विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा चांडिल के प्रस्तावित भवन निर्माण हेतु भूमि पूजन और शिलान्यास किया गया।

सरायकेला : कोल्हान के चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा चांडिल के प्रस्तावित भवन निर्माण के लिए देव उत्थान एकादशी के दिन गुरुवार को भूमि पूजन और शिलान्यास किया गया।

चांडिल मठिया रोड़ स्थित बासुदेव बागान में विवेकानंद केंद्र का आलीशान बहुद्​देशीय भवन बनेगा. चांडिल शाखा का मठिया रोड़ स्थित बासुदेव बागान में 1.37 एकड़ जमीन है। इसमें पहले चरण में करीब पांच हजार वर्गफीट में भवन का निर्माण का प्रस्ताव है.

आधुनिक सुविधाओं से युक्त बहुद्देशीय भवन में बैठक, योग आदि के लिए हॉल व प्रवास के लिए कई कमरे होंगे. चांडिल में विवेकानंद केंद्र भवन निर्माण को लेकर किए गए भूमि पूजन में चांडिल के बौद्धिक बाह्मण जयदेव बैनार्जी की मंत्र उच्चारण से गूंज उठे बतावर्ण ।

शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्य रूप से विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के कोषाध्यक्ष प्रवीण दावलकर जी शामिल हुए. उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के कोषाध्यक्ष प्रवीण दावलकर ने कहा कि विवेकानंद केंद्र आध्यात्म प्रेरित संगठन है. केंद्र का प्रत्यक्ष कार्य पूर्वोत्तर भारत के साथ पूरे देश में चल रहा है. देश के कुछ प्रमुख स्थानों में केंद्र का शाखा खोला गया था. संयुक्त बिहार के गया और चांडिल नगर में प्रारंभिक समय में केंद्र का शाखा खोला गया था. मौके पर पटना केंद्र से त में लोग उपस्थित थे।

सरायकेला : नीमडीह थाना क्षेत्र के तिल्ला पंचायत के कुशपुतुल गांव में दलमा जंगल से उतरे हाथी,नीमडीह के लोग भयभीत

सरायकेला : कोल्हान के चांडिल वन क्षेत्र के अधीन नीमडीह थाना क्षेत्र के तिल्ला पंचायत के कुशपुतुल जंगल से उतरे दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के भटकते हुए विशाल ट्रस्कर, हाथी पहुंचे।

और एन एच 32 रघुनाथपुर मुख्य राज्य मार्ग में घूमने लगे

वही हाथी को देखने पहुंचे राहगीर और ग्रामीण का भीड़ लग गया। गजराज को खदड़ने के दौरान कई लोगो को चोट भी लगी।

आज शाम तील्ला जंगल से हाथी को खदेड़ते हुए ग्रामीणों दूमदुमी गांव पहुंचे और पूर्ण होदागोड़ा गांव की ओर हाथी को एलिफेंट ड्राइव करते हुए होदागोड़ा जंगल में खदेड़ कर उठा दिया ।

ग्रामीणों का कहना है कि चांडिल वन क्षेत्र के पदाधिकारी को सूचना देने के वावजूद कोई वन कर्मी नही पहुंचे हाथी भगाने के लिए ।

दहशत की बीच जीवन जीने पर मजबूर है।ग्रामीण अब ईश्वर पर निर्भर है, एक से दो महीनो से हाथी का झुंड से परेशान है।

नीमडीह थाना क्षेत्र के दर्जनों पंचायत के ग्रामीण द्वारा ,इस संबंध पूछे जाने पर वन क्षेत्र के पदाधिकारी मौन रहे।

ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र के भाजपा नेता स्वर्गीय साधुचरण महतो की मनाई गई पुण्यतिथि

सरायकेला : आदित्यपुर श्री डूंगरी में ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र के भाजपा नेता स्वर्गीय साधुचरण महतो की पुण्यतिथि पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओ ने उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया।

