पाकिस्तान में कोई प्रधानमंत्री पूरा नहीं कर पाए 5 साल का कार्यकाल, पहले 10 साल में ही बने 7 पीएम

#anypakistaniprimeministerdidnotcompletedtheirtenure

पाकिस्तान में नई सरकार के चयन के लिए आज गुरूवार को मतदान हो रहा है। पाकिस्तान इन दिनों आर्थिक परेशानियों के दौर से गुजर रहा है। वहीं, राजनीतिक हालात की बात करें तो देश में अस्थिरता का आलम शुरुआत से ही रहा है। पाकिस्तान को देश बने उतना ही समय हुआ है, जितना भारत को आजाद हुए। इतने वर्षों में भारत कितना आगे निकल चुका है, लेकिन पाकिस्तान काफी पीछे रह गया है। इसके पीछे राजनीतिक अस्थिरता एक बड़ा कारण रही है। बात करें पाकिस्तान में प्रधानमंत्रियों की तो भारत से अलग होकर देश बनने के बाद यानी साल 1947 से पाकिस्तान का एक भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। अधिकतर प्रधानमंत्री या तो डिसमिस कर दिए गए थे या फिर अयोग्य करार दे दिए गए थे।

पाकिस्तान के 76 साल के इतिहास में वहां एक भी प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। 21 प्रधानमंत्री ने 24 बार शपथ ली है। लेकिन, सबका कार्यकाल अधूरा रह गया। कोई 13 दिन के लिए पीएम बना तो कोई 54 दिन तो कोई 55 दिन। सबसे लंबे समय तो जो पीएम की कुर्सी पर बैठा उसका भी कार्यकाल सिर्फ 4 साल 86 दिन का रहा। ताज्जुब की बात है कि छह पीएम तो एक साल का भी कार्यकाल नहीं पूरा कर पाए। एक-दो नहीं 18 मौके ऐसे आए, जब बेहद ही विपरीत परिस्थितियों में प्रधानमंत्री को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। ऐसे ही साल 1993 की बात करें तो इस साल वहां पांच प्रधानमंत्री बदले गए। एक पीएम बेनजीर भुट्टो की हत्या हुई तो जुल्फीकार अली भुट्टो को फांसी की सजा सुनाई गई। इतना ही नहीं चार बार वहां तख्तापलट तक हुआ है।

पहले पीएम का कार्यकाल था 4 साल 63 दिन

लियाकत अली खान 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने थे। 4 साल 63 दिन बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। 16 अक्टूबर 1951 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। इसके बाद 17 अक्टूबर 1951 को ख्वाजा नजीमुद्दीन प्रधानमंत्री बने, लेकिन 17 अप्रैल 1953 को उन्हें भी अपना पद छोड़ना पड़ा। फिर पीएम की कुर्सी पर बैठे, मोहम्मद अली बोगरा। उनका भी कार्यकाल लंबा नहीं चला और वर्ष 1955 में गवर्नर जनरल ने उन्हें पद से हटा दिया। 1956 से लेकर 1958 के बीच भी चार लोग इस पद पर रहे। यानी कि 1958 तक कुल सात प्रधानमंत्री बदले जा चुके थे। यानी औसतन देखा जाए तो एक प्रधानमंत्री का कार्यकाल एक साल पांच महीने के करीब ही होगा।

पाकिस्तान में एक ताकतवर पीएम फांसी पर चढ़ा दिया गया

जुल्फीकार अली भुट्टो पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में से एक रहे। 3 साल 325 दिन बाद उन्हें सेना की बगावत के आरोप में फांसी पर चढ़ा दिया गया। 20 दिसंबर 1971 से 13 अगस्त 1973 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहने के बाद जुल्फिकार 14 अगस्त 1973 से पांच जुलाई 1977 तक देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला। साल 1977 में पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद जिया-उल-हक के नेतृत्व में सेना ने तख्तापलट कर दिया और जुल्फिकार को 3 सितंबर 1977 को गिरफ्तार कर लिया गया। उनपर विपक्षी नेता की हत्या का आरोप लगा था। 18 मार्च 1978 को जुल्फिकार अली भुट्टो की लाहौर हाईकोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई। 3 अप्रैल 1979 को आधी रात उन्हें फांसी दे दी गई। इस तरह पाकिस्तान के एक ताकतवर नेता का दु:खद अंत हुआ।

