इसरो चीफ के मंदिर जाने पर बढ़ा विवाद, जानें एस. सोमनाथ ने विरोधियों को कैसे दिया जवाब

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चांद पर चंद्रयान 3 की सफल लैंडिग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) चीफ एस सोमनाथ ने मंदिर जाकर पूजा की। एस सोमनाथ ने चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग के पूर्व तिरुपति मंदिर जा कर पूजा-अर्चना की थी। इसके बाद जब चंद्र मिशन पूरा हुआ तो वे केरल के विक्षिंजम में स्थित पौर्णामिकावू मंदिर में अपने आराध्य का आभार जताने पहुंचे। उनकी तस्वीरें वायरल हो गईं और सोशल मीडिया पर एक नया विवाद शुरू हो गया। इंटरनेट यूजर्स के एक वर्ग द्वारा 'विज्ञान बनाम धर्म' की बहस छिड़ गई। अब इस पर उन्होंने जवाब दिया है।एस सोमनाथ ने कहा है कि यह उनका निजी मामला है और मंदिर जाने से चंद्रयान-3 का कोई लेना देना नहीं है।

विज्ञान और अध्यात्म दोनों अलग-अलग-एस सोमनाथ

इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने आस्था पर सवाल उठाने वालों को जवाब देते हुए कहा कि अध्यात्म और विज्ञान एक-दूसरे से अलग हैं। ऐसे में विज्ञान और अध्यात्म को मिलाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने केरल के मंदिर जाने पर कहा कि मैं यहां पर इसलिए आया हूं, क्योंकि मंदिर से मुझे आध्यात्मिक बल मिलता है।सोमनाथ ने उपासना स्थलों पर जाने और प्रार्थना करने को तनाव से मुक्ति का तरीका बताया। उन्होंने कहा, प्रार्थना मानसिक संतोष के लिए की जाती है। जब हम जटिल वैज्ञानिक मिशन पर काम कर रहे हैं तो कई बाधाएं और समस्याएं होती हैं और किसी भी समय चीजें गलत हो सकती हैं। ऐसे में मन को शांत रखने के लिए प्रार्थना और पूजा मदद करती हैं।इसके चलते मैं अपने बाकी के काम भी सफलतापूर्वक कर पाता हूं। उन्होंने कहा कि मैं तो बचपन से ही मंदिर जाता रहा हूं और इसका चंद्रयान से कोई लेना-देना नहीं है। यह मेरा बेहद निजी मामला है।

विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों का पता लगाना मेरे जीवन का हिस्सा-एस सोमनाथ

सोमनाथ इसरो के अध्यक्ष के रूप में चंद्रयान -3 मिशन के नायक हैं। भारत अब एक खास अंतरिक्ष क्लब का हिस्सा है, जो चंद्रमा पर उतरा है। इस बड़ी सफलता के बाद इसरो प्रमुख ने केरल के एक मंदिर में पूजा-अर्चना की। जब एस. सोमनाथ से इसके बारे में पूछा गया, तो उन्‍होंने कहा, "मैं एक खोजकर्ता हूं। मैं चंद्रमा के बारे में अनुसंधान करता हूं। मैं आंतरिक ज्ञान का पता लगाता हूं। विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों का पता लगाना मेरे जीवन की यात्रा का एक हिस्सा है।मैं कई मंदिरों का दौरा करता हूं और कई धर्मग्रंथ पढ़ता हूं। मैं इसका अर्थ खोजने की कोशिश करता हूं कि हमारा अस्तित्व और इस ब्रह्मांड में हमारी यात्रा कहां तक है।

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो की सूरज को “साधने” की तैयारी, जानें क्या है मिशन आदित्य L1

#nowisrowilllaunchadityal1mission

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चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) अब सूर्य को साधने की तैयारी में है। चंदा मामा के बाद सूर्य देव के अध्ययन के लिए 2 सितम्बर को आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च करने की घोषणा की है।इसरो ने बताया कि आदित्य-एल 1 को 2 सितंबर को सुबह 11:50 बजे पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C57) के जरिये आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा।

इसरो ने ट्वीट करके कहा है कि ‘आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन होगा। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में भेजा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है।

