इमरजेंसी का “काला सच”, जब इंदिरा गांधी ने देश में लगा दिया था आपातकाल*
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25 जून 1975 की आधी रात जब देश पर आपातकाल थोप दिया गया था। लोकतंत्र के इतिहास में इस दिन को काला दिन माना जाता है। यही वो दिन था जब तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत, इंदिरा गांधी की सरकार की सिफारिश पर आपातकाल की घोषणा की। देश में आपातकाल लग चुका है इसका ऐलान खुद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो पर किया। 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की। 26 जून, 1975 की सुबह इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर कहा, 'राष्ट्रपति ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। इसमें घबराने की कोई बात नहीं है...'। इसके बाद से ही विपक्षी नेताओं में हलचल मच गई और गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हो गया था। पौ फटने के पहले ही विपक्ष के कई बड़े नेता हिरासत में ले लिए गए। यहां तक कि कांग्रेस में अलग सुर अलापने वाले चंद्रशेखर भी हिरासत में लिए गए नेताओं की जमात में शामिल थे। ये इमरजेंसी 21 मार्च, 1977 तक देशभर में लागू रही। स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये 21 महीने काफी विवादास्पद रहे। लोकतांत्रिक देश में भी ऐसा कुछ हो सकता है, यह किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। यह भी कि लोकतांत्रिक देश की संसद में किसी दल की मजबूती का बेजा इस्तेमाल की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इन 21 महीनों में जो कुछ भी हुआ। सत्ता दल अभी भी कांग्रेस को समय-समय पर कोसते रहते हैं। गांधी परिवार के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने इस इमरजेंसी को गलत बताया और खुले तौर पर माफी भी मांगी थी। इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 1971 के लोकसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल की थी। तत्कालीन 521 सदस्यीय संसद में कांग्रेस ने 352 सीटें जीती थीं। उन दिनों इंदिरा गांधी की सरकार पर भारत अस्थिरता के दौर से गुजर रहा था। गुजरात में सरकार के खिलाफ छात्रों का नवनिर्माण आंदोलन चल रहा था। बिहार में जयप्रकाश नारायण (JP) का आंदोलन चल रहा था। 1974 में जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेलवे हड़ताल चल रही थी। आपातकाल लागू करने के पीछे कई वजहें बताई जाती हैं। इसमें से मुख्य कारण था राजनीतिक अस्थिरता। इस राजनीतिक अस्थिरता की शुरुआत उस वक्त हुई, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी को चुनावी धांधली का दोषी पाया और उन्हें छह साल के लिए किसी भी चुने हुए पद पर आसीन होने से वंचित कर दिया। इस फैसले के बाद, देश भर में विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक तनाव बढ़ गया। इन्ही सब को देखते हुए इंदिरा गांधी को देश में इमरजेंसी लगानी पड़ी। इंदिरा गांधी और उनकी सरकार ने दावा किया कि देश में गहरी अशांति और आंतरिक अस्थिरता है, जिसके चलते राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इसी कारण से उन्होंने आपातकाल की घोषणा की, जिससे वे बिना किसी विधायी और न्यायिक हस्तक्षेप के सरकार चला सकें। आपातकाल के जरीए इंदिराजी ने विपक्ष को कुचलने का रास्ता अपनाया। असहमति के हर स्वर का मुंह बंद किया। प्रेस पर सेंसरशिप थोपी। इमरजेंसी लागू होने के तुरंत बाद विपक्षी नेताओं को जेल में डालने का सिलसिला शुरु हो गया। इनमें जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी और मोरारजी देसाई समेत कई बड़े नेताओं का नाम था, जो कई महीनों और सालों तक जेल में पड़े रहे थे। आरएसएस समेत 24 संगठनों पर बैन लगा दिया गया। इसके अलावा, इंदिरा गांधी की सरकार ने देश में व्यापक सामाजिक और आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसमें जबरन नसबंदी और स्लम क्लीयरेंस जैसे कठोर उपाय शामिल थे। कई इतिहासकारों का मानना है कि आपातकाल का उपयोग इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को मजबूत करने और विरोधी आवाजों को दबाने के लिए किया। यह घटना भारतीय लोकतंत्र पर एक गहरा आघात थी और इसने देश के राजनीतिक इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ी।