स्वर्गीय साधु महतो वर्ष 2014 में ईचागढ़ से भाजपा के विधयाक रहे पर वर्ष 2019 में भाजपा से टिकट मिलने के बाद भी अपनी जीत तय नही कर पाए वही हार के बाद इन्हें सदमा लगा और लंबी बीमारी के दौरान इनकी आश्मिक मौत हो गई और जिसके बाद से पार्टी के लोगो की सहयोग से इनका प्रतिमा श्रीडूंगरी लगाया गया और आज इनकी दूसरी पुण्यतिथि मनाई गई इस दौरान इनकी धर्म पत्नी सारथी महतो ने बताया कि ईचागढ़ अपने क्षेत्र के लोकप्रिय विधयाक थे साधु महतो ओर अपने क्षेत्र के विकास के लिए अक्सर लोग के बीच रहा करते थे जो भी समस्या ग्रामीणों की होती थी उसे तुरंत निस्तारण करने का काम करते है ।

वहीं उन्होंने कहा कि अगर पार्टी हमे टिकट देती है तो हम चुनाव जरूर लड़ेंगे और अपने पति की जो भी अधूरी योजना क्षेत्र की जनता के लिए समर्पित करंगे।

इस दौरान एक दिवसीय गायत्री परिवार की ओर से पाठ का आयोजन कर उनकी आत्मा की शांति के लिए कामना किया गया।

कोल्हान के आर०आई०टी० थाना क्षेत्र के रेलवे कॉलोनी के पीछे झाड़ियों में मिला अज्ञात व्यक्ति का, पुलिस ने किया त्वरित करवाई

सरायकेला : कोल्हान के आर०आई०टी० थाना क्षेत्रान्तर्गत रेलवे कॉलोनी अवस्थित क्वार्टर नम्बर - 104 / 02 के पीछे झाड़ियों में अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद किया गया था।

शव की पहचान सुरज महान्नद उर्फ गोलु के रूप में किया गया। वही इस संबंध में सरायकेला पुलिस ने खुलासा करते हुए एसपी बिमल कुर ने जानकारी देते हुए बताया कि वही इस संबंध में धारदार हथियार से उक्त व्यक्ति की हत्या कर शव को झाड़ियों में छुपाने के आरोप में आर०आई०टी० थाना में कांड प्रतिवेदित किया गया ।

काण्ड के त्वरित उद्भेदन हेतु पुलिस अधीक्षक, सरायकेला के द्वारा छापामारी दल का गठन किया गया । छापामारी दल के द्वारा अनुसंधान के क्रम में अप्राथमिकी अभियुक्त सुमित मुखी उर्फ सुजित मुखी उर्फ त्रिशुल को गिरफ्तार किया गया एवं सख्ती से पुछताछ करने पर अभियुक्त सुमित मुखी उर्फ सुजित मुखी उर्फ त्रिशुल ने बताया कि इनका दोस्त सुरज महान्नद उर्फ गोलु को गम्हरिया के शिवनारायणपुर में करीब 01 वर्ष पुर्व फाईट (मुक्का) से मार कर मेरा दाँत तोड़ दिया था।

जिस पर बदला लेने को लेकर धारदार चाकू से मार कर हत्या कर दिया एवं उसके शव को झाड़ी में छुपा दिया। गिरफ्तार अप्राथमिकी अभियुक्त के निशानदेही पर इस काण्ड में प्रयुक्त खुन लगा हुआ धारदार चाकू को बरामद किया गया है।

जिसे विधिवत जप्ती सूची बनाकर जप्त किया गया। अभियुक्त सुमित मुखी के द्वारा अपना अपराध स्वीकारोक्ति बयान में सुरज महान्नद उर्फ गोलु को धारदार चाकू से हमला कर हत्या करने के अपराध को स्वीकार किया गया है ।