पृथ्वी से सूर्य की दूरी काफी ज्यादा है। सूरज के आसपास कई लांग्रेज पॉइंट होते हैं। धरती और सूर्य के बीच लैग्रेंज प्वाइंट ही वो जगह है जहां से सूर्य को बिना किसी ग्रहण या अवरोध के देखा जा सकता है। धरती और सूर्य के बीच पांच लैग्रेंज प्वाइंट है। इस पर किसी अंतरिक्ष यान का गुरुत्वाकर्षण सेंट्रिपेटल फोर्स के बराबर हो जाता है। जिसकी वजह से यहां कोई भी यान लंबे समय तक रुक कर शोध कर सकता है। इस जगह को ‘अंतरिक्ष का पार्किंग’ भी कहा जाता है, क्योंकि बेहद कम ईंधन के साथ इस जगह पर अंतरिक्ष यान को स्थिर किया जा सकता है।

भारत का मिशन आदित्य एल-1 इन्हीं में से एक पॉइंट पर जाएगा। तभी इसका नाम आदित्य लांग्रेज-1 रखा गया है। जब श्रीहरिकोटा के स्पेस सेंटर से ये मिशन लॉन्च किया जाएगा, तब इसरो का मकसद इसे सूर्य के लांग्रेज बिंदु-1 पर स्थापित करने का होगा।पृथ्वी से इसकी दूरी 1.5 मिलियन किमी. है, यहां पर आदित्य एल-1 को स्थापित करने का फायदा है। इस पॉइंट से सूरज सातों दिन और 24 घंटे दिखाई पड़ता है, ऐसे में यहां से अध्ययन आसान होगा।

आदित्य एल-1 मिशन के फायदे?

इसरो उन सौर गतिविधियों की स्टडी करना चाहता है जो उसकी सतह (कोई सॉलिड सतह नहीं है) से बाहर निकल कर अंतरिक्ष में फैल जाते हैं और कई बार धरती की तरफ भी आ जाते हैं, जैसे कोरोनल मास इजेक्शन, सोलर फ्लेयर्स, सौर तूफान आदि। इसलिए लैग्रेंज प्वाइंट1 (एल-1) इस लिहाज से खास जगह है, क्योंकि सूर्य से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफान इसी रास्ते से होकर धरती की ओर जाते हैं। सूर्य के वातावरण से निकलकर अंतरिक्ष में फैलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफानों में कई तरह के रेडियोएक्टिव तत्व होते हैं, जो पृथ्वी के लिहाज से नुकसानदेह होते हैं। सौर तूफान और कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से पृथ्वी के बाहरी वायुमंडल में चक्कर काट रही सैटेलाइट में खराबी आ सकती है। इसके अलावा अगर कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफान धरती के वातावरण में दाखिल हो जाए तब पृथ्वी पर शार्ट वेब कम्यूनिकेशन, मोबाइल सिग्नल, इलेक्ट्रिक पॉवर ग्रिड सिस्टम पूरी तरह से ठप पड़ जाएगा।

इन देशों ने भेजे सूर्य के अध्ययन के लिए अभियान

सूर्य के अध्ययन के लिए अब तक केवल अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, यूरोपीय स्पेस एजेंसी और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर ने अलग अलग और संयुक्त अंतरिक्ष अभियान भेजे हैं।नासा ने तीन मुख्य मिशन भेजे हैं- सोहो (सोलर एंड हेलियोस्फ़ेरिक ऑब्जर्वेटरी), पार्कर सोलर प्रोब और आइरिस (इंटरफ़ेस रिजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ़)।इसके अलावा नासा ने कई अन्य सूर्य मिशन भेजे हैं, जिनमें एस, विंड, हिनोड, सोलर डायनामिक्स ऑब्ज़र्वेटरी और स्टीरियो शामिल हैं। सोहो मिशन को नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने संयुक्त रूप से लॉन्च किया था।पार्कर सोलर प्रोब चार साल से सूर्य की सतह के सबसे क़रीब चक्कर लगा रहा है। आइरिस (इंटरफ़ेस रिजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ) सूर्य के सतह की हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें ले रहा है। सूर्य के अध्ययन में अभी तक सबसे बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ है नासा का पार्कर सोलर प्रोब मिशन, जो सूर्य के सबसे क़रीब पहुंचने वाला एकमात्र अंतरिक्षयान है।

*चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो की सूरज को “साधने” की तैयारी, जानें क्या है मिशन आदित्य L1*

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चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) अब सूर्य को साधने की तैयारी में है। चंदा मामा के बाद सूर्य देव के अध्ययन के लिए 2 सितम्बर को आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च करने की घोषणा की है।इसरो ने बताया कि आदित्य-एल 1 को 2 सितंबर को सुबह 11:50 बजे पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C57) के जरिये आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा।

इसरो ने ट्वीट करके कहा है कि ‘आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन होगा। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में भेजा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है।

पृथ्वी से सूर्य की दूरी काफी ज्यादा है। सूरज के आसपास कई लांग्रेज पॉइंट होते हैं। धरती और सूर्य के बीच लैग्रेंज प्वाइंट ही वो जगह है जहां से सूर्य को बिना किसी ग्रहण या अवरोध के देखा जा सकता है। धरती और सूर्य के बीच पांच लैग्रेंज प्वाइंट है। इस पर किसी अंतरिक्ष यान का गुरुत्वाकर्षण सेंट्रिपेटल फोर्स के बराबर हो जाता है। जिसकी वजह से यहां कोई भी यान लंबे समय तक रुक कर शोध कर सकता है। इस जगह को ‘अंतरिक्ष का पार्किंग’ भी कहा जाता है, क्योंकि बेहद कम ईंधन के साथ इस जगह पर अंतरिक्ष यान को स्थिर किया जा सकता है।

भारत का मिशन आदित्य एल-1 इन्हीं में से एक पॉइंट पर जाएगा। तभी इसका नाम आदित्य लांग्रेज-1 रखा गया है। जब श्रीहरिकोटा के स्पेस सेंटर से ये मिशन लॉन्च किया जाएगा, तब इसरो का मकसद इसे सूर्य के लांग्रेज बिंदु-1 पर स्थापित करने का होगा।पृथ्वी से इसकी दूरी 1.5 मिलियन किमी. है, यहां पर आदित्य एल-1 को स्थापित करने का फायदा है। इस पॉइंट से सूरज सातों दिन और 24 घंटे दिखाई पड़ता है, ऐसे में यहां से अध्ययन आसान होगा।

आदित्य एल-1 मिशन के फायदे?

इसरो उन सौर गतिविधियों की स्टडी करना चाहता है जो उसकी सतह (कोई सॉलिड सतह नहीं है) से बाहर निकल कर अंतरिक्ष में फैल जाते हैं और कई बार धरती की तरफ भी आ जाते हैं, जैसे कोरोनल मास इजेक्शन, सोलर फ्लेयर्स, सौर तूफान आदि। इसलिए लैग्रेंज प्वाइंट1 (एल-1) इस लिहाज से खास जगह है, क्योंकि सूर्य से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफान इसी रास्ते से होकर धरती की ओर जाते हैं। सूर्य के वातावरण से निकलकर अंतरिक्ष में फैलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफानों में कई तरह के रेडियोएक्टिव तत्व होते हैं, जो पृथ्वी के लिहाज से नुकसानदेह होते हैं। सौर तूफान और कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से पृथ्वी के बाहरी वायुमंडल में चक्कर काट रही सैटेलाइट में खराबी आ सकती है। इसके अलावा अगर कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफान धरती के वातावरण में दाखिल हो जाए तब पृथ्वी पर शार्ट वेब कम्यूनिकेशन, मोबाइल सिग्नल, इलेक्ट्रिक पॉवर ग्रिड सिस्टम पूरी तरह से ठप पड़ जाएगा।

