बड़ी राहत, इलेक्ट्रॉनिक आइटम खरीदने जा रहे हैं तो पढ़ लें यह खबर, केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम की खरीद पर घटाया GST

अगर आप भी कोई इलेक्ट्रॉनिक आइटम खरीदने का मन बना रहे हैं, तो यह खबर पढ़ लीजिए। दरअसल, आज से स्मार्टफोन, टीवी, फ्रिज या वाशिंग मशीन जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद सस्ते हो गए हैं। केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम की खरीद पर GST घटा दिया है। अब लोगों को इन वस्तुओं को खरीदने के लिए 31.3 फीसदी GST नहीं चुकाना होगा। सरकार ने इन सभी उत्पादों पर GST को तक़रीबन आधा कर दिया है। 

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केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स, जैसे वॉशिंग मशीन, मोबाइल फोन, रेफ्रिजरेटर, होम एप्लायंसेज, UPS और अन्य पर GST कम करते हुए आम लोगों को बड़ी राहत दी है। बता दें कि, अभी तक इन सभी चीजों पर 31.3 फीसदी तक GST वसूला जा रहा था। मगर अब इसे घटाकर 12 से 18 फीसद तक कर दिया गया है। वित्त मंत्रालय ने होम एप्लायंसेज और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स पर घटाए गए GST की जानकारी ट्विटर के जरिए दी है। इससे ये डिवाइस आम जनता के लिए अधिक किफायती हो जाएंगे। ट्विटर पर उन सभी चीजों की सूची भी दी गई है, जो नए GST रेट के कारण सस्ती हो जाएंगी।

भारत सरकार ने 27 इंच या उससे कम स्क्रीन साइज वाले TV पर GST 31.3 फीसद से घटाते हुए 18 फीसद कर दिया है। सरकार ने मोबाइल फोन पर GST घटा दिया है, जिससे अब मोबाइल खरीदने के लिए कम दाम चुकाने होंगे। इससे पहले उपभोक्ता को मोबाइल फोन खरीदते वक़्त 31.3 फीसद GST चुकाना होता था, जो अब घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे मोबाइल फोन कंपनियां अपने फोन की कीमत में कटौती कर पाएंगी।

वहीं, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे घरेलू उपकरणों के साथ ही पंखे, कूलर, गीजर आदि भी सस्ते होंगे। इन घरेलू उपकरणों पर GST 31.3 प्रतिशत से घटाकर 18 फीसद किया गया है, यानी कीमत में 12 फीसद तक कटौती होगी। अन्य घरेलू उपकरण जैसे मिक्सर, जूसर, वैक्यूम क्लीनर, LED, वैक्यूम फ्लास्क और वैक्यूम बर्तनों पर भी GST घटाया गया है। मिक्सर, जूसर आदि पर GST 31.3 फीसद से घटकर 18 फीसद हो गया है, जबकि LED पर जीएसटी 15 फीसद से घटकर 12 फीसद कर दिया गया है।

 

इसके साथ ही घरेलु उत्पादों पर भी GST घटाकर आम जनता को राहत दी गई है। डिटर्जेंट, कास्मेटिक, परफ्यूम्स, हर तरह की पोलिश आदि पर जो पहले 28 फीसद GST लगता था, उसे अब 18 फीसद कर दिया गया है। वहीं, टूथ पाउडर, हेयर आयल, साबुन, फुटवेयर, मूवी टिकट आदि पर भी GST घटाया गया है , जिसकी पूरी सूची आप ऊपर देख सकते हैं।

फ्रांस में बेकाबू होते जा रहे हालात, चौथे दिन भी जारी रही हिंसा, हजार के करीब लोग गिरफ्तारी, 45000 जवान तैनात