नक्सलियों द्वारा लगाये गये I.E.D विस्फोट की चपेट में आने से सी०आर०पी०एफ० 174 BN. के 1 सी०टी० के जवान जख्मी

चाईबासा: कोल्हान के मुफसिल थानान्तर्गत ग्राम हेसाबांध के स्थित जंगली महल पहाड़ी क्षेत्र में सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के लिए नक्सलियों द्वारा पूर्व में लगाये गये I.E.D विस्फोट हो गया । जिसकी चपेट में आने से सी०आर०पी०एफ० 174 BN. के 1 सी०टी० / जी०डी० हफीजुर रहमान बुरी तरह जख्मी हो गया।

पुलिस बल द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस मुख्यालय झारखण्ड, रॉची एवं सी०आर०पी०एफ० झारखण्ड सेक्टर, झारखण्ड रॉची के सहयोग से हेलीकॉप्टर के माध्यम से तत्काल प्राथमिकी उपचार के पश्चात जख्मी जवान को उच्चत्तर ईलाज के लिए रॉची भेज दिया गया है।

सरायकेला :देव प्रबोधिनी एकादशी आज।

सरायकेला : हिंदू धर्म में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को अलग अलग नामों से जाना जाता है। इसे हरि प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी, देवउठनी एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है।

देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ साथ तुलसी पूजन का भी विशेष महत्व होता है।

देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन देवी वृंदा को मिले वरदान की वजह से भगवान विष्णु ने शालिग्राम स्वरूप में तुलसी से विवाह किया था। इसी कारण से देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह उत्सव भी मनाया जाता है।

इसके अलावा देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन चतुर्मास्य से लगे सभी प्रकार के शुभ कार्यों पर रोक खत्म हो जाती है और सभी प्रकार के शुभ कार्य आरंभ हो जाते हैं।

ऐसा माना जाता है कि देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। इसलिए सभी भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत करते हैं और पूरी रात जागरण करते हैं।

देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन की गई पूजा का खास महत्व होता है।

धर्म पुराणों के अनुसार जो भी मनुष्य देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन पूरे पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ व्रत करके विष्णु भगवान की पूजा करता है उसे मृत्यु के बाद वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।

इसके अलावा देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन व्रत और पूजा करने से मनुष्य को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। एकादशी के व्रत और पूजन करने से कुंडली में मौजूद चंद्र दोष भी दूर हो जाता है।

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कार्तिक स्नान करके तुलसी तथा शालिग्राम जी का विवाह करने का नियम है।

विष्णु पूजन विधि:

देव प्रबोधिनी एकादशी का दिन भगवान विष्णु के घर पधारने का दिन होता है। 4 महीनों के लंबे आराम के बाद इस दिन भगवान विष्णु के जागने पर भक्त उनको प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना और कीर्तन करते हैं।

देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद घर के आंगन में भगवान के चरणों की आकृति बनाएं और अपने मन में यह विश्वास रखें कि भगवान विष्णु इसी रास्ते से आपके घर में पधारे।

इसके बाद फल फूल मिठाई आदि को एक डलिया में रखकर शाम के समय पूरे परिवार के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें।

शाम के समय विष्णु सहस्रनाम का पाठ करके शंख बजाकर विष्णु भगवान को आमंत्रण दे। इसके बाद पूरी रात श्रद्धा पूर्वक भगवान विष्णु के अलग-अलग नामों का जाप करें।

अगर आप माता लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन श्री सूक्त का पाठ करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन घर में चावल नहीं बनाना चाहिए। इस दिन घर का वातावरण पूरी तरह से सात्विक रखना चाहिए।

इस दिन घर के सभी लोगों को फलाहारी व्रत करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन धूम्रपान या कोई भी नशा नहीं करना चाहिए।

पूरी तरह से श्रद्धा और आस्था के साथ देव प्रबोधिनी एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मनुष्य को सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इस व्रत को रखने से घर में खुशियां आती है।

