*पंडित मुकुंदे लाल त्रिवेदी ने प्रभु श्री राम की बाल लीला का सुंदर चित्रण किया*
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कमलेश मेहरोत्रा लहरपुर (सीतापुर)। नगर के छन्नूलाल द्वारका प्रसाद मंदिर प्रांगण में चल रही श्री राम कथा में कथा वाचक पंडित मुकुंदे लाल त्रिवेदी ने प्रभु श्री राम की बाल लीला का सुंदर चित्रण किया और कहा कि जब प्रभु श्रीराम दशरथ नंदन के रूप में अवतरित हुए तो अयोध्या के जन-जन में नूतन उत्साह छा गया और अयोध्यापुरी मैं हर्ष उल्लास छा गया।
श्रीरामलला के दर्शन के लिए भोले भंडारी सहित विभिन्न देवता अयोध्या धाम पहुंचे कथा व्यास ने कहा कि ब्रह्मा आदि देवता तो भगवान का दर्शन. स्तुति कर वापस लौट गए, किंतु शंकर जी का मन अपने आराध्य श्रीराम की शिशु क्रीड़ा की झांकी में ऐसा उलझा कि वे अवध की गलियों में विविध वेष बनाकर घूमने लगे, कभी वे राजा दशरथ के राजद्वार पर प्रभु-गुन गाने वाले गायक के रूप में, तो कभी भिक्षा मांगने वाले साधु के रूप में तो कभी भगवान के अवतारों की कथा सुनाने के बहाने प्रकांड विद्वान बनकर राजमहल में पहुंच जाते।
वे कागभुशुंडि के साथ बहुत समय तक अयोध्या की गलियों में घूम-घूमकर आनंद उठाते रहे। एक दिन शंकर जी कागभुशुंडि को बालक बनाकर और स्वयं त्रिकालदर्शी वृद्ध ज्योतिषी का वेष धारणकर शिशुओं का फलादेश बताने के बहाने अयोध्या के निवास में प्रवेश कर गए। माता कौशल्या ने जैसे ही शिशु श्रीराम को ज्योतिषी की गोद में बिठाया तो शंकरजी का रोम-रोम पुलकित हो उठा वे बालक का हाथ देखने के बहाने कभी उनके कोमल कर कमलों को सहलाते तो कभी अपनी जटाओं से उनके तलवों को थपथपाते देवताओं के लिए भी दुर्लभ उन चरण कमलों का दर्शन कर परमानंद में निमग्न हो गये। श्रीराम कथा का रसपान करने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।






Jul 27 2023, 19:03
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