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फ्रांस की राजधानी पेरिस समेत पूरा देश पिछले 3 दिनों से खतरनाक हिंसा की चपेट में है। 17 साल के युवक नाहेल की मौत के बाद फ्रांस, पिछले एक दशक का सबसे भयानक दंगे की आग में धधक रहा है।मंगलवार को पेरिस के पास ट्रैफिक चेकिंग के दौरान पुलिस ने गोली मारकर एक किशोर की हत्या कर दी थी। इसके बाद पूरे देश में दंगा भड़क गया।हिंसक विरोध प्रदर्शन की लगातार चौथी रात प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए फ्रांस ने शुक्रवार को हल्के बख्तरबंद वाहनों के साथ 45,000 अधिकारियों को तैनात किया। बताया जा रहा है कि इस हिंसक विरोध प्रदर्शन में 200 से ज्यादा पुलिस अफसर घायल हो चुके हैं, वहीं हजार के करीब प्रदर्शनकारी गिरफ्तार हुए हैं। 

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देश में इमरजेंसी जैसे हालात

नेनटेरे क्षेत्र में 17 वर्षीय मृतक किशोर नाहेल के सम्मान में एक शांति मार्च निकालने के दौरान टकराव बढ़ गया। यह तनाव पूरे फ्रांस में कई जगहों पर दिखाई दिया। पेरिस सहित कई शहरों में हालात बेकाबू हो चुके हैं। हजारों की तादाद में प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं। कई इमारतों में आग लगा दी गई। गाड़ियां फूक दी गई हैं।देश में इमरजेंसी जैसे हालात हो गए हैं। अगर स्थिति नहीं सुधरी तो आपातकाल घोषित कर दिया जाएगा। कहा जा रहा है कि फ्रांस में हालात 2005 के दंगों से भी ज्यादा खराब हो सकते हैं।

पेरिस बीते 72 घंटों से सुलग रही है

मंगलवार को पेरिस से शुरू हुआ ये प्रदर्शन अब पूरे देश में फैल चुका है। स्थिति अब आउट ऑफ कंट्रोल हो रही है। हालात ये है कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थानों तक को फूंक डाला। कई गाड़ियों में आग लगा दी। पेरिस के ज्यादातर इलाकों को आग के हवाले कर दिया गया है। फ्रांस की राजधानी पेरिस बीते 72 घंटों से सुलग रही है। पुलिस हालातों पर काबू करने की कोशिश कर रही है पर स्थिति जस की तस बनी हुई है।

बच्चों को घर पर रखने की सलाह

इस बीच फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शुक्रवार को माता-पिता से किशोरों को घर पर रखने का आग्रह किया और पूरे फ्रांस में फैल रहे दंगों को रोकने के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा। वरिष्ठ मंत्रियों के साथ दूसरी आपात बैठक के बाद, मैक्रों ने कहा कि 'स्नैपचैट' और 'टिकटॉक' जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने इस हफ्ते हिंसा की गतिविधियों को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार 'सबसे संवेदनशील सामग्री को हटाने' के लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों के साथ काम करेगी।

मध्यप्रदेश से अाई चौंकाने वाली खबर, बाघ का सिर काटकर ले गए शिकारी, जलाशय के समीप मिला सिर रहित बाघ का सड़ा-गला शव, मचा हड़कंप

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मध्य प्रदेश से एक चौंकाने वाली घटना सामने अा रही है। मिली जानकारी के अनुसार सतपुड़ा बाघ अभयारण्य के कोर क्षेत्र में एक वयस्क बाघ को शिकारियों ने मार दिया तथा उसका सिर ले गए। मीडिया को शुक्रवार को यह खबर एक अफसर ने दी थी। सतपुड़ा बाघ अभयारण्य के क्षेत्र संचालक एल कृष्णमूर्ति ने एक मीडिया समूह को बताया कि सोमवार को सतपुड़ा बाघ अभयारण्य के कोर क्षेत्र में एक जलाशय के समीप एक सिर रहित बाघ का सड़ा-गला शव मिला।