देव प्रबोधिनी एकादशी के अचूक उपाय:

देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन अलग-अलग चीजों से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। एकादशी के दिन भगवान विष्णु को भोग के रूप में गन्ना चढ़ाएं। भगवान विष्णु को गन्ने का भोग लगाने से घर में हमेशा सुख शांति बनी रहती है।

एकादशी के दिन भगवान विष्णु को केले का भोग लगाने से घर में हमेशा धन और समृद्धि बनी रहती है।

ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु को केला बहुत पसंद है। इसलिए जब भगवान 4 महीनों के बाद नींद से जागते हैं तो उन्हें केले का भोग लगाना चाहिए।

माता लक्ष्मी को जल सिंघाड़ा बहुत प्रिय होता है। अगर आप भगवान विष्णु के साथ साथ माता लक्ष्मी को भी प्रसन्न करना चाहते हैं तो एकादशी के दिन जल सिंघाड़े का भोग लगाएं। ऐसा करने से आपके जीवन में कभी भी धन-संपत्ति की कमी नहीं होगी।

धर्म पुराणों के अनुसार बिना पंचामृत के बिना भगवान विष्णु की पूजा नहीं की जा सकती है। एकादशी के दिन दूध, दही, शहद, शक्कर और घी मिलाकर पंचामृत बनाएं और भगवान को भोग लगाएं। एकादशी के दिन पंचामृत का भोग लगाने से मनुष्य के जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं

भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्तों का खास महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि अगर भगवान विष्णु के भोग में तुलसी के पत्ते ना हो तो भगवान विष्णु उसे ग्रहण नहीं करते हैं। इसलिए प्रसाद के रूप में तुलसी के पत्तों को जरूर चढ़ाएं।

भगवान विष्णु ने तुलसी को अपने माथे पर स्थान दिया था। इसलिए तुलसी का एक पत्ता भगवान विष्णु के सर पर जरूर रखें।

देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी की माला पहनाएं।

एकादशी के दिन आप भगवान विष्णु को भोग लगाने के लिए दूध का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

एकादशी के दिन भगवान को दूध का भोग लगाने से कुंडली से चंद्र दोष दूर हो जाता है।

भगवान विष्णु की पूजा में अक्षत का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

इनकी पूजा में तिल का प्रयोग करना शुभ होता है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तिल का भोग लगाने से मनुष्य को सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है।

इसके अलावा एकादशी के दिन तिल का दान करने का भी खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन जो भी मनुष्य तिल का दान करता है उसे मृत्यु के बाद नर्क की प्राप्ति नहीं होती है और वह बैकुंठ धाम में निवास करता है।

देवप्रबोधनी एकादशी की व्रत विधि:

देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

इसके बाद घी का दिया जला कर घर में धूप करके घट स्थापना करनी चाहिए।

इसके बाद भगवान विष्णु पर गंगाजल छिड़ककर रोली और अक्षत लगाना चाहिए।

इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने बैठकर पूजा आरती और मंत्रों का जाप करना चाहिए।

पूजा करने के बाद भगवान को भोग लगाकर ब्राह्मणों को भोजन करा कर दान दक्षिणा देनी चाहिए।

देव प्रबोधिनी एकादशी की दो कथाएँ।

पहली कथा -

एक राजा के राज्य में सभी लोग एकादशी का व्रत रखते थे। प्रजा तथा नौकर-चाकरों से लेकर पशुओं तक को एकादशी के दिन अन्न नहीं दिया जाता था। एक दिन किसी दूसरे राज्य का एक व्यक्ति राजा के पास आकर बोला- महाराज! कृपा करके मुझे नौकरी पर रख लें। तब राजा ने उसके सामने एक शर्त रखी कि ठीक है, रख लेते हैं। किन्तु रोज तो तुम्हें खाने को सब कुछ मिलेगा, पर एकादशी को अन्न नहीं मिलेगा।

