अल्लाह की इबादत के लिए सच्चा दिल व पाक जज्बा जरूरी : गुलाम रसूल बलियावी
गोरखपुर। नार्मल स्थित हज़रत बाबा मुबारक ख़ां शहीद अलैहिर्रहमां का सालाना तीन दिवसीय उर्स-ए-पाक सोमवार को अकीदत के साथ शुरू हुआ। मुस्लिम समाज के अलावा अन्य धर्मो के लोगों ने बाबा की दरगाह पर अकीदत के फूल पेश कर अमन चैन व खुशहाली की दुआ मांगी। जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी व दस्तारबंदी से उर्स-ए-पाक का आगाज़ हुआ। भोर में 3:15 बजे गुस्ल एवं सन्दल पोशी की रस्म अदा की गई। गुस्ल व सन्दल पोशी कार्यक्रम में लोगों ने बढ़-चढ़कर कर हिस्सा लिया। बिजली के रंगबिरंगे झालरों से दरगाह का नज़ारा दिलकश लग रहा था। बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले, खिलौने व खान-पान की दुकानें लोगों को आकर्षित कर रही हैं। रात को इशा नमाज़ के बाद ईद-ए-मिलादुन्नबी व जलसा-ए-दस्तारबंदी की शुरुआत कुरआन-ए-पाक की तिलावत से हुई।
मुख्य अतिथि पटना के मशहूर धर्मगुरु मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि कौम की बेहतरी के लिए सबको तालीम से जोड़ना होगा।
आज समाज की सबसे बड़ी जरूरत तालीम ही है। मां-बाप कौम के बच्चों को स्कूल व मकतब में भेजें और जहां तक हो सके उन्हें पढ़ाने में कोई कसर न छोड़ें। यदि अपना पेट काटकर भी बच्चों को पढ़ाना पड़े तो पढ़ाएं। इल्म-ए-दीन की पढ़ाई भी बहुत ज्यादा जरूरी है। रोज़ा, नमाज़, जकात, हज इस्लाम धर्म के अहम स्तंभ हैं। उन्हें पूरा करना भी हमारी अहम जिम्मेदारी है। अगर हमने अल्लाह व रसूल को राजी कर लिया तो समझो बेड़ा पार हो गया।
नमाज़ कायम करने पर जोर देते हुए कहा कि बंदा नमाज़ की हालत में अल्लाह के सबसे नजदीक होता हैं। ज़िंदगी व आखिरत की कामयाबी के लिए नमाज़ सबसे बेहतर है।
अल्लाह की इबादत के लिए सच्चा दिल व पाक जज्बा बेहद जरूरी है। गौसे आज़म, ख़्वाजा ग़रीब नवाज़, निजामुद्दीन औलिया, आला हजरत इमाम अहमद रज़ा खां, मुफ्ती-ए-आज़म हिंद, हाफिजे मिल्लत, ताजुश्शरिया, हजरत मुबारक खां शहीद जैसी अज़ीम हस्तियां इल्म, इबादत, खौफे खुदा, इश्के रसूल, इश्के अहले बैत, इश्के सहाबा, इश्के औलिया, ईमानदारी और सच्चाई के बल पर अल्लाह के बेहद करीबियों में शुमार हुईं। लिहाजा हमें चाहिए कि उनके नक्शे कदम पर चलकर अपनी ज़िंदगी कामयाब बनाएं।
नात-ए-पाक रिजवान अत्तारी, एजाज अहमद आदि ने पेश ने की। जलसा की सरपरस्ती अल्लामा मुफ्ती मुनव्वर रजा मिस्बाही ख़ातिबो इमाम दरगाह जमा मस्जिद निगरानी करी गुलाम अहमद रजा अमजदी जलसा की निज़ामत अफजल बरकाती साहब ने किया। मुफ्ती ए शहर काजी ए शहर उलमाए केराम आदि लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम के अंत में मदरसा छात्रों की दस्तारबंदी हुई। जिसमें मोहम्मद सुहैल मोहम्मद अरशद गुलाम सरवर मोहम्मद अयूब जमीर खान फरहान रजा मोहम्मद साहिल रजा अबिल वकास सफीउल्लाह वाहिदुल्लाह की दस्तारबंदी हुई। दरूदो-सलाम सलाम पढ़कर मुल्क व समाज की तरक्की व सलामती के लिए दुआ मांगी गई।
जलसे में दरगाह सदर इकरार अहमद, सैयद शहाब, शमसीर अहमद उर्फ शेरू, रमजान, कुतुबुद्दीन, हाजी कलीम फरजंद, हाजी खुर्शीद आलम, अहमद हसन ,समसुल आरफीन, अब्दुल्लाह ,खैरुल बशर ,एजाज अहमद ,कमरुल हक उर्फ बाबी सादिक कलीम, हमजा खान, सैफ अंसारी ,इमरान, गुलाम फरीद उर्फ भानु मुर्तुजा रहमानी सहित बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की।
7 मई का कार्यक्रम
बाद नमाज फज्र दरगाह पर कुरआन ख्वानी होगी। सुबह 9 बजे से मिलाद शरीफ़ का प्रोग्राम होगा। बाद नमाज मगरिब सरकारी चादर व गागर का जुलूस मोहल्ला मियां बाज़ार से इरशाद अहमद बग्घी के मकान से निकाला जाएगा। जो विभिन्न रास्तों से होता हुआ दरगाह पर समाप्त होगा।
इसके बाद मजार पर सरकारी चादर चढ़ाई जाएगी। रात की नमाज़ के बाद कव्वाली का मुकाबला बदायूं के जुनैद सुल्तानी व दिल्ली के वसीम साबरी के बीच होगा।
May 07 2024, 09:04