जब पाकिस्तान को मिली पहली महिला प्रधानमंत्री

पाकिस्तान की कमान संभालने वाली पहली महिला नेता बेनजीर भुट्टो थीं। प्रधानमंत्री के तौर पर उनका पहला कार्यकाल 1988 से 1990 और 1993 सले 1996 तक था। उन्होंने निर्दलीय सांसदों के साथ मिलकर एक गठबंधन बनाया था लेकिन उन्हें सेना के गुस्से का सामना करना पड़ा था। अगस्त 1990 में राष्ट्रपति गुलाम इशक खान ने भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें सस्पेंड कर दिया था। अक्टूबर 1990 के चुनाव में नवाज शरीफ ने उनकी पार्टी (पाकिस्तान पीपल्स पार्टी) को हराया था।

फिर सत्ता में आए नवाज शरीफ

नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे हैं लेकिन एक बार भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। पाकिस्तान में सबसे ज्यादा तीन बार नवाज शरीफ पीएम की कुर्सी पर बैठे। तीन बार मिलाकर उनका कार्यकाल 9 साल 179 दिन का रहा। 6 नवंबर 1990 को PML-N के नेता नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनें। अप्रैल 1993 में राष्ट्रपति गुलाम इशक खान ने संविधान के आर्टिकल 58-2बी के तहत उनकी सरकार को डिजॉल्व कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से नवाज सरकार को बहाल किया। 26 मई 1993 को नवाज एक बार फिर वे देश के पीएम बने। हालांकि नवाज का दूसरा कार्यकाल 2 महीने भी नहीं चल सका और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। फिर पाकिस्तान में फरवरी 1997 के चुनावों में उन्हें जबरदस्त जीत मिली और 17 फरवरी 1997 को उन्होंने एक बार फिर पीएम पद संभाला। हालांकि 3 फरवरी 1997 को जनरल परवेज मुशर्रफ ने उन्हें पद से हटाकर देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया। इस तरह उन्होंने देश की सत्ता हथिया ली।

यूसुफ रजा गिलानी का सबसे लंबा कार्यकाल

युसूफ रजा गिलानी पाकिस्‍तान में सबसे लंबी अ‍वधि तक शासन करने वाले प्रधानमंत्री हैं। 25 मार्च 2008 को गिलानी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। वह 4 साल 86 दिन तक प्रधानमंत्री रहे। उम्मीद थी कि वे 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करेंगे। लेकिन उनपर कोर्ट की अवमानना के आरोप लगे और आरोप साबित भी हुआ और अप्रैल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पीएम पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। इस तरह वे अपना कार्यकाल पूरा करने से चूक गए।

परवेज अशरफ से इमरान खान तक

राजा परवेज अशरफ ने 22 जून 2012 को प्रधानमंत्री बने, लेकिन वह एक साल से भी कम वक्त तक पद पर रहे। 25 मार्च 2013 को उन्होंने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, शाहिद खाकन अब्बासी एक अगस्त 2017 से जुलाई 2018 तक पीएम पद पर रहे। 2018 में हुए आम चुनावों में इमरान खान को जीत मिली और वे प्रधानमंत्री बनाए गए। क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और इस समय जेल में बंद हैं।

पाकिस्तान में कोई प्रधानमंत्री पूरा नहीं कर पाए 5 साल का कार्यकाल, पहले 10 साल में ही बने 7 पीएम

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पाकिस्तान में नई सरकार के चयन के लिए आज गुरूवार को मतदान हो रहा है। पाकिस्तान इन दिनों आर्थिक परेशानियों के दौर से गुजर रहा है। वहीं, राजनीतिक हालात की बात करें तो देश में अस्थिरता का आलम शुरुआत से ही रहा है। पाकिस्तान को देश बने उतना ही समय हुआ है, जितना भारत को आजाद हुए। इतने वर्षों में भारत कितना आगे निकल चुका है, लेकिन पाकिस्तान काफी पीछे रह गया है। इसके पीछे राजनीतिक अस्थिरता एक बड़ा कारण रही है। बात करें पाकिस्तान में प्रधानमंत्रियों की तो भारत से अलग होकर देश बनने के बाद यानी साल 1947 से पाकिस्तान का एक भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। अधिकतर प्रधानमंत्री या तो डिसमिस कर दिए गए थे या फिर अयोग्य करार दे दिए गए थे।

