किरण रिजिजू से क्यों छिना गया कानून मंत्रालय, क्या जूडिशरी से टकराव बनी वजह ?

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किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय वापस लिया गया है। किरण रिजिजू की जगह अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री बनाया गया है। रिजिजू को भू विज्ञान मंत्रालय दिया गया। जुलाई 2021 में रविशंकर प्रसाद की जगह पर रिजिजू को कानून मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अचानक किरेन रिजिजू के हाथों से कानून मंत्रालय क्यों छिन लिया गया? सवाल उठने लगे कि क्या सुप्रीम कोर्ट से उलझने के कारण कानून मंत्री हटाए गए?

करीब दो साल पहले रविशंकर प्रसाद को हटाकर किरेन रिजिजू को कानून मंत्री की अहम जिम्मेदारी दी गई थी। आज सुबह अचानक राष्ट्रपति भवन से मोदी सरकार में बड़े फेरबदल का आदेश आया। रिजिजू को हटाकर राजस्थान के बड़े दलित नेता और कई मंत्रालय संभाल चुके अर्जुन राम मेघवाल को यह जिम्मेदारी दी गई है। रिजिजू को नया भूविज्ञान मंत्री बनाया गया है। यह फैसला क्यों लिया गया, इसकी दो प्रमुख वजहें हो सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट से टकराव बनी वजह?

कानून मंत्री रहते हुए किरेन रिजिजू लगातार न्यायपालिका पर सवाल उठा रहे थे।कॉलेजियम व्यवस्था को लेकर किरेन लगातार न्यायपालिका पर सवाल उठा रहे थे। सार्वजनिक तौर पर वह न्यायपालिका और न्यायाधीशों को लेकर तंज कस रहे थे। इससे न्यायपालिका और सरकार के बीच की दूरियां बढ़ने लगी थीं।हालात ऐसे बन गए कि सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ की गई टिप्पणी पर कार्रवाई की मांग की जाने लगी। हालांकि दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि उसके पास इससे निपटने के लिए व्यापक दृष्टिकोण है। 

हालांकि,पिछले कुछ दिनों में सुप्रीम कोर्ट के कई ऐसे फैसले आए, जो एक तरह से केंद्र सरकार के खिलाफ ही थे। ऐसे में अगर रिजिजू और न्यायपालिका के बीच का ये विवाद आगे भी जारी रहता तो आने वाले दिनों में केंद्र सरकार को ज्यादा फजीहत का सामना करना पड़ सकता था। अगले साल लोकसभा चुनाव भी है। इसलिए संभव है कि सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। संभव है कि इसी के चलते रिजिजू का मंत्रालय बदला गया हो।

राजस्थान और अरूणाचल प्रदेश का चुनाव तो नहीं है वजह?

मोदी कैबिनेट में फेरबदल की दूसरी बड़ी वजह चुनाव से भी जोड़कर देखी जा रही है।राजस्थान में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं। वहीं, अगले साल अप्रैल में ही अरुणाचल प्रदेश में भी चुनाव होने हैं।कर्नाटक में हार के बाद भाजपा कोई नया रिस्क नहीं लेना चाहती है। ऐसे में संभव है कि अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री का पद देकर राजस्थान को साधने की कोशिश की गई है।राजस्थान में दलितों की आबादी 17 फीसदी है। अर्जुन राम मेघवाल दलितों के बड़े नेता माने जाते हैं। बीकानेर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद का कद बढ़ाकर राजस्थान को संदेश देने की भी कोशिश की गई है। अब तक मेघवाल संस्कृति और संसदीय कार्य राज्यमंत्री थे।

वहीं, दूसरी तरफ अप्रैल में ही अरुणाचल प्रदेश में भी चुनाव होने हैं। ऐसे में संभव है कि इसकी तैयारियों के लिए रिजिजू को फ्री किया गया हो। कानून मंत्री रहते हुए वह ज्यादा समय अरुणाचल प्रदेश में नहीं दे सकते थे। ऐसे में संभव है कि एक तरफ रिजिजू का फोकस अरुणाचल प्रदेश करने और इधर, राजस्थान में विधानसभा चुनावो के मद्देनजर मेघवाल की पद्दोन्नति करके भाजपा राजनीतिक फायदा उठाने की उम्मीद कर रही हो।

