"जय भीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन... "लोकसभा में शपथ लेने के बाद लगाया ओवैसी ने लगाया नारा

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लोकसभा में सांसदों का शपथग्रहण जारी है। सोमवार से 18वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित सदस्यों का शपथ ग्रहण चल रहा है। सदन के प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब एक एक कर सभी सदस्यों को सदन की सदस्यता की शपथ दिला रहे हैं। सोमवार को सबसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा सदस्य की शपथ ली थी। अब तक 350 से अधिक सांसदों ने शपथ ले ली है। इस बीच मंगलवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम के नेता अससुद्दीन ओवैसी के शपथ ग्रहण के दौरान लोकसभा में हंगामा हो गया।

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से एक बार फिर चुनकर सांसद बने असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में अपने शपथग्रहण से नए विवाद को जन्म दे दिया। दरअसल, ओवैसी ने शपथ लेने के आखिर में जय फलस्तीन का नारा लगाया।ओवैसी ने अपनी शपथ के अंत में कहा, "जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन, तकबीर अल्लाह-हू-अकबर।"

जब असद्दुदीन ओवैसी ने अपने शपथ में जय फिलिस्तीन बोला तो केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद शोभा करंदलाजे ने इस पर ऐतराज जताया। इसके बाद लोकसभा में पीठासीन अधिकारी राधामोहन सिंह ने असद्दुदीन ओवैसी के इस बयान को रिकार्ड से निकालने को बोला। हालांकि, ओवैसी के इस बयान का वीडियो अब वायरल हो गया है।

असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद लोकसभा सीट से लगातार पांचवीं बार जीत दर्ज की है। असदुद्दीन ओवैसी को इस बार कुल 6,61,981 वोट मिले और उन्होंने बीजेपी की माधवी लता को 3,38087 वोटों से मात दी है। इससे पहले 2019 के चुनाव में ओवैसी ने कुल 58.95% वोट शेयर के साथ जीत दर्ज की थी। ओवैसी हैदराबाद लोकसभा सीट से पहली बार 2004 में चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने 2009, 2014, 2019 और 2024 में अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा है।

संसद में केंद्र को घेरने के लिए राहुल गांधी ने बनाई 10 मुद्दों की लिस्ट, बोले- सरकार बचाने में व्यस्त हैं मोदी




कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आज सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के पहले 15 दिनों के प्रदर्शन को लेकर उसकी आलोचना की। एक्स पर एक पोस्ट में राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल में एक दुखद रेल दुर्घटना और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों सहित कई घटनाओं और मुद्दों को सूचीबद्ध किया, और दावा किया कि प्रधानमंत्री “अपनी सरकार को बचाने में व्यस्त हैं।”


उन्होंने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के पहले दिन NDA सरकार को घेरने के लिए NEET-UG और UGC-NET पेपर लीक, NEET-PG परीक्षा रद्द करने, दूध, दाल और गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ टोल खर्च का भी जिक्र किया। राहुल गांधी ने एक्स पर कहा कि, "NDA के पहले 15 दिन! 1. भीषण रेल हादसा 2. 2. 2. कश्मीर में आतंकी हमले 3. ट्रेनों में यात्रियों की दुर्दशा 4. नीट घोटाला
3.  5. नीट पीजी रद्द 6. यूजीसी नेट पेपर लीक 7. दूध, दाल, गैस, टोल और महंगा 8. आग से धधकते जंगल 9. जल संकट 10. लू के दौरान इंतजामों की कमी से मौतें।" उन्होंने कहा कि, "मनोवैज्ञानिक रूप से बैकफुट पर नरेंद्र मोदी अपनी सरकार बचाने में व्यस्त हैं।"


रायबरेली से सांसद ने कहा कि मोदी सरकार की कार्रवाई संविधान पर हमला है। उन्होंने कहा कि विपक्ष दबाव बनाना जारी रखेगा और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि, "नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार द्वारा संविधान पर हमला हमें स्वीकार्य नहीं है - और हम किसी भी परिस्थिति में ऐसा नहीं होने देंगे। भारत का मजबूत विपक्ष अपना दबाव जारी रखेगा, लोगों की आवाज उठाएगा और प्रधानमंत्री को जवाबदेही के बिना भागने नहीं देगा।”