इन देशों ने भेजे सूर्य के अध्ययन के लिए अभियान

सूर्य के अध्ययन के लिए अब तक केवल अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, यूरोपीय स्पेस एजेंसी और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर ने अलग अलग और संयुक्त अंतरिक्ष अभियान भेजे हैं।नासा ने तीन मुख्य मिशन भेजे हैं- सोहो (सोलर एंड हेलियोस्फ़ेरिक ऑब्जर्वेटरी), पार्कर सोलर प्रोब और आइरिस (इंटरफ़ेस रिजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ़)।इसके अलावा नासा ने कई अन्य सूर्य मिशन भेजे हैं, जिनमें एस, विंड, हिनोड, सोलर डायनामिक्स ऑब्ज़र्वेटरी और स्टीरियो शामिल हैं। सोहो मिशन को नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने संयुक्त रूप से लॉन्च किया था।पार्कर सोलर प्रोब चार साल से सूर्य की सतह के सबसे क़रीब चक्कर लगा रहा है। आइरिस (इंटरफ़ेस रिजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ) सूर्य के सतह की हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें ले रहा है। सूर्य के अध्ययन में अभी तक सबसे बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ है नासा का पार्कर सोलर प्रोब मिशन, जो सूर्य के सबसे क़रीब पहुंचने वाला एकमात्र अंतरिक्षयान है।

रक्षाबंधन पर सरकार ने दिया देश की बहनों को तोहफा, 200 रूपया सस्ता मिलेगा रसोई गैस सिलेंडर, जानिए नई कीमत

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देशभर की गृहणियों को मोदी सरकार ने रक्षा बंधन पर बड़ा तोहफा दिया है।सरकार के एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 200 रुपये की कमी करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। इसके साथ ही मोदी कैबिनेट में पैसला लिया गया है कि उज्ज्वला योजना के तहत लोगों को गैस सिलेंडर पर अलग से 200 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। यानी उन्हें कुल 400 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।इसके साथ ही 75 लाख महिलाओं को मुफ्त में गैस कनेक्शन दिया जाएगा। इस फैसले से आम लोगों को महंगाई से बड़ी राहत मिलेगी।

सरकार के फैसले से एलपीजी के 33 करोड़ ग्राहकों को लाभ होगा

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी।प्रेस ब्रीफिंग के दौरान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि गैस सिलेंडर सस्ता हुआ फिर एक बार, राखी और ओणम पर देश की करोड़ों बहनों को पीएम ने दिया उपहार। उन्होंने कहा कि नए 75 लाख उज्ज्वला कनेक्शन मिलने के बाद इस श्रेणी में कुल 10 करोड़ 35 लाख कस्टमर्स हो जाएंगे। ठाकुर ने कहा कि अप्रैल 2020 से अप्रैल 2022 तक दुनिया भर में एलपीजी का दाम तिगुना हुआ। लेकिन भारत में इसकी कीमत सिर्फ 35 फीसदी बढ़ी। सरकार ने पेट्रोलियम कंपनियों को मदद की। इस निर्णय से एलपीजी के 33 करोड़ ग्राहकों को लाभ होगा। इस फैसले का किसी इलेक्शन से कोई लेना-देना नहीं है। यह फैसला आज से ही लागू हो जाएगा। इससे इस वित्त वर्ष में 7,680 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

चुनावी चाल?

सरकार के इस फैसले को आने वाले चुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। इस साल देश में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे अहम राज्यों में चुनाव होने हैं। वहीं 2024 की शुरुआत में लोकसभा चुनाव भी हैं। ऐसे में महंगाई एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।इस साल होने वाले राज्यों के चुनाव में पहले से ही गैस सिलेंडर पर छूट दी जा रही है। राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने इंदिरा गांधी गैस सिलेंडर सब्सिडी योजना के तहत 1140 रुपये तक का सिलेंडर 500 रुपये में उपलब्ध करा रही है। इससे 14 लाख लाभार्थियों को फायदा पहुंचने का दावा किया गया है। वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि सावन माह में सभी को 450 रुपये में गैस सिलेंडर उपलब्ध करवाये जाएंगे। शिवराज के इस एलान से प्रदेश एक करोड़ 20 लाख से अधिक घरेलू गैस उपभोक्ताओं को फायेदा पहुंचेगा।

सुप्रीम कोर्ट का केन्द्र सरकार से सवाल, पूछा- जम्मू-कश्मीर राज्य कब बनेगा, कब होंगे चुनाव?