उस व्यक्ति ने उस समय 'हां' कर ली, पर एकादशी के दिन जब उसे फलाहार का सामान दिया गया तो वह राजा के सामने जाकर गिड़गिड़ाने लगा- महाराज! इससे मेरा पेट नहीं भरेगा। मैं भूखा ही मर जाऊंगा। मुझे अन्न दे दो।

राजा ने उसे शर्त की बात याद दिलाई, पर वह अन्न छोड़ने को राजी नहीं हुआ, तब राजा ने उसे आटा-दाल-चावल आदि दिए। वह नित्य की तरह नदी पर पहुंचा और स्नान कर भोजन पकाने लगा। जब भोजन बन गया तो वह भगवान को बुलाने लगा- आओ भगवान! भोजन तैयार है।

उसके बुलाने पर पीताम्बर धारण किए भगवान चतुर्भुज रूप में आ पहुंचे तथा प्रेम से उसके साथ भोजन करने लगे। भोजनादि करके भगवान अंतर्धान हो गए तथा वह अपने काम पर चला गया।

पंद्रह दिन बाद अगली एकादशी को वह राजा से कहने लगा कि महाराज, मुझे दुगुना सामान दीजिए। उस दिन तो मैं भूखा ही रह गया। राजा ने कारण पूछा तो उसने बताया कि हमारे साथ भगवान भी खाते हैं। इसीलिए हम दोनों के लिए ये सामान पूरा नहीं होता।

यह सुनकर राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ। वह बोला- मैं नहीं मान सकता कि भगवान तुम्हारे साथ खाते हैं। मैं तो इतना व्रत रखता हूं, पूजा करता हूं, पर भगवान ने मुझे कभी दर्शन नहीं दिए।

राजा की बात सुनकर वह बोला- महाराज! यदि विश्वास न हो तो साथ चलकर देख लें। राजा एक पेड़ के पीछे छिपकर बैठ गया। उस व्यक्ति ने भोजन बनाया तथा भगवान को शाम तक पुकारता रहा, परंतु भगवान न आए। अंत में उसने कहा- हे भगवान! यदि आप नहीं आए तो मैं नदी में कूदकर प्राण त्याग दूंगा।

लेकिन भगवान नहीं आए, तब वह प्राण त्यागने के उद्देश्य से नदी की तरफ बढ़ा। प्राण त्यागने का उसका दृढ़ इरादा जान शीघ्र ही भगवान ने प्रकट होकर उसे रोक लिया और साथ बैठकर भोजन करने लगे। खा-पीकर वे उसे अपने विमान में बिठाकर अपने धाम ले गए। यह देख राजा ने सोचा कि व्रत-उपवास से तब तक कोई फायदा नहीं होता, जब तक मन शुद्ध न हो। इससे राजा को ज्ञान मिला। वह भी मन से व्रत-उपवास करने लगा और अंत में स्वर्ग को प्राप्त हुआ।

दूसरी कथा -....

एक राजा था। उसके राज्य में प्रजा सुखी थी। एकादशी को कोई भी अन्न नहीं बेचता था। सभी फलाहार करते थे। एक बार भगवान ने राजा की परीक्षा लेनी चाही। भगवान ने एक सुंदरी का रूप धारण किया तथा सड़क पर बैठ गए। तभी राजा उधर से निकला और सुंदरी को देख चकित रह गया। उसने पूछा- हे सुंदरी! तुम कौन हो और इस तरह यहां क्यों बैठी हो?

