जिले की मिट्टी बीमार, चेते किसान
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले की मिट्टी में लगातार पोषक तत्वों की मात्रा कम हो रही है। इसका असर फसलों के उत्पादन और लोगाें की सेहत पर पड़ रहा है। चिंतित करने वाली रिपोर्ट घरांव स्थित मृदा प्रयोगशाला से आई है। यहां वैज्ञानिकों ने मिट्टी के नमूनों के परीक्षण दौरान मिट्टी में जीवांश कार्बन के साथ सल्फर सहित कई अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की मात्रा कम पाई।
वैज्ञानिक के मुताबिक समय रहते किसान बीमार मिट्टी की नहीं चेते तो खेत को बंजर होने में समय नहीं लगेगा।जिले में कृषि योग्य भूमि एक लाख 10 हजार हेक्टेयर है।
यहां के किसान रबी सीजन में गेहूं, जौ, मटर, खरीफ में मक्का, बाजरा और जायद में खरबूजा, ककड़ी, खीरा, करेला आदि की खेती करते हैं। मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी के चलते फसलों की पैदावार के साथ उसकी गुणवत्ता भी घट रही है।
मृदा प्रयोगशाला के मुताबिक जिले की मिट्टी में जीवाश्म कार्बन की कमी हैै। मिट्टी में महज 0.2 पीपीएम ही जीवाश्म कार्बन है। मिट्टी में जीवाश्म कार्बन की कमी के चलते नाइट्रोजन, पोटैशियम, सल्फर, बोरान समेत 16 पोषक तत्व कम होने लगते हैं।
विशेषज्ञों ने बताया कि मिट्टी में जीवाश्म कार्बन 0.8 पीपीएम से अधिक होना चाहिए। बताया कि जीवाश्म कार्बन के अलावा फॉस्फेट, सल्फर एवं जिंक की मात्रा भी कम है। लोहा, मैगनीज और बोरान भी मानक से कम पाया गया। वहीं पोटाश की मात्रा अधिक है। इसके लिए किसानों की बेपरवाही जिम्मेदार है।
जिले में अधिकत्तर किसान पुरानी पद्धति से ही खेती करते हैं। बीमार मिट्टी का समुचित उपचार नहीं पर हालात भयावह हो सकता है। कृषि विभाग की ओर से एक लाख 87 हजार मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया जा चुका है।
किसान फसल चक्र अपनाएं तो बने बात उप निदेेशक कृषि डॉ.अश्वनी सिंह का कहना है कि किसान फसल चक्र अपनाएं। लगातार परंपरागत ढंग से गेहूं-धान की खेती करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती जाती है, यदि खेतों में मूंग, उड़द की फसल पलट दी जाए तो जीवाश्म कार्बन की उपलब्धता भरपूर हो जाएगी, लेकिन, ऐसा नहीं किया जा रहा है।
फसल चक्र के अभाव में नाइट्रोजन की उपलब्धता पर भी विपरीत असर पड़ रहा है। किसान सनई, ढैंचा की खेती भी नहीं कर रहे हैं। अब सरकार मोटे अनाज की खेती पर जोर दे रही है। इससे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी।
मृदा परीक्षण के पैरामीटर इस प्रकार से हैं पैरामीटर, निर्धारित मानक, जनपद में स्थिति, प्रभाव
कॉपर, 0.21 से 0.40, कम है, रोगों से लड़ने की क्षमता प्रभावित
ऑयरन, 41 से 80, कम है, रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है
जिक, 0.61 से 1.02, कम है, फसल के विकास पर असर
सल्फर, 10 से 15, कम है, फफूंदी रोग लगता है
पीएच, 6.5 से 8.5, ज्यादा है, जमीन ऊसर होने लगती है
घुलनशील लवण ईसी, 1 से 2 तक, असामान्य है, बीज के अंकुरण पर असर
जैविक कार्बन ओसी, 0.50 से 0.80, कम है, पौधों की वृद्धि रुकती है।
Dec 07 2023, 13:55