#sc_asks_centre_for_timeframe_to_restore_jk_statehood 

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अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई हो रही है। आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे और राज्य का दर्जा कब बहाल होगा? सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समय सीमा और रोडमैप को स्पष्ट करने की बात कही। 

दरअसल केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला स्थायी नहीं था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब हालात सामान्य हो जाएंगे तो जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। वहीं लद्दाख का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा कुछ समय तक बरकरार रहेगा। केंद्र ने आगे कहा कि पूरे मामले पर वो 31 अगस्त को विस्तृत बयान देगा। 

बता दें कि पांच जजों की बेंच करीब दो हफ्ते से 370 के मामले पर सुनवाई कर रही है। आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एसजी तुषार मेहता से पूछा कि क्या आप राज्य को यूटी में तब्दील कर सकते हैं? सीजेआई ने पूछा कि क्या संसद के पास राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की शक्ति है? अगर यूनियन टेरिटरी की स्थिति स्थायी नहीं है तो यह कितनी अस्थायी है? और आप चुनाव कब कराने जा रहे हैं?

इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमें जानकारी दी गई है कि जम्मू-कश्मीर का केंद्रशासित दर्जा स्थायी नहीं है और इसका राज्य का स्टेटस बहाल किया जाएगा। हालांकि लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश बना रहेगा। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करना एक अस्थायी उपाय है और भविष्य में जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश को वापस राज्य के रूप में वापस कर दिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि यह कितना अस्थायी है और जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे? एसजी तुषार मेहता ने कहा कि उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह बताने को कहा कि क्या जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई समय सीमा है और इस प्रगति का कोई रोडमैप है?

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त को इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अनुच्छेद 35ए को नागरिक अधिकारों का हनन करने वाला बताया था। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 35ए के तहत जम्मू कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार मिले थे, लेकिन इस अनुच्छेद की वजह से देश के अन्य लोगों के तीन बुनियादी अधिकार छीन लिए गए। जिनमें अन्य राज्यों के लोगों के कश्मीर में नौकरी करने, जमीन खरीदने और बसने के अधिकार का हनन हुआ।

मोदी सरकार देने जा रही बड़ा तोहफा, घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दामों में 200 रुपये की कटौती के संकेत, जल्द हो सकता है ऐलान

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लंबे समय से महंगाई की मार झेल रही जनता के लिए खुशखबरी है।रक्षा बंधन के मौके पर मोदी सरकार सस्ते एलपीजी सिलेंडर की सौगात दे सकती है। सरकारी सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, मोदी सरकार रसोई गैस सिलेंडर के दाम में 200 रुपये की बड़ी कटौती करने जा रही है।सूत्रों की मानें तो सरकार रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी देने की योजना पर काम कर रही है। ये सब्सिडी 100 से 200 रुपये प्रति सिलेंडर तक हो सकती है। मोदी सरकार बहुत जल्द इस छूट का ऐलान भी कर सकती है।

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के लाभार्थियों को मिलेगा लाभ

हालांकि यह फायदा केवल प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के लाभार्थियों को ही मिलेगा।सूत्रों के मुताबिक उज्ज्वला योजना के तहत रसोई सिलेंडर 200 रुपये और सस्ती होगी। केंद्र सरकार ने मई 2022 में भी पीएम उज्जवला योजना के लाभार्थियों को साल में 12 सिलेंडर सिफिल कराने पर 200 रुपये प्रति सिलेंडर सब्सिडी देना शुरू किया था जिसकी मियाद को अब 31 मार्च 2024 तक के लिए एक्सटेंड कर दिया गया. इसके बावजूद इस योजना के तहत सिलेंडर कराने वालों को 900 रुपये खर्च पड़ रहे हैं. यही वजह है कि पीएम उज्जवला योजना के लाभार्थियों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार अब 200 रुपये अतिरिक्त एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी देने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया है। जल्द ही इसका औपचारिक एलान हो सकता है। 

चुनावी चाल?