अफसर ने कहा, 'निश्चित तौर पर यह अवैध शिकार का मामला है। हमने इस बाघ के सिर की तलाश की, मगर वह नहीं मिला। परिस्थितिजन्य साक्ष्य बताते हैं कि इसे जहर नहीं दिया गया था। तालाब में जहां बाघ पाया गया था, हमने उस स्थान के पानी के सैंपल को जांच के लिए भेजा है।' उन्होंने कहा कि बाघ के शरीर के अंगों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है तथा इस घटना की सभी कोणों से तहकीकात की जा रही है। वहीं, मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जेएस चौहान से जब कथित अंतरराष्ट्रीय शिकारी जय तमांग की संलिप्तता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह संसार चंद (एक कुख्यात शिकारी जिस पर सरिस्का में बाघों का सफाया करने का आरोप है) के पश्चात् बाघ के शरीर के अंगों का सबसे बड़ा तस्कर है। उन्होंने कहा, 'हमने तिब्बत के रहने वाले तमांग को इससे पहले (2015 में) पूर्वोत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया था। हमें तमांग के ठिकाने के बारे में खबर नहीं है क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करता रहता है।'

अफसरों ने बताया, 2016 में इंटरपोल की अंतरराष्ट्रीय अपराध पुलिस की पर्यावरण अपराध शाखा ने तमांग के खिलाफ 'रेड कॉर्नर' नोटिस जारी किया था, जबकि 2018 में मध्य प्रदेश वन विभाग ने सतपुड़ा बाघ अभयारण्य में रेडियो कॉलर वाले बाघ तथा मध्य प्रदेश में सैकड़ों पैंगोलिन के शिकार के सिलसिले में वांछित तमांग को पकड़ने के लिए नेपाल से सहायता मांगी थी। चौहान ने कहा कि उन्हें बाघ का शिकार करने के पीछे किसी बड़े गैंग का संदेह नहीं है। उन्होंने कहा, 'यदि शिकार के पीछे पेशेवर शिकारी होते तो वे बाघ के शरीर के सभी अंगों को (बिक्री के लिए) ले जाते। सिर्फ सिर ही क्यों ले जाते। ऐसा लगता है कि इस मामले का कोई स्थानीय संबंध है। मुझे अभी इसके पीछे कोई संगठित गिरोह नजर नहीं आता।' चौहान ने कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि बाघ के अंगों का इस्तेमाल जादू-टोना में करने से समृद्धता आती है। वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत में एक बाघ की निगरानी एवं संरक्षण में सालाना तकरीबन 5 लाख रुपये खर्च होते हैं।

तीस्ता सीतलवाड़ की मुश्किलें बढ़ी, गुजरात हाई कोर्ट तुरंत सरेंडर करने को कहा, जानें क्या है मामला

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गुजरात उच्च न्यायालय ने शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका खारिज करने के बाद उन्हें 'तुरंत आत्मसमर्पण' करने का निर्देश दिया है। बता दें कि 2002 के गुजरात दंगों में पीएम मोदी को क्लीन चिट मिलने के बाद के बाद सीतलवाड़ गलत तरीके से सबूत गढ़ने का मामला दर्ज हुआ था। इसमें आरोप था कि उन्होंने ऐसा पीएम मोदी को बदनाम करने और फंसाने के मकसद से किया। गुजरात पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद 25 जून, 2022 को अरेस्ट भी किया था।

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न्यायमूर्ति निर्जर देसाई की अदालत ने सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया क्योंकि वह अंतरिम जमानत हासिल करने के बाद पहले ही जेल से बाहर हैं। अदालत ने अपने आदेश में कहा, चूंकि आवेदक सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत पर बाहर है, इसलिए उसे तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जाता है। अदालत ने आदेश की घोषणा के बाद सीतलवाड़ के वकील द्वारा मांगी गई 30 दिनों की अवधि के लिए आदेश पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया।