तब सुंदर स्त्री बने भगवान बोले- मैं निराश्रिता हूं। नगर में मेरा कोई जाना-पहचाना नहीं है, किससे सहायता मांगू? राजा उसके रूप पर मोहित हो गया था। वह बोला- तुम मेरे महल में चलकर मेरी रानी बनकर रहो।

सुंदरी बोली- मैं तुम्हारी बात मानूंगी, पर तुम्हें राज्य का अधिकार मुझे सौंपना होगा। राज्य पर मेरा पूर्ण अधिकार होगा। मैं जो भी बनाऊंगी, तुम्हें खाना होगा।

राजा उसके रूप पर मोहित था, अतः उसकी सभी शर्तें स्वीकार कर लीं। अगले दिन एकादशी थी। रानी ने हुक्म दिया कि बाजारों में अन्य दिनों की तरह अन्न बेचा जाए। उसने घर में मांस-मछली आदि पकवाए तथा परोस कर राजा से खाने के लिए कहा। यह देखकर राजा बोला- रानी! आज एकादशी है। मैं तो केवल फलाहार ही करूंगा।

तब रानी ने शर्त की याद दिलाई और बोली- या तो खाना खाओ, नहीं तो मैं बड़े राजकुमार का सिर काट दूंगी। राजा ने अपनी स्थिति बड़ी रानी से कही तो बड़ी रानी बोली- महाराज! धर्म न छोड़ें, बड़े राजकुमार का सिर दे दें। पुत्र तो फिर मिल जाएगा, पर धर्म नहीं मिलेगा।

इसी दौरान बड़ा राजकुमार खेलकर आ गया। मां की आंखों में आंसू देखकर वह रोने का कारण पूछने लगा तो मां ने उसे सारी वस्तुस्थिति बता दी। तब वह बोला- मैं सिर देने के लिए तैयार हूं। पिताजी के धर्म की रक्षा होगी, जरूर होगी।

राजा दुःखी मन से राजकुमार का सिर देने को तैयार हुआ तो रानी के रूप से भगवान विष्णु ने प्रकट होकर असली बात बताई- राजन! तुम इस कठिन परीक्षा में पास हुए। भगवान ने प्रसन्न मन से राजा से वर मांगने को कहा तो राजा बोला- आपका दिया सब कुछ है। हमारा उद्धार करें।

उसी समय वहां एक विमान उतरा। राजा ने अपना राज्य पुत्र को सौंप दिया और विमान में बैठकर परम धाम को चला गया।

सरायकेला : जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त ने ईवीएम वेयरहाउस का मासिक निरीक्षण किया

सरायकेला : जिला निर्वाचन पदाधिकारी -सह- उपायुक्त सरायकेला खरसावां श्री रवि शंकर शुक्ला के द्वारा आज समुदायिक भवन परिसर सरायकेला स्थित ईवीएम वेयरहाउस का मासिक निरीक्षण किया गया।

 भारत निर्वाचन आयोग-नई दिल्ली के निर्देशानुसार जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने उप निर्वाचन पदाधिकारी श्री कानूराम नाग के साथ वेयर हाउस की विधि-व्यवस्था व सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। निरीक्षण के क्रम में उन्होंने, मल्टीपर्पस हॉल, वेयर हाउस में लगाए गए CCTV कैमरे, भवन की स्थिति, तैनात सुरक्षा बल, अग्निशमन सिलेंडर, इत्यादि का जाँच करते हुए सुरक्षा के मद्देनजर कई आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

मौके पर उपायुक्त के साथ उप निर्वाचन पदाधिकारी श्री कानूराम नाग, सोशल मीडिया प्रसार पदाधिकारी श्री नंदन उपाध्याय एवं अन्य उपस्थित रहे।

हाई टेंशन तार से 5 हाथियों के झुंड की मौत पर वन विभाग और बिजली विभाग के अधिकारीगण घटना स्थल पर पहुंच कर जांच में जुटे


घाटशिला : घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी वन क्षेत्र में स्थित, ऊपर बंदा आकसिया जंगल में, 33 हजार केबी भोलट के हाई टेंशन तार से, 5 हाथियों के झुंड की मौत पर, वन विभाग एवम बिजली विभाग के अधिकारीगण घटना स्थल पर पहुंच कर जांच करने में जुटे ।