सरकार के इस फैसले को आने वाले चुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। इस साल देश में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे अहम राज्यों में चुनाव होने हैं। वहीं 2024 की शुरुआत में लोकसभा चुनाव भी हैं। ऐसे में महंगाई एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।इस साल होने वाले राज्यों के चुनाव में पहले से ही गैस सिलेंडर पर छूट दी जा रही है। राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने इंदिरा गांधी गैस सिलेंडर सब्सिडी योजना के तहत 1140 रुपये तक का सिलेंडर 500 रुपये में उपलब्ध करा रही है। इससे 14 लाख लाभार्थियों को फायदा पहुंचने का दावा किया गया है। वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि सावन माह में सभी को 450 रुपये में गैस सिलेंडर उपलब्ध करवाये जाएंगे। शिवराज के इस एलान से प्रदेश एक करोड़ 20 लाख से अधिक घरेलू गैस उपभोक्ताओं को फायेदा पहुंचेगा।

तीन साल में एलपीजी सिलेंडर की कीमत दोगुनी हुई

पिछले तीन साल देश में एलपीजी सिलेंडर की कीमत दोगुनी हो गई है। लोग लंबे समय से घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत में राहत का इंतजार कर रहे हैं। पिछले तीन साल में एलपीजी सिलेंडर की कीमत में भारी इजाफा हुआ है। एक नवंबर को इसकी कीमत 594 रुपये थी। दो दिसंबर, 2020 को इसे बढ़ाकर 644 रुपये किया गया था। फिर 15 दिसंबर, 2020 को यह कीमत 694 रुपये हो गई। फरवरी, 2021 में तीन बार इसकी कीमत बढ़ाई गई और यह 794 रुपये का हो गया था। एक अप्रैल को इसमें दस रुपये की कटौती की गई और इसकी कीमत 809 रुपये रह गई। लेकिन एक जुलाई 2021 को इसे बढ़ाकर 834 रुपये कर दिया गया। फिर 17 अगस्त, 2021 को इसकी कीमत 859.50 रुपये कर दी गई। एक सितंबर, 2021 को फिर इसमें इजाफा हुआ और 14.2 किलो का सिलेंडर दिल्ली में 884.50 रुपये का हो गया। छह अक्टूबर, 2021 को इसकी कीमत बढ़कर 899.50 रुपये हो गया। फिर 22 मार्च, 2022 को 949.50 रुपये का हो गया। सात मई, 2022 को फिर इसमें 50 रुपये की बढ़ोतरी हुई और यह 999.50 रुपये को हो गया। 19 मई, 2022 को इसकी कीमत में 3.50 रुपये की बढ़ोतरी हुई और इसकी कीमत 1003 रुपये हो गई। इसके बाद मार्च, 2023 में इसमें फिर 50 रुपये का इजाफा किया गया और इसकी कीमत 1103 रुपये पहुंच गई। तबसे इसकी कीमत में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

चीन के नए नक्शे पर भड़के संजय राउत, कहा- राहुल गांधी सच बोल रहे हैं, हिम्मत है तो चीन पर सर्जिकल स्ट्राइक करिए

#sanjay_raut_told_rahul_gandhi_was_right_on_china_illegal_occupation

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चीन ने आधिकारिक तौर पर अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चीन क्षेत्र को अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप दिखाया है। चीन ने इसका एक मानक मानचित्र का नवीनतम संस्करण जारी किया है। चीन के इस मैप के सामने आने के बाद भारत में सियासत शुरू हो गई है।शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने इसे लेकर सरकार पर निशाना साधा है। संजय राउत ने कहा कि राहुल गांधी का लद्दाख पर दावा सही है और केंद्र सरकार में अगर हिम्मत है तो उसे चीन पर सर्जिकल स्ट्राइक कर देनी चाहिए।

अगले महीने चीन के राष्ट्रपति जी-20 की बैठक के लिए नई दिल्ली आने वाले हैं। इससे पहले चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चीन के इलाके को अपने ऑफिसियल नक्शे में दिखाया है। चीन की ऐसी हरकत से भारत के राजनीतिक गलियारे में सवाल उठने लगे हैं।इस पर शिवसेना(उद्धव ठाकरे गुट) के नेता संजय राउत ने बयान देते हुए कहा, प्रधानमंत्री को इस मामले को देखना चाहिए। हाल ही में वे ब्रिक्स सम्मेलन में गए थे और चीन के राष्ट्रपति से मिले थे और अब ये मैप सामने आया है। इसलिए उनसे (प्रधानमंत्री) सवाल पूछे जाने चाहिए। इससे हमें दुख पहुंचता है। 

