*अभियान के दौरान फाइलेरियारोधी दवा का जरूर करें सेवन : सीएमओ डॉ. हरपाल सिंह*
सीके सिंह(रूपम)
सीतापुर। फाइलेरिया जिसे आम बोलचाल की भाषा में हाथी पांव भी कहा जाता है, लेकिन यह बीमारी किसी भी महिला और पुरुष के पैरों में होने के साथ ही हाथों में भी हो सकती है। इसके अलावा पुरुषों के अंडकोष में भी इसका प्रभाव होता है, जिसे हाइड्रोसील कहा जाता है लेकिन यदि किसी महिला के स्तन (ब्रेस्ट) में लगातार सूजन बढ़ रही है, तो यह यह फाइलेरिया का लक्षण हो सकता है। समय रहते अगर यदि सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान के दौरान फाइलेरियारोधी दवा का सेवन नहीं किया गया तो इसका कोई निदान नहीं है। यह बीमारी बढ़ने से मरीज अवसाद में जाने लगता है।
सीएमओ डॉ. हरपाल सिंह ने बताया कि फाइलेरिया रोग में अक्सर हाथ या पैर बहुत ही ज्यादा सूजन हो जाती है इसलिए इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं। यदि किसी महिला के स्तन में लगातार सूजन बनी रहती है तो यह भी फाइलेरिया रोग हो सकता है। उन्होंने बताया कि लोगों को फाइलेरिया से बचाने के लिए आगामी 10 अगस्त से 28 अगस्त तक चलेन वाले सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचने की दवा खिलाएंगे। ऐसे में हर कोई स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने ही दवा खाएं और अपने परिवार व आसपास के लोगों को भी यह दवा खाने को प्रेरित करें।
नोडल अधिकारी (वीबीडी) डॉ. राज शेखर ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवा का सेवन एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों को केवल एल्बेंडाजोल की आधी गोली ही खिलाई जाएगी। आइवरमेक्टिन की गोली ऊंचाई के अनुसार और एल्बेंडाजोल की गोली को चबाकर ही खाना है। लेकिन दवा खाली पेट नहीं खानी है। सीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव के लिए साल में एक बार और तीन साल तक लगातार फाइलेरिया रोधी दवा का खाना जरूरी है। यह दवा उन लोगों को भी खानी है, जिन्हें फाइलेरिया (हाथी पांव) नहीं है।
फाइलेरिया के लक्षण
जिला मलेरिया अधिकारी मंजूषा गुप्ता ने बताया कि फाइलेरि या मच्छरों के काटने के बाद व्यक्ति को बहुत सामान्य लक्षण दिखते हैं। अचानक बुखार आना (आमतौर पर बुखार 2-3 दिन में ठीक हो जाता है), हाथ-पैरों में खुजली होना, एलर्जी और त्वचा की समस्या, स्नोफीलिया, हाथों में सूजन, पैरों में सूजन के कारण पैर का बहुत मोटा हो जाना, पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन होना, पुरुषों के अंडकोष व महिलाओं के स्तन में सूजन आना फाइलेरिया के लक्षण हैं। उन्होंने बताया कि यह लाइलाज बीमारी है, एक बार बीमारी हो जाने पर जिंदगी भर इसके साथ ही जीना पड़ता है। इसलिए फाइलेरिया के रोगी को हमें मानसिक सांत्वना देने की जरूरत है।
साइड इफेक्ट्स ने घबराएं
सूक्ष्मजीव विज्ञानी (माइक्रो बायोलॉजिस्ट) डॉ. आरके श्रीवास्तव ने बताया कि आईडीए अभियान के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करवाएंगे। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।
ऐसे करें बचाव
फाइलेरिया से बचाव के लिए मच्छरों से बचना जरूरी है और मच्छरों से बचाव के लिए घर के आस-पास पानी, कूड़ा और गंदगी जमा न होने दें। घर में भी कूलर, गमलों अथवा अन्य चीजों में पानी न जमा होने दें। सोते समय पूरी बांह के कपड़े पहने और मच्छरदानी का प्रयोग करें। यदि किसी को फाइलेरिया के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराएं नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पूरा उपचार उपलब्ध है। विभाग स्तर पर मरीज का पूरा उपचार होता है। इसलिए लक्षण नजर आते ही सीधे सरकारी अस्पताल जाएं।
Jul 31 2023, 17:19