अब रामलला टेंट में नहीं भव्य मंदिर में रहेंगे:पीएम मोदी
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अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद रामलला की पहली तस्वीर, पूरे श्रृंगार के साथ अद्भुत लग रहे हैं राम
अयोध्या
रामनगरी में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद रामलला की पहली तस्वीर, पूरे शृंगार के साथ अद्भुत लग रहे हैं राम,राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद रामलला की पहली झलक सामने आई है। रामलला की आंखों में मासूमियत, होठों पर मुस्कान, चेहरे पर गजब का तेज दिखाई दे रहा है।देशवासियों का 500 साल पुराना इंतजार खत्म हो गया हैअयोध्या में रामलला नए मंदिर में विराजमान हो चुके हैं पीएम नरेंद्र मोदी ने श्रीरामजन्मभूमि गर्भगृह के भीतर रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की इस दौरान उनके साथ सीएम योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत मंदिर के पुजारी मौजूद रहे।मंत्रोच्चारण और विधि-विधान के साथ शुभ मुहूर्त में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। प्राण-प्रतिष्ठा के बाद रामलला की पहली झलक सामने आई है। सामने आई तस्वीर में पांच साल के रामलला का रूप बहुत ही मनहोहक और आंखों में बस जाने वाला है।रामलला की पहली झलक दिल में बस जाने वाली है भगवान की पहली झलक देखकर एक बात तो साफ है कि कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बहुत ही खूबसूरत मूर्ति तैयार की है। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने रामलला की आरती उतारी यह भव्य और दिव्य नजारा मन को मोह लेने वाला था
84 सेकंड के शुभ मुहूर्त में हुई रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा
बता दें कि रामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को दोपहर में मंदिर के गर्भगृह में पहुंचकर अनुष्ठान शुरू किए थे नवनिर्मित राम मंदिर के मुख्य द्वार से अंदर तक पीएम मोदी पैदल चलकर कार्यक्रम स्थल पहुंचे और गर्भगृह में प्रवेश किया। गर्भगृह में मोदी ने पंडितों के मंत्रोच्चारण के बीच अनुष्ठान शुरू किया अनुष्ठान में सीएम योगी के साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल रहे दोपहर को साढ़े बारह बजे रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा शुरू हुई 84 सेकेंड के अद्भुत योग में बीच रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई
सोने और फूलों से सजी रामलला की मूर्ति
सोने और फूलों से सजी 51 इंच की रामलला की मूर्ति की आज अयोध्या के नए मंदिर में 'प्राण प्रतिष्ठा' हो गई है. समारोह से कुछ देर पहले मूर्ति का अनावरण किया गया. प्राण- प्रतिष्ठा समारोह में पीएम मोदी मुख्य यजमान थे. इस दौरान मंदिर के गर्भगृह में कई संतों ने मंत्रोच्चारण के साथ कार्यक्रम को संपन्न करवाया।
राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
यह राम की कृपा है कि हम सब इस पल के साक्षी हैं
हमारे राम आ गए सदियों के इंतजार के बाद हमारे श्रीराम आ गए हैं। जय सियावर रामचंद्र की जय के संबोधन के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में मंच से संबोधन शुरू किया। उन्होंने कहा कि अब हमारे रामलला टेंट में नहीं रहेंगे। अब रामलला भव्य मंदिर में रहेंगे। पीएम ने कहा कि आज के समय में कोई भी छोटा नहीं है। जो भी ऐसा सोचता है, उसे श्रीराम के लिए गिलहरी के योगदान को याद करना चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा, 'आज से हजार साल के बाद भी लोग इस तारीख की चर्चा करेंगे। यह राम की कृपा है कि हम सब इस पल के साक्षी हैं। ये समय सामान्य समय नहीं है। ये काल के चक्र पर सर्वकालिक स्याही से अंकित हो रहीं अमिट स्मृति रेखाएं हैं।' उन्होंने रामभक्त हनुमान के साथ ही माता जानकी, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न सभी को प्रणाम किया।
राम का भव्य मंदिर तो बन गया, अब आगे क्या प्राण प्रतिष्ठा के बाद मोदी क्यों बोले- हमें चूकना नहीं है
'अयोध्या ने बहुत लंबा वियोग सहा'
पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा हुआ राष्ट्र। अतीत के हर दंश से हौसला लेता हुआ राष्ट्र ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है। आज से हजार साल बाद भी लोग आज की इस तारीख की, आज के इस पल की चर्चा करेंगे। अयोध्या ने लंबा वियोग सहा है। हमारी कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। प्रभु राम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। न्यायपालिका का आभार कि उन्होंने न्याय की लाज रख ली।
'राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं'
पीएम ने आगे कहा कि राम सबके हैं। राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं। राम वर्तमान ही नहीं, राम अनंतकाल हैं। राम आग नहीं, राम ऊर्जा हैं। इस शुभ घड़ी की आप सभी को, समस्त देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई। राम मंदिर के भूमिपूजन के बाद से प्रतिदिन पूरे देश में उमंग और उत्साह बढ़ता ही जा रहा था। निर्माण कार्य देख देशवासियों में हर दिन एक नया विश्वास पैदा हो रहा था। आज हमें सदियों के उस धैर्य की धरोहर मिली है।
मोदी ने की रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
अयोध्या के श्रीराम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा की। इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ, आरएसएस चीफ भी उनके साथ दिखे।
भय प्रकट कृपाला दीनदयाला !!