*खत्म हुआ कर्नाटक का 'नाटक', सीएम होंगे सिद्धारमैया, शिवकुमार अकेले डिप्टी सीएम, कांग्रेस का औपचारिक एलान

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कर्नाटक में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसे लेकर कांग्रेस में चल रही उठापठक खत्म हो गई है। कांग्रेस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया के नाम का औपचारिक ऐलान कर दिया है। डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री होंगे। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गुरुवार दोपहर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी नेतृत्व के फैसले के बारे में बताया।

दोनों मुख्यमंत्री बनने लायक- वेणुगोपाल

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सबसे पहले कर्नाटक की जनता का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास कई चमत्कारी नेता हैं। हम सहमति पर यकीन करते हैं। शिवकुमार शानदार संगठनकर्ता हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि दोनों नेताओं से कांग्रेस की जीत के लिए दिन-रात मेहतन की है। सिद्धारमैया ही कांग्रेस के नए सीएम होंगे और डीके शिवकुमार एकलौते डिप्टी सीएम होंगे। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सिद्धारमैया सरकार में सिर्फ 1 डिप्टी सीएम होगा। डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री होने के साथ कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहेंगे। वह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की समाप्ति तक इस पद पर रहेंगे।

कांग्रेस तानाशाही में विश्वास नहीं करती-वेणुगोपाल

वेणुगोपाल ने कहा, राज्य के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए सबने बहुत मेहनत की है।कांग्रेस तानाशाही में विश्वास नहीं करती। इस चुनाव को जीतने के लिए सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी सबने बहुत मेहनत की है। आज शाम को बंगलुरु में विधायक दल की बैठक होगी। कांग्रेस के सभी नवनिर्वाचित विधायकों के अलावा विधानपरिषद सदस्य और सांसद इस बैठक में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि हम कर्नाटक में शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के सभी नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

भारत आएगी दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला, फैक्ट्री सेटअप करने का रखा प्रस्ताव!

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दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला के मालिक और दूसरे सबसे बड़े रईस शख्स एलन मस्क भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कार बनाना चाहते हैं। मस्क ने भारत में बड़ा दांव लगाने का निर्णय किया है। रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टेस्ला ने भारत सरकार के अधिकारीयों के सामने एक फैक्ट्री सेटअप करने का प्रस्ताव पेश किया है। जिसमें कंपनी भारत के साथ-साथ अन्य देशों में बिक्री के लिए कारें बना सके।हालांकि इसे लेकर केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

पीटीआई की खबर के मुताबिक, दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्यूफैक्चर्र कंपनी टेस्ला ने भारत सरकार को सम्पर्क किया है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार नो ड्यूटी कट पर अडिग है और मौजूदा समय में घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को प्रमोट करने के लिए ड्यूटी घटाने का कोई इरादा नहीं है।हालांकि कहा जा रहा है कि इस बार टेस्ला ने भारतीय अधिकारीयों के साथ हुई इस चर्चा में टैक्स कम करने को लेकर किसी तरह की चर्चा नहीं की। चर्चा केवल नयी फैक्ट्री को लेकर हुई, लेकिन फैक्ट्री में होने वाले इन्वेस्टमेंट और बजट को अभी तय नहीं किया गया।

