स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त की पुण्यतिथि पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना सभा का किया आयो
बेतिया : सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में भारत की स्वाधीनता संग्राम के महानायक स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त के पुण्यतिथि एवं अमृत महोत्सव पर एक सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया।
इस अवसर पर ब्रांड एंबेसडर स्वच्छ भारत मिशन सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद अधिवक्ता एवं डॉ0 सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली,डॉ अमित कुमार लोहिया , सामाजिक कार्यकर्ता नवीदू चतुर्वेदी, पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट की निदेशक एस सबा डॉ अमानुल हक, डॉ महबूब उर रहमान एवं अल बयान के संपादक डॉ सलाम ने संयुक्त रूप से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 20 जुलाई 1965 को भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त का निधन हुआ था ,उनका सारा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित रहा।
दत्त को 1929 में सेंट्रल असेंबली बम मामले में भगत सिंह के साथ गिरफ्तार किया गया था। जबकि भगत सिंह को अंग्रेजों द्वारा मौत की सजा दी गई थी, दत्त को आजीवन कारावास की सजा अंग्रेजों द्वारा दी गई थी । उन्हें अंडमान सेलुलर जेल भेज दिया गया था। बाद में, उन्हें हजारीबाग जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। वहां से दिल्ली और फिर बांकीपुर पटना जेलों में रहे।
इस अवसर पर डॉ0 एजाज अहमद ,डॉ0 सुरेश कुमार अग्रवाल, डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया ने संयुक्त रूप से कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में से एक, जिनका संबंध पश्चिम बंगाल एवं बिहार दोनों के साथ थे। काकोरी कांड के बाद राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन को धारदार बनाने एवं मजबूती प्रदान करने के लिए चंद्रशेखर आजाद एवं भगत सिंह के साथ विभिन्न अवसरों पर बेतिया पश्चिम चंपारण का दौरा किया था।
उनका जन्म बंगाल के बर्धमान में हुआ था, उन्होंने अपने बाद के वर्ष पटना, बिहार में बिताए।
वक्ताओं ने कहा कि एक स्वतंत्रता सेनानी और भगत सिंह के सहयोगी दत्त को समर्पित एक संग्रहालय 2015 में बर्धमान में विकसित किया गया था।
संग्रहालय ओनरी गांव में दत्त के पैतृक घर के करीब स्थित है जहां उनका जन्म 1910 में हुआ था। दत्त को भगत सिंह के साथ 1929 में सेंट्रल असेंबली बम मामले में गिरफ्तार किया गया था। जबकि भगत सिंह को मौत की सजा दी गई थी, दत्त को उम्रकैद की सजा दी गई थी। अंडमान सेलुलर जेल भेज दिया गया था।
1938 में, उन्हें इस शर्त पर स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण रिहा कर दिया गया कि वे किसी भी राजनीतिक आंदोलन में भाग नहीं लेंगे। हालाँकि, दत्त महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए और उन्हें फिर से जेल में डाल दिया गया। आखिरकार उन्हें रिहा कर दिया गया जब देश को आजादी मिली। 20 जुलाई 1965 को स्वतंत्रता सेनानी का निधन हो गया।
उनकी बेटी सह पटना विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक प्रोफेसर भारती बागची पटना के जक्कनपुर इलाके में उसी मकान में रहती हैं, जहां पर महान स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त ने अंतिम सांस ली थी।
वक्ताओं ने कहा कि देश की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव के अवसर पर बेतिया पश्चिम चंपारण में महान स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त के सम्मान में एक राष्ट्रीय संग्रहालय एवं एक विश्वविद्यालय स्थापित किया जाए जिसका सपना बरसों पहले महात्मा गांधी, अमर शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था।
Jul 22 2023, 21:01