पाकिस्तान के 76 साल के इतिहास में वहां एक भी प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। 21 प्रधानमंत्री ने 24 बार शपथ ली है। लेकिन, सबका कार्यकाल अधूरा रह गया। कोई 13 दिन के लिए पीएम बना तो कोई 54 दिन तो कोई 55 दिन। सबसे लंबे समय तो जो पीएम की कुर्सी पर बैठा उसका भी कार्यकाल सिर्फ 4 साल 86 दिन का रहा। ताज्जुब की बात है कि छह पीएम तो एक साल का भी कार्यकाल नहीं पूरा कर पाए। एक-दो नहीं 18 मौके ऐसे आए, जब बेहद ही विपरीत परिस्थितियों में प्रधानमंत्री को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। ऐसे ही साल 1993 की बात करें तो इस साल वहां पांच प्रधानमंत्री बदले गए। एक पीएम बेनजीर भुट्टो की हत्या हुई तो जुल्फीकार अली भुट्टो को फांसी की सजा सुनाई गई। इतना ही नहीं चार बार वहां तख्तापलट तक हुआ है।

पहले पीएम का कार्यकाल था 4 साल 63 दिन

लियाकत अली खान 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने थे। 4 साल 63 दिन बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। 16 अक्टूबर 1951 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। इसके बाद 17 अक्टूबर 1951 को ख्वाजा नजीमुद्दीन प्रधानमंत्री बने, लेकिन 17 अप्रैल 1953 को उन्हें भी अपना पद छोड़ना पड़ा। फिर पीएम की कुर्सी पर बैठे, मोहम्मद अली बोगरा। उनका भी कार्यकाल लंबा नहीं चला और वर्ष 1955 में गवर्नर जनरल ने उन्हें पद से हटा दिया। 1956 से लेकर 1958 के बीच भी चार लोग इस पद पर रहे। यानी कि 1958 तक कुल सात प्रधानमंत्री बदले जा चुके थे। यानी औसतन देखा जाए तो एक प्रधानमंत्री का कार्यकाल एक साल पांच महीने के करीब ही होगा।

पाकिस्तान में एक ताकतवर पीएम फांसी पर चढ़ा दिया गया

जुल्फीकार अली भुट्टो पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में से एक रहे। 3 साल 325 दिन बाद उन्हें सेना की बगावत के आरोप में फांसी पर चढ़ा दिया गया। 20 दिसंबर 1971 से 13 अगस्त 1973 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहने के बाद जुल्फिकार 14 अगस्त 1973 से पांच जुलाई 1977 तक देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला। साल 1977 में पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद जिया-उल-हक के नेतृत्व में सेना ने तख्तापलट कर दिया और जुल्फिकार को 3 सितंबर 1977 को गिरफ्तार कर लिया गया। उनपर विपक्षी नेता की हत्या का आरोप लगा था। 18 मार्च 1978 को जुल्फिकार अली भुट्टो की लाहौर हाईकोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई। 3 अप्रैल 1979 को आधी रात उन्हें फांसी दे दी गई। इस तरह पाकिस्तान के एक ताकतवर नेता का दु:खद अंत हुआ।

जब पाकिस्तान को मिली पहली महिला प्रधानमंत्री

पाकिस्तान की कमान संभालने वाली पहली महिला नेता बेनजीर भुट्टो थीं। प्रधानमंत्री के तौर पर उनका पहला कार्यकाल 1988 से 1990 और 1993 सले 1996 तक था। उन्होंने निर्दलीय सांसदों के साथ मिलकर एक गठबंधन बनाया था लेकिन उन्हें सेना के गुस्से का सामना करना पड़ा था। अगस्त 1990 में राष्ट्रपति गुलाम इशक खान ने भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें सस्पेंड कर दिया था। अक्टूबर 1990 के चुनाव में नवाज शरीफ ने उनकी पार्टी (पाकिस्तान पीपल्स पार्टी) को हराया था।