*लोकसभा अध्यक्ष के लिए एनडीए आज करेगा उम्मीदवार का एलान, अमित शाह के घर पर देर रात तक हुआ मंथन
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18वीं लोकसभा के संसद सत्र का आज दूसरा दिन है।लोकसभा का विशेष सत्र शुरू होने के साथ ही अब स्पीकर को लेकर सियासत तेज हो गई है। सत्ताधारी एनडीए की ओर से अभी तक स्पीकर के नाम का ऐलान नहीं किया गया है। हालांकि, माना जा रहा है कि दोपहर तक लोकसभा स्पीकर के नाम का फैसला हो जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि लोकसभा स्पीकर पद पर आवेदन दाखिल करने के लिए मंगलवार दोपहर तक का समय है। इससे पहले सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर बैठकों का दौर भी चलता रहा। पहली बैठक शाम करीब 6 बजे हुई, जब जेपी नड्डा गृहमंत्री के आवास पर पहुंचे थे। यह बैठक करीब एक घंटे तक चली।इसके बाद रात करीब 9 बजे जेपी नड्डा फिर से अमित शाह के घर पहुंचे। यह दिन की दूसरी मीटिंग थी जो कि करीब ढाई घंटे तक चली। माना जा रहा है कि यह बैठक लोकसभा स्पीकर को लेकर हुई है। अब देखना है कि एनडीए की ओर से स्पीकर के लिए किस नेता के नाम का ऐलान किया जाता है। माना जा रहा है कि स्पीकर भारतीय जनता पार्टी से ही होगा, क्योंकि एनडीए के सहयोगी दल साफ कर चुके हैं कि बीजेपी जिसे भी नॉमिनेट करेगी। एनडीए के सहयोगी दल उसका समर्थन करेंगे। लोकसभा स्पीकर पद के लिए जेडीयू और टीडीपी भी अपना रुख साफ कर चुके हैं। इस समय लोकसभा स्पीकर की रेस में ओम बिरला का नाम सबसे आगे चल रहा है। राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला 17वीं लोकसभा में भी स्पीकर थे। सूत्रों के मुताबकि बीजेपी जिन नामों पर माथा-पच्ची कर रही है उनमें ओम बिरला के साथ-साथ आंध्र प्रदेश भाजपा की अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी, बीजेपी के सीनियर नेता राधामोहन सिंह और भर्तृहरि महताब के नाम की भी चर्चा है। भर्तृहरि महताब अभी प्रोटेम स्पीकर हैं। इस समय लोकसभा स्पीकर की रेस में ओम बिरला का नाम सबसे आगे चल रहा है। राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला 17वीं लोकसभा में भी स्पीकर थे। सूत्रों के मुताबकि बीजेपी जिन नामों पर माथा-पच्ची कर रही है उनमें ओम बिरला के साथ-साथ आंध्र प्रदेश भाजपा की अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी, बीजेपी के सीनियर नेता राधामोहन सिंह और भर्तृहरि महताब के नाम की भी चर्चा है। भर्तृहरि महताब अभी प्रोटेम स्पीकर हैं।
टी20 वर्ल्ड कपःभारत ने ऑस्ट्रेलिया से लिया हार का बदला, कंगारूओं को रौंदकर सेमीफाइनल में मारी एंट्री*
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ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय टीम ने आईसीसी टी20 विश्व कप के सुपर 8 में दमदार जीत दर्ज करते हुए सेमीफाइनल में जगह पक्की की। टीम इंडिया ने वनडे वर्ल्ड कप फाइनल की हार का बदला ऐसे लिया कि कंगारू टीम के टूर्नामेंट का सफर लगभग खत्म कर दिया।भारतीय टीम ने सेंट लूसिया के मैदान पर पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने 205 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया जवाब में ऑस्ट्रेलियाई टीम लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई। ऑस्ट्रेलिया ने 181 रन बनाए और उसने 24 रनों से मैच गंवा दिया। टीम इंडिया ने इस जीत के साथ ही टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में जगह बना ली है। अब भारतीय टीम 27 जून को सेमीफाइनल में इंग्लैंड की टीम से भिड़ेगी। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आईसीसी टी20 विश्व कप मैच का इंतजार लंबे वक्त से किया जा रहा था। वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में पिछले साल भारत को उसी के घर पर हराकर इस टीम ने ट्रॉफी जीतने का सपना तोड़ा था। रोहित शर्मा ने उस हार के बदला सूद समेत चुकता किया। भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 24 रनों से जीत दर्ज कर सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई कर लिया है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया के लिए अब सेमीफाइनल की राह कठिन हो गई है। अब उन्हें अफगानिस्तान बनाम