एलन मस्क की टेस्ला अब भारत में कार मैन्युफेक्चरिंग पर विचार कर रही है। इसके साथ ही कंपनी अब पहले की तरह अपनी उस मांग को लेकर दबाव नहीं बना रही है, कि सरकार पहले पूरी तरह से निर्मित यूनिट्स (सीबीयू) पर इंपोर्ट ड्यूटी (आयात शुल्क) कम करे। यहां ध्यान देने वाली बात है कि 40,000 डॉलर और उससे अधिक की लागत वाली कारों पर भारत में 100 प्रतिशत आयात शुल्क लगता है। इससे कम कीमत वाली कारों पर ड्यूटी 60 फीसदी है। टेस्ला की पहले मांग थी कि आयात शुल्क को घटाकर 40 फीसदी किया जाए, उसके बाद वह भारत में मैन्युफेक्चरिंग पर विचार करेगी।

जल्लीकट्टू की कानूनी वैधता बरकरार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-सांस्कृतिक परंपरा और धर्म का हिस्सा तय करना विधायिका का काम

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सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के उस कानून को वैध करार दिया है, जिसमें जलीकट्टू को एक खेल के तौर पर मान्यता दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र में होने वाली बैलों की परंपरागत दौड़ पर रोक नहीं लगाई है। यानी महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़, कर्नाटक में कांबाला और तमिलनाडु में जल्लीकट्टू का परंपरागत खेल जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट में पशु क्रूरता अधिनियम में बदलावों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने, हालांकि, कहा कि पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम, 2017, जानवरों के दर्द और पीड़ा को काफी हद तक कम करता है। जस्टिस केएम जोसेफ, अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ सांडों को वश में करने वाले खेल 'जल्लीकट्टू' और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने वाले तमिलनाडु और महाराष्ट्र सरकार के कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

कोर्ट ने कहा कि ये तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है या नहीं, यह तय करना कोर्ट का काम नहीं है। जब विधायिका ने घोषणा की है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, तो न्यायपालिका अलग दृष्टिकोण नहीं रख सकती है। विधायिका यह तय करने के लिए सबसे उपयुक्त है, बेंच ने नागराज में 2014 के फैसले से असहमति जताई कि जल्लीकट्टू सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा नहीं है।

पीठ ने कहा कि जल्लीकट्टू पिछली कुछ सदियों से चल रहा है। कड़ाई से देखते हुए कि कानून, राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करने के साथ हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है, पीठ ने सांडों को वश में करने वाले खेल "जल्लीकट्टू" और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने वाले राज्यों के कानूनों की वैधता को चुनौती देने वाली सभी दलीलों को खारिज कर दिया।

क्रूज ड्रग्स केसःसमीर वानखेड़े ने एनसीबी के डीडीजी और विजिलेंस हेड को लपेटा, सामने आई वॉट्सऐप चैट

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आर्यन खान वसूली मामले में एक नया मोड़ आया है। एनसीबी के पूर्व जोनल अधिकारी समीर वानखेड़े द्वारा हाई कोर्ट में दायर की गई पिटीशन में डीजी और विजिलेंस हेड पर गंभीर आरोप लगाए हैं।समीर वानखेड़े ने हाईकोर्ट में जो पिटीशन दी है उसमें एनसीबी के डिप्टी डीजी और विजिलेंस हेड पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वानखेड़े ने विजिलेंस के मुखिया ज्ञानेश्वर सिंह और डीजी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि जो गिरफ्तारी हुई, जो हुआ सब बड़े अधिकारियों के अप्रूवल से हुआ है। उन्होंने डिप्टी डीजी एनसीबी ज्ञानेश्वर सिंह के खिलाफ एफआईआर की मांग की है।

दरअसल, आर्यन खान मामले में सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर के बाद समीर वानखेड़े ने दिल्ली हाईकोर्ट का रूख किया था। वानखेड़े ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष रिट पिटीशन दायर कर राहत की मांग की थी। इस याचिका में समीर वानखेड़े और एनसीबी के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चैट भी कोर्ट के सामने रखी गई। 