पिछले साल मिली थी अंतरिम जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दो सितंबर को उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी और उनसे तब तक ट्रायल कोर्ट में अपना पासपोर्ट जमा करने को कहा था, जब तक गुजरात हाईकोर्ट उनकी नियमित जमानत याचिका पर फैसला नहीं कर देता। शीर्ष अदालत ने उनसे मामले की जांच में जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने को भी कहा था। सीतलवाड तीन सितंबर को जेल से बाहर आई थीं।

आईपीएस और पूर्व डीजीपी हैं सह-आरोपी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों में क्लीन चिट मिलने के बाद गुजरात पुलिस की अहमदाबाद डीसीबी ने गलत सबूत गढ़ने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई थी। तीस्ता के अलावा इस मामले में उनके साथ सस्पेंड किए गए आईपीएस संजीव भट्‌ट और राज्य के पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार भी हैं। इस मामले में यह दोनों भी सह आरोपी हैं।

तीस्ता पर क्या हैं आरोप?

तीस्ता सीतलवाड़ पर आरोप हैं कि उन्होंने गुजरात दंगों के बाद कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी के साथ मिलकर साजिश की और गलत सबूत से गलत केस दाखिल किए, ताकि उस वक्त के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (अब प्रधानमंत्री) को फंसाया जा सके। इतना ही नहीं तीस्ता पर आरोप है उन्होंने संस्पेंड किए गए आईपीएस और पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार की इसमें मदद ली थी।

20 जुलाई से शुरू हो रहा संसद का मानसून सत्र, समान नागरिक संहिता बिल पेश कर सकती है सरकार

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संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी।प्रल्हाद जोशी ने ट्वीट कर सभी पार्टियों से मानसून सत्र के दौरान उत्पादक बहस और विधायी कार्यों में समर्थन की अपील की है।

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प्रल्हाद जोशी की खास अपील

संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने ट्वीट कर लिखा, संसद का मानसून सत्र, 2023 आगामी 20 जुलाई से शुरू होकर 11 अगस्त तक चलेगा। 23 दिन तक चलने वाले इस सत्र में कुल 17 बैठकें होंगी। मैं सभी पार्टियों से सत्र के दौरान संसद के विधायी और अन्य काम-काज में रचनात्मक योगदान देने की अपील करता हूं।

पेश हो सकता है यूसीसी बिल

मानसून सत्र में मोदी सरकार समान नागरिक संहिता को लेकर बिल पेश कर सकती है। पीएम मोदी के हाल ही में यूसीसी को लेकर दिए बयान के बाद इसे लेकर अटकलें तेज हो गई है। 27 जून को पीएम मोदी ने भोपाल में कहा था कि जब घर में दो कानून होने से घर नहीं चल सकता, तो दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा? पीएम मोदी के बयान को यूसीसी के पक्ष में पिच तैयार करना माना जा रहा है।

इस सत्र में कई और बिल पारित होने की संभावना है। इनमें राष्ट्रीय वित्तीय सूचना रजिस्ट्री, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक दिवाला और दिवालियापन संहिता संशोधन बिल पेश हो सकते हैं।

सत्र के हंगामेदार होने की आशंका

खास बात यह है कि यह मानसून सत्र नए संसद भवन में चलेगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने 28 मई को नई संसद का उद्घाटन किया था। वहीं, इस बार भी मानसून सत्र में जमकर हंगामा होने की आशंका है।आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार के खिलाफ लाए अध्यादेश का जमकर विरोधी करेगी। इसके अलावा सामान नागरिक संहिता पर भी हंगामे के आसार हैं।

केंद्र सरकार का दांव, यूनिफॉर्म सिविल कोड पर एकमत नहीं विपक्षी दल, कई वरिष्ठ नेताओं ने कहा, सभी मुद्दों पर एक राय होना जरूरी तो नहीं