बांग्लादेश मैच के परिणाम पर निर्भर रहना होगा। भारत ने सुपर आठ चरण में अपने तीनों मैच जीते और वह छह अंकों के साथ ग्रुप एक में शीर्ष पर रही। ऑस्ट्रेलिया की टीम तीन मैचों के बाद दो हार और एक जीत के साथ दूसरे स्थान पर है। अफगानिस्तान के दो मैचों में एक जीत और एक हार के साथ दो अंक हैं और वह तीसरे स्थान पर है। अफगानिस्तान का मंगलवार सुबह बांग्लादेश से मुकाबला होना है और अगर टीम वो मैच जीतने में सफल रही तो सेमीफाइनल में जगह बना लेगी और ऑस्ट्रेलिया का सफर यहीं थम जाएगा। भारतीय टीम ने टॉस गंवाकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी। शुरुआत खराब रही, विराट कोहली शून्य पर आउट हो गए। लेकिन कप्तान रोहित शर्मा अलग ही मूड में थे। रोहित ने ताबड़तोड़ बैटिंग करते हुए मिचेल स्टार्क के ओवर में 4 छक्के लगा दिए। उन्होंने महज 19 गेंदों में अर्धशतक पूरा किया। अर्धशतक पूरा करने के बाद वो और ज्यादा खतरनाक हो गए और उन्होंने ऋषभ पंत के साथ 38 गेंदों में 87 रनों की साझेदारी की। ब़ड़ी बात ये है कि इसमें पंत का योगदान सिर्फ 15 रन था।रोहित की तूफानी हिटिंग के दम पर टीम इंडिया ने 10 ओवर में 114 रन बनाए और यही वजह है कि टीम इंडिया ने 200 से ज्यादा रनों का स्कोर खड़ा किया। हालांकि रोहित शर्मा अपने शतक तक नहीं पहुंच पाए और वो शतक से 8 रन दूर रह गए। रोहित शर्मा के अलावा सूर्यकुमार यादव ने 16 गेंदों में 31 रन बनाए। शिवम दुबे ने 28 रन बनाए। हार्दिक पंड्या 27 रन बनाकर नाबाद रहे। ऑस्ट्रेलिया की शुरुआत भी खराब रही। डेविड वॉर्नर सिर्फ 6 रन बनाकर आउट हो गए। इसके बाद कप्तान मिचेल मार्श और ट्रेविस हेड ने कमाल की साझेदारी कर भारत को बैकफुट पर धकेल दिया। ट्रेविस हेड ने 43 गेंदों में 76 रनों की पारी खेली और मिचेल मार्श ने 28 गेंदों में 37 रन बनाए। दोनों ने 81 रनों की साझेदारी की। हालांकि इस साझेदारी के टूटने के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम बिखर गई। ग्लेन मैक्सवेल 20 रन बना पाए। स्टोयनिस 2 ही रन बना सके। टिम डेविड ने 15 रनों का योगदान दिया।
अनशन पर बैठीं आतिशी की तबीयत बिगड़ी, देर रात एलएनजेपी में कराया गया भर्ती*
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दिल्ली में जल संकट को लेकर अनशन कर रहीं जल मंत्री आतिशी की तबीयत बीगड़ गई है। देर रात उनका ब्लड शुगर लेवल 36 तक गिर गया था। इसके बाद उन्हें देर रात लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) में भर्ती कराया गया। बता दें कि आतिशी चार दिनों से अनशन पर बैठीं हैं।कल यानी सोमवार को उनके अनशन का चौथा दिन था। दिल्ली में पानी की किल्लत को लेकर अनिश्चितकालिन अनशन पर बैठीं जल मंत्री आतिशी की देर रात लगभग 3 बजे अचानक से तबीयत बिगड़ गई।जिसके बाद आम आदमी पार्टी (आप) नेता संजय सिंह और अन्य पार्टी नेता-कार्यकर्ता आतिशी को देर रात एलएनजेपी लेकर पहुंचे। दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'रात से ही उनका(अतिशी) ब्लड शुगर लेवल गिर रहा था। जब हमने उनका ब्लड सैंपल दिया तो शुगर लेवल 46 निकला था। जब हमने पोर्टेबल मशीन से उनका शुगर लेवल चेक किया तो लेवल 36 निकला। डॉक्टर जांच कर रहे हैं और उसके बाद ही वे कोई सुझाव देंगे।' वहीं, आप सांसद संजय सिंह ने कहा, 'उनका ब्लड शुगर काफी गिर गया है। उनकी तबीयत बिगड़ गई है। डॉक्टरों ने कहा कि अगर उन्हें अस्तपाल में भर्ती नहीं कराया गया तो हालत और बिगड़ सकती है। आतिशी ने पिछले पांच दिनों से कुछ भी नहीं खाया है। उनका शुगर लेवल गिर गया है, कीटोन बढ़ रहा है और ब्लड प्रेशर कम हो रहा है। वह अपने लिए नहीं लड़ रही हैं, वह दिल्ली के लोगों के लिए, पानी के लिए लड़ रही हैं। जल मंत्री आतिशी पिछले चार दिनों से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं और उनका दावा है कि हरियाणा, दिल्ली के हिस्से का पानी नहीं दे रहा है।आतिशी ने सोमवार को कहा था कि अनिश्चितकालीन अनशन का चौथा दिन है। दिल्ली में पानी की भारी कमी है। हरियाणा ने पानी की सप्लाई कम कर दी है। मेरा बीपी और शुगर लो हो रहा है। मेरा वजन भी कम हो रहा है। आतिशी का कहना है कि दिल्ली को पानी मिलने कर उनका अनशन जारी रहेगा।
बांसुरी स्वराज ने दिलाई मां सुषमा स्वराज की याद, जानें क्या है मामला

