वाराणसी सीटः पिछले तीन दशक से हर चुनाव में हावी रहा जातीय समीकरण

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उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट यूपी की ही नहीं देश की सबसे वीवीआईपी सीट है। इस सीट से पिछले दो बार से लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद रहे हैं। पीएम मोदी तीसरी बार भी वाराणसी से ही चुनाव लड़ेंगे। देश का प्रधानमंत्री जिस सीट से सांसद हो तो उस लोकसभा क्षेत्र की बात ही जुदा है। वाराणसी पूर्वांचल के साथ बिहार की कई सीटों का राजनीतिक केंद्र बन गया है। बीजेपी इस सीट पर एक बार से पीएम मोदी की बड़ी जीत की तैयारी में जुटी हुई है।

वाराणसी संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र- वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट, सेवापुरी और रोहनिया शामिल है। वाराणसी में कुल 18,56,791 मतदाता है। इनमें पुरुष मतदाता 8 लाख 29 हजार 560 जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 10 लाख 27 हजार 113 है, वहीं थर्ड जेंडर वोटर्स 118 हैं। 

वाराणसी में जातीय समीकरण

• 3 लाख ब्राह्मण वोटर्स

• 3 लाख मुस्लिम वोटर्स

• 3 लाख से ज्यादा गैर यादव ओबीसी वोटर

• 2 लाख से ज्यादा कुर्मी जाति के वोटर

• 2 लाख वैश्य वोटर

• 1.5 लाख भूमिहार वोटर

• 1 लाख यादव वोटर

• 1 लाख अनुसूचित जातियों के वोटर

अगर बनारस के जातीय समीकरण की बात करें को यहां कुर्मी समाज के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। रोहनिया और सेवापुरी में कुर्मी मतदाता काफी संख्या में हैं। इसके अलावा ब्राह्मण और भूमिहारों की भी अच्छी खासी तादाद है। वाराणसी के लिए वैश्य यादव और मुस्लिम मतदातों की संख्या भी जीत के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।

यहां 3 लाख से ज्यादा गैर यादव ओबीसी वोटर हैं। 2 लाख से ज्यादा वोटर कुर्मी जाति के हैं। 2 लाख वैश्य वोटर हैं। डेढ़ लाख भूमिहार वोटर हैं इसके अलावा वाराणसी में एक लाख यादव और एक लाख अनुसूचित जातियों के वोटर हैं।

वाराणसी और आसपास की सीटों पर पिछले तीन दशक से हर चुनाव में जातीय समीकरण हावी रहा है। इसके आगे विकास और बेहतरी के दावे भी असर नहीं कर पाते। इसलिए भाजपा का पूरा ध्यान इस ओर भी है कि सभी जातियों के मतदाताओं को अपने पक्ष में किया जाए। ब्राह्मण, बनिया और ठाकुर को बीजेपी का परंपरागत वोट माना जाता है। अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल एस और बीजेपी के बीच गठबंधन है। ऐसे में कुर्मी वोटर्स भी बीजेपी और पीएम मोदी के पक्ष में वोट देंगे। वाराणसी में राजभर समाज के वोटर की संख्या अच्छी खासी है। कुछ दिन पहले ही ओम प्रकाश राजभर को यूपी के योगी सरकार मंत्री बनाया गया है। जिसका फायदा इस चुनाव में मिलना तय है।

आग की घटना से उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन ने लिया सबक, अब 30 मार्च को रंगपंचमी के लिए नए निर्देश जारी


होली उत्सव के दौरान उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती में गुलाल उड़ाने के दौरान आग भड़कने से 14 लोगों के घायल होने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के जवाब में, प्रशासन ने विभिन्न एहतियाती उपाय लागू करने का निर्णय लिया है। आगामी 30 मार्च को रंगपंचमी का त्यौहार है। इन उपायों का उद्देश्य ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकना है।

उज्जैन के जिला मजिस्ट्रेट, नीरज कुमार सिंह ने घोषणा की है कि रंगपंचमी के दौरान महाकालेश्वर मंदिर परिसर के अंदर केवल हर्बल रंगों, विशेष रूप से टेसू (पलाश) के फूलों से बने रंगों की अनुमति होगी। श्रद्धालुओं को बाहर से रंग लाने की अनुमति नहीं होगी। इसके अतिरिक्त, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुबह की भस्म आरती में भाग लेने वाले भक्तों की संख्या को नियंत्रित किया जाएगा।

