विद्युत उपभोक्ताओं को ठगने की तैयारी में बिजली कंपनियांः उपभोक्ता परिषद
लखनऊ- प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में गुरूवार देर शाम वार्षिक राजस्व आवश्यकता रिपोर्ट दाखिल की गई। जिसमें 11000 करोड से ज्यादा का गैप दिखाया गया है। साथ ही साथ ही इसे विद्युत नियामक आयोग के ऊपर ही छोड़ा गया है। वह इस गैप को अपने तरीके से निर्णय करें। इसके विरोध में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने शुक्रवार को विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर यह मुद्दा उठाया। जब प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड रूपया सरप्लस निकल रहा है और वह भी विद्युत नियामक आयोग ने निकाला है। ऐसे में उसके एवज में बिजली दरों में बढोतरी का चोर दरवाजे से प्रस्ताव दाखिल किया जाना अपने आप में चिंता का विषय है।
उपभोक्ता परिषद ने इससे संबंधित एक जनहित प्रस्ताव भी आयोग में दाखिल किया और कहा कि वास्तव में बिजली कंपनियों को यदि कानून की जानकारी है तो कानून के तहत 33122 करोड के एवज में दरों में कमी का प्रस्ताव दाखिल करना चाहिए था। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग तत्काल जनहित में निर्णय लेते हुए बिजली कंपनियों की ओर से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता को बिजली कंपनियों को वापस करते हुए संशोधित प्रस्ताव मंगवाये, जिसमें उपभोक्ताओं के निकल रहे सर प्लस के एवज में दरों में कमी का प्रस्ताव दाखिल करने का निर्देश जारी करे।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियां प्रदेश के उपभोक्ताओं को नादान समझती है। वह क्या सोचती है? विद्युत नियामक आयोग के निर्णय के खिलाफ उनके द्वारा एपलेट ट्रिब्यूनल में मुकदमा दाखिल करके उपभोक्ताओं को लाभ से वंचित कर लेंगे तो उन्हें शायद यह ज्ञान नहीं है कि केवल मुकदमा दाखिल करने से कोई प्रक्रिया नहीं रुकती है , जब तक की किसी भी याचिका में कोई अंतरिम आदेश न जारी किया गया हो और या तो कोई स्टे आर्डर जारी किया गया हो। ऐसे में मुकदमा दाखिल करने मात्र से प्रक्रिया रोकी नहीं जा सकत, इसलिए अब समय आ गया है कि विद्युत नियामक आयोग को प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का जो सर प्लस धनराशि टैरिफ आदेश में निकला है। उसके आधार पर बिजली दरों में कमी का संशोधित प्रस्ताव मंगवाया जाए। अन्यथा की स्थिति में उपभोक्ता परिषद को अपने तरीके से वैधानिक कार्रवाई के लिए बाध्य होना पडेगा।
Dec 01 2023, 19:28