*यशस्वी: गोलगप्पे के ठेले से टीम इंडिया तक का सफर*
रिपोर्ट - नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले के सुरियावां निवासी यशस्वी जायसवाल का चयन टीम इंडिया में हो गया है। वे इंग्लैंड जाने वाली टीम इंडिया में रिजर्व खिलाड़ी के रूप में शामिल हुए हैं। आईपीएल में अपनी बल्लेबाजी से धमाल मचाने वाले यशस्वी जायसवाल का पूरा जीवन संघर्षों से भरा रहा है। शायद यही कारण है कि मैदान में जब वे उतरते हैं तो उनके खेल में क्रिकेट के प्रति वह जुनून दिखाई देता है। सुरियावां निवासी भूपेन्द्र जायसवाल के पुत्र यशस्वी जायसवाल ने काफी छोटी उम्र में बल्ला थाम लिया था। पहले सुरियावां के ही एक क्रिकेट ग्राउंड पर प्रैक्टिस किया करते थे। 11 साल की छोटी उम्र में वे मुंबई चले गए।
मुंबई में उन्हें रहने के लिए भी कोई जगह नहीं थी। वे लगभग एक साल तक एक टेंट में रहे। संघर्ष इतना अधिक था कि उन्हें मुंबई में अपना खर्च चलाने के लिए गोलगप्पे बेचने पड़े। सुबह क्रिकेट की प्रैक्टिस करने के साथ ही शाम को वे मुंबई के आजाद मैदान के सामने अपने चाचा के साथ गोलगप्पे की दुकान पर हाथ बंटाते थे। जिस टेंट में वे रात गुजारते थे। वहां न तो बिजली की व्यवस्था थी और न हीं पानी और बाथरूम जैसी सुविधाएं थी। इन सभी कठिनाईयों को झेलते हुए उन्होंने अपनी प्रैक्टिस जारी रखी।
अमर उजाला के साथ बातचीत में उनके पिता भूपेन्द्र जायसवाल ने बताया कि यशस्वी के कैरियर को नई दिशा देने वाले ज्वाला सिंह ने एक दिन उनको क्रिकेट खेलते हुए देखा। यशस्वी की प्रतिभा से प्रभावित ज्वाला सिंह ने न सिर्फ उन्हें मुफ्त में ट्रेनिंग देने का फैसला लिया, बल्कि उन्हें अपने घर में रहने के लिए जगह दी और उनकी पूरी जिम्मेदारी उठाई। इसके बाद यशस्वी के कैरियर को एक नई दिशा मिली। यशस्वी लगातार हर टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते रहे और आज टीम इंडिया का हिस्सा बन चुके हैं।
May 30 2023, 12:29