दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग मामलाःसंविधान पीठ के फैसले को लेकर केंद्र ने दाखिल की पुनर्विचार याचिका

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दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का मामले में केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अफसरों की ट्रांसफर- पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को देने के 11 मई के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है। बता दें कि दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। 

सरकार, शुक्रवार (19 मई) को देर रात लिए गए उस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंची है, जिसमें उसने एक अध्यादेश लाकर वापस से ग्रुप ए अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली के उप-राज्यपाल को सौंप दिया है।केंद्र सरकार ने दिल्ली राजधानी कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित करने के उद्देश्य से शुक्रवार को एक अध्यादेश जारी किया।उसके मुताबिक दिल्ली सरकार अधिकारियों की पोस्टिंग पर फैसला जरूर ले सकती है लेकिन अंतिम मुहर उपराज्यपाल ही लगाएंगे। मुख्यमंत्री तबादले का फैसला अकेले नहीं कर सकेंगे।

अध्यादेश जारी किये जाने से महज एक सप्ताह पहले ही उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में कुछ सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया है।

सिद्धारमैया ने ली सीएम पद की शपथ, डिप्टी सीएम बने शिवकुमार, इन विधायकों को भी मिला मंत्रीपद

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कांग्रेस के दिग्गज नेता सिद्धारमैया ने कर्नाटक के 30वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। यह दूसरी बार है जब उनपर कांग्रेस ने भरोसा जताते हुए उन्हें दूसरी बार राज्य की कमान संभालने का मौका दिया है। इसके अलावा डीके शिवकुमार ने नई सरकार में उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।इन दोनों नेताओं के अलावा 8 अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। 

सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के अलावा जिन आठ विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली, इनमें परमेश्वर (एससी), केएच मुनियप्पा (एससी), प्रियांक खरगे (एससी), केजे जॉर्ज (अल्पसंख्यक-ईसाई), एमबी पाटिल (लिंगायत), सतीश जारकीहोली (एसटी-वाल्मीकि), रामलिंगा रेड्डी (रेड्डी), और मुस्लिम समुदाय से बीजेड ज़मीर अहमद खान शामिल हैं। 

शपथ ग्रहण समारोह में कौन-कौन नेता पहुंचे हैं?

शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जु खड़गे, कर्नाटक के मनोनित मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी शामिल हुए।कर्नाटक सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी दलों ने दिखाई अपनी एकजुटता। इस समारोह में नीतीश कुमार, एमके स्टालिन, तेजस्वी यादव, महबूबा मुफ्ती मंच पर पहुंचे। वहां पर कमल हासन, सीताराम येचुरी, फारूक अब्दुल्ला, डी राजा, दीपांकर भट्टाचार्य, सीएम अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, सुखविंदर सिंह सुक्खू मंच पर मौजूद रहे। 

राज्य में भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का वादा

वहीं शपथ ग्रहण के बाद राहुल गांधी ने कार्यक्रम को संबोधित किया और कहा कि कर्नाटक की जनता ने बीजेपी के भ्रष्टाचार को हरा दिया। कर्नाटक में नफरत का बाजार बंद हुआ। हम जो कहते हैं वो करते हैं। उन्होंने राज्य में भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का वादा किया।

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को बदलने की चर्चाओं पर लग गया विराम, ज्ञानी हरप्रीत सिंह ही रहेंगे श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को बदलने की चर्चाओं के बीच बड़ी खबर सामने आई है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी और महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल इस मामले को लेकर बयान सामने आया है। ‘एबीपी सांझा’ की एक खबर के अनुसार, आज हो रही कार्यकारिणी समिति की बैठक में जत्थेदार को लेकर कोई मुद्दा नहीं है। बल्कि इस बैठक में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के खास सदस्यों से बातचीत की जाएगी।

‘अभी और सेवाएं देंगे जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह’

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी की तरफ से कहा गया कि जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह धार्मिक क्षेत्र में शानदार काम किया है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह पहले की तरह की ही श्री अकाल तख्त साहिब में अपनी सेवाएं देते रहेंगे। धामी के बयान के बाद श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को बदलने की चर्चाओं पर अब विराम लग गया है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की बैठक में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के पास हुए धमाकों और पंजाब में हो रहे अत्याचार को लेकर बातचीत की जाएगी।