हिम्मत है तो चीन में सर्जिकल स्ट्राइक कीजिए

संजय राउत ने आगे कहा कि राहुल गांधी ने कहा था कि चीन लद्दाख में दाखिल हो गया है, वह सच हुआ। चीन अरुणाचल प्रदेश में घुसने की कोशिश कर रहा है।संजय राउत ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कहा कि अगर आपमें हिम्मत है तो चीन में सर्जिकल स्ट्राइक कीजिए।

चीन ने दिखाया नया नक्शा

बता दें कि चीन ने 28 अगस्त को नया नक्शा जारी किया है। जिसमें अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताया गया है। चीन के नक्शे में अक्साई चिन का इलाका भी शामिल किया गया है। अक्साई चिन पर चीन ने साल 1962 में कब्जा कर लिया था। साथ ही इस नक्शे में ताइवान और दक्षिणी चीन सागर को भी चीन की सीमा का हिस्सा दिखाया गया है। इस नक्शे को चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है। यह नक्शा सर्वेइंग एंड मैपिंग पब्लिसीटी डे और नेशनल मैपिग अवेयरनेस पब्लिसिटी वीक के मौके पर जारी किया गया है। 

क्या कहा था राहुल गांधी ने?

इस महीने की शुरुआत में, लद्दाख की अपनी यात्रा के दौरान, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने केंद्र पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि यह दावा कि भारतीय भूमि का एक इंच भी चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों ने नहीं लिया सच नहीं है। कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि स्थानीय लोगों का भी कहना है कि चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की और उस पर कब्जा कर लिया।राहुल गांधी ने कहा था, 'यहां के स्थानीय लोग चीन द्वारा हमारी जमीन पर कब्जा करने को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा है कि चीनी सैनिकों ने उनकी चराई की जमीन छीन ली। हालांकि, प्रधानमंत्री का कहना है कि एक इंच भी जमीन नहीं ली गई। यह सच नहीं है, आप यहां किसी से भी पूछ सकते हैं।'

इमरान खान आएंगे जेल से बाहर, तोशाखाना मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने सजा पर लगाई रोक, रिहाई के आदेश

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जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को बड़ी राहत मिली है। तोशखाना भ्रष्टाचार के मामले में इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उनकी सजा पर रोक लगा दी है। पाकिस्तानी के इस्लामाबाद हाई कोर्ट में इमरान खान के पक्ष में मंगलवार फैसला सुनाया और रिहाई के आदेश दे दिए हैं। इमरान खान पर आरोप था कि उन्होंने सस्ते दामों में सरकारी गिफ्ट को खरीदा था और उसके बाद उन्ही गिफ्ट का महंगे दामों में बेच दिया था।

5 अगस्त को इस्लामाबाद की एक ट्रायल कोर्ट ने पाकिस्तान चुनाव आयोग की तरफ से दायर मामले में पूर्व प्रधानमंत्री को दोषी ठहराया था, जिसमें राज्य के उपहारों का विवरण छिपाना शामिल था। इस मामले में उन्हें तीन साल की जेल हुई थी। इसके साथ ही उनके पांच साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी गई थी। पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' के मुताबिक, इसके बाद इमरान खान ने अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की। उन्होंने मामले को वापस ट्रायल कोर्ट के जज के पास भेजने के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था।

इससे पहले इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने इमरान खान की उस याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में अपनी तीन साल की जेल की सजा को निलंबित करने की मांग की थी। आईएचसी के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी की खंडपीठ ने दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। 

इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने अभी सिर्फ रिहाई का आदेश दिया है, जल्द ही विस्तृत आदेश जारी किया जाएगा जिसमें यह पता लगेगा कि क्या इमरान खान पब्लिक रैली कर सकते हैं और क्या वह आगे जाकर चुनाव लड़ सकते हैं या नहीं।

दरअसल, इमरान खान पर आरोप था कि प्रधानमंत्री रहते हुए उन्हें जो गिफ्ट मिले थे उसकी जानकारी उन्होंने तोशाखाना विभाग को नहीं दी थी। इतना ही नहीं उन्होंने कई तोहफों की बोली लगा दी और पैसा अपने पास रखा।पाकिस्तान में नियम है कि प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए अगर आपको कोई तोहफा मिलता है, तो उसे तोशाखाना विभाग में जमा कराना होता है क्योंकि वह सरकार की संपत्ति होती है। साल 2022 में जब पाकिस्तान में सरकार बदली तब इमरान के खिलाफ इस मामले का खुलासा हुआ और केस चलाया गया।