मुसाबनी वन क्षेत्र के, ऊपर बांदा आकासिया जंगल में हाई टेंशन तार के चपेट में आए हाथियों के मौत पर स्थानीय लोगों का आक्रोश लापरवाह लोगों पर देखने को मिला।

 

पूर्वी सिंहभूम जिला के वन क्षेत्रों में बिजली विभाग की लचर वेवस्था के कारण हाथियों के मौत पहले भी हो चुके हैं , बावजूद इसके इसमें सुधार के बजाए बेजुबान विशालकाय हांथी जैसे जानवरों की मौत हो रहा है और विभागीय अधिकारियों द्वारा हर बार बिजली वेवस्था में सुधार करने और दोषी लोगों पर कार्यवाही करने की बात कहते रहते हैं। 

घटना स्थल पर, वन विभाग के, डीएफओ जिला अधिकारी मैम ने कहा कि हाई टेंशन तार की चपेट में आकर हाथियों के मौत का यह तीसरा मामला है किसी की लापरवाही एक बार से दो बार माना जा सकता है। हांथी विचरण वाले क्षेत्रों का सूची जिला प्रशासन और बिजली विभाग को अवगल कराने के बाद भी यह घटना बेहद दुखद है वन विभाग द्वारा इस घटना को लेकर कड़ा रुख अपनाएगा दोषियों पर कार्रवाई होगी 

 डीएफओ प्रियंका कुमारी पूर्वी सिंहभूम ने कहा झारखंड के 

पूर्वी सिंहभूम जिला वन क्षेत्र में हाथियों के मौत का यह मामला तीसरा और दर्दनाक होने के बावजूद कोई लचर सिस्टम को सुधार करने के बजाए विभागीय अधिकारियों द्वारा एक दूसरे पर आरोप प्रत्या रोप जारी है ।

सरायकेला : उपायुक्त की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत संचालित योजनाओं की समीक्षा बैठक संपन्न


सरायकेला : जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त श्री रवि शंकर शुक्ला के द्वारा वर्चुअल बैठक आयोजित कर स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत संचालित विभिन्न योजनाओं की बिंदुवार समीक्षा की गई। बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत संचालित सभी कार्यक्रमों का वित्तीय एवं भौतिक समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने कई आवश्यक निर्देश दिए। 

बैठक के दौरान उपायुक्त ने गर्भवती महिलाओं के पंजीकरण, एचआइवी जांच, ANC जाँच, VHSND, आयरन गोली का वितरण, संस्थागत प्रसव व होम डिलीवरी, टीवी जाँच, कुष्ठ रोगी की पहचान तथा इलाज, HIV जाँच, मलेरिया-डेंगू, जाँच इत्यादि कार्यक्रम की समीक्षा कर आवश्यक निर्देश दिए गए। इस दौरान विभिन्न योजनाओं के कार्य प्रगति धीमी पाए जाने पर राजनगर, गम्हरिया, इचागढ़ एवं नीमडीह के MOIC को उपायुक्त नें शोकॉज करनें के निदेश दिए। तथा सभी MOIC को संस्थागत डिलीवरी बढ़ाने पर बल देने, संस्थागत डिलीवरी का प्रतिशत कम वाले क्षेत्रो को चिन्हित कर सभी आवश्यक सुविधाए प्रदान करने तथा जिला स्तरीय जाँच दल गठित कर होम डिलीवरी के कारण तथा उसमे पाए जाने वाली अनियमितता के आधार पर सम्बन्धित पदाधिकारी/कर्मी पर नियमसंगत करवाई करने के निदेश दिए। इसके पश्चात्य उपायुक्त नें सभी केन्द्रो मे निर्धारित समयावधी मे VHSND कराने तथा VHSND में सभी महिलाओ का स्वास्थ्य जाँच के साथ एनीमिया, हीमोग्लोबिन की जाँच करने तथा आवश्यक चिकित्सिय सहायता प्रदान करने के निदेश दिए।