क्यों जताई जा रही थी जत्थेदार को बदलने की आशंका

दरअसल, पंजाब से आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा की सगाई में शामिल होने के बाद जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को बदलने की चर्चाओं ने जोर पकड़ा था। कई धर्मगुरुओं ने सगाई में शामिल होने पर सवाल खड़े किए थे। एसजीपीसी सदस्य भाई राम सिंह ने कहा था कि जत्थेदार के सगाई समारोह में शामिल होने से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई है। क्योंकि सगाई पार्टी में शराब और मांस भी परोसा जा रहा था। जत्थेदार को ऐसे कार्यक्रम में नहीं जाना चाहिए था। माना जा रहा था कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा 20 मई को बुलाई गई बैठक में इसी संबंध में बुलाई जा रही है।

भारत ने 22 पाकिस्तानी कैदियों को किया रिहा, अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते भेजा उनके देश

 भारत सरकार द्वारा सजा पूरी होने पर 22 पाकिस्तानी कैदियों को रिहा किया गया है। उन्हें सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवानों द्वारा अटारी-वाघा सीमा पर संयुक्त जांच चौकी पर पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंपा गया है। अधिकारियों का कहना है कि इन सभी कैदियों को पाकिस्तानी उच्चायोग द्वारा जारी किए गए आपातकालीन यात्रा प्रमाणपत्र के आधार पर पाकिस्तान भेजा गया है।

अधिकारियों ने बताया कि जब इन पाकिस्तानी नागरिकों की गिरफ्तारी की गई थी तब इनके पास यात्रा को लेकर कोई दस्तावेज नहीं पाया गया था। जिन 22 कैदियों को रिहा गया है उनमें से 9 मछुआरे गुजरात की कच्छ जेल तो 10 अमृतसर की केंद्रीय कारागार और तीन तीन अन्य जेलों में बंद थे। इन मछुआरों को भारतीय नौसेना ने गिरफ्तार किया था।

पाकिस्तान ने 198 भारतीय मछुआरों को किया था रिहा

बता दें कि बीते सप्ताह ही पाकिस्तान की तरफ से भी भारतीय मछुआरों को रिहा किया गया था। पाकिस्तान की मालिर जेल जेल में बंद 198 भारतीय मछुआरों को रिहा किया गया था। उन्हें अटारी-वाघा सीमा पर भारतीय अधिकारियों को सौंपा गया था। इस दौरान मलीर जेल अधीक्षक नजीर टुनियो की तरफ से कहा गया था कि उनकी तरफ से अभी भारतीय मछुआरों के पहले जत्थे को रिहा किया गया है। जून और जुलाई में बाकि के कैदियों को भी रिहा किया जाएगा। नजीर टुनियो की तरफ से बताया गया था कि इस बार 200 भारतीय मछुआरों को रिहा किया जाना था लेकिन 2 मछुआरों की बीमारी के कारण मौत हो गई। जबकि 200 और 100 मछुआरों को बाद में रिहा किया जाएगा।

जनवरी 17 पाकिस्तानी नागरिकों को किया था रिहा

जनवरी में भी भारत में सजा काट रहे 17 पाकिस्तानी नागरिकों को रिहा किया गया था। अटारी-वाघा सीमा के रास्ते उन्हें स्वदेश भेजा गया था। भारत की तरफ से एक जनवरी को देश की जेलों में बंद 339 पाकिस्तानी कैदियों और 95 पाकिस्तानी मछुआरों की सूची पाकिस्तान के साथ शेयर की गई थी।

उत्‍तराखंड के ऋषिकेश शहर में बन रहा एशिया का सबसे लंबा रोप-वे, यहां डिटेल में पढ़ें 465.69 करोड़ के प्रोजेक्‍ट की सात खासियतें