इस दौरान मंगल ध्वनि का उद्घोष हुआ और शंखनाद से समारोह की शुरुआत हुई। प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के नेत्रों से पट्टी हटा दी गई है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान राम की पहली झलक मिली।
पुरानी मूर्ति को भी मिला भव्य दरबार
राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की नई मूर्ति के साथ ही वो पुरानी मूर्ति भी रखी गई है। अब प्रभु की उस प्रतिमा को भी अपना स्थायी निवास मिल गया है। मूर्ति के नीचे आभामंडल में लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की छोटी-छोटी मूर्तियां भी हैं।
नूतन प्रतिमा के आगे रखी है पुरानी मूर्तिरामलला की नई मूर्ति के सामने ही मूल प्रतिमा को रखा गया है। अब टेंट से निकालकर अस्थायी और अब गर्भगृह में छोटी मूर्ति को भी नई प्रतिमा के आगे ही रखा गया है।
छोटे साइज की वजह से बनी नई मूर्ति
द रअसल, पुरानी मूर्ति की ऊंचाई पांच से छह इंच है। और इसे 25 से 30 फीट की दूरी से नहीं देखा जा सकता है। इसलिए मंदिर ट्रस्ट ने नए भव्य मंदिर के लिए एक नई प्रतिमा बनवाने का फैसला किया।
आए गए रघुनंदन, सजवा दो द्वार-द्वार
रामलला की नवीन मूर्ति श्याम रंग की है। काले पत्थर से बनी मोहक मूर्ति में रामलला को आभूषण, वस्त्र, मुकुट से तैयार किया गया है। मूर्ति में भगवान विष्णु के 10 अवतार दिखाई दे रहे हैं।रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और परिक्रमा के बाद प्रभु श्रीराम के सामने पीएम मोदी दंडवत हो गए। इसके बाद उन्होंने मंदिर में मौजूद संतों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद भी लिया और पुरोहितों को दक्षिणा दी। प्राण प्रतिष्ठा से पहले अनुष्ठान के लिए 3 दिनों तक एक समय भोजन वर्जित करने को कहा गया था। लेकिन पीएम मोदी 11 दिनों तक अनुष्ठान करते रहे। उन्होंने पूजा के लिए विदेश यात्रा का भी त्याग किया। 3 दिनों तक भूमि शयन करने को कहा गया, 11 दिनों तक जमीन पर सोते रहे।
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, निर्मोही अखाड़े के गोविंद गिरीजी महाराज सहित अन्य गणमान्य मंच पर मौजूद रहे। बड़ी संख्या में साधु और संत मौजूद रहे।
राम आग नहीं ऊर्जा हैं:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि राम आग नहीं ऊर्जा हैं वह विवाद नहीं समाधान हैं वह वर्तमान नहीं अनंतकाल हैं वह भारत के आधार भी हैं और विचार भी हैं ये बातें सोमवार (22 जनवरी, 2024) को उन्होंने यूपी के अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद कहीं पीएम ने कहा- यही समय है, सही समय है। आज से इस समय तक अगले 1000 साल तक की नींव रखनी है. मंदिर निर्माण से आगे बढ़कर सभी देशवाशी भव्य और दिव्य भारत के निर्माण की सौगंध लेते हैं। राम के विचार मानस के साथ जनमानस में भी हों, यह राष्ट्रनिर्माण की सीढ़ी है आज के युग की मांग है कि हमें अपने अंतःकरण को विस्तार देना होगा हनुमान की भक्ति, सेवा और समर्पण को हमें बाहर नहीं खोजना पड़ता हर भारतीय में ये गुण निहित हैं यही देव से देश और राम से राष्ट्र का आधार बनेंगे। पीएम
