*पर्यटन स्थल के रुप में बनी सीतामढ़ी की पहचान,रोज आ रहे 15 हजार सैलानी*
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। मखमली कालीनों के लिए विश्व प्रसिद्ध कालीन नगरी अब धीरे-धीरे पर्यटन के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना रही है। प्रमुख धार्मिक स्थल सीतामढ़ी पर्यटन स्थल के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है।
जहां प्रतिदिन करीब 15 हजार सैलानी पहुंचते हैं। नए साल एवं पर्वों पर यह संख्या दो से तीन गुनी हो जाती है।
श्री सीता समाहित स्थल, महर्षि वाल्मिकी आश्रम मां गंगा के पावन तट पर विद्यमान है। पश्चिम में महाभारत काल में बना लाक्षागृह तो पूरब में स्वयं भू बाबा सेमराधनाथ धाम ऐसे तीर्थस्थल हैं।
जिनके विकास के लिए एक कॉरिडोर बना कर एक बड़े पर्यटन केंद्र की स्थापना कर नए रोजगार का सृजन किया जा सकता है। जिस पर धीरे-धीरे अफसर और जनप्रतिनिधि अमल में ला रहे हैं।
सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले कुछ वर्ष में यहां की स्थितियां बदल जाएगी। सूबे में भाजपा की सरकार बनने के बाद धार्मिक स्थलों का विकास शुरू हुआ है।
जिसमें सीतामढ़ी को भी शामिल किया गया है। इसके लिए साढ़े तीन करोड़ स्वीकृत हुआ है, जिसमें एक करोड़ 80 लाख की पहली किस्त भी जारी हो चुकी है। जिससे आने वाले समय में कई महत्वपूर्ण कार्य कराया जाएगा।
यहां देश-विदेश के बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं। हर रोज करीब 15 हजार सैलानी पहुंचते हैं। साल भर में 35 से 40 लाख सैलानी आते हैं। सैलानियों के आने से यहां के दुकानदारों को अच्छी खासी आय होती है।
रामायण काल की गाथाओं की साक्षी सीतामढ़ी मां गंगा के पावन तट पर विद्यमान है। मां सीता का प्राचीन मंदिर, शिव मंदिर, पार्क इस स्थल का आकर्षक है108 फिट ऊंचे भगवान श्री हनुमान जी की मूर्ति श्रद्धालुओं के आस्था और आकर्षण का केंद्र है।
क्षेत्र को अब पर्यटन विभाग विकास का पंख लगाने जा रहा है। प्रथम चरण में जो विकास कार्य होंगे उनमें मुख्य रूप से सीतामढ़ी के चौराहे पर शानदार विशाल मुख्य स्वागत द्वार बनेगा। इसके अलावा श्री सीता समाहित स्थल मंदिर के प्रवेश द्वार और विश्व प्रसिद्ध 108 फुट ऊंचे भगवान हनुमान जी के मंदिर के सामने स्वागत द्वार बनेगा।
इसके अलावा अविकसित पार्कों का सुंदरीकरण, यात्रियों के बैठने के लिए दो यात्री शेड, सीतामढ़ी प्रवेश द्वार से मंदिर तक डेकोरेशन लाइटिंग के साथ सभी स्वागत द्वारों (गेट) के पास हाईमास्ट लाइट लगेगी।
Oct 03 2023, 16:01