इससे पहले दिन में कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक के विपक्षी नेताओं ने अपने हाथों में संविधान की प्रतियां लेकर लोकसभा तक मार्च किया। यह पूछे जाने पर कि क्या विपक्ष का संदेश लोगों तक पहुंच रहा है, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "हमारा संदेश जनता तक पहुंच रहा है और कोई भी शक्ति भारत के संविधान को नहीं छू सकती है और हम इसकी रक्षा करेंगे।" राहुल गांधी के ट्वीट से माना जा रहा है कि, इन मुद्दों पर संसद में काफी हंगामा होने वाला है, उम्मीद है कि इन मुद्दों पर सार्थक चर्चा होगी, सिर्फ हंगामा करके संसद का कीमती वक़्त बर्बाद नहीं किया जाएगा।
जेल में ही रहेंगे अरविंद केजरीवाल, दिल्ली हाईकोर्ट से नहीं मिली बेल
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शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत पर लगी रोक को बरकरार रखा है। हाई कोर्ट का फैसला आने तक दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जेल में ही रहेंगे।

ईडी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की जमानत पर लगी रोक अभी जारी रहेगी। दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सुधीर कुमार जैन की एकल बेंच ने यह फैसला सुनाया है।ईडी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि एएसजी राजू ने मुद्दा उठाया कि निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि इतने दस्तावेज पढ़ना संभव नहीं था। हमारा मानना है कि इस तरह की टिप्पणी पूरी तरह से अनुचित थी और यह दर्शाती है कि ट्रायल कोर्ट ने रिकॉर्ड पर अपना ध्यान नहीं लगाया। हाईकोर्ट का विचार है कि ट्रायल कोर्ट ने अपना विवेक नहीं लगाया है और सामग्री पर विचार नहीं किया है।

अदालत ने कहा कि दलीलों पर सही ढंग से बहस नहीं हुई थी, इसलिए राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले को रद्द करते हैं। फैसले को देखकर ऐसा लगता है कि केजरीवाल को जमानत देते समय विवेक का इस्तेमाल नहीं किया। अदालत को ईडी को बहस करने के लिए पर्याप्त अवसर देना चाहिए था।

कोर्ट के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी का कहना है, हम हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं। हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। जमानत पर आदेश को इस तरह से नहीं रोका जा सकता, सुप्रीम कोर्ट ने भी कल यही कहा है।

इससे पहले केजरीवाल के वकील की ओर से हाईकोर्ट के निचली अदालत का आदेश देखे बिना जमानत को स्टे किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट रुख किया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि अगर हाई कोर्ट गलती कर दे तो क्या सुप्रीम कोर्ट को दोहराना चाहिए। हम हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार करेंगे। अब हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद कल यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की जमानत पर फैसले का इंतजार रहेगा।

बता दें कि दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में राउज एवेन्यू कोर्ट ने 20 जून को केजरीवाल को नियमित जमानत दी थी। इसके अगले ही दिन ईडी ने इस फैसले का विरोध किया और हाई कोर्ट में फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की। मामले की सुनवाई हुई। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की जमानत पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने कहा था मामले की सुनवाई होने तक ट्रायल कोर्ट के जमानत के आदेश पर अंतरिम रोक रहेगी।21 जून को दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि हम 2/3 दिन के लिए आदेश सुरक्षित रख रहे हैं। आदेश सुनाए जाने तक ट्रायल कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाई जाती है। इसके बाद केजरीवाल ने जमानत पर रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार करें। हम 26 जून को इस मामले की सुनवाई करेंगे।
टाटा के बाद अब ब्रिटानिया ने भी छोड़ा बंगाल, फैक्ट्री बंद होने से कई लोगों का रोज़गार ख़त्म ! भाजपा ने राज्य सरकार पर उठाए कई सवाल




एफएमसीजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के तारातला में स्थित अपनी ऐतिहासिक फैक्ट्री को बंद करने जा रही है, जो लगभग सात दशकों से भी अधिक समय से काम कर रही थी और इससे जुड़कर हज़ारों लोगों का घर चल रहा था। बिस्किट बनाने वाली इस दिग्गज कंपनी ने हाल ही में स्टॉक एक्सचेंजों - BSE और NSE को सूचित किया है कि कोलकाता में स्थित इसकी तारातला फैक्ट्री के सभी स्थायी कर्मचारियों ने उन्हें दी गई स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) को स्वीकार कर लिया है। बता दें कि तरातला फैक्ट्री भारत की दूसरी सबसे पुरानी फैक्ट्री है, जो मुंबई के बाद दूसरे नंबर पर है। इसकी स्थापना 1947 में हुई थी।



इससे पहले 20 जून 2024 को कंपनी ने कहा था कि, "यह सूचित किया जाता है कि कंपनी द्वारा पश्चिम बंगाल के कोलकाता के तारातला में स्थित अपने कारखाने में श्रमिकों को दी गई स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना को कंपनी के उपरोक्त कारखाने के सभी स्थायी श्रमिकों द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।" कंपनी ने नियामक फाइलिंग में कहा कि, "कंपनी के व्यावसायिक परिचालन पर कोई भौतिक प्रभाव नहीं पड़ा है।" रिपोर्ट के अनुसार , प्रबंधन ने VRS के बारे में संविदा कर्मचारियों के साथ चर्चा भी शुरू कर दी है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज आर्थिक व्यवहार्यता चुनौतियों का सामना कर रही है। इससे पहले मुंबई और चेन्नई में ब्रिटानिया की पुरानी फैक्ट्रियों को भी बंद किया गया था।

सूत्रों ने बताया कि कंपनी ने कर्मचारियों के साथ VRS पर सीधे समझौता कर लिया है और शेष सेवा अवधि के आधार पर स्थायी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी और पीएफ के अलावा 13 लाख रुपये से 22 लाख रुपये तक के विच्छेद पैकेज की पेशकश की गई है। सूत्रों के अनुसार प्रबंधन ने कर्मचारियों को संकेत दिया है कि गुड डे, मिल्क बिकिस और क्रीम क्रैकर जैसे ब्रांडों के तहत बिस्कुट बनाने वाला प्लांट पुराना हो चुका है।  सूत्रों ने बताया कि FMCG फर्म ने 2018 में 11 एकड़ के प्लॉट के लिए लीज का नवीनीकरण किया था और उसे 2048 तक बढ़ा दिया था। हालांकि, कंपनी ने यूनिट में उत्पादन जारी रखना लागत-कुशल पाया। हालांकि फैक्ट्री को बंद नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों ने संकेत दिया कि प्रबंधन SMPT (पूर्व में कलकत्ता पोर्ट ट्रस्ट) को जमीन का कुछ हिस्सा वापस करने पर विचार कर रहा है, जो प्लॉट का मालिक है। इस बीच, कई नेटिज़न्स ने दावा किया है कि यह राज्य से टाटा नैनो के बाहर निकलने जैसा है और राज्य के आर्थिक नुकसान के लिए तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के शासन मॉडल की आलोचना की है।


भारत की अग्रणी खाद्य कंपनियों में से एक ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज बंगाल को अपना तीसरा सबसे बड़ा बाजार मानती है, जो 900 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित करती है। अपने कोलकाता प्लांट के अलावा, ब्रिटानिया बिहार, ओडिशा और असम में भी अपनी सुविधाएं संचालित करती है। 2016 में, कंपनी ने बंगाल में दूसरी इकाई की योजना की घोषणा की, जिसका उद्देश्य 2018 तक परिचालन शुरू करना था। हालांकि, राज्य में स्थानों की तलाश करने के बावजूद, योजना साकार नहीं हुई। इसके बजाय, कंपनी ने 2018 में अपने असम प्लांट का उद्घाटन किया और हाल ही में दिसंबर 2023 में बिहार में दूसरी इकाई स्थापित की।