केएल राहुल एशिया कप के पहले 2 मैचों से बाहर, कोच राहुल द्रविड़ ने दी जानकारी

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एशिया कप 2023 की शुरुआत होने में 24 घंटे का समय बाकी है। उससे पहले ही टीम इंडिया को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, टीम के विकेटकीपर-बल्लेबाज केएल राहुल पहले दो मैचों से बाहर हो गए हैं।भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच राहुल द्रविड़ ने वनडे एशिया कप की शुरुआत से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये जानकारी दी। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने इसको लेकर एक्स (ट्विटर) पर एक पोस्ट भी शेयर की है।

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हेड कोच राहुल द्रविड़ ने मीडिया से बातचीत में बताया कि केएल राहुल की फिटनेस पर काम किया जा रहा है लेकिन वो एशिया कप के पहले दो मैचों में नहीं खेल पाएंगे। बता दें भारत का पहला मैच पाकिस्तान से 2 सितंबर को है। वहीं नेपाल के खिलाफ टीम इंडिया 4 सितंबर को भिड़ेगी। इन दोनों ही मुकाबलों में केएल राहुल नहीं खेलेंगे।

बता दें केएल राहुल आईपीएल 2023 के दौरान चोटिल हो गए थे। उनकी जांघ में चोट लगी थी। एनसीए में उन्होंने अपनी फिटनेस पर काफी काम किया लेकिन एशिया कप के लिए जब टीम चुनी जा रही थी तो उनकी मांसपेशियों में फिर खिंचाव आया। हालांकि, भारतीय टीम का जो स्क्वॉड घोषित हुआ था उसमें लंबी इंजरी के बाद केएल राहुल और श्रेयस अय्यर की वापसी हुई थी। इन दोनों खिलाड़ियों की वापसी के बाद टीम इंडिया के फैंस को कुछ हद तक राहत आई थी। पर अब इस खबर ने एक बार फिर फैंस की चिंता को बढ़ा दिया है। खास बात यह है कि 5 सितंबर तक वर्ल्ड कप का भी स्क्वॉड जारी होना है। उससे पहले यह दो मैच ही टीम के खिलाड़ियों को परखने के लिए थे। पर अब राहुल की इंजरी के बाद उनके वर्ल्ड कप के सेलेक्शन पर भी सवाल उठने लगे हैं। वहीं कोच ने श्रेयस अय्यर को पूरी तरह फिट करार दिया है।

इस मानसून आठ साल में सबसे कम बारिश की आंशका, अल नीनो के असर से सितंबर में कम वर्षा की संभावना रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

इस साल मानसून आठ साल में सबसे कमजोर साबित हो सकता है। मौसम के अल नीनो पैटर्न की वजह से सितंबर में भी ज्यादा बारिश नहीं होगी। वहीं, अगस्त पहले से ही सूखा महीना साबित होने की राह पर है। यह आशंका मौसम विभाग के सूत्रों ने जताई है।सूत्रों के अनुसार, अगस्त में अल नीनो की वजह से बारिश कम हुई है। सितंबर में भी इसका नकारात्मक असर हो सकता है। इस वजह से जून से सितंबर के मानसूनी समय में बारिश आठ फीसदी कम हो सकती है। 

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यह कमी साल 2015 के बाद सबसे अधिक होगी। मौसम विभाग 31 अगस्त को सितंबर के पूर्वानुमान जारी कर सकता है।दूसरी ओर इस वर्ष मानसूनी बारिश असमान भी रही। यह जून में सामान्य औसत से नौ फीसदी कम तो जुलाई में 13 फीसदी अधिक दर्ज हुई। 17 सितंबर से मानसून की वापसी शुरू हो जाती है। हालांकि, बीते चार साल से सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश हुई है, क्योंकि मानसून की वापसी देरी से हुई, लेकिन आशंका है कि इस बार इस महीने में पूर्वी और उत्तरी राज्यों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। उल्लेखनीय है कि मानसून के दौरान सालाना औसत की 70 फीसदी बारिश होती है। इसमें कमी से चीनी, दाल, चावल, सब्जियों आदि के दाम बढ़ सकते