राज्य के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने होली के दौरान मंदिर में आग लगने के लिए रसायन युक्त गुलाल जिम्मेदार होने की संभावना पर चिंता व्यक्त की। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आश्वासन दिया कि आग के कारणों का पता लगाने के लिए गहन जांच की जा रही है, जिसमें यह जांचना भी शामिल है कि क्या गुलाल में अभ्रक या किसी रसायन की मौजूदगी इस घटना का कारण बनी।

इस बीच, इंदौर में श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसएएमएस) के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. विनोद भंडारी ने घायल व्यक्तियों के बारे में जानकारी दी। मंदिर में लगी आग से प्रभावित चार और लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिससे इलाज करा रहे मरीजों की कुल संख्या 12 हो गई है। डॉ. भंडारी ने कहा कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में सभी मरीजों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार हो रहा है।

हुक्का बार में रेड के दौरान मुनव्वर फारूकी को पुलिस ने पकड़ा, पूछताछ के बाद छोड़ा*

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मशहूर कॉमेडियन और बिग बॉस एंव लॉकअप जैसे प्रसिद्ध रियलिटी शो के विजेता मुनव्वर फारूकी को मुंबई पुलिस ने मंगलवार देर रात हिरासत में ले लिया। मंगलवार रात फोर्ट इलाके में हुक्का बार में छापेमारी के मामले में हिरासत में लिया गया। उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पूछताछ के बाद सभी आरोपियों को रिहा कर दिया गया।हालांकि यह जमानती अपराध था, इसलिए पुलिस ने पूछताछ के बाद मुनव्वर फारूकी को नोटिस देकर छोड़ दिया। मुंबई पुलिस फिलहाल पूरे मामले की जांच में जुटी है।

मुनव्वर फारुकी एक प्रमुख भारतीय स्टैंड-अप कॉमेडियन और रैपर हैं। बीती रात दक्षिण मुंबई के फोर्ट में एक हुक्का पार्लर में पुलिस की छापेमारी के दौरान हिरासत में लिए गए व्यक्तियों के एक समूह में वे शामिल थे। पुलिस को मिली गुप्त सूचना के आधार पर यह छापेमारी की गई थी। अधिकारियों ने हर्बल की आड़ में तंबाकू आधारित हुक्का पीने का संदेह में मुनव्वर फारुकी सहित एक दर्जन से अधिक लोगों को हिरासत में लिया था। हालांकि, बाद में उन्हें पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया।

हिरासत में लिए जाने की खबरों के आने के बाद खुद मुनव्वर फारूकी ने भी एयरपोर्ट से अपनी एक तस्वीर इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट की है। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि थका हुआ हूं लेकिन ट्रैवल कर रहा हूं। एक तरफ मुनव्वर और उनकी टीम की तरफ से ये दिखाने की कोशिश की जा रही है कि उनका इस रेड से कोई कनेक्शन नहीं है, वहीं दूसरी तरफ इस रेड से जुड़े एक अधिकारी ने फ्री प्रेस जनरल को दिए बयान में कहा है, “हमारी टीम ने हुक्का के नाम पर तंबाकू के इस्तेमाल होने की जानकारी मिलने के बाद मुंबई के हुक्का बार पर छापा मारा। वहां से मिली हुईं चीजों की जांच हो रही है और हिरासत में लिए गए लोगों में फारूकी भी शामिल हैं।

वरुण गांधी के रुख पर टिकीं सबकी निगाहें, पीलीभीत सीट के लिए आज नामांकन का आखिरी दिन

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पीलीभीत से बीजेपी ने वरुण गांधी का पत्ता काट कर जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया गया। इसके बाद अब सबकी नजरें वरुण गांधी के अगले कदम पर है।पीलीभीत में 19 अप्रैल को वोटिंग होगी। उत्तर प्रदेश की इस सीट पर नामांकन का आज यानी बुधवार को आखिरी दिन है। अब देखना होगा कि वरुण क्या निर्दलीय पर्चा भरते हैं या पीलीभीत से उनके परिवार का 35 साल का रिश्ता खत्म होने वाला है।हालांकि, नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही वरुण गांधी ने नामांकन पत्र के चार सेट खरीद लिए थे। ऐसे में वरूण गांधी के अगले कदम पर सबकी निगाहें हैं।