#bansuri_swaraj_take_oath_as_lok_sabha_mp_in_sanskrit 

दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज ने सोमवार को लोकसभा की सदस्यता ग्रहण की। बांसुरी स्वराज के शपथ ग्रहण को देखकर उनकी मां और बीजेपी की दिग्गज नेता दिवंगत सुषमा स्वराज की याद ताजा हो गई। दरअसल, बांसुरी स्वराज ने संस्कृत भाषा में 18वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली। इससे पहले सुषमा स्वराज जब साल 2014 में विदिशा लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुई थी, तब उन्होंने भी बतौर संसद सदस्य संस्कृत में शपथ ली थी।

शपथ लेने के बाद उन्होंने ट्वीट किया, “नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में आज 18वीं लोकसभा के संसद सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण करने का गौरव प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रतिभाशाली नेतृत्व में हम सब विकसित, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

बांसुरी स्वराज पहली बार सांसद चुनी गई हैं। बांसुरी स्वराज ने नई दिल्ली लोकसभा सीट से 453185 मत हासिल की है। उन्होंने के तीन बार के विधायक रहे आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सोमनाथ भारती को 78370 मतों से पराजित किया। बांसुरी स्वराज को उस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने का मौका मिला जहां से दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी सहित कई प्रमुख नेताओं ने चुनाव लड़ा है।

बांसुरी स्वराज ने दिलाई मां सुषमा स्वराज की याद, जानें क्या है मामला
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दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज ने सोमवार को लोकसभा की सदस्यता ग्रहण की। बांसुरी स्वराज के शपथ ग्रहण को देखकर उनकी मां और बीजेपी की दिग्गज नेता दिवंगत सुषमा स्वराज की याद ताजा हो गई। दरअसल, बांसुरी स्वराज ने संस्कृत भाषा में 18वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली। इससे पहले सुषमा स्वराज जब साल 2014 में विदिशा लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुई थी, तब उन्होंने भी बतौर संसद सदस्य संस्कृत में शपथ ली थी।