TATA ने भी ममता सरकार के कारण छोड़ दिया था बंगाल

गौरतलब है कि ममता बनर्जी की अगुआई वाली TMC सरकार की व्यापार विरोधी नीतियों और रवैये के कारण पश्चिम बंगाल से बाहर निकलने वाली ब्रिटानिया पहली कंपनी नहीं है। इससे पहले टाटा समूह ने सिंगूर में टाटा नैनो प्लांट को लेकर विवादों के चलते राज्य छोड़ दिया था। 2006 में बंगाल की तत्कालीन लेफ्ट सरकार ने सिंगूर और हुगली में करीब 1,000 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी। इसके बाद, उसने राज्य में रोजगार सृजन के लिए टाटा नैनो विनिर्माण सुविधा बनाने के लिए इसे टाटा मोटर्स को सौंप दिया था।


हालांकि, तत्कालीन विपक्षी नेता और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, जो वर्तमान में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं, ने भूमि अधिग्रहण का विरोध किया था। नतीजतन, टाटा मोटर्स को सिंगुर परियोजना को स्थगित करना पड़ा, लेकिन तब तक वह सिंगुर संयंत्र में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का  निवेश कर चुकी थी। ऑटोमोबाइल की यह प्रमुख कंपनी बाद में गुजरात चली गई और टाटा नैनो के निर्माण के लिए साणंद में एक संयंत्र स्थापित किया। टाटा मोटर्स ने जून 2010 में साणंद में अपनी नैनो कारों के निर्माण के लिए एक नए संयंत्र का उद्घाटन किया, जो भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले विरोध के कारण पश्चिम बंगाल से संयंत्र को स्थानांतरित करने के लिए मजबूर होने के लगभग दो साल बाद हुआ। टाटा नैनो के साणंद संयंत्र का उद्घाटन तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने किया था।


वहीं, इसको लेकर भाजपा ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा ने कहा है कि  ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज की फैक्ट्री का आज बंद होना बंगाल के पतन का प्रतीक है - एक ऐसा क्षेत्र जो कभी अपनी सांस्कृतिक समृद्धि और बौद्धिक कौशल के लिए जाना जाता था - जो घोर अव्यवस्था में है। ब्रिटानिया फैक्ट्री, जो कभी बंगाल में औद्योगिक जीवन शक्ति का प्रतीक थी, वामपंथी शासन के दौरान CPI(M) की व्यापक 'यूनियनबाजी' के कारण काफी नुकसान झेलना पड़ा। TMC की अथक 'तोलाबाजी' (अवैध कमीशन) ताबूत में आखिरी कील थी, जो अंततः फैक्ट्री के पतन का कारण बनी। बंगाल, जो पहले से ही TMC की जबरन वसूली और सिंडिकेट के कारण गंभीर बेरोजगारी में फंसा हुआ था, अब फैक्ट्री के बंद होने से और भी अधिक विकट स्थिति का सामना कर रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर छंटनी हो रही है। दुर्भाग्य से, बंगाल की नियति अब 'यूनियनबाजी' और 'टोलाबाजी' के दोहरे अभिशाप में फंस गई है। अहम सवाल यह है कि बंगाल को इस अभिशाप से कब मुक्ति मिलेगी?
कथावाचक प्रदीप मिश्रा के ब्रज में प्रवेश पर संतों ने लगाई रोक, शास्त्रार्थ की भी दी चुनौती, जानिए क्या है पूरा मामला?