आज नामांकन के अंतिम दिन तस्वीर साफ होगी कि वरुण मैदान छोड़ेंगे या कोई और कदम उठाएंगे। सांसद वरुण गांधी की ओर से अपने समर्थकों को किसी तरह का कोई संदेश अभी तक नहीं दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी ने 24 मार्च को देररात जारी सूची में सांसद वरुण गांधी का टिकट काटकर उनके स्थान पर लोक निर्माण विभाग मंत्री जितिन प्रसाद को उम्मीदवार घोषित किया है। टिकट कटने के बाद सांसद वरुण गांधी के समर्थकों में सन्नाटा सा पसर गया।

अवध क्षेत्र से मैदान में उतारने की चर्चा

अपनी ही सरकार को कई बार कठघरे में खड़ा करने वाले वरुण का टिकट काटने के बाद भी भाजपा उनसे रिश्ता कायम रख सकती है। चर्चा है कि पार्टी उन्हें अवध क्षेत्र की किसी वीआईपी सीट से चुनाव मैदान में उतार सकती है। हालांकि इस बारे में ठोस कोई कुछ नहीं बोल रहा। सिर्फ वरुण व भाजपा की एक-दूसरे के बारे में कोई टिप्पणी न आने से इसकी संभावना भी कुछ लोग जता रहे हैं। ऐसे में भाजपा और वरुण दोनों के लिए बुधवार का दिन खास है।

पीलीभीत से 35 साल पुराना रिश्ता

वरुण गांधी के परिवार का पीलीभीत लोकसभा सीट से रिश्ता साढ़े तीन दशक पुराना है। मेनका गांधी ने अपनी सियासी पारी का आगाज संजय गांधी के निधन के बाद 1984 में अमेठी से किया था। राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ी थीं, लेकिन जीत नहीं सकीं। इसके बाद ही उन्होंने पीलीभीत सीट को चुना। साल 1989 में जनता दल के टिकट पर पीलीभीत सीट से चुनावी मैदान में उतरीं तो तराई के लोगों ने मेनका को सिर-आंखों पर बैठाया। वो जीतकर संसद पहुंचीं, लेकिन 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में हार गईं। मेनका गांधी ने 1996 में जनता दल से चुनाव लड़कर हिसाब बराबर किया। इसके बाद मेनका ने 1998 और 1999 में पीलीभीत सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीतीं। अटल बिहार वाजपेयी सरकार में मंत्री रहीं और 2004 में मेनका ने बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज किया।

वरुण गांधी ने सियासत में आने का फैसला किया तो उन्होंने पीलीभीत सीट बेटे के लिए छोड़ दी। 2009 में वरुण गांधी पीलीभीत से सांसद बने तो मेनका गांधी आंवला सीट से सांसद चुनी गईं। 2014 में बीजेपी ने वरुण को सुल्तानपुर से तो मेनका गांधी को पीलीभीत से चुनावी मैदान में उतारा। मां-बेटे दोनों ही जीतने में सफल रहे, लेकिन 2019 में फिर से दोनों की सीट बदल दी गई। 2019 में बीजेपी ने वरुण गांधी के पीलीभीत से तो मेनका गांधी को सुल्तानपुर से प्रत्याशी बनाया। इस बार भी दोनों जीतने में सफल रहे, लेकिन बीजेपी ने 2024 में वरुण गांधी को पीलीभीत से टिकट नहीं दिया जबकि उनकी मां मेनका गांधी को सुल्तानपुर से प्रत्याशी बनाया है।

*लोकसभा चुनाव से पहले पंजाब में कांग्रेस को बड़ा झटका, रवनीत सिंह बिट्टू बीजेपी में शामिल*

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पंजाब में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। तीन बार से सांसद और पार्टी के सीनियर नेता रवनीत सिंह बिट्टू ने “हाथ” झटक दिया है। इसके साथ ही रवनीत सिंह बीजेपी में शामिल हो गए हैं। दिल्ली में उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ले ली है। वहीं रवनीत सिंह बिट्टू राहुल गांधी के काफी करीबी माने जाते हैं और पंजाब की राजनीति में एक बड़ा नाम हैं। लोकसभा चुनाव से पहले ये कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान है।

