डॉ नेल्सन मंडेला के जन्मदिवस पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा लगाए गए पेड़ पौधे।

स्वच्छता, जल संरक्षण ,पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन की रोकथाम पर विस्तृत रूप से हुई परिचर्चा।
आज दिनांक 18 जुलाई 2023 को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता भारत रत्न दक्षिण अफ्रीका के गांधी डॉ नेल्सन मंडेला के जन्मदिवस पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।विश्व भर में अश्वेतों की स्वतंत्रता एवं नागरिक अधिकारों के प्रतीक भारत रत्न डॉ. नेल्सन मंडेला दिवस पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ. एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ. सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ. शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया, मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट की निदेशक एस सबा डॉ अमानुल हक , सामाजिक कार्यकर्ता नविदु चतुवेर्दी, पश्चिमी चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन, ने संयुक्त रूप से दक्षिण अफ्रीका के गांधी भारत डॉ. मंडेला को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हर साल डॉ. नेल्सन के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए कार्यों को मान्यता दी जाती है। विश्व शांति एवं दुनिया भर में मानवता के दुत डॉ मंडेला के जन्मदिन को अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा पेड़-पौधे लगाए गए। साथ ही डॉ नेल्सन मंडेला द्वारा पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए किये गए योगदान पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया।दक्षिण अफ्रीका के गांधी भारत रत्न
डॉ. नेल्सन मंडेला ने गांधीवादी विचारों से प्रेरणा लेकर रंगभेद के खिलाफ अपना संघर्ष शुरू किया एवं दक्षिण अफ्रीका के दूसरे गांधी बने। डॉ. नेल्सन मंडेला ने अन्याय के विरुद्ध क्रोध एवं हिंसा को रचनात्मक रूप दिया। महात्मा गांधी ने सत्याग्रह एवं अहिंसा का एक मजबूत मार्ग खोजा। इससे अफ़्रीका के स्वतंत्रता आंदोलन के साथ-साथ लोगों के मन में व्यक्तिगत रूप से सत्याग्रह एवं अहिंसक धाराओं का जन्म हुआ।
मौके पर वक्ताओं ने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि अगर किसी दिन कोई अश्वेत नेता उनके सिद्धांतों को आगे बढ़ाये तो उन्हें आश्चर्य नहीं होगा. वहीं डॉ अमानुल हक एवं डॉ. शाहनवाज अली ने कहा कि पुराने दर्शन को अपनाने के आयाम बदलते रहते हैं। सत्याग्रह के विशेषज्ञ डॉक्टर अमानुल हक एवं डॉ. शाहनवाज अली के शब्दों में, "किसी के सिद्धांतों का उपयोग करने का संदर्भ बदलता रहता है। जब वे उपनिवेशवाद से लड़ रहे थे, तब भी लोग जागने की कोशिश कर रहे थे और तब भी जब उन्हें अपने संघर्ष के लिए वैश्विक समर्थन की आवश्यकता थी। गांधी बहुत प्रासंगिक थे।"
दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपिता नेल्सन मंडेला, जिन्होंने 1964 से 1990 तक रंगभेद एवं अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ाई के कारण 27 साल जेल में बिताए, ने उस समय सत्याग्रह, अहिंसा एवं आपसी प्रेम का मार्ग अपनाया। जब दुनिया हिरोशिमा एवं नागासाकी के बाद. पश्चिम एशिया युद्ध एवं हिंसा में डूबा हुआ था। नेल्सन मंडेला ने जोहान्सबर्ग में माइन गार्ड के रूप में काम करना शुरू किया और यहीं से प्रेस की स्वतंत्रता और रंगभेद के खिलाफ उनकी लड़ाई शुरू हुई।
अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ. एजाज अहमद अधिवक्ता , डॉ महबूब उर रहमान एवं डॉ. सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने संयुक्त रूप से कहा कि उनका मानना है कि महात्मा गांधी की सत्याग्रह, अहिंसा और असहयोग की विचारधारा ने मंडेला पर गहरा प्रभाव डाला । वे कहते हैं, "जो लोग राजनीति में अहिंसा का प्रयोग करना चाहते हैं उन्हें इसे अपने जीवन में भी अपनाने की जरूरत है। गांधी की अहिंसा और असहयोग की नीति वैश्विक है और देश या समय सीमा से बंधी नहीं है। असहयोग की शुरुआत कहां से हुई?" बस सहयोग नहीं कर रहे लेकिन जल्द ही उन्हें समझ आ गया कि वे चुपचाप बैठकर कुछ नहीं कर सकते।
31 जनवरी 2004 को नई दिल्ली में शांति और अहिंसा पर वैश्विक सम्मेलन में नेल्सन मंडेला ने कहा कि शांति का मतलब सिर्फ संघर्ष का अंत नहीं है।मार्टिन लूथर किंग जूनियर, तंजानिया के जूलियस न्येरेरे , जाम्बिया के केनेथ कौंडा , बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीब उर रहमान फिलिस्तीनी मुक्ति मोर्चा के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता यासिर अराफात तिब्बत के आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा एवं मदर टेरेसा की तरह, भारत रत्न दक्षिण अफ्रीका के गांधी डॉ नेल्सन मंडेला ने सत्याग्रह के विचारों को अपनाया था।
Jul 20 2023, 09:24