मशहूर कथावाचक प्रदीप मिश्रा एवं प्रेमानंद महाराज जी के बीच विवाद थमा ही था कि अब ब्रज ने कथावाचक प्रदीप मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रदीप मिश्रा के विरुद्ध ब्रज के संत, महंत एवं धर्माचार्यों ने महापंचायत की। इस महापंचायत में धर्माचार्य, संत, महंत एवं महामंडलेश्वर ने प्रदीप मिश्रा के ब्रज में प्रवेश करने पर पाबंदी लगा दी। ये महापंचायत प्रदीप मिश्रा द्वारा राधारानी को लेकर दिए गए विवादित बयान की वजह से हुई।


मथुरा में ब्रज के संतों, महंतों एवं धर्माचार्यों की आज महापंचायत हुई। ये महापंचायत बरसाना में रमेश बाबा के रसमंडप गहबरवन में हुई। कथावाचक प्रदीप मिश्रा के राधारानी पर दिए गए विवादित बयान को लेकर इस महापंचायत को किया गया। दरअसल प्रेमानंद महाराज एवं प्रदीप मिश्रा के बीच राधा रानी को लेकर दिए बयान जमकर वायरल हुए थे। प्रेमानंद जी ने कथावाचक प्रदीप मिश्रा को नसीहत दी थी। इस बीच भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने फोन पर प्रदीप मिश्रा एवं प्रेमानंद जी के बीच सुलह करवा दी थी।

संत समाज इसी बात से प्रेमानंद जी से नाराज है कि उन्होंने मोबाइल पर प्रदीप मिश्रा से सुलह कर ली तथा ब्रज के किसी संत से इस बारे में सलाह नहीं ली। अब प्रदीप मिश्रा के बरसाना आकर माफी न मांग लेने तक संतों का विरोध जारी रहेगा। ब्रज के धर्माचार्यों ने प्रदीप मिश्रा को शास्त्रार्थ कर लेने की चुनौती दी है।
2028 में सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले इंदौर-उज्जैन के बीच दौड़ेगी वंदे मेट्रो ट्रेन ! सीएम मोहन यादव ने दी बड़ी अपडेट






2028 में उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले की तैयारियों के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक बैठक की अध्यक्षता की। जिसमें शहरी परिवहन के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। राज्य सरकार ने इंदौर और उज्जैन को जोड़ने वाली वंदे मेट्रो ट्रेन शुरू करने का फैसला किया है, जिसका उद्देश्य निवासियों, पर्यटकों और श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ाना है। इस पहल में इंदौर हवाई अड्डे को उज्जैन के महाकाल मंदिर से जोड़ना शामिल है, जिससे धार्मिक आयोजन के दौरान निर्बाध यात्रा की सुविधा मिलेगी।


यादव ने बताया कि इंदौर-उज्जैन मेट्रो मार्ग के लिए व्यवहार्यता सर्वेक्षण पूरा हो चुका है, जो इसके कार्यान्वयन की दिशा में प्रगति का संकेत है। इसके अतिरिक्त, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ चर्चा के परिणामस्वरूप मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों में वंदे मेट्रो सर्किल ट्रेनें शुरू करने की योजना बनाई गई है। इन आधुनिक मेट्रो प्रणालियों से यातायात की भीड़ कम होने और शहरी परिवहन में उल्लेखनीय सुधार होने की उम्मीद है।

मेट्रो के बुनियादी ढांचे में प्रगति पर सीएम यादव ने पिछले अक्टूबर में भोपाल मेट्रो के पहले चरण के सफल ट्रायल रन का उल्लेख किया, जिसके बाद के चरणों को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इंदौर में 31 किलोमीटर की मेट्रो लाइन के लिए भी निर्माण कार्य चल रहा है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन को और बढ़ाना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नई वंदे मेट्रो ट्रेनों में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा और पारंपरिक मेट्रो सिस्टम की तुलना में ये अधिक गति से चलेंगी। इस विकास से पीथमपुर और देवास जैसे औद्योगिक क्षेत्रों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा। कुल मिलाकर, बैठक के दौरान लिए गए निर्णय सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले परिवहन बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं, जिसका उद्देश्य सभी हितधारकों के लिए कुशल मेट्रो सेवाएं और सुगम आवागमन उपलब्ध कराना है।
उज्जैन के महाकाल मंदिर में टूटी परंपरा, बाबा महाकाल के जागने के पहले ही नंदी हॉल में...