फिर सत्ता में आए नवाज शरीफ

नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे हैं लेकिन एक बार भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। पाकिस्तान में सबसे ज्यादा तीन बार नवाज शरीफ पीएम की कुर्सी पर बैठे। तीन बार मिलाकर उनका कार्यकाल 9 साल 179 दिन का रहा। 6 नवंबर 1990 को PML-N के नेता नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनें। अप्रैल 1993 में राष्ट्रपति गुलाम इशक खान ने संविधान के आर्टिकल 58-2बी के तहत उनकी सरकार को डिजॉल्व कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से नवाज सरकार को बहाल किया। 26 मई 1993 को नवाज एक बार फिर वे देश के पीएम बने। हालांकि नवाज का दूसरा कार्यकाल 2 महीने भी नहीं चल सका और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। फिर पाकिस्तान में फरवरी 1997 के चुनावों में उन्हें जबरदस्त जीत मिली और 17 फरवरी 1997 को उन्होंने एक बार फिर पीएम पद संभाला। हालांकि 3 फरवरी 1997 को जनरल परवेज मुशर्रफ ने उन्हें पद से हटाकर देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया। इस तरह उन्होंने देश की सत्ता हथिया ली।

यूसुफ रजा गिलानी का सबसे लंबा कार्यकाल

युसूफ रजा गिलानी पाकिस्‍तान में सबसे लंबी अ‍वधि तक शासन करने वाले प्रधानमंत्री हैं। 25 मार्च 2008 को गिलानी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। वह 4 साल 86 दिन तक प्रधानमंत्री रहे। उम्मीद थी कि वे 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करेंगे। लेकिन उनपर कोर्ट की अवमानना के आरोप लगे और आरोप साबित भी हुआ और अप्रैल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पीएम पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। इस तरह वे अपना कार्यकाल पूरा करने से चूक गए।

परवेज अशरफ से इमरान खान तक

राजा परवेज अशरफ ने 22 जून 2012 को प्रधानमंत्री बने, लेकिन वह एक साल से भी कम वक्त तक पद पर रहे। 25 मार्च 2013 को उन्होंने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, शाहिद खाकन अब्बासी एक अगस्त 2017 से जुलाई 2018 तक पीएम पद पर रहे। 2018 में हुए आम चुनावों में इमरान खान को जीत मिली और वे प्रधानमंत्री बनाए गए। क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और इस समय जेल में बंद हैं।

एमपी के हरदा ब्लास्ट का कांग्रेस MLA ने किया अनोखा विरोध, गले में सुतली बम की माला डाले पहुंचे विधानसभा

 मध्य प्रदेश के हरदा के कांग्रेस MLA रामकिशोर दोगने नकली बम की माला पहनकर विधानसभा पहुंचे. पटाखा फैक्ट्री में धमाके मामले को लेकर विपक्षी दल के MLA ने गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया. उन्होंने कहा कि 4 लाख रुपए मुआवजे एवं कलेक्टर एसपी को हटाने से कुछ नहीं होगा. हरदा पटाखा फैक्ट्री विस्फोट के पश्चात् प्रदेश सरकार ने कलेक्टर ऋषि गर्ग को हटा दिया है. वहीं, एसपी संजीव कुमार कंचन को हटाकर भोपाल हेडक्वार्टर भेज दिया है. 

दरअसल, विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सदन में हरदा ब्लास्ट का मुद्दा गूंजेगा. विपक्ष ने सरकार इसके लिए पूरी तैयारी की है. इसी रणनीति के तहत आज विधानसभा पहुंचे हरदा से कांग्रेस MLA ने अनोखे तरीके से विरोध व्यक्त किया है. कांग्रेस MLA दोगने ने कहा, आरोपियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. भाजपा नेता कमल पटेल के संरक्षण में फैक्ट्री चल रही थी. लोगों के जीवन तबाह हो गए हैं. सरकार को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए. उधर, पूर्व कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि आरोपी पटाखा फैक्ट्री मालिक राजू एवं मुन्ना पटेल के भाई मन्नी को कांग्रेस MLA आरके दोगने का संरक्षण है. 

बुधवार को सीएम डॉ. मोहन यादव ने जिला चिकित्सालय हरदा पहुंचकर पटाखा हादसे में हुए चोटिल लोगों से मुलाकात कर उनका हाल-चाल जाना. डॉ. यादव ने चिकित्सालय प्रबंधन को हादसे में चोटिल व्यक्तियों के समुचित उपचार के निर्देश दिए. उन्होंने चोटिल व्यक्तियों को आश्वस्त किया कि संकट की घड़ी में सरकार प्रभावितों के साथ है. पीड़ितों को हर संभव मदद दी जाएगी. चोटिल लोगों ने सीएम डॉ. मोहन यादव को बताया कि दुर्घटना में उनके घर पूरी तरह टूट गए हैं. मवेशी भी मारे गए हैं. सीएम डॉ. यादव ने हरदा कलेक्टर को क्षतिग्रस्त आवासों की लिस्टिंग कर पीड़ित परिवारों को आवास के लिये उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि चोटिल मवेशियों का बेहतर इलाज किया जाएगा. मृत हुए मवेशियों का मुआवजा भी प्रभावित लोगों को उपलब्ध कराया जायेगा.

लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में कांग्रेस को लगा एक और झटका, बाबा सिद्दीकी ने छोड़ा “हाथ”

#baba_siddique_resign_from_maharashtra_congress 

कांग्रेस लगातार लग रहे झटकों से उबर नहीं पा रही है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को महाराष्ट्र में बड़ा झटका लगा है। बाबा सिद्दीकी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।करीब पांच दशकों तक पार्टी में रहने के बाद बाबा सिद्दीकी ने गुरुवार को कांग्रेस छोड़ दी। बाबा सिद्दीकी ने खुद सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी है। 

बाबा सिद्दीकी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि मैंने एक युवा के रूप में कांग्रेस ज्वाइन की थी। यह 48 वर्षों तक चलने वाली एक महत्वपूर्ण यात्रा रही है। आज मैं तत्काल प्रभाव से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। ऐसा बहुत कुछ है जिसे मैं व्यक्त करना चाहता हूं, लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि कुछ चीजें अनकही ही रह जाएं तो बेहतर है। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं जो इस यात्रा का हिस्सा रहे हैं।

बाबा सिद्दीकी ने यह कदम चुनाव आयोग के अजित पवार गुट असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के रूप में मान्यता दिए जाने के कुछ दिनों बाद उठाया है। कुछ दिन पहले ये खबर भी सामने आई थी थी कि मुंबई के बांद्रा ईस्ट से पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट में शामिल हो सकते हैं। 

मुंबई में कांग्रेस की युवा इकाई में रहते हुए सिद्दीकी ने राजनीति में अपना कद बढ़ाया। 1988 में वह मुंबई यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने। बीएमसी में दो बार पार्षद भी रहे। बाबा सिद्दीकी पहली बार 1999 में बांद्रा वेस्ट से विधायक बने थे। इसके बाद लगातार दो बार - 2004 और 2009 में भी जीते। 2004 से 2008 के बीच वह कांग्रेस-एनसीपी की गठबंधन सरकार में मंत्री रहे।

मिलिंद देवड़ा के बाद बाबा सिद्दीकी पार्टी छोड़ने वाले दूसरे बड़े कांग्रेस नेता बन गए हैं। बाबा सिद्दीकी से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा के बेटे और मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। 47 साल के मिलिंद देवड़ा यूपीए-2 के कार्यकाल में कुछ समय के मंत्री रह चुके थे। मिलिंद देवड़ा ने भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पार्टी छोड़ने की जानकारी दी थी। देवड़ा ने लिखा था कि आज मेरी राजनीतिक यात्रा के एक महत्वपूर्ण अध्याय का समापन हुआ। कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से मैंने अपना त्यागपत्र दे दिया है। कांग्रेस पार्टी के साथ मेरे परिवार का 55 साल पुराना रिश्ता ख़त्म हो गया है।

अडानी की कंपनी में एक भी SC-ST, OBC कर्मचारी नहीं, हमारी सरकार बनी तो..', झारखंड में राहुल गांधी ने किया बड़ा वादा

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 झारखंड के खूंटी में एक रैली में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना कराने और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को खत्म करने का वादा किया। उन्होंने कहा कि, अगर कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करती है, वो ये काम सबसे पहले करेंगे। उन्होंने भाजपा पर आदिवासी मुख्यमंत्री के कारण झारखंड में झामुमो-कांग्रेस-राजद सरकार को अस्थिर करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।

राहुल गांधी ने अडानी पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि ''अडानी की कंपनी में SC-ST, ओबीसी वर्ग का एक भी व्यक्ति काम नहीं करता है।'' कांग्रेस नेता ने कहा कि, "आप टैक्स दे रहे हैं, अडानी को जमीन दे रहे हैं, लेकिन उनकी कंपनी में आपका एक भी व्यक्ति नहीं है।" यह कहते हुए कि मौजूदा आरक्षण सीमा हाशिए पर रहने वाले समुदायों की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती है, राहुल ने वादा किया कि कांग्रेस सरकार पिछड़े वर्गों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए इस सीमा को खत्म कर देगी।