उत्तराखंड में तीन बड़ी परियोजनाओं को धरातल पर उतारने की कवायद तेज हो गई है। उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन (यूकेएमआरसी) ने दो रोपवे व एक पाड कार प्रोजेक्ट को लेकर टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। जून और जुलाई में टेंडर खोलकर कार्य आवंटित कर दिए जाएंगे। इसके लिए कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने आवेदन किया है।

एशिया की अब तक की सबसे लंबी रोप-वे परियोजना ऋषिकेश आइएसबीटी से नीलकंठ महादेव मंदिर को लेकर आगामी छह जून को प्रि-बिड कान्फ्रेंस होगी। इसके अलावा हरिद्वार में पाड कार प्रोजेक्ट और हर की पौड़ी से चंडी देवी मंदिर तक रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर भी कार्यवाही तेज हो गई है।

देहरादून में नियो मेट्रो प्रोजेक्ट को केंद्र से स्वीकृति के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यूकेएमआरसी के प्रबंध निदेशक ने सभी प्रोजेक्ट की विस्तृत जानकारी और वर्तमान स्थिति के साथ भावी गतिविधियों की जानकारी दी है।

465.69 करोड़ से तैयार होगी सबसे लंबी रोपवे परियोजना

ऋषिकेश में आइएसबीटी से त्रिवेणी घाट, नीलकंठ महादेव मंदिर और पार्वती माता मंदिर तक रोपे-वे का निर्माण किया जाएगा।

465.69 करोड़ से तैयार होने वाली 6.485 किलोमीटर लंबी यह परियोजना एशिया में सबसे लंबी होगी।

भारत में अब तक सबसे लंबी रोपवे कश्मीर के गुलमर्ग में 4.2 किमी और उत्तराखंड के औली में 4.1 किमी है।

आइएसबीटी से पार्वती माता मंदिर तक रोपवे में चार स्टेशन होंगे।

ऋषिकेश से नीलकंठ की दूरी महज 17 मिनट में तय हो सकेगी।

मोनो केबल डिटैचेबल गोनडोला सिस्टम तकनीक से बनने वाली परियोजना में 10 व्यक्तियों की क्षमता के 143 केबिन कार होंगी।

चारों स्टेशन के बीच कुल 36 टावर का निर्माण किया जाएगा।

परियोजना के लिए 4.237 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की कार्यवाही गतिमान है। इसमें 2.277 हेक्टेयर सरकारी और 1.960 हेक्टेयर निजी भूमि है।

परियोजना की स्थिति

नाम: ऋषिकेश-नीलकंठ रोपवे

टेंडर खुलने की तिथि: 14 जुलाई 2023

वित्तीय प्रबंध का समय: छह माह

निर्माण कार्य की समय सीमा: तीन वर्ष

प्रस्तावित किराया

स्टेशन, वन वे, टू वे

आइएसबीटी से त्रिवेणी घाट, 35, 60

त्रिवेणी घाट से नीलकंठ, 230, 415

नीलकंठ से पार्वती मंदिर, 65, 120

पूरा सफर, 330, 590

हर की पौड़ी से सीधा चंडी देवी दर्शन

हरिद्वार में श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए महत्वकांक्षी रोपवे परियोजना तैयार की जा रही है। हरकी पौड़ी के पास स्थित दीन दयाल उपाध्याय पार्किंग से चंडी देवी मंदिर तक रोपवे का निर्माण किया जाएगा।

महज दो स्टेशन वाली इस परियोजना की लंबाई 2.30 किमी होगी। नौ मिनट के भीतर यात्री हर की पौड़ी से चंड़ी देवी मंदिर पहुंच सकेगा। इसके लिए आगामी 29 मई को प्रि-बिड कान्फ्रेंस आयोजित की जाएगी और पांच जुलाई को टेंडर खोले जाएंगे।

इसका प्रस्तावित किराया वन वे 155 और टू वे 280 रुपये निर्धारित किया गया है। इस परियोजना को पूरा करने के बाद यूकेएमआरसी हर की पौड़ी से मनसा देवी मंदिर तक भी रोपवे निर्माण की योजना बना रहा है।