मध्यप्रदेश के उज्जैन के श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में होने वाली भस्म आरती के दौरान प्रतिदिन भगवान वीरभद्र जी से आज्ञा लेने के बाद सभा मंडप स्थित चांदी द्वार खोला जाता है और उसके बाद मंदिर के पुजारी गर्भगृह तक पहुंचते हैं। जहां बने चांदी द्वार को भी पूजन के बाद खोला जाता है। तब मंदिर में भगवान का पूजन अर्चन अभिषेक होता है और फिर कपूर आरती के बाद नंदी हॉल मे श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाता है। जिसके बाद भस्म आरती की शुरुआत होती है, लेकिन रविवार की सुबह मंदिर में यह परंपरा टूट गई पुजारी और पुरोहितगण प्रतिदिन की तरह भगवान महाकाल की भस्मारती करने के लिए भगवान वीरभद्र से आज्ञा लेकर गर्भगृह की और पहुंचे तो उन्होंने देखा कि गर्भगृह के पट खुलने के पहले ही नंदी हॉल में श्रद्धालु बैठे हुए थे। जिस पर उन्होंने आपत्ति जताई और इस परंपरा को तोड़ने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर डाली।


इस बारे में महाकालेश्वर मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल का कहना था कि कर्मचारियों द्वारा प्रतिदिन की तरह ही भक्तों को पट खोलने के बाद ही नंदी हॉल में प्रवेश दिया जाना था, लेकिन अचानक हुई बारिश के कारण भक्तों को यहां पर पहले बिठा दिया गया था। हमने संज्ञान में लिया है, जिसके बाद कर्मचारियों ने पुजारी से माफी भी मांग ली है।
'आप संविधान के प्रति प्रेम दिखा रहे..', आपातकाल की 50 वीं बरसी पर पीएम मोदी ने कांग्रेस को दिखाया आइना






आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार को कांग्रेस पर आइना दिखाते हुए कहा कि पार्टी लोकतांत्रिक सिद्धांतों की अवहेलना कर रही है और "देश को जेल में बदल रही है।" उन्होंने पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उसे संविधान के प्रति "अपने प्रेम का दावा" करने का कोई अधिकार नहीं है। दरअसल, 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था, जिसके दौरान नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया गया था, विपक्षी नेताओं और असंतुष्टों को जेल में डाल दिया गया था और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई थी। यह आपातकाल 1977 तक 21 महीने तक लागू रहा।


एक ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल के दौरान अत्याचार सहने वालों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि ये काले दिन लोगों को याद दिलाते हैं कि कैसे कांग्रेस ने बुनियादी स्वतंत्रता को नष्ट किया और संविधान को कुचला। उन्होंने कहा कि, "आज का दिन उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया था। आपातकाल के काले दिन हमें याद दिलाते हैं कि किस तरह कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को नष्ट किया और भारत के संविधान को रौंद दिया, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है।"

उन्होंने ट्वीट किया कि, "सत्ता पर काबिज रहने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हर लोकतांत्रिक सिद्धांत की अवहेलना की और देश को जेल बना दिया। कांग्रेस से असहमत होने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रताड़ित और परेशान किया गया। सबसे कमजोर वर्गों को निशाना बनाने के लिए सामाजिक रूप से प्रतिगामी नीतियां लागू की गईं।" संविधान पर "हमला" किए जाने के आरोपों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आरोप लगाया कि पार्टी ने संघवाद को नष्ट कर दिया है और उसे संविधान के प्रति "अपना प्रेम जताने" का कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने कहा कि, "जिन लोगों ने आपातकाल लगाया, उन्हें हमारे संविधान के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने का कोई अधिकार नहीं है। ये वही लोग हैं जिन्होंने असंख्य अवसरों पर अनुच्छेद 356 (राज्य सरकारों को बर्खास्त करना- 90 बार) लगाया, प्रेस की स्वतंत्रता को नष्ट करने के लिए विधेयक पारित किया, संघवाद को नष्ट किया और संविधान के हर पहलू का उल्लंघन किया।"उन्होंने आगे कहा, "जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया, वह उसी पार्टी में जीवित है जिसने इसे लगाया था। वे अपने दिखावे के माध्यम से संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को छिपाते हैं, लेकिन भारत के लोगों ने उनकी हरकतों को देख लिया है और इसीलिए उन्होंने उन्हें बार-बार खारिज किया है।"