राहुल गांधी ने कहा, "दलितों और आदिवासियों के आरक्षण में कोई कटौती नहीं होगी। मैं आपको गारंटी दे रहा हूं कि समाज के पिछड़े वर्गों को उनका अधिकार मिलेगा। यह सबसे बड़ा मुद्दा है - सामाजिक और आर्थिक अन्याय।" उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते थे कि वह OBC हैं, लेकिन जब जातीय जनगणना की मांग की गई तो उन्होंने कहा कि यहां केवल दो जातियां हैं- अमीर और गरीब। राहुलगांधी ने दावा किया, "जब ओबीसी, दलितों, आदिवासियों को अधिकार देने का समय आया, तो मोदी जी कहते हैं कि कोई जाति नहीं है और जब वोट पाने का समय आता है, तो वे कहते हैं कि वह ओबीसी हैं।"

राहुल गांधी ने भाजपा पर जांच एजेंसियों और वित्तीय प्रभाव के माध्यम से विपक्ष शासित राज्यों को निशाना बनाकर लोकतंत्र और संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कसम खाई कि इंडिया गठबंधन लोकतंत्र को कायम रखेगा और लोगों की आवाज की रक्षा करेगा। इससे पहले अक्टूबर में, कांग्रेस कार्य समिति ने सत्ता में आने पर कानून के माध्यम से आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने और भारत में अखिल भारतीय जाति और सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कराने का प्रस्ताव पारित किया था।

पीएम मोदी ने जमकर की मनमोहन सिंह की तारीफ, बोले-लोकतंत्र कि जब चर्चा होगी उन्हें याद किया जाएगा

#pm_narendra_modi_praise_former_pm_manmohan_singh_in_rajya_sabha 

पीएम नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में देश के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की जमकर तारीफ की। दरअसल, राज्यसभा में कई सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। जिन सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है, उनमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल हैं। राज्यसभा से रिटायर हो रहे सदस्यों के लिए आज राज्यसभा में विदाई कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लोकसभा चुनाव से पहले ये संसद का आखिरी सत्र है ऐसे में पीएम मोदी ने आज सभी रिटायर हो रहे सदस्यों को शुभकामना दी। अपने भाषण में उन्होंने अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को जमकर सराहा।

उच्च सदन में कार्यकाल पूरा करने वाले सदस्यों का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि मैं माननीय डॉ. मनमोहन सिंह जी का स्मरण करना चाहूंगा। वह 6 बार इस सदन में अपने मूल्यवान विचारों से, नेता के रूप में भी और प्रतिपक्ष में भी नेता के रूप में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा। उन्होंने सदन का कई बार मार्गदर्शन किया। जब सांसदों के योगदान का जिक्र होगा तो मनमोहन सिंह की चर्चा जरूर होगी। 

  

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे याद है जब वोटिंग के दौरान, ये तय था कि सत्ता पक्ष जीतेगा फिर भी डॉ. मनमोहन सिंह व्हीलचेयर पर सदन में आए और अपना वोट दिया। ये अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सतर्कता का उदाहरण है। सवाल ये नहीं है कि वो किस को ताकत देने आए थे। मैं मानता हूं कि वो लोकतंत्र को ताकत देने आए थे। मनमोहन सिंह छह बार के सांसद हैं और वे साल 2004-2014 तक देश के 13वें प्रधानमंत्री रहे। पीवी नरसिम्हा की सरकार में मनमोहन सिंह वित्त मंत्री रहे थे और उन्हीं के कार्यकाल के दौरान देश की अर्थव्यवस्था में उदारीकरण का दौर शुरू हुआ। 

पीएम मोदी ने कहा कि हमेशा जब भी हमारे लोकतंत्र की चर्चा होगी तो उसमें कुछ माननीय सदस्यों की भी चर्चा होगी। उसमें मनमोहन सिंह के योगदान की चर्चा जरूर होगी। मैं सभी सांसदों से चाहे वो इस सदन में हो या निचले सदन में या जो फिर सदन में आने वाले हैं। पूर्व पीएम मनमोहन ने जिस प्रकार से देश जीवन को कंडक्ट किया है। जिस प्रकार की प्रतिभा के दर्शन उन्होंने अपने कार्यकाल में कराए। उसको हम लोग सीखने का प्रयास कर रहे हैं।

