दिल्ली: संसद में दिल्ली सरकार के अधिकार को लेकर विधयेक पेश होने के दौरान विपक्ष देगी सरकार को कड़ी चुनौती,विपक्ष बना रही है इसको लेकर रणनीति
(दिल्ली एनसीआर डेस्क)
दिल्ली से जुड़े विधेयक पर संसद में सरकार को कड़ी चुनौती देने की तैयारी में विपक्ष है।कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन के सभी दलों का यह प्रयास है कि इस विधेयक पर चर्चा और मतदान के दौरान सदन में उनके सदस्यों की उपस्थिति 100 फीसदी रहे। विपक्षी सूत्रों का कहना है कि उच्च सदन में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2023 पर मतदान हो सकता है।
इसके लिए विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के घटक दल अपने- अपने सांसदों को व्हिप जारी करने से लेकर अस्वस्थ नेताओं के लिए एम्बुलेंस तक की व्यवस्था करने का निर्णय लिया है ताकि
अगले सप्ताह दिल्ली से संबंधित अध्यादेश के स्थान पर संसद में लाए जाने वाले विधेयक पर चर्चा और मतदान के दौरान सत्तापक्ष को कड़ी चुनौती दी जा सके।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के व्हीलचेयर पर सदन में आने की संभावना
विपक्ष से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा में इस विधेयक के पेश किए जाने के दौरान 90 वर्षिय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के व्हीलचेयर पर सदन में आने की संभावना है, जबकि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन (79) भी संसद की कार्यवाही में शामिल हो सकते हैं।
मनमोहन सिंह और सोरेन लंबे समय से अस्वस्थ हैं। सूत्रों ने कहा कि जद (यू) सांसद 75 वर्षीय बशिष्ठ नारायण सिंह के भी एम्बुलेंस में संसद पहुंचने की संभावना है।
दिल्ली में तबादले और नियुक्ति को लेकर अध्यदेश का मामला
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में तबादलों और नियुक्तियों संबंधी मामलों में निर्णय की शक्तियां दिल्ली सरकार को प्रदत्त की थीं और शीर्ष अदालत के इसी आदेश को निरस्त कराने के लिए दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर केंद्र द्वारा जारी अध्यादेश की जगह लेने के लिए यह विधेयक लाया जा रहा है।
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और सदन में पार्टी के नेता डेरेक ओब्रायन और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सदन के नेता पीयूष गोयल से बात की और उनसे यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि सरकार यह विधेयक लाने से पहले सदस्यों को पहले से सूचित कर दे।
अध्यादेश एक गंभीर मुद्दा
उनका कहना था कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 में विपक्षी दलों को इस पर अपना रुख तैयार करने का समय दिए बिना लाया गया था। कांग्रेस और जनता दल (यूनाइटेड) ने पहले ही अपने-अपने सदस्यों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया है। ओब्रायन और कुछ अन्य विपक्षी नेताओं ने पहले ही राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखा है कि अध्यादेश एक गंभीर मुद्दा है और उनसे अनुरोध किया है कि वे उन्हें विधेयक के बारे में पहले से बताएं।
डेरेक ओ’ब्रयान के साथ हुई नोकझोंक
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ब्रयान के साथ हुई नोकझोंक के बाद शुक्रवार को उच्च सदन की कार्यवाही 11 बजकर 27 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के बाद सभापति ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विनय तेंदुलकर सदन से सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
इसके बाद सभापति ने कहा कि उन्हें मणिपुर की स्थिति पर नियम 267 के तहत चर्चा कराने की मांग को लेकर 47 नोटिस मिले हैं। नोटिस देने वालों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्य थे। धनखड़ ने कहा कि वह पहले ही सदन को इस बात से अवगत करा चुके हैं कि उन्होंने 20 जुलाई को मणिपुर के मुद्दे पर नियम 176 के तहत मिले नोटिस स्वीकार कर लिए हैं और सरकार भी इसके लिए हामी भर चुकी है।
उन्होंने सदन से अपील की कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करें क्योंकि रोज हो रहे हंगामे से गलत संदेश जा रहा है। सभापति ने कहा कि पिछला सत्र हो या उसके पहले का सत्र, हर दिन नियम 267 के तहत कई सारे नोटिस दिए जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यदि परंपरा को देखूं तो पिछले 23 सालों में कितने ऐसे नोटिस स्वीकार किए गए हैं, इससे सदन पूरी तरह परिचित है। इसके परिणामों के बारे में सोचिए। पूरा देश प्रश्न काल की तरफ देखता है। प्रश्न काल संसदीय कार्य का दिल है। ’
Jul 29 2023, 14:30