10 वर्ष पूर्व अविरल बहने वाली मंगरदह नदी बना बरसाती नाला, नदी की पहचान मिट रही है
औरंगाबाद : जिले नवीनगर मे बहनेवाले मंगरदह नदी की पहचान मिटने के कगार पर है।पहले इस नदी में सालोभर पानी रहता था। अब बरसात के दिनों में सूखा रहता है। नदी बरसाती नाला बनकर रह गया है। नदी के अस्तित्व को बचाने की जरूरत है। स्ट्रीट बज्ज के अभियान का लाभ ग्रामीणों को मिल सकता है।
मंगरदह नदी की बदहाल स्थिति
मंगरदह नदी वर्षो पुरानी है। कंचन नहर और होल्या नदी के पानी से नदी बना है। नदी कई जगह अतिक्रमित हो गया है जिस कारण नाला का रूप ले लिया है। नदी का पानी जानवर पीते थे। अब जल गंदा रहता है जिस कारण जानवर भी नहीं पीते हैं। नदी को बचाने के लिए ग्रामीणों को आगे आने की जरूरत है।
बीते 10 वर्षों से नदी में पानी नहीं आती है। वर्षा होने पर पानी आती है नहीं तो सूखा रहता है। ग्रामीणों ने बताया कि नदी का अतिक्रमण किया गया है। मंगरदह नदी नाउर गांव होते तेतरिया के पास जाकर सोन नदी में मिलता है। नदी के जीर्णोद्धार की जरूरत है परंतु किसी का ध्यान नहीं है। अगर ध्यान नहीं दिया गया तो मंगरदह नदी का अस्तित्व समाप्त हो जोएगा।
नदी की पानी से दो दर्जन से अधिक गांवों में होती थी खेती
कंचन नहर एवं होल्या नदी के पानी से मिलकर बना मंगरदह नदी के अस्तित्व पर संकट है। 10 वर्ष पहले तक नदी में पानी रहता था। किसान नदी की पानी से खेती करते थे। परंतु अब नदी में पानी नहीं है। सालो भर पानी से भरा रहने वाला नदी सूखा पड़ा है। ग्रामीणों की माने तो यह बरसाती नाला बनकर रह गया है।
पहले नदी का पानी जानवर पीते थे परंतु अब पीने लायक नहीं रहा। नदी की पानी से दो दर्जन से अधिक गांव के किसानों के खेत का पटवन होता था। नदी में जल की जगह में केवल जलकुंभी नजर आता है।
तोल गांव के किसान प्रभु सिंह, चंदोखर के शिवकुमार सिंह, दरार के कामाख्या सिंह, मनोज सिंह, लखनपुर के अरुण कर्मा एवं पप्पू सिंह ने बताया कि शकि मंगरदह नदी के पानी से तोल, लखनपुर, बडीहा, पटना, बारा, चंदोखर, दुधार, बेलवा, सिमरी, पिपरा, न मखदुमपुर, कोयलाडीह समेत दो अधिक गांवों में इस नदी से पटवन होता था। इस नदी का अस्तित्व खत्म होने इन गांव की खेती समाप्त हो जाएगा।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र
Dec 20 2023, 18:05