उपायुक्त ने सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारीयों को सम्बन्धित पदाधिकारी के साथ कार्यों की समीक्षा करने, ANM, CHO का मासिक क्षेत्र भर्मण कार्यक्रम तैयार करने तथा ऐसी ANM या CHO जो क्षेत्र मे भ्रमण ना करती हो उनके कार्य प्रगति धीमा पाया जाता है उनपर नियम संगत करवाई सुनिश्चित करने के निदेश दिए। उपायुक्त नें सभी MOIC को क्षेत्र अंतर्गत उप स्वास्थ्य केन्द्रो का औचक निरिक्षण कर आवश्यक सुविधाओं का जायजा लेने तथा उपलब्ध संसाधनों का समुचित सदुपयोग कर लोगो को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने तथा जिला स्तरीय टीम को नियमित रूप से क्षेत्रो में भ्रमण कर योजनाओं की कार्य प्रगति पर विशेष ध्यान रखने के निदेश दिए।

समीक्षा क्रम मे उपायुक्त ने लो बर्थ बेबीस (MAM/SAM) को चिन्हित कर नजदीकी एमटीसी में एडमिट करा बेहतर चिकित्सीय सहायता, देखभाल तथा पोषण युक्त आहार उपलब्ध कराने के निदेश दिए। वहीं अभियान चलाकर यक्षमा, कुष्ट, HIV, मलेरिया तथा डेंगू मरीजों की पहचान कर ससमय बेहतर स्वास्थ्य सुविधाए प्रदान करने तथा मरीजों का निश्चित समयावधी में नियमित जाँच करने के निदेश दिए। वही सभी आवश्यक डेटा पोर्टल पर ससमय अपलोड करने के निर्देश दिए।

बैठक में उपायुक्त के साथ मुख्य रूप से सिविल सर्जन डॉ अजय सिन्हा, WHO के पदाधिकारी, सभी एमओआईसी, DPM NRLM सभी बीपीओ एवं विभिन्न चिकित्सा पदाधिकारी उपस्थित रहे।

27 वां श्री श्याम जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर चांडिल बाजार में भव्य निशान यात्रा निकाली गई

सरायकेला : चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के श्री श्याम कला भवन चांडिल द्वारा 27 वां श्री श्याम जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर चांडिल बाजार में भव्य निशान यात्रा निकाली गई। 

इस दौरान प्रभु के भजन से चांडिल का वातावरण भक्तिमय हो गया। इस मौके पर श्री श्याम कला भवन चांडिल के अध्यक्ष संजय चौधरी ने कहा कि हिंदू धर्म के अनुसार खाटू श्याम जी ने द्वापरयुग में श्री कृष्ण से वरदान प्राप्त किया था कि वे कलयुग में उनके नाम श्याम से पूजे जाएँगे।

 बर्बरीक जी का शीश खाटू नगर (वर्तमान राजस्थान राज्य के सीकर जिला) में दफ़नाया गया इसलिए उन्हें खाटू श्याम बाबा कहा जाता है। धार्मिक कथा के अनुसार एक गाय उस स्थान पर आकर रोज अपने स्तनों से दुध की धारा स्वतः ही बहाती थी। बाद में खुदाई के बाद वह शीश प्रकट हुआ, जिसे कुछ दिनों के लिए एक ब्राह्मण को सौंप दिया गया। 

एक बार खाटू नगर के राजा को स्वप्न में मंदिर निर्माण के लिए और वह शीश मंदिर में सुशोभित करने के लिए प्रेरित किया गया। तत्पश्चात उस स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया और कार्तिक माह की एकादशी को शीश मंदिर में सुशोभित किया गया। जिसे बाबा श्याम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। 

मूल मंदिर 1027 ई. में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर द्वारा बनाया गया था। मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने ठाकुर के निर्देश पर 1720 ई. में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।