राजा परीक्षित का मंचन देख भावविभोर हुये दर्शक
कृष्णपाल ( के डी सिंह ), पिसावां (सीतापुर) बहुबनी के ब्रम्हदेव स्थान पर चल रही विष्णु महायज्ञ के दौरान वृंदावन के कलाकारों द्वारा परीक्षित लीला का मंचन किया गया मंचन में दिखाया कि राजा परीक्षित एक बार शिकार खेलते हुए घनघोर जंगल में चले गए। उन्हें प्यास लगी तो समीप में एक ऋषि का आश्रम था , वह वहां चले गए । उस समय ऋषि तपस्या में लीन थे।
राजा ने कई बार आवाज लगाई च्कतु ऋषि नहीं उठे । इस पर कलयुग के प्रभाव से क्रोधित राजा ने उनके गले में मरे हुए सर्प को डाल दिया। उनके जाने के बाद लोगों ने सारा वृत्तांत उनके पुत्र को सुनाया । ऋषि के पुत्र ने अपने पिता का अपमान सुनकर श्राप दिया कि मेरे पिता का अपमान करने वाले की मृत्यु सातवें दिन निश्चित है । उसके बाद वे अपने पिता के पास आकर बोले ऐसा करने वाले को उन्होंने श्राप दे दिया है । यह सुनकर ऋषि बहुत व्याकुल हुए और उन्होंने कहा हे पुत्र यह तुमने क्या कर दिया ।
एक धर्मराज राजा को इतना बड़ा दंड दे दिया । उसके बाद ऋषि राजा के पास पहुंचे और उन्होंने बताया कि आपकी मृत्यु सातवें दिन हो जाएगी । यह सुनकर राजा परीक्षित ने कहा कि हे महात्मा मुझे यह बताइए कि मरने वाले व्यक्ति को क्या करना चाहिए। उस पर सभी ऋषि मुनियों ने कहा कि मरने वाले व्यक्ति को श्रीमद भागवत कथा श्रवण करना चाहिए । उसके बाद भगवान खुद बालक के रूप में सुखदेव जी बनकर श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कराया और उसके बाद राजा को मोक्ष प्राप्त हुआ।
Jun 11 2024, 18:55