कांग्रेस के लुधियाना से मौजूदा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में पार्टी के महासचिव विनोद तावड़े ने उन्हें पार्टी में शामिल करवाया है। भाजपा इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बता रही है और उनके नेताओं का मानना है कि शिरोमणि अकाली दल से अलग होने के बाद जिन सीटों पर पार्टी की पैठ नहीं थी, अब उन सीटों पर भी पार्टी जोरदार लड़ाई देगी।

बिट्टू पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के पोते हैं। वे दो बार लुधियाना से सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा वे श्री आनंदपुर साहिब से भी सांसद का चुनाव जीत चुके हैं। उन्हें लुधियाना से पार्टी का टिकट मिल सकता है। 

बिट्टू ने 2009 में श्री आनंदपुर साहिब से पहली बार सांसद का चुनाव जीता था। इसके बाद वे 2014 और 2019 में लुधियाना लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 2019 में बिट्टू ने सिमरजीत सिंह बैंस को मात दी थी। वे काफी मुखर नेता माने जाते हैं। सांसद के साथ वो पंजाब युवक कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। युवक कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए बिट्टू ने पंजाब में ड्रग एडिक्शन के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया था और 2011 में राज्य में ड्रग प्रिवेंशन बोर्ड स्थापित करने की मांग को लेकर हुए भूख हड़ताल में अहम भूमिका निभाई थी। इससे पहले 2010 में उन्होंने पंजाब को नशा मुक्त बनाने के लिए 45 दिनों तक 1,500 किलोमीटर की पदयात्रा भी निकाली थी।

इससे पहले पटियाला की कांग्रेस सांसद परनीत कौर भी भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। वे पटियाला सीट से पार्टी की टिकट की दावेदार हैं। बता दें कि शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के बीच आज गठबंधन की संभावनाएं पूरी तरह खत्म हो गई। जिसके बाद भाजपा ने पंजाब की 13 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में पार्टी को रवनीत बिट्टू, परनीत कौर के रूप में दो मजबूत चेहरे मिल गए हैं। सूत्रों से पता चला है कि कल आम आदमी पार्टी का भी एक बड़ा चेहरा भाजपा में शामिल हो सकता है। इसके अलावा ग्रामीण सीटों पर जहां भाजपा का आधार नहीं है वहां कांग्रेस के कुछ और बड़े चेहरों को भी टिकट देकर उतारा जा सकता है।

पाकिस्तान में चीनी इंजीनियरों के काफिले पर भीषण आतंकी हमला, चीन के 5 नागरिकों की मौत, जिनपिंग को बड़ा झटका

पाकिस्तान में हुए एक सुसाइड ब्लास्ट में पांच चीनी नागरिकों समेत छह लोगों की मौत हो गई। मलकंद के पुलिस उप महानिरीक्षक ने मंगलवार को कहा कि शांगला के बेशम शहर में चीनी नागरिकों के काफिले पर हमला किया गया। चीनी नागरिकों की कार से हमलावर ने विस्फोटक से भरी गाड़ी में धमाका किया। उत्तर पश्चिम पाकिस्तान में एक आत्मघाती हमला चीनी नागरिकों के काफिले पर हुआ। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक क्षेत्रीय पुलिस प्रमुख मोहम्मद अली गंडापुर ने बताया कि हमलावर ने विस्फोटकों से लदे वाहन से चीनी इंजीनियरों के एक काफिले को टक्कर मार दी। काफिला इस्लामाबाद से खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के दासू में अपने कैंप की ओर जा रहा था। गंडापुर ने पुष्टि की है कि इस हमले में पांच चीनी नागरिक और उनका पाकिस्तानी ड्राइवर मारे गए हैं।

दासू एक प्रमुख बांध स्थल है और इस क्षेत्र पर पहले भी हमले हुए हैं। गंडापुर ने कहा, काफिले में शामिल बाकी लोग सुरक्षित हैं। पाकिस्तान में 'चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे' के तहत कई प्रोजेक्ट बन रहे हैं। चीन ने पाकिस्तान को इन प्रोजेक्ट्स के लिए कर्ज दिया है। लेकिन इन प्रोजेक्ट्स में काम करने के लिए चीन से कर्मचारी आए हैं। पाकिस्तान में इनके ऊपर पहले भी हमले होते रहे हैं। कराची यूनिवर्सिटी के करीब 2022 में भी चीनी नागरिकों को निशाना बनाया गया था।