भाजपा नेताओं ने आपातकाल की बरसी पर डाली पोस्ट

आपातकाल को आधार बनाकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर लोकतंत्र की हत्या करने और उस पर बार-बार हमला करने का आरोप लगाया। उन्होंने ट्वीट किया, "लोकतंत्र की हत्या और उस पर बार-बार प्रहार करने का कांग्रेस का लंबा इतिहास रहा है। 1975 में आज ही के दिन कांग्रेस द्वारा लगाया गया आपातकाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अहंकारी और निरंकुश कांग्रेस सरकार ने एक परिवार की सत्ता के लिए 21 महीने तक देश में सभी प्रकार के नागरिक अधिकारों को निलंबित कर दिया था।"उन्होंने कहा, "इस दौरान उन्होंने मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी थी, संविधान में बदलाव किए थे और अदालत के हाथ भी बांध दिए थे। मैं उन अनगिनत सत्याग्रहियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, मजदूरों, किसानों, युवाओं और महिलाओं के संघर्ष को सलाम करता हूं जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ संसद से लेकर सड़क तक विरोध प्रदर्शन किया।"

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक "काला अध्याय" कहा। उन्होंने ट्वीट किया, "आज से ठीक 49 वर्ष पहले भारत में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल लगाया गया था। आपातकाल हमारे देश के लोकतंत्र के इतिहास का एक काला अध्याय है जिसे चाहकर भी भुलाया नहीं जा सकता। उस दौरान जिस तरह से सत्ता का दुरुपयोग व तानाशाही का खुला खेल खेला गया, वह लोकतंत्र के प्रति कई राजनीतिक दलों की प्रतिबद्धता पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।"उन्होंने कहा, "अगर आज इस देश में लोकतंत्र जीवित है, तो इसका श्रेय उन लोगों को जाता है, जिन्होंने लोकतंत्र को बहाल करने के लिए संघर्ष किया, जेल गए और इतनी शारीरिक और मानसिक यातनाएं झेलीं। भारत की आने वाली पीढ़ियां उनके संघर्ष और लोकतंत्र की रक्षा में उनके योगदान को याद रखेंगी।"


इसी तरह की भावनाएं व्यक्त करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि लोकतंत्र के संरक्षक होने का दावा करने वाली पार्टी ने संविधान की रक्षा करते हुए लोगों की आवाज दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा, "25 जून 1975 - यह वह दिन है जब कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक रूप से प्रेरित होकर आपातकाल लगाने के फैसले ने हमारे लोकतंत्र के स्तंभों को हिला दिया और डॉ. (बाबासाहेब) अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान को कुचलने का प्रयास किया।"

