बानगोरेया में बांध बनाने को ले दो विभागों में उलझे औरंगाबाद के सांसद, कहा-कौन विभाग बनवाएंगा बांध बताएं मुख्यमंत्री
औरंगाबाद : अति नक्सल प्रभावित देव प्रखंड के बानगोरेया में लिलजी नदी पर बांध बनवाने को लेकर औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह दो विभागों में उलझ गएं है। हद तो यह है कि दोनों ही विभागों ने बांध बनाने से पल्ला झाड़ लिया है। इस मामले में दोनों ही विभागों ने मामले को एक-दूसरे पर फेंकने का काम किया है।
पहले वाले विभाग ने कहा है कि योजना बड़ी है। इस कारण इसे वें नही बनवा सकते। वही दूसरे विभाग ने कहा है कि योजना छोटी है। इस कारण वें इसे नही बना सकते। इसे पहले वाला विभाग बना सकता है। मामले को टरकाने के लिए फेंका फेंकी पर सांसद भड़क गए है। उन्होने दोनों विभागों पर जमकर भड़ास निकालते हुए मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की है।
सांसद ने कहा कि बानगोरेया में सिंचाई के लिए बांध बनाने की मांग को लेकर उन्होने 6 सितम्बर 2021 और 15 जून 2022 को बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री को पत्र लिखा था। पत्र के आलोक में लघु जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता ने उनके साथ मौके पर आएं। लोगों से बातें की और विभाग को सर्वे कराने का आदेश दिया। इसके 6 से 7 माह बाद विभाग ने मामले से यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि 14 जुलाई 2021 को देव प्रखंड के बनुआ पंचायत के आरानगर गांव के पास स्थित बांध गौरैया का स्थल निरीक्षण सहायक अभियंता एवं कनीय अभियंता के साथ किया गया।
ग्रामीणों के द्वारा यह बात बताया कि बांध गौरैया डैम का निर्माण दो पहाड़ियों के बीच लिलजी नदी को बांधकर करने की आवश्यकता है। दो पहाड़ियों के बीच की दूरी लगभग 500 मीटर है। लिलजी नदी को 15 मीटर की उंचाई में बांधकर डैम का निर्माण करने की आवश्यकता पड़ेगी। पक्का डैम का निर्माण क्षेत्र एवं कैचमेंट वन क्षेत्र में पड़ता है। ऐसे में यह एक वृहद योजना है। इसका निर्माण लघु जल संसाधन विभाग से संभव नही है। इसके बाद सांसद ने बांध के निर्माण के लिए जल संसाधन विभाग में पहल की। उनके पहल के बाद 19 नवंबर 2022 को जल संसाधन विभाग ने भी पल्ला झाड़ लिया।
विभाग ने कहा कि स्थल निरीक्षण के बाद अद्यतन तकनीकी संभाव्यता प्रतिवेदन में प्रतिवेदित किया गया है कि लिलजी नदी का अक्षांश 24.568105569 एवं देशांतर 84.42422583 डिग्री है। बांधगोरेया के पास लिलजी नदी बहती है। लिलजी नदी बरसाती नदी है। इस नदी में पानी का श्रोत सिर्फ बरसात का पानी है। लिलजी नदी का और किसी अन्य नदी से नहीं है। यह नदी मात्र महाड से आए हुए पानी पर निर्भर है।लिलजी नदी पर डैम का निर्माण किये जाने वाले स्थल के दायें भाग में पहाड़ एवं बायें भाग में रैयती भूमि है। स्थल के करीब 200 मीटर उपर का भाग वन विभाग के अधीन है। इस नदी पर डैम का निर्माण हो जाने से लगभग 3698 एकड़ (1497) हेक्टेयर भू-भाग में सिंचाई हो सकता है। इस स्थिति में विभागीय नियमानुसार 2000 हेक्टेयर भू-भाग से कम सिंचाई होने पर इस कार्य को लघु जल संसाधन विभाग से कराना श्रेयस्कर प्रतीत होता है।
सांसद ने कहा कि दोनो विभाग के जवाब से स्पष्ट है कि दोनों विभागों ने मामले से पल्ला झाड़ लिया है। उन्होने कहा कि इस तरह के गैर जिम्मेवार रवैये के लिए मुख्यमंत्री दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करे क्योकि दोनों ही विभाग उनके ही अधीन है। साथ ही मुख्यमंत्री यह भी स्पष्ट करे कि बांध का निर्माण दोनों में से कौन सा विभाग कराएंगा।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र
Jun 20 2023, 16:51