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एक तरफ केंद्र सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता लाने की तैयारी में जुटी हुई है। मोदी सरकार के इस कदम ने एकजुट होते विपक्ष के बीच दरार पैदा कर दी है। जहां, कुछ विपक्षी दल यूसीसी के विरोध में खड़े नजर आ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी और शिवसेना (यूबीटी) इसके पक्ष में आ गए हैं। हालांकि कुछ विपक्षी नेताओं को इस बात का भरोसा है कि यूसीसी 23 जून को पटना में मीटिंग के दौरान बनी उनकी एकजुटता पर असर नहीं डाल पाएगा।

सभी मुद्दों पर एक राय होना जरूरी तो नहीं

कांग्रेस और टीएमसी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि जरूरी नहीं कि किसी मुद्दे पर सभी 15 दलों की राय एक समान हो। अब मध्य जुलाई में बेंगलुरू में होने वाली विपक्ष की बैठक में नौकरी, आर्थिक संकट और विपक्षी दलों के शासन वाले प्रदेशों में केंद्र के हस्तक्षेप के आरोपों पर बात होगी। टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सभी 15 दल एक-दूसरे की फोटोकॉपी तो हैं नहीं। उन्होंने कहा कि सभी मुद्दों पर सभी दलों का सहमत न होना कोई बड़ी बात नहीं है। पटना में हुई बैठक के बाद दूसरी बैठक में हम सभी उन मुद्दों के साथ जाएंगे जिन पर हमारी सौ फीसदी सहमति है। आगे के रास्ते पर बड़े स्तर पर पूर्ण सहमति है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने कहा कि पटना में बैठक के दौरान 15 में से 14 दल कॉमन एजेंडे पर एकता को लेकर सहमत थे। इसके तहत तय हुआ था कि भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष की इस बैठक के दौरान हमने दिखाया था कि पार्टी विशेष के मुद्दों से हमें कैसे पार पाना है। अरविंद केजरीवाल दिल्ली ऑर्डिनेंस पर ही ध्यान दे रहे थे और कांग्रेस से सहयोग चाहते थे। लेकिन ममता बनर्जी और उमर अब्दुल्ला ने इस पर हस्तक्षेप किया। उमर अब्दुल्ला ने केजरीवाल को बताया कि इस बैठक में इससे भी बड़े मुद्दों पर चर्चा होनी है।

ध्यान भंग कर रही भाजपा

उधर डेरेक ओ ब्रायन का दावा है कि यूसीसी के जरिए भाजपा ध्यान भंग करना चाहती है। उन्होंने कहा कि जब आप नौकरियां नहीं दे पा रहे हैं, चीजों के दाम नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं। सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर रहे हैं। अपने वादों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो 2024 से पहले इस तरह का दांव खेल रहे हैं।

 यूसीसी कानूनों का एक कॉमन सेट होगा, जिसमें विभिन्न धर्मों और जनजातियों के प्रथागत कानून समाहित होंगे। साथ ही यह विवाह, तलाक, विरासत जैसे विभिन्न मुद्दों को नियंत्रित करेगा। संविधान में, यह राज्य के नीति के गैर-न्यायसंगत निर्देशक सिद्धांतों का एक हिस्सा है। वहीं, साल 2018 में विधि आयोग ने कहा था कि इस स्तर पर यूसीसी न तो जरूरी है और न ही इसकी इच्छा होनी चाहिए।

अमित शाह के आरोपों पर भड़के राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, कहा, झूठ बोल रहे शाह, हत्याकांड के आरोपी गोस मोहम्मद और रियाज अत्तारी बीजेपी का सक्रिय


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उदयपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कन्हैयालाल हत्याकांड पर गहलोत सरकार पर आरोप लगाए। वहीं सीएम अशोक गहलोत ने आरोपों का खंडन किया है। उदयपुर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जनसभा हुई। इस जनसभा में उदयपुर में 28 जून 2022 को हुई हत्याकांड मामले को लेकर एक बार फिर से राजनीति तेज हो गई है। जनसभा में अमित शाह ने कन्हैयालाल हत्याकांड को लेकर बयान दिया जिस पर सीएम गहलोत ने शाह पर पलटवार किया है। यही नहीं गहलोत ने अमित शाह की बात को झूठा बताया है। हत्याकांड के आरोपी गोस मोहम्मद और रियाज अत्तारी को बीजेपी का सक्रिय कार्यकर्ता बताया। 