उन्होंने कहा, ‘‘इस दौरान, जो लोग आज भारतीय लोकतंत्र के संरक्षक होने का दावा करते हैं, उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए उठने वाली आवाजों को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।’’ नड्डा ने आगे कहा, "आज हम अपने महान नायकों द्वारा दिए गए बलिदानों को याद करते हैं, जिन्होंने आपातकाल के काले दिनों में बहादुरी से लोकतंत्र की रक्षा की। मुझे गर्व है कि हमारी पार्टी उस परंपरा से जुड़ी है, जिसने आपातकाल का डटकर विरोध किया और लोकतंत्र की रक्षा के लिए काम किया।" 18वीं लोकसभा के पहले दिन सोमवार को आपातकाल लगाए जाने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच वाकयुद्ध देखने को मिला।
टी20 वर्ल्ड कपःबांग्लादेश को हराकर अफगानिस्तान सेमीफाइनल में पहुंचा, ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड कप से बाहर*
#afghanistan_beat_bangladesh_in_t20_world_cup_2024
टी20 वर्ल्ड कप2024 में बांग्लादेश के खिलाफ मैच में अफगानिस्तान की टीम ने इतिहास रच दिया। वेस्टइंडीज के सेंट विसेंट स्टेडियम में राशिद खान की कप्तानी में अफगानिस्तान ने बांग्लादेश को हराकर वर्ल्ड कप इतिहास में पहली बार सेमीफाइनल में जगह बना ली है। राशिद खान की इस टीम ने वो करिश्मा कर दिखाया जिसकी कल्पना टूर्नामेंट से पहले करना दिन में ख्वाब देखना जैसा कहा जाता। अफगानिस्तान ने ये कोई चमत्कार नहीं किया है, जिसपर किसी को हैरानी हो। उसने जीत की आदत बना ली है। उसका लोहा उसके विरोधी भी मानने लगे हैं। बांग्लादेश को हराने से पहले इस टीम ने ऑस्ट्रेलिया को रौंदा था। न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी ताकतवर टीम को मात देकर अफगानिस्तान सेमीफाइनल में पहुंचने वाली टीम बनी है। राशिद खान की कप्तानी वाली टीम ने इस बार के आईसीसी टी20 विश्व कप में कमाल कर दिया है। भारत, इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका के साथ यह टीम सेमीफाइनल में जगह बनाने में कामयाब हुई। लीग स्टेज में एक मात्र वेस्टइंडीज से हारने वाली टीम को सुपर 8 के पहले ही मुकाबले में भारत से हार मिली थी। इसके बाद करो या मरो के मुकाबले में उतरी अफगान टीम ने ऑस्ट्रेलिया को पीटकर सनसनी फैला दी। सबकी नजर बांग्लादेश के खिलाफ होने वाले आखिरी मैच पर थी और यहां टीम ने 115 रन का बचाव करते हुए सेमीफाइनल में जगह बना ली। इस मैच में अफगानिस्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। अफगानिस्तान के बल्लेबाज अच्छी शुरुआत का फायदा नहीं उठा पाए और 5 विकेट पर महज 115 रन ही बना पाए। अफगानिस्तान के ओपनर रहमानुल्लाह गुरबाज और इब्राहिम जादरान ओपनिंग करने उतरे। दोनों अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे। लेकिन एक धमाकेदार शुरुआत देने में नाकाम रहे। गुरबाज ने 55 गेंदों में 43 रन बनाए। तो वहीं, जादरान 18 रन बनाकर आउट हुए। तीसरे नंबर पर आए अजमतउल्लाह जजई ने 10 रन बनाए। इसेक अलावा राशिद खान ने अंत में 10 गेंदों में 19 रन की पारी खेली। बारिश के कारण 1 ओवर घटाकर बांग्लादेश की टीम को संशोधित 114 रन का लक्ष्य दिया गया। जिसे वह चेज नहीं कर सकी और 105 पर ऑल आउट हो गई। बांग्लादेश के लिए रिशाद हौसेन ने शानदार गेंदबाजी करते हुए कुल 3 विकेट अपने नाम किए। अफगानिस्तान की जीत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड कप से बाहर हो गई। सुपर-8 के 3 मैचों में ऑस्ट्रेलिया सिर्फ एक जीती और उसके 2 पॉइंट हैं। अफगानिस्तान ने 2 मैच जीते और 4 पॉइंट के साथ सेमीफाइनल में एंट्री की। अब 27 जून को त्रिनिदाद में भारतीय समय अनुसार सुबह 6 बजे सेमीफाइनल में अफगानिस्तान का मुकाबला साउथ अफ्रीका से होगा। टीम इंडिया इसी दिन रात 8 बजे गयाना में इंग्लैंड से सेमीफाइनल खेलेगी।
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