ने राम मंदिर परिसर में संबोधन की शुरुआत "सियावर रामचंद्र की जय" के साथ किया उन्होंने कहा, "आज हमारे राम आ गए सदियों की प्रतीक्षा के बाद आज हमारे राम आ गए यह पल पवित्रतम है यह माहौल, यह वातारण, यह ऊर्जा, यह घड़ी प्रभु श्रीराम का हम सब पर आशीर्वाद है। कितना कुछ कहने को है पर कंठ (गला) अवरुक्त है। मैं अभी गर्भगृह में ऐश्वर्य चेतना का साक्षी बनकर सबके सामने उपस्थित हुआ हूं अब हमारे रामलला टेंट में नहीं रहेंगे।वह इस दिव्य मंदिर में रहेंगे ।22 जनवरी 2024 का यह सूर्य एक अद्भुत आभा लेकर आया है आज की तारीख कैलेंडर पर लिखी डेट नहीं यह एक नए कालचक्र का उद्गम है।
पीएम मोदी ने आगे कहा, "मैं प्रभु राम से क्षमा भी मांगना चाहता हूं...हमारे त्याग और पुरुषार्थ में कुछ तो कमी रह गई जो हम इतनी सदियों तक यह काम कर नहीं पाए। आज वह कमी पूरी हो गई। मुझे विश्वास है कि प्रभु मुझे अवश्य माफ करेंगे। वह आगे यह भी बोले कि जहां राम का काम होता है, वहां हनुमान भी होते हैं। यही वजह है कि मैं हनुमानगढ़ी को भी प्रणाम करता हूं। मैं उनके अलावा और देवताओं और अयोध्यापुरी और सरयू को भी प्रणाम करता हूं।मैं इस वक्त दैवीय अनुभव कर रहा हूं जिनके महान आशीर्वाद से यह काम पूरा हुआ है
मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने का संकल्प लिया था:सीएम योगी
रामराज बैठे त्रैलोका। हर्षित भये गए सब सोका।।
सीएम योगी ने प्रधानमंत्री व सर संघचालक को भेंट किया राम मंदिर का रजत मॉडल ।
अयोध्या में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीअयोध्याधाम में श्रीरामलला के बालरूप विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह पूर्ण होने के उपरांत अपने मनोभाव प्रकट किया। उन्होंने कहा कि मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने का संकल्प लिया था।
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः॥
प्रभु श्रीरामलला की जय! सरयू मइया की जय! भारत माता की जय! जय जय श्रीसीता राम ! प्रभु श्रीरामलला के भव्य- दिव्य और नव्य धाम में विराजने की आप सभी को कोटि-कोटि बधाई। 500 वर्षों के लंबे अंतराल के उपरांत आज के इस चिरप्रतीक्षित मौके पर अंतर्मन में भावनाएं कुछ ऐसी हैं कि उन्हें व्यक्त करने को शब्द नहीं मिल रहे हैं। मन भावुक है, भाव विभोर है, भाव विह्वल है। निश्चित रूप से आप सब भी ऐसा ही अनुभव कर रहे होंगे।आज इस ऐतिहासिक और अत्यंत पावन अवसर पर भारत का हर नगर- हर ग्राम अयोध्याधाम है। हर मार्ग श्रीरामजन्मभूमि की ओर आ रहा है।
हर मन में राम नाम है। हर आंख हर्ष और संतोष के आंसू से भीगा है। हर जिह्वा राम-राम जप रही है। रोम रोम में राम रमे हैं। पूरा राष्ट्र राममय है। ऐसा लगता है हम त्रेतायुग में आ गए हैं।आज रघुनन्दन राघव रामलला, हमारे हृदय के भावों से भरे संकल्प स्वरूप सिंहासन पर विराज रहे हैं। आज हर रामभक्त के हृदय में प्रसन्नता है, गर्व है और संतोष के भाव हैं।
आखिर भारत को इसी दिन की तो प्रतीक्षा थी। भाव-विभोर कर देने वाली इस दिन की प्रतीक्षा में लगभग पांच शताब्दियां व्यतीत हो गईं, दर्जनों पीढ़ियां अधूरी कामना लिए इस धराधाम से साकेतधाम में लीन हो गईं, किन्तु प्रतीक्षा और संघर्ष का क्रम सतत जारी रहा। श्रीरामजन्मभूमि, संभवतः विश्व में पहला ऐसा अनूठा प्रकरण रहा होगा, जिसमें किसी राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज ने अपने ही देश में अपने आराध्य के जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए इतने वर्षों तक और इतने स्तरों पर लड़ाई लड़ी हो।