परियोजना पर एक नजर

नाम: हर की पौड़ी से चंड़ी देवी मंदिर रोपवे

बजट: 160.80 करोड़ रुपये

टावरों की संख्या: 13

केबिन कार की क्षमता: छह व्यक्ति

कुल केबिन कार: 90

निर्माण की समय सीमा: दो वर्ष

देश की पहली पाड कार सेवा हरिद्वार में

अत्याधुनिक तकनीकी पर आधारित पर्सनल रैपिड ट्रांजिट (पीआरटी) या पाड कार सर्विस से हरिद्वार में यातायात सुगम होगा। देश में बनने जा रही यह पहली पीआरटी परियोजना होगी। 20 किमी से अधिक की लंबाई के इस प्रोजेक्ट में चार कोरिडोर और कुल 21 स्टेशन होंगे।

चार से छह सीटर पाड कार एयर कंडीशंड व बैटरी आपरेटेड होगी। जिसमें ड्राइवर की आवश्यकता नहीं होती है। शहर में यह 40 से 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। परियोजना के तहत 514 पाड कार चलाई जाएंगी।

परियोजना पर नजर

नाम: हरिद्वार दर्शन

लागत: 1330 करोड़ रुपये

दैनिक यात्रियों की अनुमानित संख्या: 1.27 लाख

टेंडर खुलने की तिथि: एक जून 2023

निर्माण की समय सीमा: तीन वर्ष

पाड कार का प्रस्तावित किराया

दूरी, आम दिन, मेले के समय

0-2, 20, 25

2-4, 40, 50

4-6, 60-75

6-8, 75, 90

8-10, 80, 100

10-14, 85, 105

14 से अधिक, 90, 115

(दूरी किमी में और किराया रुपये में है।)

कुर्सी पर बैठे थे पीएम मोदी, पास चलकर आए बाइडेन, दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को गले लगाकर किया अभिवादन

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जापान के हिराशिमा में एक बार फिर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की दोस्ती देखने को मिली। इस दौरान दोनों नेता एक दूसरे से गर्मजोशी से मिले। दोनों नेताओं ने एक दूसरे से हाथ मिलाया और गले लगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को जापान के हिराशिमा में जी-7 की बैठक में शामिल होने पहुंचे हैं। बैठक में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी शामिल है। इस दौरान पीएम मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच मुलाकात हुई। बाइडेन जैसे ही वहां पहुंचे, वह पीएम मोदी को देखते हुए उनके पास जा पहुंचे और उन्हें गले लगा लिया। पीएम ने भी उन्हें उसी गर्मजोशी के साथ गले लगाया।

जापान के हिरोशिमा में हो रहे जी-7 सम्मेलन में भारत को बतौर मेहमान देश के रूप में आमंत्रित किया गया है। भारत के अलावा इस सम्मेलन में इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और ऑस्ट्रेलिया भी बतौर मेहमान देश शामिल हो रहे हैं। 

वहीं, इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा है कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने में जी-7 और जी-20 देशों में सहयोग की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा कि जियोपॉलिटिकल टेंशन की वजह से खाद्य और ऊर्जा आपूर्ति चेन प्रभावित हुई है। पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लेकर कहा कि हम इंटरनेशनल ऑर्डर पर आधारित राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान का मजबूती से समर्थन करते हैं।

पीएम मोदी ने जी7 शिखर सम्मेलन में जापानी पीएम फुमियो किशिदा से की मुलाकात, दोनों नेताओं ने कई मुद्दों पर किया मंथन

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ग्रुप-7 शिखर सम्मेलन आधिकारिक तौर पर 19 मई को जापान के हिरोशिमा में शुरू हो चुका है।पीएम मोदी, फुमियो किशिदा के निमंत्रण पर जापानी अध्यक्षता के तहत हो रहे जी 7 शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।इसी क्रम में पीएम मोदी ने शनिवार को जापान के हिरोशिमा में जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा से मुलाकात की।यहां पर दोनों नेताओं के बीच व्यापार, अर्थव्यवस्था और संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत-जापान की मित्रता को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा हुईं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जी7 के शानदार आयोजन के लिए जापानी पीएम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आपने जी7 समिट में भारत को आमंत्रित किया इसके लिए भी मैं आपका बहुत आभारी हूं। मैंने जो बोधि वृक्ष आपको दिया था उसको आपने हिरोशिमा में लगाया और जैसे-जैसे वो बढ़ेगा भारत-जापान के संबंधों को मजबूती मिलेगी। ये वो वृक्ष है जो बुद्ध के विचारों का अमरत्व प्रदान करता है।

