द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीय स्क्वाड्रन में लड़ाकू विमान की कमान संभालने वाले सरदार दलीप सिंह मजीठिया का निधन
देश के सबसे उम्रदराज फाइटर पायलट और उद्यमी स्क्वाड्रन लीडर सरदार दलीप सिंह मजीठिया का 103 साल की उम्र में सोमवार की देर रात निधन हो गया। मंगलवार की दोपहर उधम सिंह नगर के रुद्रपुर में पूरे सैनिक सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गई।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आज के म्यांमार और तब के बर्मा में भारतीय वायु सेना की कमान संभालने वाले सरदार दलीप सिंह मजीठिया के निधन की सूचना मिलते ही सरदारनगर समेत गोरखपुर के बुद्धिजीवियों, उद्यमियों, शिक्षाविदों में शोक की लहर दौड़ गई। ब्रिटिश भारत में वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर के पद पर रह चुके सरदार मजीठिया के जीवन के पांच दशक गोरखपुर के सरदार नगर में बीते हैं।
यहां रहकर उन्होंने न केवल पूर्वांचल की धरती को औद्योगिक रूप से उर्वर बनाया बल्कि मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जैसे तकनीकी शैक्षणिक संस्थान की नींव पड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरदार दलीप सिंह ने वर्ष 1940 में रायल एयरफोर्स में कमीशन प्राप्त किया।
दूसरे विश्वयुद्ध में इन्होंने भारतीय स्क्वाड्रन में लड़ाकू बमवर्षक विमान के साथ बर्मा में युद्ध की कमान संभाली थी। पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते उन्होंने सेना से जल्द ही स्वैच्छिक अवकाश ले लिया लेकिन, हवाई उड़ान का उनका शौक जारी रहा। सेना से अवकाश लेने के बाद 1947 के करीब में वह गोरखपुर आए और यहां सरदार नगर में पहले से स्थापित अपने परिवार की सरैया सुगर मिल का काम देखने लगे।
लंबे समय तक वह इस चीनी मिल के चेयरमैन रहे। उनकी देखरेख में सरैया स्टील कंपनी और रोलिंग मिल सहित कई अन्य उद्योग भी खूब फले-फूले। 90 के दशक में अस्वस्थता के चलते वह पत्नी जान सैंडर्स के साथ दिल्ली में रहने लगे। पिछले साल भी वह यहां आए थे और सरदार नगर की करीब पांच एकड़ में स्थित अपनी कोठी में ठहरे भी थे।
Apr 17 2024, 16:28