आचार्य किशोर कुणाल बनवा रहे भव्य रामायण मंदिर, विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग भी, डिटेल में पढ़िए, मंदिर की क्या होगी विशिष्टता
पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया-चकिया पथ पर स्थित कैथवलिया-बहुआरा में विराट रामायण मंदिर का निर्माण 20 जून से प्रारंभ हो जाएगा। वर्ष 2025 के सावन तक मंदिर में विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग की स्थापना और इसी वर्ष के आखिर तक विराट रामायण मंदिर तैयार होगा। यह बातें मंगलवार को महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने पत्रकारों से कहीं।
उन्होंने बताया कि मंदिर के 12 शिखरों का निर्माण होना है। इनकी साज-सज्जा 2027 तक संभावित है। मंदिर तीन मंजिला होगा। इसमें प्रवेश के बाद सबसे पहले गणपति के दर्शन होंगे। इसके बाद काली ग्रेनाइट की चट्टान से बने 33 फुट ऊंचे और 33 फुट गोलाई के 210 टन वजनी विशाल शिवलिंग के दर्शन होंगे। इसके लिए महाबलिपुरम में 250 टन वजन की काली ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराशकर मुख्य शिवलिंग के साथ सहस्रलिंगम तैयार होगा। इतने वजन के शिवलिंग को लाने के लिए चकिया से कैथवलिया की 10 किलोमीटर लंबी सड़क व पुल-पुलिया के चौड़ीकरण, सुदृढ़ीकरण का अनुरोध राज्य के मुख्यमंत्री व पथ निर्माण मंत्री से किया गया है। बताते चलें कि आठवीं शताब्दी के बाद सहस्रलिंगम का निर्माण भारत में नहीं हुआ है। इस मौके पर मंदिर निर्माण करने वाली एजेंसी के अधिकारी भी मौजूद रहे।
हजार टन स्टील से बनेंगे 3 हजार पिलर
रामायण मंदिर में साढ़े दस सौ टन स्टील से 3102 पिलरों का निर्माण होगा। पाइलिंग कार्य में 15 हजार क्यूबिक मीटर कंक्रीट की भी खपत होगी। निर्माण में लगने वाली सामग्रियां महावीर मंदिर उपलब्ध कराएगा। विराट रामायण मंदिर निर्माण समिति के सचिव ललन सिंह ने बताया कि दस वर्षों के निरंतर प्रयास से जमीन का प्रबंध किया गया। विराट रामायण मन्दिर अयोध्या से जनकपुर तक बन रहे राम जानकी मार्ग पर अवस्थित है।
पांच साल बाद शुरू हुआ काम
कंबोडिया सरकार की आपत्ति के कारण विराट रामायण मंदिर का काम बीते पांच वर्षों से शुरू नहीं हो सका था। कंबोडिया सरकार ने मंदिर के पहले के नाम विराट अंकोरवाट मंदिर पर वर्ष 2012 में आपत्ति जताई थी। आपत्ति के बाद महावीर मंदिर न्यास ने मंदिर का नाम विराट रामायण मंदिर कर दिया। बाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने रामायण मंदिर का निर्माण अंकोरवाट मंदिर से अलग होने की रिपोर्ट के बाद मामला सुलझा। निर्माण के लिए अनापत्ति नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से भी मिल गयी है।
270 फुट ऊंचा होगा शिखर
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि मंदिर का क्षेत्रफल 3.67 लाख वर्ग फुट होगा। सबसे ऊंचा शिखर 270 फुट का होगा। इसके बाद 198 फुट का एक, 180 फुट के चार, 135 फुट का एक, 108 फुट के 5 शिखर बनेंगे। मंदिर की लंबाई 1080 फुट और चौड़ाई 540 फुट होगी। निर्माणाधीन मंदिर में शैव और वैष्णव देवी-देवताओं के कुल 22 मन्दिर होंगे। मंदिर निर्माण के लिए 120 एकड़ जमीन की व्यवस्था की गई है। मंदिर जानकी नगर के रूप में विकसित होगा। यहां कई आश्रम, गुरुकुल, धर्मशाला भी बनाए जाएंगे।
Jun 07 2023, 08:16