शपथ लेने के बाद उन्होंने ट्वीट किया, “नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में आज 18वीं लोकसभा के संसद सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण करने का गौरव प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रतिभाशाली नेतृत्व में हम सब विकसित, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

बांसुरी स्वराज पहली बार सांसद चुनी गई हैं। बांसुरी स्वराज ने नई दिल्ली लोकसभा सीट से 453185 मत हासिल की है। उन्होंने के तीन बार के विधायक रहे आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सोमनाथ भारती को 78370 मतों से पराजित किया। बांसुरी स्वराज को उस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने का मौका मिला जहां से दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी सहित कई प्रमुख नेताओं ने चुनाव लड़ा है।
जेपी नड्डा को मिली बड़ी जिम्मेदारी, राज्यसभा में बनाए गए सदन के नेता, पीयूष गोयल की लेंगे जगह
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को राज्यसभा में नेता सदन बनाया गया है। नड्डा राज्यसभा में पीयूष गोयल की जगह लेंगे।नड्डा के पास केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और उर्वरक व रसायन मंत्रालय का जिम्मा भी है। राज्यसभा की वेबसाइट पर भी नड्डा का नाम बतौर सदन का नेता अपडेट किया गया है।

बता दें कि इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पीयूष गोयल मुंबई उत्तर से मैदान में उतारा था। मुंबई में पार्टी के लिए जीत दर्ज करते हुए पीयूष गोयल अब लोकसभा सांसद बन चुके हैं। वे 4 जून को लोकसभा सांसद चुने गए और 24 जून को निचले सदन में शपथ ली। गोयल को 5 जुलाई 2010 को राज्यसभा सांसद चुना गया था। 14 जुलाई 2021 को उन्हें सदन का नेता घोषित किया गया था।

कांग्रेस ने नड्डा को राज्यसभा में सदन का नेता नामित किए जाने पर उन्हें बधाई दी और कहा कि यदि सदन के नेता सभी को समायोजित करेंगे तो विपक्ष सहयोग करेगा। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘जेपी नड्डा जी को राज्यसभा में सदन के नेता के रूप में नामित किए जाने पर बधाई। जैसा कि वेंकैया नायडू (पूर्व उपराष्ट्रपति एवं उच्च सदन के पूर्व सभापति) ने कहा था - यदि सदन के नेता समायोजित कर सकते हैं, तो विपक्ष सहयोग कर सकता है।’’
अनशन पर बैठी केजरीवाल की मंत्री आतिशी की बिगड़ी तबीयत, डॉक्टरों ने दी हॉस्पिटल में एडमिट होने की सलाह, जानें पूरा मामला
#doctors_advised_atishi_to_be_admitted_to_hospital
दिल्ली में जल संकट पर सियासी पारा बढ़ा हुआ है। जल मंत्री आतिशी अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हैं। अनशन का आज चौथा दिन है।पानी सत्याग्रह पर बैठी मंत्री आतिशी को मेडिकल टीम ने आज जांच करने के बाद अस्पताल में एडमिट होने की सलाह दी है।हालांकि, आतिशी ने अस्पताल जाने से इनकार कर दिया।21 जून से दिल्ली की जलमंत्री आतिशी 28 लाख दिल्लीवालों को हरियाणा से उनके हक का पानी दिलाने के लिए अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हैं।


देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों जल संकट गहराया हुआ है। जल संकट को लेकर अनशन पर बैठीं जल मंत्री आतिशी का स्वास्थ्य गिरता जा रहा है। अनशन के चौथे दिन सोमवार को लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के चिकित्सकों की एक टीम ने उनके स्वास्थ्य की जांच की।  उनके स्वास्थ्य में भारी गिरावट को देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी है।