 

जापानी पीएम से मुलाकात

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ट्वीट किया ‘पीएम ने हिरोशिमा में पीएम kishida230 से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने व्यापार, अर्थव्यवस्था और संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत-जापान मित्रता को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने संबंधित G-7 और G-20 प्रेसीडेंसी के प्रयासों के तालमेल के तरीकों और ग्लोबल साउथ की आवाज को उजागर करने की आवश्यकता पर चर्चा की। उन्होंने समकालीन क्षेत्रीय विकास और भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को गहरा करने पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।

हिरोशिमा का नाम सुनकर हर कोई कांप जाता है

इस मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिरोशिमा में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया। प्रतिमा के अनावरण के बाद पीएम ने कहा कि हिरोशिमा नाम सुनते ही आज भी दुनिया कांप जाती है। उन्होंने कहा कि जी7 समिट की इस यात्रा में मुझे सबसे पहले पूज्य महात्मा गांधी की प्रतीमा का अनावरण का सौभाग्य मिला है। आज विश्व जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद की लड़ाई से जूझ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूज्य बापू के आदर्श जलवायु परिवर्तन के साथ जो लड़ाई है उसे जीतने का उत्तम से उत्तम मार्ग है। उनकी जीवन शैली प्रकृति के प्रति सम्मान, समन्वय और समर्पन का उत्तम उदाहरण रही है। 

आगे पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हिरोशिमा में महात्मा गांधी की मूर्ति अहिंसा के विचार को आगे बढ़ाएगी। मेरे लिए यह जानना एक महान क्षण है कि मैंने जापानी पीएम को जो बोधि वृक्ष उपहार में दिया था, वह यहां हिरोशिमा में लगाया गया है ताकि लोग यहां आने पर शांति के महत्व को समझ सकें। मैं महात्मा गांधी को सम्मान देता हूं।

बता दें कि शुक्रवार को पीएम मोदी अपनी तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में हिरोशिमा पहुंचे और उनके 40 से अधिक कार्यक्रमों में भाग लेने की उम्मीद है।

कश्मीर में होने वाले जी-20 समूह की बैठक में शामिल नहीं होगा ड्रैगन, पाकिस्तान के कहने पर पीछे हटे चीन और तुर्की!

#jammu_kashmir_g20_meeting_china_opposed

भारत कश्मीर के श्रीनगर में 22 से 24 मई तक जी20 की बैठक का आयोजन करने जा रहा है। भारत के इस आयोजन से चीन को मिर्ची लगी है।जम्मू-कश्मीर में आयोजित होने वाली जी-20 की बैठक में चीन शामिल नहीं होगा। चीन की ओर से शुक्रवार को कहा गया है कि वह अगले सप्ताह श्रीनगर में प्रस्तावित जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक में शामिल नहीं होगा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि 'विवादित क्षेत्र' में किसी तरह की बैठक आयोजित करने का चीन दृढ़ता से विरोध करता है।श्रीनगर में होने वाली बैठक में जी20 देशों के लगभग 60 प्रतिनिधियों के भाग लेने का अनुमान है।

चीन पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है। इससे पहले पाकिस्तान भी श्रीनगर में होने वाली बैठक पर कहा था कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन है। जम्मू और कश्मीर के अपने अवैध कब्जे को बनाए रखने के लिए भारत का गैर-जिम्मेदाराना कदम है। वैश्विक मंच पर चीन, पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है, ये बात किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में चीन का ये बयान हैरान करने वाला नहीं है।