पहले भी हुआ आतंकी हमला

दासू पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत का हिस्सा है। यहां कई वर्षों से हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। लंबे समय से यह आतंकियों का टार्गेट रहा है। 2021 में भी यहां एक हमला हुआ था, जिसमें 9 चीनी नागरिक और एक बच्चे की मौत हुई थी। इस हादसे के दौरान चीनी नागरिक एक बस में बैठे हुए थे। शुरुआत में हमले को लेकर भ्रम था। पहले माना जा रहा था कि यह बस दुर्घटना है, लेकिन बाद में जांच से पता चला कि यह आतंकी हमला था, जिस कारण बस खाई में गिर गई।

बलोचिस्तान में चीनी नागरिक निशाने पर

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने मंगलवार को हुए आतंकी हमले की निंदा की और गहरा दुख प्रकट किया। एक बयान में उन्होंने चीनी नागरिकों के परिवारों और चीन की सरकार के प्रति संवेदना व्यक्त की। इसमें उन्होंने कहा कि पाकिस्तान विरोधी ताकतें पाक-चीन दोस्ती की नुकसान पहुंचाने में सफल नहीं होंगी। पाकिस्तान में जहां भी चीनी नागरिक हैं उन्हें आतंकी निशाना बनाते रहते हैं। बलोचिस्तान में भी 20 मार्च को चीनी नागरिकों को निशाना बनाया गया था। ग्वादर बंदरगाह के डेवलपमेंट में चीन लगा है। इसका विरोध बलूचिस्तान की स्थानीय आबादी कर रही है। यही कारण है कि बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी इन्हें निशाना बनाती रहती है।

जयराम रमेश की टिप्‍पणी पर भड़कीं स्‍मृति ईरानी, कांग्रेस के “दरबारी” हमारे कामों के आंकड़े तोड़-मरोड़ के पेश कर रहे

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लोकसभा चुनाव को लेकर देश में राजनीतिक हलचल जोरों पर हैं। जनता को अपने पाले में करने के लिए राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोपों की बौछार कर रहे हैं। इस चुनावी माहौल में कांग्रेस और भाजपा के बीच जमकर आरोप-प्रत्‍यारोप किये जा रहे हैं। इस बीच केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस सांसद जयराम रमेश को करारा जवाब दिया है। जयराम रमेश ने उनके मंत्रालय की आलोचना में एक लंबा पोस्ट लिखा था। जिसके जवाब में मंत्री ईरानी ने भाजपा सरकार की उप्ल्बधियाँ और यूपीए की कमियाँ गिना दी। महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर केंद्र सरकार की कांग्रेस की आलोचना पर हमला करते हुए, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने पोस्ट में जयराम रमेश को गांधी परिवार का "दरबारी" करार दिया है।

स्मृति ईरानी ने एक्स पर लंबे-चौड़े कमेंट लिखे। स्‍मृति ईरानी ने कहा,बहुत लंबे समय से वंशवादी शासक भारत के असली उत्तराधिकारियों ने इसकी संपत्ति लूट ली है। उनके पतन के बाद भी, उनके दरबारियों ने महिलाओं के कल्याण के लिए भाजपा सरकार के प्रयासों को कमजोर करने के लिए तथ्यों को विकृत करना और आंकड़ों में हेरफेर करना जारी रखा है।

स्मृति ईरानी ने ये भी कहा- जब मूर्ख दूसरे को मूर्ख बनाने की कोशिश करता है, तो उससे ये पता चलता है कि वह कितना मूर्ख है। कांग्रेस महासचिव (जयराम रमेश) अगर एनसीआरबी के आंकड़ों पर नजर डालें तो जान सकेंगे की मोदी सरकार ने महिलाओं को अपराधों के खिलाफ रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया है। साथ ही महिलाओं के खिलाफ अपराध से निपटने के लिए प्रयासों का नेतृत्व किया है।

इसके बाद केन्द्रीय मंत्री ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के कामों को गिनाया। उन्होंने बताया कि महिलाओं के विशेष रूप से स्थापित किए गए निर्भया फंड का एक रुपया भी 2014 में यूपीए सरकार के अंत तक खर्च नहीं किया गया था। मंत्री ईरानी ने बताया कि मोदी सरकार में निर्भया फंड से 40 प्रोजेक्ट चालू हुए हैं। इसके लिए 7215 करोड़ का आवंटन हुआ है। उन्होंने जयराम रमेश पर हमला बोलते हुए कहा कि यूपीए सरकार में एक इमरजेंसी हेल्पलाइन भी नहीं जारी की जा सकी थी। उन्होंने कहा कि जबसे 2015 में निर्भया हेल्पलाइन बनी है, तब से इससे 70 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता मिली है।