मिनट टू मिनट अपडेट लेते थे ज्ञानेश्वर सिंह

समीर वानखेड़ें ने न सिर्फ ज्ञानेश्वर सिंह पर आरोप लगाए हैं, बल्कि ये भी कहा है कि उन्हें आयर्न खान समेत सभी आरोपियों के बारे में मिनट टू मिनट अपडेट दी गई थी, यहां तक की उन्होंने शेड्यूल कास्ट का आरोप भी लगाया है कि उन्हें ज्ञानेश्वर सिंह ने टॉर्चर किया है। पिटीशन में समीर वानखेड़े ने अपनी और ज्ञानेश्वर सिंह के बीच हुई वाट्सऐप चैट जमा कराई है। जिसमे किसकी गिरफ्तारी हुई, मीडिया में क्या बताया, फोटो-वीडियो, आर्यन की सेल्फी किसने ली क्या वो एनसीबी अधिकारी है। ये सारी बातें हैं। इस चैट में ज्ञानेश्वर सिंह ने लिखा है कि ये सेल्फी लेता एनसीबी अधिकारी है, हम भारतीय इसलिए पीछे है हम चरसी, गंजेड़ी, लड़कीबाज को हीरो मानते है उसके साथ सेल्फी लेते हैं।

दोनों के बीच हुई चैट में लिखा है कि ‘सुपर स्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को एनसीबी ने ड्रग्स पार्टी में बीच समुंदर से गिरफ्तार किया, 30 ग्राम चरस, बीस ग्राम कोकीन, 25 टेबलेट बरामद हुई हैं। ये युवाओ की धड़कन है। काश देश के बॉर्डर पर खड़े युवाओ को अपना हीरो बनाया होता।’ ज्ञानेश्वर सिंह इन मैसेज के बाद एक फोटो भेजते हैं। जिस पर समीर वानखेड़े लिखते हैं ‘ये जो सेल्फी ले रहा है ये हमारा ऑफिसर नहीं है ये प्राइवेट गवाह है’ जिसके बाद फिर ज्ञानेश्वर कॉल करते हैं। ये सब समीर वानखेड़े ने कोर्ट में कहा है।

सब बड़े अधिकारियों के अप्रूवल से हुआ

याचिका में उल्लिखित चैट के मुताबिक, आर्यन खान कॉर्डेलिया क्रूज ड्रग्स केस के दौरान एनसीबी के जोनल डायरेक्टर रहे समीर वानखेड़े जांच और कानूनी प्रक्रिया से जुड़ी हर डिटेल एनसीबी के महानिदेशक (डीजी) सत्यनारायण प्रधान , उपमहानिदेशक (DDG) अशोक मुथा जैन, उपमहानिदेशक (DDG) ज्ञानेश्वर सिंह और अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) संजय सिंह के साथ साझा कर रहे थे।

दिल्ली हाईकोर्ट में समीर वानखेड़े ने सीबीआई के समन के खिलाफ अप्रोच किया था। हालांकि कल हाईकोर्ट में सीबीआई ने कहा था कि हम कोई गिरफ्तारी नहीं कर रहे हैं। वानखेड़े चाहते तो समय मांग लेते पर दिल्ली हाईकोर्ट आने का उनका अधिकार नहीं है। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें कहा आप चाहें तो मुंबई हाईकोर्ट जा सकते हैं। हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी है, बस ये कहा है कि आपको अगर कोई राहत चाहिए तो मुंबई हाईकोर्ट जाए वहां से ऑर्डर लें

किरेन रिजिजू से छीना गया कानून मंत्रालय, अर्जुन राम मेघवाल को दिया गया प्रभार

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केंद्रीय कैबिनेट मंत्री किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय छीन लिया गया है। बताया गया है कि इस मंत्रालय की जिम्मेदारी अब अर्जुन राम मेघवाल को सौंपी गई है। रिजिजू को अर्थ साइंस मंत्रालय सौंपा गया है। इससे पहले केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह इस मंत्रालय को संभाल रहे थे। अर्जुन राम मेघवाल को कानून राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है।बता दें कि काफी वक्त से किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को लेकर तनाव था। दोनों के बीच बयानबाजी भी हुई थी। सुप्रीम कोर्ट कानून मंत्री के इस व्यवहार को लेकर नाराजगी भी जता चुका है।