चिकित्सकों के मुताबिक 21 जून को अनशन पर बैठने के पूर्व उनका वजन 65.8 किलो था, जो अनशन के चौथे दिन घटकर 63.6 किलो पर पहुंच गया। मात्र 4 दिन में ही वजन 2.2 किलो घट गया। अनशन के पहले दिन की तुलना में चौथे दिन जल मंत्री आतिशी के ब्लड शुगर लेवल में 28 यूनिट की गिरावट आई है। उनका ब्लड प्रेशर लेवल भी कम हुआ है। जिस तेजी से उनका शुगर लेवल, ब्लड प्रेशर और वजन घटा है, चिकित्सकों ने उसे खतरनाक बताया है। जल मंत्री आतिशी का कीटोन स्तर भी बढ़ता जा रहा है। उनके शरीर में कीटोन की मात्रा का इस प्रकार बढ़ना उनकी सेहत के लिए खतरनाक होगा

वहीं, आतिशी का कहना है, मेरी जान से ज्यादा दिल्ली की जनता को पानी दिलाना जरूरी है। जब तक दिल्लीवालों को उनके हक का पानी नहीं मिल जाता, उनका अनशन जारी रहेगा।आतिशी ने वीडियो मैसेज जारी किया है। डॉक्टर बता रहे हैं मेरा कीटोन लेवल खतरनाक है। डॉक्टर ने कहा कि मुझे अनशन से उठ जाना चाहिए। दिल्ली में पानी लाने के लिए हर कीमत चुकाने को तैयार हूं। मैं अपना अनशन जारी रखूंगी।
अनशन पर बैठी केजरीवाल की मंत्री आतिशी की बिगड़ी तबीयत, डॉक्टरों ने दी हॉस्पिटल में एडमिट होने की सलाह, जानें पूरा मामला
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दिल्ली में जल संकट पर सियासी पारा बढ़ा हुआ है। जल मंत्री आतिशी अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हैं। अनशन का आज चौथा दिन है।पानी सत्याग्रह पर बैठी मंत्री आतिशी को मेडिकल टीम ने आज जांच करने के बाद अस्पताल में एडमिट होने की सलाह दी है।हालांकि, आतिशी ने अस्पताल जाने से इनकार कर दिया।21 जून से दिल्ली की जलमंत्री आतिशी 28 लाख दिल्लीवालों को हरियाणा से उनके हक का पानी दिलाने के लिए अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हैं।


देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों जल संकट गहराया हुआ है। जल संकट को लेकर अनशन पर बैठीं जल मंत्री आतिशी का स्वास्थ्य गिरता जा रहा है। अनशन के चौथे दिन सोमवार को लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के चिकित्सकों की एक टीम ने उनके स्वास्थ्य की जांच की।  उनके स्वास्थ्य में भारी गिरावट को देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी है।

चिकित्सकों के मुताबिक 21 जून को अनशन पर बैठने के पूर्व उनका वजन 65.8 किलो था, जो अनशन के चौथे दिन घटकर 63.6 किलो पर पहुंच गया। मात्र 4 दिन में ही वजन 2.2 किलो घट गया। अनशन के पहले दिन की तुलना में चौथे दिन जल मंत्री आतिशी के ब्लड शुगर लेवल में 28 यूनिट की गिरावट आई है। उनका ब्लड प्रेशर लेवल भी कम हुआ है। जिस तेजी से उनका शुगर लेवल, ब्लड प्रेशर और वजन घटा है, चिकित्सकों ने उसे खतरनाक बताया है। जल मंत्री आतिशी का कीटोन स्तर भी बढ़ता जा रहा है। उनके शरीर में कीटोन की मात्रा का इस प्रकार बढ़ना उनकी सेहत के लिए खतरनाक होगा