मां-बाप की लड़ाई ने बेटे को बना दिया हत्यारा, पढ़िए, एमपी के जबलपुर से सामने आया चौंकाने वाला मामला

 मध्य प्रदेश के जबलपुर से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां एक युवक ने अपने ही पिता का चाकू से गोदकर क़त्ल कर दिया है। मौके पर पहुंची पुलिस ने मृतक का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। वहीं अपराधी बेटे को हिरासत में लेकर पूछताछ आरम्भ कर दी है। पुलिस ने बताया, अपराधी नाबालिग है। इसलिए उसे कोर्ट में पेश कर बाल सुधार गृह भेजा जा रहा है।

घटना जबलपुर में अधारताल सुहागी पुरानी बस्ती अखाड़ा के पास की है। पुलिस ने बताया, इस गांव में रहने वाले अज्जू वंशकार का उनकी पत्नी कमला के साथ कुछ झगड़ा हो गया था। दोनों के बीच कहासुनी हो रही थी। इतने में इनका छोटा बेटा इस झगड़े में कूद पड़ा तथा सब्जी काटने वाला चाकू लेकर पिता के ऊपर ताबड़तोड़ हमला करने आरम्भ कर दिए। इस घटना में अज्जू गंभीर रूप से चोटिल होकर जमीन पर गिर गए।

वही पास पड़ोस के लोगों ने आनन फानन में उन्हें चिकित्सालय पहुंचाया, मगर मार्ग में ही अज्जू ने दम तोड़ दिया। अज्जू के छोटे भाई की पत्नी कौशल्या ने इस सिलसिले में पुलिस में बयान दर्ज कराए हैं।

उन्होंने बताया कि उसके जेठ एवं जेठानी के बीच आए दिन झगड़ा होते रहते थे। हालांकि अब तक उनके बेटों ने कभी इस विवाद में हस्तक्षेप नहीं किया। ऐसा पहली बार हुआ है, जब मां बाप की लड़ाई में इनके बेटे ने हस्तक्षेप किया तथा इस वारदात को अंजाम दिया है। तत्पश्चात, पुलिस ने भी शव कब्जे में लेकर मामले की तहकीकात आरम्भ कर दी है।जबलपुर के पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह ने बताया कि पारिवारिक विवाद में यह वारदात हुई है। फिलहाल पुलिस अपराधी लड़के को गिरफ्त में लेकर पूछताछ आरम्भ कर दी है। शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। इसमें जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार, आगे की कार्रवाई की जाएगी।

आ रहा भारत का अपना 'Indus Appstore', मिलेंगे ये खास फीचर्स, खत्म होगी गूगल प्ले स्टोर की बादशाहत!

मोबाइल फोन पर किसी भी ऐप को डाउनलोड करने के लिए यूजर्स को हमेशा Google Play Store पर जाना पड़ता है लेकिन अब प्ले स्टोर को लेकर गूगल की मोनोपॉली खत्म होने वाली है। क्योंकि, PhonePe 21 फरवरी को ऐप स्टोर लॉन्च करने जा रहा है। मनीकंट्रोल की खबर के अनुसार, फोनपे Indus Appstore लॉन्च करने वाला है।

फोनपे इस नए वेंचर की तैयारी जोर-शोर से कर रहा है। कंपनी की वेबसाइट से पता चलता है कि उसने फ्लिपकार्ट, इक्सिगो, डोमिनोज़ पिज़्ज़ा, स्नैपडील, जियोमार्ट और बजाज फिनसर्व जैसे ऐप को ऑनबोर्ड कर लिया है। नवंबर 2023 में, इंडस ऐपस्टोर ने प्रमुख रियल-मनी गेम डेवलपर्स ड्रीम11, नाज़ारा टेक्नोलॉजीज, गेम्सक्राफ्ट और मोबाइल प्रीमियर लीग (एमपीएल) के ऐप्स को शामिल करने के लिए एक एलायंस करने का ऐलान किया था।

आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने की ये अहम टिप्पणी, कहा, जिन जातियों को लाभ प्राप्त हुआ, उन्हें आरक्षण श्रेणी से बाहर निकलना चाहिए