स्मृति ईरानी ने बताया कि हेल्पलाइन नंबर 112 अब सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र प्रदेशों में सक्रिय है। इसने 30.34 करोड़ से ज्यादा कॉल अटैंड किए हैं। इसके अलावा 2015 से निर्भया फंड के तहत महिला हेल्पलाइन 181 भी चालू हैं। इस पर 71.31 लाख से ज्यादा महिलाएं 1.39 करोड़ से ज्यादा कॉल संभालती हैं। निर्भया फंड के तहत आने वाले प्रोजेक्ट्स जैसे वन स्टॉप सेंटर, हर पुलिस स्टेशन में महिला हेल्पडेस्क और महिलाओं और बच्चों के लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट की स्थापना शामिल है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जयराम रमेश को यह जानकर भी खुशी होगी कि आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ERSS) जैसा बुनियादी उपाय भी पूरी तरह से मोदी शासन द्वारा लागू किए गए थे। इसके अलावा भी उन्होंने कई प्रोजेक्ट गिनाए। केन्द्रीय मंत्री ईरानी ने आगे बताया कि 2014-15 के बाद महिलाओं के लिए जारी किया जाने वाला बजट काफी बढ़ गया है। उन्होंने बताया कि इस दौरान बजट में 215% की वृद्धि हुई है। उन्होंने कई योजनाओं के बढ़ाए गए बजट के आँकड़े सामने रखे।

क्या कहा था कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने?

इससे पहले सोमवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बीजेपी सरकार के काम काज पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत कोई उल्लेखनीय और सफलतापूर्वक काम नहीं किया गया। उन्होंने इसे भारी विफलताओं से भरा हुआ दशक बताया था। जयराम रमेश ने इसी के साथ यह भी कहा कि जून 2024 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार बनने के बाद ‘महिलाओं के लिए 10 साल का अन्याय’ का दौर समाप्त हो जाएगा। उन्होंने यह कहकर बीजेपी सरकार पर हमला बोला था कि 10 सालों से डब्ल्यूसीडी मंत्रालय ने केवल अक्षमता, उदासीनता और महिला विरोधी मानसिकता देखी है।

वरूण गांधी को अधीर रंजन ने दिया ऑफर, सपा के बाद कांग्रेस का खुला आमंत्रण

#adhir_ranjan_chowdhury_says_varun_gandhi_should_join_congress

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भारतीय जनता पार्टी की सूची में पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी का टिकट काट दिया गया है। बीजेपी ने यहां पर कांग्रेस से आए यूपी सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को चुनावी समर में उतारा गया है।इस बीच बीजेपी नेता वरुण गांधी को लेकर अधीर रंजन चौधरी का एक बड़ा बयान सामने आया है। अधीर रंजन चौधरी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल होने का ऑफर दिया है। 

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल होने का ऑफर देते हुए कहा कि वरुण गांधी की टिकट इसलिए काटी गई, क्योंकि उनका गांधी परिवार से संबंध है। अधीर रंजन चौधरी ने आगे कहा कि वरुण गांधी की छवि साफ सुथरी है उनको कांग्रेस में आना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर वे कांग्रेस में आते हैं तो खुशी होगी।

सपा भी ऑफर दे चुकी

कांग्रेस से पहले वरुण गांधी को समाजवादी पार्टी भी ऑफर दे चुकी है। पीलीभीत से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी भगवत सरन गंगवार ने हाल ही में कहा था कि यदि वरुण सपा में शामिल होकर चुनाव लड़ते हैं तो मैं उनके लिए नाम वापस ले लूंगा। वरुण के निर्दलीय चुनाव लड़ने की चर्चा भी है।

कांग्रेस का 'हाथ' पकड़ेंगे या करेंगे साइकिल की सवारी

वरुण गांधी का टिकट कटने के बाद नई चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। अब वरुण गांधी क्या निर्णय लेंगे, इस पर सबकी नजर है। क्योंकि नामांकन के लिए सिर्फ कल तक का वक्त है। पीलीभीत में पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को मतदान है। बुधवार नामांकन पत्र जमा करने का अंतिम दिन है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि वरुण गांधी कांग्रेस का 'हाथ' पकड़ेंगे या फिर साइकिल की सवारी करेंगे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वरुण गांधी कांग्रेस में भी जा सकते हैं, कांग्रेस उन्हें अमेठी या फिर रायबरेली सीट से उम्मीदवार बना सकती है। क्योंकि कांग्रेस ने अभी इन दोनों सीटों पर अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। ऐसी भी संभावना है कि वो पीलीभीत सीट से ही निर्दलीय मैदान में उतर सकते हैं। 