संन्यासियों, संतों, पुजारियों, नागाओं, निहंगों, बुद्धिजीवियों, राजनेताओं, वनवासियों सहित समाज के हर वर्ग ने जाति-पाति, विचार- दर्शन, उपासना पद्धति से ऊपर उठकर राम काज के लिए स्वयं का उत्सर्ग किया। अंततः आज वह शुभ अवसर आ ही गया कि जब कोटि-कोटि सनातनी आस्थावानों के त्याग और तप को पूर्णता प्राप्त हो रही है। आज संतोष इस बात का भी है कि मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने का संकल्प लिया था।संकल्प और साधना की सिद्धि के लिए, हमारी प्रतीक्षा की समाप्ति के लिए, हमारे संकल्प पूर्णता के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हृदय से आभार और अभिनंदन। प्रधानमंत्री जी! 2014 में आपके 'आगमन' के साथ ही भारतीय जनमानस कह उठा था... मोरे जिय भरोस दृढ़ सोई।
मिलिहहिं राम सगुन सुभ होई॥
अभी गर्भगृह में वैदिक विधि-विधान से रामलला के बाल विग्रह के प्राण-प्रतिष्ठा के हम सभी साक्षी बने।
अलौकिक छवि है हमारे प्रभु की। बिल्कुल वैसे, जैसा संत तुलसीदास जी ने वर्णन किया है...
नवकंज लोचन। कंज मुख। कर कंज। पद कन्जारुणम्।धन्य है वह शिल्पी, जिसने हमारे मन में बसे राम की छवि को मूर्त रूप प्रदान किया।
विचारों और भावनाओं की विह्वलता के बीच मुझे पूज्य संतों और अपनी गुरु परम्परा का पुण्य स्मरण हो रहा है। आज उनकी आत्मा को असीम संतोष और आनन्द की अनुभूति हो रही होगी, जिन परम्पराओं की पीढ़ियां श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ में अपनी आहुति दे चुकी हैं, उनकी पावन स्मृति को यहां पर कोटि-कोटि नमन करता हूँ।श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति महायज्ञ न केवल सनातन आस्था व विश्वास की परीक्षा का काल रहा, बल्कि, संपूर्ण भारत को एकात्मकता के सूत्र में बांधने के लिए राष्ट्र की सामूहिक चेतना जागरण के ध्येय में भी सफल सिद्ध हुआ।सदियों के बाद भारत में हो रहे इस चिरप्रतिक्षित नवविहान को देख अयोध्या समेत भारत का वर्तमान आनन्दित हो उठा है। भाग्यवान है हमारी पीढ़ी, जो इस राम-काज के साक्षी बन रहे हैं और उससे भी बड़भागी हैं वो जिन्होंने सर्वस्व इस राम-काज के लिए समर्पित किया है और करते चले जा रहे हैं। जिस अयोध्या को "अवनि की अमरावती" और "धरती का वैकुंठ" कहा गया, वह सदियों तक अभिशिप्त रही। उपेक्षित रही। सुनियोजित तिरस्कार झेलती रही। अपनी ही भूमि पर सनातन आस्था पददलित होती रही, चोटिल होती रही।राम का जीवन हमें संयम की शिक्षा देता है और भारतीय समाज ने संयम बनाये रखा, लेकिन हर एक नए दिन के साथ हमारा संकल्प और दृढ़ होता गया।