अमित शाह ने यह कहा

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जनसभा में संबोधित करते हुए कन्हैयालाल हत्याकांड पर कहा कि गहलोत मुझे कहते हैं क्या किया कन्हैयालाल हत्याकांड में, आपको पहले शर्म आनी चाहिए। कन्हैयालाल को सुरक्षा किसने नहीं दी, मर गया तब तक किसकी पुलिस नहीं उठा। अरे वह तो गिरफ्तार भी नहीं करना चाह रहे थे, एनआईए ने पकड़ा। झूठ मत बोलो गहलोत चार्जशीट नहीं दी, डंके की चोट पर कहता हूं 22 दिसंबर 2022 को चार्जशीट हो गई है। स्पेशल कोर्ट बनाने का काम आपका है। हाईकोर्ट से बात कर स्पेशल कोर्ट बनानी थी, अब तक तो आरोपी फांसी पर लटका देना था। शर्म आनी चाहिए वोट बैंक की राजनीति करते हैं।

सीएम गहलोत का पलटवार

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर पलटवार करते हुए सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि यह उम्मीद की जाती है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर राजनीति नहीं करेंगे। परन्तु आज उदयपुर में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जो किया वह एक गैर जिम्मेदाराना कार्य है। अमित शाह द्वारा उदयपुर में झूठ बोला गया कि कन्हैयालाल के हत्यारों रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद को NIA ने पकड़ा।

जबकि सत्य यह है कि इन्हें घटना के महज चार घंटों में राजस्थान पुलिस पकड़ लिया था। यह दुखद घटना 28 जून 2022 को हुई थी जबकि NIA को इस केस की फाइल 2 जुलाई 2022 को ट्रांसफर हुई। अमित शाह को संभवत: जानकारी में होगा कि ये दोनों हत्यारे बीजेपी के सक्रिय कार्यकर्ता थे।

उन्हें ये जांच करवानी चाहिए कि इन दोनों के मददगार कौन बीजेपी नेता थे जो इनके लिए पुलिस थानों में फोन करते थे। एक ओपन एंड शट केस में चार्जशीट फाइल होने में भी इतना अधिक समय क्यों लगा और इन्हें अब तक सजा क्यों नहीं हुई?

हिंसा की आग में जल रहे फ्रांस में 'योगी मॉडल' की डिमांड, दंगे रोकने के लिए यूपी के सीएम को भेजने की अपील

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “मॉडल” की पूरे देश में चर्चा है। अब विदेशों में भी इसकी डिमांड होने लगी है।फ्रांस में भड़की हिंसा के बाद वहां के लोगों को अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मॉडल याद आने लगा है। फ्रांस के लोग भारत से मांग कर रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ फ्रांस में भेज दिया जाए, ताकि दंगों को शांत किया जा सके।

फ्रांस में लगातार चार दिनों से दंगे हो रहे हैं। फ्रांस के इन गंभीर हालात के बीच यूरोप के डॉक्टर और प्रोफेसर एन.जॉन कैम ने भारत से मांग की है कि वह फ्रांस में दंगों की स्थिति से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश के सीएम योगी को भेजे। उन्होंने ट्वीट करके कहा, 'भारत को फ़्रांस में दंगों की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए योगी आदित्यनाथ को अवश्य भेजना चाहिए वह 24 घंटे के भीतर सब ठीक कर देंगे।ये ट्वीट तेजी से वायरल हो रहा है और इसपर कई सारे लोग तरह-तरह के कमेंट भी कर रहे हैं।हालांकि इस ट्विटर अकाउंट की सत्याता की पुष्टि Street Buzz नहीं करता।