बता दें कि पीलीभीत लोकसभा सीट पिछले चार चुनावों से भाजपा के कब्जे में है। मौजूदा समय में वरुण गांधी इस सीट से सांसद हैं। वरुण गांधी लंबे समय से पार्टी की नीतियों को लेकर मुखर रहे हैं। उनके बयानों पर खूब चर्चा हुई। हालांकि कुछ समय पूर्व से उनके बयानों में नरमी आई थी, लेकिन अब पार्टी ने अपना फैसला सुना दा है।

यूएस के बाल्टीमोर में जहाज से टकराने के बाद भरभराकर गिरा अमेरिका का ब्रिज, वीडियो हुआ वायरल

 संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के बाल्टीमोर में फ्रांसिस स्कॉट की ब्रिज कथित तौर पर एक बड़े कंटेनर जहाज से टकराने के बाद मंगलवार तड़के ढह गया। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि घटना के बाद कई कारों और लोगों को पानी में देखा गया, जो लगभग 1.30 बजे (अमेरिकी स्थानीय समय) पर हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, बाल्टीमोर सिटी अग्निशमन विभाग ने इमारत ढहने को 'सामूहिक हताहत घटना' बताया और कहा कि कर्मचारी नदी में सात लोगों की तलाश कर रहे हैं। घटना के वीडियो व्यापक रूप से साझा किए गए, जिसमें पतन का क्षण दिखाया गया। फॉक्स बाल्टीमोर के अनुसार, मैरीलैंड के बाल्टीमोर में 3 किमी (1.6 मील) लंबा की ब्रिज एक मालवाहक जहाज से टकराने के बाद पानी में गिर गया। LSEG के जहाज ट्रैकिंग डेटा ने सिंगापुर-ध्वजांकित कंटेनर जहाज, डाली को की ब्रिज के साथ उस स्थान पर दिखाया जहां दुर्घटना हुई थी। 

LSEG डेटा से पता चलता है कि जहाज का पंजीकृत मालिक ग्रेस ओशन पीटीई लिमिटेड है और प्रबंधक सिनर्जी मरीन ग्रुप है। इस बीच, स्थानीय यातायात ने कहा कि दोनों दिशाओं की सभी लेन यातायात के लिए बंद कर दी गई हैं। मैरीलैंड ट्रांसपोर्टेशन अथॉरिटी ने एक्स पर पोस्ट किया कि आई-695 की ब्रिज पर घटना के कारण दोनों दिशाओं की सभी लेन बंद कर दी गईं। ट्रैफिक को बदला जा रहा है।

क्या मॉस्को के कॉन्सर्ट हॉल हमले में अमेरिका-यूक्रेन का है हाथ? यूएस के दावे पर रूस ने खड़े किए सवाल

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रूस की राजधानी मॉस्को में एक कॉन्सर्ट हॉल में हुए हमले के सिलसिले में 11 लोगों को हिरासत में लिया गया है। वहीं, हमले में मृतकों की संख्या बढ़कर 137 हो गई है। रूस की सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह हमला यूक्रेन से जुड़ा है, हालांकि इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। इस्लामिक स्टेट ने शुक्रवार को क्रॉकस सिटी हॉल पर हुए इस हमले की ज़िम्मेदारी लेते हुए वीडियो साक्ष्य पेश किए हैं। इस्लामिक स्टेट समूह ने अपनी समाचार एजेंसी ‘अमाक’ की तरफ से साझा किए गए एक बयान के जरिए कहा कि उसने मॉस्को के बाहरी इलाके क्रास्नोगोर्स्क में ‘ईसाइयों’ की एक बड़ी सभा पर हमला किया, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए और घायल हो गए। 