मेघवाल बने कानून मंत्री

केंद्र सरकार ने गुरुवार को दो मंत्रियों के विभागों में बदलाव करते हुए किरेन रिजिजू की जगह संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री बनाया। रिजिजू को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का प्रभार दिया गया है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई। इसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्यों को विभागों का दोबारा आवंटन किया है

अपने बेबाक बोल के कारण अक्सर सुर्खियों में रहे रिजिजू

कानून मंत्री के रूप में किरेन रिजिजू काफी चर्चित रहे। उनके बेबाक बोल अक्सर सुर्खियां बटोरते रहे। कॉलेजियम को लेकर भा रिजिजू अपनी राय रख चुके हैं। किरेन रिजिजू का बार-बार कहना था कि कॉलेजियम के जरिए जजों का चुनाव नहीं होना चाहिए। जबकि सुप्रीम कोर्ट साफ कर चुका था कि जजों की नियुक्ति के लिए इससे बेहतर तरीका नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने तब ये भी कहा था कि ऐसा ही तरीका कई देशों में अपनाया जा रहा है। पहली बार खुल के दोनों के बीच तनाव तब आई थी जब सौरभ कृपाल का मामला सामने आया था। सौरभ कृपाल को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया था। लेकिन कानून मंत्रालय ने इनकी फाइल को मंजूरी नहीं दी थी। सौरभ कृपाल समलैंगिक हैं लेकिन कभी भी उन्होंने ये बात छिपाई नहीं।।

पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर की इमरान के समर्थकों को चेतावनी, कहा-9 मई वाली हरकत दोहराई गई तो बर्दाश्त नहीं करेंगे

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पाकिस्तान के थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल असीम मुनीर ने 9 मई को देश में हुई हिंसा को ‘सुनियोजित और दर्दनाक’ करार दिया. इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान के समर्थकों को चेतावनी भी दी कि अगर दोबारा से 9 मई वाली हरकत दोहराई गई तो बर्दाश्त नहीं करेंगे।समाचार एजेंसी एएनआई ने एआरवाई न्यूज के हवाले से यह जानकारी दी है। 

सियालकोट गैरिसन की अपनी यात्रा के दौरान पाकिस्तान के थल सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर ने कहा कि 9 मई की तैयारी पहले से की गयी थी, जो बहुत दुखद थी। किसी को भी हमारे शहीदों और उनके स्मारकों का अनादर करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। जिस दिन इमरान खान के समर्थकों ने 9 मई को उनकी गिरफ्तारी के बाद से सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया गया था, इसकी अनुमति अब कभी नहीं दी जाएगी। आर्मी हमारे पाकिस्तान के लोगों के लिए प्रेरणा और गर्व के स्रोत हैं।

असीम मुनीर ने आगे कहा कि अब तक एकत्र किए गए अकाट्य सबूतों के आधार पर, सशस्त्र बल इन हमलों के साजिशकर्ताओं, उकसाने वालों और अपराधियों से अच्छी तरह से वाकिफ हैं और इसे अंजाम देने और इसकी साजिश रचने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भी दृढ़ है। बयान में कहा गया है कि इस मामले में भटकाने की कोशिशें बिल्कुल व्यर्थ हैं। 

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख इमरान खान को मंगलवार 9 मई को इस्लामाबाद कोर्ट से गिरफ्तार किए जाने के बाद पूरे पाकिस्तान में हिंसक झड़पें हुईं थी। पीटीआई कार्यकर्ताओं के एक विरोध प्रदर्शन के दौरान लाहौर में सेना के प्रतिष्ठानों और कोर कमांडर के घर पर भी हमला किया गया था। इस प्रदर्शन के बाद पाकिस्तान सरकार को बलूचिस्तान, पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा और इस्लामाबाद में कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सशस्त्र बलों को बुलाना पड़ा।

भारत लाया जाएगा 26/11 हमले का आरोपी तहव्वुर राणा, अमेरिकी कोर्ट ने दी प्रत्यर्पण की मंजूरी