फ्रांस में इन दिनों हिंसा की चिंगारी धधक रही है।फ्रांस में प्रदर्शनकारी सड़कों को ब्लॉक कर रहे हैं, आगजनी कर रहे हैं और इतना ही नहीं पुलिसकर्मियों पर पटाखे भी फेंक रहे हैं। फ्रांस की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारें कीं। इतना ही नहीं, करीब 600 से अधिक लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है और प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प की घटनाओं में 200 पुलिस अधिकारी घायल हो गये।

राष्ट्रपति मैक्रों ने की लोगों से यह अपील

इस बीच फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शुक्रवार को माता-पिता से किशोरों को घर पर रखने का आग्रह किया और पूरे फ्रांस में फैल रहे दंगों को रोकने के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा।वरिष्ठ मंत्रियों के साथ दूसरी आपात बैठक के बाद, मैक्रों ने कहा कि ‘स्नैपचैट’ और ‘टिकटॉक’ जैसे सोशल मीडिया मंचों ने इस सप्ताह हिंसा की गतिविधियों को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ‘सबसे संवेदनशील सामग्री को हटाने’ के लिए प्रक्रिया स्थापित करने के लिए टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ काम करेगी।

आखिर क्यों जल रहा फ्रांस?

गौरतलब है कि मंगलवार को ट्रैफिक चेकिंग के दौरान 17 वर्षीय नाहेल की हत्या का वीडियो सामने आया है। इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया है और लोग काफी आक्रोशित हैं। इस घटना के बाद फ्रांस में हिंसक विरोध प्रदर्शन भड़क उठे और जगह-जगह आगजनी की घटनाएं हुईं।

मेघालय के मुख्यमंत्री का यूसीसी पर पलटवार, कहा भारत के विचार के खिलाफ

#meghalaya_cm_hits_back_at_ucc_says_it_against_the_idea_of_india

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देशभर में यूनिफॉर्म सिविल कोड पकर बहस छिड़ी हुई है।यूसीसी पर पीएम मोदी के बयान के बाद सियासी घमासान जारी है। जहां कुछ पार्टियां इसका समर्थन कर रही हैं तो वहीं कुछ पार्टियां ऐसी भी हैं जो यूसीसी की जमकर आलोचना कर रही हैं।यूसीसी पर विपक्ष तो विरोध में था ही, अब एनडीए में भी दरार देखने को मिल रही है। दरअसल, मेघालय के सीएम कॉनराड संगमा ने शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी के यूसीसी पर जोर देने की आलोचना की।

मेघालय में मुख्यमंत्री और बीजेपी की सहयोगी पार्टी एनपीपी के अध्यक्ष कॉनराड के. संगमा ने इसकी आलोचना की है। मेघालय के सीएम कॉनराड संगमा ने कहा कि समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (यीसीसी) पर भारत के वास्तविक विचार के खिलाफ है। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के अध्यक्ष संगमा ने यहां मीडियाकर्मियों से कहा कि यूसीसी देश के लिए उपयुक्त नहीं है। यह भारत के वास्तविक विचार के खिलाफ है, जो विविधता में एकता की विशेषता वाला एक विविध राष्ट्र है।

संगमा ने कहा, मैं पार्टी के दृष्टिकोण से बात कर रहा हूं। एनपीपी के मुताबिक समान नागरिक संहिता भारत की वास्तविक भावना के खिलाफ है। विविध संस्कृतियां, परंपराएं, जीवनशैली और धर्म देश की ताकत हैं। उन्होंने आगे कहा, मेघालय एक मातृसत्तात्मक समाज है और यही हमारी ताकत है। जिस संस्कृति और अन्य पहलुओं का हम लंबे समय से अनुसरण कर रहे हैं, उन्हें बदला नहीं जा सकता।00 एक राजनीतिक दल के रूप में, हमें एहसास है कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र को एक अनूठी संस्कृति मिली है। हम नहीं चाहेंगे कि हमारी परंपरा और संस्कृति को छुआ जाए।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में भाजपा कार्यक्रताओं को संबोधित करते हुए यूसीसी पर जोर दिया। इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई कि केंद्र सरकार कभी भी यूसीसी संसद में पेश कर सकती है। प्रधानमंत्री मोदी के यूसीसी पर जोर देने के बाद सार्वजनिक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति द्वारा 3 जुलाई को विधि आयोग और कानून मंत्रालय के प्रतिनिधियों को बुलाए जाने के बाद समान नागरिक संहिता को लेकर चर्चाएं फिर से सामने आ गई हैं। कानून पैनल द्वारा जारी एक नोटिस में विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर विशेषज्ञों की राय जानने के लिए नोटिस जारी किया था।