वहीं, आतिशी का कहना है, मेरी जान से ज्यादा दिल्ली की जनता को पानी दिलाना जरूरी है। जब तक दिल्लीवालों को उनके हक का पानी नहीं मिल जाता, उनका अनशन जारी रहेगा।आतिशी ने वीडियो मैसेज जारी किया है। डॉक्टर बता रहे हैं मेरा कीटोन लेवल खतरनाक है। डॉक्टर ने कहा कि मुझे अनशन से उठ जाना चाहिए। दिल्ली में पानी लाने के लिए हर कीमत चुकाने को तैयार हूं। मैं अपना अनशन जारी रखूंगी।
अब केरल नहीं केरलम कहिए, विधानसभा में प्रस्ताव पारित, बस केंद्र की मंजूरी का इंतजार
#kerala_assembly_passes_new_resolution_to_change_state_name_as_keralam कर्नाटक विधानसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से केरल राज्य का नाम केरलम करने का प्रस्ताव पारित किया है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव का कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने समर्थन किया।बता दें कि बीते साल अगस्त में भी इसी तरह का प्रस्ताव पारित किया गया था, लेकिन तकनीकी मुद्दों के कारण इसे फिर से पेश करना पड़ा। दरअसल, केन्द्र ने पुराने प्रस्ताव को वापस लौटाते हुए उसमें सुधार की बात कही गई थी, जिसके बाद सदन ने नया प्रस्ताव पारित किया।ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के विधायक एन शमसुदीन ने इसमें संशोधन का प्रस्ताव रखा, जिसे बहुमत से खारिज कर दिया गया। अब यह प्रस्ताव मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। केंद्र की मंजूरी मिलते ही केरल का नाम केरलम हो जाएगा।

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव में मांग की गई कि संविधान की पहली अनुसूची में राज्य का नाम आधिकारिक रूप से बदलकर 'केरलम' करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। आईयूएमएल विधायक एन शमसुद्दीन ने प्रस्ताव में संशोधन पेश करते हुए अधिक स्पष्टता लाने के लिए शब्दों को पुनर्गठित करने का सुझाव दिया। हालांकि, सदन ने संशोधन को खारिज कर दिया।

शुरुआत में प्रस्ताव में संविधान की पहली अनुसूची और आठवीं अनुसूची दोनों में संशोधन की मांग की गई थी। हालांकि, केंद्रीय गृह विभाग की सलाह के बाद जिसमें सुझाव दिया गया था कि केवल पहली अनुसूची में ही बदलाव की आवश्यकता है। प्रस्ताव को संशोधित किया गया और फिर से पेश किया गया।

सीएम पिनाराई विजयन ने बताया कि अब नए सिरे से प्रस्ताव लाया गया है, जो राज्य के लोगों की आकांक्षा के अनुरुप है। उन्होंने कहा कि अभी मलायलम में केरल को केरलम कहा जाता है, मगर आधिकारिक रिकॉर्ड में केरल लिखा जा रहा है। इसका नाम बदलना जरूरी है।

‘केरलम’ एक ऐसा नाम है, जिसकी ऐतिहासिक और साहित्यिक जड़ें गहरी हैं, लेकिन अंग्रेजों ने ‘केरल’ नाम को लोकप्रिय बनाया। राज्य के गठन के 65 साल से भी अधिक समय बाद मलयाली लोगों ने अभी तक सभी आधिकारिक दस्तावेजों में ‘केरलम’ नाम को आधिकारिक तौर पर पुनः प्राप्त नहीं किया है। मलयालम में राज्य को ‘केरलम’ कहा जाता है, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में भी इसे अंग्रेजी में ‘केरल सरकार’ लिखा जाता है।

बता दें कि देश में भाषा के आधार पर कई शहरों के नाम बदले गए हैं। इससे पहले 2011 में उड़ीसा का नाम बदलकर ओड़िशा किया गया है। उत्तराखंड के नाम भी दो बार बदले जा चुके हैं। उत्तरांचल और उत्तराखंड नाम को लेकर लंबे समय तक उलटफेर चलता रहा। इसके अलावा बंबई, मद्रास, औरंगाबाद, फैजाबाद, मुगलसराय जैसे शहरों के नाम बदले गए हैं। 1995 में महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने बंबई का नाम बदलकर मुंबई कर दिया। 1996 में मद्रास को नया नाम चेन्नई बना। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले भी छत्रपति संभाजी नगर कहलाता है। योगी आदित्यनाथ के दौर में फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या और मुगलसराय को दीन दयाल उपाध्याय नगर किया गया।