गलवां घाटी में झड़प के बाद रिश्ते तनावपूर्ण

वैसे भी, चीन ने तो कश्मीर का बड़ा हिस्सा अवैध रूप से कब्जा किए हुए है। 2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प भी हो चुकी है। इसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे, जबकि कम के कम 38 चीनी सैनिकों की मौत हुई थी। गलवान घाटी की झड़प चार दशकों में भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच सबसे घातक टकराव थी। ऐसे में दोनों देश अपने व्यक्तिगत हितों के कारण जी-20 की कश्मीर में होने वाली बैठक से किनारा कर रहे हैं।

पाकिस्तान की आपत्तियों के बाद तुर्की भी नहीं हो लकता है शामिल

चीन के अलावा तुर्की ने श्रीनगर में होने वाले कार्यक्रम के लिए पंजीकरण नहीं कराया है।तुर्की कश्मीर में होने वाले जी-20 की बैठक में शामिल नहीं हो सकते हैं। दोनों देशों ने जी-20 की बैठक को छोड़ने का फैसला अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान की आपत्तियों के बाद किया है। तुर्की लगातार कश्मीर को लेकर भारत की आलोचना करता रहा है। तुर्की कई बार संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे को उठा चुका है। वह कश्मीर मुद्दे पर खुलकर पाकिस्तान का समर्थन भी करता है।

बता दें कि 2019 में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद से यह जम्मू और कश्मीर में पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है। श्रीनगर में होने वाली बैठक में जी20 देशों के लगभग 60 प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है।

2,000 का नोट वापस लेने के फैसले से अर्थव्‍यवस्‍था पर क्‍या असर पड़ेगा?

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भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को 2,000 रुपये के नोटों को चलन से तत्काल प्रभाव से वापस लेने की घोषणा की है। बैंक 23 मई, 2023 से 20,000 रुपये की सीमा तक के नोट को एक्सचेंज करेंगे।2000 के नोट चलन से बाहर होने की खबर के बाद लोगों के जेहन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर साल 2016 की नोटबंदी की तरह इस फैसले से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था और शेयर मार्केट पर क्‍या असर पड़ेगा?

अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?

2000 रुपये के नोट के चलन से बाहर होने को लेकर एक सवाल ये भी उठा है कि क्या इसका कोई असर अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला है। इसप वित्त सचिव ने कहा कि अर्थव्यवस्था पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैसे भी इन नोटों का उपयोग बड़े पैमाने पर लेन-देन के लक्ष्यों के लिए उपयोग नहीं किया जा रहा है।बाजार के जानकारों को भरोसा है कि दो हजार रुपए के नोट को वापस लेने से अर्थव्‍यवस्‍था व शेयर मार्केट पर कोई विशेष असर नहीं पड़ेगा। बाजार इस बार देश में भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से डिजिटलीकरण हो गया है।आम तौर पर लोगों ने बड़े पैमाने पर ऑनलाइन भुगतान सुविधाओं का उपयोग करना शुरू कर दिया है। इसलिए जैसा कि हमने 2016 में पहले देखा था, वैसा कोई बड़ा मुद्दा नहीं दिखता है।

बाजारों के लिए भी पॉजिटिव संकेत

इक्विनोमिक्स रिसर्च एंड एडवाइजरी के फाउंडर जी चोकालिंगम की मानें तो यह एक शानदार कदम है। अब ज्यादातर यह नोट बैंकों के पास है और कुछ नोट ब्लैकमनी रखने वालों के पास हो सकते हैं। ब्लैकमनी रखने वाले लोगों को अब पूरी तरह से साइडलाइन कर दिया जाएगा।। जनता या आम आदमी भी ऐसे लोगों को एक्सेप्ट करने में परहेज करेंगे।। यह कदम अंततः ब्लैक मनी के वॉल्यूम को पूरे तरह से खत्म करेगा। इसके अलावा टैक्स कलेक्शन में सुधार करने में मदद करेगा। इसलिए, यह बाजारों के लिए भी पॉजिटिव संकेत हैं।

2000 के नोट वापस लेने का फैसला क्यों, क्या है आरबीआई के फैसले के पीछे की वजह?