और आज देखिए... पूरी दुनिया अयोध्या जी के वैभव को निहार रही है। हर कोई अयोध्या आने को आतुर है।आज अयोध्या में त्रेतायुगीन वैभव उतर आया है। दिख रहा है। यह धर्म नगरी 'विश्व की सांस्कृतिक राजधानी' के रूप में प्रतिष्ठित हो रही है। पूरा विश्व दिव्य और भव्य अयोध्या का साक्षात्कार कर रहा है।आज जिस सुनियोजित एवं तीव्र गति से अयोध्यापुरी का विकास हो रहा है, वह प्रधानमंत्री जी के दृढ़संकल्प, इच्छाशक्ति एवं दूरदर्शिता के बिना संभव नहीं था। कुछ वर्षों पहले तक यह कल्पना से परे था कि अयोध्या में एयरपोर्ट होगा। यहां नगर के भीतर 04 लेन सड़क होगी। सरयू जी में क्रूज चलेंगे। अयोध्या की खोई गरिमा वापस आएगी, लेकिन मित्रों! डबल इंजन सरकार के प्रयासों से यह सब सपना साकार हो रहा है। "सांस्कृतिक अयोध्या, आयुष्मान अयोध्या, स्वच्छ अयोध्या, सक्षम अयोध्या, सुरम्य अयोध्या, सुगम्य अयोध्या, दिव्य अयोध्या और भव्य अयोध्या" के रूप में पुनरोद्धार के लिए हजारों करोड़ रुपये लग रहे हैं। आज यहां राम जी की पैड़ी, नया घाट, गुप्तार घाट, ब्रह्मकुंड आदि विभिन्न कुंडों के कायाकल्प, संरक्षण, संचालन और रखरखाव का कार्य हो रहा है। रामायण परंपरा की 'कल्चरल मैपिंग' कराई जा रही है, राम वन गमन पथ पर रामायण वीथिकाओं का निर्माण हो रहा है। इस नई अयोध्या में पुरातन संस्कृति और सभ्यता का संरक्षण तो हो ही रहा है, भविष्य की जरूरतों को देखते हुए आधुनिक पैमाने के अनुसार सभी नगरीय सुविधाएं भी विकसित हो रहीं हैं। इस मोक्षदायिनी नगरी को आदरणीय प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से 'सोलर सिटी' के रूप में विकसित किया जा रहा।नई अयोध्या पूरे विश्व के सनातन आस्थावानों, संतों, पर्यटकों, शोधार्थियों, जिज्ञासुओं के लिए प्रमुख केंद्र बनने की ओर अग्रसर है।यह एक नगर या तीर्थ भर का विकास नहीं है, यह उस विश्वास की विजय है, जिसे 'सत्यमेव जयते' के रूप में भारत के राजचिह्न में अंगीकार किया गया है। यह लोकआस्था- जन विश्वास की विजय है। भारत के गौरव की पुनरप्रतिष्ठा है। अयोध्या का दिव्य दीपोत्सव नए भारत की सांस्कृतिक पहचान बन रहा है और श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह भारत की सांस्कृतिक अन्तरात्मा की समरस अभिव्यक्ति सिद्ध हो रहा
श्रीरामजन्मभूमि मंदिर की स्थापना भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आध्यात्मिक अनुष्ठान है, यह राष्ट्र मंदिर है। निःसन्देह! श्रीरामलला विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा राष्ट्रीय गौरव का ऐतिहासिक अवसर है।निश्चिंत रहिए! रामकृपा से अब कभी कोई भी अयोध्या की परिक्रमा में बाधक नहीं बन पाएगा। अयोध्या की गलियों में गोलियों की गड़गड़ाहट नहीं होगी। कर्फ्यू नहीं लगेगा। अपितु राम नाम संकीर्तन से गुंजायमान होगी। अवधपुरी में रामलला का विराजना भारत में रामराज्य की स्थापना की उद्घोषणा है।
रामराज बैठे त्रैलोका। हर्षित भये गए सब सोका।।
रामराज्य, भेदभाव रहित समरस समाज का द्योतक है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी की नीतियों-विचारों और योजनाओं का आधार है।
भव्य दिव्य श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के स्वप्न को साकार रूप देने में योगदान करने वाले सभी वास्तुविदों, अभियंताओं, शिल्पियों और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सभी पदाधिकारियों को हृदय से धन्यवाद।
पुनः आप सभी को श्रीरामलला के विराजने की ऎतिहासिक पुण्य घड़ी की बधाई। जो संकल्प हमारे पूर्वजों ने लिया था, उसकी सिद्धि की सभी को बधाई। प्रभु के चरणों मे नमन। सभी को कोटि-कोटि बधाई।
Jan 22 2024, 21:20