#26_11_attack_accused_tahawwur_rana_to_be_brought_to_india_us_court_approves

26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है। अमेरिकी कोर्ट ने तहव्वुर के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। अब एनआईए अमेरिकी सरकार से संपर्क के मदद से तहव्वुर को जल्द से जल्द भारत लाएगा।भारत ने 10 जून, 2020 को प्रत्यर्पण की दृष्टि से 62 वर्षीय राणा की अस्थायी गिरफ्तारी की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। बाइडन प्रशासन ने राणा के भारत प्रत्यर्पण का समर्थन किया था और उसे मंजूरी दी थी।

कोर्ट ने 48 पेज के आदेश में दिया प्रत्यर्पण

यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट ऑफ कैलिफोर्निया की मजिस्ट्रेट जज जैकलीन चूलजियान ने 16 मई (मंगलवार) को 48 पेज के आदेश में कहा कि न्यायालय ने अनुरोध के समर्थन और विरोध में प्रस्तुत सभी दस्तावेजों की समीक्षा की है और उन पर एवं सुनवाई में प्रस्तुत तर्कों पर विचार किया है। न्यायाधीश ने कहा कि अदालत का निष्कर्ष है कि राणा उन अपराधों के लिए प्रत्यर्पण योग्य है जिसमें उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया है। कोर्ट ने माना कि राणा का प्रत्यर्पण जायज है। भारत की ओर से जो कारण प्रस्तुत किए गए उससे ये प्रतीत होता है कि राणा से पूछताछ की जरुरत है।आदेश बुधवार (17 मई) को जारी किया गया।

कोर्ट में बाइडेन सरकार के वकीलों का तर्क

कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान बाइडेन सरकार के वकीलों ने तर्क दिया कि तहव्वुर राणा को पता था कि उसका बचपन का साथी पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली आतंकी संगठन लश्कर का मेंबर है। इसके बाद भी वो हेडली के साथ रहा।उसकी गतिविधियों को छिपाने के लिए राणा ने कई प्रयास किए। इसके अलावा आतंकी संगठन लश्कर ए तैय्यबा का समर्थन भी करता है। कोर्ट को ये भी बताया गया कि हेडली की जितनी बैठकें होती थी, हमलों की बात होती थी, उसकी रणनीति के बारे में सब कुछ तहव्वुर राणा को पता होता था। अमेरिकी सरकार ने कोर्ट के सामने दावा किया कि राणा भी उस साजिश का हिस्सा था।

26/11 हमलों में भूमिका की जांच कर रही है NIA

भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) 2008 में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के तरफ से किए गए 26/11 के हमलों में उसकी भूमिका की जांच कर रही है।एआईए ने कहा है कि वह उसे भारत लाने के लिए कार्यवाही शुरू करने के लिए तैयार है।

हमले में कुल 166 लोग मारे गए थे

बता दें कि मुंबई आतंकी हमलों में छह अमेरिकियों सहित कुल 166 लोग मारे गए थे। इन हमलों को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। ये हमले मुंबई के प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण स्थानों पर 60 घंटे से अधिक समय तक जारी रहे थे। इन हमलों में अजमल कसाब नाम का आतंकवादी जीवित पकड़ा गया था, जिसे 21 नवंबर 2012 को भारत में फांसी की सजा दी गई थी। शेष आतंकवादियों को हमलों के दौरान भारतीय सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया था।

चिंता, दुनिया में आया सोलर तूफान तो मनुष्य के पास बचने के लिए होंगे मात्र 30 मिनट का ही समय, नासा ने सौर तूफान को लेकर दी चेतावनी

अगर सौर तूफान कभी धरती से टकराता है, तो उससे खुद को बचाने के लिए हमारे ग्रह के लोगों के पास महज 30 मिनट का वक्त होगा। ये बात अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के रिसर्चर ने कही है। अंतरिक्ष एजेंसी की एक टीम प्रारंभिक चेतावनी सिस्टम विकसित करने के लिए AI मॉडल को सौर डाटा पर लागू कर रही है। इससे वैज्ञानिक ये जानने की कोशिश करेंगे कि सौर तूफान धरती पर कब आ सकता है।  

डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने DAGGER नाम के डीप लर्निंग मोड का प्रशिक्षण करना भी शुरू कर दिया है, ताकि इस पर अधिक जानकारी मिल सके। ACE, WING, IMP-8 और Geotail समेत कई सैटेलाइट सौर उत्सर्जन पर नजर बनाए हुए हैं और नासा की टीम को डाटा भेज रही हैं। सैटेलाइट ने अतीत में सौर तूफान से प्रभावित जिन सतह-आधारित स्टेशंस का पता लगाया था, वैज्ञानिक उनका डाटा भी एकत्रित कर रहे हैं। ताकि सौर तूफान का न केवल पता चले बल्कि उसकी दिशा भी मालूम हो।

इस वक्त क्यों जरूरी है पता लगाना?

नए सिस्टम से इस वक्त डाटा एकत्रित करना इसलिए भी काफी जरूरी है क्योंकि साल 2020 में ‘सोलर 25’ नामक एक नई सोलर साइकिल शुरू हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि यह आगामी 11 साल तक चलने वाली है। इसकी वजह से 2025 के दौरान सूरज पर सबसे अधिक गतिविधियां देखने को मिलती रहेंगी। बता दें, सूर्य की सतह पर वक्त वक्त पर बदलने वाली मैग्नेटिक गतिविधियों को ही सोलर साइकिल के नाम से जाना जाता है। हर एक सोलर साइकिल 9 से 14 साल तक की होती है।

इससे यूटिलिटी और कम्युनिकेशन कंपनियों को DAGGER को अपने वॉर्निंद सिस्टम में इंटिग्रेट करने का समय मिल जाएगा। ताकि सूर्य पर बदलते मौसम की जानकारी वक्त पर मिल सके।

क्या होता है सौर तूफान?

इसे जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म भी कहा जाता है। ये सूर्य से निकलने वाला रेडिएशन होता है, जो पूरे सौर मंडल को प्रभावित कर सकता है। इसके प्रभाव से धरती का चुंबकीय क्षेत्र तक नहीं बचता. इसी वजह से इसे आपदा कहते हैं। ये पृथ्वी के आसपास के वातावरण की ऊर्जा पर भी अपना असर डालता है। हालांकि सौर तूफान पहले भी आ चुका है। ये 1989 में कनाडा के क्यूबेक शहर में आया था। इसकी वजह से यहां 12 घंटे तक बिजली नहीं आई।

इससे पहले 1859 में भी सौर तूफान आया था। तब अमेरिका और यूरोप में टेलीग्राफ नेटवर्क तबाह हो गया था। सौर तूफान ऊर्जा का वो शक्तिशाली विस्फोट होता है, जिससे रेडियो संचार, बिजली ग्रिड और नेविगेशन सिग्नल्स पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे अंतरिक्ष में मौजूद अंतरिक्षयात्रियों और अंतरिक्ष यान को भी खतरा उत्पन्न हो सकता है।

पूरी दुनिया में फैले और बिखरे पड़े हैं मानव के डीएनए, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता कि इन डीएनए का कोई गलत इस्तेमाल न कर ले, पढ़िए, पूरी रिपोर्ट

क्या हो अगर आपके डीएनए से आपकी पूरी डिटेल कोई निकाल कर ब्लैक मार्केट में बेंच दे? ये संभव भी है। क्योंकि हम इंसान पूरी धरती पर अपने डीएनए छोड़ते जा रहे हैं। हमारे गिरते बाल, त्वचा से निकलती परतें और थूक आदि। इन सब में केमिकल कोड लिखे होते हैं, जो हमारे शरीर को चलाने में मदद करते हैं।