हालांकि, रूस ने किसी तरह का सबूत पेश किए बग़ैर इस हमले में यूक्रेन का हाथ बताया है। रूस की दावा है कि हमलावरों को यूक्रेन से मदद मिल रही थी और उसने हमलावरों को सीमा पार कराने के लिए एक व्यवस्था भी की हुई थी। रूस की सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से दावा किया गया कि 11 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें हमले में सीधे शामिल चार आतंकवादी भी शामिल हैं। रूस की प्रमुख सुरक्षा एजेंसी संघीय सुरक्षा सेवा (एफएसबी) ने बताया कि हमले को अंजाम देने के बाद आतंकवादी रेनॉल्ट कार से रूस-यूक्रेन की सीमा की ओर भाग गए थे। बाद में सभी को मॉस्को से लगभग 400 किलोमीटर की दूरी पर ब्रांस्क क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया।

हमले के बाद सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक में पुतिन ने कहा कि हत्याएं इस्लामी चरमपंथियों द्वारा की गईं। रूस के राष्ट्रपति ने अपनी टिप्पणी में इस्लामिक स्टेट का जिक्र करने से परहेज किया। पुतिन ने कहा कि यह पता लगाना जरूरी है कि अपना अपराध करने के बाद आतंकवादियों ने यूक्रेन भागने की कोशिश क्यों की और वहां कौन उनका इंतजार कर रहा था। 

वहीं, रूस ने अमेरिका के दावों पर भी सवाल खड़े किए हैं। पुतिन ने कहा कि अमेरिका अपने सैटेलाइटों को यह समझाने की कोशिश कर रहा है कि इस घटना में कीव का कोई हाथ नहीं है और आईएस ने हमले को अंजाम दिया है। उन्होंने कहा, हम जानते हैं कि हमला किसने किया। हम जानना चाहते हैं कि मास्टरमाइंड कौन था।

दरअसल, अमेरिका ने दावा किया था कि मॉस्को के क्रोकस हॉल में हुई गोलीबारी के पीछे इस्लामिक स्टेट-खुरासान (ISIS-K) का हाथ था। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जकारोवा ने एक अखबार में लेख के जरिए इस पर सवाल खड़े किए हैं। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जकारोवा ने लेख में कहा कि सावधान... व्हाइट हाउस से एक सवाल है कि क्या आप पक्के तौर पर कह सकते हैं ये आईएसआईएस है? शायद आपको इस पर एक बार और सोच लेना चाहिए। 

वहीं, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जब तक जांच जारी है, रूस की ओर से आईएसआईएस के दावे पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता और अमेरिका के खुफिया विभाग की जानकारी पर भी कोई बयान नहीं दे सकते, क्योंकि ये संवेदनशील जानकारी है।

इधर, संडे गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, रूस की सुरक्षा एजेंसियों की करीबी माने जाने वाली संस्थाओं में कहा गया कि शूटर ताजिकिस्तान से थे और उन्हें सलमान खोरासानी नाम के एक ताजिक नागरिक ने भर्ती किया था। सलमान खोरासानी के बारे में कहा गया है कि वह आईएसआईएस-के का सदस्य है और वर्तमान में अफगानिस्तान-पाकिस्तान के इलाके में रह रहा है। इनपुट में एजेंसियों के हवाले से दावा किया गया है कि खोरासानी आईएसआईएस-के और अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के बीच एक मध्यवर्ती कड़ी था। दावे के मुताबिक, भर्ती होने के बाद इन चारों को तुर्की की एक खुफिया एजेंसी ने ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए निर्देश दिए थे। ऑपरेशन को अंजाम देने के बाद उन्हें यूक्रेन भागना था, जहां से उन्हें तुर्की ले जाया जाना था। तुर्की से खुफिया एजेंसियां इन्हें सलमान खोरासानी के पास पहुंचाने वाली थी। इनपुट से यह पता नहीं चला कि इसमें कौन सी खुफिया एजेंसी शामिल थी।

बता दें कि शुक्रवार की रात चार बंदूकधारियों ने उत्तरी मॉस्को में स्थित क्रॉकस सिटी हॉल में मौजूद करीब 6,000 लोगों पर गोलियां चलाना शुरू कर दिया। ये लोग एक रॉक कंसर्ट में हिस्सा ले रहे थे। इसके बाद हमलावरों ने कंसर्ट हॉल में आग लगा दी जिससे उसकी छत नीचे गिर गई। रूसी अधिकारियों ने कहा है कि इस हमले में 137 लोगों की जान गई है और 100 से ज़्यादा लोग जख़्मी हुए हैं।