जाता है पर राजा आदित्य सेन के सातवीं शताब्दी के जिक्र से लगता है कि मंदिर हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है. हजार साल पहले बाबा मंदिर के चारों ओर दशनामी साधुओं का अखाड़ा होने का भी जिक्र मिलता है.इसके अलावे बहुत दिनों तक गोरखनाथ पंथी साधुओं ने मंदिर पर अधिकार कर लिया था.नाथों के भय से दशनामी साधु देवघर छोड़कर चले गए. बाबा मंदिर के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित नाथ बाड़ी आज भी इसका प्रमाण है. इसलिए बाबा वैद्यनाथ मंदिर के निर्माण काल को हजार साल से अधिक माना जा सकता है सांस्कृतिक महत्व

बाबा बैद्यनाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि एक सांस्कृतिक केंद्र भी है.

 यह मंदिर पवित्र श्रावण महीने के दौरान, विशेष रूप से शिवरात्रि के शुभ दिन पर लाखों भक्तों को आकर्षित करता है. वार्षिक श्रावणी मेला एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा है, जहाँ भक्त भगवान शिव को अर्पित करने के लिए गंगा से पवित्र जल लेकर कांवड़ यात्रा करते हैं.

मंदिर का सांस्कृतिक महत्व पूरे वर्ष आयोजित होने वाले विभिन्न अनुष्ठानों, त्योहारों और समारोहों में भी स्पष्ट है. इन समारोहों के दौरान जीवंत माहौल बाबा बैद्यनाथ के साथ लोगों के गहरे आध्यात्मिक जुड़ाव को दर्शाता है.

सावन के महीने में देवघर में लगता है श्रावणी मेला


मान्यताओं के अनुसार जो भी भक्त कांधे पर कांवर लेकर सुल्तानगंज से जल उठा कर पैदल भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है, इसीलिए ऐसी मनोकामना लिंग के रूप में भी जाना जाता है. सावन के महीने में हर दिन लाखों श्रद्धालु की भीड़ सुल्तानगंज से जल उठा कर कांवर में जल भरकर पैदल 105 किलोमीटर की दूरी तय कर देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम पहुंचकर जलाभिषेक करते हैं , सावन के महीने में देवघर में लगने वाली विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला देश की सबसे लंबे दिनों तक चलने वाली धार्मिक आयोजनों में से एक है जहाँ लोग आस्था के साथ कांबड़ लेकर जाते हैं निष्कर्ष 

देवघर का बैधनाथ धाम जहाँ एक पौराणिक महत्व, का आस्था का केंद्र है वहीं अभी भी इसकी एतिहासिकता को लेकर इस पर शोध की जरूरत है. लेकिन यह विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग का दर्शन बहुत ही पहलदायी है. कोरोडो लोग देश विदेश से यहां सावन में पहुंचते है इस लिए यह तीर्थ काफी महत्वपूर्ण धार्मिक धरोहर है.