वैज्ञानिकों को इसी बात की चिंता है कि दुनियाभर में फैले डीएनए का कोई गलत इस्तेमाल न कर लें। एक नई स्टडी के मुताबिक टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस हो चुकी है कि इंसानों के डीएनए को हवा, पानी या जमीन कहीं से भी उठाया जा सकता है। लोगों की पर्सनल डिटेल्स का गलत हाथों में जा सकते हैं।

इस तरह की बड़ी चोरी के लिए पूरी दुनिया और इंसानियत तैयार नहीं है। यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के जूलॉजिस्ट डेविड डफी कहते हैं कि हम तकनीक को ज्यादा एडवांस कर रहे हैं। यह समाज के फायदे के लिए ही होती हैं। लेकिन अगर ये गलत हाथों में पड़ जाएं तो इनका नुकसान सबको उठान पड़ सकता है।

डेविड डफी ने कहा कि हम दुनियाभर में फैले डीएनए को लेकर बढ़ रही चिंता को समय से काफी पहले सबके सामने लाना चाहते हैं। ताकि इसे लेकर नीतियां और नियम बनाए जा सकें। धरती की सतह पर पेड़-पौधों, जानवरों और इंसानों के डीएनए विभिन्न माध्यमों से फैले हुए हैं। जिसे वैज्ञानिक 'e' DNA यानी एनवायरमेंटल डीएनए कहते हैं।

तकनीक इतनी विकसित हो चुकी है कि अगर एक eDNA का छोटा सा टुकड़ा भी हाथ लग जाए तो उसकी सिक्वेंसिंग करके पूरे इकोलॉजी के जीवों का इतिहास निकाला जा सकता है। साथ ही यह भी पता किया जा सकता है कि उस जगह पर किस तरह के जीव मौजूद हैं।

यह भी पता चल सकता है कि यह डीएनए जिस जीव का है उसके आसपास की आबादी में किस तरह की बीमारी फैली है। आबादी का बीमारी के साथ किस तरह का रिश्ता है। कितनी बार बीमार हुए हैं लोग या जीव। किस तरह की संक्रामक बीमारियां टिकी हुई हैं।

 

इसका बड़ा उदाहरण है पौराणिक समुद्री शैतान लॉच नेस का डीएनए खोजने की कोशिश की थी। हालांकि उसे खोजने के चक्कर में कई और बड़े खोज हो गए। लोग जेनेटिक सीक्रेट्स जान गए. डीएनए सिक्वेसिंग के पुरानी पद्धत्तियां बेहद जटिल थी। लेकिन अब eDNA की सिक्वेंसिंग को शॉटगन सिक्वेंसिंग कहते हैं।

इस काम में डेविड डफी और उनकी टीम मास्टर है। इन लोगों ने आयरलैंड से पानी और रेत का सैंपल लिया। सैंपल को फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के व्हीटनी लेबोरेटरी फॉर मरीन बायोसाइंसेस एंड सी टर्टल हॉस्पिटल लेकर गए। जहां से सैंपल लिए गए वहां पर इंसान नहीं रहते। ये बेहद सुदूर इलाके से लाया गया सैंपल था।

लेकिन जब डेविड और उनकी टीम ने स्टडी की तो सैंपल में इंसानी डीएनए के टुकड़े पाए गए। फिर उन्होंने अपने जीन्स की जांच की, कहीं ये टुकड़े उनके शरीर से तो नहीं गिरे थे। लेकिन ये उनके भी नहीं थे। सी टर्टल हॉस्पिटल में हवाओं से लिए गए सैंपल में भी eDNA मिला।

डेविड कहते हैं कि सैंपल जहां से भी जुटाए गए। उनकी गुणवत्ता ठीक वैसी ही थी जैसे हम किसी इंसान से उसका डीएनए लेते हैं। सोचिए कि अगर इस तरह से कोई डीएनए सैंपल जुटाकर उसका दुरुपयोग करे तो कितना नुकसान होगा। समाज को भी और पूरी धरती को भी। यह स्टडी हाल ही में नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में छपी है।