#why_did_rbi_stop_rs_2000_note_what_is_the_reason

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को 2000 रूपये के नोट को सर्कुलेशन से बाहर करने का एलान किया है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि 2000 रुपये के नोट की वैधता समाप्त होगी। फिलहाल 2000 रुपये के नोट चलते रहेंगे।30 सितंबर 2023 के बाद से 2000 रुपये के नोट सर्कुलेशन से बाहर हो जाएंगे। रिजर्व बैंक के इस कदम से एक बार फिर नोटबंदी की यादें ताजा हो गई हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि सरकार ने 2016 में नोटबंदी के करीब साढ़े छह साल बाद यह फैसला क्यों लिया है?

बताया जा रहा है कि रिजर्व बैंक ने 'क्लीन नोट पॉलिसी' के तहत ये फैसला लिया है। सरकार के सूत्रों के अनुसार, 2000 रुपये के नकली नोट चलन में बढ़ने के कारण इसे बंद करने का फैसला लिया गया है। कालेधन को भी खत्म करने के उद्देश्य से ये फैसला लिया गया है।इसके अलावा भी 2000 के नोटों को वापस लेने के कई कारण है। जानते हैं क्या है वो वजहेः-

नोट की पूरी हो चुकी है समय सीमा

आरबीआई के मुताबिक 2000 के करीब 89% नोट मार्च 2017 से पहले ही जारी हो गए थे। सरकार का कहना है कि ये नोट चार-पांच साल तक अस्तित्व में रहने की उनकी सीमा पार कर चुके हैं या पार करने वाले हैं। ये भी एक बड़ी वजह है जिसकी वजह से 2000 के नोट को सरकार बैन करने का फैसला किया है।

2000 के नोट छापे जाने का उद्देश्य पूरा

आरबीआई ने नवंबर 2016 में दो हजार रुपये के नोट जारी किए थे। इन्हें आरबीआई कानून 1934 की धारा 24(1) के तहत जारी किया गया था। यह फैसला इसलिए लिया गया था ताकि उस समय चलन में मौजूद 500 और 1000 रुपये की जो करंसी नोटबंदी के तहत हटाई गई थी, उसके बाजार और अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को कम किया जा सके। 

नोट की सर्कुलेशन में कमी

31 मार्च 2018 को 6.73 लाख करोड़ रुपये के नोट बाजार के सर्कुलेशन में थे। यानी मार्केट में मौजूद कुल नोटों की हिस्सेदारी पहले 37.3% थी। 31 मार्च 2023 तो यह आंकड़ा घटकर 3.62 लाख करोड़ रुपये रह गया। यानि चलन में मौजूद कुल नोटों में से दो हजार रुपये की नोटों की हिस्सेदारी सिर्फ 10.8% ही रह गई है।

ब्लैक मनी आ सकेगा बाहर

कहा जा रहा है कि सरकार के इस कदम के बाद जो भी ब्लैक मनी मार्केट में हैं, वो बाहर आ जाएगा. टेटर फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए ये फैसला लिया गया है।बीजेपी के राज्यसभा सांसद और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना है कि 2000 के नोट बड़े-बड़े लोगों ने जमाकर रखे हैं। सामान्य लोगों के पास ये नोट नहीं के बराबर हैं। 

मनी लॉन्ड्रिंग पर कड़ा प्रहार

ये भी कहा जा रहा है कि साल 2016 में जब 500 और 1000 रुपये के नोट बंद हुए थे, तो मनी लॉन्ड्रिंग रूक गई थी। लेकिन फिर 2000 रुपये का नोटों का इस्तेमाल इस काम के लिए होने लगा। इसलिए सरकार ने 2000 रुपये को नोट को बंद करके मनी लॉन्ड्रिंग पर कड़ा प्रहार किया है।

नकली नोटों की छपाई पर लगेगी लगाम

इसके अलावा 2000 रुपये के नकली नोटों की छपाई भी बड़े पैमाने पर हो रही थी। सरकार के इस फैसले से नकली नोटों के कारोबार पर भी लगाम लगेगी। नकली नोट नकली करेंसी नोट होते हैं जो असली नोटों की तरह दिखने के लिए बनाए जाते हैं। नकली नोट अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक बड़ी समस्या हो सकते हैं। नकली नोट मुद्रास्फीति का कारण बन सकते हैं।