 सर्वोच्च न्यायालय में सात जजों की संविधान पीठ ने आरक्षण के मुद्दे पर बड़ी टिप्पणी की है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि जिन जातियों को लाभ प्राप्त हुआ, उन्हें आरक्षण श्रेणी से बाहर निकलना चाहिए। आरक्षण का लाभ प्राप्त हो गया हो तो उस वर्ग को अति पिछड़ों के लिए रास्ता तैयार करना चाहिए। 

मंगलवार को सुनवाई के चलते अनुसूचित जाति से संबंधित जस्टिस बीआर गवई ने कहा, एक विशेष पिछड़े वर्ग के अंदर, कुछ जातियां उस स्थिति और शक्ति तक पहुंच गई हैं, तो उन्हें बाहर निकल जाना चाहिए, किन्तु यह सिर्फ संसद को तय करना है। उन्होंने कहा कि, अब क्या होता है, SC/ST का कोई व्यक्ति IAP /IPS आदि में जाता है तो उसके बच्चों को वह नुकसान नहीं झेलना पड़ता जो अन्य SC समुदायों के लोगों को भुगतना पड़ता है। किन्तु फिर आरक्षण के आधार पर, वे दूसरी पीढ़ी और फिर तीसरी पीढ़ी के भी हकदार हैं।  

जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि, एक विशेष वर्ग में कुछ उपजातियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। वह उस श्रेणी में आगे भी हैं तो उन्हें आरक्षण से बाहर निकलकर जनरल श्रेणी से मुकाबला करना चाहिए। आरक्षण का फायदा केवल उन्हें मिलना चाहिए जो पिछड़ों में अभी भी पिछड़े हैं। जब एक बार आरक्षण का फायदा प्राप्त हो चुका है तो उन्हें इससे बाहर निकलना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय के सात जजों की संविधान पीठ SC-ST श्रेणियों के भीतर उप-वर्गीकरण की वैधता पर सुनवाई कर रही है।

'काले टीके से प्रगति को नजर नहीं लगती है', पढ़िए, कांग्रेस के ब्लैक पेपर पर क्या आई PM मोदी की प्रतिक्रिया

 पीएम नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में सेवानिवृत हो रहे सदस्यों की विदाई भाषण के चलते पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की खूब प्रशंसा की। राज्यसभा से सेवानिवृत हो रहे डॉ. मनमोहन सिंह की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'वो 6 बार सदन के सदस्य रहे, वैचारिक मतभेद रहा, किन्तु उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जो माननीय सासंद जा रहे हैं, इनको पुराने एवं नए दोनों संसद भवनों में रहने का अवसर प्राप्त हुआ है। ये सभी साथी आजादी के अमृतकाल के नेतृत्व के साक्षी बनकर जा रहे हैं। कोविड के मुश्किल कालखंड में हम सबने परिस्थितियों को समझा, परिस्थितियों के अनुकूल अपने आप को ढाला, किसी भी दल के किसी भी सांसद ने देश के काम को रुकने नहीं दिया।

डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'डॉ. मनमोहन सिंह ने सदन का कई बार मार्गदर्शन किया। जब सांसदों के योगदान का जिक्र होगा तो मनमोहन सिंह की चर्चा अवश्य होगी। मनमोहन सिंह व्हीलचेयर में आए एवं एक मौके पर वोट किया लोकतंत्र को ताकत देने आए। विशेष तौर पर उनके लिए प्रार्थना है कि हमारा मार्गदर्शन करते रहें।'

कांग्रेस के ब्लैक पेपर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, काले टीके से प्रगति को नजर नहीं लगती है तथा आज कालाटीका लगाने की कोशिश हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'काले कपड़ों में सदन को फैशन शो देखने का भी अवसर प्राप्त हुआ। कभी कभी कुछ काम इतने अच्छे होते हैं जो लंबे वक़्त तक उपयोगी होते हैं। हमारे यहां कुछ अच्छी चीज कर लेते हैं तो परिवार में एक स्वजन ऐसा भी आ जाता है जो कहता है कि अरे नजर लग जाएगी काला टीका लगा देता हूं। आज बीते 10 सालों में जो काम हुए हैं उसको किसकी नजर ना लग जाए इसलिए आज खड़गे जी काला टीका लगाकर आए हैं। आज हमारे कार्यों को नजर ना लग जाए इसलिए आप जैसे वरिष्ठ सांसद काला टीका लगाकर आए हैं तो ये अच्छी बात है।'