अमरनाथ यात्राःपहला जत्था आज करेगा बाबा बर्फानी के दर्शन

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अमरनाथ धाम में बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए इंतजार खत्‍म हो चुका है।यात्रा का पहला जत्था आज बालटाल और नुनवान पहलगाम बेस कैंप से बाबा बर्फानी का दर्शन करेगा। आज सवेरे प्रशासन ने हरी झंडी दिखाकर अमरनाथ यात्रा 2023 के लिए तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को बालटाल से अमरनाथ गुफा के लिए रवाना किया। इससे पहले शुक्रवार सुबह जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू बेस कैंप से पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।

बालटाल और नुनवान पहलगाम आधार शिविर से आज यात्रियों को बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए रवाना किया गया। वे 14000 फीट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर की तरफ बढ़ेंगे। करीब 1491 तीर्थयात्री बालटाल आधार शिविर में और 1997 तीर्थयात्री पहलगाम आधार शिविर में रुके थे क्योंकि 3488 तीर्थयात्री 62-दिवसीय लंबी तीर्थ यात्रा से एक दिन पहले 30 जून को घाटी में पहुंचे थे। शुक्रवार तड़के जम्मू के भगवती नगर आधार शिविर से बम-बम भोले और जय बाबा बर्फानी के जयघोष के बीच पहले जत्थे में 164 छोटे बड़े वाहनों में 3488 यात्री रवाना हुए, जो देर शाम को कड़ी सुरक्षा के बीच बालटाल और पहलगाम बेस कैंपों में पहुंच गए थे।

ये गाइडलाइंस जारी कर चुका है श्राइन बोर्ड

• यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को सेहत से जुड़ी किसी तरह की समस्‍या न हो, इसको लेकर अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने ऑयली और नशीली चीजों पर बैन लगाया है. लंगरों, दुकानों और स्‍टॉल्‍स में श्रद्धालुओं को सिर्फ वही चीजें मिलेंगी, जो सेहत के लिए फायदेमंद हों.

• इस बीच नॉनवेज, शराब, तंबाकू, गुटखा, पान मसाला वगैरह न तो कहीं दुकानों पर मिलेगा और न ही इसे श्रद्धालु अपने साथ ले जा सकते हैं.

• पूड़ी, भटूरे, वेज बिरयानी, फ्राइड राइस, पिज्‍जा, बर्गर, चाऊमीन, डोसा, ब्रेड बटर, अचार, चटनी वगैरह ऑयली चीजों को खाने-पीने की परमीशन नहीं होगी.

• चिप्‍स, कुरकुरे, मट्ठी, कोलड्रिंक, मिठाई, डीप फ्राइड फूड आइटम्‍स, फ्राइड ड्राई फ्रूट्स वगैरह भी ले जाने या खाने-पीने की परमीशन नहीं होगी.

• सभी श्रद्धालुओं को गर्म कपड़े, ऊनी टोपी, जैकेट, मोजे, रेन कोट और ट्रेकिंग सूट, पानी की स्‍टील की बोतल, ओढ़ने और बिछाने के लिए कंबल, फर्स्‍टएड किट, ट्रेकिंग करने के लिए लाठी, हैंडवॉश, सेनिटाइजर, टॉर्च और सनस्‍क्रीन क्रीम वगैरह ले जाने के लिए कहा गया है.